रहस्यमयी है ये बुलेट बाबा मंदिर, अनोखी है कहानी
अनोखी कहानी
स्थानीय लोगों के मुताबिक बांगड़ी गांव से ओम सिंह राठौर 2 दिसंबर 1991 को अपनी बुलेट मोटरसाइकिल से पाली के पास चोतिला गांव जा रहे थे। अचानक उनकी बाइक फिसलकर पेड़ से टकरा गई। इस दुर्घटना में ओम सिंह राठौर की मौत हो गई। हादसे के बाद मोटरसाइकिल को स्थानीय पुलिस जब्त कर थाने ले गई। लेकिन अगली सुबह मोटरसाइकिल दुर्घटनास्थल पर मिली। शुरू में, पुलिस ने सोचा कि यह असामाजिक तत्वों का काम है। वे बाइक को फिर से पुलिस स्टेशन ले गए और इस बार, ओम बन्ना की रॉयल एनफील्ड बुलेट 350, जिसका रजिस्ट्रेशन नंबर RNJ-7773 था, उसको जंजीरों से बांध दिया और फ्यूल टैंक भी खाली कर दिया।
इन कोशिशों के बावजूद, मोटरसाइकिल दुर्घटनास्थल पर अगले दिन भी दिखाई दी। पुलिसकर्मियों द्वारा बाइक को अपने थाने में रखने का हर प्रयास हर बार की तरह विफल रहा, बाइक सुबह होने से पहले ही दुर्घटनास्थल पर लौट आई। इसके तुरंत बाद, यह खबर जंगल की आग की तरह आस-पास के गांवों में फैल गई और तब से, ग्रामीणों ने 'बुलेट बाइक' की पूजा करनी शुरू कर दी और मंदिर का नाम बुलेट बाबा या ओम बन्ना धाम रखा गया।
गांव वालों की मान्यता
ऐसा माना जाता है कि आज भी ओम बन्ना की आत्मा NH-62 जोधपुर-पाली हाईवे पर जहां दुर्घटना हुई थी। अपनी मोटरसाइकिल पर सवार होती है और परेशान यात्रियों की मदद करती है। इसके अलावा, एक धारणा यह भी है कि ओम बन्ना की आत्मा यात्रियों को सुरक्षित रखती है क्योंकि ग्रामीणों का मानना है कि पिछले कुछ वर्षों में, खासकर ओम सिंह राठौर के निधन के बाद, चोतिला गांव के आसपास सड़क दुर्घटनाओं में काफी कमी आई है। कहा जाता है कि मंदिर में ओम बन्ना की बाइक ओम बन्ना धाम की यात्रा करने वाले लोगों की इच्छाओं और प्रार्थनाओं को पूरा करती है और माना जाता है कि उनके पास दिव्य महाशक्तियां हैं। रोज़ ग्रामीण और यात्री ओम सिंह राठौर से प्रार्थना करते हैं और प्रसाद चढ़ाते हैं। कुछ ड्राइवर इस जगह पर शराब की एक छोटी बोतल भी चढ़ाते हैं। भक्त अपने माथे पर 'तिलक' लगाते हैं और मोटरसाइकिल पर लाल धागा बांधते हैं फिर वे अपनी यात्रा शुरू करते हैं।
क्यों देखें?
अगर आप गांव वालों की मान्यताओं पर विश्वास नहीं करते और इस तरह की बातों को नहीं मानते तब भी एक अलग एक्सपीरियंस के लिए एक बार इस मंदिर को देखना बनता है।
कब जाएं?
राजस्थान घूमने का सबसे अच्छा मौसम नवंबर से फरवरी के बीच होता है। अगर आप जोधपुर घूमने जा रहे हैं तो इस मंदिर को भी देखना बनता है।
कहां ठहरें?
अगर आप इस मंदिर को देखने आते हैं तो आपको यहां रुकने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। बेहतर रहेगा कि आप जोधपुर या पाली में रुकें। वहां आपको रुकने के लिए सभी तरह के होटल्स मिल जाएंगे।
कैसे पहुंचें?
यहां से नजदीकी हवाई अड्डा केवल 51 किमी दूर जोधपुर में है। निकटतम रेलवे स्टेशन पाली है, जो 20 किमी दूर है और मुंबई, चेन्नई, जयपुर, आगरा, अहमदाबाद जैसे प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। सड़क के रास्ते यह मंदिर पाली और जोधपुर के बीच पाली शहर से 22 किमी दूर एनएच 65 पर है। आप RSRTC की बस या निजी टैक्सी से यहां आसानी से पहुंच सकते हैं।
आपके पसंद की अन्य पोस्ट
उत्तराखंड की ये झीलें मोह लेंगी आपका मन
ये झीलें खूबसूरत हैं और आपकी छुट्टियां बिताने के लिए परफेक्ट हैं।
नुब्रा घाटी में हैं घूमने के ये सुंदर ठिकाने
अब गर्मियां शुरू होने वाली हैं तो आपको यहां का एक ट्रिप प्लान करना चाहिए।