जगमगाते जुगनुओं का त्योहार देखा है आपने?

अनुषा मिश्रा 28-04-2023 06:26 PM Culture
बचपन में जुगनुओं के पीछे भागकर उन्हें जलते-बुझते देखने में शायद आप सबको मज़ा आता होगाज़ लेकिन तब हमें कभी दो-चार जुगनू ही देखने को मिलते थे। सोचो कि एक पूरा गांव सिर्फ जुगनुओं की रोशनी से ही रोशन हो जाए तो क्या नज़ारा होगा। अगर आप भी इस खूबसूरत सी कल्पना का हकीकत में हिस्सा बनना चाहते हैं तो महाराष्ट्र के पुरुषवाड़ी में होने वाले फायरफ्लाइज फेस्टिवल में शामिल होने की तैयारी कर लीजिए। यहां आपको चमकदार फायरफ्लाइज के बीच कुदरत के सुंदर और जीवंत रंगों का जश्न मनाने का मौका मिलेगा। यहां मानसून से पहले लाखों जुगनू खुले में निकलते हैं और देखने वालों के लिए एक जन्नत सा माहौल बनाते हैं। 

क्यों बिखेरते हैं रोशनी?

पुरुषवाड़ी के जंगल में जुगनुओं की 2000 से अधिक प्रजातियां देखी जा सकती हैं। ये अद्भुत जीव विपरीत लिंग को आकर्षित करने के लिए रोशनी बिखेरते हैं। नर जुगनू चमकती रोशनी के अलग-अलग पैटर्न के रूप में संकेत भेजते हैं और मादा अपने संकेत के अपने तरीके से उनका जवाब देती हैं। इस तरह की रोशनी का होना देखने वालों को एकदम मंत्रमुग्ध कर देता है। मादा जुगनू संभोग करने और अंडे देने के लिए काफी समय तक जीवित रहती हैं और अंततः वे मर जाती हैं।

हर साल होता है ये फेस्टिवल

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पुरुषवाड़ी फायरफ्लाइज़ फेस्टिवल महाराष्ट्र के पुरुषवाड़ी गांव में हर साल मनाया जाता है। यह त्योहार मानसून के मौसम से ठीक पहले होता है, आमतौर पर मई और जून के बीच। इस साल यह पर्व मई के तीसरे सप्ताह से जून के तीसरे सप्ताह तक मनाया जाएगा। इस दौरान, रात में लाखों जुगनू निकलते हैं और आसपास के जंगलों को रोशन करते हैं। यह सब देखने में बेहद सुंदर और अनोखा लगता है। इस त्योहार का उद्देश्य ईको टूरिज्म को बढ़ावा देना और पर्यावरण के संरक्षण के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। 

ऐसा नहीं है कि यहां आने पर आपको सिर्फ चमकते जुगनू ही देखने को मिलेंगे। आप यहां रात में जंगल की सैर कर सकते हैं, गांव का पारंपरिक अनुभव ले सकते हैं और यहां की ट्रेडिशनल व कल्चरल एक्टिविटीज में शामिल हो सकते हैं। इस दौरान आप यहां के स्थानीय समुदाय के जीवन के तौर-तरीकों को भी आसानी से जान सकते हैं।

अर्थव्यवस्था को फायदा

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पुरुषवाड़ी फायरफ्लाइज फेस्टिवल स्थानीय लोगों और पर्यटकों दोनों के बीच काफी लोकप्रिय है। यह ग्रामीणों को रोजगार देने, स्थानीय व्यवसायों को बढ़ाने और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में भी मदद करता है। सिर्फ यही नहीं, यह फेस्टिवल रिस्पॉन्सिबल टूरिज़्म के मैसेज को भी लोगों तक पहुंचाने और प्रकृति से मोहब्बत करना सिखाने में भी अहम भूमिका निभाता है।

ध्यान रखने वाली बातें 

  • जुगनूओं से भरे पेड़ पर टॉर्च न जलाएं। रोशनी देखकर पागल हो जाते हैं। 
  • जुगनू गर्म नहीं होते हैं, वे सिर्फ रोशनी उत्सर्जित करते हैं क्योंकि इस घटना को बायोल्यूमिनेसेंस कहा जाता है। इसलिए जब वे आप पर बैठें, तो उन्हें चलने दें, डरें नहीं।

पुरुषवाड़ी कैसे पहुंचे?

पुरुषवाड़ी महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में एक छोटा सा गांव है। यह पश्चिमी घाट में है और अपने खूबसूरत प्राकृतिक परिवेश, झरनों और वन्य जीवन के लिए जाना जाता है। पुरुषवाड़ी पहुंचने का सबसे अच्छा तरीका सड़क के रास्ते है। पुरुषवाड़ी सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। पुरुषवाड़ी पहुंचने के लिए आप मुंबई, पुणे या नासिक से बस या टैक्सी ले सकते हैं। यह गांव मुंबई से लगभग 190 किलोमीटर, पुणे से 160 किलोमीटर और नासिक से 95 किलोमीटर दूर है। इगतपुरी, 70 किमी की दूरी पर पुरुषवाड़ी गांव का निकटतम रेलवे स्टेशन है। पुरुषवाड़ी तक नासिक, पुणे और शिर्डी जैसी जगहों से भी पहुंचा जा सकता है। ये सभी शहर वायुमार्ग और रेलवे से भारत भर के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़े हुए हैं। 

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