जब भी प्राचीन भारत के तीर्थों के बारे में बात होती है, तब उसमें सबसे पहले अयोध्या का नाम सबसे पहले आता है। प्राचीन भारत के सात सबसे पवित्र शहरों या सप्तपुरियों में से एक के रूप में मशहूर, अयोध्या सरयू नदी के किनारे बसी है। यह जगह श्रद्धालुओं के दिल में ख़ास जगह रखती है, आखिर यह मर्यादापुरुषोत्तम भगवान श्री राम की जन्मस्थली जो है। धार्मिक मान्यता है कि स्वयं देवताओं ने इसकी रचना की थी। आजकल श्री राम मंदिर बनने के कारण पूरी दुनिया में अयोध्या की चर्चा हो रही है, पर क्या आपको पता है कि अयोध्या में राम मंदिर के अलावा कई ऐसे प्रसिद्ध मंदिर, घाट और महल मौजूद हैं, जो न सिर्फ अयोध्या की शोभा बढ़ाते हैं बल्कि श्रद्धालुओं को श्री राम और उनसे जुड़ी कहानियों को महसूस करने का मौका देते हैं। यहां हम आपको ऐसी ही कुछ जगहों के बारे में बता रहे हैं जिससे जब कभी भी आपका अयोध्या के अध्यात्मिक वातावरण में सराबोर होने का मन करे तो आप बिना ज़्यादा सोच-विचार किए झट से वहां जाने की तैयारी कर लें।
एक ऐसा शहर जहां मंदिर भी हैं, मस्जिद भी, किले भी हैं और स्तूप भी, गुफाएं भी हैं और पहाड़ भी, जिसका इतिहास भी कमाल का है और जो अपने वर्तमान से भी लोगों को आकर्षित करता है। हम बात कर रहे हैं पश्चिमी भारत में अरब सागर से लगे हुए गुजरात के जिले जूनागढ़ की।
अरब सागर के फिरोजी पानी, बेहद अनोखे समुद्री तट, अनदेखे झरने और खूबसूरत लगून से मिलकर बना है लक्षद्वीप। लक्षद्वीप, मिनीकॉय और अभिनदीप, इन तीनों को मिलाकर 1 जनवरी 1973 को लक्षद्वीप बना था।वैसे तो मलयालम भाषा में लक्षद्वीप का मतलब एक लाख द्वीप होता है, लेकिन यहां 36 द्वीप हैं और सभी बेहद सुंदर हैं, लेकिन इनमें से सिर्फ 10 द्वीप ही ऐसे हैं जहां आबादी है। इनमें से हम आपके लिए लेकर आए हैं कुछ खास जगह, जहां की यात्रा आपको रोमांच से भर देगी। यहां नारियल के पेड़ों की घनी छाया पूरे आसमान को ढकती हुई समंदर के फिरोजी पानी पर पड़ती है तब टूरिस्ट्स एकदम इसमें खो जाते हैं। लक्षद्वीप हमेशा से भारत के पसंदीदा टूरिस्ट डेस्टिनेशंस में से एक है, लेकिन पीएम मोदी के लक्षद्वीप जाने के बाद से इस जगह को लेकर लोगों में दिलचस्पी और ब्ध गई है। लक्षद्वीप में अगर पानी जमकर बरसता है, तो सूरज की किरणें भी भरपूर चमकती हैं। यहां के हर द्वीप से सूरज के उगने और डूबने का रंगीन नजारा देखा जा सकता है। सूर्यास्त के समय लगून पर डूबते सूरज की किरणों के अनोखे रंग अद्भुत पैदा करते हैं। सूरज के सामने अगर कोई छोटी नाव आ जाए तो यह दृश्य जैसे मन पर छप जाता है। खास बात ये है कि यहां जैसे वॉटर स्पोर्ट्स शायद पूरे देश में आपको कहीं नहीं मिलेंगे। भारत में स्कूवा डाइविंग कई जगह होती है, हो सकता है आपने इसका मजा भी लिया हो, लेकिन एक बार लक्षद्वीप आकर स्कूवा डाइविंग करिए, आपको इस बात का यकीन हो जाएगा कि समंदर के अंदर ऐसा बहुत कुछ है, जो आपने मिस कर दिया था। सागर की तलहटी में हजरों किस्म की मछलियां, मूंगे की बस्तियां, कछुए, ऑक्टोपस और समंदर के दूसरे जीवों के साथ कुछ समय बिताया जा सकता है। लक्षद्वीप के लगून सजे एक्वेरियम की तरह है। यह द्वीप समूह दक्षिण भारतीय राज्य केरल के समुद्री तट से करीब 200 से 300 किलोमीटर की दूर है। देश का सबसे छोटा केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप सिर्फ 32 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। लक्षद्वीप में पीने के पानी के स्रोत बिलकुल नहीं हैं। यहां बारिश के पानी को ही इकट्ठा करके इस्तेमाल किया जाता है। कुछ द्वीपों में कुएं बनाए गए हैं, जिनमें बारिश का पानी जमा किया जाता है और फिर इसे फिल्टर करके पीने लायक बनाया जाता है। नारियल, केला, पपीता और कुछ जंगली पेड़ पौधों के अलावा लक्षद्वीप में ज्यादा कुछ नहीं पैदा होता। मिट्टी न होने की वजह से कई सब्जियां नहीं उगाई जा पाती हैं। खाद्य सामग्री, सब्जियां और जरूरत की दूसरी चीजें कोच्चि से ही मंगाई जाती हैं।
फिर से साल का वह समय है पूरा देश पहले से कहीं ज़्यादा खूबसूरत हो जाता है। पहाड़ बर्फ की चादर ओढ़ लेते हैं और समन्दर के ऊपर निकलने वाले सूरज मन में ताजगी भर रहा है। इस मौसम में रेगिस्तान की रेत भी ठंडी हो जाती है और धूप गर्म नहीं, गुनगुनी लगती है। यह घर से बाहर निकलने और कहीं घूमकर आने का सबसे सही समय है। नए साल के लिए यात्रा की योजना बनाने का वक़्त भी आ ही गया है और अगर आप दिल्ली में हैं, तो ये योजना हमने आपके लिए बना दी है। हमने आपके लिए दिल्ली के पास कुछ बेहतरीन ऑफबीट डेस्टिनेशन्स की लिस्ट तैयार की है। वन्यजीवन के बेहतरीन अनुभवों से लेकर संस्कृति, विरासत और प्रकृति तक, इन जगहों में सब कुछ है।
मैं मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम की जन्मस्थली हूं और नटखट कान्हा की भी। मैं तथागत बुद्ध की शरणस्थली हूं और अयोध्या छोड़ने पर माता सीता की भी। मेरे हृदय में ही गंगा, जमुना और सरस्वती का संगम होता है। मेरी रगों में बहती गंगा के घाटों पर पाप-पुण्य का लेखा जोखा होता है और मोक्ष भी मिलता है। मेरी काशी में कबीर ने जीवन के अनुभवों को दर्शाते दोहे लिखे तो चित्रकूट में तुलसी ने श्रीराम के दर्शन किए। कई पक्षियों और जानवरों को पनाह देते अभ्यारण्य मैंने बसाए हैं। कल-कल करते झरने और नदियां मेरी खूबसूरती बढ़ाते हैं। मैं वन्य जीव प्रेमियों के कौतूहल का उत्तर हूं। मैं घुमक्कड़ों की घुमक्कड़ी का उत्तर हूं। मंदिरों, मठों, स्तूपों में बसी आस्था, श्रद्धा और विश्वास का उत्तर हूं। मैं इतिहास का उत्तर हूं और वर्तमान का उत्तर हूं…। मैं उत्तर प्रदेश हूं। यूं तो घूमने के लिए हमारे देश में कई राज्य हैं। सब एक से एक खूबसूरत हैं और सबकी अपनी महत्ता है, लेकिन कहते हैं कि ‘यूपी नहीं देखा तो इंडिया नहीं देखा’। यह बात सोलह आने सच है। आपने ऊंचे-ऊंचे पहाड़ देख लिए, अथाह दूरी तक फैला समंदर देख लिया लेकिन अगर आस्था और विश्वास की डोर को मजबूती से बांधे राम और कृष्ण की जन्मभूमि मुझे यानी उत्तर प्रदेश को नहीं देखा तो वाकई आपने कुछ नहीं देखा। तो चलिए मेरे साथ, मेरे ही अद्भुत सफर पर और जानिए कि सिर्फ ताजमहल ही नहीं, मेरे पास घुमक्कड़ों को देने के लिए और भी बहुत कुछ है। विश्व पर्यटन दिवस पर चलिए मेरे साथ मेरे ही एक अनोखे सफर पर…
जयपुर शहर के बीच बना अल्बर्ट हॉल संग्रहालय बेहदशानदार है! राजस्थान के शाही इतिहास और समृद्ध विरासत की कहानी कहता यह संग्रहालय इतिहास से लेकर वर्तमान तक की झलक पाने के लिए एक आदर्श जगह है। 19वीं शताब्दी के आखिर में बनाया गया अल्बर्ट हॉल म्यूजियम इतिहासकारों और कला प्रेमियों के लिए एक खजाना है। यह म्यूजियम 16 एकड़ में फैला हुआ है और राजस्थान की कलात्मक विरासत के बारे में बताता है। जयपुर में अल्बर्ट हॉल म्यूजियम राज्य का सबसे पुराना संग्रहालय है और यह राजस्थान का स्टेट म्यूजियम भी है। यह इमारत न्यू गेट के सामने शहर की दीवार के बाहर राम निवास गार्डन में स्थित है और इंडो-सारसेनिक वास्तुकला का एक बेहतरीन उदाहरण है। कलाकृतियों के अपने खास संग्रह और राज्य के समृद्ध इतिहास के लिए जाना जाने वाला, अल्बर्ट हॉल संग्रहालय तरसती आंखों के लिए एक उपहार है। यह संग्रहालय हर मायने में जयपुर का गौरव है। महाकाव्यों को उकेरने वाली ढालों, आभानेरी की मूर्तियों और ममी को देखकर आप मंत्रमुग्ध हो जाएंगे।
स्पीति घाटी आश्चर्यों से भरी हुई है। हिमाचली खूबसूरती को खुद में समेटे यह घाटी अपने खूबसूरत नज़रों और प्राचीन मठों के लिए दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करती है। अद्भुत प्रकृति से लेकर जीवन के अनूठे तरीके तक, स्पीति घाटी रहस्यों से भरी हुई है। यहां हम आपको बता रहे हैं स्पीति घाटी के बारे में कुछ आश्चर्यजनक तथ्य:
हवा की सनसनाहट सुनना कितना सुकून देता है न। मिट्टी की खुशबू का पीछा करते हुए मीलों चलते जाने का भी अपना अलग ही मजा है। घने जंगल की हरियाली से एकांत में बातें करने अहसास याद है न आपको। नदी की तरह बलखाती सड़कें और ऊंचाई से गिरते झरनों का शोर ही तो है जो मन में एक ठहराव पैदा करता है, वही ठहराव जिसकी तलाश हमें कभी पहाड़, कभी समुद्र तो कभी रेगिस्तान की सैर कराती है। तो आइए इस बार हम आपको ऐसी ही एक जगह ले चलते हैं, जहां दूर तक फैली जंगलों की खूबसूरती है और उन जंगलों से निकलते छोटे-छोटे झरने। हां, लेकिन एक वादा कीजिए कि आप किसी तरह के पूर्वाग्रह के साथ इस सफर पर नहीं जाएंगे। इसे अपने खूबसूरती के तय किए गए पैमानों से नहीं नापेंगे, क्योंकि बेतरतीबी ही इस हिल स्टेशन की खासियत है। चारों ओर से जंगल से घिरे रांची को देखकर लगता है कि प्रकृति ने अपना सौंदर्य इस शहर पर खुलकर लुटाया है। यहां हरे-भरे पेड़ों से घिरी पतरातू वैली के घुमावदार रास्ते, हुंडरू, दशम, जोन्हा फॉल और पतरातू, कांके, धुर्वा डैम आपको दोबारा आने के लिए मजबूर कर देंगे।
सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने पूर्वी लद्दाख के डेमचोक सेक्टर में हानले के पास 64 किमी विस्तारित लिकारू-मिग ला-फुकचे सड़क बनाना शुरू कर दी है। एक बार जब यह रास्ता चालू हो जाएगा, तो यह सड़क मिग ला में 19,400 फीट की ऊंचाई पर दुनिया की सबसे ऊंची मोटर से जाने लायक सड़क का गौरव हासिल कर लेगी। फ़िलहाल, दुनिया की सबसे ऊंची मोटोरेबल रोड का ताज लद्दाख में उमलिंग ला के पास है, जो 19,024 फीट की ऊंचाई पर है। यह 52 किमी लंबी सड़क है जो एक्चुअल लाइन ऑफ़ कंट्रोल (एलएसी) के साथ चिशुमले को डेमचोक से जोड़ती है जो भारत और चीन के बीच एक विवादास्पद क्षेत्र है।
कई लोग इस बात को मानते नहीं हैं लेकिन ये फैक्ट है कि भारत में घूमने की योजना बनाने के लिए सितंबर एक अच्छा महीना है। यह मानसून का आखिरी महीना है जो कुल मिलाकर सुखद मौसम का स्वागत करता है। यह महीना जुलाई और अगस्त के महीनों की तुलना में ठंडा होता है लेकिन आने वाले अक्टूबर और नवंबर के महीनों की तुलना में थोड़ा कम ठंडा। यह भारत में कम रेट्स पर होटल बुक करने का आखिरी 'ऑफ-सीज़न महीना' भी है। और सितंबर महीने की सबसे अच्छी बात यह है कि आपको कई टूरिस्ट्स प्लेसेस पर भारी भीड़ का सामना नहीं करना पड़ेगा। तो चलिए हम आपको बताते हैं भारत कि कुछ ऐसी जगहें जहां आप इस महीने अपना वेकेशन प्लान कर सकते हैं।
बचपन से पढ़ते आए हैं कि भारत एक विविधताओं से भरा देश है। तब हम भले ही संस्कृति, भाषा-बोली और जलवायु के बारे में ये बात कहते थे लेकिन अब जब घूमने के बारे में बात होती है तब लगता है की यह देश नज़ारों के लिए भी उतना ही विविध है। यह देश अपने ऊंचे पहाड़ों, खूबसूरत झीलों, रेगिस्तानों, समंदर के किनारों, अद्भुत मंदिरों और न जाने कितनी ही खूबसूरत जगहों के लिए जाना जाता है। दक्षिण भारत में कुदरत इसकी सुंदरता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस दक्षिण भारतीय राज्य में हैं, कुछ शानदार प्राकृतिक खूबसूरती आपको यहां हर तरफ देखने को मिलेगी। आज हम आपको बता रहे हैं भारत के दक्षिण में कुछ सबसे सुन्दर झीलों के बारे में…
बिहार के खूबसूरत शहर बोधगया में भव्य महाबोधि मंदिर स्थित है। आध्यात्मिक ज्ञान के इस प्रतिष्ठित प्रतीक का अत्यधिक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है। यह मंदिर यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है क्योंकि यहीं पर बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था।
भारत के पहले आउटडोर म्यूजियम, शहीदी पार्क का हाल ही में दिल्ली में उद्घाटन किया गया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने कुछ दिन पहले पार्क का उद्घाटन किया था, जिसे दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने 4.5 एकड़ जमीन पर बनाया है। इस जगह पर मौजूद कलाकृतियां आपको प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक भारतीय इतिहास की झलक दिखाएंगी. रिपोर्ट्स की मानें तो इस पार्क को वेस्ट टू आर्ट थीम के तहत छह महीने में 700 कारीगरों के साथ 10 कलाकारों ने तैयार किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पार्क को बनाने के लिए लगभग 250 टन स्क्रैप का इस्तेमाल किया गया है।
भारत का कपड़ा उद्योग देश की बेमिशाल कलात्मक प्रतिभा और गहरी जड़ें जमा चुकी सांस्कृतिक विरासत का जीता जागता उदाहरण है। भारत का हर क्षेत्र अपनी अनूठी कपड़ा शैली को दिखाता है, जिसमें कांचीपुरम और वाराणसी की हाथ से बुनी रेशम साड़ियां और कोटा का कपड़ा सबसे मशहूर उदाहरण हैं। भारतीय परिधानों में इस्तेमाल कपड़ों, पैटर्न और बुनाई तकनीकों की विविधता बुनकरों के कौशल के बारे में काफी कुछ कहती है। हमारे देश में ऐसे कई शहर हैं जो हथकरघा की कलात्मक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।
कन्याकुमारी तमिलनाडु में सबसे कम घूमी जाने वाली जगहों में से एक है। यह जिला राज्य के सबसे शांत जिलों में से एक है और आपकी शांति और सुकून से भरे ड्रीमी वैकेशन के लिए परफेक्ट है। वैसे तो जो भी कन्याकुमारी जाता है वह विवेकांनद मेमोरियल को देखने के बारे में सोचकर ही जाता है लेकिन यहां और भी बहुत कुछ है जो देखने लायक है। कन्याकुमारी में पोथायडी गांव आपके कन्याकुमारी घूमने की शुरुआत के लिए एक आदर्श जगह है। इस गांव में मुथुनंदिनी पैलेस सबसे सुंदर जगहों में से एक है, जो ऊबड़-खाबड़ पहाड़ियों और पेड़-पौधों से घिरा हुआ है। यहां की आबादी भी काफी कम है और आसपास बहुत से लोग नहीं हैं, इसलिए आप शांत छुट्टियां बिता सकते हैं।
भारत के दिल में बसे सांस्कृतिक रूप से समृद्ध क्षेत्र बस्तर में, एक सदियों पुरानी परंपरा निहित है जो कला प्रेमियों और इतिहासकारों को समान रूप से आकर्षित करती रहती है। उस कला का नाम है ‘ढोकरा’। ढोकरा कला, धातु ढलाई का एक अनूठा रूप है, जो पीढ़ियों से इस आदिवासी क्षेत्र में प्रचलित है। यह कला प्राचीन तकनीकों के इस्तेमाल व कुशल कारीगरों की मेहनत का बेहतरीन नमूना है।
दार्जीलिंग की सुंदर पहाड़ियों के बीच से गुजरती हुई एक छोटी सी टॉय ट्रेन अपनी ही धुन पर नाचती हुई सी चलती है। सुंदर चाय बागानों, हरी-भरी घाटियों और सुरम्य गांवों के बीच अपना रास्ता बनाते हुए, दार्जीलिंग हिमालयन रेलवे, हिल स्टेशन में ट्रांसपोर्टेशन के प्रमुख साधनों में से एक है। यह ट्रेन, जिसे टॉय ट्रेन के नाम से भी जाना जाता है, दार्जीलिंग के समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक विरासत का भी प्रतीक है।
त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में बने उज्जयंता पैलेस को एक वीकेंड टूरिस्ट सेंटर बनाया जा रहा है। जिस पूरे क्षेत्र में यह पैलेस खड़ा है, उसे हर शनिवार और रविवार को नो-ट्रैफिक जोन घोषित किया जाएगा। पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए यह उपाय किया जा रहा है। उज्जयंता पैलेस को पर्यटन केंद्र घोषित करना प्रमुख कदमों में से एक है।
दुनियाभर में घूमने की नयी जगहों की आए दिन खोज हो रही है। एक से एक नयी इमारतें बनकर तैयार हो रही हैं लेकिन मोहब्बत की निशानी की जब भी बात आती है तो सबसे पहले ताजमहल का ही नाम जुबां पर आता है। बीते कुछ साल में इसे लेकर कई गलत बातें भी चर्चा में रहीं लेकिन उससे इसकी लोकप्रियता पर कोई खास फर्क नहीं पड़ा। इसकी मंत्रमुग्ध कर देने वाली खूबसूरती में आज भी लोग खो जाते हैं। इसकी मेहराबों के तले बैठकर न जाने कितने जोड़ों ने मोहब्बत की कसमें खायी हैं। इसीलिए आप चाहे कभी भी इसे देखने जाओ यहां भीड़ ही मिलती है, इसके सामने एक ऐसा फोटो लेने की अदद हसरत शायद सबकी होती है जिसमें उसके और ताज के बीच कोई न आ रहा हो लेकिन ऐसा मुमकिन नहीं हो पता। अगर आप भी उन लोगों में से एक हैं तो हम आपको एक ऐसी जगह बता रहे हैं जहां की सुंदरता के तो आप कायल हो ही जाएंगे और वहां से ताज की एक अद्भुत तस्वीर भी ले पाएंगे।
आप एडवेंचर लवर हैं? वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर हैं? आपको हरियाली पसंद है? ऊंचाई से गिरते हुए झरनों का पानी देखना पसंद है? या नदियां पसंद हैं? कोई नई जगह घूमने की तलाश में रहते हैं? अगर आपको इनमें से कुछ भी पसंद है, या सबकुछ पसंद है तो मसिनागुदी आपके लिए परफेक्ट डेस्टिनेशन है तमिलनाडु के नीलगिरी जिले में बसा मसिनागुदी हर तरह के टूरिस्ट्स को पसंद आने वाली जगह है। इस जगह की एक खास बात ये भी है कि गर्मी हो या सर्दी, बारिश हो वसंत, यहां आप पूरे साल के किसी भी सीजन में जा सकते हैं। मुदुमलाई नेशनल पार्क के पांच रीजंस में से एक मसिनागुदी यहां के फेमस हिल स्टेशन ऊटी से सिर्फ 30 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां का हरियाली से भरा हुआ जंगल, फूलों, पौधों और जानवरों की अनगिनत प्रजातियां, ऊंचे झरने, गहरी नदियां इस जगह को पिक्चर परफेक्ट डेस्टिशन बनाने में कोई कसर नहीं छोड़तीं। अगर आपको वाइल्ड लाइफ सफारी का मजा लेना है या कैम्पिंग करनी है तो भी ये जगह आपको खुश कर देगी। यहां की मुदुमलाई वाइल्डलाइफ सेंचुरी, बांदीपुर नेशनल पार्क और तेपकड्डु एलिफेंट कैंप इसे एक बेहतरीन वाइल्डलाइफ हॉटस्पॉट बनाते हैं। यहां की मोयार नदी, पायकरा झील देखकर आपको ऐसा लगेगा जैसी कुदरत ने इस जगह अपनी सारी नेमतें न्योछावर कर दी हों। अगर आपका यहां जाने का प्लान बनता है तो हमारी ये स्टोरी आपके काम आ सकती हैं। हम आपको बता रहे हैं मसिनागुदी की 6 ऐसी जगहों के बारे में जहां की यात्रा आपके लिए यादगार हो सकती है।
कहीं दूर जब दिन ढल जाए… यह गाना शायद आप सबने सुना होगा। हो सकता है कि आप में से कई लोगों को ये पसंद भी हो। मुझे ये गण तो पसंद है ही, दूर कहीं ढलते हुए दिन को देखना भी बेहद पसंद है। किसी ऐसी जगह जहां ज़्यादा भीड़ न हो, पहाड़ हों या समंदर हो या दूर तक फैला कोई मैदान जहां से ढलते हुए सूरज को उस जगह के आगोश में समाते हुए देखा जा सके। जहां चिड़ियों की चहचहाहट साफ़ सुनाई दे, जहां बहते पानी की आवाज़ हो या उठती गिरती लहरों की तरंगें, जहां हवा के छूकर निकलने का एहसास हो और मन सुकून से भर जाए। अब आप सोच रहे होंगे कि भला ये किसे नहीं पसंद होगा! बिलकुल, सच भी है ये। इसीलिए आज मैं आपको अपने साथ ले चलूंगी कुछ ऐसी जगहों पर जो अनूठे अनुभवों को खुद में समेटे हैं, जो घिसे पिटे रास्तों से नहीं, किस्से और कहानियों से आपके सफर को पूरा करेंगी, वो जगहें जो हमारे देश के कोनों पर हैं…
उदयपुर का नाम सुनते ही अक्सर जेहन में सिटी पैलेस, बड़ी सी लेक में बना एक महल, कुछ सुंदर से घाट और रंग बिरंगी बाजार की तस्वीरें आ जाती हैं, क्या हो कि उदयपुर में ऊंचे-ऊंचे पहाड़, बर्फ और ढेर सारी ठंडक मिल जाये! ऐसा बिलकुल मुमकिन है लेकिन इसके लिए आपको राजस्थान वाले उदयपुर को भूलकर हिमाचल प्रदेश वाले उदयपुर का रुख करना होगा। जी हां, सही पढ़ा आपने हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति में भी एक उदयपुर है जो बड़ी बड़ी इमारतों नहीं बल्कि पहाड़ों की ठंडक और कुदरती खूबसूरती के लिए मशहूर है। हिमाचल प्रदेश के लाहौल और स्पीति जिले में चंद्रभागा नदी के तट पर स्थित उदयपुर एक खूबसूरत गांव है। इस सुंदर पहाड़ी गांव को कभी प्रसिद्ध मारकुला देवी मंदिर के कारण मारकुल के नाम से जाना जाता था, जिसे बाद में चंबा के शासक राजा उदय सिंह के सम्मान में 1695 ई। में बदलकर उदयपुर कर दिया गया।यह जगह बौद्ध और हिंदू दोनों के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है। इसका मुख्य कारण त्रिलोकनाथ मंदिर है, जो दुनिया का एकमात्र मंदिर है जहां हिंदू और बौद्ध दोनों पूजा करने आते हैं। यहां ऐसी कई जगहें हैं जो आप इस सुंदर से पहाड़ी गांव में आकर देख सकते हैं।
अगर आप जयपुर में हों, तो शहर से सिर्फ 16 किमी दूर सांगानेर जरूर जाएं। सांगानेर कपड़ा और हस्तशिल्प उद्योगों में अपनी समृद्ध विरासत के लिए सबसे प्रसिद्ध है। क्या आपने सांगानेरी हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग के बारे में सुना है? प्रसिद्ध हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग इसी शहर से आती है, एक ऐसा कौशल जो पीढ़ियों से चला आ रहा है।
केरल का एक गांव किताबों के शौक़ीन लोगों के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है। यह केरल और आम तौर पर भारत के लोगों के लिए बेहद गर्व की बात है। हम बात कर रहे हैं केरल के कोल्लम जिले के कुलक्कडा पंचायत के पेरुमकुलम गांव की।जून 2020 में, पेरुमकुलम के अनोखे छोटे से गांव को किताबों केगांव , या पुस्तक ग्रामम की उपाधि से सम्मानित किया गया, जिससे पेरुमकुलम केरल में अपनी तरह का पहला और भारत में दूसरा (पहला महाराष्ट्र में भिलार है) बन गया। यह गांव उस राज्य में आता है जहां 100 फीसदी साक्षरता दर है। अगर आप इस सुंदर से गांव में घूमने का प्लान बना रहे हैं तो यहाँ आपको सड़कों के किनारे और बाकी जगहों पर कई किताबों की अलमारियां मिलेंगी। इन बुकशेल्फ़ में आपको पढ़ने के लिए काफी कुछ मिलेगा, जैसे बच्चों के लिए किताबें, समाचार पत्र और पत्रिकाएं आदि । लोग बुकशेल्फ़ से किताबें लेने और उन्हें पूरा करने के बाद वापस लौटने के लिए स्वतंत्र हैं।
उत्तराखंड के चंपासर ग्लेशियर से निकलकर हरियाणा, दिल्ली से होती हुई 1367 किलोमीटर का सफर तय करते हुए यमुना नदी प्रयागराज के संगम में गंगा नदी में समाहित हो जाती है। गंगा की सहायक नदियों में सबसे लम्बी यमुना ही है। लाखों लोगों को जीवन देने वाली इस नदी का नाम अक्सर लोगों की जुबान पर चढ़ा रहता है। कभी इसमें बढ़ते प्रदूषण की चर्चा होती है तो कभी ये खुद को पर्यावरणीय चुनौतियों और शहरीकरण की बुराइयों से जुडी चर्चाओं में उलझा हुआ पाती है। फ़िलहाल यमुना में पानी का स्तर काफी ज़्यादा बढ़ने से दिल्ली और कई पड़ोसी शहरों और गांवों में तबाही मची हुई है।हालांकि, हम आपको इन बोझिल ख़बरों में नहीं उलझाएंगे और आपको इसके किनारों की सैर कराएंगे। यमुना नदी के किनारे पर ऐसी कई जगहें बसी और बनी हैं जो पूरी दुनिया में मशहूर हैं। हो सकता है कि आप इनके बारे में जानते हों लेकिन फिर भी एक बार हमारे साथ चलिए यमुना के किनारे-किनारे एक खूबसूरत से सफर पर…
पायकारा फॉल्स, तमिलनाडु के ऊटी में सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है। ये झरना इतना सुंदर है कि यकीनन आपका दिल जीत लेगा। यह ऊटी के सबसे सुंदर और मनोरम झरनों में से एक है, जो पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों को अपना दीवाना बना लेता है। पायकारा झरना पायकारा नदी से निकलता है जो चट्टानी ढलानों की एक श्रृंखला से गिरती है। पायकारा नदी और उसके आसपास की पहली झलक आपको कश्मीर की अनोखी घाटियों की याद दिलाएगी। यह झरना घने जंगलों से घिरी हरी-भरी घाटी के बीच है, जो इसके मनमोहक माहौल की खूबसूरती को और भी बढ़ा देता है।
आपने बड़े - बड़े टाइगर रिज़र्व के बारे में खूब सुना होगा लेकिन क्या आपको पता है कि भारत का सबसे छोटा टाइगर रिज़र्व कौन सा है? महाराष्ट्र में वर्धा जिले के हिंगानी के पास स्थित बोर टाइगर रिजर्व भारत का सबसे छोटा टाइगर रिजर्व है। अगर आप सोच रहे हैं कि देश के सबसे छोटे बाघ अभयारण्य कैसा होगा तो रिपोर्ट के मुताबिक यहाँ लगभग 8 बाघ हैं। 2014 में, जब इसे पहली बार टाइगर रिज़र्व घोषित किया गया था, तब यहां केवल केवल चार बाघ थे!बोर टाइगर रिजर्व अचानक ही टाइगर रिजर्व नहीं बन गया। 2014 से पहले, इसे बोर वन्यजीव अभयारण्य के रूप में जाना जाता था, जो विभिन्न प्रकार के जंगली जानवरों का घर था। रिज़र्व अब 121.10 किमी वर्ग के क्षेत्र को कवर करता है।
गोवा शायद हमारे देश की सबसे ज़्यादा घूमी जाने वाली जगहों में से एक है। वैसे तो यहां कई ऐसी जगहें हैं जो देखने लायक हैं लेकिन उनमें ज़्यादातर बीच और फोर्ट ही शामिल हैं। मॉनसून के मौसम में पहाड़ों पर जाना कितना खतरनाक साबित हो सकता है ये तो आपको हाल-फिलहाल की ख़बरों से पता चल ही गया होगा। ऐसे में गोवा ट्रैवेलर्स के लिए एक परफेक्ट डेस्टिनेशन हो सकता है और वो भी ट्रेडिशनल वाले गोवा नहीं, ऑफ बीट गोवा। अब आप सोच रहे होंगे कि भाई, गोवा तो लोग बीच पर मस्ती करने ही जाते हैं, वहां और क्या किया जा सकता है? तो आप ये जान लीजिए और एक बार मेरा कहा मान लीजिये कि गोवा में वो है जो आपका दिल - ओ - दिमाग ताज़ा कर देगा। गोवा की ऐसी ही एक अनोखी जगह है अरवलेम गुफाएं जो पांडव गुफाओं के नाम से ज़्यादा मशहूर हैं।अर्वलेम गुफाएं, जिन्हें पांडव गुफाओं के नाम से भी जाना जाता है, उत्तरी गोवा के संक्वेलिम गांव में स्थित प्राचीन चट्टान को काटकर बनाई गई गुफाएं हैं। पणजी से सैनक्वेलिम तक की एक घंटे की ड्राइव में आपको हर तरफ सब कुछ हरा भरा दिखाई देगा और हां यह ड्राइव थका देने वाली नहीं है। ये गुफाएं ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व रखती हैं और माना जाता है कि ये 6ठी या 7वीं शताब्दी की हैं। कुछ लोग कहते हैं कि इन गुफाओं को बौद्ध भिक्षुओं ने बनवाया था। ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि इन गुफाओं और अजंता और एलोरा की गुफाओं के बीच शैली और वास्तुकला में समानताएं आसानी से पाई जा सकती हैं। स्थानीय लोककथाओं के अनुसार, पांडवों ने अपने निर्वासन के दौरान इन गुफाओं में शरण ली थी। हालांकि, इस दावे का समर्थन करने के लिए कोई ठोस ऐतिहासिक सबूत नहीं है। ये गुफाएं एक ही लेटराइट चट्टान से बनी हैं और इसमें पांच खंड हैं। केंद्रीय कक्ष सबसे बड़ा है और इसमें एक शिवलिंग है। इस वजह से ये गुफाएं धार्मिक महत्व भी रखती हैं। भले ही यह गोवा के सुदूर इलाकों में से एक में है लेकिन तीर्थयात्री इस जगह पर आते रहते हैं।
भगवान शिव की महिमा अपरंपार है। वे अपने भक्तों को सुखी और आनंदमय वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद देने के लिए जाने जाते हैं। भगवान शिव के भक्त अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए उनकी उपासना करते हैं। हिंदुओं की धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव सर्वोच्च शक्ति हैं, जिन्होंने भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पौराणिक कथाओं में उन्हें कहीं भोले नाथ बताया गया है तो कहीं अपनी भक्तों की रक्षा के लिए उनके उग्र रूप को दर्शाया गया है। भारत के विभिन्न राज्यों में भगवान शिव की अलग-अलग रूपों में पूजा की जाती है। यही कारण है; भारत में भगवान शिव के कई मंदिर हैं। सावन के महीने को भगवान शिव का महीना माना जाता है और शिवलिंगम की पूजा की जाती है। इस विशेष महीने में लोग महादेव का अभिषेक करते हैं, उनके लिए व्रत रखते हैं। इस महीने में भगवान शंकर के दर्शन करने लिए भारत में कई शिव मंदिर हैं। इनमें से कुछ खास मंदिरों के बारे में आज हम आपको बता रहे हैं।
भारत के पहले वैदिक-थीम पार्क का उद्घाटन हाल ही में उत्तर प्रदेश के नोएडा सेक्टर 78 में किया गया। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि यह पार्क, जिसे वेद वन पार्क के नाम से भी जाना जाता है, 50,000 से अधिक पौधों का घर है जिनका उल्लेख वैदिक साहित्य में भी मिलता है। यह अविश्वसनीय पार्क भारतीय संस्कृति, प्राकृतिक सुंदरता और मनोरंजन का एक भव्य मिश्रण है। इस पार्क में आप एक ही समय में प्रकृति और इतिहास का एक साथ अनुभव कर सकते हैं।
देवभूमि उत्तराखंड अपने प्राकृतिक वैभव और आध्यात्मिक आभा के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। इस खूबसूरत से राज्य में सिर्फ हरियाली और पहाड़ ही नहीं कई अविश्वसनीय मंदिर भी हैं जो दुनिया भर से यात्रियों और भक्तों को आकर्षित करते हैं। उत्तराखंड कई प्राचीन मंदिरों का घर है जो किंवदंतियों और लोककथाओं को दर्शाते हैं। इन्हीं में से एक है जागेश्वर मंदिर। कुमाऊं की सुंदर पहाड़ियों में स्थित, परमात्मा का यह पौराणिक निवास अपनी मनोरम वास्तुकला और किंवदंतियों से भक्तों को आकर्षित करता है। इन किंवदंतियों ने भक्तों और इतिहास प्रेमियों सभी के दिलों में अपनी जगह बना ली है।आज हम बात कर रहे हैं जागेश्वर मंदिर की। यह मंदिर उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में है और भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर परिसर में 100 से अधिक प्राचीन पत्थर के मंदिरों का एक समूह है जो 9वीं और 13वीं शताब्दी के बीच के हैं। कुछ तो इससे भी अधिक उम्र के हैं! आप मंदिर परिसर में नक्काशी देखकर हैरान हो जाएंगे, जिससे बीते दौर की अद्भुत शिल्पकला का पता चलता है।
हम सभी जानते हैं कि गुरुत्वाकर्षण कैसे काम करता है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि महाबलीपुरम में एक रहस्यमयी 250 टन का रॉक बोल्डर है, जिसे कृष्णा बटरबॉल के रूप में भी जाना जाता है। कमाल की बात यह है कि ये बटरबॉल गुरुत्वाकर्षण को चुनौती देती है। यह 20 फीट ऊंची और 5 मीटर चौड़ी चट्टान है जो एक पहाड़ी की फिसलन भरी ढलान पर खड़ी है, जिसका आधार 4 फीट से कम है। इसे लोकप्रिय रूप से कृष्ण की बटरबॉल के रूप में जाना जाता है क्योंकि मक्खन को भगवान कृष्ण का पसंदीदा भोजन माना जाता है। कहते हैं कि यह पत्थर स्वर्ग से गिरा है इसलिए इसे यह नाम दे दिया गया। अगर आप इस चट्टान को देखेंगे तो आप सोच में पड़ जाएंगे कि यह कैसे वहां टिक जाती है और ढलान से लुढ़कती नहीं है। फिर भी, यह इतनी स्थिर है कि टूरिस्ट्स इसके नीचे छांव में बैठते भी हैं। सबसे ज़्यादा हैरान करने वाली बास्त यह है कि यह चक्रवात, सुनामी या भूकंप जैसी किसी भी प्राकृतिक आपदा से भी नहीं हिली। यह भी माना जाता है कि यह चट्टान 1200 साल से भी ज्यादा पुरानी है।वैसे इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि यह चट्टान आधुनिक तकनीक और विज्ञान को चुनौती देती है। कुछ लोगों का मानना है कि फ्रिक्शन और गुरुत्व केंद्र के कारण ऐसा हो सकता है। जिसका मतलब है कि फ्रिक्शन चट्टान को नीचे फिसलने से रोकता है, जबकि कोई ढलान वाली जमीन पर खड़ा हो सकता है जहां गुरुत्वाकर्षण का केंद्र इसे एक छोटे से संपर्क क्षेत्र पर संतुलित रखता है। हालांकि कुछ लोगों का यह भी यह भी मानना है कि चट्टान को ऐसी स्थिति में लाना भगवान की लीला थी। अगर रिपोर्ट्स की मानें तो 1908 में मद्रास के गवर्नर आर्थर लॉली ने इसे अपनी जगह से हटाने का फैसला किया था। ऐसा कहा जाता है कि उसे पहाड़ी की तलहटी में बसे शहर की सुरक्षा का डर था। इसलिए उसने सात हाथियों को भेजकर चट्टान को हिलाने की कोशिश की थी, लेकिन चट्टान एक इंच भी नहीं हिली। इससे यह तो साफ है कि अलौकिक शक्तियां हों या केवल विज्ञान, बटरबॉल गुरुत्वाकर्षण को चुनौती दे रही है।
जैसे-जैसे मॉनसून अपनी रफ़्तार पकड़ने लगता है ज्यादातर लोग एक अच्छी किताब और एक गरमागरम चाय के कप के साथ या तो अपने घर की खिड़की से बारिश देखना पसंद करते हैं या अपने बिस्तर पर सोने की प्लानिंग करते हैं। बारिश में घूमने के बारे में सोचकर ही लोगों को घबराहट होने लगती है। लेकिन कुछ लोगों को घूमने के लिहाज से यह मौसम बेस्ट लगता है। एक तो इस मौसम में टूरिस्ट्स की ज़्यादा भीड़ नहीं होती दूसरा होटल्स और बाकी खर्च भी काफी कम हो जाते हैं।
गोवा शायद हर उम्र के लोगों की पसंदीदा जगहों में से एक है वैसे तो यहां सबसे ज़्यादा टूरिस्ट्स सर्दियों के मौसम में ही घूमने जाते हैं लेकिन मानसून में भी यह बेहद खूबसूरत दिखता है। बारिश के मौसम में गोवा पूरी तरह प्रकृति के रंग में रंग जाता है। हर तरफ हरियाली ही हरियाली नज़र आती है। अगर आपको बारिश पसंद है तो एक बार मॉनसून में गोवा घूम कर आइये, इस समय यहां न ज़्यादा भीड़ होती है और न ही ज़्यादा महंगाई। ऑफ सीजन होने की वजह से होटल्स भी काफी सस्ते मिल जाते हैं।
घूमने के शौक़ीन लोग कई तरह के होते हैं। कुछ पहाड़ों पर चढ़कर दुनिया देखना चाहते हैं, कुछ समंदर की लहरों में सुकून ढूंढने जाते हैं। किसी को नदियों के पीछे से उगते सूरज को देखने के लिए सफर करना पसंद होता है तो कोई किसी चोटी से ढलते हुए सूरज को देखकर खुश हो जाता है। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो कुछ नया और अनोखा देखने की तलाश में घूमते रहते हैं। अगर आप भी ऐसे ही लोगों में से एक हैं तो हम आपको एक ऐसी चीज़ के बारे में बताने जा रहे हैं जो बेहद अनोखी है। अभी कुछ समय पहले ही वैज्ञानिकों ने मेघालय के जंगलों में मशरूम की अनोखी चमकती प्रजातियों की खोज की थी। लंबे समय तक, यहां के स्थानीय लोग उन्हें प्राकृतिक मशाल मानते थे, जिससे उन्हें रात में जंगल में नेविगेट करने में मदद मिलती थी। रिपोर्टों के अनुसार, लगभग 20,000 कवक प्रजातियों में से केवल 100 को ही बायोल्यूमिनसेंस प्रभाव के लिए जाना जाता है और वे रौशनी पैदा कर सकती हैं। इसे पहली बार मेघालय के पूर्वी खासी हिल्स जिले के मावलिननॉन्ग में एक झरने के करीब खोजा गया था। स्थानीय लोगों ने पश्चिमी जैंतिया हिल्स जिले के क्रांग शुरी में मशरूम की उसी किस्म को देखा, और अब इसे दुनिया में बायोल्यूमिनसेंट कवक की 97 ज्ञात प्रजातियों में गिना जाता है!
हिमालय की खूबसूरत वादियों में बसा नारकंडा हिमाचल प्रदेश का एक छोटा सा शहर है। यह जगह बर्फ से ढके पहाड़ों और सेब के बगीचों से भरी हुई है। नारकंडा प्रकृति प्रेमियों और रोमांच चाहने वालों के लिए स्वर्ग है। बेहद सुंदर सूर्यास्त, खूबसूरत नज़ारे और कमाल क स्थानीय लोग, ये सब मिलकर इस जगह को टूरिस्ट्स क लिए एक परफेक्ट जगह बनाते हैं।8100 फीट की ऊंचाई पर स्थित, नारकंडा हिमाचल में एक छिपा हुआ रत्न है, जो हाटू पीक सहित बर्फ से ढकी हिमालय की चोटियों के शानदार नज़ारों से घिरा है। यहां वसंत ऋतु बेहद सुंदर होती है क्योंकि नारकंडा खिले हुए फूलों और सेब के बगीचों के साथ एक रंगीन स्वर्ग में बदल जाता है।सबके लिए है कुछ ख़ास एडवेंचर शौकीनों के लिए भी नारकंडा में काफी ऑप्शंस हैं। नारकंडा स्कीइंग के लिए मशहूर है और दुनिया भर से उत्साही लोगों को आकर्षित करता है। यहां की स्कीइंग ढलानें शुरुआती और अनुभवी स्कीयरों दोनों के लिए परफेक्ट हैं। शहर में हाटू पीक जैसी सुंदर जगहों पर जाने वाले रोमांचक ट्रैक भी हैं। नारकंडा न केवल प्राकृतिक रूप से समृद्ध है, बल्कि इसका सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व भी है। यह शहर स्थानीय देवता को समर्पित हाटू माता मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। यहां वार्षिक हाटू मेला आयोजित किया जाता है जो दूर-दूर से भक्तों को आकर्षित करता है। हाटू माता का लकड़ी का मंदिर चीनी शैली की नक्काशी से बना है। कहा जाता है कि यह वही जगह है जहां महाभारत के पांडवों ने निर्वासन के दौरान अपना भोजन पकाया था। पर्यटक मंदिर के पास भीम चूल्हा, दो चूल्हे भी देख सकते हैं। इसके अलावा, नारकंडा में लोग स्टोक्स फार्म, महामाया मंदिर और तन्नी जुब्बर झील भी देख सकते हैं।
जब हम भारत के पूर्वोत्तर हिस्से में घूमने की बात करते हैं तो शिलॉन्ग सबसे पहले दिमाग में आने वाली जगहों में से एक है। लेकिन इससे पहले कि आप शिलॉन्ग आएं, आपको शिलॉन्ग पठार के बारे में ज़रूर जानना चाहिए, वो शिलॉन्ग पठार जहां यह शहर बसा है।यह भारत के उत्तरपूर्व में सबसे प्रमुख पठारों में से एक है, जो लहरदार रास्तों, रोलिंग पहाड़ियों और ऊंचे बैकड्रॉप वाला है। यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता, बेहतरीन जलवायु और प्राकृतिक संसाधनों के लिए जाना जाता है। मेघालय की राजधानी शिलॉन्ग इस पठार पर बसी है, जहां से शहर की सुंदरता और इसके पठार की खूबसूरती देखी जा सकती है।
तीरथगढ़ झरना छत्तीसगढ़ में बस्तर जिले के सबसे खूबसूरत रत्नों में से एक है। जगदलपुर के जिला मुख्यालय से लगभग 35 किमी दूर स्थित यह झरना भारत के सबसे शानदार झरनों में शामिल है। लगभग 300 फीट की ऊंचाई वाला तीरथगढ़ झरना कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में है। इस झरने से गिरता हुआ पानी सफेद रंग का दिखता है इसलिए इसे 'द मिल्की फॉल्स' के नाम से भी जाना जाता है। तीरथगढ़ झरना नीचे गिरता है तो तल पर एक पूल बनाता है। इस पूल में तैराकी, पैडल बोटिंग करते हुए और नहाते हुए लोग आपको दिख जाएंगे। यह मॉनसून में सबसे सुंदर लगता है क्योंकि इस समय पानी काफी तेजी से नीचे गिरता है। तीरथगढ़ साल के बाकी दिनों में भी शांत और सुंदर रहता है। पूल के किनारे भगवान शिव का एक छोटा सा मंदिर है जहां स्थानीय लोग प्रार्थना करते हैं।
गर्मियों में करना है रोड ट्रिप, ये ऑप्शन्स करिए ट्राईअगर आप इस गर्मी में रोड ट्रिप का प्लान बना रहे हैं, तो हमारे पास आपके लिए कुछ बेहतरीन ऑप्शन्स हैं। ये रोड ट्रिप्स आपको किसी पोएट्री की तरह लगेंगी हैं और आपको ज़िंदगी भर का अनुभव देंगी!
विकास और बदलाव की बढ़ती रफ्तार के साथ देश के ज़्यादातर शहर नए और पुराने हिस्सों में बंट चुके हैं। इनमें से जो शहर सबसे पहले एक से दो हुए उनमें से दिल्ली का नाम शायद सबसे पहले आएगा। हो भी क्यों न यह देश की राजधानी जो है। वैसे तो ये दिल्ली और नई दिल्ली कहा जाता है लेकिन कई लोग अभी भी इसे पुरानी दिल्ली कहते हैं क्योंकि यह अभी भी पुराने किस्सों और कहानियों को ज़िंदा रखे है। राजधानी के इस पुराने हिस्से ने दिल्ली की संस्कृति को आकार देने में एक अहम भूमिका निभाई है। यहां के लाजवाब खाने वाले रेस्तरां, संकरी भीड़-भाड़ वाली गलियां, ऐतिहासिक स्मारक और पारंपरिक बाज़ार, सभी एक साथ मिलकर आपको पुराने समय में ले जाते हैं। साथ ही, इस जगह का जबरदस्त अनुभव कुछ ऐसा है जो आपको शायद ही राजधानी के किसी अन्य हिस्से में मिलेगा। इसका माहौल और आकर्षण ऐसा है कि कलाकार, फिल्म निर्माता और कला से जुड़े लोग इसकी गलियों में खिंचे चले आते हैं।
ट्रैवेल और फोटोग्राफी का रिश्ता तो बहुत पुराना है। तस्वीरें ही हमारी यात्रा की खूबसूरत यादों को सहेज कर रखती हैं और कभी गाहे-बगाहे मोबाइल फोन में कुछ स्क्रॉल करते हुए हमारी नज़र उन पर पड़ जाती है तो वो सारे सुंदर से पल हमारी आंखों के सामने तैरने लगते हैं। हम में से कुछ लोग ऐसे भी होंगे जिन्होंने अपनी इन यादों का एक पुराने ज़माने वाला एल्बम बना रखा होगा और उसके पन्नों को पलट कर ही उन पलों को जी लेते हैं। कैमरे और मोबाइल से होता हुआ फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी का सफर अब ड्रोन तक पहुंच चुका है। ट्रैवेल की दुनिया में भी ड्रोन ने अपनी धाक जमा ली है। तो चलिए हम आपको ऐसी ही कुछ जगहों के बारे में बताते हैं जहां आप बेहतरीन ड्रोन शॉट्स ले सकते हैं।
द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि जून के तीसरे सप्ताह के आझीर तक छह और चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में जंगल में छोड़ दिया जाएगा। जिनमें चार नर और दो मादा शामिल हैं, फिलहाल ये पार्क के भीतर तीन अलग-अलग शिकार बाड़ों में हैं। चीता संचालन समिति ने बुधवार को अपनी पहली बैठक में यह निर्णय लिया। दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से लाए गए 20 चीतों में से तीन और भारत में पैदा हुए तीन शावकों की दो महीने से भी कम समय में पार्क में मौत के बाद समिति का गठन 26 मई को किया गया था। देश में चीता प्रजाति को विलुप्त घोषित किए जाने के सात दशक बाद चीतों को भारत में फिर से लाया गया था। 1952 में भारत सरकार द्वारा चीता को आधिकारिक रूप से विलुप्त घोषित कर दिया गया था। इन्हें देश में आखिरी बार 1948 में दर्ज किया गया था, जब छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के साल जंगलों में तीन चीतों को मार दिया गया था। मध्य प्रदेश का कूनो नेशनल पार्क वाइल्ड लाइफ लवर्स और एडवेंचर पसंद करने वाले लोगों के लिए एक बेहतरीन जगह है। यहां करधई, खैर और सलाई के जंगल और विशाल घास के मैदानों में दर्जनों वन्य जीवों को घूमते हुए देखना एक कभी न भूलने वाला एक्सपीरियंस साबित हो सकता है। यहां के कुछ घास के मैदान कान्हा या बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से बड़े हैं।
22-26 जून को गुवाहाटी, असम में देवी कामाख्या मंदिर भक्तों और पर्यटकों से गुलजार रहेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि इस बीच यहां वार्षिक अंबुबाची मेला होने वाला है। यह मेला हर साल होने वाला एक धार्मिक आयोजन है जो कामाख्या मंदिर में होता है। यह मेला आस्था, उर्वरता और दिव्य स्त्रीत्व का उत्सव है। जिन लोगों को कामाख्या मंदिर के रहस्यों में दिलचस्पी है, कामाख्या मंदिर के तांत्रिक प्रथाओं के साथ संबंध के बारे में जानना चाहते हैं, यह मेला उनके लिए एक बेहतरीन अवसर है।
अगर आपको भी मेरी तरह घूमने का शौक है और अच्छी तस्वीरें लेने का भी तो मैं आपको बता रही हूं, भारत की उन सबसे खूबसूरत जगहों के बारे में जहां की खूबसूरती तो आपका मन मोह ही लेगी, आपकी इंस्टाग्राम प्रोफाइल में वहां की तस्वीरें देखकर लोगों को जलन भी होगी। हालांकि लोगों को जलाना गलत बात है लेकिन कोई जलता है तो जलने दे। आप बस इन जगहों की सुंदरता का मजा लें और बेहतरीन सी तस्वीरें भी। जब से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की लिस्ट में इंस्टाग्राम का नाम जुड़ा है तब से मेरे लिए घूमने की जगहें डिसाइड के लिए ये एक इंस्पिरेशन की तरह काम कर रहा है। जब भी मैं कोई ट्रिप प्लान करती हूं ये पहली ऐप होती है जिसे खोल कर, मैं उस जगह की तस्वीरें देखती हूं और उसकी बाद ही तय करती हूं कि मुझे वहां जाना चाहिए या नहीं। गूगल पर किसी जगह की फोटोज सर्च करने पर यूं तो कई तस्वीरें सामने आती हैं जो बेहद खूबसूरत होती हैं लेकिन उनमें से ज्यादातर फोटोज ऐसी होती हैं जो किसी प्रोफेशनल फोटोग्राफर ने ली होती हैं। लेकिन, इंस्टग्राम की तस्वीरों से किसी भी ट्रैवल डेस्टिनेशन के बारे में पता लगाना इसलिए भी सही रहता है क्योंकि यहां ट्रैवलर्स ही फोटोज डालते हैं। तो देर किस बात की? आप भी चल दीजिए मेरे साथ भारत की इन खूबसूरत सी जगहों को एक्सप्लोर करने।
आपने लोगों को अलग-अलग देवताओं की पूजा करते देखा होगा लेकिन क्या आपने कभी किसी मोटरसाइकिल की पूजा होते देखी है और क्या उसके नाम पर कोई मंदिर भी बना है? हो सकता है आपने न देखा हो लेकिन राजस्थान में एक ऐसा मंदिर है जहां रॉयल एनफील्ड बुलेट 350 की पूजा होती है। हम बात कर रहे हैं ओम बन्ना धाम या बुलेट बाबा मंदिर की जो जोधपुर के पास है।
अगर आप भी उन लोगों में से हैं जिनका बचपन 90 के दशक में बीता तो आपको पता होगा कि मालगुड़ी डेज हमारे लिए क्या मायने रखता है। 80 के दशक में फिल्माया गया यह शो भारत के छोटे शहरों में बचपन का पर्याय बन गया था। मालगुडी के छोटे से शहर के आसपास स्वामी और उनके दोस्तों के कारनामों को देखते हुए कभी तो आपको भी लगा होगा कि ये लोग कितनी सुंदर जगह रहते हैं। वैसे तो ये एक काल्पनिक जगह थी लेकिन इस सीरियल को जहां शूट किया गया था क्या आपको उस जगह के बारे में मालूम है?
हरे-भरे घास के मैदान, जंगल, उफनती नदियां, गहरी घाटियां, और धुंध से ढके पहाड़ कुछ ऐसा नजारा गुरेज़ घाटी को कश्मीर ही नहीं पूरे देश की सबसे सुंदर जगहों में से एक बनाता है। आपने पूरा कश्मीर घूम लिया और गुरेज़ घाटी नहीं देखी तो समझिए कि आपकी कश्मीर यात्रा अधूरी रह गई।
इस मदर्स डे, क्या आप अपनी मां को कुछ ख़ास देकर सरप्राइज करने के बारे में सोच रहे हैं? तो क्यों न उन्हें कुछ ऐसा दिया जाए जो वह आपके साथ एन्जॉय कर सकें, ताकि आप साथ में कुछ खास पल बिता सकें। आप इस एक दिन को खास बनाने के लिए अपनी मां की पसंद के हिसाब से एक ट्रिप प्लान कर सकते हैं। चाहे आपकी मां को रोमांच पसंद हो या स्पा में कुछ आराम करना, पहाड़ों में टहलना पसंद हो या लाजवाब खाना, कुदरत से प्यार हो या धर्म में आस्था, आप उनके लिए उनकी पसंद का ट्रिप प्लान कर सकते हैं।
कई एडवेंचर के शौकीन लोगों के लिए कैपिंग सबसे अच्छी एक्टिविटीज में से एक माना जाता है, लेकिन यह अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग हो सकता है। जहां कुछ लोग पहाड़ी इलाकों में चांद और तारों के नीचे लेटने का मज़ा लेना चाहते हैं। वहीं कुछ घने जंगलों की सैर करना पसंद करते हैं लेकिन आपको अगर इनमें से किसी भी जगह कैंपिंग करनी है तो कुछ बुनियादी चीजें हैं जो आपको जरूर पैक कर लेनी चाहिए। अगर आप पहली बार कैंपिंग करने जा रहे हैं या कभी भविष्य में करने की योजना बना रहे हैं तो हम आपको कैंपिंग के दौरान इस्तेमाल होने वाली चीजों की लिस्ट बता रहे हैं।
बरोट हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में एक छोटा सा गांव है। यह उहल नदी के तट पर स्थित है और धौलाधार पर्वत श्रृंखला से घिरा हुआ है। बरोट अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है और ट्रेकिंग व कैंपिंग के शौकीनों के लिए एक लोकप्रिय ठिकाना है।जो लोग उत्तर भारत के भीड़भाड़ वाले शहरों कस्बों से दूर कुछ दिन सुकून से बिताना चाहते हैं, उनके लिए बरोट एक बढ़िया विकल्प है। शिमला, मनाली और धर्मशाला जैसे हिमाचल प्रदेश के कुछ ज़्यादा भीड़-भाड़ वाले शहरों की तुलना में बरोट कम मशहूर टूरिस्ट प्लेस है। हालांकि, यह एडवेंचर के शौकीनों, प्रकृति प्रेमियों और लीक से हटकर टूरिस्ट्स के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहा है।
हर साल, लाखों पर्यटक और लोकल्स जीवों के लिए बनाए गए 'प्राकृतिक आवास' में इत्मीनान से टहलने का आनंद लेने वाले जंगली जानवरों को देखने के लिए चिड़ियाघर जाते हैं। भारत में दुनिया के कुछ सबसे बड़े चिड़ियाघर हैं। सैकड़ों एकड़ जमीन में फैले ये चिड़ियाघर जानवरों को सुरक्षित रखने में मदद करते हैं। यहां ऐसे कई जानवरों को भी पनाह मिलती है जो विलुप्त होने की कगार पर हैं। अगर आप इन जानवरों को राष्ट्रीय उद्यान या अभयारण्यों में गए बिना करीब से देखना चाहते हैं, तो चिड़ियाघर में जा सकते हैं। अब गर्मी की छुट्टियां आने वाली हैं तो आप अपने बच्चों को भी चिड़ियाघर दिखाने ले जा सकते हैं। वे यकीनन वहां जाकर और ऐसे जानवरों को देखकर बेहद खुश होंगे, जिन्हें उन्होंने अभी तक केवल फ़ोटो और किताबों में देखा है। यहां हम आपको भारत के कुछ सबसे बड़े चिड़ियाघरों के बारे में बता रहे हैं।
बचपन में जुगनुओं के पीछे भागकर उन्हें जलते-बुझते देखने में शायद आप सबको मज़ा आता होगाज़ लेकिन तब हमें कभी दो-चार जुगनू ही देखने को मिलते थे। सोचो कि एक पूरा गांव सिर्फ जुगनुओं की रोशनी से ही रोशन हो जाए तो क्या नज़ारा होगा। अगर आप भी इस खूबसूरत सी कल्पना का हकीकत में हिस्सा बनना चाहते हैं तो महाराष्ट्र के पुरुषवाड़ी में होने वाले फायरफ्लाइज फेस्टिवल में शामिल होने की तैयारी कर लीजिए। यहां आपको चमकदार फायरफ्लाइज के बीच कुदरत के सुंदर और जीवंत रंगों का जश्न मनाने का मौका मिलेगा। यहां मानसून से पहले लाखों जुगनू खुले में निकलते हैं और देखने वालों के लिए एक जन्नत सा माहौल बनाते हैं।
पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी में एक छोटा सा गांव है सरमोली। यह गांव उन गांवों जैसा बिल्कुल नहीं है जो हम अक्सर अपने आसपास देखते हैं। हो सकता है कि पहली नज़र में यह आपको साधारण सा लगे लेकिन थोड़ा पास से जाने पर यह आपको टूरिज़्म के एक जेम यानी रत्न की तरह लगेगा। कुमाऊं की पहाड़ियों में सरमोली का छोटा सा गांव इकोटूरिज्म के लिए एक आदर्श गांव है।
अगर गर्मियां नहीं होती तो क्या होता? कितना अच्छा होता अगर आप मई के महीने में, आप अपने बरामदे में बैठे सूर्यास्त को निहार रहे हों, अपने जीवन में कुछ समय के लिए आराम कर सकें? क्या होगा यदि आप एक नरम ठंडी हवा को महसूस कर सकते हों जो आपके पास से गुजर रही है, आपके बालों को उड़ा रही है, आपके मन को ताज़ा कर रही है? आपके शहर में ऐसा बहुत मुश्किल है न? कोई बात नहीं, बस थोड़ा सा वक़्त निकालिये और हमारे साथ आप भी चलिए एक ऐसे सफर पर जहां सुकून है, बेहतरीन मौसम है, खूबसूरत सुबहें हैं और सुरमई शामें हैं।
साल के इस समय तक देश के ज़्यादातर हिस्सों में तेज गर्मी शुरू हो जाती है और हम में से ज़्यादातर लोग जो पहाड़ों से दूर रहते हैं, उनका मन हिमालय की घाटियों में जाने को मचलने लगता है। इस गर्मी में, अगर आपका भी दिल कहीं दूर किसी पहाड़ पर अटक गया है तो उस अटके दिल तक आप भी पहुंच ही जाइए। चलिए हमारे साथ उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में हर की दून घाटी के सफर पर…
भारत को दुनिया की कुछ प्रमुख संस्कृतियों और धर्मों का जन्मस्थान माना जाता है। कुछ के लिए यह देश पालने जैसा है जिसमें ये संस्कृतियां और धर्म बड़े हुए। यहां की तमाम ऐतिहासिक धरोहरें और सांस्कृतिक विविधता दुनियाभर के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। परंपराओं और रीति-रिवाजों के असंख्य रंगों ने भारतीय संस्कृति में योगदान दिया है और भारतीय सांस्कृतिक विरासत की कई जगहें इसके बारे में बहुत कुछ कहती हैं। भारत में कल्चरल टूरिज़्म यात्रियों को एक अलग ही दुनिया में ले जाता है। वर्ल्ड हेरिटेज डे पर हम आपको बता रहे हैं देश की अनूठी संस्कृति को खुद में समेटे 5 हेरिटेज शहरों के बारे में…
सासन गिर, गिर राष्ट्रीय उद्यान और जूनागढ़ शहर के बीच बफर जोन पर एक गांव है, जो भारत के सबसे अनोखे गांवों में से एक है। नेशनल पार्क के पास होने की वजह से इस गांव में अक्सर वो मेहमान आ जाते हैं जिनसे इंसान और जानवर सब डरते हैं। हम बात कर रहे हैं जंगल के राजा शेर की।हम में से कई लोग ऐसे होंगे जो यह सोच कर ही डर गए होंगे कि उनके घर के आस पास अगर शेर आ जाये तो वे क्या करेंगे। लेकिन इस गांव के निवासियों के लिए यह एक सामान्य घटना बन गई है। यहां के लोगों का शेर से बचने का बस एक ही मूल मंत्र है कि उससे सुरक्षित दूरी बनाए रखें।
आभानेरी गांव में चांद बावड़ी (स्टेपवेल) राजस्थान के सबसे पुराने और सबसे लोकप्रिय आकर्षणों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि निकुंभ राजवंश के राजा चंदा ने 9वीं शताब्दी ईस्वी में इसे बनवाया था। लगभग 30 मीटर गहराई के साथ यह भारत की सबसे बड़ी बावड़ी है और दुनिया की सबसे बड़ी बावड़ियों में से एक है। इसे पानी के संरक्षण और भीषण गर्मी से राहत देने के लिए बनवाया गया था। यह स्थानीय लोगों के साथ-साथ राजघरानों के लिए एक सामुदायिक सभा स्थल था।
हम में से ज़्यादातर लद्दाख की सुंदरता के कायल होंगे। हम केवल प्राकृतिक सुंदरता के बारे में ही बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि अद्वितीय और सुंदर संस्कृति के बारे में भी बात कर रहे हैं जो जगह की प्राकृतिक सुंदरता में इजाफा करती है। यह कहना गलत नहीं होगा कि लद्दाख कई कारणों से खास है। नुब्रा घाटी लद्दाख में एक ऐसी जगह है जो अपनी अनूठी सुंदरता के साथ टूरिस्ट्स को आकर्षित करती है। नुब्रा घाटी एक ठंडा रेगिस्तान है। इस घाटी की विशेषता ऊंचे पहाड़, रेत के टीले और साफ नीला आसमान है। अब गर्मियां शुरू होने वाली हैं तो आपको यहां का एक ट्रिप प्लान करना चाहिए। आज हम बता रहे हैं आपको नुब्रा घाटी की सबसे सुंदर जगहों के बारे में।
वसंत का मौसम ऐसा होता है जो हर किसी को भाता है। इस समय न तो ज़्यादा सर्दी होती है और न ही ज़्यादा गर्मी। मौसम से लेकर पेड़-पौधों तक हर जगह बस बाहर ही बहार दिखती है। यहां आपको बता रहे हैं कि इस साल वसंत का जश्न मनाने का एक शानदार तरीका है। 4 से 17 अप्रैल तक लद्दाख में एप्रीकॉट ब्लॉसम फेस्टिवल होने जा रहा है जो आपकी आंखों के साथ मन के लिए भी किसी ट्रीट से कम नहीं होगा।इस वसंत के मौसम में, लद्दाख के कई क्षेत्रों को आप एप्रीकॉट के फूलों से गुलज़ार होते देख सकेंगे। यहां आपको कई जगह सुंदर से गुलाबी रंग के एप्रीकॉट के फूल दिखेंगे। आमतौर पर ये फूल ज़्यादा दिनों तक नहीं रहते, इसलिए अगर आप इन्हें देखना चाहते हैं तो इस फेस्टिवल में शामिल होने की तैयारी कर लीजिए। फूलों से लदे एप्रीकॉट के पेड़ों के साथ आपकी तस्वीरें और रील्स इंस्टाग्राम पर आपके फॉलोवर्स ज़रूर बढा देंगी।
चाहे आप चेन्नई में रहते हों या कुछ समय के लिए इस शहर में आए हों, आप घूमने के शौकीन हैं तो यह ज़रूर जानना चाहेंगे कि इस शहर के आस-पास ऐसी कौन सी जगह हैं जहां आप वीकेंड बिता सकते हैं। अगर आप भी चेन्नई के पास एक क्विक वीकेंड गेटवे की तलाश में हैं तो सुकून से भरा और मज़ेदार समय बिताने के लिए इन हमारी बताई इन जगहों पर जा सकते हैं।
भारत उन देशों में से एक है जहां प्रकृति, संस्कृति, बेहतरीन खान-पान और आस्था सभी एक साथ मिल जाते हैं। हैं, यह कहना भी गलत नहीं होगा कि यह एक घनी आबादी वाला देश भी है और यहां हर जगह लोगों की भीड़ दिख जाती है। अगर आप भी हर दिन भीड़ से घिरे रहते हैं और किसी सुकून वाली ऑफबीट जगह पर जाकर समय बिताना चाहते हैं तो ये स्टोरी आपजे लिए ही है। हमने उन जगहों की एक लिस्ट बनाई है जो भीड़-भाड़ से दौर हैं और काफी सुंदर भी।
आनंदपुर साहिब होला मोहल्ला (8-10 मार्च) के तीन दिन के उत्सव की मेजबानी करने के लिए पूरी तरह तैयार है। होला मोहल्ला सिखों का एक त्योहार है जो हर साल मार्च के महीने में मनाया जाता है। यह त्योहार आमतौर पर हिंदू त्योहार होली के एक दिन बाद मनाया जाता है। इस त्योहार की शुरुआत दसवें सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह ने की थी।होला मोहल्ला सिखों के लिए सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहार है। इसे दुनिया भर के सिख समुदाय बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाते हैं। होला मोहल्ला नगर कीर्तन से शुरू होता है, जो पंज प्यारे (पांच प्यारे) के नेतृत्व में एक जुलूस है और इसमें विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक प्रदर्शन शामिल होते हैं। जुलूस में पारंपरिक सिख मार्शल आर्ट फॉर्म गतका का प्रदर्शन भी शामिल है।आश्चर्यजनक मार्शल आर्ट प्रदर्शन, नकली लड़ाई और जी तरह के कार्यक्रम इस त्योहार के दौरान होते हैं। सिखों का मानना है कि होला मोहल्ला का मुख्य फोकस सेवा, बहादुरी और निस्वार्थता के सिख मूल्यों को बढ़ावा देना है।
आजकल जब भी इंस्टाग्राम खोलो तो कोई गुलमर्ग की बर्फ में खेलता हुआ नजर आता है और कोई मेघालय की दावकी नदी के क्रिस्टल साफ पानी पर नौका विहार करते हुए दिखता है। आपको लगता होगा कि बस मौज़ में तो वही लोग हैं लेकिन ऐसा नहीं है। भारत का हर शहर खूबसूरत है। आप एक बार इसे पैदल घूमकर तो देखिए। आपके शहर में भी यकीनन कुछ न कुछ खास तो ज़रूर होगा। फिलहाल हम यहां आपको बता रहे हैं हमारे देश के कुछ ऐसे बड़े शहरों के बारे में जहां एक बार पैदल घूमना तो बनता है।
लद्दाख ने 13,862 फीट ऊंचे पैंगोंग त्सो में सब-जीरो टेम्प्रेचर में अपने पहले 21 किलोमीटर के ट्रेल रनिंग इवेंट का सफलतापूर्वक प्रबंधन करके एक इतिहास रच दिया है। इसके साथ ही इसने दुनिया की सबसे ऊंची जमी हुई झील हाफ मैराथन आयोजित करने का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है। चार घंटे लंबी मैराथन लुकुंग से शुरू हुई और हाल ही में मान गांव में समाप्त हुई। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 75 प्रतिभागियों में से किसी को भी चोट नहीं लगी। लेह जिला विकास आयुक्त श्रीकांत बालासाहेब सुसे ने इसकी जानकारी दी।
महाराष्ट्र के इस जिले में चप्पे-चप्पे पर खूबसूरती हैमहाराष्ट्र एक ऐसा राज्य है जहां लगभग हर जगह देखने लायक है। यहां मस्ती और रोमांच कभी खत्म नहीं होता। शांत हिल स्टेशन्स से लेकर, रेतीले समुद्र तटों तक और बड़े महानगरों से गहरे जंगलों तक, यहां आपको सब मिलेगा। यही वजह है बैकपैकर्स और ट्रैवेलर्स की लिस्ट में महाराष्ट्र हमेशा आगे रहता है।
जब कहीं घूमने की बात आती है, तो झारखंड उन भारतीय राज्यों में से एक है जिसके बारे में सबसे कम सोचा जाता है। शायद लोगों को लगता है कि झारखंड में देखने और करने के लिए बहुत कुछ नहीं है। लेकिन, यह सच नहीं है। झारखंड में घूमने के लोए ऐसी बहुत सी जगह हैं जहां कुदरती खूबसूरती और कमाल का सुकून है। ऐसा ही एक छिपा हुआ खजाना है पतरातू घाटी।
आंध्र प्रदेश की राजधानी अमरावती की सैरआंध्र प्रदेश की राजधानी अमरावती सांस्कृतिक और धार्मिक अनुभवों का खजाना है। अमरावती शहर गुंटूर जिले में कृष्णा नदी के तट पर स्थित है। प्राचीन शहर महायान बौद्ध धर्म का एक महत्वपूर्ण केंद्र था। इसने शहर को एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल बना दिया, और आस-पास के क्षेत्रों और पूरे भारत के लोग इस जगह आते थे।इतना महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल होने के बावजूद अमरावती भारत के प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों की सूची में शामिल नहीं होने का मुख्य कारण यह है कि समय के साथ (विशेष रूप से ब्रिटिश शासन के दौरान), कई मूर्तियां या तो नष्ट कर दी गईं या यहां से ले ली गईं। साइट बहुत लंबे समय तक खंडहर बनी रही, हाल ही में राज्य सरकार ने इसे नया रूप देने का फैसला किया। यह साइट अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन है। जो भी संरचनाएं बची थीं, उन्हें भारत और विदेशों के कई संग्रहालयों में ले जाया गया।
दुनिया भर में ऐसी कई गुफाएं हैं, जो समय के साथ लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में बदल गई हैं। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि कुछ ऐसी गुफाएं भी हैं जो इतनी रहस्यमयी हैं कि वे एक पहेली बनकर रह गई हैं। हम आपको भारत की एक ऐसी गुफा में ले चलते हैं, जो आपकी अंदर की जिज्ञासा को बढ़ा देगी। यह उत्तराखंड में स्थित है और इसे पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर के रूप में जाना जाता है। अगर आपने पुराणों को पढ़ा है तो उसमें इसका उल्लेख ज़रूर मिला होगा। माना जाता है कि इस गुफा के गर्भ में दुनिया के अंत का राज छुपा है।
थार रेगिस्तान के आलीशान गेटवे के नाम से मशहूर सूर्यगढ़ जैसलमेर ही वह जगह है जहां बॉलीवुड लवबर्ड्स सिद्धार्थ मल्होत्रा और कियारा आडवाणी की ड्रीम वेडिंग होने वाली है। यह लक्ज़री किला या कह लें कि होटल वह सब कुछ है जो एक काल्पनिक फेरी टेल वाली शादी के लिए चाहिए। लक्जरी, विरासत, परंपराएं, शाही अनुभव, जैसा सबकुछ आपको यहां फील होगा। आप भी एक बिग फैट इंडियन वेडिंग चाहते हैं तो इसे आप ऑप्शन में शामिल कर सकते हैं या फिर आप यहां सिर्फ घूमने भी जा सकते हैं।
अगर आप एक बीच लवर हैं और समुद्र तटों पर जाना पसंद करते हैं, तो हमारे पास आपके लिए एक अनूठी लिस्ट है। आपने नॉर्मल सैंड वाले तो कई बीच देखे होंगे लेकिन क्या आपको पता है कि हमारे देश में ऐसे भी कई बीच हैं जहां आपको ब्लैक सैंड मिलेगा। हम आपके लिए भारत में सुंदर काले-रेत समुद्र तटों की एक सूची लेकर आए हैं, जो इतने सुंदर लगते हैं कि आप न्यूजीलैंड के ब्लैक सैंड समुद्र तटों को भी भूल जाएंगे।
हर कुछ समय बाद हम अपनी रोजमर्रा की ज़िंदगी से बोर होने लगते हैं और हमें ऐसा लगता है कि काश एक ब्रेक मिल जाता तप कितना अच्छा होता। इस ब्रेक में हम कहीं घूमने का प्लान बनाते। कुछ लोगों की ये इच्छा पूरी हो जाती है लेकिन कुछ लोग बजट की चिंता में मन मार कर रह जाते हैं। लेकिन आपको परेशान होने की ज़रूरत नहीं है। हम आपके लिए लेकर आए हैं कुछ ऐसे वीकेंड डेस्टिनेशन्स जहां घूमने के लिए बजट आपकी राह में रोड़ा नहीं बनेगा।
आपको घूमने का भी शौक है लेकिन भीड़ से बचना चाहते हैं। नई जगह एक्स्प्लोर करना है और सुकून भी चाहिए तो यह स्टोरी आपके के लिए ही है। यहां, हम आपके लिए उन जगहों की लिस्ट लेकर आए हैं, जहां आपकी इन सारी ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए सब कुछ है।
भारत में सर्फिंग को चाहने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। हमारे देश के एक बड़े हिस्से में समुद्र हैं और इसमें कई फेमस समुद्र तट हैं जहां आप सर्फिंग कर सकते हैं। हालांकि, यहां का हर बीच ऐसा नहीं है जहां की लहरें सर्फिंग के लिए परफेक्ट हों, लेकिन फील भी कुछ ऐसे समुद्र तट हैं जो इसके लिए उपयुक्त हैं। आम तौर पर वर्ष के अधिकांश समय में तीन से पांच फीट के बीच ही लहरें उठती हैं। पेशेवर सर्फर के लिए बड़ी और तेज लहरें (आठ फीट से अधिक) मई से सितंबर तक मानसून से ठीक पहले और उसके दौरान अनुभव की जा सकती हैं। अक्टूबर से दिसंबर तक ये कम हो जाती हैं। यहां हम आपको बता रहे हैं ऐसे कुछ बीचेज के बारे में जो सर्फिंग के लिए एकदम परफेक्ट हैं।
भारत के हर हिस्से में अलग-अलग मान्यताओं को मानने वाले लोग रहते हैं। इसीलिए इन लोगों के पूजा करने का ढंग भी अलग-अलग है और ये अपने भगवान को भी अलग-अलग नामों से पुकारते हैं। यहां कई धार्मिक शहर और पूज्य भगवानों के मंदिर हैं लेकिन उनमें से कुछ मंदिर ऐसे हैं जो बाकी से अलग हैं और अपनी किसी खास बात के लिए प्रसिद्ध हैं। भारत के इन मंदिरों में से कुछ अपने अपरंपरागत देवताओं के कारण प्रसिद्ध हैं, कुछ अपने भूत-प्रेत संस्कार के कारण, और कुछ इसलिए कि वे 2000 वर्ष से अधिक पुराने हैं।
अगर आप अभी तक सिक्किम नहीं गए हैं, तो आपको एक बार यहां घूमने का प्लान ज़रूर बनाना चाहिए। इस राज्य की प्राकृतिक सुंदरता, ऊंचे पहाड़ों, शानदार झीलों और हरे-भरे खेतों के साथ आपका दिल तुरंत चुरा लेगी। वैसे तो पूरा सिक्किम ही अपने आप में अनूठा है लेकिन यहां की झीलें इसे और भी खूबसूरत बनाती हैं। तो चलिए हम आपको बताते हैं सिक्किम की सबसे सुंदर झीलों के बारे में…
लद्दाख एक ऐसी जगह है जहां हर कोई घूमना चाहता है। यहां का मौसम, पहाड़, नदियां, मोनेस्ट्रीज सब कमाल के हैं। अब एक और वजह मिल गई जो आपको लद्दाख घूमने के लिए इंस्पायर करेगी। लद्दाख अब भारत के पहले डार्क स्काई रिजर्व, हानले डार्क स्काई रिजर्व का घर है। हानले लेह से लगभग 270 किमी दक्षिण-पूर्व में चांगथांग क्षेत्र का एक छोटा सा गांव है।चांगथांग वन्यजीव अभयारण्य के भीतर, भोक, शादो, पुंगुक, खुल्डो, नागा और तिब्बती शरणार्थी आवास के छह पड़ाव मिलकर एक समूह या एक क्षेत्र बनाते हैं जिसे आधिकारिक तौर पर हानले डार्क स्काई रिजर्व नाम दिया गया है। इससे पहले, हेनले में सिर्फ इंडियन एस्ट्रोनॉमिकल ऑब्ज़र्वेटरी थी। अब, हेनले के चारों ओर 1,073 किमी का क्षेत्र एक डार्क स्काई रिजर्व है। अगर आपको एस्ट्रोनॉमी में इंटरेस्ट
अगर नए साल में सस्ते में हिमाचल प्रदेश घूमना चाहते हैं तो आईआरसीटीसी के कुछ नए पैकेज आपके काम आ सकते हैं। इनमें से एक पैकेज ऐसा है जो 8 जनवरी से शुरू हो रहा है। अगर आप राजस्थान के अजमेर शहर या उसके आस-पास रहते हैं तो ये आपने काफी काम आ सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह टूर पैकेज अजमेर से शुरू होगा और आपको चंडीगढ़, शिमला, मनाली घुमाएगा।
अपने हिप्पी कल्चर और बेमिसाल खूबसूरती के लिए गोवा पूरी दुनिया में जाना जाता है। सिर्फ भारत ही नहीं कई देशों के लोग सर्दियां शुरू होने का इंतज़ार करते हैं ताकि गोवा में होने वाले स्पेशल फेस्टिवल्स में हिस्सा ले सकें और इंडिया के बीच कल्चर को एन्जॉय कर सकें। वैसे तो गोवा में सनबर्न फेस्टिवल, मांडो फेस्टिवल, सुपरसोनिक फेस्टिवल, सैंट फ्रांसिस जेवीयर फीस्ट, गोआ सनस्प्लैश, टैटू फेस्टिवल जैसे कई फेस्ट सर्दियों में होते हैं लेकिन इस जनवरी गोवा में एक अनोखा फेस्टिवल होने जा रहा है।
जम्मू में भगवान राम का एक बेहद मशहूर मंदिर है, रघुनाथ मंदिर। रघुनाथ मंदिर में सात मंदिर हैं। इनमें हर मंदिर का अपना `शिखर` है। यह भारत के सबसे बड़े मंदिर परिसरों में से एक है। महाराजा गुलाब सिंह और उनके बेटे महाराज रणबीर सिंह ने 1853-1860 के दौरान इस मंदिर को बनवाया था। वैसे तो इस मंदिर में कई भगवानों की मूर्तियां हैं लेकिन मुख्य रूप से मंदिर भगवान श्री राम को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि महाराजा गुलाब सिंह को इस मंदिर को बनाने का विचार श्री राम दास बैरागी से मिला था। श्री राम दास बैरागी भगवान राम के पक्के भक्त थे और भगवान की शिक्षाओं का प्रचार करने के लिए अयोध्या से जम्मू आए थे। वह सुई सिंबली में एक छोटी सी झोपड़ी में रहते थे, जहां उन्होंने पहले राम मंदिर का निर्माण करवाया था। रणबीर सिंह के शासनकाल के दौरान, बड़ी संख्या में ब्राह्मण छात्रों को शिक्षित करने के लिए मंदिर को संस्कृत शिक्षा के केंद्र के रूप में भी इस्तेमाल किया जाने लगा।
क्या आपने अपनी आंखों के सामने चीजों को गायब होते देखा है? खैर, ऐसा कई बार होता है, जब हम चीजों को किसी जगह रख देते हैं और भूल जाते हैं कि हमने उन्हें कहां रखा है। लेकिन, क्या हो अगर हम आपको एक ऐसे समुद्र के बारे में बताएं जो गायब हो जाता है? हां, आपने सही पढ़ा है। हम बात कर रहे हैं ओडिशा के एक सुनसान समुद्र तट की, जहां आप समुद्र को रहस्यमय तरीके से गायब होते देख सकते हैं। हम बात कर रहे हैं चांदीपुर बीच की जो टूरिस्ट्स के साथ लुका-छिपी करने के लिए जाना जाता है। ओडिशा के चांदीपुर में वाकई एक ऐसा बीच है जहां दिन में समुद्र गायब हो जाता है और रात में वापस आ जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि समुद्र का पानी भाटा के दौरान 2-5 किमी पीछे हट जाता है। यह हाई टाइड और लो टाइड के बीच का समय होता है। और हाई टाइड यानी उच्च ज्वार के समय यह बीच पर वापस आ जाता है। यह असामान्य प्राकृतिक घटना यहां रोज़ होती है।यहां आप अपनी आंखों के सामने समंदर को सामने आते और गायब होते देख सकते हैं। जब समुद्र पीछे हटता है तब आप उस पर चल भी सकते हैं। कई टूरिस्ट और यहां रहने वाले लोग सुबह इस तट पर टहलने आते हैं और अपनी आंखों के सामने इस अनोखी घटना को देखते हैं। वैसे समुद्र के आगे आने और पीछे जाने का कोई निश्चित समय नहीं है क्योंकि यह चंद्रमा चक्र पर निर्भर करता है। इस अनूठी घटना के अलावा, यह समुद्र तट और भी कई मायनों में खास है।
तमिलनाडु भारत के सबसे खूबसूरत राज्यों में से एक है। चाहे वह सांस्कृतिक रूप से हो या भौगोलिक रूप से, तमिलनाडु हमें हर तरह से अपनी ओर खींचता है। यहां के विशाल मंदिरों को देखने पूरे भारत से लोग यहां आते हैं। हां, कुछ टूरिस्ट्स को यहां के कॉफी के बागान और नीलगिरी की पहाड़ियां भी बुला लैटी हैं लेकिन इस बार हम कुछ हटकर लाए हैं। हम आपको कराएंगे तमिलनाडु कुछ सबसे खूबसूरत आइलैंड्स की सैर …
जब राजस्थान की बात आती है, तो हवा महल, उदयपुर के सिटी पैलेस और जैसलमेर किले जैसे मशूर टूरिस्ट प्लेसेस की लिस्ट जेहन में आ जाती है। लेकिन इस बार, आइए इन मशहूर जगहों को छोड़कर राजस्थान में लीक से हटकर टूरिस्ट स्पॉट्स पर घूमने चलें। रोमांच, त्योहारों, सुंदरता और इतिहास के अपने बेहतरीन मिश्रण के लिए जाना जाने वाला राजस्थान आपकी ट्रैवेल लिस्ट में ज़रूर शामिल होना चाहिए क्योंकि इस जगह का हर कोना इस यहां की मिट्टी की कहानी बयां करता है। राजस्थान में सर्दियों में बहुत भीड़ होती है इसलिए इस बार हमारे साथ चलिए यहां के ऑफबीट टूरिस्ट डेस्टिनेशन्स की सैर पर…
शांत, सुहाने मौसम और कुदरती खूबसूरती के साथ, भारत में किसी भी जगह घूमने के लिए नवंबर शायद साल के सबसे अच्छे महीनों में से एक है। न ही ज़्यादा गर्मी और न ही ठिठुरने वाली ठंडक, हल्की सी धूप और कुछ ठंडी सी हवा वाला ये महीना पूरे देश में खुशनुमा होता है। अगर आप नवंबर में कहीं घूमने का प्लान बना रहे हैं और समझ नहीं आ रहा कि कहां जाएं तो ये स्टोरी आपके लिए ही है। आप कहीं सुकून से कुछ वक्त बिताना चाहते हैं या परिवार के साथ मौज मस्ती करना चाहते हैं, यहां आपको हर जानकारी मिलेगी।
रोड ट्रिप्स एक अलग ही तरह का सुकून देने वाली होती हैंक्योंकि यह आपको यात्रा का पूरा अनुभव देती हैं। आप जहां चाहें रुक सकते हैं, वहां के खाने का, लोगों से बातें करने का आनंद ले सकते हैं। नए-नए गांव-शहर देखते हुए अपनी मंज़िल तक पहुंच सकते हैं। आने देश में तो लोग अक्सर रोड ट्रिप करते हैं लेकिन जब विदेश जाने की बारी आती है तब पहला ख्याल हवाई यात्रा का ही आता है। आए भी क्यों न ये आसान है और इसमें समय भी बचता है। लेकिन अगर आप घुमन्तू किस्म के हैं और पूरी दुनिया को करीब से देखने की ख्वाहिश रखते हैं तो एक बार विदेश यात्रा भी सड़क के रास्ते कर ही डालिए। मज़ा न आए तो पैसे वापस। अब आप सोच रहे होंगे कि भारत से किसी विदेशी देश की सड़क यात्रा कैसे करें? ठीक है, अगर आपको लगता है कि यह संभव नहीं है, तो हम आपके लिए उन विदेशी देशों की सूची लेकर आए हैं जहां भारतीय सड़क मार्ग से यात्रा कर सकते हैं।
कश्मीर भारत में सबसे खूबसूरत टूरिस्ट डेस्टिनेशन्स में से एक है। कश्मीर हमारे देश की उन चुनिंदा जगहों में शामिल है जहां लगभग हर कोई घूमने जाने चाहता है। हालांकि, कड़ाके की ठंड और भारी बर्फबारी के कारण घाटी के अधिकांश हिस्से सर्दियों के दौरान बंद रहते हैं, जिससे यहां घूमना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। सर्दियों के दौरान कुछ लोकप्रिय पर्यटन स्थल जैसे करनाह, सोनमर्ग और गुरेज आमतौर पर पर्यटकों के लिए बंद रहते हैं। अब, 70 वर्षों के बाद, कश्मीर के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ये तीनों जगहें सर्दियों के महीनों में भी पर्यटकों के लिए खुली रहेंगी।
नागालैंड के हॉर्नबिल फेस्टिवल के बारे में अपने ज़रूर सुना होगा। अगर आप इस बार इन फेस्टिवल को एन्जॉय करना चाहते हैं तो अभी से तैयारी कर लीजिए। 1 से 10 दिसंबर तक इस बार हॉर्नबिल फेस्टिवल किसामा के हेरिटेज विलेज में आयोजित किया जाएगा। पिछले दो साल से कोविड के चलते इस फेस्टिवल में रौनक कुछ कम थी लेकिन बार इसे काफी भव्य तरीके से मनाए जाने की तैयारियां हैं। नागालैंड के पर्यटन, कला व संस्कृति सलाहकार एच खेहोवी येप्थोमी ने बताया है कि यह उत्सव 1 से 10 दिसंबर तक किसामा के नागा विरासत गांव में आयोजित किया जाएगा, जो नागालैंड की राजधानी कोहिमा से लगभग 12 किमी दूर स्थित है।
बारिश, गर्मी और ह्यूमिडिटी से राहत मिल चुकी है। ठंडी हवाओं ने अपना रास्ता बना लिया है, गुनगुनी धूप और सिहरती रातों वाला महीना यानी नवंबर दस्तक देने हैं। इसे अगर ट्रैवेल मंथ यानी यात्रा का महीना कहा जाए तो गलत नहीं होगा। टूरिज्म से जुड़े फेस्टिवल्स भी इस महीने खूब होते हैं। इस समय न तो रेगिस्तान की गर्मी जलाती है न ही पहाड़ों की ठंडक ठिठुराती है। हमारे यहां तो कई लोग नवंबर में घूमने के लिए साल भर छुट्टियां बचा कर रखते हैं। अगर आप भी उनमें से एक हैं तो ये स्टोरी आपके लिए है। अगर आप पूरे साल घूमते हैं तो ये स्टोरी आपके लिए भी है क्योंकि हम आपको बता रहे हैं भारत की 5 ऐसी जगहों के बारे में जहां नवंबर सबसे ज़्यादा खूबसूरत होता है।
कहीं भी घूमने के लिए सबसे अच्छा मौसम अब आ चुका है। मैदानी इलाकों में भी गर्मी धीरे-धीरे कम हो रही है और शामें ठंडी होने लगी हैं। ऐसे में पहाड़ों पर तो मौसम और भी ज़्यादा खूबसूरत हो जाता है। इस महीने में न तो भारी-भरकम कपड़े पहनने की ज़रूरत होती है और न ही माथे से पसीना टपक रहा होता है। यानी आप मौसम की परवाह किये बिना आराम से घूम सकते हैं। अगर आपको किसी समंदर के किनारे टहलना है तो अगले महीने का इंतज़ार करिए। ये समय है हिमालय की घाटियों की सैर का। हिमालय पर्वतमाला कुछ सबसे खूबसूरत और ऊंचाई वाली घाटियों का घर है। जम्मू - कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और सिक्किम जैसे राज्यों में फैली, ये सुरम्य घाटियां आपको अपनी खूबसूरती से हैरान कर देंगी।
भारत में कई संस्कृतियों का खजाना है। यहां सबसे ज़्यादा धर्मों को मानने वाले लोग हैं, इसीलिए यहां त्योहार भी सबसे ज़्यादा मनाए जाते हैं। और दिवाली तो दुनिया भर के सबसे खास त्योहारों में से एक है। रोशनी के इस त्योहार पर हमारे दिलों के साथ पूरा देश भी रोशन होता है। यूँ तो लोग अपने घर पर ही दीपावली मनाना पसंद करते हैं लेकिन आजकल ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है जो इस लंबी छुट्टी का मज़ा लेने के लिए किसी अच्छी घूमने वाली जगह की तलाश में रहते हैं। अगर आप दिवाली सेलिब्रेट भी करना चाहते हैं और घुमने की भी प्लानिंग कर रहे हैं तो हम आपको बता रहे हैं देश की 5 ऐसी जगहों के बारे में जहां ये त्योहार भव्य रूप से मनाया जाता है।
बाज़ार की जब भी बात होती है हमें दुकानें, ढेर सारी भीड़ और उस भीड़ में पुरुष, महिला, बच्चे सब दिखते हैं। लेकिन क्या आप कभी किसी ऐसी बाज़ार में गए हैं जहां सब्ज़ियों, मसलों के ढेरों के पीछे आपको सिर्फ महिलाएं ही दिख रही हों। यानी सारी दुकानें सिर्फ महिलाओं की हों। एक ऐसा बाज़ार जो आदर्श बाज़ार न होकर सिर्फ महिलाओं का बाज़ार हो। शायद मुश्किल है। मणिपुर की राजधानी इंफाल में एक ऐसा बाज़ार है जिसमें आपको सिर्फ महिलाएं ही महिलाएं मिलेंगी, ये बाज़ार है 'इमा कीथेल', हिंदी में कहें तो महिलाओं का बाज़ार। मणिपुर सरकार ने घोषणा की है कि यदि पुरुष दुकानदारों और विक्रेताओं की दुकानें और विक्रेता बाजार के अंदर पाए जाते हैं तो उन्हें दंडित किया जाएगा। यह मणिपुर राज्य का एक बड़ा कॉमर्शियल पॉइंट तो है ही, एक लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण भी है। हालांकि, इस बाजार की महिलाओं ने इस बाज़ार को चलाए रखने के लिए पिछली 5 शताब्दियों में बहुत मेहनत की है। यानी ये 500 साल पुराना बाज़ार है।
पश्चिम बंगाल कई चीजों के लिए मशहूर है। गंगा यहां बंगाल की खाड़ी में मिलती है, यहां की दार्जीलिंग की चाय पूरी दुनिया पीती है, सुंदरबन की न जाने कितनी कहानियां पढ़कर हम बड़े हुए हैं, अंग्रेजों ने ईस्ट इंडिया कम्पनी यहीं बनाई और न जाने क्या-क्या। इन सबके साथ एक और चीज़ है जिसके लिए पश्चिम बंगाल पूरी दुनिया में मशहूर है और वह है यहां का लजीज़ खाना। मुंह में पानी लाने वाले रसगुल्ले, चोमचोम, और रसमलाई, सुपर स्वादिष्ट सोर्शे इलिश, चिंगरी माचेर मलाई करी और भी बहुत कुछ। हम आपको बता रहे हैं वेस्ट बंगाल के 10 ऐसी ही डिशेस के बारे में जो आपकी भूख को बढ़ा देंगी।
कहते हैं कि भारत में जितने तरह के पशु, पक्षी, पेड़, पौधे, हर्ब्स पाए जाते हैं, पूरी दुनिया में और कहीं नहीं। यहां आपको कुदरत की सारी नेमतें मिलती हैं। उन्हीं में से एक है हिमालय। दुनिया की सबसे बड़ी पर्वत श्रृंखलाओं में से एक। हिमालय के पहाड़ जैव विविधता का खजाना हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों पर कई दुर्लभ और लुप्तप्रायः जानवर और पौधे पाए जाते हैं। इसीलिए यहां कई नेशनल पार्क्स भी हैं। तो आज हम आपको ऐसे 5 नेशनल पार्क्स के बारे में बता रहे हैं, जो पहाड़ों पर हैं।
स्लो ट्रैवेल आजकल ट्रेंड में है। लोग किसी जगह को सिर्फ देखकर आने के बजाय उस जगह को समझने की कोशिश कर रहे हैं। यूटूबर्स ने भी इस ट्रेंड को काफी आगे बढ़ाया है। स्लो ट्रैवेल करने वाले लोग जहां घूमने जाते हैं वहां के स्थानीय लोगों, संस्कृतियों, खाने, इतिहास और नृत्य-संगीत के बारे में भी इत्मीनान से जानने की कोशिश करते हैं। स्लो ट्रैवेल इस बात पर निर्भर करता है कि एक यात्रा लोकल कम्युनिटीस और पर्यावरण के हिट में हो, आपको कुछ नया सिखाए और आपकी ज़िंदगी पर कोई प्रभाव भी डाले। अगर आप एक ट्रैवलर हैं या बनना चाहते हैं तो भारत में आपकी बकेट लिस्ट में जोड़ने के लिए यहां हम पांच ऐसे ऑप्शन्स बता रहे हैं जो आप स्लो ट्रैवेल के दौरान ट्राई कर सकते हैं।
दशहरा नजदीक है और आपने लास्ट मिनट इस छुट्टी में कहीं घूमने की प्लानिंग है। अब समस्या यह है कि आखिर कहां जाएं? इतने कम समय में क्या ऑप्शन हो सकते हैं? तो आप परेशान न हों। यहां, हम आपको बता रहे हैं दिल्ली के पास की जगहों के कुछ ऑप्शन जहां आप तुरन्त प्लान बनाकर भी घूमने जा सकते हैं।
आपको एक झील के किनारे वक़्त बिताना पसंद है? अगर हां, तो आप सही जगह हैं। उत्तराखंड में भारत की कुछ सबसे सुंदर झीलें हैं, जो आपको यादगार वक़्त बिताने की गारंटी देंगी। उत्तराखंड की इन झीलों में से ज़्यादातर बड़े और छोटे घास के मैदानों और पहाड़ियों से घिरी हुई हैं, और इनमें से कुछ ऊंचे पहाड़ों पर भी हैं। हालांकि, कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे कहाँ हैं। असल बात यह है कि ये झीलें खूबसूरत हैं और आपकी छुट्टियां बिताने के लिए परफेक्ट हैं।
भारत में यूं तो हर गली, हर गली हर मोहल्ले में मंदिर होते हैं लेकिन फिर भी यहां धार्मिक पर्यटन सबसे ज़्यादा लोग करते हैं। हमारे देश मंदिरों का घर है। एक से एक बड़े और भव्य मंदिर हैं यहां। लोगों की आस्था और उम्मीद का ठिकाना हैं ये मंदिर। बात जब कुछ मांगने और उस दुआ के पूरे होने पर विश्वास करने की अयाति है तो हम देश के एक कोने से दूसरे कोने तक का सफर करने से भी नहीं घबराते। घूमने के लिए सबसे बेहतरीन महीनों में से एक अक्टूबर आने वाला है। तो हम आपको बता रहे हैं देश के कुछ ऐसे प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में जहां आप अक्टूबर में दर्शन करने जा सकते हैं।
क्या आपको समंदर के किनारों से प्यार है? अगर हां तो आप सही जगह पर हैं क्योंकि हमारे पास समुद्र तट के अगले ट्रिप के लिए कुछ बेहतरीन टिप्स हैं। जब हम समुद्र तटों के बारे में बात करते हैं, तो हम हमेशा समुद्र, रेत, सर्फिंग और स्कूबा डाइविंग आदि की बात करते हैं। समंदर में तैरने की बात हम शायद ही कभी करते हों। समुद्र में स्विमिंग को लॉफ सुरक्षित नहीं मानते। और ये सही भी है। आप किसी भी समुद्र तट पर जाकर तैरना शुरू नहीं कर सकते। कुछ समुद्र तटों के सख्त नियम भी हैं जो आपको पानी से दूर रहने के लिए कहते हैं। आप इसे ज्यादातर उन क्षेत्रों में पाएंगे जहां पानी की लहरें तेज़ हैं, समुद्र तल चट्टानी और खतरनाक है और ज्वार आमतौर पर बहुत अधिक होता है। लेकिन हम यहां आपको उन समुद्र तटों के बारे में बताएंगे जहां आप बिना किसी समस्या के तैराकी कर सकते हैं। ये समुद्र तट साफ हैं, पानी शांत और सुरक्षित है और तैरने के लिए एकदम सही हैं।
बंगाल में किसी भी साल को दो हिस्सों में बांटा जा सकता है। एक - दुर्गा पूजा के पहले का हिस्सा और दूसरा - दुर्गा पूजा के बाद का। जैसे ही साल की पूजा समाप्त होती है, लोग अगले साल की पूजा का इंतज़ार करने लगते हैं। यहां के लोगों के लिए दुर्गा पूजा सिर्फ धार्मिक ही नहीं एक सामाजिक त्योहार भी है। देवी दुर्गा, जिन्हें प्यार से माँ कहा जाता है, एक निश्चित अवधि के लिए घर आती हैं। हर कोई उन्हें देखना चाहता है, उनकी पूजा करना चाहता है और उनके घर आने का जश्न मनाना चाहता है। दुर्गा पूजा के त्योहार की शुरुआत महालय के दिन, देवी के आह्वान के साथ होती है। कुछ ऐसी बातें हैं जो बंगाल की दुर्गा पूजा को बाकी पूरे देश से अलग और खास बनाती हैं।
अक्टूबर का महीना ज़िन्दगी का जश्न मनाने के लिए कई वजहें लेकर आता है। एक तो इस महीने से हवाओं में थोड़ी ठंडक घुल जाती है, यानी घूमने के लिए मौसम मुफीद होने लगता है। दूसरा, इस महीने भर-भर कर त्योहार होते हैं। और त्योहारों का मतलब है खाना-पीना, नाचना-गाना, मतलब ढेर सारी मस्ती। इस महीने छुट्टियां भी खूब हैं तो क्यों न इन सब कॉम्बिनेशन्स को मिलाकर एक ट्रिप प्लान कर लिया जाए। ऐसा ट्रिप जहां आप मौसम और त्योहार दोनों का मज़ा एक साथ ले पाएं। इस बार अक्टूबर में कौन-कौन से त्योहार हैं और उन्हें सेलिब्रेट करने आप कहाँ जा सकते हैं, हम बताते हैं आपको। नवरात्रिभारत में सबसे पसंदीदा त्योहारों में से एक है दुर्गा पूजा। यह हर साल बहुत उत्साह के साथ मनाई जाती है। इस दौरान भव्य पंडालों में दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती, गणेश और कार्तिकेय की आदमकद प्रतिमाएं रखी जाती हैं। दुर्गा पूजा की तैयारी बहुत पहले शुरू हो जाती है जहां विशेषज्ञ कारीगरों द्वारा देवी-देवताओं की सुंदर मूर्तियां बनाई जाती हैं। पूजा के बाद 10वें दिन देवी को किसी नदी या तालाब में विसर्जित कर दिया जाता है। इस बार नवरात्रि 26 सितम्बर से शुरू होकर 4 अक्टूबर तक हैं। आप इस त्योहार पर घूमने का प्लान कर सकते हैं।कहां जाएं कोलकाता एक ऐसी जगह है जहां आप इस त्योहार को सबसे भव्य तरीके से देखने के लिए जा सकते हैं। यहां की तरह भव्य पंडाल आपको पूरे देश में और कहीं नहीं मिलेंगे। हालांकि, नवरात्रि में डांडिया और गरबे का लुत्फ लेना है तो गुजरात या राजस्थान का रुख करना होगा।दशहरा (5 अक्टूबर)यह त्योहार लंका के राक्षस राजा रावण पर भगवान राम की जीत के जश्न के तौर पर मनाया जाता है। पूरा देश इस दिन को अपने तरीके से मनाता है। कहीं रामलीला का मेला लगता है तो कहीं रावण के बड़े-बड़े पुतले। कुल मिलाकर नज़ारा देखने लायक होता है।कहां जाएं दक्षिण भारत में मैसूर का दशहरा देखने लायक होता है। मैसूर दशहरा में बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं। हिमाचल में कुल्लू दशहरा भी शामिल होने के लिए एक अच्छी जगह है।
एक बार जब आपको पता चल जाता है कि आप प्रेग्नेंट हैं, तो दुनिया अलग हो जाती है। आपकी ज़िंदगी हमेशा के लिए बदलने वाली होती है। जब आप शादी करते हैं, तो हनीमून एक ऐसा समय माना जाता है जब आप अपने जीवनसाथी को जानते हैं और रिश्ते को मजबूत करते हैं। इसके अलावा आपको मौका मिलता है कि आप अपने पार्टनर के साथ रहें और कुछ क्वालिटी टाइम स्पेंड करें। उसे परिवार के झंझटों में पड़ने से पहले जान लें। इसी तरह जब आप प्रेग्नेंट होती हैं तब भी आपको कुछ वक्त अपने पार्टनर के साथ बिताना चाहिए और आने वाले वक्त के लिए खुद को नई एनर्जी के साथ तैयार करना चाहिए। इसके लिए बेबीमून बेस्ट तरीका है। बेबीमून क्या है? दुनिया भर में कपल्स बच्चे के आने से पहले बेबीमून की छुट्टियां ले रहे हैं। चूंकि बच्चा आपको और आपके साथी दोनों को व्यस्त रखेगा, इसलिए आपको अगली बार घूमने के न जाने कब मौका मिलेगा। इसने 'बेबीमून' की शुरुआत की, जो आपके बच्चे के जन्म से पहले की छुट्टी है।परफेक्ट बेबीमून कैसे प्लान करेंप्रेग्नेंसी के सिम्पटम्स, बेसिक सुरक्षा और कम चलने वाला होने की वजह से बेबीमूनिंग हनीमून जितना आसान नहीं है। इसका मतलब है कि आपके पास यात्रा के ऑफ-लिमिट ऑप्शन्स के लिए एक चेकलिस्ट होनी चाहिए जिससे आप ट्रेवल के दौरान सेफ रहें। आपको ये भी ध्यान में रखना होगा कि आपकी हेल्थ से कोई समझौता न हो। इस तरह चुनें लोकेशनअक्सर इस बात को लेकर दुविधा रहती है कि बेबीमून के दौरान आपको किस लोकेशन पर जाना चाहिए। दो बातें जो आपको यह तय करने में मदद कर सकती हैं, वे हैं प्रेफरेंस और ट्रेवल में लगने वाला वक़्त। जहां तक लोकेशन की बात है, यह आपकी सहूलियत और पसंद पर निर्भर करती है। रिसर्चर्स का कहना है कि ज़्यादा समय तक बैठने से गर्भवती महिलाओं में गेस्टेशनल डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए ऐसी यात्रा से बचें। आप भले ही लम्बा इंटरनेशनल ट्रेवल नहीं कर सकतीं लेकिन हमारे देश में भी कई जगहें ऐसी हैं जो रेलवे से जुड़ी हुई हैं। यहां तक आप ट्रेन में लेट कर आराम से सफर कर सकती हैं या अपनी गाड़ी से रुकते-रुकाते पहुंच सकती हैं।
हिमाचल प्रदेश कुदरती खूबसूरती, समृद्ध संस्कृति, सुंदर घरों से लेकर प्राचीन परंपराओं तक कई चीजों के लिए प्रसिद्ध है। जो पर्यटक एक बार यहां एक बार उसका मन यहीं रह जाता है। हिमाचल की सुंदरता और यहां आने वाली भीड़ के किस्से आपने खूब सुने होंगे लेकिन आज हम आपको कुल्लू जिले के एक अनोखे और रहस्यमयी मंदिर के बारे में बताएंगे, जिसकी धार्मिक मान्यता बहुत ज़्यादा है। यह मंदिर बिजली महादेव के नाम से जाना जाता है। मंदिर कुल्लू घाटी के सुंदर गांव काशवरी में है। 2460 मीटर की ऊंचाई पर स्थित बना यह मंदिर शिव जी को समर्पित है। इसे भारत के सबसे प्राचीन मंदिरों में भी गिना जाता है। तो चलिए हम बताते हैं आपको कि क्या बात इस मंदिर को इतना अनोखा और खास बनाती है?
नागालैंड के उत्तरी हिस्से में एक लोंगवा गांव है जिसमें कुछ खास है। मोन जिले के सबसे बड़े गांवों में से एक, यह एक बेहद दिलचस्प जगह है। यहां गांव के प्रधान जिन्हें अंग कहा जाता है, उनका आधा घर भारत में और आधा म्यांमार में है। क्योंकि ये गाँव दो देशों में है, फिर भी पूरे गांव पर मुखिया का शासन होता है। यहां प्राकृतिक सुंदरता अपार है। यहां कुल चार नदियाँ गाँव से होकर बहती हैं, दो भारत में और दो म्यांमार में।कभी-कभी जब आप वहां होते हैं, तो आप म्यांमार में होते हैं और कभी भारत में। नागालैंड में कोन्याक जनजाति को भारत के अंतिम शिकारियों में से एक माना जाता है, क्योंकि 1960 के दशक में ईसाई धर्म के उदय के साथ इस प्रथा को छोड़ दिया गया था। कोन्याक्स ने अपने चेहरे और शरीर के अन्य हिस्सों पर टैटू बनवाए जो समाज में उनकी जनजाति, कबीले और स्थिति को दर्शाते थे। टैटू और सिर का शिकार करना संस्कृति का एक अभिन्न अंग था। क्योंकि युवा कोन्याक लड़कों को कबीलाई लड़ाई में प्रतिद्वंद्वी जनजातियों के सदस्यों का सिर काटना पड़ता था। इनका मानना था कि एक व्यक्ति की खोपड़ी में उनकी आत्मा की शक्ति होती है, जो समाज में समृद्धि लाती है और उनके वंश को आगे बढ़ाती है।लोंगवा में आज कई ग्रामीण पीतल की खोपड़ी का हार पहनते हैं, जो इस विरासत का प्रतीक है। दिलचस्प बात यह है कि बहुत सारे स्थानीय लोग भी म्यांमार की सेना में हैं क्योंकि गाँव के निवासियों के पास दोनों देशों की नागरिकता है इसीलिए यहां के लोग दोनों देशों में स्वतंत्र रूप से घूम सकते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि यहां के गांव की मुखिया की जिन्हें अंग कहते हैं, उनकी 60 पत्नियां हैं और म्यांमार और अरुणाचल प्रदेश के 70 गांवों में उनका शासन है।
क्या आपको लगता है कि कि पेरू के माचू पिच्चू और यूके के स्टोनहेंज जैसी जगहों का संबंध भारत के कुमाऊं क्षेत्र के एक छोटे से गांव से हो सकता है? अगर आपको लगता है कि ऐसा कैसे हो सकता है तो फटाफट इस स्टोरी को पढ़ डालिए और जान लीजिए कि आखिर इन तीनों में क्या सम्बंध है। हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र के कसार देवी की। टूरिस्ट्स के बीच भले ही यह जगह पॉपुलर न रही हो लेकिन लंबे समय से कलाकारों, मनीषियों, दार्शनिकों और आध्यात्मिक साधकों को लुभाती रही है। आपको जानकर हैरानी होगी कि स्वामी विवेकानंद, बॉब डायलन, रवींद्रनाथ टैगोर, हार्वर्ड मनोवैज्ञानिक टिमोथी लेरी, डीएच लॉरेंस जैसी प्रसिद्ध हस्तियां किसी न किसी वजह से यहां आ चुकी हैं। इतिहास की मानें तो 1890 में, स्वामी विवेकानंद ने यहीं एक गुफा में ध्यान लगाया था।तो चलिए मुद्दे पर आते हैं। जो बात इस जगह को खास बनाती है वह है पृथ्वी की वैन एलन बेल्ट पर इसका स्थित होना। ऐसा माना जाता है कि कसार देवी मंदिर के आसपास धरती के भीतर विशाल भू-चुंबकीय पिंड है। इस पिंड में विद्युतीय चार्ज कणों की परत होती है जिसे रेडिएशन भी कह सकते हैं। यही कारण है कि माना जाता है कि कसार देवी में ब्रह्मांडीय ऊर्जा है जो पेरू के माचू पिच्चू और यूके के स्टोनहेंज के समान है।पिछले कुछ साल से नासा के वैज्ञानिक इस बेल्ट के बनने की वजह पता लगाने में जुटे हैं। इस वैज्ञानिक अध्ययन में यह भी पता लगाया जा रहा है कि मानव मस्तिष्क या प्रकृति पर इस चुंबकीय पिंड का क्या असर पड़ता है। ऐसा माना जाता है कि इन चुम्बकीय पिंडो की उपस्थिति के कारण, यहां एक परम शांति का अनुभव होता है। जिन्होंने यहां ध्यान किया है, उनका दावा है कि वे यहां एक अनोखी तरह की शांति महसूस कर सकते हैं, हालांकि इस बात का कोई वैज्ञानिक प्रमाण अभी तक नहीं मिला है।
वैसे तो लोग आजकल महीने और मौसम की बातें भूलकर पूरे साल ही कहीं न कहीं घूमते रहते हैं लेकिन फिर भी कई लोग ऐसे हैं जो हर मौसम का असल लुत्फ नहीं उठा पाते। अगर आप भी उनमें से एक हैं और ये मानते हैं कि भई घूमना तो सिर्फ नवम्बर से फरवरी तक ही चाहिए तो जनाब आपकी सोच गलत है। हमारा देश इतना बड़ा है कि यहां हर महीने आपको घूमने के लिए कई सुंदर जगहें मिल जाएंगी। उस महीने में मॉनसून विदा हो रहा होता है और मौसम में हल्की ठंडक आ जाती है। यह महीना जुलाई और अगस्त के महीनों की तुलना में ठंडा होता है लेकिन आने वाले अक्टूबर और नवंबर के महीनों की तुलना में कम ठंडा। सितम्बर में टूरिस्म का ऑफ सीजन भी खत्म हो रहा होता है इसलिए इस महीने आने वाले महीनों की तुलना में होटल भी सस्ते मिल जाते हैं। सितंबर के महीने की सबसे अच्छी बात यह है कि आपको टूरिस्ट प्लेसेस पर भारी भीड़ का सामना नहीं करना पड़ता। अब जब इस महीने घूमने के इतने फायदे हैं तो क्यों न एक ट्रिप आप भी प्लान कर लें। हम आपको बता रहे सितम्बर में घूमने के लिए सबसे अच्छी जगह।
मध्यप्रदेश के धार जिले के मांडू शहर को सर्वश्रेष्ठ विरासत स्थल का पुरस्कार मिला है। प्रदेश के पर्यटन विभाग के एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।उन्होंने बताया कि केंद्रीय पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी ने मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम (एमपीटीडीसी) के प्रबंध निदेशक एस विश्वनाथन को 19वें वार्षिक आउटलुक ट्रैवलर अवार्ड के दौरान नई दिल्ली में यह पुरस्कार दिया। यह अवार्ड एक रिसर्च एजेंसी के ट्रैवेल सर्वे और जूरी के सदस्यों की राय के आधार पर दिया गया है।
भारत की सबसे सुंदर जगह के बारे में जब भी बात होती है तो सबसे पहले कश्मीर ही याद आता है। समंदर को चाहने वाले जितना गोआ से प्यार करते हैं पहाड़ों को पसंद करने वालों को कश्मीर से उतनी ही मोहब्बत है। यहां का मौसम, नज़ारे, संस्कृति, परंपराएं, लोग सब खास हैं। लेकिन इस बार हम यहां के हैंडीक्राफ्ट्स की बात करेंगे। अगर आप कश्मीर घूमने जा रहे हैं तो इन हैंडीक्राफ्ट्स को लाना बिल्कुल मत भूलिएगा। आप इन्हें खुद इस्तेमाल कर सकते हैं या अपने किसी करीबी को तोहफे में दे सकते हैं।
घूमने के शौकीन लोगों को सबसे ज़्यादा पहाड़ ही पसंद आते हैं। सर्दियों में लोगों को बर्फ देखनी हो या गर्मी में ठंडे मौसम का मज़ा लेना हो पहाड़ बेस्ट ऑप्शन होते हैं छुट्टियां बिताने के लिए। हालांकि अब तो ज़्यादातर हिल स्टेशन्स पर अच्छी खासी भीड़ होने लगी है लेकिन कुछ छुपे हुए ठिकाने ऐसे भी हैं जहां कुदरत की नेमत अभी भी बरसती है। इनमें से एक है, उत्तराखंड में नेपाल बॉर्डर पर बसा अस्कोट। अस्कोट उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ जिले में दीदीहाट तहसील में एक पुरानी रियासत है। दूर-दूर तक फैले जंगल और हरी-भरी घाटी के बीच, यह एक छोटा हिमालयी शहर है जो धारचूला और पिथौरागढ़ के बीच एक छोर पर बसा है। यह शहर पूर्व में नेपाल, पश्चिम में अल्मोड़ा, दक्षिण में पिथौरागढ़ और उत्तर में तिब्बत की सीमा में है। समुद्र तल से 1,106 मीटर की औसत ऊंचाई पर बसे अस्कोट पर नेपाल के दोती राजाओं, राजबरों, चांदों, कत्यूरी, गोरखाओं जैसे कई शासकों का शासन रहा है। हालांकि उस समय अस्कोट दो हिस्सों में बंटा था। एक को मल्ला अस्कोट के नाम से जाना जाता था और दूसरे को तल्ला अस्कोट के नाम से जाना जाता था। 1742 में यहां की ज़मीन गोरखा शासन के अधीन थी और 1815 में अंग्रेजों द्वारा उन्हें वापस नेपाल में धकेल दिया गया था। उत्तराखंड की एक लुप्तप्राय जनजाति, वन रावत अस्कोट के आसपास बस्ती है।'असकोट' नाम 'असी कोट' शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ है 80 किले जो कभी इस क्षेत्र में खड़े थे। अब यहां इनके कुछ अवशेष ही बचे हैं। लोकप्रिय कैलाश-मानसरोवर तीर्थयात्रा का शुरुआती केंद्र यही है। अस्कोट प्राकृतिक सुंदरता और झरनों से घिरा हुआ है। यह कस्तूरी हिरण के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण जगह है। यहां अस्कोट कस्तूरी हिरण अभयारण्य के भी है।अस्कोट से पंचुली और चिपलाकोट चोटियाँ एकदम साफ दिखती हैं। यहां देवदार, शीशम, ओक और साल के पेड़ों के जंगल के बीच गोरी गंगा और काली नदियां बहती हैं। हिमालय के कुमाऊं क्षेत्र में 5,412 फीट ऊंची चोटी पर बस अस्कोट आश्चर्यजनक रूप से सुंदर है। यहां ऐसी कई जगहें हैं जहां आप अपना समय बिता सकते हैं।
एक मार्गदर्शक, एक दार्शनिक, एक नटखट बच्चा, एक छोटा सा भगवान, एक सखा, एक चमकते तारे की आभा वाला, एक शूरवीर, ज़िन्दगी के हर पहलू में, हर रूप में कृष्ण हैं। वो राधा का प्रेम है तो रुक्मिणी का जीवन, यशोदा का लाल है तो देवकी का दुलार, गोपियों का श्रृंगार है तो सबका तारनहार। कृष्ण प्रेम भी हैं और प्रतिशोध भी, कृष्ण विराट हैं और बाल भी। वह एक अद्भुत संन्यासी, एक अद्भुत गृहस्थ और साथ ही एक शक्तिशाली नेता थे। भगवान कृष्ण के जीवनकाल में हुई सभी घटनाओं से जुड़े कई मंदिर भारत के विभिन्न कोनों में हैं। तो हम बताते हैं आपको कि इस जन्माष्टमी पर आपके कान्हा की ज़िंदगी से जुड़े कुछ मशहूर मंदिरों के बारे में…
शिवालिक पर्वत श्रृंखलाओं की जीवंत सुंदरता के बीच बना, जाखू मंदिर एक प्राचीन हनुमान मंदिर है जो पवन पुत्र हनुमान के भक्तों के बीच बेहद प्रसिद्ध है। शिमला के मशहूर दर्शनीय स्थलों में से एक इस मंदिर में भगवान हनुमान की दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ति है। लोग यहां प्रभु के दर्शन के लिए तो आते ही हैं, शिमला आने वाले हर धर्म और संप्रदाय के टूरिस्ट्स इस विशाल मूर्ति को देखने भी आते हैं। यह मंदिर समुद्र तल से 8048 फीट की ऊंचाई पर है। 2010 में हिमाचल प्रदेश की राज्य सरकार ने यहां 108 फीट की हनुमान प्रतिमा स्थापित की थी। इस मूर्ति को पूरे शिमला से देखा जा सकता है। श्रद्धालु यहां पैदल, निजी कार या रोपवे से जाते हैं। शिमला में रिज नामक जगह से यहां जाने के लिए रोप वे लिया जा सकता है। जाखू मंदिर से पास के शहर संजौली का व्यू भी बेहद खूबसूरत दिखाई देता है। यहां से सूर्योदय और सूर्यास्त का के अद्भुत नज़ारे को देखने के लिए कई ट्रेकर्स भी यहां आते हैं। सिर्फ मंदिर ही नहीं, यहां तक पहुंचने का रास्ता भी बहुत सुंदर है।
रक्षाबन्धन यानी 11 अगस्त (गुरुवार) से इस बार लॉन्ग वीकेंड शुरू हो रहा है। अब आप ये मत कहना कि 'सबका नहीं होता लक्ष्मण' । मेरा भी नहीं है लेकिन आपमें से कई का तो होगा। तो अगर आपकी भी 11 अगस्त से 16 अगस्त तक कि छुट्टी है या आपने प्लान कर ली है तो आप इसमें एक ट्रिप पूरी सकते हैं। हम आपको बता रहे हैं दिल्ली के पास के कुछ ऐसे हिल स्टेशन्स जहां इस समय मौसम एकदम मेहरबान होता है और अगर आप पहले से टिकट बुक कराना भूल गए हैं तो एकदम से भी यहां जाने की प्लानिंग कर सकते हैं।
अगस्त के महीने में हवा में ताजगी और हर तरफ हरियाली होती है। जो लोग घूमने के शौक़ीन हैं मॉनसून का मौसम उनके लिए बेस्ट होता है। इस मौसम में घूमने में खर्च भी कम होता है। कहते हैं कि बारिश का मौसम उन लोगों के लिए नहीं है जो हमेशा जल्दी में रहते हैं, बल्कि उनके लिए होता है जो हमेशा कुछ एडवेंचरस करने के लिए तैयार रहते हैं और कुदरत को असली खूबसूरती में देखकर खुश होते हैं। अगर आप भी बारिश पसन्द लोगों में से एक हैं तो हम आपके लिए लेकर आए हैं भारत की 5 ऐसी जगहों की लिस्ट जो जहां घूमकर आप अपने मॉनसून को यादगार बना सकते हैं।
सावन का महीना यानी बारिश का महीना, हर तरफ हरियाली बिखेरने का महीना, त्योहारों का महीना, झूलों का महीना, गीतों का महीना… और इन सब से बढ़कर भगवान शिव का महीना। यूँ तो ईश्वर की पूजा के लिए न कोई दिन में बंध सकता है और न रात में, न वक़्त में और में और न हालात में, न महीने में और न साल में लेकिन इस महीने में ऐसा लगता है जैसे हर तरफ महादेव की भक्ति हो, हवा में भी हर-हर शम्भू गूंजता सुनाई देता है। अब जब बात शिवार्चन और आस्था की चल ही रही है तो हम आपको कर्नाटक के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताते हैं, जहां आप जिधर भी नज़र घुमाएंगे आपको सिर्फ शिवलिंग ही नज़र आएंगे। हम बात कर रहे हैं कोटिलिंगेश्वर मंदिर की। कर्नाटक के कोलार जिले का कोटिलिंगेश्वर मंदिर एक ऐसा मंदिर है, जो बहुत पुराना नहीं है लेकिन फिर भी बहुत सारे भक्तों और पर्यटकों का जमावड़ा यहां लगा रहता है। कोलार वैसे तो अपनी सोने की खदानों के लिए मशहूर है, लेकिन आप उन्हें देखने नहीं जा सकते। हालांकि, बंगलुरु से 70 किलोमीटर की दूरी पर बसे में आप कोटिलिंगेश्वर मंदिर के दर्शन ज़रूर कर सकते हैं। बंगलुरु से यहां तक आने के लिए सड़क के दोनों ओर हरे- भरे खेत देखते हुए आप मंदिर पहुंच जाएंगे।
दो झीलों से बंटा शहर भोपाल हर तरह के पर्यटक के लिए खास है। इतिहास प्रेमी हों या कला प्रेमी, हरियाली पसंद हो पानी यहां सब मिलेगा। 'झीलों का शहर' कहा जाने वाला भोपाल बारिश के मौसम में ऐसा लगता है जैसे कुदरत ने गीले हरे रंग से इसे रंग दिया हो।अगर ये कहा जाए कि यह भारत के सबसे हरे-भरे शहरों में से एक है तो गलत नहीं होगा। इस शहर को बसाने का श्रेय जाता है राजा भोज को। यहां की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है इसकी निशानी हैं, ऐतिहासिक स्मारक, धार्मिक स्थल और संग्रहालय। शहर को दो भागों में बांटा जा सकता है, उत्तर की ओर पुराना शहर जिसमें मस्जिदें, बाज़ार और पुरानी हवेलियां हैं व दक्षिण की ओर आधुनिक शहर हैं। शहर की दो झीलें 'भोजताल' और 'छोटा तालाब' हैं, जिन्हें ऊपरी झील और निचली झील भी कहा जाता है। यूं तो झीलें यहां आने वाले टूरिस्ट्स के लिए मेन अट्रेक्शन पॉइन्ट हैं, लेकिन ये शहर के लोगों के लिए पानी का एक महत्वपूर्ण स्रोत भी हैं। यहां की शाहजहाँ बेगम की बनवाई हुई ताज-उल-मसाजिद भारत की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है। भोपाल में ऐसा बहुत कुछ है जो बारिश के मौसम में घूमने के लिए बेस्ट है। हलाली डैमबारिश के मौसम में घूमने के लिए भोपाल की सबसे खास जगहों में से एक है, हलाली डैम। यहां नौका विहार करें या पिकनिक मनाने जाएं, मज़ा आ जाएगा। 699 वर्ग किमी में फैला यहां का ताल बेहद सुंदर दिखता है। इसमें मृगल, रोहू, चीताला और मिस्टस जैसे समुद्री जीव भी पाए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि राजा मोहम्मद खान नवाद ने नदी के तट के पास दुश्मन सेना का वध किया था, जिसने इसे 'हलाली' नदी नाम दिया है। इसी नदी पर इस डैम बना है।रायसेन फोर्टभोपाल से 23 किमी की थोड़ी दूरी पर एक सुंदर किला है रायसेन फोर्ट। हरियाली से भरी हुई पहाड़ी के ऊपर बना यह किला कई मंदिरों से घिरा हुआ है। इसकी तह में कई कुएं और एक विशाल ताल है। कहा जाता है कि 800 साल से ज़्यादा पुराने इस किले में एक मंदिर और एक मस्जिद भी है। प्रसिद्ध मुस्लिम संत हजरत पीर फतेहुल्लाह शाह बाबा की दरगाह के रूप में प्रसिद्ध यह किला लोगों की आस्था का गढ़ है। 13वीं शताब्दी में इसकी स्थापना के बाद से किले पर कई शासकों ने राज किया। बारिश में जब यहां के पहाड़ पर हरियाली खूब बढ़ जाती है तब हल्की फुहारों में इस किले में घूमने में काफी मज़ा आता है।
चित्रकूट में घूमने के लिए कई दिलचस्प जगहें हैं। घंटियों की आवाज से गुलजार नदी घाटों से लेकर गर्व और अखंडता के प्रतीक ऊंचे किले और महल तक, झरनों से लेकर जंगल तक यहां सबकुछ है। वैसे तो यहां कई ऐसी जगहें हैं जो आपका दिल जीत लेंगी लेकिन हम आपके लिए चित्रकूट की 5 ऐसी जगहों की जानकारी लाए हैं जिन्हें देखे बिना आपकी यात्रा पूरी नहीं होगी।कामदगिरी कामदगिरी एक जंगली पहाड़ी है जो चारों तरफ से कई हिंदू मंदिरों से घिरा हुई है। इसे चित्रकूट का दिल माना जाता है। तीर्थयात्री इस पहाड़ी के चारों ओर इस विश्वास के साथ परिक्रमा करते हैं कि उनके सभी दुखों का अंत हो जाएगा और ऐसा करने से उनकी मनोकामनाएं पूरी होंगी। कामदगिरी का नाम भगवान राम के दूसरे नाम कामद नाथ जी से लिया गया है, इसका मतलब सभी इच्छाओं को पूरा करना है। इस पहाड़ी की परिक्रमा के 5 किलोमीटर के रास्ते पर कई मंदिर हैं, जिनमें से सबसे प्रसिद्ध भरत मिलाप मंदिर है। यह उसी जगह पर बना है जहां भरत ने भगवान राम से मुलाकात की और उन्हें अपने राज्य में वापस आने के लिए मना लिया था। कामदगिरी पर्वत का कुछ भाग उत्तर प्रदेश में तो कुछ मध्य प्रदेश में पड़ता है।गुप्त गोदावरीगुप्त गोदावरी दो गुफाओं का समूह है। यहां अंदर जाने के लिए एक पतला सा रास्ता है जिसमें अमूमन हर कोई फंस जाता है। दूसरी गुफा से पानी की धाराएं निकलती हैं। ऐसा कहा जाता है कि एक बार भगवान राम और लक्ष्मण ने अपनी गुप्त बैठकें कीं, गुफा में इस बात की पुष्टि करते हुए सिहांसन नुमा कुछ रचनाएँ हैं। हालांकि चित्रकूट में ज़्यादातर धार्मिक यात्रा करने वाले लोग ही आते हैं लेकिन आजकल एडवेंचर पसंद करने वाले लोगों का भी यह पसंदीदा ठिकाना बन गया है। गुप्त गोदावरी भी ऐसे लोगों को काफी पसंद आती है। एलीफेंटा की गुफाओं, अजंता और एलोरा की गुफाओं से मिलती जुलती यह गुफा कई लोगों को रहस्यमयी लगती है।
यूँ तो उत्तर प्रदेश के लास पर्यटकों को लुभाने के लिए बनारस, मथुरा, अयोध्या, आगरा, लखनऊ जैसी कई बड़ी जगहें हैं लेकिन यहां के छोटे-छोटे शहर भी अपने आप में बहुत खूबसूरती समेटे हैं। ऐसा ही एक जिला है सोनभद्र। यहां बारिश के मौसम को और भी सुंदर बनाने के लिए ऐसे कई ठिकाने हैं जो आपका मन मोह लेंगे।विजयगढ़ किला400 फीट लंबा, 5वीं शताब्दी का विजयगढ़ किला उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में कोल राजाओं ने बनवाया था। यह रॉबर्ट्सगंज से लगभग 30 किमी दूर रॉबर्ट्सगंज-चर्च रोड पर मऊ कलां गांव में है। किले का लगभग आधा क्षेत्र कैमूर रेंज की खड़ी चट्टानी पहाड़ियों से भरा है। किले की कुछ अनूठी विशेषताओं में गुफा में बने चित्र, मूर्तियाँ, शिलालेख और चार बारहमासी तालाब शामिल हैं जो कभी सूखते नहीं हैं। मुख्य द्वार मुस्लिम संत, सैय्यद ज़ैन-उल-अब्दीन मीर साहिब की कब्र से पहले है, जिसे लोकप्रिय रूप से हज़रत मीरान शाह बाबा कहा जाता है। यहां इन महान संत को समर्पित एक उर्स या मेला हर साल अप्रैल में आयोजित किया जाता है जिसमें सभी धर्मों के भक्तों की बड़ी भीड़ होती है।नौगढ़ किलानौगढ़ किला रॉबर्ट्सगंज में नौगढ़ टाउनशिप से लगभग 2 किमी और उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में चकिया के दक्षिणी हिस्से में 40 किमी की दूरी पर है। किले का निर्माण काशी नरेश ने करवाया था। पिछले कुछ समय से इसे सरकारी अधिकारियों के लिए गेस्ट हाउस के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। किला से कर्मनाशा नदी और आसपास के क्षेत्र काफी सुंदर दिखता है।नौगढ़ किले के आसपास कुछ अवशेष मिले हैं। ये अवशेष 3000 वर्ष पुराने हैं और इसके प्राचीन इतिहास के साक्षी हैं। किले के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में एक पहाड़ है जिसे गेरुवातवा पहाड़ कहा जाता है। यह पहाड़ धातु और खनिज के अवशेषों से भरा हुआ है।
बादलों के गड़गड़ाहट की आवाज, मिट्टी की मीठी ताज़ा महक और हरी पत्तियों पर पानी की छोटी-छोटी बूंदें, जुलाई में मानसून न केवल चिलचिलाती गर्मी से राहत देता है बल्कि कुदरत के खूबसूरत रंगों से हमें मिलवाता है। वैसे तो लोगों को बारिश में घूमना नहीं भाता लेकिन ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है जो हर साल मानसून आने का इंतज़ार करते हैं। ताकि वो इस मौसम में सबसे सुंदर दिखने वाली जगहों को जी भरकर निहार सकें। यहां की यात्रा कर सकें। हम आपको बता रहे हैं भारत की ऐसी 5 जगहों के बारे में जो जुलाई में बेहद खूबसूरत हो जाती हैं। केरल"गॉड्स ओन कंट्री" - केरल वास्तव में जुलाई में उफनती नदियों, हरे-भरे जंगलों और हवाओं की धुन पर लहराते नारियल के पेड़ों के साथ जीवंत हो उठता है। अलेप्पी के बैकवाटर और मुन्नार के हरे-भरे हिल स्टेशन, अथिरापल्ली और वज़ाचल के झरनों की कुदरती सुंदरता मानसून के दौरान देखने लायक होती है। केरल में जुलाई में घूमें ये जगहेंमुन्नार, एलेप्पी, पेरियार, वेम्बनाड और पोनमुडीक।केरल में जुलाई में करें ये एक्टिविटीज हाउसबोट या ट्रीहाउस में रहें, मसाले के बागान घूमें, थेय्यम और कलारीपयट्टू देखें, बैकवाटर पर क्रूज, और आयुर्वेदिक मसाज कराएं।केरल का मौसमकेरल का औसत तापमान जुलाई के महीने में 24 से 30 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। कैसे पहुंचें केरलअगर आप हवाई यात्रा करना चाहते हैं तो त्रिवेंद्रम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, कोचीन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, कालीकट अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा और कन्नूर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा के लिए उड़ान ले सकते हैं। यहां के बड़े रेलवे स्टेशन - तिरुवनंतपुरम सेंट्रल, एर्नाकुलम जंक्शन और एर्नाकुलम टाउन, कोझीकोड, त्रिशूर, कन्नूर, कोल्लम जंक्शन, अलुवा, पलक्कड़ जंक्शन, कोट्टायम, शोरानूर जंक्शन, थालास्सेरी हैं।
हाल ही में लखनऊ में भारत का सबसे बड़ा मॉल खुला है। इस मॉल का नाम है लुलु (LuLu Mall)। हो सकता है कि आपको ये नाम सुनने में कुछ अजीब लगे लेकिन लुलु संयुक्त अरब अमीरात का एक बड़ा ग्रुप है। हालांकि, इसके मालिक यूसुफ अली एमए भारतीय ही हैं। भारत में इस ग्रुप के चार और भी मॉल हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मॉल का उद्घाटन किया है, ये भी अपने आप में एक खास बात है। लुलु समूह 300 से अधिक ब्रांड्स का घर तो है, इस समूह के अपने लुलु हाइपरमार्केट, लुलु फैशन और लुलु कनेक्ट भी हैं। इस स्टोरी में हम आपको बताएंगे शॉपर्स और शॉपकीपर्स दोनों के लिए स्वर्ग माने जाने वाले लखनऊ के लुलु मॉल के बारे में…11 मंज़िल की पार्किंग2.2 मिलियन वर्ग फुट में फैला, लखनऊ का लुलु मॉल इतना बड़ा है कि इसमें 11 मंजिला पार्किंग है और 50,000 लोग इसमे एक साथ शॉपिंग कर सकते हैं। इस मॉल में 300 से अधिक ब्रांड हैं, जिनमें स्टोर और रिटेल आउटलेट हैं। यहां का फ़ूड कोर्ट इतना बड़ा है कि उसमें एक साथ 1600 लोगों का सिटिंग स्पेस है। फूड कोर्ट में 15 फाइन डाइनिंग रेस्तरां, 25 फूड ब्रांड आउटलेट, कैफे और बहुत कुछ है। मोबाइल चार्जिंग यूनिट्स भी यहां लगी हैं। यानी कभी अगर आपका फोन डिस्चार्ज हो भी गया तो भी आपको परेशान होने की ज़रूरत नहीं है। आप यहां आराम से मोबाइल चार्ज करिये और अपने इंस्टाग्राम के लिए रील्स बनाइये, फोटोज लीजिये।
विविधता से भरे अपने देश में हर महीने पर्वों की खुशबू तैरती रहती है। हमारे त्यौहार साल भर अपने रंगों से पूरे भारत को रोशन किए रहते हैं। जुलाई का महीना पर्वों के साथ ही साथ मॉनसून वाला भी होता है। इस महीने जहां चारों तरफ हरियाली फैलना शुरू हो जाती है, वहीं जुलाई में कई त्यौहार भी होते हैं जो इस मौसम को और खास बना देते हैं। मॉनसून में भला किसका घूमने का मन नहीं करेगा। जुलाई में मॉनसून काफी खुशनुमा एहसास दिलाता है और तभी घूमने में आनंद आता हैं। जी हां! अगर आप भी मॉनसून के इस खास महीने में अपनी फैमिली के साथ भारत में कहीं घूमने जाना चाहते हैं, तो फिर आपका इंतजार देश के खूबसूरत ठिकाने कर रहे हैं। भारत एक ऐसा देश है जहां पर हर धर्म और समुदाय के लोग अपनी संस्कृति का जश्न मनाते हैं। जुलाई महीने के विविध त्यौहार भी पर्यटकों के लिए भारतीय संस्कृति को देखने का सबसे अच्छा तरीका पेश करते हैं। जुलाई महीने में मॉनसून अपने पूरे रंग में रहता है, तो ऐसे में सुहाना मौसम इन फेस्टिवल्स की रौनक को दोगुना कर देता है।
दुकानों पर बिकते ताजे फल देखकर ही उन्हें लेने का मन कर जाता है। अब जरा सोचिए कि आप सीधे अपने पसंदीदा फलों के बगीचे में पहुंच जाएं तो यकीनन उस बाग की तरह आपका मन भी बाग-बाग हो जाएगा। तो चलिए हमारे साथ, हम आपको सैर कराते हैं देशभर के उन मशहूर शहरों की जिनकी पहचान वहां होने वाले फलों से ही होती है। फलों से तो शायद हर किसी को प्यार होता है। हो भी क्यों न? आखिर हमारे शरीर की आधे से ज़्यादा ज़रूरतें फल पूरी कर देते हैं। हेल्दी शुगर का भी बेस्ट ऑप्शन फल ही होते हैं। फाइबर और मिनरल्स से भरे फलों के बारे में साइंटिस्ट्स भी कहते हैं कि जो लोग स्नैक्स की जगह फ्रूट्स खाकर पेट भरते हैं, उनका मेटाबोलिज्म बाकी लोगों की तुलना में बेहतर होता है। ये तो बातें हुईं फलों के फायदे की। अब हम आपको बताते हैं कि हमारे देश के वो कौन से वे शहर हैं जो फलों के नाम से मशहूर हैं…नागपुर के संतरेमहाराष्ट्र का नागपुर शहर, संतरों के शहर के नाम से भी जाना जाता है। यह भारत का सबसे बड़ा संतरे का उत्पादक शहर है और विश्व में संतरे के कुल उत्पादन का लगभग 3 फीसदी हिस्सा नागपुर में ही पैदा होता है। 2014 में जियोग्राफिकल इंडिकेशन विभाग से इसे जीआई टैगिंग भी मिल चुकी है। नागपुर में जगह-जगह आपको कई हेक्टेयर क्षेत्र में फैले संतरे के बाग दिख जाएंगे। अगर आपको संतरे पसंद हैं तो नागपुर का रुख करिए।नागपुर में घूमने लायक जगहेंसंतरों के साथ-साथ ये शहर अपने खूबसूरत मंदिरों, झीलों, हरे भरे बगीचों के लिए जाना जाता है। अगर आप यहां आए हैं तो डॉ. अम्बेडकर की याद में और उनके बौद्ध धर्म अपनाने की घटना पर बनवाया गया दीक्षाभूमि स्तूप, समृद्ध पौराणिक इतिहास समेटे रामटेक किला, ड्रैगन पैलेस बौद्ध मंदिर (जिसे नागपुर के लोटस टेम्पल के रूप में भी जाना जाता है), लता मंगेशकर म्यूजिकल गार्डन, अक्षरधाम मंदिर, रमन विज्ञान केंद्र आदि भी घूम सकते हैं। हिमाचल प्रदेश के सेबयूं तो कश्मीर के भी सेब मशहूर हैं, लेकिन रस से भरे हिमाचली सेबों का कोई जोड़ नहीं। कहते हैं कि एक सेब जो रोज है खाता डॉक्टर को वह दूर भगाता, और अगर यह सेब हिमाचल का हो तब तो डॉक्टर भी दूर भागेगा और स्वाद भी जबरदस्त मिलेगा। हिमाचल में किन्नौर, शिमला, रोहड़ू, कोटगढ़ के साथ कई शहरों की ढलानों पर सेब के बागान हैं। सेब से लदे पेड़ों के पास फ़ोटो खिंचाइये या इन्हें डाल से खुद तोड़कर खाइए, मज़ा न आए तो पैसे वापस। अगर आप यहां जाना चाहते हैं, तो जून और सितंबर के बीच जा का समय बेस्ट है।हिमाचल प्रदेश में घूमने लायक जगहेंयूं तो हिमाचली सेब के बाग इतने सुंदर होते हैं कि यहां आकर आपका कहीं और जाने का मन ही नहीं करेगा। भई, पूरा हिमाचल ही घूमने लायक है। कुल्लू, मनाली, शोघी, शिमला, स्पीति, कसौल, कसौली कहीं भी चले जाइये।
सौ गम भुला देगी और खुशियां बढ़ा देगी एक चाय की चुस्की को ये कमाल आता हैहो यारों की टोली या मेहमानों का जमघटमहफ़िल में हर तरह से रौनक बढ़ा देगीएक चाय की चुस्की को ये कमाल आता हैहो समंदर का किनारा या पहाड़ों की चोटीसफर को ये पहले से खूबसूरत बना देगीएक चाय की चुस्की को ये कमाल आता हैजी हां, एक चाय की चुस्की में वाकई ये कमाल है कि वो हर किसी को अपना दीवाना बना लेती है। खासकर जब हम सफर कर रहे होते हैं तब तो चाय ही हमारा पक्का हमसफ़र बनती है। तो चलिए आज हम आपको ले चलते हैं चाय के साथ, चाय के सफर पर। अरे, मेरा मतलब है चाय के बागानों के सफर पर...आपका तो पता नहीं, लेकिन मेरा कोई जानने वाला अगर ये कह देता है कि उसे चाय पसंद नहीं तो मुझे वही पसंद आना बंद हो जाता है। सुबह आंख खुलने से लेकर रात में सोने तक जब भी कोई पूछे - चाय पिओगी? हमारा जवाब 'न' हो ही नहीं सकता। गली का नुक्कड़ हो या घर का कमरा, दूर तक फैली वादियां हों या घने जंगल का कोई कोना, बेड पर बिस्तर में घुसकर या खुले आसमान में सितारों के नीचे, जगह कोई भी हो, मौसम कोई भी हो, मूड कैसा भी, हो चाय उसे अच्छा बना देती है। तो ज़्यादा बातें किए बिना मैं आपको ले चलती हूं देश के सबसे अच्छे चाय बागानों की यात्रा पर। आखिर आपको भी तो पता होना चाहिए कि आपकी रग-रग को ताज़गी से भर देने वाली चाय आखिर आती कहां से है।दार्जीलिंग, पश्चिम बंगालशैम्पेन ऑफ टी के नाम से मशहूर है दार्जीलिंग शहर। दार्जिलिंग में चाय के 87 बागान हैं जिनमें हर साल लगभग 85 लाख किलो चाय पैदा होती है। यहां के हर बागान में अपने तरह की अनूठी, शानदार खुशबू वाली चाय तैयार की जाती है। दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची चोटी कंचनजंगा की ढलानों पर बसी हैं दार्जीलिंग की पहाड़ियां और इन पहाड़ियों पर हैं यहां के चाय बागान। वैसे तो यहां की हर चाय खास है, लेकिन दार्जीलिंग से 33 किलोमीटर दक्षिण की तरफ दुनिया की सबसे पुरानी चाय की फ़ैक्ट्रियों में से एक है जिसमें एक दुर्लभ किस्म की चाय की पत्ती और कली मिलती है। इसे सिल्वर टिप्स इम्पीरियल के नाम से जाना जाता है। इस चाय की कलियों को कुछ खास लोग ही तोड़ते हैं जिनका ताल्लुक मकाईबाड़ी चाय बागान से होता है। सिल्वर टिप्स इम्पीरियल चाय को पूर्णमासी की रात में ही तोड़ा जाता है। इस चाय की कीमत लगभग 37,000 रुपये किलो है। कोई बात नहीं अगर आप इतनी महंगी चाय नहीं पीना चाहते। यहां के किसी भी बागान में हरियाली के बीच बैठकर चाय पीजिए आपको मज़ा आ ही जाएगा। कैसे पहुंचें दार्जीलिंगदार्जीलिंग पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी एयरपोर्ट बागडोगरा है जो यहां से 67 किलोमीटर दूर है। सड़क के रास्ते ढाई घंटे में आप एयरपोर्ट से दार्जीलिंग पहुंच सकते हैं। नजदीकी रेलवे स्टेशन न्यू जलपाईगुड़ी है जो यहां से 70 किलोमीटर दूर है। आप चाहें तो गंगटोक, कलिम्पोंग, सिलीगुड़ी जैसे शहरों से सड़क मार्ग के जरिए भी दार्जीलिंग जा सकते हैं।जोरहाट, असमआसाम का जोरहाट सबसे बड़ा चाय उत्पादक क्षेत्र माना जाता है। यहां और इसके आसपास के इलाकों में चाय के लगभग 135 बागान हैं। यहां के सिन्नामोरा चाय बागान की खूबसूरती बेमिसाल है। बागान में चाय की छोटी - छोटी झाड़ियों से गुजरते हुए सैर की जा सकती है। अगर आप जानना चाहते है कि चाय कैसे बनाई जाती है, उसे कैसे उगाया जाता है तो सिन्नोमोरा चाय बागान सबसे अच्छी जगह है। यहां आप ये सब देख सकते हैं। इसके अलावा यहां का टोकलाई चाय अनुसंधान केंद्र, दुनिया का सबसे पुराना चाय संस्थान है जो जोरहाट की सुंदरता को बढ़ाता है। यहां हर वर्ष चाय महोत्सव मनाया जाता है। यानी चाय के दीवानों के लिए एकदम परफेक्ट दिन। यही वजह है कि हर साल इस दिन भारी तादाद में पर्यटकों की भीड़ यहां पहुंच जाती है। कैसे पहुंचें जोरहाट, असमजोरहाट, असम के अन्य भागों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है और देश के अन्य हिस्सों में भी यहां से होकर गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है। जोरहाट में निजी हवाई अड्डा और रेलवे स्टेशन भी है।मुन्नार, केरलघूमने के शौकीन और कुदरत के चाहने वाले केरल को 'God's own country' कहते हैं। यूं तो केरल में हर जगह खास और घूमने लायक है, लेकिन मुन्नार की बात ही कुछ और है। तकरीबन 1700 मीटर की ऊंचाई पर बसे इस हिल स्टेशन की घुमावदार गोल-गोल पहाड़ियों पर एक ही ऊंचाई के चाय के पौधों को देखकर ऐसा लगता है जैसे किसी ने पूरे इलाके में हरे रंग की मखमली कालीन बिछा दी हो। अंग्रेजों ने 1857 में मुन्नार में चाय बागान की नींव रखी थी। जॉन डेनियल मुनरो जब केरल पहुंचे तो उन्हें इस जगह से प्यार हो गया। बस तभी से केरल चाय बागानों का घर बन गया। यहां - एवीटी चाय, हैरिसन मलयालम, सेवनमल्ले टी एस्टेट, ब्रुक बॉन्ड जैसे कई चाय बागान हैं। खास बात यह है कि आप इन चाय बागानों में रुक भी सकते हैं। केरल का राज्य पर्यटन विभाग यात्रियों को ये सुविधाएं देता है। यहां टाटा टी ने एक म्यूजियम भी बना रखा है, जहां चाय उगाने से लेकर उसे प्रॉसेस करने की पूरी प्रक्रिया देख सकते हैं। यहां पुरानी तस्वीरों के साथ एक वीडियो के जरिए चाय के इतिहास की पूरी जानकारी मिलेगी।कैसे पहुंचें मुन्नार, केरलमुन्नार से सबसे नजदीकी एयरपोर्ट कोचीन है। जहां से पर्यटक आसानी से बस या टैक्सी द्वारा मुन्नार पहुंच सकते हैं। रेल मार्ग से पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन एर्नाकुलम है। बस मार्ग से भी आप केरल आसानी से पहुंच सकते हैं। ऊटी, तमिलनाडुदक्षिण भारत में पहाड़ों की रानी कही जाने वाली ऊटी हर तरह की खूबसूरती अपने आप में समेटे हैं। यहां पहाड़ों की ठंडक है, बगीचों की हरियाली और झीलों की ताज़गी भी, इसके साथ ही यहां कई एकड़ों में फैले चाय के बागान भी हैं जिनकी खुशबू लोगों पर अपना जादू चलाने में कोई कसर नहीं छोड़ती। नीलगिरी की पहाड़ियों पर ऊंचे-नीचे चाय के बागान देखकर आपका मन करेगा कि यहीं इन हरी पत्तियों के झुरमुट के बीच बैठकर एक प्याली चाय तो पी ही लेनी चाहिए। ऊटी में पैदा होने वाली चाय की भारत में तो खपत है ही, ये अमेरिका और ब्रिटेन में भी निर्यात की जाती है। ऊटी से 17 किलोमीटर की दूरी पर कुनूर टी एस्टेट यहां का सबसे मशहूर चाय का बागान है। यहां आपको कई तरह की चाय की खुशबू के साथ जंगली फूलों की सुंदरता भी देखने को मिलेगी। इसके अलावा लैम्ब्स रॉक टी एस्टेट भी देखने लायक है। यहां से कोयम्बटूर के प्लेन्स भी साफ दिखाई देते हैं। खास बात ये है कि लैम्ब्स रॉक में आप चाय के साथ कॉफ़ी प्लान्टेशन भी देख पाएंगे। ऊटी का स्विट्जरलैंड कही जाने वाली केटी वैली का एक ट्रिप भी आप चाय के बागानों को देखने के लिए कर सकते हैं। कैसे पहुंचें ऊटी, तमिलनाडुऊटी का नजदीकी एयरपोर्ट कोयम्बटूर एयरपोर्ट है जो ऊटी से 85 किलोमीटर दूर है। दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, अहमदाबाद समेत देश के प्रमुख शहरों से नियमित फ्लाइट्स कोयंम्बटूर आती हैं। ऊटी से 40 किलोमीटर दूर स्थित मेट्टूपलयम ऊटी का नजदीकी रेलवे स्टेशन है। चेन्नई, मैसूर, बेंगलुरु समेत कई नजदीकी शहरों से नियमित ट्रेनें मेट्टूपलयम आती हैं। यहां से आपको ऊटी के लिए ट्वॉय ट्रेन मिल जाएगी। ट्वॉय ट्रेन का सफर आपकी ट्रिप को यादगार बना देगा। ट्रेन की कई जगह बगानों से होकर गुजरती है। आप चाहें तो तमिलनाडु स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन की बस सर्विस के जरिए भी ऊटी पहुंच सकते हैं। इसके अलावा बेंगलुरु, चेन्नई और मैसूर जैसे पड़ोसी शहरों से भी सरकारी औऱ प्राइवेट बसें ऊटी के लिए चलती हैं।पालमपुर, हिमाचल प्रदेशउत्तर पश्चिमी भारत की चाय की राजधानी के रूप में जाना जाता है हिमाचल प्रदेश की कांगड़ा घाटी का पालमपुर। कई एकड़ क्षेत्र में फैले चाय के बागान ही यहां के लोगों की आजीविका का प्रमुख साधन हैं। यहां के इतिहास की मानें तो 1849 में उत्तर - पश्चिम सीमांत प्रांत में बॉटनिकल गार्डन के अधीक्षक डॉ. जेम्सन ने यहां चाय के बागानों की शुरुआत की थी। 1883 में चाय के कारण ही इसे पूरी दुनिया में पहचान मिली। बाजार में जो दरबारी, बागेश्वरी, बहार और मल्हार नाम से चाय बिकती है, वह यहीं की कांगड़ा किस्म की चाय होती है। ये सभी ब्रांड्स के नाम संगीत के रागों के नाम पर हैं। कांगड़ा की हवा, मिट्टी और बर्फ ढके पहाड़ों की ठंडक, ये सब मिलकर यहां की चाय को खास बनाते हैं और आपकी चाय के कप में जादू घोल देते हैं। पालमपुर आए हैं तो चाय के बागानों की सैर कभी भी मिस न करिएगा। आप यहां चाय बनाने का पूरा तरीका भी देख सकते हैं। चाय बागानों में एक झोपड़ी में गर्म कांगड़ा चाय के एक कप का स्वाद लेना भी आपके लिए बेहद खास साबित हो सकता है। और हां, इसकी एक तस्वीर लेना बिल्कुल मत भूलिएगा।कैसे पहुंचें पालमपुर, हिमाचल प्रदेशपालमपुर का निकटतम हवाई अड्डा गग्गल हवाई अड्डा है। जो यहां से 25 किमी की दूरी पर है। सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन पठानकोट है जो यहां से 90 किलोमीटर की दूरी पर है। पालमपुर हिमाचल प्रदेश के सभी प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। यहां के लिए सीधी बसें धर्मशाला, मनाली, कांगड़ा, चंडीगढ़ और शिमला से चलती हैं।टेमी टी एस्टेट, सिक्किमसिक्किम के टेमी चाय बागान की स्थापना यहां के राजा चोग्याल के शासनकाल में 1969 में हुई थी। कुछ समय बाद 1977 में बड़े पैमाने पर इसका उत्पादन शुरू हो गया। यहां चाय बागान के रोजमर्रा के कामकाज को ठीक ढंग से रखा व किया जा सके, इसलिए 1974 में चाय बोर्ड की बनाया गया। कुछ समय बाद टेमी टी एस्टेट सरकारी उद्योग विभाग की सहायक कम्पनी बन गई। खास बात यह है कि यहां 440 एकड़ से भी ज़्यादा क्षेत्र में जैविक खेती करके लगभग 100 टन चाय उगाई जाती है। यदि बड़े चाय बागानों से मुकाबला किया जाए, तो यह पैदावार बहुत ज्यादा नहीं है, लेकिन इसकी गुणवत्ता और सुगंध ने भारत और दुनिया भर के चाय प्रेमियों का दिल जीत लिया है। जर्मनी, ब्रिटेन, अमेरिका और जापान टेमी चाय के प्रमुख खरीदार हैं। टेमी चाय को भारतीय चाय बोर्ड की तरफ से साल 1994 और 1995 के लिए "अखिल भारतीय गुणवत्ता पुरस्कार" भी मिल चुका है। यहां से कंचनजंगा की ऊंची चोटियां भी साफ दिखती हैं। वैसे तो यहां नवम्बर के महीने में चेरी के फूल भी देखने लायक होते हैं, लेकिन सालभर यहां का मौसम अच्छा ही रहता है। कैसे पहुंचें सिक्किमयहां का निकटतम हवाईअड्डा बागडोगरा है जो यहां से 118 किलोमीटर की दूरी पर है। देश के लगभग सभी बड़े हवाईअड्डों से यहां के लिए फ्लाइट मिल जाती हैं। सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन न्यू जलपाईगुड़ी है, जिसकी दूरी 114 किलोमीटर है। आगे की दूरी आप टैक्सी से तय कर सकते हैं।
आशुतोष श्रीवास्तवये हसीं वादियां, ये खुला आसमां...। एआर रहमान की म्यूजिक पर बाला सुब्रमण्यम और एस चित्रा ने रोज़ा फिल्म के इस गाने को आवाज दी थी। अरविंद स्वामी और मधु पर फिल्माया गया मणिरत्नम की मूवी का गाना कश्मीर पर लगे आतंकवाद के ग्रहण की याद दिलाता है। आतंकवाद के चरम पर बनी यह मूवी हसीन वादियों में खौफ के पलों को अब भी ताजा कर देती है। तीन दशक तक आतंकवाद की आग में झुलसे कश्मीर में अब बहुत कुछ बदल चुका है। अब वहां न तो पत्थरबाजी की घटनाएं होती हैं और न ही पहले की तरह आतंकी घटनाएं। वादियों में टूरिज्म इंडस्ट्री पटरी पर लौट रही है और आपको बुला रही है।तो फिर देर किस बात की है? आप कोरोना के थमने का वेट मत कीजिए। जब भी मौका लगे धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर की एक ट्रिप लगा लीजिए। नोट बुक में लिख लीजिए। जो मजा आपको कश्मीर की वादियों में मिलेगा, वैसा आपको आज तक नहीं आया होगा। बर्फ, झील, घाटियों में शोर करके बहती नदियां व झरने। सब कुछ तो है यहां। अरे ये क्या, आप तो बैग पैक करने में ही जुट गए। कश्मीर ट्रिप के लिए बैग तो पैक करिए, लेकिन टिकट तो बुक करवा लीजिए। आप कश्मीर तक फ्लाइट और सड़क से पहुंच सकते हैं। हम आपको वहां की खूबसूरत जगहें और पहुंचने के बारे में बातें पूरी डिटेल में बताएंगे।
भारत के किसी किस्से से कम पुरानी नहीं है ज़ायके की कहानी और इन व्यंजनों की खुशबू उतनी ही ताजी है जितनी बगीचे में लगे पुदीने में आती है। सदियों पुराने ज़ायके और खाने की ताज़ी-ताज़ी खुशबू को आप तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं भारत में कई दशकों से चले आ रहे कैफे और रेस्त्रां। पुराने दौर के ज़ायके को आप तक पहुंचाने वाले कुछ रेस्त्रां तो नए पुरानी यादों को खुद में समेटे नए अंदाज़ में ढल गए हैं, यानी यहां आपको विंटेज वाली फीलिंग तो आएगी ही, नए ज़माने वाली लग्जरी भी मिलेगी, वहीं इनमें से कुछ खाने के ठिकाने ऐसे हैं जो आज भी लोगों को सिर्फ अपने स्वाद और नाम से ही अपनी ओर खींचने में कारगर हैं। यहां आपको न तो लग्जरी फीलिंग मिलेगी और न ही कोई विंटेज थीम, हां स्वाद ऐसा होगा कि आप सड़क पर लाइन लगाकर भी इनके यहां खाना लेने को तैयार रहेंगे। तो चलिए हमारे साथ भारत के पुराने ज़ायके के सफर पर…
कोरोना के कहर ने हम सबकी जिंदगी काफी बदल दी है। अब पहले जैसा कुछ नहीं रहा। घूमना-फिरना भी पहले से काफी बदल गया है। साल की शुरुआत में हुए एक सर्वे में ये बात सामने आई थी अब लोग ग्रुप में घूमने के बजाय अकेले घूमना ज्यादा पसंद हैं। सोलो ट्रैवलर्स तो पहले भी हमारे यहां काफी थे लेकिन अब ये संख्या पहले से भी ज्यादा बढ़ गई है। वैसे, इसमें रोमांच हैं, बेफ्रिकी है, बिना रोक टोक के खुद को एक्सप्लोर करने का सबसे बेस्ट तरीका है सोलो ट्रैवलिंग। अगर आप भी कोविड के बाद कहीं अकेले घूमने का प्लान बना रहे हैं तो हम बता रहे हैं आपको भारत के उन बेस्ट डेस्टिनेशन्स के बारे में जहां आप आराम से अकेले घूम सकते हैं…
जब भी घूमने की बात आती है तो लोग ऐसी जगहों पर जाना चाहते हैं जो मशहूर हैं। ये जगहें यकीनन खूबसूरत होती हैं लेकिन हर वक्त पर्यटकों से भरी रहती हैं। अगर आप लॉकडाउन के बाद कहीं घूमने का प्लान बना रहे हैं, कोविड की टेंशन ले-लेकर परेशान हो गए हैं तो हम आपको बता रहे हैं दक्षिण भारत के कुछ ऐसे गांवों के बारे में जहां आपको ढेर सारा सुकून मिलेगा।
जूलरी का नाम सुनते ही लोगों को लगता है कि अरे, इसका तो लेना-देना सिर्फ लड़कियों से है। अव्वल तो ये कि आजकल लड़के भी फैशन जूलरी के दीवाने हो गए हैं और दूसरा ये कि अगर लड़कियों का जूलरी से लेना है तो ये भी मान लीजिए कि देना तो लड़काें का भी काम है। इसलिए जो भी घूमने के शौकीन हैं, ये स्टोरी उन सबके लिए है। हम जब भी कहीं घूमने जाते हैं तो वहां की कुछ मशहूर चीजों की शॉपिंग किए बिना नहीं रह पाते। तो हम आपको बता रहे हैं ऐसी ही जगहों के बारे में जो घूमने के लिए तो बेहतरीन हैं ही यहां की जूलरी भी कमाल की होती है।
फलों के राजा आम की आमद शुरू हो गई है। जून की दोपहर में चलने वाली लू के थपेड़े इसकी मिठास बढ़ा चुके हैं। अपने लाजवाब स्वाद के चलते दुनियाभर का पसंदीदा फल आम लोगों का लालच अपनी ओर बढ़ा रहा है। इस खास फल की पैदावार देश के कई अलग-अलग राज्यों में की जाती है, और यहां के कई राज्य ऐसे हैं जहां के आम पूरे देश में मशहूर हैं। ऐसे में यहां पैदा होने वाले आम की कुछ चुनिंदा लजीज किस्मों के बारे में जानना तो बनता ही है। आम के उत्पादन के मामले में भारत का दुनिया के किसी देश से कोई मुकाबला नहीं है। पूरे विश्व में पाई जाने वाली आम की 1400 किस्म में से भारत में ही 1000 किस्म के आम पाए जाते हैं। अब देश में आम की बात करें तो इसकी सबसे ज्यादा पैदावार यहां के उत्तर प्रदेश में होती है, लेकिन गुजरात, महाराष्ट्र जैसे राज्य भी अपने-अपने आमों के लिए मशहूर हैं।
फिलहाल हम सब घरों में बंद हैं और उस दिन के इंतजार में हैं जब ये कोरोना महामारी खत्म होगी और हम फिर से खुली हवा में सांस ले पाएंगे, अपनी पसंदीदा जगहों की सैर कर पाएंगे, कभी पहाड़ों पर चढ़कर तारे देखेंगे तो कभी समंदर से बातें कर पाएंगे, यूं ही किसी मोड़ पर रुककर गोलगप्पे खाएंगे। लेकिन कोई बात नहीं, हताश होने से भी क्या हासिल होगा। अभी अगर हम घूमने नहीं जा सकते तो क्या हुआ, घर बैठे शानदार जगहों की एक बकेट लिस्ट तो बना ही सकते हैं। आपका तो पता नहीं लेकिन हमने ये बकेटलिस्ट बना ली। लॉकडाउन के बाद इन जगहों की एक-एक ट्रिप तो हम करेंगे ही। चलिए आपको भी बता देते हैं कि हमने इस लिस्ट में किन-किन जगहों को शामिल किया है।
कड़कड़ाती सर्दी में अपनी कार या बाइक से लाहौल-स्पीति तक जाने का सपना न जाने कितनों ने देखा होगा, लेकिन कैसे जा पाते, वहां तक जाने का तो कोई सही रास्ता ही नहीं था। सर्दियों में तो 6 महीने ये घाटी भारी बर्फबारी की वजह से देश बाकी हिस्सों से कट जाती थी और जब जाने का रास्ता होता भी था उसमें भी लोगों को 15-20 घंटोें तक जाम में फंसे रहना पड़ता था, पर अब ऐसा नहीं है, क्योंकि यहां अब घ्टनल बन गई है।कई आधुनिक सुविधाओं से लैस अटल टनल रोहतांग उन पर्यटकों के लिए वरदान की तरह है जो लाहौल की वादियों में घूमना चाहते थे। हिमाचल के कुल्लू जिले में मनाली से लेकर लाहौल-स्पीति के लाहौल तक जाती ये टनल 9.02 किमी लंबी है। 10 साल में बनकर तैयार हुई अटल टनल के रास्ते रोहतांग में बर्फ का दीदार करने वाले सैलानियों के वाहन अब जाएंगे और रोहतांग दर्रा होकर मनाली लौटेंगे। इससे उनका घूमने का मजा भी दोगुना हो गया है। रोहतांग दर्रे से गुजरने वाला मार्ग डबललेन है, मगर वनवे रहने से सैलानियों को फायदा होगा।
घूमने वालों के लिए दुनियाभर में ढेरों जगह मौजूद हैं। मगर, इनमें कुछ खास ऐसी जगह भी हैं जिन्हें शब्दों में परिभाषित नहीं किया जा सकता है। उस क्षेत्र की खूबसूरती देखकर हर किसी का मनमोह जाता है। कुछ जगह ऐसी होती हैं जो कि अपनी तस्वीरों के जरिए ही लोगों को आकर्षित कर लेती हैं। इन्हीं जगहों में शामिल हैं लेह और लद्दाख। लेह में ही स्थित है वीर योद्धाओं के शौर्य का बखान करने वाली कारगिल चोटी। 1999 में भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध के बाद चर्चा में आई यह चोटी इस समय पर्यटन का मुख्य आकर्षण बन चुकी है। लेह-लद्दाख आने वाला हर शख्स कारगिल जरूर आना चाहता है। आइए हम आपको बताते हैं कि ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों और नीले रंग की दिखने वाली झीलों के आसपास कौन-कौन से खूबसूरत ठिकाने छिपे हुए हैं।
मुश्किलें अभी खत्म नहीं हुई हैं। कोरोना महामारी का खतरा कम नहीं है। हर दिन नए मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है, लेकिन जिंदगी अब पुराने ढर्रे पर लौटने लगी है। लोग सुरक्षा मानकों के साथ घर से निकलने लगे हैं। हम भी धीरे-धीरे इसके साथ जीना सीख रहे हैं। इसी के साथ कुछ राज्य ऐसे हैं जिन्होंने पर्यटकों के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं। आप भी जानिए उन राज्यों के बारे में और अगर पूरी सुरक्षा के साथ घूमने जा सकते हैं तो जरूर जाइए।
एक तरह से महाराष्ट्र गुफाओं का केन्द्र कहा जा सकता हैं। यहां छोटी-बड़ी मिलाकर तमाम गुफाएं हैं। जिनमें अजंता-एलोरा की गुफाएं तो पूरे विश्व में अपनी शानदार वास्तुकला के चलते प्रसिद्ध हैं। महाराष्ट्र में जोगेश्वरी गुफा मुंबई शहर के गोरेगांव स्टेशन से करीब 30 किलोमीटर दक्षिण में अंबोली गांव में मौजूद है। ये एक तरह का गुफा मंदिर भी है। इसमें प्रवेश करते ही आपको मूर्तियां देखने को मिल जाएंगी। इसमें तमाम मूर्तियां जोगेश्वरी माता, हनुमान और गणेश भगवान की हैं।धार्मिक महत्व के चलते भक्त इस गुफा में अपनी ओर से भी मूर्तियां स्थापित कर देते हैं। गुफा के अंदर आने वाले दर्शक इसकी भव्यता देखकर आश्चर्यचकित हो जाते हैं। गुफा के अंदर बने विशाल स्तम्भ भी हैं, जिनके ऊपर गुफा टिकी हुई है। बताया जाता है कि यह गुफा करीब 1500 साल पुरानी है। समय का प्रभाव इस गुफा पर अधिक पड़ा है, जिसकी वजह से अधिकांश मूर्तियां अपने प्राचीन स्वरूप में नहीं बची हैं।
यहां हरियाली है, खूबसूरत वादियां हैं, मन को मोहने वाला सनराइज और सनसेट है। अगर एक बार आप यहां आएंगे तो यकीन मानिए कई खूबसूरत नजारे और यादों को लेकर ही वापस जाएंगें। ये जगह अपने अंदर कुदरती खूबसूरती के साथ-साथ रोचक इतिहास को भी समेटे हुए है। यहां कई तरह की जनजातियां हैं जिनका रहन-सहन, खान-पान हमसे काफी अलग है, तो बहुत कुछ नया है देखने को, समझने को और महसूस करने को।
ताजमहल का दीदार करने पूरी दुनिया से लोग यूपी में आते हैं। इसकी बेमिसाल खूबसूरती का ही असर है कि जो एक बार इसको नज़र भर देख लेता है उसकी निगाहें इस पर टिक सी जाती हैं। सफेद चमकते पत्थरों पर की गई अदृभुत नक्काशी इसे दुनिया की बेजोड़ इमारतों में से एक बनाती है लेकिन अगर आप आगरा घूमने जा रहे हैं तो सिर्फ ताजमहल का दीदार करके ही अपना ट्रिप खत्म न करिएगा। इसके आस—पास ऐसे बहुत से टूरिस्ट डेस्टिनेशन हैं जो आपको पसंद आ सकते हैं।
भारत की विरासतें दुनिया भर में अपनी अद्भुत बनावट और महत्व के कारण फेमस हैं। देश के अलग-अलग राज्यों में कोई न कोई ऐसी ऐतिहासिक धरोहर है, जो न केवल पर्यटकों के सामने बरसों पुराने इतिहास को दोबारा दोहराती हैं बल्कि अपनी खूबसूरत कलाकृतियों से उनको अपना कायल भी कर लेती हैं। यूपी भी उन राज्यों में शामिल है, जहां अनेक संस्कृतियां और परंपराएं पली-बढ़ी हैं। इस राज्य ने कई धरोहरों को बड़े सलीके से संभाल कर रखा है। फिर वो हर धर्म से परे, बेशुमार मोहब्बत की निशानी ताजमहल हो या फिर नवाबों के शहर लखनऊ में वास्तुकला का सबसे नायाब उदाहरण इमामबाड़ा। ये सब मिलकर ही यूपी को खास बनाते हैं और पर्यटकों की पसंद भी।
कश्मीर की खूबसूरती का बखान कई शायरों और लेखकों ने किया है और ये बात आपको बिल्कुल सच लगेगी जब आप यहां आएंगें। इसके जर्रे जर्रे में खूबसूरती समाई है, कश्मीर की खूबसूरत वादियों में आने के बाद आप को ये महसूस होगा कि यहां की हवाओं और पानी में भी गजब की खूबसूरती है। दूर-दूर तक फैली सफेद बर्फीली पहाड़ियां, खामोशी से खड़े देवदार और चीड़ के पेड़, वादियों में महकती केसर की खुशबू, थोड़ी-थोड़ी दूर पर किसी जेवर सी झिलमिलाती झीलें और झीलों के पानी पर तैरते हाउसबोट और शिकारों में बैठकर चांदनी रात में आसमान को निहराना, ये सब सुनकर ही कितना खूबसूरत लगता है। अब सोचिए सामने से ये कितना हसीन मंजर होगा। कश्मीर के रंग हर मौसम में अलग-अलग तरीके से दिल को सुकून देते हैं लेकिन जब भी यहां बर्फ पड़ती है तो इस जगह की खूबसूरती और भी बढ़ जाती है, बर्फ की चादर पूरी तरह से जब इन वादियों को ढक लेती है तो वाकई ये जगह स्वर्ग ही लगती है।
झारखण्ड का नाम आते ही दिमाग में कोयला खदानें और इस्पात कारखाना घूमने लगता है, लेकिन इन सबके अलावा भी यहां बहुत कुछ है देखने और घूमने को। जंगलों से घिरे हुए इस राज्य के पास अपार प्राकृतिक सौंदर्य है। यहां कई ऐसी खूबसूरत जगहें हैं, जहां पहुंचकर आपको मानसिक शांति मिलेगी। कहीं पहाड़ों से कल-कल की आवाज करके बहते हुए झरने हैं तो कहीं दूर तक खामोश बहती झीलों के पास जब शाम ढलती है तो नजारा बेहद खूबसूरत होता है। दूर-दूर तक फैली हरी-भरी पहाड़ियों के नजारे देखकर आप अपनी सारी टेंशन भूल जाएंगे। प्राकृतिक नजारों के साथ-साथ पुरानी गुफाएं, ऊंची पहाड़ियां और हवा के संग-संग बहती नदियां आपको अपनी तरफ बरबस ही खींच लेंगी। ये सब देखकर ऐसा लगता है कि झारखण्ड को कुदरत ने प्राकृतिक सौंदर्य तोहफे में दिया हो। तभी तो यह एक ही नजर में सभी को लुभा लेता है। वाइल्डलाइफ के शौकीनों के लिए भी यहां कई ऑप्शन्स मौजूद हैं जो आपको एक्सपीरिएंस के साथ फोटोग्राफी का भी बेहतरीन मौका देते हैं। इसके अलावा झारखण्ड की आदिवासी लोक-संस्कृति भी आपका मन मोह लेगी तो इस बार जब भी घूमने का प्लान बना रहे हों झारखण्ड को जरूर याद कीजिएगा।
अतुल्य भारत को आप जितना जानेंगे और देखेंगे उतना ही कुछ नया और अलग पाएंगे। अतुल्य भारत का कोना-कोना इसकी अद्भुत विरासतों की कहानियां बयां करता है। किसी भी दिशा में चले जाएं, कुछ न कुछ नया और अनदेखा जरूर मिल जाएगा। ऐसा ही एक नायाब ठिकाना है सापूतारा। सह्याद्रि पर्वतमाला पर बसे गुजरात के इकलौते खूबसूरत हिल स्टेशन। यहां पर दूर तक फैली पर्वतमाला की हरियाली, कल-कल बहते झरने और सड़कों के किनारे का मनोहारी दृश्य मोह लेंगे। किसी ने सच ही कहा है मंजिल से ज्यादा सफर सुहाना होता है। यह बात सापूतारा के रास्ते को देखकर आप खुद महसूस कर सकते हैं। अगर आप नेचर के बीच जाकर उसकी खूबसूरती का लुत्फ उठाना चाहते हैं तो सापूतारा आपका स्वागत है।
वैसे तो कर्नाटक में घूमने की कई जगह हैं पर हम ज्यादातर मैसूर या बैंगलोर की ही बात करते हैं। कर्नाटक की हसीन वादियों में हर जगह खूबसूरती बिखरी हुई है। साफ सुथरे शहर मुझे हमेशा से ही अपनी ओर खींचते रहे हैं। जब भी कभी मौका मिलता है मैं घूमने निकल पड़ता हूं और इसीलिए इस बार मैंने हम्पी का टूर प्लॉन किया। धरोहरों का ये शहर अपने पौराणिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए भी जाना जाता है। यहां वास्तुकला के नायाब नमूने देखने को मिलते हैं। मंदिरों की वास्तुशैली में आपको पुराना इतिहास सहेजा हुआ दिखेगा।
हमारे दिमाग में जब भी घूमने की बात आती है तो ठंडक में हम सभी का दिमाग ठहर जाता है गोवा, राजस्थान और दक्षिण भारत पर, लेकिन इस बार ग्रासहॉपर आपको एक ऐसी बहुत ही खूबसूरत जगह की सैर कराने जा रहा है, जहां पर जाकर आप अपने मन को शांति दे सकते हैं। भीड़-भाड़ से कोसों दूर इस जगह के बारे में आपने भी सुना होगा और आप वहां की खूबसूरती से वाकिफ भी होंगे। जी हां, हम बात कर रहे हैं दादरा नगर हवेली की। महाराष्ट्र और गुजरात के कुछ हिस्से को काटकर बनाया गया यह छोटा सा केंद्रशासित प्रदेश बहुत ही खूबसूरत है। चारों तरफ फैली आंखों को सुकून देने वाली हरियाली, कलकल करती नदियां, खूबसूरत पहाड़ों की श्रृंखला और शेरों की दहाड़ का अद्भूत संग अगर आपको देखना है, तो दादरा नगर हवेली आइए। चारों तरफ जंगलों से घिरे पश्चिमी घाट के इस खूबसूरत डेस्टिनेशन में आपको देखने के लिए बहुत कुछ मिलेगा। इस खूबसूरत डेस्टिनेशन पर भीड़-भाड़ न होने के कारण हर किसी को सुकून और शांति मिलती है।
घुमक्कड़ों का मन तो हर मौसम में ही घूमने को तैयार रहता है फिर गर्मी हो या सर्दी। पहले भले ही लोग सर्दियों में पहाड़ों पर घूमने जाने से कतराते थे पर अब वे लोग बेसब्री से सर्दियों का इतजार करते हैं ताकि बर्फीली वादियों की सैर कर सकें और वैसे भी सर्दियों में घूमने का मजा बढ़ जाता है जब आप किसी हिल स्टेशन जाइए और वहां हर तरफ बर्फ की चादर बिछी हो, पहाड़ सफेद बर्फ से ढके हों, पत्तियों पर जगह-जगह बर्फ अटकी हो, घरों पर परतें बिछी हों तो खूबसूरती में चार चांद लग जाते हैं। आपका भी स्नो फॉल देखने का मन है और कंफ्यूज हैं कि जाएं तो जाएं कहां? तो हम कर देते हैं आपकी मदद, जहां आपको नेचुरल ब्यूटी के साथ-साथ बर्फ से खेलने का भी मौका मिले जैसे स्कीइंग, हाइकिंग, माउंटनीयरिंग, पैराग्लाइडिंग जैसे विंटर स्पोटर्स करने को मिले तो खुशी और भी बढ़ जाती है। ग्रासहॉपर के इस अंक में हम लाए हैं आपके लिए कुछ खास विंटर डेस्टिनेशंस जहां जाकर आप स्नो फॉल का मजा उठा सकें, बेफ्रिक होकर बर्फ में खेल सकें और भूल जाएं कुछ पल के लिए सारी टेंशन। तो फिर देर किस बात की? फटाफट पैक कर लीजिए गर्म कपड़े और निकल पड़िए हमारे साथ स्नो फॉल की खूबसूरती को महसूस करने।