Posts By - Anusha Mishra

जंगल जंगल बात चली है

पर्यटन का जुनून इसे कहते हैं। कहां आलोक  सर लखनऊ में अपने घर पर बैठे थे। सुकून से, टीवी के आगे। हाथ में चाय की प्याली लिए हुए और कहां हमें लखीमपुर में रुकने को कहकर दो घंटे में खुद पहुंचने को बोला। उन्होंने अपना पहले से पैक रखा बैग उठाया। बस पकड़ी और लखीमपुर पहुंच गए। उन्हें घुमक्कड़ी का शौक है, इसलिए एक बैग हमेशा तैयार रखते हैं, जिसमें दो जोड़ी कपड़े, निक्कर-बनियानऔर पतला वाला तौलिया रहता है। इसे 'इमरजेंसी  ट्रेवेल किट' भी कह सकते हैं। जो फर्स्ट एड की तरह तैयार रखना पड़ता है।

पीलीभीत टाइगर रिजर्व में है खूबसूरती का खजाना

हम लखीमपुर से गोला होते हुए पीलीभीत पहुंचे। रास्ते पहले जितने ऊबड़-खाबड़ नहीं थे। एक जमाना था, इस रूट पर सफर से पहले एक्स्ट्रा टाइम, पानी की बोतल, हाथ धुलने का साबुन और गमछा अलग से लेकर चलना पड़ता था। पता नहीं किस हिचकोले पर पौ फट जाए। कई बार स्तिथि संभालनी मुश्किल हो जाती है। ओवरऑल देखिए तो लखनऊ से लखीमपुर का रूट सपाट और चिकना था। इसके आगे की सड़कें मिक्स वेज टाइप की हैं।

यात्राएं हमेशा मुझे खुद से मिलाती हैं

हर किसी की जिंदगी में यात्राओं के मायने अलग होते हैं। कोई नई जगहों को देखना चाहता है तो कोई कुछ नया सीखना चाहता है, लेकिन मेरी लिए यात्राएं हमेशा मुझे खुद से मिलाती हैं। दुनिया भर के तनाव, उलझन, काम और जिम्मेदारियों से जब ऊबने लगती हूं तो खुद को तलाशने निकल पड़ती हूं एक यात्रा पर और यकीन मानिए मैं हर बार कामयाब होती हूं। कुछ महीनों की पॉजिटिव एनर्जी का कोटा लेकर वापस आती हूं और जैसे ही ये खत्म होने लगती हैं, दूसरे सफर की तैयारी शुरू कर देती हूं। इस बार मन था पहाड़ों से हटकर कहीं और सुकून तलाशने का, बारिश में जमकर भीगने का, हरे-भरे जंगलों में बेखौफ होकर टहलने का और संमदर किनारे घंटों बैठकर अपनी मनपसंद लेखिका की कहानियों में खोने का।

इस सर्दी करें बर्फ पर सैर

घुमक्कड़ों का मन तो हर मौसम में ही घूमने को तैयार रहता है फिर गर्मी हो या सर्दी। पहले भले ही लोग सर्दियों में पहाड़ों पर घूमने जाने से कतराते थे पर अब वे लोग बेसब्री से सर्दियों का इतजार करते हैं ताकि बर्फीली वादियों की सैर कर सकें और वैसे भी सर्दियों में घूमने का मजा बढ़ जाता है जब आप किसी हिल स्टेशन जाइए और वहां हर तरफ बर्फ की चादर बिछी हो, पहाड़ सफेद बर्फ से ढके हों, पत्तियों पर जगह-जगह बर्फ अटकी हो, घरों पर परतें बिछी हों तो खूबसूरती में चार चांद लग जाते हैं। आपका भी स्नो फॉल देखने का मन है और कंफ्यूज हैं कि जाएं तो जाएं कहां? तो हम कर देते हैं आपकी मदद, जहां आपको नेचुरल ब्यूटी के साथ-साथ बर्फ से खेलने का भी मौका मिले जैसे स्कीइंग, हाइकिंग, माउंटनीयरिंग, पैराग्लाइडिंग जैसे विंटर स्पोटर्स करने को मिले तो खुशी और भी बढ़ जाती है। ग्रासहॉपर के इस अंक में हम लाए हैं आपके लिए कुछ खास विंटर डेस्टिनेशंस जहां जाकर आप स्नो फॉल का मजा उठा सकें, बेफ्रिक होकर बर्फ में खेल सकें और भूल जाएं कुछ पल के लिए सारी टेंशन। तो फिर देर किस बात की? फटाफट पैक कर लीजिए गर्म कपड़े और निकल पड़िए हमारे साथ स्नो फॉल की खूबसूरती को महसूस करने। 

दादरा नगर हवेली : पश्चिमी घाट का खूबसूरत ठिकाना

हमारे दिमाग में जब भी घूमने की बात आती है तो ठंडक में हम सभी का दिमाग ठहर जाता है गोवा, राजस्थान और दक्षिण भारत पर, लेकिन इस बार ग्रासहॉपर आपको एक ऐसी बहुत ही खूबसूरत जगह की सैर कराने जा रहा है, जहां पर जाकर आप अपने मन को शांति दे सकते हैं। भीड़-भाड़ से कोसों दूर इस जगह के बारे में आपने भी सुना होगा और आप वहां की खूबसूरती से वाकिफ भी होंगे। जी हां, हम बात कर रहे हैं दादरा नगर हवेली की। महाराष्ट्र और गुजरात के कुछ हिस्से को काटकर बनाया गया यह छोटा सा केंद्रशासित प्रदेश बहुत ही खूबसूरत है। चारों तरफ फैली आंखों को सुकून देने वाली हरियाली, कलकल करती नदियां, खूबसूरत पहाड़ों की श्रृंखला और शेरों की दहाड़ का अद्भूत संग अगर आपको देखना है, तो दादरा नगर हवेली आइए। चारों तरफ जंगलों से घिरे पश्चिमी घाट के इस खूबसूरत डेस्टिनेशन में आपको देखने के लिए बहुत कुछ मिलेगा। इस खूबसूरत डेस्टिनेशन पर भीड़-भाड़ न होने के कारण हर किसी को सुकून और शांति मिलती है। 

अतीत का हाथ थामे वर्तमान संग दौड़ लगाता अपोस्टल आइलैंड

झील किनारे गीली रेत पर दौड़ने का अहसास कैसा होता है? हवाओं की चट्टनों पर की गई कारीगरी कैसी दिखती है? अतीत को समेटे हुए वर्तमान के साथ चलने का हुनर कैसे आता है? या फिर हवाओं के साथ बह जाने की खुशी मन की किन गहराइयों को छूती है? ऐसे ही तमाम सवालों के जवाब अगर खोजने को आप बेताब हैं, तो अपोस्टल आइलैंड दोनों बाहें खोलकर आपका स्वागत करने के लिए तैयार है। जरूरत है तो बस बेतहाशा भाग रही जिंदगी से कुछ ऐसे पल चुराने की जो सिर्फ आपके लिए खुशियां बुनें और जीवन को ताजगी से भर दें। अमेरिका के विसकॉन्सिन प्रांत के उत्तरी भाग और लेक सुपीरियर के दक्षिण पश्चिम में बसा अपोस्टल आइलैंड नैशनल लेकशोर एक ऐसी जगह है, जहां बेतरतीब बिखरी हरियाली की चादर मन को खुश कर देती है। यहां हवाओं के झोंके बलुआ पत्थरों पर खूबसूरत आकृतियां बनाते हैं, पानी, जमीन से मिलता है और एक संस्कृति दूसरी संस्कृति से आपको मिलाती है।

रोमांच की दुनिया को करीब से समझाएगी मोदी ट्रेल

12 अगस्त को 150 देशों में टेलीकास्ट हुए डिस्कवरी चैनल के चर्चित टीवी शो मैन वर्सेज वाइल्ड को करोड़ों लोगों ने देखा, इसकी वजह थी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का इससे जुड़ना। उनका मकसद जैव विविधता पर मंडराते वैश्विक खतरे के प्रति लोगों को जागरूक करना था। इस शो की शूटिंग उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट पार्क में हुई थी। दर्शकों की ओर से खूब पसंद किए जाने के चलते अब उत्तराखंड की सरकार शूटिंग वाली लोकेशन को विकसित करने की योजना बना रही है, जिसे मोदी ट्रेल का नाम दिया जाएगा। ग्रासहॉपर के इस अंक में आपको मोदी ट्रेल के बारे में बताएंगे।

‘पर्यटन एवं रोजगार: सभी के लिए बेहतर भविष्‍य की संभावनाएं’

27 सितंबर को पूरी दुनिया विश्व पर्यटन दिवस मनाएगी। इस बार इस विशेष दिन को होस्ट करने की जिम्मेदारी हमारे देश को मिली है और इसकी थीम ‘पर्यटन एवं रोजगार: सभी के लिए बेहतर भविष्‍य’ रखी गई है। भारत एक ऐसा देश है जहां पर्यटन में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। इसका हर प्रदेश अपने में ऐसी कई  खूबियों को समेटे हैं कि पर्यटक इनकी सैर करने से खुद को रोक नहीं पाते। इसी बहाने हम इस बार चर्चा करेंगे कि पर्यटन में रोजगार कि क्या और बेहतर संभावनाएं हैं। 

घूमें, लेकिन जिम्मेदारियों का रखें ध्यान

आपको घूमने का शौक है। ख्वाबों, ख्यालों वाली दुनिया को आप हकीकत के चश्मे से देखना चाहते हैं। जब आपको वक्त मिलता है, आप घूमने चले जाते हैं। कभी-कभी न होने पर यहां वहां से जुगाड़ कर वक्त निकाल कर भी घूम आते हैं। जब आप कहीं घूमने जाते होंगे तो कई तैयारियां करते होंगे। मसलन, वहां के मौसम के हिसाब से कपड़े पैक करना, सफर में काम आने वाले हर सामान को साथ रखना, उस डेस्टिनेशन के बारे में जानकारी जुटाना वगैरह, वगैरह। इस सबके साथ क्या आपने कभी इस बात पर ध्यान दिया है या जानने की कोशिश की है कि कहीं घूमने के दौरान आपकी कुछ जिम्मेदारियां भी होती हैं?कहीं भी घूमते वक्त आपके पास मौका होता है रोज की जिम्मेदारियों से दूर रहने का और जिंदगी को पूरी तरह एंजॉय करने का, लेकिन एक पर्यटक के तौर पर भी हमारी कुछ जिम्मेदारियां होती हैं, जो हमें पूरी करनी चाहिए। ये जिम्मेदारियां उतनी बड़ी नहीं होतीं कि आप इनसे दूर भागें और खुलकर मजा न कर सकें। हम आपको बता रहे हैं ऐसी ही कुछ बातों के बारे में जिन्हें आपको टूरिस्ट प्लेसेज पर जाते वक्त ध्यान रखना है।

इन बातों का ध्यान रखकर लें एडवेंचर स्पोर्ट्स का मजा

एडवेंचर का शौक किसे नहीं होता। ट्रैवलिंग और एडवेंचर का शौक एक साथ हो तो यह एक्सपीरिएंस जिंदगी भर के लिए यादगार हो जाता है। एडवेंचर स्पोर्ट्स का चलन देश में तेजी से बढ़ रहा है। यह देखने में जितना रोमांचक नजर आता है उतना ही खतरनाक भी है, लेकिन एडवेंचर स्पोर्ट्स के साथ अगर कुछ जरूरी टिप्स याद रखें तो आप इसका लुत्फ आसानी से उठा सकते हैं।

मंजिल से बेहतर हैं ये रास्ते

यात्राओं का शौक है? देश-दुनिया घूमते रहते हैं? अच्छी बात है। हवाई जहाज से सफर भी करते रहते होंगे, ताकि अपना समय बचा सकें, उस जगह ज्यादा घूम सकें, ज्यादा सीख सकें, ये भी अच्छा है, लेकिन मुझे ये सफर एकदम नहीं भाता। सफर तो वही अच्छा होता है जिसमें पूरे रास्ते की खूबसूरती को जी भरकर जिया जा सके। महान दार्शनिक कन्फ्यूशियस ने कहा था कि सड़कें सफर के लिए बनती हैं, मंजिल के लिए नहीं।  तो हम आपके लिए लेकर आए हैं देश की कुछ ऐसी सुंदर सी सड़कों की यात्रा जिनपर बस से किया गया सफर भी आपके लिए यादगार हो जाएगा। 

बस के सफर के लिए शानदार हैं ये सड़कें

बेशक कहीं दूर- बहुत दूर जाना हो तो फ्लाइट  एक अच्छा ऑप्शन है, लेकिन सफर की सबसे बड़ी खूबसूरती इसमें कहीं छूट जाती है। मेरे लिए किसी सफर का मतलब सिर्फ उस जगह को एक्सप्लोर करना नहीं होता, जहां हमें जाना हो, बल्कि ये तो उसी वक्त शुरू हो जाता है, जब हम घर से पहला कदम निकालते हैं। अगर आपका भी ख्याल कुछ ऐसा ही है तो ये स्टोरी आपके लिए ही है। 

रोड ट्रिप के लिए ये रास्ते हैं सबसे खूबसूरत

सफर वही अच्छा होता है जिसमें पूरे रास्ते की खूबसूरती को जी भरकर जिया जा सके। महान दार्शनिक कन्फ्यूशियस ने कहा था कि सड़कें सफर के लिए बनती हैं, मंजिल के लिए नहीं।  तो हम आपके लिए लेकर आए हैं देश की कुछ ऐसी सुंदर सी सड़कों की यात्रा जिनपर बस से किया गया सफर भी आपके लिए यादगार हो जाएगा। 

हॉन्ग कॉन्ग : यहां सबके लिए कुछ खास है

आसमान को छूती इमारतें, भीड़-भाड़ वाली सड़कें, चारों तरफ बिखरी रोशनी, मजेदार खाने के साथ ही ऐसा बहुत कुछ है जो हॉन्ग कॉन्ग को घूमने के लिए लोगों की पसंदीदा जगहों में शामिल करता है। आप चाहे कला प्रेमी हों या इतिहास प्रेमी, संस्कृति प्रेमी हों या प्रकृति प्रेमी, हर स्वाद, मूड और इच्छा को अपील करने के लिए यहां कुछ न कुछ है। हॉन्ग कॉन्ग के टूरिस्ट डेस्टिनेशंस में आपको यहां की संस्कृति और इतिहास दोनों की झलक मिलेगी। 

हॉन्गकॉन्ग में है खूबसूरती का खजाना

हॉन्ग कॉन्ग में धार्मिक लोगों के लिए मंदिर हैं, तो शॉपिंग के शौकीनों के लिए शानदार बाजार, पार्टी गोअर्स के लिए बेहतरीन नाइट लाइफ जीने के ठिकाने, खाने के दीवानों के लिए कमाल का खाना यहां सब कुछ है। चाहे कला गांवों में हस्तशिल्प, कलाकृतियों और अन्य चीजों को खरीदें, ‘डिंग थिंग’ ट्राम की सवारी का मजा लें या अपने बच्चों को डिज्नीलैंड में शानदार समय बिताते और मस्ती करते देखें। कपल हैं तो कैंडल लाइट डिनर के साथ समंदर के किनारे कुछ सुकून के पल बिताएं, या साथी की बाहों में बाहें डालकर घूमें।  यहां हर किसी के लिए कुछ न कुछ खास है। हॉन्ग कॉन्ग में घूमना लोगों के लिए एक कभी न भूलने वाला एक्सपीरियंस हो सकता है। ये शहर हर साल लाखों पर्यटकों को अपने यहां बुलाकर इस तरह के आकर्षण से बांध लेता है कि जब लोग यहां से जाएं तो दोबारा आने की इच्छा साथ ले जाएं। भारतीयों के लिए यहां जाना आसान इसलिए भी है क्योंकि उन्हें हॉन्ग कॉन्ग जाने के लिए वीजा की जरूरत नहीं पड़ती। भारतीयों को यहां वीजा ऑन अराइवल की सुविधा मिलती है, बस आपके पास पासपोर्ट होना चाहिए। 

गायब होने की कगार पर हैं ये खूबसूरती के ये खजाने

घूमने के शौकीन नई-नई जगहों की तलाश करते रहते हैं। कई घुमक्कड़ों ने नई-नई जगहों की तलाश की है, लेकिन नई जगहों की तलाश के साथ ये जानना भी जरूरी है कि कई पुरानी जगहें ऐसी हैं जो अब गायब होने के कगार पर हैं। आपको शायद इनका जानकर यकीन न हो, लेकिन माना ऐसा ही जा रहा है। इससे पहले कि ये घूमने के ये खूबसूरत से ठिकाने गायब हो जाएं, एक बार आप भी यहां घूम आएं।

एडवेंचर स्पोर्ट्स का है शौक, ये जगहें ये बेस्ट

एडवेंचर स्पोर्ट्स का शौक है और नई-नई जगह एक्सप्लोर करना चाहते हैं तो घूमना और भी ज्यादा मजेदार हो जाता है। भारत में ऐसी बहुत सी जगह हैं जहां आप इन दोनों शौकों को एक साथ पूरा कर सकते हैं। जानिए इन जगहों के बारे में...

यहां आकर लीजिए एडवेंचर स्पोर्ट्स का मजा

एडवेंचर स्पोर्ट्स के शौकीनों के लिए भारत में कई जगह हैं। अगर आप भी मानते हैं कि डर के आगे ही जीत है और नई-नई एक्टिविटीज करने का शौक रखते हैं तो ये जगहें आपके लिए ही हैं। 

पैराग्लाइडिंग के लिए बेस्ट है हिमाचल की ये जगह

एडवेंचर को पसंद करने वाले लोग कितने साहसी होते हैं, इस बात का अंदाजा तो इसी से लग जाता है कि कभी वे हजारों फीट ऊपर से सिर्फ एक रस्सी बांधकर नीचे कूद जाते हैं तो कभी असमान में उड़ने को तैयार रहते हैं। वैसे तो ज्यादातर लोग ये मानते हैं कि भारत में एडवेंचर स्पोर्ट्स के लिए कुछ खास नहीं है, लेकिन ये अब ऐसा नहीं है।

फरवरी में बनें इन फेस्टिवल्स का हिस्सा

भारत के हर हिस्से के अलग रंग और अलग खुशबू हैं, अलग परंपराएं और अलग रिवाज हैं। हर जगह कुछ न कुछ ऐसा खास है जो इसके हर हिस्से को एक-दूसरे से अलहदा बनाता है और इनके बारे में जानने का सबसे अच्छा तरीका होते हैं वहां के त्योहार। तो हम ले आए हैं आपके लिए फरवरी के वे त्योहार जिनमें शामिल होकर आप उनके साथ-साथ उनके राज्य से जुड़ी परंपराओं और संस्कृति के बारे में भी जान सकते हैं।

मार्च में होंगे देश में ये बड़े इवेंट्स और फेस्टिवल्स

भारत -रंगों का देश, संस्कृतियों का देश और भाषाओं का देश। भारत के हर शहर की अलग खासियत है। यहां हर राज्य अपनी एक अलग पहचान रखता है। इसी पहचान का जश्न देशभर के अलग-अलग शहर त्योहारों और उत्सवों के जरिए मनाते हैं। इन फेस्टिवल्स के जरिए हम जानते हैं, यहां के कल्चर, कुजीन और क्राफ्ट के बारे में। इनके जरिए हम खुद को विविधता में एकता वाले मंत्र के और करीब पाते हैं। साथ ही महसूस करते हैं हवाओं में घुली अतुल्य भारत की खुशबू को। तो आइए आपको बताते हैं मार्च में देशभर के विभिन्न शहरों में होने वाले फेस्टिवल के बारे में, जिनका हिस्सा बनकर आप भी मस्ती के रंग में रंग सकते हैं।

पुरी का उत्सव - त्योहारों का ‘जगन्नाथ’

दुनिया भर में प्रसिद्ध पुरी की रथयात्रा में शामिल होने के लिए देश-विदेश के हजारों पयर्टक पुरी में जुटते हैं। बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकलती है। धार्मिक आस्था से सराबोर यह रथयात्रा परिवार के महत्व को भी रेखांकित करती है।  

हम्पी: वास्तुकला की नायाब धरोहर

वैसे तो कर्नाटक में घूमने की कई जगह हैं पर हम ज्यादातर मैसूर या बैंगलोर की ही बात करते हैं। कर्नाटक की हसीन वादियों में हर जगह खूबसूरती बिखरी हुई है। साफ सुथरे शहर मुझे हमेशा से ही अपनी ओर खींचते रहे हैं। जब भी कभी मौका मिलता है मैं घूमने निकल पड़ता हूं और इसीलिए इस बार मैंने हम्पी का टूर प्लॉन किया। धरोहरों का ये शहर अपने पौराणिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए भी जाना जाता है। यहां वास्तुकला के नायाब नमूने देखने को मिलते हैं। मंदिरों की वास्तुशैली में आपको पुराना इतिहास सहेजा हुआ दिखेगा।

रिवर राफ्टिंग का है शौक तो एक्सप्लोर करें ये 5 जगहें

रिवर राफ्टिंग हमारे देश के सबसे पॉप्युलर एडवेंचर स्पोर्ट्स में से एक है। खतरों से खेलने वाले युवा इस तरह की एडवेंचर एक्टिविटीज के लिए मौके ढूंढते रहते हैं। इसीलिए यहां कई ऐसी जगह हैं जहां की रिवर राफ्टिंग काफी फेमस है। वैसे तो ज्यादातर लोग इस खतरे का खेल बताकर इससे दूर रहने को कहते हैं, लेकिन यकीन मानिए रिवर राफ्टिंग में इतना मजा आता है कि कब आप राफ्ट पर बैठकर नदियों की लंबी दूरी नाप लेते हैं पता ही नहीं चलता।  हालांकि रिवर राफ्टिंग में थोड़ा खतरा तो रहता है, लेकिन थोड़‍ी सी सावधानी बरत कर इसे जी भरकर एंजॉय किया जा सकता है। चलिए हम आपको बताते हैं भारत में रिवर राफ्टिंग की पांच सबसे बेहतरीन जगहों के बारे में। 

अगर आपको भी है बंजी जंपिंग का शौक? ये जगहें हैं बेस्ट

घूमने का शौक लगभग हर किसी को होता है। कोई सिर्फ सुकून के लिए घूमता है तो कोई मस्ती के लिए। पहाड़ हों या समंदर हर कोई अपने-अपने तरीके की एक्टिविटीज ढूंढ ही लेता है। तेजी से पॉप्युलर होती एडवेंचर एक्टिविटीज में बंजी जंपिंग का भी नाम शामिल है। अगर आपने अभी तक इसे ट्राई नहीं किया तो भारत में कई ऐसी जगहें हैं जहां जाकर आप बंजी जंपिंग का मजा ले सकते हैं। 

स्कूबा डाइविंग के शौकीनों के लिए बेहतरीन हैं भारत की ये जगहें

कुछ लोग ऐसे होते हैं जिन्हें पानी देखकर ही डर लगता है, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो समंदर और नदियों के अंदर की दुनिया को जानने और समझने के लिए उत्सुक रहते हैं। अगर आपको भी समुद्री जीवन को जानने और समझने का शौक है तो स्कूबा डाइविंग आपके लिए बेस्ट एडवेंचर एक्टिविटी है। 

दुनिया की पुरानी रेसिपी, जो उतारेगी आपका हैंगओवर

अगर हम पूछें कि आपकी प्लेट में रखा खाना कितना पुराना है? मुमकिन है आप हैरत में पड़ जाएंगे और जवाब देंगे कि ताजा है, आधे घंटे पहले ही तो बना है या फिर प्रोसेस्ड फूड है, जिसे फ्रिज से निकाला है। आपका जवाब सही हो सकता है लेकिन जनाब, हमारा तो सवाल है कि क्या आप जानते हैं आपकी प्लेट में रखा केक, मफींस, ग्रिल्ड आइटम या फिर स्टू पहली बार कितने साल पहले पकाया गया था। सवाल जरा टेढ़ा है लेकिन बेहद मजेदार है। दरअसल, यह सवाल पैदा हुआ हाल ही में 4000 साल पुरानी रेसिपी को बनाने की कोशिशों से। इंटरनेशनल स्कॉलर्स की टीम इसे बनाने की कोशिश में लगी हुई है। दुनिया की इस सबसे पुरानी डिश को लैंब स्टू कहा जा सकता है। हम आपको इस बार दुनिया की कुछ ऐसी पुरानी डिशेज और पेय पदार्थों के बारे में बताएंगे, जिनका इतिहास हजारों साल पुराना है।

सापूतारा: गुजरात का इकलौता हिल स्टेशन

अतुल्य भारत को आप जितना जानेंगे और देखेंगे उतना ही कुछ नया और अलग पाएंगे। अतुल्य भारत का कोना-कोना इसकी अद्भुत विरासतों की कहानियां बयां करता है। किसी भी दिशा में चले जाएं, कुछ न कुछ नया और अनदेखा जरूर मिल जाएगा। ऐसा ही एक नायाब ठिकाना है सापूतारा। सह्याद्रि पर्वतमाला पर बसे गुजरात के इकलौते खूबसूरत हिल स्टेशन। यहां पर दूर तक फैली पर्वतमाला की हरियाली, कल-कल बहते झरने और सड़कों के किनारे का मनोहारी दृश्य मोह लेंगे। किसी ने सच ही कहा है मंजिल से ज्यादा सफर सुहाना होता है। यह बात सापूतारा के रास्ते को देखकर आप खुद महसूस कर सकते हैं। अगर आप नेचर के बीच जाकर उसकी खूबसूरती का लुत्फ उठाना चाहते हैं तो सापूतारा आपका स्वागत है।

पेरियार नेशनल पार्क : कुदरती खूबसूरती का खजाना

दक्षिणी भारत के केरल राज्य में एक खूबसूरत सा पार्क है, पेरियार वाइल्ड लाइफ सेंचुरी। केरल को ऐसे ही 'God's own country' यानि भगवान का अपना देश नहीं कहते। आप एक बार यहां आएंगे तो आपको लगा कि वाकई इसके हर हिस्से को भगवान ने खुद इत्मिनान से खूबसूरती बख्शी है। पेरियार वाइल्ड लाइफ सेंचुरी भी एक ऐसी ही जगह है। केरल के इडुक्की जिले से कुछ दूर थेक्कडी में बसी ये सेंचुरी हर दिन हजारों टूरिस्ट्स को अपने पास बुलाती है। लगभग 485 स्क्वॉयर किलोमीटर में फैला ये पार्क प्राकृतिक खूबसूरती का खजाना है। इसमें जंगल है, झील है, छोटे-छोटे पहाड़ हैं, तमाम तरह के पेड़, पौधे, जानवर, पक्षी और रेप्टाइल्स हैं। कुदरत की बेइंतहा खूबसूरती को समेटे है ये अपने अंदर। हमारा पेरियार का का ये सफर तमिलनाडु के मदुरै से शुरू हुआ। हमने वहां से टैक्सी बुक की और निकल पड़े इस खूबसूरत जगह की सैर पर। मदुरै से थेनी तक तमिलनाडु राज्य है और थेनी के आगे से केरल की सीमा शुरू हो जाती है, और रास्ता भी थेनी तक ही समतल है। हालांकि यहां भी आपको दूर-दूर कहीं पहाड़ों से ऊंचे टीले दिख जाएंगे। इन ऊंचे टीलें पर कई जगह आपको कोई घर जैसा भी कुछ बना दिखेगा और आप कुछ समय तक तो यही सोचते रहेंगे कि बिना रास्ते वाले इस पहाड़ पर जाकर किसी ने कोई इमारत क्यों बनवाई होगी और वह वहां जाता-आता कैसे होगा। इन्हीं सारे ख्यालों के साथ हमारा सफर आगे बढ़ता जा रहा था। सड़क के एक तरफ कहीं केले दूर-दूर तक फैले थे तो दूसरी तरफ नारियल के पेड़ों की लंबे कतारीं। लगभग 2 घंटे का सफर तय करके हम थेनी पहुंचे।

अगर आपको है वाइल्ड लाइफ से प्यार तो आइए श्री लंका

अगर आपको वाइल्ड लाइफ से प्यार है और श्री लंका घूमने की प्लानिंग कर रहे हैं तो ये आपके लिए यहां बहुत कुछ है। श्री लंका बहुत तेजी से इको टूरिज्म के हॉट स्पॉट के की तरह डेवलेप हो  रहा है। यहां ऐसे बहुत से वाइल्ड लाइफ स्पॉट्स हैं जिनमें कई जानवरों और चिड़ियों की कई खास प्रजातियां हैं। यहां मैमल्स की 120 से ज्यादा, रेप्टाइल्स की 171, एम्फीबीयंस की 106 और चिड़ियों की 227 प्रजातियां पाई जाती हैं। यही नहीं, श्री लंका में ब्लू व्हेल और स्पर्म व्हेल भी पाई जाती हैं। जानिए यहां की बेहतरीन वाइल्ड लाइफ के बारे में: 

ताजमहल के अलावा भी आगरा के पास और बहुत कुछ है...

ताजमहल का दीदार करने पूरी दुनिया से लोग यूपी में आते हैं। इसकी बेमिसाल खूबसूरती का ही असर है कि जो एक बार इसको नज़र भर देख लेता है उसकी निगाहें इस पर टिक सी जाती हैं। सफेद चमकते पत्थरों पर की गई अदृभुत नक्काशी इसे दुनिया की बेजोड़ इमारतों में से एक बनाती है लेकिन अगर आप आगरा घूमने जा रहे हैं तो सिर्फ ताजमहल का दीदार करके ही अपना ट्रिप खत्म न करिएगा। इसके आस—पास ऐसे बहुत से टूरिस्ट डेस्टिनेशन हैं जो आपको पसंद आ सकते हैं। 

भारत के 5 डेस्टिनेशंस ऐसे जो योग के लिए हैं बेस्ट

अपनी सेहत को लेकर फिक्रमंद हैं और घूमने का भी शौक है? ऐसी जगहों की तलाश में हैं जहां आप स्वास्थ्य और सैर-सपाटे का मजा एक साथ ले सकें? तो परेशानी भूल जाइए। हम आपको बता रहे हैं भारत के 5 ऐसे डेस्टिनेशंस के बारे में जो योग के लिए बेस्ट हैं और बेहद सुंदर भी। 

नागालैंड : खूबसूरती की असली डोज

यहां हरियाली है, खूबसूरत वादियां हैं, मन को मोहने वाला सनराइज और सनसेट है। अगर एक बार आप यहां आएंगे तो यकीन मानिए कई खूबसूरत नजारे और यादों को लेकर ही वापस जाएंगें। ये जगह अपने अंदर कुदरती खूबसूरती के साथ-साथ रोचक इतिहास को भी समेटे हुए है। यहां कई तरह की जनजातियां हैं जिनका रहन-सहन, खान-पान हमसे काफी अलग है, तो बहुत कुछ नया है देखने को, समझने को और महसूस करने को। 

लीजिए डिजिटल रोमांटिक टूर का मजा

बेहतरीन लाइट्स, शानदार म्यूजिक और कमाल की कारीगरी का सेलिब्रेशन, फ्रैंकफर्ट ल्यूमिनाले इस साल लॉकडाउन की वजह से अभी तक नहीं हो पाया था। यह उत्सव 2002 से हर दो साल में जर्मनी के फ्रैंकफर्ट में होता है जिसमें लगभग 250,000 लोग हिस्सा लेते हैं। इस साल कोरोना वायरस की वजह से यहां की रोशनी भी फीकी होती दिख रही थी, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।ल्यूमिनाले 2020 इस बार डिजिटल होगा क्योंकि इसमें शामिल होने वाले कलाकारों ने कोरोना वायरस के महामारी घोषित होने से पहले ही अपने प्रोजेक्ट्स बना लिए थे। आप भले ही करीब जाकर इन प्रोजेक्ट्स का मजा नहीं ले सकते लेकिन डिजिटली आप अभी भी इस साल के प्रोजेक्ट्स का पूरा मजा ले सकते हैं। #Luminaledigital एक वर्चुअल टूर है जिसमें आप बिहाइंड द सीन्स का टूर भी कर सकते हैं।इस साल के ल्यूमिनाले उत्सव की थीम डिजिटल रोमांटिक है जिसमें कला के रोमांटिक दौर और डिजिटल रिवॉल्यूशन के बारे में प्रोजेक्टस बनाए गए हैं। वास्तविक दुनिया से परे पहुंचने के लिए इसमें लाइट्स का इस्तेमाल किया जाता है। यह इन जगहों को डिजिटल दुनिया में ले जाता है और बहस छेड़ता है कि क्या इनकी वाकई में जरूरत है? ल्यूमिनाले पूछता है, क्या डिजिटल वाकई एनॉलॉग कंटेंट को समझाने का बेहतर समाधान है? क्या लगातार आने वाली चीजों की बाढ़ का सामना करने के लिए दिमाग में नई तस्वीरें बनाई जा सकती हैं? क्या रोशनी की कला एक स्टेज इवेंट तक आकर खत्म हो जाती है? या क्या यह सच्चे, सुंदर, अच्छे के लिए एक तड़प को पूरा करती है? अगर आप भी रोशनी और संवाद के एक बेहतरीन अनुभव में खुद को खोना चाहते हैं और इस आभासी दुनिया में शामिल होना चाहते हैं तो ल्यूमिनाले की वेबसाइट पर जाइए और इसका मजा लीजिए।

घूमने के बारे में सोचिए, जी भरकर ख्वाब बुनिए...

हम में से कई लोग होते हैं जो कभी ऑफिस में चाय पीते हुए तो कभी दोस्तों के साथ कॉन कॉल पर घूमने के प्लान बनाते रहते हैं। कई बार तो लगता है कि इस बार तो घूमना तय है, कपड़ों से लेकर नए-नए पोज तक सबकी प्लानिंग हो जाती है लेकिन ऐन वक्त पर आकर ट्रिप कैंसल हो जाता है। कई बार बिना किसी लंबी-चौड़ी प्लानिंग के ट्रिप पूरे भी हो जाते हैं। घूमने का कोई भी प्लान अमली जामा पहन पाए या न, एक बात तो तय है कि इस पूरी प्लानिंग के दौरान हम काफी खुश रहते हैं। ये खुशी उस गम से बहुत ज्यादा होती है जो किसी प्लान के पूरा न हो पाने की वजह से होता है। कई सारी रिसर्च भी ये दावा करती हैं कि घूमने की प्लानिंग आपके दिमाग के लिए हैपिनेस बूस्टर का काम करती है। जब तक कोरोना वायरस का कहर पूरी तरह खत्म नहीं होगा तब तक अपने घूमने के शौक को पूरा करना किसी के लिए भी सही नहीं होगा, लेकिन इसका ये मतलब बिल्कुल नहीं है कि आप घूमने की प्लानिंग नहीं कर सकते। पूरी दुनिया को देखने की ख्वाहिश रखने वालों के लिए एक अच्छी खबर है, अपनी अगली ट्रिप प्लान करके आप अपने तनाव को काफी कम सकते हैं। अगर आप इस बात के लिए श्योर नहीं हैं कि आपकी ये ट्रिप कब और कैसे पूरी होगी तब भी इसके बारे में सोचना आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा होगा।साल 2013 में 485 व्यस्कों पर किए गए एक सर्वे में यह बात सामने आई कि यात्रा करने से मन में सहानुभूति, एकाग्रता और ऊर्जा बढ़ती है। कुछ रिसर्च में यह भी दावा किया गया है कि यात्राएं रचनात्मकता को बढ़ाती हैं। सिर्फ यही नहीं, किसी ट्रिप के बारे में प्लान करना भी उतना ही ज्यादा आनंददायक होता है जितना कि उस ट्रिप का पूरा होना और इस बात को साबित करने के लिए भी शोध हो चुके हैं। 2014 में कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में यह बात सामने आई कि किसी भी यात्रा की योजना बनाने में कोई सामान खरीदने से ज्यादा खुशी मिलती है। इससे पहले 2002 में सर्रे यूनिवर्सिटी में हुए एक शोध में यह पाया गया कि लोग तब सबसे ज्यादा खुश होते हैं जब वे अपनी छुट्टियां प्लान कर रहे होते हैं।कर्नेल यूनिवर्सिटी में हुए शोध के सह लेखक अमित कुमार नेशनल जियोग्राफिक को बताते हैं कि यात्रा की योजना बनाते समय ज्यादा छोटी बातों पर ध्यान देने का कोई विशेष फायदा नहीं होता। वह कहते हैं कि लोग किसी सामान को खरीदने की तुलना में अपने सफर के अनुभवों को बताते हुए काफी खुश होते हैं। सफर के अनुभवों की कहानियां भी किसी सामान के अनुभवों से बेहतर होती हैं। अमित कुमार फिलहाल ऑस्टिन में यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। आज के हालात पर चर्चा करते हुए वह कहते हैं कि इस वैश्विक महामारी की वजह से जो सोशल डिस्टेंसिंग हमें करनी पड़ रही है वह हमें इस बात का अनुभव करा रही है कि हम एक-दूसरे के साथ कितना रहना चाहते हैं। वह यहां तक कहते हैं कि हमें 'सोशल डिस्टेंसिंग' फ्रेज को बदलकर इसे 'फिजिकल डिस्टेंसिंग' कर देना चाहिए, ताकि हमें याद रहे कि हमें वाकई क्या करना है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि क्वारंटीन के नियम हमें शारीरिक रूप से स्वस्थ्य रखने के लिए ही बनाए गए हैं।मानसिक स्वास्थ्य को दुरुस्त रखना इससे काफी अलग है। हो सकता है कि कई लोगों से हमारी शारीरिक दूरी पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई हो। हम उनसे न मिल पा रहे हों लेकिन हम अभी भी उनसे वीडियो कॉल, वॉयस कॉल या सोशल मीडिया के जरिए जुड़े ही हैं। हां, आपको बात करने के लिए कुछ तो चाहिए। ऐसे में सबसे बेहतर है कि सफर की प्लानिंग करें। अमित कुमार के सह-लेखक मैथ्यू किलिंग्सवर्थ, जो अब पेनसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के व्हार्टन स्कूल के सीनियर फेलो हैं, कहते हैं कि यात्रा की योजना में हमेशा कुछ बेहतर होने की आशा होती है। वह कहते हैं कि इंसान की फितरत होती है अपने भविष्य को लेकर योजनाएं बनाने की। हमारी यही आदत हमारे खुश रहने की वजह बन सकती है, अगर हम इसका खुशियों को ढूंढने में ही इस्तेमाल करें। और यात्राएं इसके लिए सबसे बेहतर ऑप्शन हैं।सफर की योजना बनाना एक अच्छा अनुभव ही साबित होगा इसका एक कारण पूछने पर वह कहते हैं कि यह फैक्ट ही काफी है कि ट्रिप्स टेम्पोरेरी होते हैं। हमें पता होता है कि एक ट्रिप शुरू होगा और जल्द ही खत्म भी हो जाएगा तो हमारा दिमाग पहले से ही इसके लिए तैयार होता है। किलिंगवर्थ कहते हैं कि हम जैसे ही किसी सफर की प्लानिंग करना शुरू करते हैं उसके साथ ही उसे जीने भी लगते हैं। हमारे दिमाग में तस्वीरें बनना शुरू हो जाती हैं जो यकीनन हमारी खुशी को बढ़ाती हैं। 

घूमने के बारे में सोचिए, जी भरकर ख्वाब बुनिए...

हम में से कई लोग होते हैं जो कभी ऑफिस में चाय पीते हुए तो कभी दोस्तों के साथ कॉन कॉल पर घूमने के प्लान बनाते रहते हैं। कई बार तो लगता है कि इस बार तो घूमना तय है, कपड़ों से लेकर नए-नए पोज तक सबकी प्लानिंग हो जाती है लेकिन ऐन वक्त पर आकर ट्रिप कैंसल हो जाता है। कई बार बिना किसी लंबी-चौड़ी प्लानिंग के ट्रिप पूरे भी हो जाते हैं। घूमने का कोई भी प्लान अमली जामा पहन पाए या न, एक बात तो तय है कि इस पूरी प्लानिंग के दौरान हम काफी खुश रहते हैं। ये खुशी उस गम से बहुत ज्यादा होती है जो किसी प्लान के पूरा न हो पाने की वजह से होता है। कई सारी रिसर्च भी ये दावा करती हैं कि घूमने की प्लानिंग आपके दिमाग के लिए हैपिनेस बूस्टर का काम करती है। जब तक कोरोना वायरस का कहर पूरी तरह खत्म नहीं होगा तब तक अपने घूमने के शौक को पूरा करना किसी के लिए भी सही नहीं होगा, लेकिन इसका ये मतलब बिल्कुल नहीं है कि आप घूमने की प्लानिंग नहीं कर सकते। पूरी दुनिया को देखने की ख्वाहिश रखने वालों के लिए एक अच्छी खबर है, अपनी अगली ट्रिप प्लान करके आप अपने तनाव को काफी कम सकते हैं। अगर आप इस बात के लिए श्योर नहीं हैं कि आपकी ये ट्रिप कब और कैसे पूरी होगी तब भी इसके बारे में सोचना आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा होगा।साल 2013 में 485 व्यस्कों पर किए गए एक सर्वे में यह बात सामने आई कि यात्रा करने से मन में सहानुभूति, एकाग्रता और ऊर्जा बढ़ती है। कुछ रिसर्च में यह भी दावा किया गया है कि यात्राएं रचनात्मकता को बढ़ाती हैं। सिर्फ यही नहीं, किसी ट्रिप के बारे में प्लान करना भी उतना ही ज्यादा आनंददायक होता है जितना कि उस ट्रिप का पूरा होना और इस बात को साबित करने के लिए भी शोध हो चुके हैं। 2014 में कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में यह बात सामने आई कि किसी भी यात्रा की योजना बनाने में कोई सामान खरीदने से ज्यादा खुशी मिलती है। इससे पहले 2002 में सर्रे यूनिवर्सिटी में हुए एक शोध में यह पाया गया कि लोग तब सबसे ज्यादा खुश होते हैं जब वे अपनी छुट्टियां प्लान कर रहे होते हैं।कर्नेल यूनिवर्सिटी में हुए शोध के सह लेखक अमित कुमार नेशनल जियोग्राफिक को बताते हैं कि यात्रा की योजना बनाते समय ज्यादा छोटी बातों पर ध्यान देने का कोई विशेष फायदा नहीं होता। वह कहते हैं कि लोग किसी सामान को खरीदने की तुलना में अपने सफर के अनुभवों को बताते हुए काफी खुश होते हैं। सफर के अनुभवों की कहानियां भी किसी सामान के अनुभवों से बेहतर होती हैं। अमित कुमार फिलहाल ऑस्टिन में यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। आज के हालात पर चर्चा करते हुए वह कहते हैं कि इस वैश्विक महामारी की वजह से जो सोशल डिस्टेंसिंग हमें करनी पड़ रही है वह हमें इस बात का अनुभव करा रही है कि हम एक-दूसरे के साथ कितना रहना चाहते हैं। वह यहां तक कहते हैं कि हमें 'सोशल डिस्टेंसिंग' फ्रेज को बदलकर इसे 'फिजिकल डिस्टेंसिंग' कर देना चाहिए, ताकि हमें याद रहे कि हमें वाकई क्या करना है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि क्वारंटीन के नियम हमें शारीरिक रूप से स्वस्थ्य रखने के लिए ही बनाए गए हैं।मानसिक स्वास्थ्य को दुरुस्त रखना इससे काफी अलग है। हो सकता है कि कई लोगों से हमारी शारीरिक दूरी पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई हो। हम उनसे न मिल पा रहे हों लेकिन हम अभी भी उनसे वीडियो कॉल, वॉयस कॉल या सोशल मीडिया के जरिए जुड़े ही हैं। हां, आपको बात करने के लिए कुछ तो चाहिए। ऐसे में सबसे बेहतर है कि सफर की प्लानिंग करें। अमित कुमार के सह-लेखक मैथ्यू किलिंग्सवर्थ, जो अब पेनसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के व्हार्टन स्कूल के सीनियर फेलो हैं, कहते हैं कि यात्रा की योजना में हमेशा कुछ बेहतर होने की आशा होती है। वह कहते हैं कि इंसान की फितरत होती है अपने भविष्य को लेकर योजनाएं बनाने की। हमारी यही आदत हमारे खुश रहने की वजह बन सकती है, अगर हम इसका खुशियों को ढूंढने में ही इस्तेमाल करें। और यात्राएं इसके लिए सबसे बेहतर ऑप्शन हैं।सफर की योजना बनाना एक अच्छा अनुभव ही साबित होगा इसका एक कारण पूछने पर वह कहते हैं कि यह फैक्ट ही काफी है कि ट्रिप्स टेम्पोरेरी होते हैं। हमें पता होता है कि एक ट्रिप शुरू होगा और जल्द ही खत्म भी हो जाएगा तो हमारा दिमाग पहले से ही इसके लिए तैयार होता है। किलिंगवर्थ कहते हैं कि हम जैसे ही किसी सफर की प्लानिंग करना शुरू करते हैं उसके साथ ही उसे जीने भी लगते हैं। हमारे दिमाग में तस्वीरें बनना शुरू हो जाती हैं जो यकीनन हमारी खुशी को बढ़ाती हैं। 

किस्सा-ए-संतरा…

ज्यादा पीला और कुछ हिस्सा हरा, संतरा ऐसा ही होता था। होता था क्या, होता है। हालांकि अब इसकी कई वैराइटीज बाजार में आ गई हैं, लेकिन इस पीले और हरे वाले संतरे की बात ही अलग है। हो सकता है कि आप में से ज्यादातर लोगों का पसंदीदा फल आम हो, लेकिन बचपन में हमने संतरे के साथ जितनी मस्ती की है उतनी किसी और फल के साथ नहीं की। इसके छिलके को किसी की आंख के सामने ले जाकर दबाने पर सामने वाले को आंखें मलते देखने में जो मजा आता था उसकी बात ही कुछ और थी। आप में से भी कई लोगों ने शायद इसके छिलके के रस को हाथ पर निकाल कर स्केल से जाला भी बनाया होगा। आपकी जिंदगी में संतरे से जुड़े किस्से तो बहुत होंगे आज हम आपको बताते हैं किस्सा-ए-संतरा…

‘मसालों की रानी’ की कहानी

कभी एक छोटी सी इलायची पूरे खाने का स्वाद बदल देती है तो कभी इसका बस एक दाना ही मुंह को महकाने के लिए काफी होता है। मीठा हो या तीखा, ये हर खाने को लजीज बनाने में काम आती है। इलायची वाली चाय के तो क्या कहने। सर्दियों में जो मजा अदरक वाली चाय में आता है, इलायची उसी चाय को गर्मियों में भी खास बना देती है। हो सकता है कि आपकी यादों में भी इलायची से जुड़ी कोई कहानी हो लेकिन आज हम आपको बताएंगे इसकी खुद की कहानी। कितनी पुरानी है इलायची, कहां सबसे ज्यादा पैदा होती है और कैसे ये पूरी दुनिया में पहुंची, सब कुछ...

अब हवाई यात्रा के दौरान नहीं मिलेगी शराब

जो लोग हवाई यात्रा के दौरान शराब पीना पसंद करते हैं ये खबर उनके लिए है। कई एयरलाइन्स ने ये तय किया है कि वे अब अपने यात्रियों को हवाई यात्रा के दौरान शराब नहीं देंगी। यह फैसला कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए लिया गया है। ऐसा करने से यात्री और विमान के स्टाफ के बीच सम्पर्क कम होगा। जो लोग हवाई यात्रा के दौरान शराब पीना पसंद करते हैं ये खबर उनके लिए है। कई एयरलाइन्स ने ये तय किया है कि वे अब अपने यात्रियों को हवाई यात्रा के दौरान शराब नहीं देंगी। यह फैसला कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए लिया गया है। ऐसा करने से यात्री और विमान के स्टाफ के बीच सम्पर्क कम होगा। 

कर्नाटक टूरिज्म की पहल, कैम्परवैन में करिए राज्य की सैर

कैम्परवैन में पूरे भारत की रोड ट्रिप का सपना आप में से कई लोगाें ने देखा होगा। कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच अब पूरे भारत की रोड ट्रिप तो फिलहाल संभव नहीं है, लेकिन कर्नाटक की सड़कों पर घूमते हुए आप यहां के प्रमुख पर्यटक स्थलों की सैर जरूर कर सकते हैं।कोरोना के कारण दुनियाभर के टूरिज्म सेक्टर को भारी झेलना पड़ रहा है, लेकिन कुछ राज्यों ने अब इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। इस तरफ पहल करते हुए कर्नाटक सरकार ने Caravan Tourism की शुरुआत की है। अब पर्यटक लग्जरी मोबाइल वैन में कर्नाटक के कु़छ फेमस टूरिस्ट प्लेसेज घूम सकते हैं।इस कैम्परवैन में चार लोगों के लिए कन्वर्टिवल बेड्स होंगे, एक वॉशरूम और एक किचन भी होगा। इसमें एक स्मार्ट टीवी और म्यूजिक सिस्टम भी मिलेगा। किचन में रेफ्रिजरेटर, फ्रीजर और माइक्रोवेव भी होगा। इस कैम्परवैन को कनार्टक स्टेट टूरिज्म डिपार्टमेंट कॉरपोरेशन (KSTDC) द्वारा उपलब्ध कराई गई जगहों पर पार्क किया जा सकेगा। Caravan में बिजली के लिए सोलर पावर का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके लिए इसकी छत पर सोलर पैनल्स लगे हैं। टॉयलेट को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि इसमें पानी का कम से कम इस्तेमाल हो। 

लॉकडाउन के बाद: घर पर हो गए हैं बोर तो लीजिए इन रोड ट्रिप्स का मजा

दुनियाभर में लोग कोरोना वायरस के कारण फैली महामारी से परेशान हैं। इस महामारी के पहले वाली जिंदगी दोबारा जीने की हर कोई उम्मीद लगाए बैठा है, लेकिन अब लोगों ने धीरे-धीरे इस महामारी के साथ जीने की आदत डाल रहे हैं और वापस अपनी पुरानी जिंदगी की ओर लौटने लगे हैं। कई ऐसे लोग हैं जो इस बीच घर पर बैठे-बैठे बोर हो गए हैं। अगर आप दिल्ली में रहते हैं तो हम लेकर आए हैं कुछ ऐसी नजदीकी जगहों की लिस्ट जहां की सैर आप अपनी कार में ही बैठकर पूरी सुरक्षा के साथ कर सकते हैं।

ये है दुनिया का पहला गोल्ड प्लेटेड होटल, देखिए शानदार तस्वीरें

हाल-फिलहाल तो कोरोना के चलते विदेश यात्रा करना सुरक्षित नहीं है लेकिन आने वाले समय में जब सब ठीक होगा तब धीरे-धीरे एक बार फिर लोग दुनिया देखने के अपने शौक को पूरा करने के लिए निकल पड़ेंगे। अगर आप भी कोरोना के बाद वाली अपनी बकेट लिस्ट में घूमने वाली कुछ जगहों के नाम शामिल कर रहे हैं तो इस होटल को भी उसमें शामिल कर लीजिए। 

अनलॉक 2.0 : इस तारीख से कर सकेंगे ताज का दीदार

ताजमहल व बाकी सभी संरक्षित स्मारक 6 जुलाई से पर्यटकों के लिए खोल दिए जाएंगे। इस बात की जानकारी केंद्रीय पर्यटन मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने इस बात की जानकारी ट्वीट के जरिए दी। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार द्वारा कोरोना की रोकथाम के लिए जारी सभी गाइडलाइंस जैसे थर्मल स्क्रीनिंग, फेस मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग, सैनिटाइजर का इस्तेमाल आदि को सुनिश्चित करना आवश्यकत होगा। 

जल्द शुरू होगी अमरनाथ यात्रा, सुरक्षा के इंतजाम पूरे

कोरोना वायरस से फैली महामारी की वजह से हर साल होने वाली अमरनाथ यात्रा पर रुकावटें लगती नजर आ रही थीं लेकिन अब ये यात्रा जल्द ही शुरू होने वाली है। हालांकि, प्रशासन पूरी तरह से अहतियात बरत रहा है। सैनिटाइजेशन का काम पूरा कर लिया गया है। इस बार गुफा में भगवान शिव के दर्शन करने के लिए भी हर दिन सिर्फ 500 यात्रियों को ही अनुमति दी जाएगी। अमरनाथ और वैष्णो देवी तीर्थस्थलों की तीर्थयात्रा के मुद्दे पर केंद्रीय मंत्रियों जी किशन रेड्डी, जितेंद्र सिंह और गृह मंत्रालय और जम्मू और कश्मीर प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने एक उच्च स्तरीय बैठक की। अमरनाथ यात्रा 21 जुलाई से शुरू होने की संभावना है। बैठक के बाद बताया गया कि इस वर्ष की तीर्थयात्रा सीमित तरीके से आयोजित की जाएगी। अधिकारियों के मुताबिक, सिर्फ एक रास्ते से ही श्रद्धालुओं को जाने दिया जाएगा। बर्फ जमी होने की वजह से पहलगाम के रास्ते को अभी तक साफ नहीं किया जा सका है। ऐसे में इस साल बालटाल के रास्ते से ही श्रद्धालु दर्शन के लिए जा सकते हैं। हालांकि, इस पर आखिरी फैसला अगले हफ्ते लिया जाएगा। वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये आयोजित हुई इस बैठक में जम्मू और कश्मीर के उप राज्यपाल जीसी मुर्मू, मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रह्मण्यम, जम्मू और कश्मीर के संभागीय आयुक्तों और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।

पर्यटन के लिए खुल गए हैं ये राज्य, आप भी कर लीजिए तैयारी

मुश्किलें अभी खत्म नहीं हुई हैं। कोरोना महामारी का खतरा कम नहीं है। हर दिन नए मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है, लेकिन जिंदगी अब पुराने ढर्रे पर लौटने लगी है। लोग सुरक्षा मानकों के साथ घर से निकलने लगे हैं। हम भी धीरे-धीरे इसके साथ जीना सीख रहे हैं। इसी के साथ कुछ राज्य ऐसे हैं जिन्होंने पर्यटकों के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं। आप भी जानिए उन राज्यों के बारे में और अगर पूरी सुरक्षा के साथ घूमने जा सकते हैं तो जरूर जाइए।

विएना : संगीत और संस्कृति का ठिकाना

रिपब्लिक ऑफ ऑस्ट्रिया की राजधानी और यूरोप के सबसे सुंदर शहरों में से एक है वियना। यहां की इमारतों का आर्किटेक्चर, कमाल का ओपेरा संगीत और गलियों में बने रेस्तरां व कैफे एकदम दिल लुभाने वाले हैं। अपने इतिहास को आज भी खुद में जिंदा किए इस शहर में आपको बीते वक्त की झलक हर जगह दिखाई देगी। दानुबे नदी के किनारे बसा वियना सदियों से पूर्वी और पश्चिमी यूरोप का प्रवेश द्वार रहा है। आज यह देश का सबसे मजबूत आर्थिक और सांस्कृतिक ठिकाना है।

अटल टनल ; नया रास्ता, नई मंजिलें

कड़कड़ाती सर्दी में अपनी कार या बाइक से लाहौल-स्पीति तक जाने का सपना न जाने कितनों ने देखा होगा, लेकिन कैसे जा पाते, वहां तक जाने का तो कोई सही रास्ता ही नहीं था। सर्दियों में तो 6 महीने ये घाटी भारी बर्फबारी की वजह से देश बाकी हिस्सों से कट जाती थी और जब जाने का रास्ता होता भी था उसमें भी लोगों को 15-20 घंटोें  तक जाम में फंसे रहना पड़ता था, पर अब ऐसा नहीं है, क्योंकि यहां अब घ्टनल बन गई है।कई आधुनिक सुविधाओं से लैस अटल टनल रोहतांग उन पर्यटकों के लिए वरदान की तरह है जो लाहौल की वादियों में घूमना चाहते थे। हिमाचल के कुल्लू जिले में मनाली से लेकर लाहौल-स्पीति के लाहौल तक जाती ये टनल 9.02 किमी लंबी है। 10 साल में बनकर तैयार हुई अटल टनल के रास्ते रोहतांग में बर्फ का दीदार करने वाले सैलानियों के वाहन अब जाएंगे और रोहतांग दर्रा होकर मनाली लौटेंगे। इससे उनका घूमने का मजा भी दोगुना हो गया है। रोहतांग दर्रे से गुजरने वाला मार्ग डबललेन है, मगर वनवे रहने से सैलानियों को फायदा होगा।

लॉकडाउन के बाद इन जगहों की एक ट्रिप तो बनती है

फिलहाल हम सब घरों में बंद हैं और उस दिन के इंतजार में हैं जब ये कोरोना महामारी खत्म होगी और हम फिर से खुली हवा में सांस ले पाएंगे, अपनी पसंदीदा जगहों की सैर कर पाएंगे, कभी पहाड़ों पर चढ़कर तारे देखेंगे तो कभी समंदर से बातें कर पाएंगे, यूं ही किसी मोड़ पर रुककर गोलगप्पे खाएंगे। लेकिन कोई बात नहीं, हताश होने से भी क्या हासिल होगा। अभी अगर हम घूमने नहीं जा सकते तो क्या हुआ, घर बैठे शानदार जगहों की एक बकेट लिस्ट तो बना ही सकते हैं। आपका तो पता नहीं लेकिन हमने ये बकेटलिस्ट बना ली। लॉकडाउन के बाद इन जगहों की एक-एक ट्रिप तो हम करेंगे ही। चलिए आपको भी बता देते हैं कि हमने इस लिस्ट में किन-किन जगहों को शामिल किया है। 

घूमने की कर लीजिए तैयारी, मध्य प्रदेश में खुल गए हैं सभी नेशनल पार्क्स

अगर लॉकडाउन  खुलते ही घूमने का प्लान बना रहे हैं तो ये आपके लिए अच्छी खबर है। मध्य प्रदेश में एक जून से सभी नेशनल पार्क एक महीने के लिए खुल गए हैं। मध्य प्रदेश के वन मंत्री विजय शाह ने कहा है कि कोरोना काल में प्रदेश के सभी बंद राष्ट्रीय उद्यान एक जून से 30 जून तक के लिए खोले जाएंगे।

आम, जिनका स्वाद है सबसे ख़ास

फलों के राजा आम की आमद शुरू हो गई है। जून की दोपहर में चलने वाली लू के थपेड़े इसकी मिठास बढ़ा चुके हैं। अपने लाजवाब स्वाद के चलते दुनियाभर का पसंदीदा फल आम लोगों का लालच अपनी ओर बढ़ा रहा है। इस खास फल की पैदावार देश के कई अलग-अलग राज्यों में की जाती है, और यहां के कई राज्य ऐसे हैं जहां के आम पूरे देश में मशहूर हैं। ऐसे में यहां पैदा होने वाले आम की कुछ चुनिंदा लजीज किस्मों के बारे में जानना तो बनता ही है। आम के उत्पादन के मामले में भारत का दुनिया के किसी देश से कोई मुकाबला नहीं है। पूरे विश्व में पाई जाने वाली आम की 1400 किस्म में से भारत में ही 1000 किस्म के आम पाए जाते हैं। अब देश में आम की बात करें तो इसकी सबसे ज्यादा पैदावार यहां के उत्तर प्रदेश में होती है, लेकिन गुजरात, महाराष्ट्र जैसे राज्य भी अपने-अपने आमों के लिए मशहूर हैं। 

तारकर्ली : यहां बसता है एक छोटा गोवा

नीला, इतना जैसे आसमान पानी में उतर आया हो, लहरें इतनी सरल कि तैरना न जानने वाले भी खुद को इनमें जाने से रोक न पाएं। लगभग सफेद सा रेत और दूर तक पसरी शांति, ऐसी कि लहरों की हर आवाज़ जो कहना चाहे उसे आप सुन सकें। भीड़-भाड़ से भी दूर। सुबह जब आप सोकर उठें तो समंदर की आवाज़ से ही और उसे निहारते हुए होटल की बालकनी में बैठ कर चाय की चुस्कियां लें। सब कुछ कितना अच्छा लग रहा है न? बिल्कुल ऐसा ही नजारा आपको मिल सकता है महाराष्ट्र के ऑफ बीट टूरिस्ट डेस्टिनेशन कहे जाने वाले तारकर्ली में।

कोविड के चलते सोलो ट्रिप का है प्लान? ये जगहें आएंगी पसंद

कोरोना के कहर ने हम सबकी जिंदगी काफी बदल दी है। अब पहले जैसा कुछ नहीं रहा। घूमना-फिरना भी पहले से काफी बदल गया है। साल की शुरुआत में हुए एक सर्वे में ये बात सामने आई थी अब लोग ग्रुप में घूमने के बजाय अकेले घूमना ज्यादा पसंद हैं। सोलो ट्रैवलर्स तो पहले भी हमारे यहां काफी थे लेकिन अब ये संख्या पहले से भी ज्यादा बढ़ गई है। वैसे, इसमें रोमांच हैं, बेफ्रिकी है, बिना रोक टोक के खुद को एक्सप्लोर करने का सबसे बेस्ट तरीका है सोलो ट्रैवलिंग। अगर आप भी कोविड के बाद कहीं अकेले घूमने का प्लान बना रहे हैं तो  हम बता रहे हैं आपको भारत के उन बेस्ट डेस्टिनेशन्स के बारे में जहां आप आराम से अकेले घूम सकते हैं…

समंदर के ये किनारे हैं बहुत खूबसूरत

अगर आपको समंदर की उठती-गिरती लहरें पसंद हैं। इसके किनाराें पर समय बिताना अच्छा लगता है तो ये स्टोरी आपके लिए है। हम आपके लिए ढूंढ कर लाए हैं दुनिया भर के समंदरों में से इसके सबसे सुंदर किनारे। 

ताजमहल ही नहीं, कुछ और इमारतें भी कहती हैं इश्क की कहानी

यूं तो पुरानी इमारतों, किलों को देखकर सिर्फ कारीगरी और सत्ता की लड़ाइयों की याद आती है, लेकिन हमारे देश में कुछ ऐसी इमारतें भी जो इश्क की कहानी कहती हैं। मोहब्बत की निशानी मानी जाने वाली  इन इमारतों ने पीढ़ी दर पीढ़ी लोगों को अपनी कहानी सुनाई है। 

भारत में हैं ये जंगल ट्रैक, एडवेंचर के शौकीनों के लिए जन्नत से कम नहीं

ढेर सारी हरियाली, हवा के साथ आती पत्तों की आवाजें, चिड़ियों की चहचहाहट और बीच में से कभी हाथी की चिंघाड़ तो कभी बाघ की दहाड़। ये सब शायद हर किसी को पसंद होता है। अगर आप वाइल्ड लाइफ प्रेमी हैं, तब तो सोने पर सुहागा। हमारे देश में ऐसे कई जंगल हैं जहां पर आप कुदरत की इन नेमतों का जी भर कर मजा ले सकते हैं। साथ में एडवेंचर का डोज तो होगा ही। भारत के जंगलों के बारे में लोग बहुत कम ही जानते हैं। यहां ट्रैकिंग का मजा ही कुछ और होता है। एडवेंचर के शौकीन लोगों को हाइकिंग और ट्रैकिंग का लुत्‍फ उठाने का मौका भी इन जंगलों में ही मिलता है। हम आपको बताने जा रहे हैं देश के ऐसे ही कुछ जंगलों के बारे में जहां आप खूब मजे कर सकते हैं। 

मॉनसून में खूबसूरती के उफान पर होते हैं उत्तर प्रदेश के ये झरने

पहाड़ों से नीचे गिरता झरने का पानी देखकर मन को अजीब सी शांति मिलती है। इसके कलकल बहते पानी की ठंडक मन को नई ताजगी से भर देती है। ऊंचे पर्वतों और बर्फ के ग्‍लेशियर से निकलकर समुद्र तक अपना रास्‍ता बनाने वाले झरने वाकई में बहुत खूबसूरत होते हैं। आपने उत्तराखंड, केरल, कर्नाटक, मेघालय के झरनों के बारे में तो खूब सुना और पढ़ा होगा। हो सकता है कि इनमें से कई जगह आप घूम भी आए हों लेकिन क्या आपको पता है कि राम और कृष्ण की भूमि कहे जाने वाले उत्तर प्रदेश में भी कई झरने हैं जो आपको बहुत पसंद आएंगे। मॉनसून में तो इन झरनों की सुंदरता देखने लायक होती है। आप भी चलिए हमारे साथ इन झरनों के सफर पर ...

एक छोटे से रेगिस्तान का सफर

नदियां, पहाड़, समंदर सब घूम चुके थे हम, अब मन था किसी रेगिस्तान के सफर का। रेत के टीलों के पीछे से उगते और डूबते सूरज को निहारने का। दिसम्बर, जनवरी में कोरोना का प्रकोप भी काफी हद तक कम हो चुका था तो सोचा कि क्यों न इस बार जैसलमेर के सफर पर निकला जाए, लेकिन जो आप सोचते हैं, वह पूरा हो जाए तो जिंदगी जन्नत ही न बन जाए? बहुत सारी प्लानिंग्स के बाद भी हमारा जैसलमेर जाने का ख्वाब पूरा न हो पाया। मन बड़ा ही दुखी था। इसलिए भी कि अब एक साल और इंतजार करना पड़ेगा दोबारा इस ख्वाहिश को मुकम्मल करने की जद्दोजहद के लिए, क्योंकि जनवरी के बाद जैसलमेर की गर्मी तो हम सह नहीं पाते। ख़ैर, इन सर्दियों को ऐसे तो नहीं जाने देना था तो सोचा कि क्यों न छोटे से रेगिस्तान का ही सफर कर लिया जाए। अब हमने तय किया कि हम अजमेर और पुष्कर तो घूम कर आएंगे ही। जयपुर से इस यात्रा को शुरू होना था। फरवरी महीने के एक शनिवार को सुबह हमने बैग पैक किए और निकल पड़े अजमेर के लिए। जयपुर से अजमेर का रास्ता शानदार है। वहां तक पहुंचने में हमें 2 घंटे का ही समय लगा, लेकिन पहुंचते-पहुंचते भूख लग गई थी तो सोचा कि पहले कुछ खा लिया जाए और फिर दरगाह में दर्शन किए जाएं। अजमेर शहर वैसे तो खूबसूरत है, पहाड़ियां हैं, झील है, लेकिन भीड़ बहुत है। पेट पूजा करने के बाद हमने दरगाह की ओर रुख किया।

आपको भा जाएगा नवाबी लखनऊ का शाही ज़ायका

नवाबों का शहर और अवधी खाने का गढ़ खाने के शौकीन लोगों के लिए जन्नत से कम नहीं है। यहां के टुंडे के कबाब हों या लखनवी ​बिरयानी, प्रकाश की कुल्फी फालूदा हो या रुई से भी हल्का मलाई मक्खन, इन्हें देखकर ही आपके मुंह में पानी आएगा। लखनऊ के स्वाद, खुशबू और हवा में ही जादू है। स्वाद से लबरेज़ लखनऊ की डिशेज़ आपको इस शहर का दीवाना बना देंगी। अगर आप लखनऊ घूमने आ रहे हैं तो यहां की ये फेमस डिशेज़ खाना न भूलें...

100 साल से भी पुराने, खाने के ठिकाने

भारत के किसी किस्से से कम पुरानी नहीं है ज़ायके की कहानी और  इन व्यंजनों की खुशबू उतनी ही ताजी है जितनी बगीचे में लगे पुदीने में आती है। सदियों पुराने ज़ायके और खाने की ताज़ी-ताज़ी खुशबू को आप तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं भारत में कई दशकों से चले आ रहे कैफे और रेस्त्रां। पुराने दौर के ज़ायके को आप तक पहुंचाने वाले कुछ रेस्त्रां तो नए पुरानी यादों को खुद में समेटे नए अंदाज़ में ढल गए हैं, यानी यहां आपको विंटेज वाली फीलिंग तो आएगी ही, नए ज़माने वाली लग्जरी भी मिलेगी, वहीं इनमें से कुछ खाने के ठिकाने ऐसे हैं जो आज भी लोगों को सिर्फ अपने स्वाद और नाम से ही अपनी ओर खींचने में कारगर हैं। यहां आपको न तो लग्जरी फीलिंग मिलेगी और न ही कोई विंटेज थीम, हां स्वाद ऐसा होगा कि आप सड़क पर लाइन लगाकर भी इनके यहां खाना लेने को तैयार रहेंगे। तो चलिए हमारे साथ भारत के पुराने ज़ायके के सफर पर…

100 साल से भी पुराने, खाने के ठिकाने

भारत के किसी किस्से से कम पुरानी नहीं है ज़ायके की कहानी और  इन व्यंजनों की खुशबू उतनी ही ताजी है जितनी बगीचे में लगे पुदीने में आती है। सदियों पुराने ज़ायके और खाने की ताज़ी-ताज़ी खुशबू को आप तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं भारत में कई दशकों से चले आ रहे कैफे और रेस्त्रां। पुराने दौर के ज़ायके को आप तक पहुंचाने वाले कुछ रेस्त्रां तो नए पुरानी यादों को खुद में समेटे नए अंदाज़ में ढल गए हैं, यानी यहां आपको विंटेज वाली फीलिंग तो आएगी ही, नए ज़माने वाली लग्जरी भी मिलेगी, वहीं इनमें से कुछ खाने के ठिकाने ऐसे हैं जो आज भी लोगों को सिर्फ अपने स्वाद और नाम से ही अपनी ओर खींचने में कारगर हैं। यहां आपको न तो लग्जरी फीलिंग मिलेगी और न ही कोई विंटेज थीम, हां स्वाद ऐसा होगा कि आप सड़क पर लाइन लगाकर भी इनके यहां खाना लेने को तैयार रहेंगे। तो चलिए हमारे साथ भारत के पुराने ज़ायके के सफर पर…

जहां भीगा-भीगा होगा हर नजारा

जब मौसम भीगा हो, जगहें भीगी हों, नजारे भीगे हों और आपका मन भी न भीगे, ऐसा कैसे हो सकता है! अपने मन को खुशी से सराबोर करना है तो मानसून में घूमने की तैयारी कर लीजिए। माना कि बारिश में खिड़की पर बैठकर चाय के साथ पकौड़ी खाने का अपना मजा है, लेकिन कभी किसी खूबसूरत सी जगह पर भीगते हुए भुट्टा खाकर देखिए, बाकी सारे मजे इसके सामने फीके लगेंगे। अब ये भुट्टा कहां खाना है और मानसून में घूमने के लिए बेस्ट जगहें कौन सी हैं, ये हम आपको बताएंगे।घूमने के शौकीनों ने इस बार भी गर्मी लॉकडाउन में बिता दी, लेकिन ढील मिलते ही लोग घूमने के लिए निकल पड़े। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड जैसे कई राज्यों में इस वक्त टूरिस्ट्स की भीड़ है। अगर आप भीड़ के डर से वहां अभी जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं? मौसम और लैंडस्लाइड को लेकर परेशान हैं? मानसून के बाद जाया जा सकता है कि नहीं? अगर इस तरह के सवाल आपके जेहन में उठ रहे हों तो टेंशन न लें। आपके सारे सवालों के जवाब देने के लिए हम हैं न!

गलियां... जो शहरों का दिल हैं

इस शहर ने देखे हैं तमाम मौसम गुजरते हुएइसकी गलियों में आज भी उनकी खुशबू बाकी हैकहते हैं कि किसी शहर को समझना हो तो वहां की गलियों में झांकिए। ऊंची- ऊंची इमारतें, मॉल, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स और पार्क बनाकर शहर का जितना भी मेकअप कर दिया जाए, लेकिन खूबसूरती तो दिल में होती है और शहर का दिल उसकी गलियों में बसता है। इसलिए आज हम आपके लिए लेकर आए हैं देश भर के कुछ शहरों की गलियां, उन गलियों में बसी यादें और उनसे जुड़े किस्से।आप किसी शहर को एक्सप्लोर करना चाहते हैं, वहां की टिकट बुक करा ली, सभी घूमने वाली जगहों की लिस्ट बना ली और सफर पर निकल गए, लेकिन अगर आपने वहां की सबसे मशहूर गलियों या सड़कों का चक्कर नहीं लगाया तो समझिए आपने सब कुछ मिस कर दिया। आपसे ऐसी गलती न हो इसलिए इन गलियों का एक चक्कर जरूर लगा लें।

जहां हर जगह पक्षियों की चहचहाहट है...

कुदरत के करीब कुछ सुकून के पल बिताना, पक्षियों के कलरव के साथ कोई गीत गुनगुनाना, नदी के बहते पानी की आवाज सुनना, ये सब किसे अच्छा नहीं लगता। अगर आप भी ऐसी ही किसी जगह कुछ वक्त बिताना चाहते हैं तो उत्तर प्रदेश के पक्षी विहार आपके इंतजार में हैं। यहां कई पक्षी विहार हैं जिन्हें प्रकृति ने अपनी खूबसूरती से संवारा तो। आप भी चलिए हमारे साथ इनके सफर पर। 

असली ताजमहल से कम खूबसूरत नहीं है ये 'दक्षिण का ताजमहल'

वैसे तो वास्तुकला की जब बात होती है तो सबसे ऊपर ताजमहल का नाम आता है लेकिन औरंगाबाद में बना 'छोटा ताजमहल' यानी बीबी का मकबरा भी किसी से कम नहीं है। यूं तो औरंगजेब ने अपने शासन काल में ज्यादा इमारतों का निर्माण नहीं कराया लेकिन बीबी का मकबरा औरंगजेब के शासन काल की ही निशानी है। मंदिर हों या मस्जिद, गुरुद्वारे हों या गिरिजाघर, किले हों या महल, भारत में हर चीज का एक स्वर्णिम इतिहास है। यहां की इमारतों इतनी खास हैं कि लोग पूरी दुनिया से उन्हें देखने, उनके बारे में जानने यहां चले आते हैं। वैसे तो यहां हर शासक ने अपने शासन काल में कुछ न कुछ ऐसा किया है कि उसको हमेशा याद रखा जाए लेकिन मुगल काल में भारत को कई ऐसी इमारतें मिलीं जो पूरी दुनिया में मशहूर हो गईं। मुगल भारत आए और भारत की जनता पर शासन किया, लेकिन उन्हें हमारा देश इतना भाया कि वे यहीं के होकर रह गए और शासन काल में वास्तुकला के कई नायाब नमूने हमारे लिए छोड़ गए। दक्षिण का ताजमहल यानी बीबी का मकबरा भी उनमें से एक है।

भारतीय पेपर मनी का दिलचस्प इतिहास बताता है यह म्यूजिमय, यहां है कमाल का कलेक्शन

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया दो कमाल के म्यूजियम चलाती है। पहला- मुंबई में (द मॉनेटरी म्यूजियम) और दूसरा - कोलकाता में (आरबीआई म्यूजियम), जो पैसे के इतिहास, मॉनेटरी ट्रांजेक्शन आदि का काम करते हैं। लेकिन अगर आप विशेष रूप से भारतीय रुपये के नोटों के बारे में जानना चाहते हैं तो आपको बंगलुरु के रिजवान रजाक म्यूजियम ऑफ इंडियन पेपर मनी का रुख करना चाहिए। 2020 में शुरू हुए इस म्यूजियम में भारतीय पेपर मनी और संबंधित सामग्री का बेहतरीन संग्रह है। यह रिजवान रजाक के पर्सनल कलेक्शन से बनाया गया म्यूजियम है, जो प्रेस्टीज ग्रुप के सह-संस्थापक और प्रेस्टीज एस्टेट्स प्रोजेक्ट्स के प्रबंध निदेशक हैं। 2012 में, रजाक ने 'द रिवाइज्ड स्टैंडर्ड रेफरेंस गाइड टू इंडियन पेपर मनी' नामक एक पुस्तक का सह-लेखन किया, जिसे तब से 'बाइबल फॉर इंडियन पेपर मनी' कहा जाता है। 2017 में, उन्होंने भारत में एक रुपये के नोट के जारी होने की 100 वीं वर्षगांठ के अवसर पर एक दूसरी पुस्तक, 'वन रुपया - वन हंड्रेड इयर्स 1917-2017' लिखी। भारतीय पेपर मनी का उनका संग्रह आज दुनिया में सबसे व्यापक माना जाता है। 50 वर्षों की मेहनत से उन्होंने ये कलेक्शन बनाया है, जिसमें उनकी मेहनत और लगन साफ दिखती है। 

कम समय और कम पैसों में घूमिए दिल्ली के पास की ये जगहें

हंसी वादियां और खुला आसमां, ऐसा कौन है जिसका ये सब देखने का मन न करता हो? कोई बड़ा घुमक्कड़ होता है तो कोई गाहे-बगाहे घूमने का प्लान बनाता है। कई लोग होते हैं जिनके सारे प्लान सक्सेस हो जाते हैं लेकिन कई लोग होते हैं जो प्लान तो बनाते हैं लेकिन वे मुकम्मल नहीं हो पाते। कभी वक्त नहीं होता और कभी बजट ये ख्वाहिश पूरी करने से रोक देता है। अगर आपके साथ भी ऐसा होता है तो परेशान न हों। हम आपके लिए ले आए हैं कुछ ऐसी जगहों की लिस्ट जहां आप बहुत कम खर्च में और कम समय में घूम सकते हैं। अगर आप दिल्ली में रहते हैं तो ये लिस्ट आपके लिए ही है। 

श्राद्ध पक्ष में इन जगहों का है विशेष महत्व, पिंडदान के लिए जाते हैं लोग

भारत में भाद्रपद महीने की पूर्णिमा से श्राद्ध पक्ष या पितृ पक्ष की शुरुआत होती है। पितृपक्ष 15 दिन चलता है यानी अश्विन महीने की अमावस्या तक। इस साल यह 20 सितंबर से शुरू होकर 6 अक्टूबर तक चलेगा और 7 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र शुरू हो जाएंगे। पितृ पक्ष में लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करते हैं और ब्राह्मणों को भोजन कराते हैं। देश में ऐसी कई जगहें हैं जो पूर्वजों जहां जाकर लोग अपने पूर्वजों का पिंडदान करते हैं। आप भी जानिए इन जगहों के बारे में...

खूबसूरती का खजाना हैं हिमाचल के ये गांव

पहाड़ों पर घूमना हो तो हिमाचल प्रदेश लोवों की फेहरिस्त में सबसे ऊपर आता है। हिमाचल प्रदेश का नाम आते ही सबको कुल्लू और मनाली की याद आ जाती है। अक्सर लोग शिमला, कुल्लू और मनाली घूमने के बारे में सोचते हैं। टूर एंड ट्रैवल एजेंट्स भी आपको कुल्लू, मनाली, शिमला, रोहतांग जैसे शहरों के शानदार पैकेज भी देते हैं, लेकिन अगर आप भीड़ से बचकर हिमाचल प्रदेश की वादियों का आनंद लेना चाहते हैं तो आपको यहां के गांवों की तरफ रुख करना होगा। हिमाचल प्रदेश के गांवों में आने के बाद कुल्लू, मनाली और शिमला जरूर भूल जाएंगे।राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है। बापूजी का यह कथन हिमाचल प्रदेश के गांवों पर बिल्कुल ही सटीक बैठता है। प्राकृतिक सौंदर्य से लबालब हिमाचल प्रदेश में जहां कई मं‍दिर हैं, वहीं ऐसे बौद्ध मठ भी हैं, जो अपनी बेहतरीन कला शैली की वजह से सभी को अपनी ओर आकर्षि‍त करते हैं। हर सुविधाओं से युक्त हिमाचल प्रदेश के गांवों में अगर आप एक बार आ गए, तो आपका हर बारे जाने का मन करेगा। बादलों के बीच बसे खूबसूरत गांवों में आने के बाद आपको यहां का शांत वातारण और प्राकृतिक सुंदरता जरूर मोह लेगी। यहां के खूबसूरत गांवों में चाहे चितकुल गांव हो या फिर लांगजा गांव। यहां हर तरफ फैली हरियाली आपका दिल जीत लेगी।

जहां धड़कता है श्री कृष्ण का दिल

कहते हैं कि जब भगवान श्री कृष्ण ने अपनी देह का त्याग किया और उनका अंतिम संस्कार किया गया तो एक हिस्से को छोड़कर उनका पूरा शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया। उनका हृदय जो उनके इस दुनिया से विदा लेने के बाद भी धड़कता रहा। कहते हैं कि वह दिल आज भी सुरक्षित है और भगवान जगन्नाथ की लकड़ी की मूर्ति के अंदर है। ओडिशा के पुरी शहर में बना भगवान जगन्नाथ का मंदिर अपने अंदर हज़ारों रहस्य समेटे है। इस बार हम आपको बताएंगे इसी मंदिर का इतिहास। 

जहां धड़कता है श्री कृष्ण का दिल

कहते हैं कि जब भगवान श्री कृष्ण ने अपनी देह का त्याग किया और उनका अंतिम संस्कार किया गया तो एक हिस्से को छोड़कर उनका पूरा शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया। उनका हृदय जो उनके इस दुनिया से विदा लेने के बाद भी धड़कता रहा। कहते हैं कि वह दिल आज भी सुरक्षित है और भगवान जगन्नाथ की लकड़ी की मूर्ति के अंदर है। ओडिशा के पुरी शहर में बना भगवान जगन्नाथ का मंदिर अपने अंदर हज़ारों रहस्य समेटे है। इस बार हम आपको बताएंगे इसी मंदिर का इतिहास। 

चाय की चुस्कियों में खो जाएंगे यहां

सौ गम भुला देगी और खुशियां बढ़ा देगी एक चाय की चुस्की को ये कमाल आता हैहो यारों की टोली या मेहमानों का जमघटमहफ़िल में हर तरह से रौनक बढ़ा देगीएक चाय की चुस्की को ये कमाल आता हैहो समंदर का किनारा या पहाड़ों की चोटीसफर को ये पहले से खूबसूरत बना देगीएक चाय की चुस्की को ये कमाल आता हैजी हां, एक चाय की चुस्की में वाकई ये कमाल है कि वो हर किसी को अपना दीवाना बना लेती है। खासकर जब हम सफर कर रहे होते हैं तब तो चाय ही हमारा पक्का हमसफ़र बनती है। तो चलिए आज हम आपको ले चलते हैं चाय के साथ, चाय के सफर पर। अरे, मेरा मतलब है चाय के बागानों के सफर पर...आपका तो पता नहीं, लेकिन मेरा कोई जानने वाला अगर ये कह देता है कि उसे चाय पसंद नहीं तो मुझे वही पसंद आना बंद हो जाता है। सुबह आंख खुलने से लेकर रात में सोने तक जब भी कोई पूछे - चाय पिओगी? हमारा जवाब 'न' हो ही नहीं सकता। गली का नुक्कड़ हो या घर का कमरा, दूर तक फैली वादियां हों या घने जंगल का कोई कोना, बेड पर बिस्तर में घुसकर या खुले आसमान में सितारों के नीचे, जगह कोई भी हो, मौसम कोई भी हो, मूड कैसा भी, हो चाय उसे अच्छा बना देती है। तो ज़्यादा बातें किए बिना मैं आपको ले चलती हूं देश के सबसे अच्छे चाय बागानों की यात्रा पर। आखिर आपको भी तो पता होना चाहिए कि आपकी रग-रग को ताज़गी से भर देने वाली चाय आखिर आती कहां से है।दार्जीलिंग, पश्चिम बंगालशैम्पेन ऑफ टी के नाम से मशहूर है दार्जीलिंग शहर। दार्जिलिंग में चाय के 87 बागान हैं जिनमें हर साल लगभग 85 लाख किलो चाय पैदा होती है। यहां के हर बागान में अपने तरह की अनूठी, शानदार खुशबू वाली चाय तैयार की जाती है। दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची चोटी कंचनजंगा की ढलानों पर बसी हैं दार्जीलिंग की पहाड़ियां और इन पहाड़ियों पर हैं यहां के चाय बागान। वैसे तो यहां की हर चाय खास है, लेकिन दार्जीलिंग से 33 किलोमीटर दक्षिण की तरफ दुनिया की सबसे पुरानी चाय की फ़ैक्ट्रियों में से एक है जिसमें एक दुर्लभ किस्म की चाय की पत्ती और कली मिलती है। इसे सिल्वर टिप्स इम्पीरियल के नाम से जाना जाता है। इस चाय की कलियों को कुछ खास लोग ही तोड़ते हैं जिनका ताल्लुक मकाईबाड़ी चाय बागान से होता है। सिल्वर टिप्स इम्पीरियल चाय को पूर्णमासी की रात में ही तोड़ा जाता है। इस चाय की कीमत लगभग 37,000 रुपये किलो है। कोई बात नहीं अगर आप इतनी महंगी चाय नहीं पीना चाहते। यहां के किसी भी बागान में हरियाली के बीच बैठकर चाय पीजिए आपको मज़ा आ ही जाएगा। कैसे पहुंचें दार्जीलिंगदार्जीलिंग पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी एयरपोर्ट बागडोगरा है जो यहां से 67 किलोमीटर दूर है। सड़क के रास्ते ढाई घंटे में आप एयरपोर्ट से दार्जीलिंग पहुंच सकते हैं। नजदीकी रेलवे स्टेशन न्यू जलपाईगुड़ी है जो यहां से 70 किलोमीटर दूर है। आप चाहें तो गंगटोक, कलिम्पोंग, सिलीगुड़ी जैसे शहरों से सड़क मार्ग के जरिए भी दार्जीलिंग जा सकते हैं।जोरहाट, असमआसाम का जोरहाट सबसे बड़ा चाय उत्पादक क्षेत्र माना जाता है। यहां और इसके आसपास के इलाकों में चाय के लगभग 135 बागान हैं। यहां के सिन्‍नामोरा चाय बागान की खूबसूरती बेमिसाल है। बागान में चाय की छोटी - छोटी झाड़ियों से गुजरते हुए सैर की जा सकती है। अगर आप जानना चाहते है कि चाय कैसे बनाई जाती है, उसे कैसे उगाया जाता है तो सिन्‍नोमोरा चाय बागान सबसे अच्छी जगह है। यहां आप ये सब देख सकते हैं। इसके अलावा यहां का टोकलाई चाय अनुसंधान केंद्र, दुनिया का सबसे पुराना चाय संस्‍थान है जो जोरहाट की सुंदरता को बढ़ाता है। यहां हर वर्ष चाय महोत्सव मनाया जाता है। यानी चाय के दीवानों के लिए एकदम परफेक्ट दिन। यही वजह है कि हर साल इस दिन भारी तादाद में पर्यटकों की भीड़ यहां पहुंच जाती है। कैसे पहुंचें जोरहाट, असमजोरहाट, असम के अन्‍य भागों से अच्‍छी तरह जुड़ा हुआ है और देश के अन्‍य हिस्‍सों में भी यहां से होकर गुजरने वाले राष्‍ट्रीय राजमार्ग द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है। जोरहाट में निजी हवाई अड्डा और रेलवे स्‍टेशन भी है।मुन्नार, केरलघूमने के शौकीन और कुदरत के चाहने वाले केरल को 'God's own country' कहते हैं। यूं तो केरल में हर जगह खास और घूमने लायक है, लेकिन मुन्नार की बात ही कुछ और है। तकरीबन 1700 मीटर की ऊंचाई पर बसे इस हिल स्टेशन की घुमावदार गोल-गोल पहाड़ियों पर एक ही ऊंचाई के चाय के पौधों को देखकर ऐसा लगता है जैसे किसी ने पूरे इलाके में हरे रंग की मखमली कालीन बिछा दी हो। अंग्रेजों ने 1857 में मुन्नार में चाय बागान की नींव रखी थी। जॉन डेनियल मुनरो जब केरल पहुंचे तो उन्हें इस जगह से प्यार हो गया। बस तभी से केरल चाय बागानों का घर बन गया। यहां - एवीटी चाय, हैरिसन मलयालम, सेवनमल्ले टी एस्टेट, ब्रुक बॉन्ड जैसे कई चाय बागान हैं। खास बात यह है कि आप इन चाय बागानों में रुक भी सकते हैं। केरल का राज्य पर्यटन विभाग यात्रियों को ये सुविधाएं देता है। यहां टाटा टी ने एक म्यूजियम भी बना रखा है, जहां चाय उगाने से लेकर उसे प्रॉसेस करने की पूरी प्रक्रिया देख सकते हैं। यहां पुरानी तस्वीरों के साथ एक वीडियो के जरिए चाय के इतिहास की पूरी जानकारी मिलेगी।कैसे पहुंचें मुन्नार, केरलमुन्नार से सबसे नजदीकी एयरपोर्ट कोचीन है। जहां से पर्यटक आसानी से बस या टैक्सी द्वारा मुन्नार पहुंच सकते हैं। रेल मार्ग से पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन एर्नाकुलम है। बस मार्ग से भी आप केरल आसानी से पहुंच सकते हैं। ऊटी, तमिलनाडुदक्षिण भारत में पहाड़ों की रानी कही जाने वाली ऊटी हर तरह की खूबसूरती अपने आप में समेटे हैं। यहां पहाड़ों की ठंडक है, बगीचों की हरियाली और झीलों की ताज़गी भी, इसके साथ ही यहां कई एकड़ों में फैले चाय के बागान भी हैं जिनकी खुशबू लोगों पर अपना जादू चलाने में कोई कसर नहीं छोड़ती। नीलगिरी की पहाड़ियों पर ऊंचे-नीचे चाय के बागान देखकर आपका मन करेगा कि यहीं इन हरी पत्तियों के झुरमुट के बीच बैठकर एक प्याली चाय तो पी ही लेनी चाहिए। ऊटी में पैदा होने वाली चाय की भारत में तो खपत है ही, ये अमेरिका और ब्रिटेन में भी निर्यात की जाती है। ऊटी से 17 किलोमीटर की दूरी पर कुनूर टी एस्टेट यहां का सबसे मशहूर चाय का बागान है। यहां आपको कई तरह की चाय की खुशबू के साथ जंगली फूलों की सुंदरता भी देखने को मिलेगी। इसके अलावा लैम्ब्स रॉक टी एस्टेट भी देखने लायक है। यहां से कोयम्बटूर के प्लेन्स भी साफ दिखाई देते हैं। खास बात ये है कि लैम्ब्स रॉक में आप चाय के साथ कॉफ़ी प्लान्टेशन भी देख पाएंगे। ऊटी का स्विट्जरलैंड कही जाने वाली केटी वैली का एक ट्रिप भी आप चाय के बागानों को देखने के लिए कर सकते हैं। कैसे पहुंचें ऊटी, तमिलनाडुऊटी का नजदीकी एयरपोर्ट कोयम्बटूर एयरपोर्ट है जो ऊटी से 85 किलोमीटर दूर है। दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, अहमदाबाद समेत देश के प्रमुख शहरों से नियमित फ्लाइट्स कोयंम्बटूर आती हैं। ऊटी से 40 किलोमीटर दूर स्थित मेट्टूपलयम ऊटी का नजदीकी रेलवे स्टेशन है। चेन्नई, मैसूर, बेंगलुरु समेत कई नजदीकी शहरों से नियमित ट्रेनें मेट्टूपलयम आती हैं। यहां से आपको ऊटी के लिए ट्वॉय ट्रेन मिल जाएगी। ट्वॉय ट्रेन का सफर आपकी ट्रिप को यादगार बना देगा। ट्रेन की कई जगह बगानों से होकर गुजरती है। आप चाहें तो तमिलनाडु स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन की बस सर्विस के जरिए भी ऊटी पहुंच सकते हैं। इसके अलावा बेंगलुरु, चेन्नई और मैसूर जैसे पड़ोसी शहरों से भी सरकारी औऱ प्राइवेट बसें ऊटी के लिए चलती हैं।पालमपुर, हिमाचल प्रदेशउत्तर पश्चिमी भारत की चाय की राजधानी के रूप में जाना जाता है हिमाचल प्रदेश की कांगड़ा घाटी का पालमपुर। कई एकड़ क्षेत्र में फैले चाय के बागान ही यहां के लोगों की आजीविका का प्रमुख साधन हैं। यहां के इतिहास की मानें तो 1849 में उत्तर - पश्चिम सीमांत प्रांत में बॉटनिकल गार्डन के अधीक्षक डॉ. जेम्सन ने यहां चाय के बागानों की शुरुआत की थी। 1883 में चाय के कारण ही इसे पूरी दुनिया में पहचान मिली। बाजार में जो दरबारी, बागेश्वरी, बहार और मल्हार नाम से चाय बिकती है, वह यहीं की कांगड़ा किस्म की चाय होती है। ये सभी ब्रांड्स के नाम संगीत के रागों के नाम पर हैं। कांगड़ा की हवा, मिट्टी और बर्फ ढके पहाड़ों की ठंडक, ये सब मिलकर यहां की चाय को खास बनाते हैं और आपकी चाय के कप में जादू घोल देते हैं। पालमपुर आए हैं तो चाय के बागानों की सैर कभी भी मिस न करिएगा। आप यहां चाय बनाने का पूरा तरीका भी देख सकते हैं। चाय बागानों में एक झोपड़ी में गर्म कांगड़ा चाय के एक कप का स्वाद लेना भी आपके लिए बेहद खास साबित हो सकता है। और हां, इसकी एक तस्वीर लेना बिल्कुल मत भूलिएगा।कैसे पहुंचें पालमपुर, हिमाचल प्रदेशपालमपुर का निकटतम हवाई अड्डा गग्गल हवाई अड्डा है। जो यहां से 25 किमी की दूरी पर है। सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन पठानकोट है जो यहां से 90 किलोमीटर की दूरी पर है। पालमपुर हिमाचल प्रदेश के सभी प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। यहां के लिए सीधी बसें धर्मशाला, मनाली, कांगड़ा, चंडीगढ़ और शिमला से चलती हैं।टेमी टी एस्टेट, सिक्किमसिक्किम के टेमी चाय बागान की स्थापना यहां के राजा चोग्याल के शासनकाल में 1969 में हुई थी। कुछ समय बाद 1977 में बड़े पैमाने पर इसका उत्पादन शुरू हो गया। यहां चाय बागान के रोजमर्रा के कामकाज को ठीक ढंग से रखा व किया जा सके, इसलिए 1974 में चाय बोर्ड की बनाया गया। कुछ समय बाद टेमी टी एस्टेट सरकारी उद्योग विभाग की सहायक कम्पनी बन गई। खास बात यह है कि यहां 440 एकड़ से भी ज़्यादा क्षेत्र में जैविक खेती करके लगभग 100 टन चाय उगाई जाती है। यदि बड़े चाय बागानों से मुकाबला किया जाए, तो यह पैदावार बहुत ज्यादा नहीं है, लेकिन इसकी गुणवत्ता और सुगंध ने भारत और दुनिया भर के चाय प्रेमियों का दिल जीत लिया है। जर्मनी, ब्रिटेन, अमेरिका और जापान टेमी चाय के प्रमुख खरीदार हैं। टेमी चाय को भारतीय चाय बोर्ड की तरफ से साल 1994 और 1995 के लिए "अखिल भारतीय गुणवत्ता पुरस्कार" भी मिल चुका है। यहां से कंचनजंगा की ऊंची चोटियां भी साफ दिखती हैं। वैसे तो यहां नवम्बर के महीने में चेरी के फूल भी देखने लायक होते हैं, लेकिन सालभर यहां का मौसम अच्छा ही रहता है। कैसे पहुंचें सिक्किमयहां का निकटतम हवाईअड्डा बागडोगरा है जो यहां से 118 किलोमीटर की दूरी पर है। देश के लगभग सभी बड़े हवाईअड्डों से यहां के लिए फ्लाइट मिल जाती हैं। सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन न्यू जलपाईगुड़ी है, जिसकी दूरी 114 किलोमीटर है। आगे की दूरी आप टैक्सी से तय कर सकते हैं। 

चाय की चुस्कियों में खो जाएंगे यहां

सौ गम भुला देगी और खुशियां बढ़ा देगी एक चाय की चुस्की को ये कमाल आता हैहो यारों की टोली या मेहमानों का जमघटमहफ़िल में हर तरह से रौनक बढ़ा देगीएक चाय की चुस्की को ये कमाल आता हैहो समंदर का किनारा या पहाड़ों की चोटीसफर को ये पहले से खूबसूरत बना देगीएक चाय की चुस्की को ये कमाल आता हैजी हां, एक चाय की चुस्की में वाकई ये कमाल है कि वो हर किसी को अपना दीवाना बना लेती है। खासकर जब हम सफर कर रहे होते हैं तब तो चाय ही हमारा पक्का हमसफ़र बनती है। तो चलिए आज हम आपको ले चलते हैं चाय के साथ, चाय के सफर पर। अरे, मेरा मतलब है चाय के बागानों के सफर पर...आपका तो पता नहीं, लेकिन मेरा कोई जानने वाला अगर ये कह देता है कि उसे चाय पसंद नहीं तो मुझे वही पसंद आना बंद हो जाता है। सुबह आंख खुलने से लेकर रात में सोने तक जब भी कोई पूछे - चाय पिओगी? हमारा जवाब 'न' हो ही नहीं सकता। गली का नुक्कड़ हो या घर का कमरा, दूर तक फैली वादियां हों या घने जंगल का कोई कोना, बेड पर बिस्तर में घुसकर या खुले आसमान में सितारों के नीचे, जगह कोई भी हो, मौसम कोई भी हो, मूड कैसा भी, हो चाय उसे अच्छा बना देती है। तो ज़्यादा बातें किए बिना मैं आपको ले चलती हूं देश के सबसे अच्छे चाय बागानों की यात्रा पर। आखिर आपको भी तो पता होना चाहिए कि आपकी रग-रग को ताज़गी से भर देने वाली चाय आखिर आती कहां से है।दार्जीलिंग, पश्चिम बंगालशैम्पेन ऑफ टी के नाम से मशहूर है दार्जीलिंग शहर। दार्जिलिंग में चाय के 87 बागान हैं जिनमें हर साल लगभग 85 लाख किलो चाय पैदा होती है। यहां के हर बागान में अपने तरह की अनूठी, शानदार खुशबू वाली चाय तैयार की जाती है। दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची चोटी कंचनजंगा की ढलानों पर बसी हैं दार्जीलिंग की पहाड़ियां और इन पहाड़ियों पर हैं यहां के चाय बागान। वैसे तो यहां की हर चाय खास है, लेकिन दार्जीलिंग से 33 किलोमीटर दक्षिण की तरफ दुनिया की सबसे पुरानी चाय की फ़ैक्ट्रियों में से एक है जिसमें एक दुर्लभ किस्म की चाय की पत्ती और कली मिलती है। इसे सिल्वर टिप्स इम्पीरियल के नाम से जाना जाता है। इस चाय की कलियों को कुछ खास लोग ही तोड़ते हैं जिनका ताल्लुक मकाईबाड़ी चाय बागान से होता है। सिल्वर टिप्स इम्पीरियल चाय को पूर्णमासी की रात में ही तोड़ा जाता है। इस चाय की कीमत लगभग 37,000 रुपये किलो है। कोई बात नहीं अगर आप इतनी महंगी चाय नहीं पीना चाहते। यहां के किसी भी बागान में हरियाली के बीच बैठकर चाय पीजिए आपको मज़ा आ ही जाएगा। कैसे पहुंचें दार्जीलिंगदार्जीलिंग पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी एयरपोर्ट बागडोगरा है जो यहां से 67 किलोमीटर दूर है। सड़क के रास्ते ढाई घंटे में आप एयरपोर्ट से दार्जीलिंग पहुंच सकते हैं। नजदीकी रेलवे स्टेशन न्यू जलपाईगुड़ी है जो यहां से 70 किलोमीटर दूर है। आप चाहें तो गंगटोक, कलिम्पोंग, सिलीगुड़ी जैसे शहरों से सड़क मार्ग के जरिए भी दार्जीलिंग जा सकते हैं।जोरहाट, असमआसाम का जोरहाट सबसे बड़ा चाय उत्पादक क्षेत्र माना जाता है। यहां और इसके आसपास के इलाकों में चाय के लगभग 135 बागान हैं। यहां के सिन्‍नामोरा चाय बागान की खूबसूरती बेमिसाल है। बागान में चाय की छोटी - छोटी झाड़ियों से गुजरते हुए सैर की जा सकती है। अगर आप जानना चाहते है कि चाय कैसे बनाई जाती है, उसे कैसे उगाया जाता है तो सिन्‍नोमोरा चाय बागान सबसे अच्छी जगह है। यहां आप ये सब देख सकते हैं। इसके अलावा यहां का टोकलाई चाय अनुसंधान केंद्र, दुनिया का सबसे पुराना चाय संस्‍थान है जो जोरहाट की सुंदरता को बढ़ाता है। यहां हर वर्ष चाय महोत्सव मनाया जाता है। यानी चाय के दीवानों के लिए एकदम परफेक्ट दिन। यही वजह है कि हर साल इस दिन भारी तादाद में पर्यटकों की भीड़ यहां पहुंच जाती है। कैसे पहुंचें जोरहाट, असमजोरहाट, असम के अन्‍य भागों से अच्‍छी तरह जुड़ा हुआ है और देश के अन्‍य हिस्‍सों में भी यहां से होकर गुजरने वाले राष्‍ट्रीय राजमार्ग द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है। जोरहाट में निजी हवाई अड्डा और रेलवे स्‍टेशन भी है।मुन्नार, केरलघूमने के शौकीन और कुदरत के चाहने वाले केरल को 'God's own country' कहते हैं। यूं तो केरल में हर जगह खास और घूमने लायक है, लेकिन मुन्नार की बात ही कुछ और है। तकरीबन 1700 मीटर की ऊंचाई पर बसे इस हिल स्टेशन की घुमावदार गोल-गोल पहाड़ियों पर एक ही ऊंचाई के चाय के पौधों को देखकर ऐसा लगता है जैसे किसी ने पूरे इलाके में हरे रंग की मखमली कालीन बिछा दी हो। अंग्रेजों ने 1857 में मुन्नार में चाय बागान की नींव रखी थी। जॉन डेनियल मुनरो जब केरल पहुंचे तो उन्हें इस जगह से प्यार हो गया। बस तभी से केरल चाय बागानों का घर बन गया। यहां - एवीटी चाय, हैरिसन मलयालम, सेवनमल्ले टी एस्टेट, ब्रुक बॉन्ड जैसे कई चाय बागान हैं। खास बात यह है कि आप इन चाय बागानों में रुक भी सकते हैं। केरल का राज्य पर्यटन विभाग यात्रियों को ये सुविधाएं देता है। यहां टाटा टी ने एक म्यूजियम भी बना रखा है, जहां चाय उगाने से लेकर उसे प्रॉसेस करने की पूरी प्रक्रिया देख सकते हैं। यहां पुरानी तस्वीरों के साथ एक वीडियो के जरिए चाय के इतिहास की पूरी जानकारी मिलेगी।कैसे पहुंचें मुन्नार, केरलमुन्नार से सबसे नजदीकी एयरपोर्ट कोचीन है। जहां से पर्यटक आसानी से बस या टैक्सी द्वारा मुन्नार पहुंच सकते हैं। रेल मार्ग से पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन एर्नाकुलम है। बस मार्ग से भी आप केरल आसानी से पहुंच सकते हैं। ऊटी, तमिलनाडुदक्षिण भारत में पहाड़ों की रानी कही जाने वाली ऊटी हर तरह की खूबसूरती अपने आप में समेटे हैं। यहां पहाड़ों की ठंडक है, बगीचों की हरियाली और झीलों की ताज़गी भी, इसके साथ ही यहां कई एकड़ों में फैले चाय के बागान भी हैं जिनकी खुशबू लोगों पर अपना जादू चलाने में कोई कसर नहीं छोड़ती। नीलगिरी की पहाड़ियों पर ऊंचे-नीचे चाय के बागान देखकर आपका मन करेगा कि यहीं इन हरी पत्तियों के झुरमुट के बीच बैठकर एक प्याली चाय तो पी ही लेनी चाहिए। ऊटी में पैदा होने वाली चाय की भारत में तो खपत है ही, ये अमेरिका और ब्रिटेन में भी निर्यात की जाती है। ऊटी से 17 किलोमीटर की दूरी पर कुनूर टी एस्टेट यहां का सबसे मशहूर चाय का बागान है। यहां आपको कई तरह की चाय की खुशबू के साथ जंगली फूलों की सुंदरता भी देखने को मिलेगी। इसके अलावा लैम्ब्स रॉक टी एस्टेट भी देखने लायक है। यहां से कोयम्बटूर के प्लेन्स भी साफ दिखाई देते हैं। खास बात ये है कि लैम्ब्स रॉक में आप चाय के साथ कॉफ़ी प्लान्टेशन भी देख पाएंगे। ऊटी का स्विट्जरलैंड कही जाने वाली केटी वैली का एक ट्रिप भी आप चाय के बागानों को देखने के लिए कर सकते हैं। कैसे पहुंचें ऊटी, तमिलनाडुऊटी का नजदीकी एयरपोर्ट कोयम्बटूर एयरपोर्ट है जो ऊटी से 85 किलोमीटर दूर है। दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, अहमदाबाद समेत देश के प्रमुख शहरों से नियमित फ्लाइट्स कोयंम्बटूर आती हैं। ऊटी से 40 किलोमीटर दूर स्थित मेट्टूपलयम ऊटी का नजदीकी रेलवे स्टेशन है। चेन्नई, मैसूर, बेंगलुरु समेत कई नजदीकी शहरों से नियमित ट्रेनें मेट्टूपलयम आती हैं। यहां से आपको ऊटी के लिए ट्वॉय ट्रेन मिल जाएगी। ट्वॉय ट्रेन का सफर आपकी ट्रिप को यादगार बना देगा। ट्रेन की कई जगह बगानों से होकर गुजरती है। आप चाहें तो तमिलनाडु स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन की बस सर्विस के जरिए भी ऊटी पहुंच सकते हैं। इसके अलावा बेंगलुरु, चेन्नई और मैसूर जैसे पड़ोसी शहरों से भी सरकारी औऱ प्राइवेट बसें ऊटी के लिए चलती हैं।पालमपुर, हिमाचल प्रदेशउत्तर पश्चिमी भारत की चाय की राजधानी के रूप में जाना जाता है हिमाचल प्रदेश की कांगड़ा घाटी का पालमपुर। कई एकड़ क्षेत्र में फैले चाय के बागान ही यहां के लोगों की आजीविका का प्रमुख साधन हैं। यहां के इतिहास की मानें तो 1849 में उत्तर - पश्चिम सीमांत प्रांत में बॉटनिकल गार्डन के अधीक्षक डॉ. जेम्सन ने यहां चाय के बागानों की शुरुआत की थी। 1883 में चाय के कारण ही इसे पूरी दुनिया में पहचान मिली। बाजार में जो दरबारी, बागेश्वरी, बहार और मल्हार नाम से चाय बिकती है, वह यहीं की कांगड़ा किस्म की चाय होती है। ये सभी ब्रांड्स के नाम संगीत के रागों के नाम पर हैं। कांगड़ा की हवा, मिट्टी और बर्फ ढके पहाड़ों की ठंडक, ये सब मिलकर यहां की चाय को खास बनाते हैं और आपकी चाय के कप में जादू घोल देते हैं। पालमपुर आए हैं तो चाय के बागानों की सैर कभी भी मिस न करिएगा। आप यहां चाय बनाने का पूरा तरीका भी देख सकते हैं। चाय बागानों में एक झोपड़ी में गर्म कांगड़ा चाय के एक कप का स्वाद लेना भी आपके लिए बेहद खास साबित हो सकता है। और हां, इसकी एक तस्वीर लेना बिल्कुल मत भूलिएगा।कैसे पहुंचें पालमपुर, हिमाचल प्रदेशपालमपुर का निकटतम हवाई अड्डा गग्गल हवाई अड्डा है। जो यहां से 25 किमी की दूरी पर है। सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन पठानकोट है जो यहां से 90 किलोमीटर की दूरी पर है। पालमपुर हिमाचल प्रदेश के सभी प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। यहां के लिए सीधी बसें धर्मशाला, मनाली, कांगड़ा, चंडीगढ़ और शिमला से चलती हैं।टेमी टी एस्टेट, सिक्किमसिक्किम के टेमी चाय बागान की स्थापना यहां के राजा चोग्याल के शासनकाल में 1969 में हुई थी। कुछ समय बाद 1977 में बड़े पैमाने पर इसका उत्पादन शुरू हो गया। यहां चाय बागान के रोजमर्रा के कामकाज को ठीक ढंग से रखा व किया जा सके, इसलिए 1974 में चाय बोर्ड की बनाया गया। कुछ समय बाद टेमी टी एस्टेट सरकारी उद्योग विभाग की सहायक कम्पनी बन गई। खास बात यह है कि यहां 440 एकड़ से भी ज़्यादा क्षेत्र में जैविक खेती करके लगभग 100 टन चाय उगाई जाती है। यदि बड़े चाय बागानों से मुकाबला किया जाए, तो यह पैदावार बहुत ज्यादा नहीं है, लेकिन इसकी गुणवत्ता और सुगंध ने भारत और दुनिया भर के चाय प्रेमियों का दिल जीत लिया है। जर्मनी, ब्रिटेन, अमेरिका और जापान टेमी चाय के प्रमुख खरीदार हैं। टेमी चाय को भारतीय चाय बोर्ड की तरफ से साल 1994 और 1995 के लिए "अखिल भारतीय गुणवत्ता पुरस्कार" भी मिल चुका है। यहां से कंचनजंगा की ऊंची चोटियां भी साफ दिखती हैं। वैसे तो यहां नवम्बर के महीने में चेरी के फूल भी देखने लायक होते हैं, लेकिन सालभर यहां का मौसम अच्छा ही रहता है। कैसे पहुंचें सिक्किमयहां का निकटतम हवाईअड्डा बागडोगरा है जो यहां से 118 किलोमीटर की दूरी पर है। देश के लगभग सभी बड़े हवाईअड्डों से यहां के लिए फ्लाइट मिल जाती हैं। सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन न्यू जलपाईगुड़ी है, जिसकी दूरी 114 किलोमीटर है। आगे की दूरी आप टैक्सी से तय कर सकते हैं। 

इंडोनेशिया देगा 5 साल का डिजिटल वीजा, स्टेकेशन करने वालों का होगा फायदा

कोरोना के आने के बाद से कई कंपनियां वर्क फ्रॉम होम को वरीयता दे रही हैं। अभी तक लोग वेकेशन में ही कहीं घूमने जाते थे, लेकिन अब एक नया टर्म स्टेकेशन भी चल रहा है। यानि जिन लोगों को वर्क फ्रॉम होम मिला है, वे अब किसी एक टूरिस्ट डेस्टिनेशन पर जाकर महीनों रुक रहे हैं और इसे नाम दे रहे हैं स्टेकेशन। कई देशों के यात्रा और पर्यटन विभाग भी यात्रियों को रिमोट-वर्क-फ्रॉम-होम यानी स्टेकेशन देकर अपने यहां आने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। इन्हीं में अब इंडोनेशिया का भी नाम जुड़ गया है जो लोगों को पांच साल के वीजा के साथ डिजिटल वर्क की सुविधा दे रहा है।इंडोनेशिया अब घर से काम करने वाले लोगों के लिए एक नया वीजा कार्यक्रम शुरू कर रहा है। जिससे आप बाली में लंबे समय तक रह सकते हैं और घूमने के साथ-साथ काम का भी मजा ले सकते हैं। ये देश जल्द ही पांच साल के लिए डिजिटल वीजा शुरू करने जा रहा है। यहां सरकार ने क्वारंटीन रूल तो हटा ही दिया है, इसके लिए यात्रा से जुड़े जो प्रतिबन्ध थे, वे भी हटा लिए गए हैं। अब जब कई दिग्गज कंपनियां वर्क फ्रॉम होम की सुविधा दे ही रही हैं तो इंडोनेशिया का ये नया डिजिटल वीजा प्रोग्राम स्टेकेशन करने वालों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। इस नए वीजा प्रोग्राम पर इंडोनेशियाई पर्यटन मंत्री सैंडियागा ऊनो का कहना है कि खेल आयोजन, पांच साल का वीजा कार्यक्रम और इकोलॉजिकल टूरिज्म घर से काम करने वाले लोगों के लिए शुरू किया जा रहा है। इनसे लगभग 3.6 मिलियन (लगभग 36 लाख) अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों को यहां वापस लाने में मदद मिलेगी। "इससे इंडोनेशियाई लोगों के लिए 10 लाख (10 लाख) से अधिक नौकरियां शुरू करने में मदद मिलनी चाहिए,"। सरकार ने कहा इंडोनेशिया को छोड़कर किसी अन्य देश से अगर आप कमा रहे हैं, तो आपको यहां किसी भी तरह के टैक्स के भुगतान से छूट दी जाएगी। ये कदम लोगों को काफी आकर्षित करेगा।

इंडोनेशिया देगा 5 साल का डिजिटल वीजा, स्टेकेशन करने वालों का होगा फायदा

कोरोना के आने के बाद से कई कंपनियां वर्क फ्रॉम होम को वरीयता दे रही हैं। अभी तक लोग वेकेशन में ही कहीं घूमने जाते थे, लेकिन अब एक नया टर्म स्टेकेशन भी चल रहा है। यानि जिन लोगों को वर्क फ्रॉम होम मिला है, वे अब किसी एक टूरिस्ट डेस्टिनेशन पर जाकर महीनों रुक रहे हैं और इसे नाम दे रहे हैं स्टेकेशन। कई देशों के यात्रा और पर्यटन विभाग भी यात्रियों को रिमोट-वर्क-फ्रॉम-होम यानी स्टेकेशन देकर अपने यहां आने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। इन्हीं में अब इंडोनेशिया का भी नाम जुड़ गया है जो लोगों को पांच साल के वीजा के साथ डिजिटल वर्क की सुविधा दे रहा है।इंडोनेशिया अब घर से काम करने वाले लोगों के लिए एक नया वीजा कार्यक्रम शुरू कर रहा है। जिससे आप बाली में लंबे समय तक रह सकते हैं और घूमने के साथ-साथ काम का भी मजा ले सकते हैं। ये देश जल्द ही पांच साल के लिए डिजिटल वीजा शुरू करने जा रहा है। यहां सरकार ने क्वारंटीन रूल तो हटा ही दिया है, इसके लिए यात्रा से जुड़े जो प्रतिबन्ध थे, वे भी हटा लिए गए हैं। अब जब कई दिग्गज कंपनियां वर्क फ्रॉम होम की सुविधा दे ही रही हैं तो इंडोनेशिया का ये नया डिजिटल वीजा प्रोग्राम स्टेकेशन करने वालों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। इस नए वीजा प्रोग्राम पर इंडोनेशियाई पर्यटन मंत्री सैंडियागा ऊनो का कहना है कि खेल आयोजन, पांच साल का वीजा कार्यक्रम और इकोलॉजिकल टूरिज्म घर से काम करने वाले लोगों के लिए शुरू किया जा रहा है। इनसे लगभग 3.6 मिलियन (लगभग 36 लाख) अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों को यहां वापस लाने में मदद मिलेगी। "इससे इंडोनेशियाई लोगों के लिए 10 लाख (10 लाख) से अधिक नौकरियां शुरू करने में मदद मिलनी चाहिए,"। सरकार ने कहा इंडोनेशिया को छोड़कर किसी अन्य देश से अगर आप कमा रहे हैं, तो आपको यहां किसी भी तरह के टैक्स के भुगतान से छूट दी जाएगी। ये कदम लोगों को काफी आकर्षित करेगा।

फलों की राजधानी के नाम से जाना जाता है इन शहरों को

दुकानों पर बिकते ताजे फल देखकर ही उन्हें लेने का मन कर जाता है। अब जरा सोचिए कि आप सीधे अपने पसंदीदा फलों के बगीचे में पहुंच जाएं तो यकीनन उस बाग की तरह आपका मन भी बाग-बाग हो जाएगा। तो चलिए हमारे साथ, हम आपको सैर कराते हैं देशभर के उन मशहूर शहरों की जिनकी पहचान वहां होने वाले फलों से ही होती है। फलों से तो शायद हर किसी को प्यार होता है। हो भी क्यों न? आखिर हमारे शरीर की आधे से ज़्यादा ज़रूरतें फल पूरी कर देते हैं। हेल्दी शुगर का भी बेस्ट ऑप्शन फल ही होते हैं। फाइबर और मिनरल्स से भरे फलों के बारे में साइंटिस्ट्स भी कहते हैं कि जो लोग स्नैक्स की जगह फ्रूट्स खाकर पेट भरते हैं, उनका मेटाबोलिज्म बाकी लोगों की तुलना में बेहतर होता है। ये तो बातें हुईं फलों के फायदे की। अब हम आपको बताते हैं कि हमारे देश के वो कौन से वे शहर हैं जो फलों के नाम से मशहूर हैं…नागपुर के संतरेमहाराष्ट्र का नागपुर शहर, संतरों के शहर के नाम से भी जाना जाता है। यह भारत का सबसे बड़ा संतरे का उत्पादक शहर है और विश्व में संतरे के कुल उत्पादन का लगभग 3 फीसदी हिस्सा नागपुर में ही पैदा होता है। 2014 में जियोग्राफिकल इंडिकेशन विभाग से इसे जीआई टैगिंग भी मिल चुकी है। नागपुर में जगह-जगह आपको कई हेक्टेयर क्षेत्र में फैले संतरे के बाग दिख जाएंगे। अगर आपको संतरे पसंद हैं तो नागपुर का रुख करिए।नागपुर में घूमने लायक जगहेंसंतरों के साथ-साथ ये शहर अपने खूबसूरत मंदिरों, झीलों, हरे भरे बगीचों के लिए जाना जाता है। अगर आप यहां आए हैं तो डॉ. अम्बेडकर की याद में और उनके बौद्ध धर्म अपनाने की घटना पर बनवाया गया दीक्षाभूमि स्तूप, समृद्ध पौराणिक इतिहास समेटे रामटेक किला, ड्रैगन पैलेस बौद्ध मंदिर (जिसे नागपुर के लोटस टेम्पल के रूप में भी जाना जाता है), लता मंगेशकर म्यूजिकल गार्डन, अक्षरधाम मंदिर, रमन विज्ञान केंद्र आदि भी घूम सकते हैं। हिमाचल प्रदेश के सेबयूं तो कश्मीर के भी सेब मशहूर हैं, लेकिन रस से भरे हिमाचली सेबों का कोई जोड़ नहीं। कहते हैं कि एक सेब जो रोज है खाता डॉक्टर को वह दूर भगाता, और अगर यह सेब हिमाचल का हो तब तो डॉक्टर भी दूर भागेगा और स्वाद भी जबरदस्त मिलेगा। हिमाचल में किन्नौर, शिमला, रोहड़ू, कोटगढ़ के साथ कई शहरों की ढलानों पर सेब के बागान हैं। सेब से लदे पेड़ों के पास फ़ोटो खिंचाइये या इन्हें डाल से खुद तोड़कर खाइए, मज़ा न आए तो पैसे वापस। अगर आप यहां जाना चाहते हैं, तो जून और सितंबर के बीच जा का समय बेस्ट है।हिमाचल प्रदेश में घूमने लायक जगहेंयूं तो हिमाचली सेब के बाग इतने सुंदर होते हैं कि यहां आकर आपका कहीं और जाने का मन ही नहीं करेगा। भई, पूरा हिमाचल ही घूमने लायक है। कुल्लू, मनाली, शोघी, शिमला, स्पीति, कसौल, कसौली कहीं भी चले जाइये। 

फलों की राजधानी के नाम से जाना जाता है इन शहरों को

दुकानों पर बिकते ताजे फल देखकर ही उन्हें लेने का मन कर जाता है। अब जरा सोचिए कि आप सीधे अपने पसंदीदा फलों के बगीचे में पहुंच जाएं तो यकीनन उस बाग की तरह आपका मन भी बाग-बाग हो जाएगा। तो चलिए हमारे साथ, हम आपको सैर कराते हैं देशभर के उन मशहूर शहरों की जिनकी पहचान वहां होने वाले फलों से ही होती है। फलों से तो शायद हर किसी को प्यार होता है। हो भी क्यों न? आखिर हमारे शरीर की आधे से ज़्यादा ज़रूरतें फल पूरी कर देते हैं। हेल्दी शुगर का भी बेस्ट ऑप्शन फल ही होते हैं। फाइबर और मिनरल्स से भरे फलों के बारे में साइंटिस्ट्स भी कहते हैं कि जो लोग स्नैक्स की जगह फ्रूट्स खाकर पेट भरते हैं, उनका मेटाबोलिज्म बाकी लोगों की तुलना में बेहतर होता है। ये तो बातें हुईं फलों के फायदे की। अब हम आपको बताते हैं कि हमारे देश के वो कौन से वे शहर हैं जो फलों के नाम से मशहूर हैं…नागपुर के संतरेमहाराष्ट्र का नागपुर शहर, संतरों के शहर के नाम से भी जाना जाता है। यह भारत का सबसे बड़ा संतरे का उत्पादक शहर है और विश्व में संतरे के कुल उत्पादन का लगभग 3 फीसदी हिस्सा नागपुर में ही पैदा होता है। 2014 में जियोग्राफिकल इंडिकेशन विभाग से इसे जीआई टैगिंग भी मिल चुकी है। नागपुर में जगह-जगह आपको कई हेक्टेयर क्षेत्र में फैले संतरे के बाग दिख जाएंगे। अगर आपको संतरे पसंद हैं तो नागपुर का रुख करिए।नागपुर में घूमने लायक जगहेंसंतरों के साथ-साथ ये शहर अपने खूबसूरत मंदिरों, झीलों, हरे भरे बगीचों के लिए जाना जाता है। अगर आप यहां आए हैं तो डॉ. अम्बेडकर की याद में और उनके बौद्ध धर्म अपनाने की घटना पर बनवाया गया दीक्षाभूमि स्तूप, समृद्ध पौराणिक इतिहास समेटे रामटेक किला, ड्रैगन पैलेस बौद्ध मंदिर (जिसे नागपुर के लोटस टेम्पल के रूप में भी जाना जाता है), लता मंगेशकर म्यूजिकल गार्डन, अक्षरधाम मंदिर, रमन विज्ञान केंद्र आदि भी घूम सकते हैं। हिमाचल प्रदेश के सेबयूं तो कश्मीर के भी सेब मशहूर हैं, लेकिन रस से भरे हिमाचली सेबों का कोई जोड़ नहीं। कहते हैं कि एक सेब जो रोज है खाता डॉक्टर को वह दूर भगाता, और अगर यह सेब हिमाचल का हो तब तो डॉक्टर भी दूर भागेगा और स्वाद भी जबरदस्त मिलेगा। हिमाचल में किन्नौर, शिमला, रोहड़ू, कोटगढ़ के साथ कई शहरों की ढलानों पर सेब के बागान हैं। सेब से लदे पेड़ों के पास फ़ोटो खिंचाइये या इन्हें डाल से खुद तोड़कर खाइए, मज़ा न आए तो पैसे वापस। अगर आप यहां जाना चाहते हैं, तो जून और सितंबर के बीच जा का समय बेस्ट है।हिमाचल प्रदेश में घूमने लायक जगहेंयूं तो हिमाचली सेब के बाग इतने सुंदर होते हैं कि यहां आकर आपका कहीं और जाने का मन ही नहीं करेगा। भई, पूरा हिमाचल ही घूमने लायक है। कुल्लू, मनाली, शोघी, शिमला, स्पीति, कसौल, कसौली कहीं भी चले जाइये। 

वनवास के समय इन जगहों में रहे थे श्री राम

भगवान श्री राम ने सीता जी और लक्ष्मण जी सहित अपने जीवन के 14 साल वनवास में गुजार दिए। अयोध्या से जब तीनों निकले तो उन्हें नहीं पता कि कहां जाना है, कहां रहना है और क्या करना है। उनके मन में उस वक्त यह विचार था कि उन्हें अपने पिता के वचन को किसी भी हाल में पूरा करना है और जीवन के आने वाले 14 साल वन में बिताने के बाद ही वापस अयोध्या लौट कर आना है। भले ही घर से निकलते वक्त उन्हें नहीं पता था कि उन्हें कहां जाना है, लेकिन अपने इन 14 वर्षों के काल खंड में वे जहां भी गए, जहां भी रुके, सभी जगहें पवित्र और अविस्मरणीय बन गईं। कहते हैं कि अपने वनवास के दौरान श्री राम लगभग 200 जगहों पर गए और रुके। हम आपको बताएंगे उन कुछ प्रमुख जगहों के बारे में जहां वनवास के दौरान प्रभु श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण जी गए थे…श्रृंगवेरपुर वाल्मीकि रामायण के अनुसार, अपने वनवास के लिए अयोध्या से निकलने के बाद राम जी सबसे पहले अयोध्या से 20 किलोमीटर दूर तमसा नदी के तट पर पहुंचे थे। इसके बाद नदी पार करके वे प्रयागराज से 20-22 किलोमीटर दूर निषादराज गुह के राज्य श्रृंगवेरपुर पहुंचे। यहीं गंगा के तट पर उन्होंने केवट से गंगा पार करने को कहा था। रामायण काल में सिंगरौर को ही श्रृंगवेरपुर कहा जाता था। प्रयागराज से उत्तर-पश्चिम की ओर लगभग 35 किलोमीटर दूर यह जगह है। कहते हैं कि जब श्री राम, सीता जी और लक्ष्मण जी यहां घाट पर पहुंचे थे तब वहां नाव वालों ने उन्हें नदी पार कराने से मना कर दिया था। इसके बाद स्वयं निषादराज गुह वहां आए और उन्होंने श्रीराम से कहा कि अगर वे उन्हें अपने पैर धोने का अवसर देंगे तो वह उन्हें नदी पार करा देंगे। श्रीराम ने उनका निवेदन मान लिया और निषादराज से वनवास की वापसी में उनके घर आने का वादा करके वह तीनों यहां से आगे चले गए। इस घटना से जोड़ने के लिए इस स्थान का नाम 'रामचुरा' रखा गया है। इस जगह पर एक छोटा सा मंदिर भी है। हालांकि इस मंदिर का कोई ऐतिहासिक या सांस्कृतिक महत्व नहीं है, लेकिन यह जगह अब पर्यटकों को भा रही है।कुरई श्रृंगवेरपुर की नदी के दूसरी छोर पर कुरई गांव है। मान्यताओं के अनुसार, श्रृंगवेरपुर से नदी पार करने के बाद राम जी इसके दूसरे छोर पर कुरई में नाव से उतरे थे और आगे के सफर की ओर बढ़े थे। इस गांव में एक छोटा-सा मन्दिर भी है, जो स्थानीय श्रुति के अनुसार उसी जगह पर है जहां गंगा को पार करने के बाद राम, लक्ष्मण और सीता जी ने कुछ देर विश्राम किया था। कुरई में नाव से उतरने के बाद श्रीराम प्रयागराज पहुंचे और वहां से यमुना को पार कर उन्होंने अपना अगला पड़ाव चित्रकूट को बनाया। चित्रकूटराजा दशरथ की मृत्यु के बाद जब भरत अपनी सेना लेकर भगवान राम से मिलने जिस जगह पहुंचते हैं, वह चित्रकूट थी। यहीं से वह श्रीराम से उनकी चरण पादुकाएं मांगते हैं और उन्हें ही सिंहासन पर रखकर राज्य चलाने की प्रतिज्ञा लेते हैं। मान्यताओं के अनुसार, चित्रकूट में कामदगिरि भव्य धार्मिक स्थल है जहां भगवान राम रहा करते थे। इस स्थान पर भरत मिलाप मंदिर भी है। तुलसीदास ने भी अपनी रचना में चित्रकूट का जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है - चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीड़तुलसीदास चंदन घिसत, तिलक देत रघुबीर

वनवास के समय इन जगहों में रहे थे श्री राम

भगवान श्री राम ने सीता जी और लक्ष्मण जी सहित अपने जीवन के 14 साल वनवास में गुजार दिए। अयोध्या से जब तीनों निकले तो उन्हें नहीं पता कि कहां जाना है, कहां रहना है और क्या करना है। उनके मन में उस वक्त यह विचार था कि उन्हें अपने पिता के वचन को किसी भी हाल में पूरा करना है और जीवन के आने वाले 14 साल वन में बिताने के बाद ही वापस अयोध्या लौट कर आना है। भले ही घर से निकलते वक्त उन्हें नहीं पता था कि उन्हें कहां जाना है, लेकिन अपने इन 14 वर्षों के काल खंड में वे जहां भी गए, जहां भी रुके, सभी जगहें पवित्र और अविस्मरणीय बन गईं। कहते हैं कि अपने वनवास के दौरान श्री राम लगभग 200 जगहों पर गए और रुके। हम आपको बताएंगे उन कुछ प्रमुख जगहों के बारे में जहां वनवास के दौरान प्रभु श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण जी गए थे…श्रृंगवेरपुर वाल्मीकि रामायण के अनुसार, अपने वनवास के लिए अयोध्या से निकलने के बाद राम जी सबसे पहले अयोध्या से 20 किलोमीटर दूर तमसा नदी के तट पर पहुंचे थे। इसके बाद नदी पार करके वे प्रयागराज से 20-22 किलोमीटर दूर निषादराज गुह के राज्य श्रृंगवेरपुर पहुंचे। यहीं गंगा के तट पर उन्होंने केवट से गंगा पार करने को कहा था। रामायण काल में सिंगरौर को ही श्रृंगवेरपुर कहा जाता था। प्रयागराज से उत्तर-पश्चिम की ओर लगभग 35 किलोमीटर दूर यह जगह है। कहते हैं कि जब श्री राम, सीता जी और लक्ष्मण जी यहां घाट पर पहुंचे थे तब वहां नाव वालों ने उन्हें नदी पार कराने से मना कर दिया था। इसके बाद स्वयं निषादराज गुह वहां आए और उन्होंने श्रीराम से कहा कि अगर वे उन्हें अपने पैर धोने का अवसर देंगे तो वह उन्हें नदी पार करा देंगे। श्रीराम ने उनका निवेदन मान लिया और निषादराज से वनवास की वापसी में उनके घर आने का वादा करके वह तीनों यहां से आगे चले गए। इस घटना से जोड़ने के लिए इस स्थान का नाम 'रामचुरा' रखा गया है। इस जगह पर एक छोटा सा मंदिर भी है। हालांकि इस मंदिर का कोई ऐतिहासिक या सांस्कृतिक महत्व नहीं है, लेकिन यह जगह अब पर्यटकों को भा रही है।कुरई श्रृंगवेरपुर की नदी के दूसरी छोर पर कुरई गांव है। मान्यताओं के अनुसार, श्रृंगवेरपुर से नदी पार करने के बाद राम जी इसके दूसरे छोर पर कुरई में नाव से उतरे थे और आगे के सफर की ओर बढ़े थे। इस गांव में एक छोटा-सा मन्दिर भी है, जो स्थानीय श्रुति के अनुसार उसी जगह पर है जहां गंगा को पार करने के बाद राम, लक्ष्मण और सीता जी ने कुछ देर विश्राम किया था। कुरई में नाव से उतरने के बाद श्रीराम प्रयागराज पहुंचे और वहां से यमुना को पार कर उन्होंने अपना अगला पड़ाव चित्रकूट को बनाया। चित्रकूटराजा दशरथ की मृत्यु के बाद जब भरत अपनी सेना लेकर भगवान राम से मिलने जिस जगह पहुंचते हैं, वह चित्रकूट थी। यहीं से वह श्रीराम से उनकी चरण पादुकाएं मांगते हैं और उन्हें ही सिंहासन पर रखकर राज्य चलाने की प्रतिज्ञा लेते हैं। मान्यताओं के अनुसार, चित्रकूट में कामदगिरि भव्य धार्मिक स्थल है जहां भगवान राम रहा करते थे। इस स्थान पर भरत मिलाप मंदिर भी है। तुलसीदास ने भी अपनी रचना में चित्रकूट का जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है - चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीड़तुलसीदास चंदन घिसत, तिलक देत रघुबीर

लखनऊ में खुला है देश का सबसे बड़ा 'LuLu Mall' , जानें इसके बारे में सबकुछ

हाल ही में लखनऊ में भारत का सबसे बड़ा मॉल खुला है। इस मॉल का नाम है लुलु (LuLu Mall)। हो सकता है कि आपको ये नाम सुनने में कुछ अजीब लगे लेकिन लुलु संयुक्त अरब अमीरात का एक बड़ा ग्रुप है। हालांकि, इसके मालिक यूसुफ अली एमए भारतीय ही हैं। भारत में इस ग्रुप के चार और भी मॉल हैं।  उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मॉल का उद्घाटन किया है, ये भी अपने आप में एक खास बात है। लुलु समूह 300 से अधिक ब्रांड्स का घर तो है, इस समूह के अपने लुलु हाइपरमार्केट, लुलु फैशन और लुलु कनेक्ट भी हैं। इस स्टोरी में हम आपको बताएंगे शॉपर्स और शॉपकीपर्स दोनों के लिए स्वर्ग माने जाने वाले लखनऊ के लुलु मॉल के बारे में…11 मंज़िल की पार्किंग2.2 मिलियन वर्ग फुट में फैला, लखनऊ का लुलु मॉल इतना बड़ा है कि इसमें 11 मंजिला पार्किंग है और 50,000 लोग इसमे एक साथ शॉपिंग कर सकते हैं। इस मॉल में 300 से अधिक ब्रांड हैं, जिनमें स्टोर और रिटेल आउटलेट हैं। यहां का फ़ूड कोर्ट इतना बड़ा है कि उसमें एक साथ 1600 लोगों का सिटिंग स्पेस है। फूड कोर्ट में 15 फाइन डाइनिंग रेस्तरां, 25 फूड ब्रांड आउटलेट, कैफे और बहुत कुछ है। मोबाइल चार्जिंग यूनिट्स भी यहां लगी हैं। यानी कभी अगर आपका फोन डिस्चार्ज हो भी गया तो भी आपको परेशान होने की ज़रूरत नहीं है। आप यहां आराम से मोबाइल चार्ज करिये और अपने इंस्टाग्राम के लिए रील्स बनाइये, फोटोज लीजिये।  

लखनऊ में खुला है देश का सबसे बड़ा 'LuLu Mall' , जानें इसके बारे में सबकुछ

हाल ही में लखनऊ में भारत का सबसे बड़ा मॉल खुला है। इस मॉल का नाम है लुलु (LuLu Mall)। हो सकता है कि आपको ये नाम सुनने में कुछ अजीब लगे लेकिन लुलु संयुक्त अरब अमीरात का एक बड़ा ग्रुप है। हालांकि, इसके मालिक यूसुफ अली एमए भारतीय ही हैं। भारत में इस ग्रुप के चार और भी मॉल हैं।  उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मॉल का उद्घाटन किया है, ये भी अपने आप में एक खास बात है। लुलु समूह 300 से अधिक ब्रांड्स का घर तो है, इस समूह के अपने लुलु हाइपरमार्केट, लुलु फैशन और लुलु कनेक्ट भी हैं। इस स्टोरी में हम आपको बताएंगे शॉपर्स और शॉपकीपर्स दोनों के लिए स्वर्ग माने जाने वाले लखनऊ के लुलु मॉल के बारे में…11 मंज़िल की पार्किंग2.2 मिलियन वर्ग फुट में फैला, लखनऊ का लुलु मॉल इतना बड़ा है कि इसमें 11 मंजिला पार्किंग है और 50,000 लोग इसमे एक साथ शॉपिंग कर सकते हैं। इस मॉल में 300 से अधिक ब्रांड हैं, जिनमें स्टोर और रिटेल आउटलेट हैं। यहां का फ़ूड कोर्ट इतना बड़ा है कि उसमें एक साथ 1600 लोगों का सिटिंग स्पेस है। फूड कोर्ट में 15 फाइन डाइनिंग रेस्तरां, 25 फूड ब्रांड आउटलेट, कैफे और बहुत कुछ है। मोबाइल चार्जिंग यूनिट्स भी यहां लगी हैं। यानी कभी अगर आपका फोन डिस्चार्ज हो भी गया तो भी आपको परेशान होने की ज़रूरत नहीं है। आप यहां आराम से मोबाइल चार्ज करिये और अपने इंस्टाग्राम के लिए रील्स बनाइये, फोटोज लीजिये।  

जुलाई में घूमने के लिए बेस्ट हैं ये जगहें

बादलों के गड़गड़ाहट की आवाज, मिट्टी की मीठी ताज़ा महक और हरी पत्तियों पर पानी की छोटी-छोटी बूंदें, जुलाई में मानसून न केवल चिलचिलाती गर्मी से राहत देता है बल्कि कुदरत के खूबसूरत रंगों से हमें मिलवाता है। वैसे तो लोगों को बारिश में घूमना नहीं भाता लेकिन ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है जो हर साल मानसून आने का इंतज़ार करते हैं। ताकि वो इस मौसम में सबसे सुंदर दिखने वाली जगहों को जी भरकर निहार सकें। यहां की यात्रा कर सकें। हम आपको बता रहे हैं भारत की ऐसी 5 जगहों के बारे में जो जुलाई में बेहद खूबसूरत हो जाती हैं। केरल"गॉड्स ओन कंट्री" - केरल वास्तव में जुलाई में उफनती नदियों, हरे-भरे जंगलों और हवाओं की धुन पर लहराते नारियल के पेड़ों के साथ जीवंत हो उठता है। अलेप्पी के बैकवाटर और मुन्नार के हरे-भरे हिल स्टेशन, अथिरापल्ली और वज़ाचल के झरनों की कुदरती सुंदरता मानसून के दौरान देखने लायक होती है। केरल में जुलाई में घूमें ये जगहेंमुन्नार, एलेप्पी, पेरियार, वेम्बनाड और पोनमुडीक।केरल में जुलाई में करें ये एक्टिविटीज हाउसबोट या ट्रीहाउस में रहें, मसाले के बागान घूमें, थेय्यम और कलारीपयट्टू देखें, बैकवाटर पर क्रूज, और आयुर्वेदिक मसाज कराएं।केरल का मौसमकेरल का औसत तापमान जुलाई के महीने में 24 से 30 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। कैसे पहुंचें केरलअगर आप हवाई यात्रा करना चाहते हैं तो त्रिवेंद्रम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, कोचीन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, कालीकट अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा और कन्नूर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा के लिए उड़ान ले सकते हैं। यहां के बड़े रेलवे स्टेशन - तिरुवनंतपुरम सेंट्रल, एर्नाकुलम जंक्शन और एर्नाकुलम टाउन, कोझीकोड, त्रिशूर, कन्नूर, कोल्लम जंक्शन, अलुवा, पलक्कड़ जंक्शन, कोट्टायम, शोरानूर जंक्शन, थालास्सेरी हैं। 

जुलाई में घूमने के लिए बेस्ट हैं ये जगहें

बादलों के गड़गड़ाहट की आवाज, मिट्टी की मीठी ताज़ा महक और हरी पत्तियों पर पानी की छोटी-छोटी बूंदें, जुलाई में मानसून न केवल चिलचिलाती गर्मी से राहत देता है बल्कि कुदरत के खूबसूरत रंगों से हमें मिलवाता है। वैसे तो लोगों को बारिश में घूमना नहीं भाता लेकिन ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है जो हर साल मानसून आने का इंतज़ार करते हैं। ताकि वो इस मौसम में सबसे सुंदर दिखने वाली जगहों को जी भरकर निहार सकें। यहां की यात्रा कर सकें। हम आपको बता रहे हैं भारत की ऐसी 5 जगहों के बारे में जो जुलाई में बेहद खूबसूरत हो जाती हैं। केरल"गॉड्स ओन कंट्री" - केरल वास्तव में जुलाई में उफनती नदियों, हरे-भरे जंगलों और हवाओं की धुन पर लहराते नारियल के पेड़ों के साथ जीवंत हो उठता है। अलेप्पी के बैकवाटर और मुन्नार के हरे-भरे हिल स्टेशन, अथिरापल्ली और वज़ाचल के झरनों की कुदरती सुंदरता मानसून के दौरान देखने लायक होती है। केरल में जुलाई में घूमें ये जगहेंमुन्नार, एलेप्पी, पेरियार, वेम्बनाड और पोनमुडीक।केरल में जुलाई में करें ये एक्टिविटीज हाउसबोट या ट्रीहाउस में रहें, मसाले के बागान घूमें, थेय्यम और कलारीपयट्टू देखें, बैकवाटर पर क्रूज, और आयुर्वेदिक मसाज कराएं।केरल का मौसमकेरल का औसत तापमान जुलाई के महीने में 24 से 30 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। कैसे पहुंचें केरलअगर आप हवाई यात्रा करना चाहते हैं तो त्रिवेंद्रम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, कोचीन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, कालीकट अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा और कन्नूर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा के लिए उड़ान ले सकते हैं। यहां के बड़े रेलवे स्टेशन - तिरुवनंतपुरम सेंट्रल, एर्नाकुलम जंक्शन और एर्नाकुलम टाउन, कोझीकोड, त्रिशूर, कन्नूर, कोल्लम जंक्शन, अलुवा, पलक्कड़ जंक्शन, कोट्टायम, शोरानूर जंक्शन, थालास्सेरी हैं। 

यूपी: सोनभद्र के ये 5 ठिकाने हैं बेहद खूबसूरत

यूँ तो उत्तर प्रदेश के लास पर्यटकों को लुभाने के लिए बनारस, मथुरा, अयोध्या, आगरा, लखनऊ जैसी कई बड़ी जगहें हैं लेकिन यहां के छोटे-छोटे शहर भी अपने आप में बहुत खूबसूरती समेटे हैं। ऐसा ही एक जिला है सोनभद्र। यहां बारिश के मौसम को और भी सुंदर बनाने के लिए ऐसे कई ठिकाने हैं जो आपका मन मोह लेंगे।विजयगढ़ किला400 फीट लंबा, 5वीं शताब्दी का विजयगढ़ किला उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में कोल राजाओं ने बनवाया था। यह रॉबर्ट्सगंज से लगभग 30 किमी दूर रॉबर्ट्सगंज-चर्च रोड पर मऊ कलां गांव में है। किले का लगभग आधा क्षेत्र कैमूर रेंज की खड़ी चट्टानी पहाड़ियों से भरा है। किले की कुछ अनूठी विशेषताओं में गुफा में बने चित्र, मूर्तियाँ, शिलालेख और चार बारहमासी तालाब शामिल हैं जो कभी सूखते नहीं हैं। मुख्य द्वार मुस्लिम संत, सैय्यद ज़ैन-उल-अब्दीन मीर साहिब की कब्र से पहले है, जिसे लोकप्रिय रूप से हज़रत मीरान शाह बाबा कहा जाता है। यहां इन महान संत को समर्पित एक उर्स या मेला हर साल अप्रैल में आयोजित किया जाता है जिसमें सभी धर्मों के भक्तों की बड़ी भीड़ होती है।नौगढ़ किलानौगढ़ किला रॉबर्ट्सगंज में नौगढ़ टाउनशिप से लगभग 2 किमी और उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में चकिया के दक्षिणी हिस्से में 40 किमी की दूरी पर है। किले का निर्माण काशी नरेश ने करवाया था। पिछले कुछ समय से इसे सरकारी अधिकारियों के लिए गेस्ट हाउस के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। किला से कर्मनाशा नदी और आसपास के क्षेत्र काफी सुंदर दिखता है।नौगढ़ किले के आसपास कुछ अवशेष मिले हैं। ये अवशेष 3000 वर्ष पुराने हैं और इसके प्राचीन इतिहास के साक्षी हैं। किले के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में एक पहाड़ है जिसे गेरुवातवा पहाड़ कहा जाता है। यह पहाड़ धातु और खनिज के अवशेषों से भरा हुआ है। 

यूपी: सोनभद्र के ये 5 ठिकाने हैं बेहद खूबसूरत

यूँ तो उत्तर प्रदेश के लास पर्यटकों को लुभाने के लिए बनारस, मथुरा, अयोध्या, आगरा, लखनऊ जैसी कई बड़ी जगहें हैं लेकिन यहां के छोटे-छोटे शहर भी अपने आप में बहुत खूबसूरती समेटे हैं। ऐसा ही एक जिला है सोनभद्र। यहां बारिश के मौसम को और भी सुंदर बनाने के लिए ऐसे कई ठिकाने हैं जो आपका मन मोह लेंगे।विजयगढ़ किला400 फीट लंबा, 5वीं शताब्दी का विजयगढ़ किला उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में कोल राजाओं ने बनवाया था। यह रॉबर्ट्सगंज से लगभग 30 किमी दूर रॉबर्ट्सगंज-चर्च रोड पर मऊ कलां गांव में है। किले का लगभग आधा क्षेत्र कैमूर रेंज की खड़ी चट्टानी पहाड़ियों से भरा है। किले की कुछ अनूठी विशेषताओं में गुफा में बने चित्र, मूर्तियाँ, शिलालेख और चार बारहमासी तालाब शामिल हैं जो कभी सूखते नहीं हैं। मुख्य द्वार मुस्लिम संत, सैय्यद ज़ैन-उल-अब्दीन मीर साहिब की कब्र से पहले है, जिसे लोकप्रिय रूप से हज़रत मीरान शाह बाबा कहा जाता है। यहां इन महान संत को समर्पित एक उर्स या मेला हर साल अप्रैल में आयोजित किया जाता है जिसमें सभी धर्मों के भक्तों की बड़ी भीड़ होती है।नौगढ़ किलानौगढ़ किला रॉबर्ट्सगंज में नौगढ़ टाउनशिप से लगभग 2 किमी और उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में चकिया के दक्षिणी हिस्से में 40 किमी की दूरी पर है। किले का निर्माण काशी नरेश ने करवाया था। पिछले कुछ समय से इसे सरकारी अधिकारियों के लिए गेस्ट हाउस के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। किला से कर्मनाशा नदी और आसपास के क्षेत्र काफी सुंदर दिखता है।नौगढ़ किले के आसपास कुछ अवशेष मिले हैं। ये अवशेष 3000 वर्ष पुराने हैं और इसके प्राचीन इतिहास के साक्षी हैं। किले के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में एक पहाड़ है जिसे गेरुवातवा पहाड़ कहा जाता है। यह पहाड़ धातु और खनिज के अवशेषों से भरा हुआ है। 

चित्रकूट में इन 5 जगहों को देखना न भूलें

चित्रकूट में घूमने के लिए कई दिलचस्प जगहें हैं। घंटियों की आवाज से गुलजार नदी घाटों से लेकर गर्व और अखंडता के प्रतीक ऊंचे किले और महल तक, झरनों से लेकर जंगल तक यहां सबकुछ है। वैसे तो यहां कई ऐसी जगहें हैं जो आपका दिल जीत लेंगी लेकिन हम आपके लिए चित्रकूट की 5 ऐसी जगहों की जानकारी लाए हैं जिन्हें देखे बिना आपकी यात्रा पूरी नहीं होगी।कामदगिरी कामदगिरी एक जंगली पहाड़ी है जो चारों तरफ से कई हिंदू मंदिरों से घिरा हुई है। इसे चित्रकूट का दिल माना जाता है। तीर्थयात्री इस पहाड़ी के चारों ओर इस विश्वास के साथ परिक्रमा करते हैं कि उनके सभी दुखों का अंत हो जाएगा और ऐसा करने से उनकी मनोकामनाएं पूरी होंगी। कामदगिरी का नाम भगवान राम के दूसरे नाम कामद नाथ जी से लिया गया है, इसका मतलब सभी इच्छाओं को पूरा करना है। इस पहाड़ी की परिक्रमा के 5 किलोमीटर के रास्ते पर कई मंदिर हैं, जिनमें से सबसे प्रसिद्ध भरत मिलाप मंदिर है। यह उसी जगह पर बना है जहां भरत ने भगवान राम से मुलाकात की और उन्हें अपने राज्य में वापस आने के लिए मना लिया था। कामदगिरी पर्वत का कुछ भाग उत्तर प्रदेश में तो कुछ मध्य प्रदेश में पड़ता है।गुप्त गोदावरीगुप्त गोदावरी दो गुफाओं का समूह है। यहां अंदर जाने के लिए एक पतला सा रास्ता है जिसमें अमूमन हर कोई फंस जाता है। दूसरी गुफा से पानी की धाराएं निकलती हैं। ऐसा कहा जाता है कि एक बार भगवान राम और लक्ष्मण ने अपनी गुप्त बैठकें कीं, गुफा में इस बात की पुष्टि करते हुए सिहांसन नुमा कुछ रचनाएँ हैं। हालांकि चित्रकूट में ज़्यादातर धार्मिक यात्रा करने वाले लोग ही आते हैं लेकिन आजकल एडवेंचर पसंद करने वाले लोगों का भी यह पसंदीदा ठिकाना बन गया है। गुप्त गोदावरी भी ऐसे लोगों को काफी पसंद आती है।  एलीफेंटा की गुफाओं, अजंता और एलोरा की गुफाओं से मिलती जुलती यह गुफा कई लोगों को रहस्यमयी लगती है। 

चित्रकूट में इन 5 जगहों को देखना न भूलें

चित्रकूट में घूमने के लिए कई दिलचस्प जगहें हैं। घंटियों की आवाज से गुलजार नदी घाटों से लेकर गर्व और अखंडता के प्रतीक ऊंचे किले और महल तक, झरनों से लेकर जंगल तक यहां सबकुछ है। वैसे तो यहां कई ऐसी जगहें हैं जो आपका दिल जीत लेंगी लेकिन हम आपके लिए चित्रकूट की 5 ऐसी जगहों की जानकारी लाए हैं जिन्हें देखे बिना आपकी यात्रा पूरी नहीं होगी।कामदगिरी कामदगिरी एक जंगली पहाड़ी है जो चारों तरफ से कई हिंदू मंदिरों से घिरा हुई है। इसे चित्रकूट का दिल माना जाता है। तीर्थयात्री इस पहाड़ी के चारों ओर इस विश्वास के साथ परिक्रमा करते हैं कि उनके सभी दुखों का अंत हो जाएगा और ऐसा करने से उनकी मनोकामनाएं पूरी होंगी। कामदगिरी का नाम भगवान राम के दूसरे नाम कामद नाथ जी से लिया गया है, इसका मतलब सभी इच्छाओं को पूरा करना है। इस पहाड़ी की परिक्रमा के 5 किलोमीटर के रास्ते पर कई मंदिर हैं, जिनमें से सबसे प्रसिद्ध भरत मिलाप मंदिर है। यह उसी जगह पर बना है जहां भरत ने भगवान राम से मुलाकात की और उन्हें अपने राज्य में वापस आने के लिए मना लिया था। कामदगिरी पर्वत का कुछ भाग उत्तर प्रदेश में तो कुछ मध्य प्रदेश में पड़ता है।गुप्त गोदावरीगुप्त गोदावरी दो गुफाओं का समूह है। यहां अंदर जाने के लिए एक पतला सा रास्ता है जिसमें अमूमन हर कोई फंस जाता है। दूसरी गुफा से पानी की धाराएं निकलती हैं। ऐसा कहा जाता है कि एक बार भगवान राम और लक्ष्मण ने अपनी गुप्त बैठकें कीं, गुफा में इस बात की पुष्टि करते हुए सिहांसन नुमा कुछ रचनाएँ हैं। हालांकि चित्रकूट में ज़्यादातर धार्मिक यात्रा करने वाले लोग ही आते हैं लेकिन आजकल एडवेंचर पसंद करने वाले लोगों का भी यह पसंदीदा ठिकाना बन गया है। गुप्त गोदावरी भी ऐसे लोगों को काफी पसंद आती है।  एलीफेंटा की गुफाओं, अजंता और एलोरा की गुफाओं से मिलती जुलती यह गुफा कई लोगों को रहस्यमयी लगती है। 

इश्क़ = मॉनसून, घुमक्कड़ी और भोपाल

दो झीलों से बंटा शहर भोपाल हर तरह के पर्यटक के लिए खास है। इतिहास प्रेमी हों या कला प्रेमी, हरियाली पसंद हो पानी यहां सब मिलेगा। 'झीलों का शहर' कहा जाने वाला भोपाल बारिश के मौसम में ऐसा लगता है जैसे कुदरत ने गीले हरे रंग से इसे रंग दिया हो।अगर ये कहा जाए कि यह भारत के सबसे हरे-भरे शहरों में से एक है तो गलत नहीं होगा। इस शहर को बसाने का श्रेय जाता है राजा भोज को। यहां की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है इसकी निशानी हैं, ऐतिहासिक स्मारक, धार्मिक स्थल और संग्रहालय। शहर को दो भागों में बांटा जा सकता है, उत्तर की ओर पुराना शहर जिसमें मस्जिदें, बाज़ार और पुरानी हवेलियां हैं व दक्षिण की ओर आधुनिक शहर हैं। शहर की दो झीलें 'भोजताल' और 'छोटा तालाब' हैं, जिन्हें ऊपरी झील और निचली झील भी कहा जाता है। यूं तो झीलें यहां आने वाले टूरिस्ट्स के लिए मेन अट्रेक्शन पॉइन्ट हैं, लेकिन ये शहर के लोगों के लिए पानी का एक महत्वपूर्ण स्रोत भी हैं। यहां की शाहजहाँ बेगम की बनवाई हुई ताज-उल-मसाजिद भारत की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है। भोपाल में ऐसा बहुत कुछ है जो बारिश के मौसम में घूमने के लिए बेस्ट है। हलाली डैमबारिश के मौसम में घूमने के लिए भोपाल की सबसे खास जगहों में से एक है, हलाली डैम। यहां नौका विहार करें या पिकनिक मनाने जाएं, मज़ा आ जाएगा। 699 वर्ग किमी में फैला यहां का ताल बेहद सुंदर दिखता है। इसमें मृगल, रोहू, चीताला और मिस्टस जैसे समुद्री जीव भी पाए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि राजा मोहम्मद खान नवाद ने नदी के तट के पास दुश्मन सेना का वध किया था, जिसने इसे 'हलाली' नदी नाम दिया है। इसी नदी पर इस डैम बना है।रायसेन फोर्टभोपाल से 23 किमी की थोड़ी दूरी पर एक सुंदर किला है रायसेन फोर्ट। हरियाली से भरी हुई पहाड़ी के ऊपर बना यह किला कई मंदिरों से घिरा हुआ है। इसकी तह में कई कुएं और एक विशाल ताल है। कहा जाता है कि 800 साल से ज़्यादा पुराने इस किले में एक मंदिर और एक मस्जिद भी है। प्रसिद्ध मुस्लिम संत हजरत पीर फतेहुल्लाह शाह बाबा की दरगाह के रूप में प्रसिद्ध यह किला लोगों की आस्था का गढ़ है। 13वीं शताब्दी में इसकी स्थापना के बाद से किले पर कई शासकों ने राज किया। बारिश में जब यहां के पहाड़ पर हरियाली खूब बढ़ जाती है तब हल्की फुहारों में इस किले में घूमने में काफी मज़ा आता है।

इश्क़ = मॉनसून, घुमक्कड़ी और भोपाल

दो झीलों से बंटा शहर भोपाल हर तरह के पर्यटक के लिए खास है। इतिहास प्रेमी हों या कला प्रेमी, हरियाली पसंद हो पानी यहां सब मिलेगा। 'झीलों का शहर' कहा जाने वाला भोपाल बारिश के मौसम में ऐसा लगता है जैसे कुदरत ने गीले हरे रंग से इसे रंग दिया हो।अगर ये कहा जाए कि यह भारत के सबसे हरे-भरे शहरों में से एक है तो गलत नहीं होगा। इस शहर को बसाने का श्रेय जाता है राजा भोज को। यहां की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है इसकी निशानी हैं, ऐतिहासिक स्मारक, धार्मिक स्थल और संग्रहालय। शहर को दो भागों में बांटा जा सकता है, उत्तर की ओर पुराना शहर जिसमें मस्जिदें, बाज़ार और पुरानी हवेलियां हैं व दक्षिण की ओर आधुनिक शहर हैं। शहर की दो झीलें 'भोजताल' और 'छोटा तालाब' हैं, जिन्हें ऊपरी झील और निचली झील भी कहा जाता है। यूं तो झीलें यहां आने वाले टूरिस्ट्स के लिए मेन अट्रेक्शन पॉइन्ट हैं, लेकिन ये शहर के लोगों के लिए पानी का एक महत्वपूर्ण स्रोत भी हैं। यहां की शाहजहाँ बेगम की बनवाई हुई ताज-उल-मसाजिद भारत की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है। भोपाल में ऐसा बहुत कुछ है जो बारिश के मौसम में घूमने के लिए बेस्ट है। हलाली डैमबारिश के मौसम में घूमने के लिए भोपाल की सबसे खास जगहों में से एक है, हलाली डैम। यहां नौका विहार करें या पिकनिक मनाने जाएं, मज़ा आ जाएगा। 699 वर्ग किमी में फैला यहां का ताल बेहद सुंदर दिखता है। इसमें मृगल, रोहू, चीताला और मिस्टस जैसे समुद्री जीव भी पाए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि राजा मोहम्मद खान नवाद ने नदी के तट के पास दुश्मन सेना का वध किया था, जिसने इसे 'हलाली' नदी नाम दिया है। इसी नदी पर इस डैम बना है।रायसेन फोर्टभोपाल से 23 किमी की थोड़ी दूरी पर एक सुंदर किला है रायसेन फोर्ट। हरियाली से भरी हुई पहाड़ी के ऊपर बना यह किला कई मंदिरों से घिरा हुआ है। इसकी तह में कई कुएं और एक विशाल ताल है। कहा जाता है कि 800 साल से ज़्यादा पुराने इस किले में एक मंदिर और एक मस्जिद भी है। प्रसिद्ध मुस्लिम संत हजरत पीर फतेहुल्लाह शाह बाबा की दरगाह के रूप में प्रसिद्ध यह किला लोगों की आस्था का गढ़ है। 13वीं शताब्दी में इसकी स्थापना के बाद से किले पर कई शासकों ने राज किया। बारिश में जब यहां के पहाड़ पर हरियाली खूब बढ़ जाती है तब हल्की फुहारों में इस किले में घूमने में काफी मज़ा आता है।

कोटिलिंगेश्वर : जिस मंदिर में एक करोड़ से ज़्यादा शिवलिंग हैं

सावन का महीना यानी बारिश का महीना, हर तरफ हरियाली बिखेरने का महीना, त्योहारों का महीना, झूलों का महीना, गीतों का महीना… और इन सब से बढ़कर भगवान शिव का महीना। यूँ तो ईश्वर की पूजा के लिए न कोई दिन में बंध सकता है और न रात में, न वक़्त में और में और न हालात में, न महीने में और न साल में लेकिन इस महीने में ऐसा लगता है जैसे हर तरफ महादेव की भक्ति हो, हवा में भी हर-हर शम्भू गूंजता सुनाई देता है। अब जब बात शिवार्चन और आस्था की चल ही रही है तो हम आपको कर्नाटक के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताते हैं, जहां आप जिधर भी नज़र घुमाएंगे आपको सिर्फ शिवलिंग ही नज़र आएंगे। हम बात कर रहे हैं कोटिलिंगेश्वर मंदिर की। कर्नाटक के कोलार जिले का कोटिलिंगेश्वर मंदिर एक ऐसा मंदिर है, जो बहुत पुराना नहीं है लेकिन फिर भी बहुत सारे भक्तों और पर्यटकों का जमावड़ा यहां लगा रहता है। कोलार वैसे तो अपनी सोने की खदानों के लिए मशहूर है, लेकिन आप उन्हें देखने नहीं जा सकते। हालांकि, बंगलुरु से 70 किलोमीटर की दूरी पर बसे में आप कोटिलिंगेश्वर मंदिर के दर्शन ज़रूर कर सकते हैं।  बंगलुरु से यहां तक आने के लिए सड़क के दोनों ओर हरे- भरे खेत देखते हुए आप मंदिर पहुंच जाएंगे। 

कोटिलिंगेश्वर : जिस मंदिर में एक करोड़ से ज़्यादा शिवलिंग हैं

सावन का महीना यानी बारिश का महीना, हर तरफ हरियाली बिखेरने का महीना, त्योहारों का महीना, झूलों का महीना, गीतों का महीना… और इन सब से बढ़कर भगवान शिव का महीना। यूँ तो ईश्वर की पूजा के लिए न कोई दिन में बंध सकता है और न रात में, न वक़्त में और में और न हालात में, न महीने में और न साल में लेकिन इस महीने में ऐसा लगता है जैसे हर तरफ महादेव की भक्ति हो, हवा में भी हर-हर शम्भू गूंजता सुनाई देता है। अब जब बात शिवार्चन और आस्था की चल ही रही है तो हम आपको कर्नाटक के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताते हैं, जहां आप जिधर भी नज़र घुमाएंगे आपको सिर्फ शिवलिंग ही नज़र आएंगे। हम बात कर रहे हैं कोटिलिंगेश्वर मंदिर की। कर्नाटक के कोलार जिले का कोटिलिंगेश्वर मंदिर एक ऐसा मंदिर है, जो बहुत पुराना नहीं है लेकिन फिर भी बहुत सारे भक्तों और पर्यटकों का जमावड़ा यहां लगा रहता है। कोलार वैसे तो अपनी सोने की खदानों के लिए मशहूर है, लेकिन आप उन्हें देखने नहीं जा सकते। हालांकि, बंगलुरु से 70 किलोमीटर की दूरी पर बसे में आप कोटिलिंगेश्वर मंदिर के दर्शन ज़रूर कर सकते हैं।  बंगलुरु से यहां तक आने के लिए सड़क के दोनों ओर हरे- भरे खेत देखते हुए आप मंदिर पहुंच जाएंगे। 

आपको भा जाएगा महाराष्ट्र का तीखा, खट्टा, मीठा ज़ायका

महाराष्ट्र न केवल अपनी बॉलीवुड कल्चर के लिए जाना जाता है ये अपने कमाल के खाने के लिए भी फेमस है। बहुत सारे महाराष्ट्रीयन व्यंजन हैं जो पूरे भारत में खाए और पसंद किए जाते हैं। महाराष्ट्र का ज़्यादातर फेमस खाना वेजेटेरियन ही है। हालांकि, मालवणी क्षेत्र में आपको नॉनवेज बहुत ज्यादा मिल जाएगा। महाराष्ट्र के लोग खाना बनाने में गेहूं, चावल, ज्वार, मूंगफली, बहुत सारे मसले, जड़ी-बूटियों और नारियल के तेल का इस्तेमाल ज़्यादा करते हैं। वैसे तो ये राज्य इतना बड़ा है कि यहां के एक क्षेत्र में रहने वालों को कुछ पसंद आता है तो दूसरे क्षेत्र में रहने वालों को कुछ और। लेकिन हम आपको बताएंगे यहां के ऐसे फेमस कुजिन्स के बारे में जिन्हें आप एक बार ट्राई करेंगे तो इनका स्वाद नहीं भूल पाएंगे।

अगस्त में घूमने के लिए बेस्ट हैं ये 5 जगहें

अगस्त के महीने में हवा में ताजगी और हर तरफ हरियाली होती है। जो लोग घूमने के शौक़ीन हैं मॉनसून का मौसम उनके लिए बेस्ट होता है। इस मौसम में घूमने में खर्च भी कम होता है। कहते हैं कि बारिश का मौसम उन लोगों के लिए नहीं है जो हमेशा जल्दी में रहते हैं, बल्कि उनके लिए होता है जो हमेशा कुछ एडवेंचरस करने के लिए तैयार रहते हैं और कुदरत को असली खूबसूरती में देखकर खुश होते हैं। अगर आप भी बारिश पसन्द लोगों में से एक हैं तो हम आपके लिए लेकर आए हैं भारत की 5 ऐसी जगहों की लिस्ट जो जहां घूमकर आप अपने मॉनसून को यादगार बना सकते हैं।

अगस्त में घूमने के लिए बेस्ट हैं ये 5 जगहें

अगस्त के महीने में हवा में ताजगी और हर तरफ हरियाली होती है। जो लोग घूमने के शौक़ीन हैं मॉनसून का मौसम उनके लिए बेस्ट होता है। इस मौसम में घूमने में खर्च भी कम होता है। कहते हैं कि बारिश का मौसम उन लोगों के लिए नहीं है जो हमेशा जल्दी में रहते हैं, बल्कि उनके लिए होता है जो हमेशा कुछ एडवेंचरस करने के लिए तैयार रहते हैं और कुदरत को असली खूबसूरती में देखकर खुश होते हैं। अगर आप भी बारिश पसन्द लोगों में से एक हैं तो हम आपके लिए लेकर आए हैं भारत की 5 ऐसी जगहों की लिस्ट जो जहां घूमकर आप अपने मॉनसून को यादगार बना सकते हैं।

लॉन्ग वीकेंड में घूमने के लिए परफेक्ट हैं ये हिल स्टेशन्स

रक्षाबन्धन यानी 11 अगस्त (गुरुवार) से इस बार लॉन्ग वीकेंड शुरू हो रहा है। अब आप ये मत कहना कि 'सबका नहीं होता लक्ष्मण' । मेरा भी नहीं है लेकिन आपमें से कई का तो होगा। तो अगर आपकी भी 11 अगस्त से 16 अगस्त तक कि छुट्टी है या आपने प्लान कर ली है तो आप इसमें एक ट्रिप पूरी सकते हैं। हम आपको बता रहे हैं दिल्ली के पास के कुछ ऐसे हिल स्टेशन्स जहां इस समय मौसम एकदम मेहरबान होता है और अगर आप पहले से टिकट बुक कराना भूल गए हैं तो एकदम से भी यहां जाने की प्लानिंग कर सकते हैं।

हनुमान जी की सबसे ऊंची मूर्ति है यहां, दिलचस्प है इतिहास

शिवालिक पर्वत श्रृंखलाओं की जीवंत सुंदरता के बीच बना, जाखू मंदिर एक प्राचीन हनुमान मंदिर है जो पवन पुत्र हनुमान के भक्तों के बीच बेहद प्रसिद्ध है। शिमला के मशहूर दर्शनीय स्थलों में से एक इस मंदिर में  भगवान हनुमान की दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ति है। लोग यहां प्रभु के दर्शन के लिए तो आते ही हैं, शिमला आने वाले हर धर्म और संप्रदाय के टूरिस्ट्स इस विशाल मूर्ति को देखने भी आते हैं। यह मंदिर समुद्र तल से 8048 फीट की ऊंचाई पर है। 2010 में हिमाचल प्रदेश की राज्य सरकार ने यहां 108 फीट की हनुमान प्रतिमा स्थापित की थी। इस मूर्ति को पूरे शिमला से देखा जा सकता है। श्रद्धालु यहां पैदल, निजी कार या रोपवे से जाते हैं। शिमला में रिज नामक जगह से यहां जाने के लिए रोप वे लिया जा सकता है। जाखू मंदिर से पास के शहर संजौली का व्यू भी बेहद खूबसूरत दिखाई देता है। यहां से सूर्योदय और सूर्यास्त का के अद्भुत नज़ारे को देखने के लिए कई ट्रेकर्स भी यहां आते हैं। सिर्फ मंदिर ही नहीं, यहां तक पहुंचने का रास्ता भी बहुत सुंदर है। 

हनुमान जी की सबसे ऊंची मूर्ति है यहां, दिलचस्प है इतिहास

शिवालिक पर्वत श्रृंखलाओं की जीवंत सुंदरता के बीच बना, जाखू मंदिर एक प्राचीन हनुमान मंदिर है जो पवन पुत्र हनुमान के भक्तों के बीच बेहद प्रसिद्ध है। शिमला के मशहूर दर्शनीय स्थलों में से एक इस मंदिर में  भगवान हनुमान की दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ति है। लोग यहां प्रभु के दर्शन के लिए तो आते ही हैं, शिमला आने वाले हर धर्म और संप्रदाय के टूरिस्ट्स इस विशाल मूर्ति को देखने भी आते हैं। यह मंदिर समुद्र तल से 8048 फीट की ऊंचाई पर है। 2010 में हिमाचल प्रदेश की राज्य सरकार ने यहां 108 फीट की हनुमान प्रतिमा स्थापित की थी। इस मूर्ति को पूरे शिमला से देखा जा सकता है। श्रद्धालु यहां पैदल, निजी कार या रोपवे से जाते हैं। शिमला में रिज नामक जगह से यहां जाने के लिए रोप वे लिया जा सकता है। जाखू मंदिर से पास के शहर संजौली का व्यू भी बेहद खूबसूरत दिखाई देता है। यहां से सूर्योदय और सूर्यास्त का के अद्भुत नज़ारे को देखने के लिए कई ट्रेकर्स भी यहां आते हैं। सिर्फ मंदिर ही नहीं, यहां तक पहुंचने का रास्ता भी बहुत सुंदर है। 

प्राकट्य से उपसंहार तक, श्री कृष्ण के जीवन से जुड़े मंदिर

एक मार्गदर्शक, एक दार्शनिक, एक नटखट बच्चा, एक छोटा सा भगवान, एक सखा, एक चमकते तारे की आभा वाला, एक शूरवीर, ज़िन्दगी के हर पहलू में, हर रूप में कृष्ण हैं। वो राधा का प्रेम है तो रुक्मिणी का जीवन, यशोदा का लाल है तो देवकी का दुलार, गोपियों का श्रृंगार है तो सबका तारनहार। कृष्ण प्रेम भी हैं और प्रतिशोध भी, कृष्ण विराट हैं और बाल भी। वह एक अद्भुत संन्यासी, एक अद्भुत गृहस्थ और साथ ही एक शक्तिशाली नेता थे। भगवान कृष्ण के जीवनकाल में हुई सभी घटनाओं से जुड़े कई मंदिर भारत के विभिन्न कोनों में हैं। तो हम बताते हैं आपको कि इस जन्माष्टमी पर आपके कान्हा की ज़िंदगी से जुड़े कुछ मशहूर मंदिरों के बारे में…

प्राकट्य से उपसंहार तक, श्री कृष्ण के जीवन से जुड़े मंदिर

एक मार्गदर्शक, एक दार्शनिक, एक नटखट बच्चा, एक छोटा सा भगवान, एक सखा, एक चमकते तारे की आभा वाला, एक शूरवीर, ज़िन्दगी के हर पहलू में, हर रूप में कृष्ण हैं। वो राधा का प्रेम है तो रुक्मिणी का जीवन, यशोदा का लाल है तो देवकी का दुलार, गोपियों का श्रृंगार है तो सबका तारनहार। कृष्ण प्रेम भी हैं और प्रतिशोध भी, कृष्ण विराट हैं और बाल भी। वह एक अद्भुत संन्यासी, एक अद्भुत गृहस्थ और साथ ही एक शक्तिशाली नेता थे। भगवान कृष्ण के जीवनकाल में हुई सभी घटनाओं से जुड़े कई मंदिर भारत के विभिन्न कोनों में हैं। तो हम बताते हैं आपको कि इस जन्माष्टमी पर आपके कान्हा की ज़िंदगी से जुड़े कुछ मशहूर मंदिरों के बारे में…

यात्रा के दौरान प्रदूषण को कम करने के 10 टिप्स

हम हर दिन घूमने के लिए नई जगह की तलाश में रहते हैं, एक ऐसी जगह जहां शांति हो, हरियाली हो, कुदरती सुंदरता हो और वो लोगों की भीड़ से दूर हो। जैसे ही हमें ऐसी जगह मिलती है हम उसके बारे में दूसरों को बताते हैं और धीरे-धीरे वहां भी भीड़ होने लगती है। इसी बढ़ती भीड़ का नतीजा यह है कि पर्यावरण को हर दिन नुकसान हो रहा है। यूँ तो घर बैठे भी लोग उसे नुकसान पहुंचा ही रहे हैं लेकिन अगर आप खुद को एक ज़िम्मेदार ट्रैवलर मानते हैं तो यह आपकी भी ज़िम्मेदारी है कि आप प्रकृति की वास्तविक सुंदरता को बनाए रखने में अपना योगदान दें। प्राकृतिक संसाधनों का लगातार नुकसान हो रहा है, इसलिए, अपनी धरती को हल्के में न लें। अपनी खूबसूरत यात्रा को ग्रीन यात्रा बनाएं। यहां हम आपको बता रहे हैं 10 ऐसे तरीके जिनसे आप अपनी यात्रा के दौरान प्रकृति को नुकसान पहुंचाने से बच सकते हैं और एक ज़िम्मेदार यात्री बन सकते हैं। 

यात्रा के दौरान प्रदूषण को कम करने के 10 टिप्स

हम हर दिन घूमने के लिए नई जगह की तलाश में रहते हैं, एक ऐसी जगह जहां शांति हो, हरियाली हो, कुदरती सुंदरता हो और वो लोगों की भीड़ से दूर हो। जैसे ही हमें ऐसी जगह मिलती है हम उसके बारे में दूसरों को बताते हैं और धीरे-धीरे वहां भी भीड़ होने लगती है। इसी बढ़ती भीड़ का नतीजा यह है कि पर्यावरण को हर दिन नुकसान हो रहा है। यूँ तो घर बैठे भी लोग उसे नुकसान पहुंचा ही रहे हैं लेकिन अगर आप खुद को एक ज़िम्मेदार ट्रैवलर मानते हैं तो यह आपकी भी ज़िम्मेदारी है कि आप प्रकृति की वास्तविक सुंदरता को बनाए रखने में अपना योगदान दें। प्राकृतिक संसाधनों का लगातार नुकसान हो रहा है, इसलिए, अपनी धरती को हल्के में न लें। अपनी खूबसूरत यात्रा को ग्रीन यात्रा बनाएं। यहां हम आपको बता रहे हैं 10 ऐसे तरीके जिनसे आप अपनी यात्रा के दौरान प्रकृति को नुकसान पहुंचाने से बच सकते हैं और एक ज़िम्मेदार यात्री बन सकते हैं। 

इस तरह करें गणेश चतुर्थी की तैयारी

गणेश चतुर्थी को ज्ञान के देवता गणेश जी के जन्मदिन के रूप में पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है।  पौराणिक कथाओं के अनुसार, गणेश जी की रचना पार्वती जी ने की थी। जब शिव जी ने क्रोध में आकर गणेश जी का सिर काट दिया, तो देवी पार्वती बहुत दुखी हुईं। उन्होंने शंकर जी से कहा कि उन्हें हर हाल में उनके पुत्र गणेश वापस चाहिए। शिव जी ने गणेश जी के कटे हुए सिर को हाथी के सिर से बदल दिया और गणेश जी को वापस जीवित कर दिया। गणेश जी के जन्मदिन को पुरे देश में 10 दिनों तक बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। हालांकि, ये त्योहार सबसे स्तर पर महाराष्ट्र में मनाते हैं । कहा जाता है कि महान मराठा नेता छत्रपति शिवाजी ने स्वयं इस त्योहार को अपने लोगों के बीच संस्कृति और एकता को बढ़ावा देने के लिए एक सार्वजनिक कार्यक्रम के रूप में शुरू किया था, जो जाति से विभाजित थे। इसे राष्ट्रवादी नेता बाल गंगाधर तिलक द्वारा 19वीं शताब्दी के अंत में देश के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान स्वतंत्रता के संदेश को फैलाने के लिए फिर से धूमधाम से मनाया जाने लगा।  इसलिए यह त्योहार न केवल आस्था और संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता है बल्कि भारत के समृद्ध इतिहास का भी प्रतीक है।इसमें कोई शक नहीं कि गणेश चतुर्थी की भव्यता का अनुभव करने के लिए सबसे अच्छी जगह मुंबई है। यहां इस त्योहार की तैयारी करीब एक महीने पहले से शुरू हो जाती है। पूजा गणेश जी की सुंदर नक्काशीदार रंगीन मूर्तियों की स्थापना के साथ शुरू होती है। गणेश जी की मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा करके यह अनुष्ठान शुरू किया जाता है। 'प्राणप्रतिष्ठ' का शाब्दिक अर्थ 'जीवन की स्थापना' होता है, इसीलिए कहते हैं कि मूर्ति में स्वयं भगवान गणेश स्वयम विराजमान रहते हैं। इस पूजा में 10 दिनों के दौरान संगीत, नृत्य, नाटक और सभी प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम पूरे मुंबई में होते हैं। इन समारोहों के दौरान मुंबई की हर गली जीवंत हो उठती है। गणेश जी को हर दिन मिठाई का भोग लगाया जाता है, जिसमें मुख्य मोदक होता है, जिसे उनकी पसंदीदा मिठाई माना जाता है। फूल, चावल, नारियल, गुड़ और सिक्के भी चढ़ाए जाते हैं। त्योहार के अंतिम दिन, अनंत चतुर्दशी पर मूर्ति को विसर्जित करने के लिए विशाल जुलूस निकलते हैं और मूर्ति को नदी या समुद्र में विसर्जित कर देते हैं। इस दिन मुम्बई की हवा भी "गणपति बप्पा मोरया" के जाप से गूंजती है लोग इस दिन गणपति जी से ज़िन्दगी के सभी दर्द और दुखों को दूर करने और अगले वर्ष जल्द ही वापस आने का अनुरोध करते हैं। गणेश चतुर्थी को अन्य राज्यों जैसे गोवा (यह कोंकणी लोगों के लिए सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है), आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु में भी बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।इस बार 31 अगस्त को गणेश चतुर्थी है। अगर आप भी इस दिन गणेश जी को उनका प्रिय मोदक खिलाना चाहते हैं तो हम आपको बता रहे हैं कुछ अलग तरह के मोदक बनाने की रेसिपी…

इस तरह करें गणेश चतुर्थी की तैयारी

गणेश चतुर्थी को ज्ञान के देवता गणेश जी के जन्मदिन के रूप में पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है।  पौराणिक कथाओं के अनुसार, गणेश जी की रचना पार्वती जी ने की थी। जब शिव जी ने क्रोध में आकर गणेश जी का सिर काट दिया, तो देवी पार्वती बहुत दुखी हुईं। उन्होंने शंकर जी से कहा कि उन्हें हर हाल में उनके पुत्र गणेश वापस चाहिए। शिव जी ने गणेश जी के कटे हुए सिर को हाथी के सिर से बदल दिया और गणेश जी को वापस जीवित कर दिया। गणेश जी के जन्मदिन को पुरे देश में 10 दिनों तक बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। हालांकि, ये त्योहार सबसे स्तर पर महाराष्ट्र में मनाते हैं । कहा जाता है कि महान मराठा नेता छत्रपति शिवाजी ने स्वयं इस त्योहार को अपने लोगों के बीच संस्कृति और एकता को बढ़ावा देने के लिए एक सार्वजनिक कार्यक्रम के रूप में शुरू किया था, जो जाति से विभाजित थे। इसे राष्ट्रवादी नेता बाल गंगाधर तिलक द्वारा 19वीं शताब्दी के अंत में देश के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान स्वतंत्रता के संदेश को फैलाने के लिए फिर से धूमधाम से मनाया जाने लगा।  इसलिए यह त्योहार न केवल आस्था और संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता है बल्कि भारत के समृद्ध इतिहास का भी प्रतीक है।इसमें कोई शक नहीं कि गणेश चतुर्थी की भव्यता का अनुभव करने के लिए सबसे अच्छी जगह मुंबई है। यहां इस त्योहार की तैयारी करीब एक महीने पहले से शुरू हो जाती है। पूजा गणेश जी की सुंदर नक्काशीदार रंगीन मूर्तियों की स्थापना के साथ शुरू होती है। गणेश जी की मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा करके यह अनुष्ठान शुरू किया जाता है। 'प्राणप्रतिष्ठ' का शाब्दिक अर्थ 'जीवन की स्थापना' होता है, इसीलिए कहते हैं कि मूर्ति में स्वयं भगवान गणेश स्वयम विराजमान रहते हैं। इस पूजा में 10 दिनों के दौरान संगीत, नृत्य, नाटक और सभी प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम पूरे मुंबई में होते हैं। इन समारोहों के दौरान मुंबई की हर गली जीवंत हो उठती है। गणेश जी को हर दिन मिठाई का भोग लगाया जाता है, जिसमें मुख्य मोदक होता है, जिसे उनकी पसंदीदा मिठाई माना जाता है। फूल, चावल, नारियल, गुड़ और सिक्के भी चढ़ाए जाते हैं। त्योहार के अंतिम दिन, अनंत चतुर्दशी पर मूर्ति को विसर्जित करने के लिए विशाल जुलूस निकलते हैं और मूर्ति को नदी या समुद्र में विसर्जित कर देते हैं। इस दिन मुम्बई की हवा भी "गणपति बप्पा मोरया" के जाप से गूंजती है लोग इस दिन गणपति जी से ज़िन्दगी के सभी दर्द और दुखों को दूर करने और अगले वर्ष जल्द ही वापस आने का अनुरोध करते हैं। गणेश चतुर्थी को अन्य राज्यों जैसे गोवा (यह कोंकणी लोगों के लिए सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है), आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु में भी बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।इस बार 31 अगस्त को गणेश चतुर्थी है। अगर आप भी इस दिन गणेश जी को उनका प्रिय मोदक खिलाना चाहते हैं तो हम आपको बता रहे हैं कुछ अलग तरह के मोदक बनाने की रेसिपी…

अस्कोट : उत्तराखंड का छिपा हुआ खजाना

घूमने के शौकीन लोगों को सबसे ज़्यादा पहाड़ ही पसंद आते हैं। सर्दियों में लोगों को बर्फ देखनी हो या गर्मी में ठंडे मौसम का मज़ा लेना हो पहाड़ बेस्ट ऑप्शन होते हैं छुट्टियां बिताने के लिए। हालांकि अब तो ज़्यादातर हिल स्टेशन्स पर अच्छी खासी भीड़ होने लगी है लेकिन कुछ छुपे हुए ठिकाने ऐसे भी हैं जहां कुदरत की नेमत अभी भी बरसती है। इनमें से एक है, उत्तराखंड में नेपाल बॉर्डर पर बसा अस्कोट। अस्कोट उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ जिले में दीदीहाट तहसील में एक पुरानी रियासत है। दूर-दूर तक फैले जंगल और हरी-भरी घाटी के बीच, यह एक छोटा हिमालयी शहर है जो धारचूला और पिथौरागढ़ के बीच एक छोर पर बसा है। यह शहर पूर्व में नेपाल, पश्चिम में अल्मोड़ा, दक्षिण में पिथौरागढ़ और उत्तर में तिब्बत की सीमा में है। समुद्र तल से 1,106 मीटर की औसत ऊंचाई पर बसे अस्कोट पर नेपाल के दोती राजाओं, राजबरों, चांदों, कत्यूरी, गोरखाओं जैसे कई शासकों का शासन रहा है। हालांकि उस समय अस्कोट दो हिस्सों में बंटा था। एक को मल्ला अस्कोट के नाम से जाना जाता था और दूसरे को तल्ला अस्कोट के नाम से जाना जाता था। 1742 में यहां की ज़मीन गोरखा शासन के अधीन थी और 1815 में अंग्रेजों द्वारा उन्हें वापस नेपाल में धकेल दिया गया था। उत्तराखंड की एक लुप्तप्राय जनजाति, वन रावत अस्कोट के आसपास बस्ती है।'असकोट' नाम 'असी कोट' शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ है 80 किले जो कभी इस क्षेत्र में खड़े थे। अब यहां इनके कुछ अवशेष ही बचे हैं। लोकप्रिय कैलाश-मानसरोवर तीर्थयात्रा का शुरुआती केंद्र यही है। अस्कोट प्राकृतिक सुंदरता और झरनों से घिरा हुआ है। यह कस्तूरी हिरण के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण जगह है। यहां अस्कोट कस्तूरी हिरण अभयारण्य के भी है।अस्कोट से पंचुली और चिपलाकोट चोटियाँ एकदम साफ दिखती हैं। यहां देवदार, शीशम, ओक और साल के पेड़ों के जंगल के बीच गोरी गंगा और काली नदियां बहती हैं। हिमालय के कुमाऊं क्षेत्र में 5,412 फीट ऊंची चोटी पर बस अस्कोट आश्चर्यजनक रूप से सुंदर है। यहां ऐसी कई जगहें हैं जहां आप अपना समय बिता सकते हैं। 

अस्कोट : उत्तराखंड का छिपा हुआ खजाना

घूमने के शौकीन लोगों को सबसे ज़्यादा पहाड़ ही पसंद आते हैं। सर्दियों में लोगों को बर्फ देखनी हो या गर्मी में ठंडे मौसम का मज़ा लेना हो पहाड़ बेस्ट ऑप्शन होते हैं छुट्टियां बिताने के लिए। हालांकि अब तो ज़्यादातर हिल स्टेशन्स पर अच्छी खासी भीड़ होने लगी है लेकिन कुछ छुपे हुए ठिकाने ऐसे भी हैं जहां कुदरत की नेमत अभी भी बरसती है। इनमें से एक है, उत्तराखंड में नेपाल बॉर्डर पर बसा अस्कोट। अस्कोट उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ जिले में दीदीहाट तहसील में एक पुरानी रियासत है। दूर-दूर तक फैले जंगल और हरी-भरी घाटी के बीच, यह एक छोटा हिमालयी शहर है जो धारचूला और पिथौरागढ़ के बीच एक छोर पर बसा है। यह शहर पूर्व में नेपाल, पश्चिम में अल्मोड़ा, दक्षिण में पिथौरागढ़ और उत्तर में तिब्बत की सीमा में है। समुद्र तल से 1,106 मीटर की औसत ऊंचाई पर बसे अस्कोट पर नेपाल के दोती राजाओं, राजबरों, चांदों, कत्यूरी, गोरखाओं जैसे कई शासकों का शासन रहा है। हालांकि उस समय अस्कोट दो हिस्सों में बंटा था। एक को मल्ला अस्कोट के नाम से जाना जाता था और दूसरे को तल्ला अस्कोट के नाम से जाना जाता था। 1742 में यहां की ज़मीन गोरखा शासन के अधीन थी और 1815 में अंग्रेजों द्वारा उन्हें वापस नेपाल में धकेल दिया गया था। उत्तराखंड की एक लुप्तप्राय जनजाति, वन रावत अस्कोट के आसपास बस्ती है।'असकोट' नाम 'असी कोट' शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ है 80 किले जो कभी इस क्षेत्र में खड़े थे। अब यहां इनके कुछ अवशेष ही बचे हैं। लोकप्रिय कैलाश-मानसरोवर तीर्थयात्रा का शुरुआती केंद्र यही है। अस्कोट प्राकृतिक सुंदरता और झरनों से घिरा हुआ है। यह कस्तूरी हिरण के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण जगह है। यहां अस्कोट कस्तूरी हिरण अभयारण्य के भी है।अस्कोट से पंचुली और चिपलाकोट चोटियाँ एकदम साफ दिखती हैं। यहां देवदार, शीशम, ओक और साल के पेड़ों के जंगल के बीच गोरी गंगा और काली नदियां बहती हैं। हिमालय के कुमाऊं क्षेत्र में 5,412 फीट ऊंची चोटी पर बस अस्कोट आश्चर्यजनक रूप से सुंदर है। यहां ऐसी कई जगहें हैं जहां आप अपना समय बिता सकते हैं। 

कश्मीर के 5 हैंडीक्राफ्ट्स बढ़ाएंगे आपकी शान

भारत की सबसे सुंदर जगह के बारे में जब भी बात होती है तो सबसे पहले कश्मीर ही याद आता है। समंदर को चाहने वाले जितना गोआ से प्यार करते हैं पहाड़ों को पसंद करने वालों को कश्मीर से उतनी ही मोहब्बत है। यहां का मौसम, नज़ारे, संस्कृति, परंपराएं, लोग सब खास हैं। लेकिन इस बार हम यहां के हैंडीक्राफ्ट्स की बात करेंगे। अगर आप कश्मीर घूमने जा रहे हैं तो इन हैंडीक्राफ्ट्स को लाना बिल्कुल मत भूलिएगा। आप इन्हें खुद इस्तेमाल कर सकते हैं या अपने किसी करीबी को तोहफे में दे सकते हैं। 

कश्मीर के 5 हैंडीक्राफ्ट्स बढ़ाएंगे आपकी शान

भारत की सबसे सुंदर जगह के बारे में जब भी बात होती है तो सबसे पहले कश्मीर ही याद आता है। समंदर को चाहने वाले जितना गोआ से प्यार करते हैं पहाड़ों को पसंद करने वालों को कश्मीर से उतनी ही मोहब्बत है। यहां का मौसम, नज़ारे, संस्कृति, परंपराएं, लोग सब खास हैं। लेकिन इस बार हम यहां के हैंडीक्राफ्ट्स की बात करेंगे। अगर आप कश्मीर घूमने जा रहे हैं तो इन हैंडीक्राफ्ट्स को लाना बिल्कुल मत भूलिएगा। आप इन्हें खुद इस्तेमाल कर सकते हैं या अपने किसी करीबी को तोहफे में दे सकते हैं। 

मांडू को मिला सर्वश्रेष्ठ विरासत स्थल का पुरस्कार, जानें क्यों है ये जगह खास

मध्यप्रदेश के धार जिले के मांडू शहर को सर्वश्रेष्ठ विरासत स्थल का पुरस्कार मिला है। प्रदेश के पर्यटन विभाग के एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।उन्होंने बताया कि केंद्रीय पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी ने मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम (एमपीटीडीसी) के प्रबंध निदेशक एस विश्वनाथन को 19वें वार्षिक आउटलुक ट्रैवलर अवार्ड के दौरान नई दिल्ली में यह पुरस्कार दिया। यह अवार्ड एक रिसर्च एजेंसी के ट्रैवेल सर्वे और जूरी के सदस्यों की राय के आधार पर दिया गया है।

मांडू को मिला सर्वश्रेष्ठ विरासत स्थल का पुरस्कार, जानें क्यों है ये जगह खास

मध्यप्रदेश के धार जिले के मांडू शहर को सर्वश्रेष्ठ विरासत स्थल का पुरस्कार मिला है। प्रदेश के पर्यटन विभाग के एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।उन्होंने बताया कि केंद्रीय पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी ने मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम (एमपीटीडीसी) के प्रबंध निदेशक एस विश्वनाथन को 19वें वार्षिक आउटलुक ट्रैवलर अवार्ड के दौरान नई दिल्ली में यह पुरस्कार दिया। यह अवार्ड एक रिसर्च एजेंसी के ट्रैवेल सर्वे और जूरी के सदस्यों की राय के आधार पर दिया गया है।

सितंबर में घूमने के लिए बेस्ट हैं ये जगहें

वैसे तो लोग आजकल महीने और मौसम की बातें भूलकर पूरे साल ही कहीं न कहीं घूमते रहते हैं लेकिन फिर भी कई लोग ऐसे हैं जो हर मौसम का असल लुत्फ नहीं उठा पाते। अगर आप भी उनमें से एक हैं और ये मानते हैं कि भई घूमना तो सिर्फ नवम्बर से फरवरी तक ही चाहिए तो जनाब आपकी सोच गलत है। हमारा देश इतना बड़ा है कि यहां हर महीने आपको घूमने के लिए कई सुंदर जगहें मिल जाएंगी। उस महीने में मॉनसून विदा हो रहा होता है और मौसम में हल्की ठंडक आ जाती है। यह महीना जुलाई और अगस्त के महीनों की तुलना में ठंडा होता है लेकिन आने वाले अक्टूबर और नवंबर के महीनों की तुलना में कम ठंडा। सितम्बर में टूरिस्म का ऑफ सीजन भी खत्म हो रहा होता है इसलिए इस महीने आने वाले महीनों की तुलना में होटल भी सस्ते मिल जाते हैं। सितंबर के महीने की सबसे अच्छी बात यह है कि आपको टूरिस्ट प्लेसेस पर भारी भीड़ का सामना नहीं करना पड़ता। अब जब इस महीने घूमने के इतने फायदे हैं तो क्यों न एक ट्रिप आप भी प्लान कर लें। हम आपको बता रहे सितम्बर में घूमने के लिए सबसे अच्छी जगह।  

सितंबर में घूमने के लिए बेस्ट हैं ये जगहें

वैसे तो लोग आजकल महीने और मौसम की बातें भूलकर पूरे साल ही कहीं न कहीं घूमते रहते हैं लेकिन फिर भी कई लोग ऐसे हैं जो हर मौसम का असल लुत्फ नहीं उठा पाते। अगर आप भी उनमें से एक हैं और ये मानते हैं कि भई घूमना तो सिर्फ नवम्बर से फरवरी तक ही चाहिए तो जनाब आपकी सोच गलत है। हमारा देश इतना बड़ा है कि यहां हर महीने आपको घूमने के लिए कई सुंदर जगहें मिल जाएंगी। उस महीने में मॉनसून विदा हो रहा होता है और मौसम में हल्की ठंडक आ जाती है। यह महीना जुलाई और अगस्त के महीनों की तुलना में ठंडा होता है लेकिन आने वाले अक्टूबर और नवंबर के महीनों की तुलना में कम ठंडा। सितम्बर में टूरिस्म का ऑफ सीजन भी खत्म हो रहा होता है इसलिए इस महीने आने वाले महीनों की तुलना में होटल भी सस्ते मिल जाते हैं। सितंबर के महीने की सबसे अच्छी बात यह है कि आपको टूरिस्ट प्लेसेस पर भारी भीड़ का सामना नहीं करना पड़ता। अब जब इस महीने घूमने के इतने फायदे हैं तो क्यों न एक ट्रिप आप भी प्लान कर लें। हम आपको बता रहे सितम्बर में घूमने के लिए सबसे अच्छी जगह।  

कसार देवी, माचू पिच्चू और स्टोनहेंज में है कुछ एक जैसा

क्या आपको लगता है कि कि पेरू के माचू पिच्चू और यूके के स्टोनहेंज जैसी जगहों का संबंध भारत के कुमाऊं क्षेत्र के एक छोटे से गांव से हो सकता है? अगर आपको लगता है कि ऐसा कैसे हो सकता है तो फटाफट इस स्टोरी को पढ़ डालिए और जान लीजिए कि आखिर इन तीनों में क्या सम्बंध है। हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र के कसार देवी की। टूरिस्ट्स के बीच भले ही यह जगह पॉपुलर न रही हो लेकिन लंबे समय से कलाकारों, मनीषियों, दार्शनिकों और आध्यात्मिक साधकों को लुभाती रही है। आपको जानकर हैरानी होगी कि स्वामी विवेकानंद, बॉब डायलन, रवींद्रनाथ टैगोर, हार्वर्ड मनोवैज्ञानिक टिमोथी लेरी, डीएच लॉरेंस जैसी प्रसिद्ध हस्तियां किसी न किसी वजह से यहां आ चुकी हैं। इतिहास की मानें तो 1890 में, स्वामी विवेकानंद ने यहीं एक गुफा में ध्यान लगाया था।तो चलिए मुद्दे पर आते हैं। जो बात इस जगह को खास बनाती है वह है पृथ्वी की वैन एलन बेल्ट पर इसका स्थित होना। ऐसा माना जाता है कि कसार देवी मंदिर के आसपास धरती के भीतर विशाल भू-चुंबकीय पिंड है। इस पिंड में विद्युतीय चार्ज कणों की परत होती है जिसे रेडिएशन भी कह सकते हैं। यही कारण है कि माना जाता है कि कसार देवी में ब्रह्मांडीय ऊर्जा है जो पेरू के माचू पिच्चू और यूके के स्टोनहेंज के समान है।पिछले कुछ साल से नासा के वैज्ञानिक इस बेल्ट के बनने की वजह पता लगाने में जुटे हैं। इस वैज्ञानिक अध्ययन में यह भी पता लगाया जा रहा है कि मानव मस्तिष्क या प्रकृति पर इस चुंबकीय पिंड का क्या असर पड़ता है। ऐसा माना जाता है कि इन चुम्बकीय पिंडो की उपस्थिति के कारण, यहां एक परम शांति का अनुभव होता है। जिन्होंने यहां ध्यान किया है, उनका दावा है कि वे यहां एक अनोखी तरह की शांति महसूस कर सकते हैं, हालांकि इस बात का कोई वैज्ञानिक प्रमाण अभी तक नहीं मिला है। 

कसार देवी, माचू पिच्चू और स्टोनहेंज में है कुछ एक जैसा

क्या आपको लगता है कि कि पेरू के माचू पिच्चू और यूके के स्टोनहेंज जैसी जगहों का संबंध भारत के कुमाऊं क्षेत्र के एक छोटे से गांव से हो सकता है? अगर आपको लगता है कि ऐसा कैसे हो सकता है तो फटाफट इस स्टोरी को पढ़ डालिए और जान लीजिए कि आखिर इन तीनों में क्या सम्बंध है। हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र के कसार देवी की। टूरिस्ट्स के बीच भले ही यह जगह पॉपुलर न रही हो लेकिन लंबे समय से कलाकारों, मनीषियों, दार्शनिकों और आध्यात्मिक साधकों को लुभाती रही है। आपको जानकर हैरानी होगी कि स्वामी विवेकानंद, बॉब डायलन, रवींद्रनाथ टैगोर, हार्वर्ड मनोवैज्ञानिक टिमोथी लेरी, डीएच लॉरेंस जैसी प्रसिद्ध हस्तियां किसी न किसी वजह से यहां आ चुकी हैं। इतिहास की मानें तो 1890 में, स्वामी विवेकानंद ने यहीं एक गुफा में ध्यान लगाया था।तो चलिए मुद्दे पर आते हैं। जो बात इस जगह को खास बनाती है वह है पृथ्वी की वैन एलन बेल्ट पर इसका स्थित होना। ऐसा माना जाता है कि कसार देवी मंदिर के आसपास धरती के भीतर विशाल भू-चुंबकीय पिंड है। इस पिंड में विद्युतीय चार्ज कणों की परत होती है जिसे रेडिएशन भी कह सकते हैं। यही कारण है कि माना जाता है कि कसार देवी में ब्रह्मांडीय ऊर्जा है जो पेरू के माचू पिच्चू और यूके के स्टोनहेंज के समान है।पिछले कुछ साल से नासा के वैज्ञानिक इस बेल्ट के बनने की वजह पता लगाने में जुटे हैं। इस वैज्ञानिक अध्ययन में यह भी पता लगाया जा रहा है कि मानव मस्तिष्क या प्रकृति पर इस चुंबकीय पिंड का क्या असर पड़ता है। ऐसा माना जाता है कि इन चुम्बकीय पिंडो की उपस्थिति के कारण, यहां एक परम शांति का अनुभव होता है। जिन्होंने यहां ध्यान किया है, उनका दावा है कि वे यहां एक अनोखी तरह की शांति महसूस कर सकते हैं, हालांकि इस बात का कोई वैज्ञानिक प्रमाण अभी तक नहीं मिला है। 

फूलों से लेकर बर्फ तक, जानिए दुनिया के 5 अनूठे रेगिस्तानों के बारे में

रेगिस्तान के बारे में जब भी बात होती है तो डोर-डोर तक फैले रेत की ही याद आती है। बस रेत ही रेत, उसमें और कुछ नहीं। कहीं-कहीं कुछ कैक्टस या रेत में होने वाले पौधे उग आते हैं लेकिन वे भी जीवन से कोसों दूर लगते हैं। न कहीं पानी नज़र आता है और न ही फूल। रेगिस्तान को गर्म, शुष्क और तपा देने वाला ही माना जाता है लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि दुनिया में कुछ ऐसे भी रेगिस्तान हैं जहां फूल उगते हैं, पानी का लगून है, बर्फ गिरती है। यकीन नहीं आ रहा न ? कोई बात नहीं। हम बताते हैं आपको इन रेगिस्तानों के बारे में…

फूलों से लेकर बर्फ तक, जानिए दुनिया के 5 अनूठे रेगिस्तानों के बारे में

रेगिस्तान के बारे में जब भी बात होती है तो डोर-डोर तक फैले रेत की ही याद आती है। बस रेत ही रेत, उसमें और कुछ नहीं। कहीं-कहीं कुछ कैक्टस या रेत में होने वाले पौधे उग आते हैं लेकिन वे भी जीवन से कोसों दूर लगते हैं। न कहीं पानी नज़र आता है और न ही फूल। रेगिस्तान को गर्म, शुष्क और तपा देने वाला ही माना जाता है लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि दुनिया में कुछ ऐसे भी रेगिस्तान हैं जहां फूल उगते हैं, पानी का लगून है, बर्फ गिरती है। यकीन नहीं आ रहा न ? कोई बात नहीं। हम बताते हैं आपको इन रेगिस्तानों के बारे में…

दो देशों में है नागालैंड का ये गांव, लोगों के पास है दोहरी नागरिकता

नागालैंड के उत्तरी हिस्से में एक लोंगवा गांव है जिसमें कुछ खास है। मोन जिले के सबसे बड़े गांवों में से एक, यह एक बेहद दिलचस्प जगह है। यहां गांव के प्रधान जिन्हें अंग कहा जाता है, उनका आधा घर भारत में और आधा म्यांमार में है। क्योंकि ये गाँव दो देशों में है, फिर भी पूरे गांव पर मुखिया का शासन होता है। यहां प्राकृतिक सुंदरता अपार है। यहां कुल चार नदियाँ गाँव से होकर बहती हैं, दो भारत में और दो म्यांमार में।कभी-कभी जब आप वहां होते हैं, तो आप म्यांमार में होते हैं और कभी भारत में। नागालैंड में कोन्याक जनजाति को भारत के अंतिम शिकारियों में से एक माना जाता है, क्योंकि 1960 के दशक में ईसाई धर्म के उदय के साथ इस प्रथा को छोड़ दिया गया था। कोन्याक्स ने अपने चेहरे और शरीर के अन्य हिस्सों पर टैटू बनवाए जो समाज में उनकी जनजाति, कबीले और स्थिति को दर्शाते थे। टैटू और सिर का शिकार करना संस्कृति का एक अभिन्न अंग था। क्योंकि युवा कोन्याक लड़कों को कबीलाई लड़ाई में प्रतिद्वंद्वी जनजातियों के सदस्यों का सिर काटना पड़ता था। इनका मानना था कि एक व्यक्ति की खोपड़ी में उनकी आत्मा की शक्ति होती है, जो समाज में समृद्धि लाती है और उनके वंश को आगे बढ़ाती है।लोंगवा में आज कई ग्रामीण पीतल की खोपड़ी का हार पहनते हैं, जो इस विरासत का प्रतीक है। दिलचस्प बात यह है कि बहुत सारे स्थानीय लोग भी म्यांमार की सेना में हैं क्योंकि गाँव के निवासियों के पास दोनों देशों की नागरिकता है इसीलिए यहां के लोग दोनों देशों में स्वतंत्र रूप से घूम सकते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि यहां के गांव की मुखिया की जिन्हें अंग कहते हैं, उनकी 60 पत्नियां हैं और म्यांमार और अरुणाचल प्रदेश के 70 गांवों में उनका शासन है। 

दो देशों में है नागालैंड का ये गांव, लोगों के पास है दोहरी नागरिकता

नागालैंड के उत्तरी हिस्से में एक लोंगवा गांव है जिसमें कुछ खास है। मोन जिले के सबसे बड़े गांवों में से एक, यह एक बेहद दिलचस्प जगह है। यहां गांव के प्रधान जिन्हें अंग कहा जाता है, उनका आधा घर भारत में और आधा म्यांमार में है। क्योंकि ये गाँव दो देशों में है, फिर भी पूरे गांव पर मुखिया का शासन होता है। यहां प्राकृतिक सुंदरता अपार है। यहां कुल चार नदियाँ गाँव से होकर बहती हैं, दो भारत में और दो म्यांमार में।कभी-कभी जब आप वहां होते हैं, तो आप म्यांमार में होते हैं और कभी भारत में। नागालैंड में कोन्याक जनजाति को भारत के अंतिम शिकारियों में से एक माना जाता है, क्योंकि 1960 के दशक में ईसाई धर्म के उदय के साथ इस प्रथा को छोड़ दिया गया था। कोन्याक्स ने अपने चेहरे और शरीर के अन्य हिस्सों पर टैटू बनवाए जो समाज में उनकी जनजाति, कबीले और स्थिति को दर्शाते थे। टैटू और सिर का शिकार करना संस्कृति का एक अभिन्न अंग था। क्योंकि युवा कोन्याक लड़कों को कबीलाई लड़ाई में प्रतिद्वंद्वी जनजातियों के सदस्यों का सिर काटना पड़ता था। इनका मानना था कि एक व्यक्ति की खोपड़ी में उनकी आत्मा की शक्ति होती है, जो समाज में समृद्धि लाती है और उनके वंश को आगे बढ़ाती है।लोंगवा में आज कई ग्रामीण पीतल की खोपड़ी का हार पहनते हैं, जो इस विरासत का प्रतीक है। दिलचस्प बात यह है कि बहुत सारे स्थानीय लोग भी म्यांमार की सेना में हैं क्योंकि गाँव के निवासियों के पास दोनों देशों की नागरिकता है इसीलिए यहां के लोग दोनों देशों में स्वतंत्र रूप से घूम सकते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि यहां के गांव की मुखिया की जिन्हें अंग कहते हैं, उनकी 60 पत्नियां हैं और म्यांमार और अरुणाचल प्रदेश के 70 गांवों में उनका शासन है। 

अब आसानी से घूम सकेंगे वियतनाम, भारतीयों के लिए नई सेवा शुरू

अगर आप विदेश यात्रा करना चाहते हैं तो ये आपके लिए खुशखबरी है! भारतीय यात्री अब वियतनाम में अपनी पसंदीदा जगहों पर आसानी से घूम सकते हैं। वियतजेट की नई दिल्ली/मुंबई से हनोई/हो ची मिन्ह सिटी तक हर सप्ताह 4 उड़ाने हैं। सितंबर 2022 से, वियतजेट ग्यारह अतिरिक्त मार्गों पर उड़ानें शुरू करेगा।, जिससे दोनों देशों के बीच कुल 17 उड़ानें हो जाएंगी। नई दिल्ली/मुंबई-फू क्वोक सेवाएं जल्द ही 9 सितंबर से हर सप्ताह 3-4 उड़ानों के साथ शुरू होगी। इसके अलावा, अहमदाबाद/हैदराबाद/बेंगलुरू को हनोई/हो ची मिन्ह सिटी/दा नांग से जोड़ने वाले 9 नए मार्ग भी सितंबर से चार साप्ताहिक उड़ानों के साथ शुरू होंगे। दिवाली के समय दो और नए रूट मुंबई/नई दिल्ली - दा नांग मिड अक्टूबर से चालू हो जाएंगे।यह भी पढ़ें : दो देशों में है नागालैंड का ये गांव, लोगों के पास है दोहरी नागरिकतावियतजेट के साथ, आप अब वियतनाम में अपनी पसंदीदा जगहों के लिए पांच घंटे की सीधी उड़ानें ले सकते हैं। नई सीधी उड़ानें आपके के लिए न केवल वियतनाम बल्कि बाली, सिंगापुर, कुआलालंपुर, बैंकॉक, फुकेत, ​​चियांग माई, सियोल, बुसान, टोक्यो, ओसाका, फुकुओका, नागोया, और ताइपे जैसे दक्षिण पूर्व - पूर्वोत्तर एशिया जैसे बाकी देशों से जुड़ना आसान और अधिक किफायती बना देंगी। इसके अलावा वियतजेट कई तरह के खाने के साथ विशेष इन-फ्लाइट फ़ूड भी दे रहा है। और वह भी वेजिटेरियन व नॉन वेजेटेरियन दोनों। वियतनाम ने कोविड -19 से जुड़े प्रतिबन्धों को भी हटा दिया है। विशेष रूप से, फु क्वोक में आने वाले सभी अंतरराष्ट्रीय यात्रियों को अच्छी चीजों का अनुभव करने के लिए 30-दिन की वीजा छूट दी जा रही है। 

अब आसानी से घूम सकेंगे वियतनाम, भारतीयों के लिए नई सेवा शुरू

अगर आप विदेश यात्रा करना चाहते हैं तो ये आपके लिए खुशखबरी है! भारतीय यात्री अब वियतनाम में अपनी पसंदीदा जगहों पर आसानी से घूम सकते हैं। वियतजेट की नई दिल्ली/मुंबई से हनोई/हो ची मिन्ह सिटी तक हर सप्ताह 4 उड़ाने हैं। सितंबर 2022 से, वियतजेट ग्यारह अतिरिक्त मार्गों पर उड़ानें शुरू करेगा।, जिससे दोनों देशों के बीच कुल 17 उड़ानें हो जाएंगी। नई दिल्ली/मुंबई-फू क्वोक सेवाएं जल्द ही 9 सितंबर से हर सप्ताह 3-4 उड़ानों के साथ शुरू होगी। इसके अलावा, अहमदाबाद/हैदराबाद/बेंगलुरू को हनोई/हो ची मिन्ह सिटी/दा नांग से जोड़ने वाले 9 नए मार्ग भी सितंबर से चार साप्ताहिक उड़ानों के साथ शुरू होंगे। दिवाली के समय दो और नए रूट मुंबई/नई दिल्ली - दा नांग मिड अक्टूबर से चालू हो जाएंगे।यह भी पढ़ें : दो देशों में है नागालैंड का ये गांव, लोगों के पास है दोहरी नागरिकतावियतजेट के साथ, आप अब वियतनाम में अपनी पसंदीदा जगहों के लिए पांच घंटे की सीधी उड़ानें ले सकते हैं। नई सीधी उड़ानें आपके के लिए न केवल वियतनाम बल्कि बाली, सिंगापुर, कुआलालंपुर, बैंकॉक, फुकेत, ​​चियांग माई, सियोल, बुसान, टोक्यो, ओसाका, फुकुओका, नागोया, और ताइपे जैसे दक्षिण पूर्व - पूर्वोत्तर एशिया जैसे बाकी देशों से जुड़ना आसान और अधिक किफायती बना देंगी। इसके अलावा वियतजेट कई तरह के खाने के साथ विशेष इन-फ्लाइट फ़ूड भी दे रहा है। और वह भी वेजिटेरियन व नॉन वेजेटेरियन दोनों। वियतनाम ने कोविड -19 से जुड़े प्रतिबन्धों को भी हटा दिया है। विशेष रूप से, फु क्वोक में आने वाले सभी अंतरराष्ट्रीय यात्रियों को अच्छी चीजों का अनुभव करने के लिए 30-दिन की वीजा छूट दी जा रही है। 

बेबीमून पर जाने का कर रहे हैं प्लान? ये हैं परफेक्ट डेस्टिनेशन्स

एक बार जब आपको पता चल जाता है कि आप प्रेग्नेंट हैं, तो दुनिया अलग हो जाती है। आपकी ज़िंदगी हमेशा के लिए बदलने वाली होती है। जब आप शादी करते हैं, तो हनीमून एक ऐसा समय माना जाता है जब आप अपने जीवनसाथी को जानते हैं और रिश्ते को मजबूत करते हैं। इसके अलावा आपको मौका मिलता है कि आप अपने पार्टनर के साथ रहें और कुछ क्वालिटी टाइम स्पेंड करें। उसे परिवार के झंझटों में पड़ने से पहले जान लें। इसी तरह जब आप प्रेग्नेंट होती हैं तब भी आपको कुछ वक्त अपने पार्टनर के साथ बिताना चाहिए और आने वाले वक्त के लिए खुद को नई एनर्जी के साथ तैयार करना चाहिए। इसके लिए बेबीमून बेस्ट तरीका है।  बेबीमून क्या है? दुनिया भर में कपल्स बच्चे के आने से पहले बेबीमून की छुट्टियां ले रहे हैं। चूंकि बच्चा आपको और आपके साथी दोनों को व्यस्त रखेगा, इसलिए आपको अगली बार घूमने के न जाने कब मौका मिलेगा। इसने 'बेबीमून' की शुरुआत की, जो आपके बच्चे के जन्म से पहले की छुट्टी है।परफेक्ट बेबीमून कैसे प्लान करेंप्रेग्नेंसी के सिम्पटम्स, बेसिक सुरक्षा और कम चलने वाला होने की वजह से बेबीमूनिंग हनीमून जितना आसान नहीं है। इसका मतलब है कि आपके पास यात्रा के ऑफ-लिमिट ऑप्शन्स के लिए एक चेकलिस्ट होनी चाहिए जिससे आप ट्रेवल के दौरान सेफ रहें। आपको ये भी ध्यान में रखना होगा कि आपकी हेल्थ से कोई समझौता न हो। इस तरह चुनें लोकेशनअक्सर इस बात को लेकर दुविधा रहती है कि बेबीमून के दौरान आपको किस लोकेशन पर जाना चाहिए। दो बातें जो आपको यह तय करने में मदद कर सकती हैं, वे हैं प्रेफरेंस और ट्रेवल में लगने वाला वक़्त। जहां तक लोकेशन की बात है, यह आपकी सहूलियत और पसंद पर निर्भर करती है। रिसर्चर्स का कहना है कि ज़्यादा समय तक बैठने से गर्भवती महिलाओं में गेस्टेशनल डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए ऐसी यात्रा से बचें। आप भले ही लम्बा इंटरनेशनल ट्रेवल नहीं कर सकतीं लेकिन हमारे देश में भी कई जगहें ऐसी हैं जो रेलवे से जुड़ी हुई हैं। यहां तक आप ट्रेन में लेट कर आराम से सफर कर सकती हैं या अपनी गाड़ी से रुकते-रुकाते पहुंच सकती हैं।

बेबीमून पर जाने का कर रहे हैं प्लान? ये हैं परफेक्ट डेस्टिनेशन्स

एक बार जब आपको पता चल जाता है कि आप प्रेग्नेंट हैं, तो दुनिया अलग हो जाती है। आपकी ज़िंदगी हमेशा के लिए बदलने वाली होती है। जब आप शादी करते हैं, तो हनीमून एक ऐसा समय माना जाता है जब आप अपने जीवनसाथी को जानते हैं और रिश्ते को मजबूत करते हैं। इसके अलावा आपको मौका मिलता है कि आप अपने पार्टनर के साथ रहें और कुछ क्वालिटी टाइम स्पेंड करें। उसे परिवार के झंझटों में पड़ने से पहले जान लें। इसी तरह जब आप प्रेग्नेंट होती हैं तब भी आपको कुछ वक्त अपने पार्टनर के साथ बिताना चाहिए और आने वाले वक्त के लिए खुद को नई एनर्जी के साथ तैयार करना चाहिए। इसके लिए बेबीमून बेस्ट तरीका है।  बेबीमून क्या है? दुनिया भर में कपल्स बच्चे के आने से पहले बेबीमून की छुट्टियां ले रहे हैं। चूंकि बच्चा आपको और आपके साथी दोनों को व्यस्त रखेगा, इसलिए आपको अगली बार घूमने के न जाने कब मौका मिलेगा। इसने 'बेबीमून' की शुरुआत की, जो आपके बच्चे के जन्म से पहले की छुट्टी है।परफेक्ट बेबीमून कैसे प्लान करेंप्रेग्नेंसी के सिम्पटम्स, बेसिक सुरक्षा और कम चलने वाला होने की वजह से बेबीमूनिंग हनीमून जितना आसान नहीं है। इसका मतलब है कि आपके पास यात्रा के ऑफ-लिमिट ऑप्शन्स के लिए एक चेकलिस्ट होनी चाहिए जिससे आप ट्रेवल के दौरान सेफ रहें। आपको ये भी ध्यान में रखना होगा कि आपकी हेल्थ से कोई समझौता न हो। इस तरह चुनें लोकेशनअक्सर इस बात को लेकर दुविधा रहती है कि बेबीमून के दौरान आपको किस लोकेशन पर जाना चाहिए। दो बातें जो आपको यह तय करने में मदद कर सकती हैं, वे हैं प्रेफरेंस और ट्रेवल में लगने वाला वक़्त। जहां तक लोकेशन की बात है, यह आपकी सहूलियत और पसंद पर निर्भर करती है। रिसर्चर्स का कहना है कि ज़्यादा समय तक बैठने से गर्भवती महिलाओं में गेस्टेशनल डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए ऐसी यात्रा से बचें। आप भले ही लम्बा इंटरनेशनल ट्रेवल नहीं कर सकतीं लेकिन हमारे देश में भी कई जगहें ऐसी हैं जो रेलवे से जुड़ी हुई हैं। यहां तक आप ट्रेन में लेट कर आराम से सफर कर सकती हैं या अपनी गाड़ी से रुकते-रुकाते पहुंच सकती हैं।

टुकड़े होकर फिर जुड़ जाता है इस मंदिर का शिवलिंग, अद्भुत है कहानी

हिमाचल प्रदेश कुदरती खूबसूरती, समृद्ध संस्कृति, सुंदर घरों से लेकर प्राचीन परंपराओं तक कई चीजों के लिए प्रसिद्ध है। जो पर्यटक एक बार यहां एक बार उसका मन यहीं रह जाता है। हिमाचल की सुंदरता और यहां आने वाली भीड़ के किस्से आपने खूब सुने होंगे लेकिन आज हम आपको कुल्लू जिले के एक अनोखे और रहस्यमयी मंदिर के बारे में बताएंगे, जिसकी धार्मिक मान्यता बहुत ज़्यादा है। यह मंदिर बिजली महादेव के नाम से जाना जाता है। मंदिर कुल्लू घाटी के सुंदर गांव काशवरी में है। 2460 मीटर की ऊंचाई पर स्थित बना यह मंदिर शिव जी को समर्पित है। इसे भारत के सबसे प्राचीन मंदिरों में भी गिना जाता है। तो चलिए हम बताते हैं आपको कि क्या बात इस मंदिर को इतना अनोखा और खास बनाती है?

टुकड़े होकर फिर जुड़ जाता है इस मंदिर का शिवलिंग, अद्भुत है कहानी

हिमाचल प्रदेश कुदरती खूबसूरती, समृद्ध संस्कृति, सुंदर घरों से लेकर प्राचीन परंपराओं तक कई चीजों के लिए प्रसिद्ध है। जो पर्यटक एक बार यहां एक बार उसका मन यहीं रह जाता है। हिमाचल की सुंदरता और यहां आने वाली भीड़ के किस्से आपने खूब सुने होंगे लेकिन आज हम आपको कुल्लू जिले के एक अनोखे और रहस्यमयी मंदिर के बारे में बताएंगे, जिसकी धार्मिक मान्यता बहुत ज़्यादा है। यह मंदिर बिजली महादेव के नाम से जाना जाता है। मंदिर कुल्लू घाटी के सुंदर गांव काशवरी में है। 2460 मीटर की ऊंचाई पर स्थित बना यह मंदिर शिव जी को समर्पित है। इसे भारत के सबसे प्राचीन मंदिरों में भी गिना जाता है। तो चलिए हम बताते हैं आपको कि क्या बात इस मंदिर को इतना अनोखा और खास बनाती है?

बहुत खतरनाक हैं दुनिया के ये 5 टूरिस्ट स्पॉस्ट्स

दुनिया में ऐसी कई जगहें हैं जो अपनी सुंदरता के लिए जानी जाती हैं और दुनिया भर से हजारों पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। पहाड़ की चोटियों से लेकर घने जंगल तक तक, समंदर से लेकर घाटियों तक ये जगहें कभी अपनी खूबसूरती तो कभी किसी और खूबी से टूरिस्ट्स की पसंद बन जाती हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया में कुछ ऐसी जगहें भी हैं जो लोगों को इसलिए पसंद आती हैं क्योंकि वे किसी न किसी वजह से खतरनाक हैं। अगर आप भी इनके बारे में जानने के लिए उत्सुक हैं तो परेशान न हों। हम आपको बता रहे हैं 5 ऐसी जगहों के बारे में जो काफी खतरनाक हैं फिर भी लोग वहां जाना पसंद करते हैं। 

बहुत खतरनाक हैं दुनिया के ये 5 टूरिस्ट स्पॉस्ट्स

दुनिया में ऐसी कई जगहें हैं जो अपनी सुंदरता के लिए जानी जाती हैं और दुनिया भर से हजारों पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। पहाड़ की चोटियों से लेकर घने जंगल तक तक, समंदर से लेकर घाटियों तक ये जगहें कभी अपनी खूबसूरती तो कभी किसी और खूबी से टूरिस्ट्स की पसंद बन जाती हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया में कुछ ऐसी जगहें भी हैं जो लोगों को इसलिए पसंद आती हैं क्योंकि वे किसी न किसी वजह से खतरनाक हैं। अगर आप भी इनके बारे में जानने के लिए उत्सुक हैं तो परेशान न हों। हम आपको बता रहे हैं 5 ऐसी जगहों के बारे में जो काफी खतरनाक हैं फिर भी लोग वहां जाना पसंद करते हैं। 

अक्टूबर में आने वाले हैं कई त्योहार, अभी से कर लीजिए घूमने की तैयारी

अक्टूबर का महीना ज़िन्दगी का जश्न मनाने के लिए कई वजहें लेकर आता है। एक तो इस महीने से हवाओं में थोड़ी ठंडक घुल जाती है, यानी घूमने के लिए मौसम मुफीद होने लगता है। दूसरा, इस महीने भर-भर कर त्योहार होते हैं। और त्योहारों का मतलब है खाना-पीना, नाचना-गाना, मतलब ढेर सारी मस्ती। इस महीने छुट्टियां भी खूब हैं तो क्यों न इन सब कॉम्बिनेशन्स को मिलाकर एक ट्रिप प्लान कर लिया जाए। ऐसा ट्रिप जहां आप मौसम और त्योहार दोनों का मज़ा एक साथ ले पाएं। इस बार अक्टूबर में कौन-कौन से त्योहार हैं और उन्हें सेलिब्रेट करने आप कहाँ जा सकते हैं, हम बताते हैं आपको। नवरात्रिभारत में सबसे पसंदीदा त्योहारों में से एक है दुर्गा पूजा। यह हर साल बहुत उत्साह के साथ मनाई जाती है। इस दौरान भव्य पंडालों में दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती, गणेश और कार्तिकेय की आदमकद प्रतिमाएं रखी जाती हैं। दुर्गा पूजा की तैयारी बहुत पहले शुरू हो जाती है जहां विशेषज्ञ कारीगरों द्वारा देवी-देवताओं की सुंदर मूर्तियां बनाई जाती हैं। पूजा के बाद 10वें दिन देवी को किसी नदी या तालाब में विसर्जित कर दिया जाता है। इस बार नवरात्रि 26 सितम्बर से शुरू होकर 4 अक्टूबर तक हैं। आप इस त्योहार पर घूमने का प्लान कर सकते हैं।कहां जाएं कोलकाता एक ऐसी जगह है जहां आप इस त्योहार को सबसे भव्य तरीके से देखने के लिए जा सकते हैं। यहां की तरह भव्य पंडाल आपको पूरे देश में और कहीं नहीं मिलेंगे। हालांकि, नवरात्रि में डांडिया और गरबे का लुत्फ लेना है तो गुजरात या राजस्थान का रुख करना होगा।दशहरा (5 अक्टूबर)यह त्योहार लंका के राक्षस राजा रावण पर भगवान राम की जीत के जश्न के तौर पर मनाया जाता है। पूरा देश इस दिन को अपने तरीके से मनाता है। कहीं रामलीला का मेला लगता है तो कहीं रावण के बड़े-बड़े पुतले। कुल मिलाकर नज़ारा देखने लायक होता है।कहां जाएं दक्षिण भारत में मैसूर का दशहरा देखने लायक होता है। मैसूर दशहरा में बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं। हिमाचल में कुल्लू दशहरा भी शामिल होने के लिए एक अच्छी जगह है। 

अक्टूबर में आने वाले हैं कई त्योहार, अभी से कर लीजिए घूमने की तैयारी

अक्टूबर का महीना ज़िन्दगी का जश्न मनाने के लिए कई वजहें लेकर आता है। एक तो इस महीने से हवाओं में थोड़ी ठंडक घुल जाती है, यानी घूमने के लिए मौसम मुफीद होने लगता है। दूसरा, इस महीने भर-भर कर त्योहार होते हैं। और त्योहारों का मतलब है खाना-पीना, नाचना-गाना, मतलब ढेर सारी मस्ती। इस महीने छुट्टियां भी खूब हैं तो क्यों न इन सब कॉम्बिनेशन्स को मिलाकर एक ट्रिप प्लान कर लिया जाए। ऐसा ट्रिप जहां आप मौसम और त्योहार दोनों का मज़ा एक साथ ले पाएं। इस बार अक्टूबर में कौन-कौन से त्योहार हैं और उन्हें सेलिब्रेट करने आप कहाँ जा सकते हैं, हम बताते हैं आपको। नवरात्रिभारत में सबसे पसंदीदा त्योहारों में से एक है दुर्गा पूजा। यह हर साल बहुत उत्साह के साथ मनाई जाती है। इस दौरान भव्य पंडालों में दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती, गणेश और कार्तिकेय की आदमकद प्रतिमाएं रखी जाती हैं। दुर्गा पूजा की तैयारी बहुत पहले शुरू हो जाती है जहां विशेषज्ञ कारीगरों द्वारा देवी-देवताओं की सुंदर मूर्तियां बनाई जाती हैं। पूजा के बाद 10वें दिन देवी को किसी नदी या तालाब में विसर्जित कर दिया जाता है। इस बार नवरात्रि 26 सितम्बर से शुरू होकर 4 अक्टूबर तक हैं। आप इस त्योहार पर घूमने का प्लान कर सकते हैं।कहां जाएं कोलकाता एक ऐसी जगह है जहां आप इस त्योहार को सबसे भव्य तरीके से देखने के लिए जा सकते हैं। यहां की तरह भव्य पंडाल आपको पूरे देश में और कहीं नहीं मिलेंगे। हालांकि, नवरात्रि में डांडिया और गरबे का लुत्फ लेना है तो गुजरात या राजस्थान का रुख करना होगा।दशहरा (5 अक्टूबर)यह त्योहार लंका के राक्षस राजा रावण पर भगवान राम की जीत के जश्न के तौर पर मनाया जाता है। पूरा देश इस दिन को अपने तरीके से मनाता है। कहीं रामलीला का मेला लगता है तो कहीं रावण के बड़े-बड़े पुतले। कुल मिलाकर नज़ारा देखने लायक होता है।कहां जाएं दक्षिण भारत में मैसूर का दशहरा देखने लायक होता है। मैसूर दशहरा में बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं। हिमाचल में कुल्लू दशहरा भी शामिल होने के लिए एक अच्छी जगह है। 

दुनिया के सबसे पुराने 5 शहर जहां आज भी लोग रहते हैं

दुनिया भर में ऐसे कई पुराने शहर हैं जो कई तरह की मुश्किलों का सामना करने के बाद भी आज तक अपने वैभव को कायम रखने में कामयाब हुए हैं, और अब इतिहास के पन्ने में दर्ज होने से कहीं ज्यादा आगे निकल चुके हैं। इन शहरों को देखकर ये पता चलता है कि कैसे साल दर साल, अरसा दर अरसा मानव सभ्यता का विकास हुआ और साथ में इन शहरों का भी। इन शहरों के पास कमाल की वास्तुकला थी और ये शब्दों से परे सुंदर थे। कई शहर ऐसे हैं जो समय की मार को नहीं झेल पाए और वक़्त के साथ कहीं गुम हो गए लेकिन कुछ आज भी ज्यों के त्यों सीना ताने खड़े हैं। अगर आप इसमें रुचि रखते हैं, तो हम आपको बताते हैं दुनिया के सबसे पुराने और लगातार बसे हुए 5 शहरों के बारे में।

क्यों है बंगाल की दुर्गा पूजा पूरे देश से अलग और खास?

बंगाल में किसी भी साल को दो हिस्सों में बांटा जा सकता है। एक - दुर्गा पूजा के पहले का हिस्सा और दूसरा - दुर्गा पूजा के बाद का। जैसे ही साल की पूजा समाप्त होती है, लोग अगले साल की पूजा का इंतज़ार करने लगते हैं। यहां के लोगों के लिए दुर्गा पूजा सिर्फ धार्मिक ही नहीं एक सामाजिक त्योहार भी है। देवी दुर्गा, जिन्हें प्यार से माँ कहा जाता है, एक निश्चित अवधि के लिए घर आती हैं। हर कोई उन्हें देखना चाहता है, उनकी पूजा करना चाहता है और उनके घर आने का जश्न मनाना चाहता है। दुर्गा पूजा के त्योहार की शुरुआत महालय के दिन, देवी के आह्वान के साथ होती है। कुछ ऐसी बातें हैं जो बंगाल की दुर्गा पूजा को बाकी पूरे देश से अलग और खास बनाती हैं। 

क्यों है बंगाल की दुर्गा पूजा पूरे देश से अलग और खास?

बंगाल में किसी भी साल को दो हिस्सों में बांटा जा सकता है। एक - दुर्गा पूजा के पहले का हिस्सा और दूसरा - दुर्गा पूजा के बाद का। जैसे ही साल की पूजा समाप्त होती है, लोग अगले साल की पूजा का इंतज़ार करने लगते हैं। यहां के लोगों के लिए दुर्गा पूजा सिर्फ धार्मिक ही नहीं एक सामाजिक त्योहार भी है। देवी दुर्गा, जिन्हें प्यार से माँ कहा जाता है, एक निश्चित अवधि के लिए घर आती हैं। हर कोई उन्हें देखना चाहता है, उनकी पूजा करना चाहता है और उनके घर आने का जश्न मनाना चाहता है। दुर्गा पूजा के त्योहार की शुरुआत महालय के दिन, देवी के आह्वान के साथ होती है। कुछ ऐसी बातें हैं जो बंगाल की दुर्गा पूजा को बाकी पूरे देश से अलग और खास बनाती हैं। 

दुनिया के सबसे खूबसूरत 5 गांव

हम जब कहीं घूमने की प्लानिंग कर रहे होते हैं तो मन में ज़्यादातर उन्हीं जगहों पर जाने का ख्याल आता है जो मशहूर हों। जहां के बारे में हमने खूब सुना हो, पढा हो। और यकीनन इसमें किसी गांव में घूमने का ख्याल तो हमें कभी नहीं आता। हां, वो बात अलग है कि मेघालय के मौसिनराम को एशिया के सबसे साफ गाओं का खिताब मिल चुका है, इसलिए अब टूरिस्ट्स वहां जाने लगे हैं और 'देश का आखिरी गांव' वाले बोर्ड ने माणा जैसे कुछ गाँव में टूरिज़्म को बढ़ावा दिया है। लेकिन इनसे इतर दुनिया में ऐसे कई गांव हैं जो हमारी कल्पना से भी ज़्यादा खूबसूरत हैं। हम आपको ले चलते हैं ऐसे ही 5 गांवों की सैर पर। सरप्राइज करने वाली बात यह है कि इनमें से एक गांव भारत का भी है और हां, वो मेघालय का नहीं है। 

World Tourism Day 2022 : पर्यटन की दुनिया के कुछ नए ट्रेंड्स

27 सितम्बर 2022, आज है विश्व पर्यटन दिवस। हर बार की तरह इस बार भी संयुक्त राज्य ने इस दिन के लिए एक थीम तय की है और एक देश को होस्ट बनाया है। तो इस बार की थीम है 'Rethinking Tourism' यानी 'पर्यटन पर पुनर्विचार' और इस बार टूरिज्म डे को होस्ट कर रहा है बाली, इंडोनेशिया। पर्यटन पर पुनर्विचार क्या है?इस वर्ष की थीम पर्यटन के भविष्य पर केंद्रित है। कोविड-19 महामारी के कारण पर्यटन को एक बड़ा झटका लगा था लेकिन अब ये क्षेत्र इससे उबर कर पहले जैसा होने की राह पर है। यह समय है कि हम इस बारे में दोबारा सोचें कि हम पर्यटन कैसे करते हैं। इसीलिए इस बार संयुक्त राज्य ने टूरिज्म डे की थीम 'पर्यटन पर पुनर्विचार' रखी है।नए ट्रेंडइस वर्ल्ड टूरिज्म डे पर हम आपको बता रहे हैं टूरिज्म की दुनिया के कुछ नए ट्रेंड्स के बारे में जिन्होंने पिछले कुछ समय में काफी रफ्तार पकड़ी है।  

World Tourism Day 2022 : पर्यटन की दुनिया के कुछ नए ट्रेंड्स

27 सितम्बर 2022, आज है विश्व पर्यटन दिवस। हर बार की तरह इस बार भी संयुक्त राज्य ने इस दिन के लिए एक थीम तय की है और एक देश को होस्ट बनाया है। तो इस बार की थीम है 'Rethinking Tourism' यानी 'पर्यटन पर पुनर्विचार' और इस बार टूरिज्म डे को होस्ट कर रहा है बाली, इंडोनेशिया। पर्यटन पर पुनर्विचार क्या है?इस वर्ष की थीम पर्यटन के भविष्य पर केंद्रित है। कोविड-19 महामारी के कारण पर्यटन को एक बड़ा झटका लगा था लेकिन अब ये क्षेत्र इससे उबर कर पहले जैसा होने की राह पर है। यह समय है कि हम इस बारे में दोबारा सोचें कि हम पर्यटन कैसे करते हैं। इसीलिए इस बार संयुक्त राज्य ने टूरिज्म डे की थीम 'पर्यटन पर पुनर्विचार' रखी है।नए ट्रेंडइस वर्ल्ड टूरिज्म डे पर हम आपको बता रहे हैं टूरिज्म की दुनिया के कुछ नए ट्रेंड्स के बारे में जिन्होंने पिछले कुछ समय में काफी रफ्तार पकड़ी है।  

स्विमिंग के लिए परफेक्ट हैं भारत के ये समुद्र तट

क्या आपको समंदर के किनारों से प्यार है? अगर हां तो  आप सही जगह पर हैं क्योंकि हमारे पास समुद्र तट के अगले ट्रिप के लिए कुछ बेहतरीन टिप्स हैं। जब हम समुद्र तटों के बारे में बात करते हैं, तो हम हमेशा समुद्र, रेत, सर्फिंग और स्कूबा डाइविंग आदि की बात करते हैं। समंदर में तैरने की बात हम शायद ही कभी करते हों। समुद्र में स्विमिंग को लॉफ सुरक्षित नहीं मानते। और ये सही भी है। आप किसी भी समुद्र तट पर जाकर तैरना शुरू नहीं कर सकते। कुछ समुद्र तटों के सख्त नियम भी हैं जो आपको पानी से दूर रहने के लिए कहते हैं। आप इसे ज्यादातर उन क्षेत्रों में पाएंगे जहां पानी की लहरें तेज़ हैं, समुद्र तल चट्टानी और खतरनाक है और ज्वार आमतौर पर बहुत अधिक होता है। लेकिन हम यहां आपको उन समुद्र तटों के बारे में बताएंगे जहां आप बिना किसी समस्या के तैराकी कर सकते हैं। ये समुद्र तट साफ हैं, पानी शांत और सुरक्षित है और तैरने के लिए एकदम सही हैं।

स्विमिंग के लिए परफेक्ट हैं भारत के ये समुद्र तट

क्या आपको समंदर के किनारों से प्यार है? अगर हां तो  आप सही जगह पर हैं क्योंकि हमारे पास समुद्र तट के अगले ट्रिप के लिए कुछ बेहतरीन टिप्स हैं। जब हम समुद्र तटों के बारे में बात करते हैं, तो हम हमेशा समुद्र, रेत, सर्फिंग और स्कूबा डाइविंग आदि की बात करते हैं। समंदर में तैरने की बात हम शायद ही कभी करते हों। समुद्र में स्विमिंग को लॉफ सुरक्षित नहीं मानते। और ये सही भी है। आप किसी भी समुद्र तट पर जाकर तैरना शुरू नहीं कर सकते। कुछ समुद्र तटों के सख्त नियम भी हैं जो आपको पानी से दूर रहने के लिए कहते हैं। आप इसे ज्यादातर उन क्षेत्रों में पाएंगे जहां पानी की लहरें तेज़ हैं, समुद्र तल चट्टानी और खतरनाक है और ज्वार आमतौर पर बहुत अधिक होता है। लेकिन हम यहां आपको उन समुद्र तटों के बारे में बताएंगे जहां आप बिना किसी समस्या के तैराकी कर सकते हैं। ये समुद्र तट साफ हैं, पानी शांत और सुरक्षित है और तैरने के लिए एकदम सही हैं।

अक्टूबर में करें देश के इन प्रसिद्ध मंदिरों के दर्शन

भारत में यूं तो हर गली, हर गली हर मोहल्ले में मंदिर होते हैं लेकिन फिर भी यहां धार्मिक पर्यटन सबसे ज़्यादा लोग करते हैं। हमारे देश मंदिरों का घर है। एक से एक बड़े और भव्य मंदिर हैं यहां। लोगों की आस्था और उम्मीद का ठिकाना हैं ये मंदिर। बात जब कुछ मांगने और उस दुआ के पूरे होने पर विश्वास करने की अयाति है तो हम देश के एक कोने से दूसरे कोने तक का सफर करने से भी नहीं घबराते। घूमने के लिए सबसे बेहतरीन महीनों में से एक अक्टूबर आने वाला है। तो हम आपको बता रहे हैं देश के कुछ ऐसे प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में जहां आप अक्टूबर में दर्शन करने जा सकते हैं।  

अक्टूबर में करें देश के इन प्रसिद्ध मंदिरों के दर्शन

भारत में यूं तो हर गली, हर गली हर मोहल्ले में मंदिर होते हैं लेकिन फिर भी यहां धार्मिक पर्यटन सबसे ज़्यादा लोग करते हैं। हमारे देश मंदिरों का घर है। एक से एक बड़े और भव्य मंदिर हैं यहां। लोगों की आस्था और उम्मीद का ठिकाना हैं ये मंदिर। बात जब कुछ मांगने और उस दुआ के पूरे होने पर विश्वास करने की अयाति है तो हम देश के एक कोने से दूसरे कोने तक का सफर करने से भी नहीं घबराते। घूमने के लिए सबसे बेहतरीन महीनों में से एक अक्टूबर आने वाला है। तो हम आपको बता रहे हैं देश के कुछ ऐसे प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में जहां आप अक्टूबर में दर्शन करने जा सकते हैं।  

उत्तराखंड की ये झीलें मोह लेंगी आपका मन

आपको एक झील के किनारे वक़्त बिताना पसंद है? अगर हां, तो आप सही जगह हैं। उत्तराखंड में भारत की कुछ सबसे सुंदर झीलें हैं, जो आपको यादगार वक़्त बिताने की गारंटी देंगी। उत्तराखंड की इन झीलों में से ज़्यादातर बड़े और छोटे घास के मैदानों और पहाड़ियों से घिरी हुई हैं, और इनमें से कुछ ऊंचे पहाड़ों पर भी हैं। हालांकि, कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे कहाँ हैं। असल बात यह है कि ये झीलें खूबसूरत हैं और आपकी छुट्टियां बिताने के लिए परफेक्ट हैं।

उत्तराखंड की ये झीलें मोह लेंगी आपका मन

आपको एक झील के किनारे वक़्त बिताना पसंद है? अगर हां, तो आप सही जगह हैं। उत्तराखंड में भारत की कुछ सबसे सुंदर झीलें हैं, जो आपको यादगार वक़्त बिताने की गारंटी देंगी। उत्तराखंड की इन झीलों में से ज़्यादातर बड़े और छोटे घास के मैदानों और पहाड़ियों से घिरी हुई हैं, और इनमें से कुछ ऊंचे पहाड़ों पर भी हैं। हालांकि, कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे कहाँ हैं। असल बात यह है कि ये झीलें खूबसूरत हैं और आपकी छुट्टियां बिताने के लिए परफेक्ट हैं।

लास्ट मिनट में की है दशहरा में घूमने की प्लानिंग? तब भी हैं ये ऑप्शन्स

दशहरा नजदीक है और आपने लास्ट मिनट इस छुट्टी में कहीं घूमने की प्लानिंग है। अब समस्या यह है कि आखिर कहां जाएं? इतने कम समय में क्या ऑप्शन हो सकते हैं? तो आप परेशान न हों। यहां, हम आपको बता रहे हैं दिल्ली के पास की जगहों के कुछ ऑप्शन जहां आप तुरन्त प्लान बनाकर भी घूमने जा सकते हैं। 

स्लो ट्रैवेल है पसंद? ये 5 ऑप्शन्स कर सकते हैं ट्राई

स्लो ट्रैवेल आजकल ट्रेंड में है। लोग किसी जगह को सिर्फ देखकर आने के बजाय उस जगह को समझने की कोशिश कर रहे हैं। यूटूबर्स ने भी इस ट्रेंड को काफी आगे बढ़ाया है। स्लो ट्रैवेल करने वाले लोग जहां घूमने जाते हैं वहां के स्थानीय लोगों, संस्कृतियों, खाने, इतिहास और नृत्य-संगीत के बारे में भी इत्मीनान से जानने की कोशिश करते हैं। स्लो ट्रैवेल इस बात पर निर्भर करता है कि एक यात्रा लोकल कम्युनिटीस और पर्यावरण के हिट में हो, आपको कुछ नया सिखाए और आपकी ज़िंदगी पर कोई प्रभाव भी डाले। अगर आप एक ट्रैवलर हैं या बनना चाहते हैं तो भारत में आपकी बकेट लिस्ट में जोड़ने के लिए यहां हम पांच ऐसे ऑप्शन्स बता रहे हैं जो आप स्लो ट्रैवेल के दौरान ट्राई कर सकते हैं।

स्लो ट्रैवेल है पसंद? ये 5 ऑप्शन्स कर सकते हैं ट्राई

स्लो ट्रैवेल आजकल ट्रेंड में है। लोग किसी जगह को सिर्फ देखकर आने के बजाय उस जगह को समझने की कोशिश कर रहे हैं। यूटूबर्स ने भी इस ट्रेंड को काफी आगे बढ़ाया है। स्लो ट्रैवेल करने वाले लोग जहां घूमने जाते हैं वहां के स्थानीय लोगों, संस्कृतियों, खाने, इतिहास और नृत्य-संगीत के बारे में भी इत्मीनान से जानने की कोशिश करते हैं। स्लो ट्रैवेल इस बात पर निर्भर करता है कि एक यात्रा लोकल कम्युनिटीस और पर्यावरण के हिट में हो, आपको कुछ नया सिखाए और आपकी ज़िंदगी पर कोई प्रभाव भी डाले। अगर आप एक ट्रैवलर हैं या बनना चाहते हैं तो भारत में आपकी बकेट लिस्ट में जोड़ने के लिए यहां हम पांच ऐसे ऑप्शन्स बता रहे हैं जो आप स्लो ट्रैवेल के दौरान ट्राई कर सकते हैं।

पहाड़ों पर घूमने के लिए बेस्ट हैं ये 5 नेशनल पार्क्स

कहते हैं कि भारत में जितने तरह के पशु, पक्षी, पेड़, पौधे, हर्ब्स पाए जाते हैं, पूरी दुनिया में और कहीं नहीं। यहां आपको कुदरत की सारी नेमतें मिलती हैं। उन्हीं में से एक है हिमालय। दुनिया की सबसे बड़ी पर्वत श्रृंखलाओं में से एक। हिमालय के पहाड़ जैव विविधता का खजाना हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों पर कई दुर्लभ और लुप्तप्रायः जानवर और पौधे पाए जाते हैं। इसीलिए यहां कई नेशनल पार्क्स भी हैं। तो आज हम आपको ऐसे 5 नेशनल पार्क्स के बारे में बता रहे हैं, जो पहाड़ों पर हैं। 

पहाड़ों पर घूमने के लिए बेस्ट हैं ये 5 नेशनल पार्क्स

कहते हैं कि भारत में जितने तरह के पशु, पक्षी, पेड़, पौधे, हर्ब्स पाए जाते हैं, पूरी दुनिया में और कहीं नहीं। यहां आपको कुदरत की सारी नेमतें मिलती हैं। उन्हीं में से एक है हिमालय। दुनिया की सबसे बड़ी पर्वत श्रृंखलाओं में से एक। हिमालय के पहाड़ जैव विविधता का खजाना हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों पर कई दुर्लभ और लुप्तप्रायः जानवर और पौधे पाए जाते हैं। इसीलिए यहां कई नेशनल पार्क्स भी हैं। तो आज हम आपको ऐसे 5 नेशनल पार्क्स के बारे में बता रहे हैं, जो पहाड़ों पर हैं। 

पश्चिम बंगाल की 10 फेमस डिशेज जो बढ़ा देंगी आपकी भूख

पश्चिम बंगाल कई चीजों के लिए मशहूर है। गंगा यहां बंगाल की खाड़ी में मिलती है, यहां की दार्जीलिंग की चाय पूरी दुनिया पीती है, सुंदरबन की न जाने कितनी कहानियां पढ़कर हम बड़े हुए हैं, अंग्रेजों ने ईस्ट इंडिया कम्पनी यहीं बनाई और न जाने क्या-क्या। इन सबके साथ एक और चीज़ है जिसके लिए पश्चिम बंगाल पूरी दुनिया में मशहूर है और वह है यहां का लजीज़ खाना। मुंह में पानी लाने वाले रसगुल्ले, चोमचोम, और रसमलाई, सुपर स्वादिष्ट सोर्शे इलिश, चिंगरी माचेर मलाई करी और भी बहुत कुछ। हम आपको बता रहे हैं वेस्ट बंगाल के 10 ऐसी ही डिशेस के बारे में जो आपकी भूख को बढ़ा देंगी। 

पश्चिम बंगाल की 10 फेमस डिशेज जो बढ़ा देंगी आपकी भूख

पश्चिम बंगाल कई चीजों के लिए मशहूर है। गंगा यहां बंगाल की खाड़ी में मिलती है, यहां की दार्जीलिंग की चाय पूरी दुनिया पीती है, सुंदरबन की न जाने कितनी कहानियां पढ़कर हम बड़े हुए हैं, अंग्रेजों ने ईस्ट इंडिया कम्पनी यहीं बनाई और न जाने क्या-क्या। इन सबके साथ एक और चीज़ है जिसके लिए पश्चिम बंगाल पूरी दुनिया में मशहूर है और वह है यहां का लजीज़ खाना। मुंह में पानी लाने वाले रसगुल्ले, चोमचोम, और रसमलाई, सुपर स्वादिष्ट सोर्शे इलिश, चिंगरी माचेर मलाई करी और भी बहुत कुछ। हम आपको बता रहे हैं वेस्ट बंगाल के 10 ऐसी ही डिशेस के बारे में जो आपकी भूख को बढ़ा देंगी। 

दुनिया का इकलौता सिर्फ महिलाओं वाला बाज़ार, इसमें काफी कुछ है ख़ास

बाज़ार की जब भी बात होती है हमें दुकानें, ढेर सारी भीड़ और उस भीड़ में पुरुष, महिला, बच्चे सब दिखते हैं। लेकिन क्या आप कभी किसी ऐसी बाज़ार में गए हैं जहां सब्ज़ियों, मसलों के ढेरों के पीछे आपको सिर्फ महिलाएं ही दिख रही हों। यानी सारी दुकानें सिर्फ महिलाओं की हों। एक ऐसा बाज़ार जो आदर्श बाज़ार न होकर सिर्फ महिलाओं का बाज़ार हो। शायद मुश्किल है। मणिपुर की राजधानी इंफाल में एक ऐसा बाज़ार है जिसमें आपको सिर्फ महिलाएं ही महिलाएं मिलेंगी, ये बाज़ार है 'इमा कीथेल', हिंदी में कहें तो महिलाओं का बाज़ार। मणिपुर सरकार ने घोषणा की है कि यदि पुरुष दुकानदारों और विक्रेताओं की दुकानें और विक्रेता बाजार के अंदर पाए जाते हैं तो उन्हें दंडित किया जाएगा। यह मणिपुर राज्य का एक बड़ा कॉमर्शियल पॉइंट तो है ही, एक लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण भी है। हालांकि, इस बाजार की महिलाओं ने इस बाज़ार को चलाए रखने के लिए पिछली 5 शताब्दियों में बहुत मेहनत की है। यानी ये 500 साल पुराना बाज़ार है।  

दिवाली पर घूमने का बना रहे हैं प्लान? ये 5 जगहें हैं बेस्ट

भारत में कई संस्कृतियों का खजाना है। यहां सबसे ज़्यादा धर्मों को मानने वाले लोग हैं, इसीलिए यहां त्योहार भी सबसे ज़्यादा मनाए जाते हैं। और दिवाली तो दुनिया भर के सबसे खास त्योहारों में से एक है। रोशनी के इस त्योहार पर हमारे दिलों के साथ पूरा देश भी रोशन होता है। यूँ तो लोग अपने घर पर ही दीपावली मनाना पसंद करते हैं लेकिन आजकल ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है जो इस लंबी छुट्टी का मज़ा लेने के लिए किसी अच्छी घूमने वाली जगह की तलाश में रहते हैं। अगर आप दिवाली सेलिब्रेट भी करना चाहते हैं और घुमने की भी प्लानिंग कर रहे हैं तो हम आपको बता रहे हैं देश की 5 ऐसी जगहों के बारे में जहां ये त्योहार भव्य रूप से मनाया जाता है। 

दिवाली पर घूमने का बना रहे हैं प्लान? ये 5 जगहें हैं बेस्ट

भारत में कई संस्कृतियों का खजाना है। यहां सबसे ज़्यादा धर्मों को मानने वाले लोग हैं, इसीलिए यहां त्योहार भी सबसे ज़्यादा मनाए जाते हैं। और दिवाली तो दुनिया भर के सबसे खास त्योहारों में से एक है। रोशनी के इस त्योहार पर हमारे दिलों के साथ पूरा देश भी रोशन होता है। यूँ तो लोग अपने घर पर ही दीपावली मनाना पसंद करते हैं लेकिन आजकल ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है जो इस लंबी छुट्टी का मज़ा लेने के लिए किसी अच्छी घूमने वाली जगह की तलाश में रहते हैं। अगर आप दिवाली सेलिब्रेट भी करना चाहते हैं और घुमने की भी प्लानिंग कर रहे हैं तो हम आपको बता रहे हैं देश की 5 ऐसी जगहों के बारे में जहां ये त्योहार भव्य रूप से मनाया जाता है। 

भारत की 10 सबसे सुंदर घाटियां

कहीं भी घूमने के लिए सबसे अच्छा मौसम अब आ चुका है। मैदानी इलाकों में भी गर्मी धीरे-धीरे कम हो रही है और शामें ठंडी होने लगी हैं। ऐसे में पहाड़ों पर तो मौसम और भी ज़्यादा खूबसूरत हो जाता है। इस महीने में न तो भारी-भरकम कपड़े पहनने की ज़रूरत होती है और न ही माथे से पसीना टपक रहा होता है। यानी आप मौसम की परवाह किये बिना आराम से घूम सकते हैं। अगर आपको किसी समंदर के किनारे टहलना है तो अगले महीने का इंतज़ार करिए। ये समय है हिमालय की घाटियों की सैर का। हिमालय पर्वतमाला कुछ सबसे खूबसूरत और ऊंचाई वाली घाटियों का घर है। जम्मू - कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और सिक्किम जैसे राज्यों में फैली, ये सुरम्य घाटियां आपको अपनी खूबसूरती से हैरान कर देंगी।

नवंबर में घूमने के लिए ये 5 जगहें हैं बेस्ट

बारिश, गर्मी और ह्यूमिडिटी से राहत मिल चुकी है। ठंडी हवाओं ने अपना रास्ता बना लिया है, गुनगुनी धूप और सिहरती रातों वाला महीना यानी नवंबर दस्तक देने हैं। इसे अगर ट्रैवेल मंथ यानी यात्रा का महीना कहा जाए तो गलत नहीं होगा। टूरिज्म से जुड़े फेस्टिवल्स भी इस महीने खूब होते हैं। इस समय न तो रेगिस्तान की गर्मी जलाती है न ही पहाड़ों की ठंडक ठिठुराती है। हमारे यहां तो कई लोग नवंबर में घूमने के लिए साल भर छुट्टियां बचा कर रखते हैं। अगर आप भी उनमें से एक हैं तो ये स्टोरी आपके लिए है। अगर आप पूरे साल घूमते हैं तो ये स्टोरी आपके लिए भी है क्योंकि हम आपको बता रहे हैं भारत की 5 ऐसी जगहों के बारे में जहां नवंबर सबसे ज़्यादा खूबसूरत होता है। 

नवंबर में घूमने के लिए ये 5 जगहें हैं बेस्ट

बारिश, गर्मी और ह्यूमिडिटी से राहत मिल चुकी है। ठंडी हवाओं ने अपना रास्ता बना लिया है, गुनगुनी धूप और सिहरती रातों वाला महीना यानी नवंबर दस्तक देने हैं। इसे अगर ट्रैवेल मंथ यानी यात्रा का महीना कहा जाए तो गलत नहीं होगा। टूरिज्म से जुड़े फेस्टिवल्स भी इस महीने खूब होते हैं। इस समय न तो रेगिस्तान की गर्मी जलाती है न ही पहाड़ों की ठंडक ठिठुराती है। हमारे यहां तो कई लोग नवंबर में घूमने के लिए साल भर छुट्टियां बचा कर रखते हैं। अगर आप भी उनमें से एक हैं तो ये स्टोरी आपके लिए है। अगर आप पूरे साल घूमते हैं तो ये स्टोरी आपके लिए भी है क्योंकि हम आपको बता रहे हैं भारत की 5 ऐसी जगहों के बारे में जहां नवंबर सबसे ज़्यादा खूबसूरत होता है। 

भूटान घूमने का बना रहे हैं प्लान? रॉयल हाइलैंड फेस्टिवल कर रहा है इंतज़ार

अगर आप हाल फिलहाल भूटान जाने की तैयारी में हैं तो पहले यह ख़बर पढ़ लीजिए। भूटान 23 अक्टूबर, 2022 से लाया, गासा में रॉयल हाईलैंड फेस्टिवल की मेजबानी करने के लिए पूरी तरह तैयार है। यह जानकारी हाल ही में टूरिज्म काउंसिल ऑफ भूटान (TCB) ने दी। रॉयल हाईलैंड फेस्टिवल की शुरुआत महामहिम द किंग ऑफ भूटान ने 2016 में देश अर्थव्यवस्था और हाईलैंड संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए की थी।

भूटान घूमने का बना रहे हैं प्लान? रॉयल हाइलैंड फेस्टिवल कर रहा है इंतज़ार

अगर आप हाल फिलहाल भूटान जाने की तैयारी में हैं तो पहले यह ख़बर पढ़ लीजिए। भूटान 23 अक्टूबर, 2022 से लाया, गासा में रॉयल हाईलैंड फेस्टिवल की मेजबानी करने के लिए पूरी तरह तैयार है। यह जानकारी हाल ही में टूरिज्म काउंसिल ऑफ भूटान (TCB) ने दी। रॉयल हाईलैंड फेस्टिवल की शुरुआत महामहिम द किंग ऑफ भूटान ने 2016 में देश अर्थव्यवस्था और हाईलैंड संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए की थी।

जापान के इस मंदिर में होती है शराब और अंगूरों की पूजा

दुनियाभर में कई धर्मों को मानने वाले लीग रहते हैं। उनकी अपनी-अपनी धार्मिक आस्थाएं हैं, और अपने-अपने धार्मिक स्थल हैं। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि जापान में एक मंदिर अंगूर और शराब को समर्पित है। हां, आपने सही पढ़ा। दुनिया में एक ऐसा मंदिर है जहां लोग अंगूर और शराब की पूजा करते हैं। जापान के खूबसूरत यामानाशी क्षेत्र में स्थित, डाइज़ेन-जी मंदिर टोक्यो से लगभग 100 किमी दूर है। यह क्षेत्र जापान में सबसे ज़्यादा शराब बनाने वाली जगहों में से एक है। यहां मंदिर में शराब ही चढ़ाई भी जाति है। 

इस बार कुछ खास होगा हार्नबिल फेस्टिवल, घूम सकते हैं नागालैंड की ये जगहें

नागालैंड के हॉर्नबिल फेस्टिवल के बारे में अपने ज़रूर सुना होगा। अगर आप इस बार इन फेस्टिवल को एन्जॉय करना चाहते हैं तो अभी से तैयारी कर लीजिए। 1 से 10 दिसंबर तक इस बार हॉर्नबिल फेस्टिवल किसामा के हेरिटेज विलेज में आयोजित किया जाएगा। पिछले दो साल से कोविड के चलते इस फेस्टिवल में रौनक कुछ कम थी लेकिन बार इसे काफी भव्य तरीके से मनाए जाने की तैयारियां हैं। नागालैंड के पर्यटन, कला व संस्कृति सलाहकार एच खेहोवी येप्थोमी ने बताया है कि यह उत्सव 1 से 10 दिसंबर तक किसामा के नागा विरासत गांव में आयोजित किया जाएगा, जो नागालैंड की राजधानी कोहिमा से लगभग 12 किमी दूर स्थित है।

इस बार कुछ खास होगा हार्नबिल फेस्टिवल, घूम सकते हैं नागालैंड की ये जगहें

नागालैंड के हॉर्नबिल फेस्टिवल के बारे में अपने ज़रूर सुना होगा। अगर आप इस बार इन फेस्टिवल को एन्जॉय करना चाहते हैं तो अभी से तैयारी कर लीजिए। 1 से 10 दिसंबर तक इस बार हॉर्नबिल फेस्टिवल किसामा के हेरिटेज विलेज में आयोजित किया जाएगा। पिछले दो साल से कोविड के चलते इस फेस्टिवल में रौनक कुछ कम थी लेकिन बार इसे काफी भव्य तरीके से मनाए जाने की तैयारियां हैं। नागालैंड के पर्यटन, कला व संस्कृति सलाहकार एच खेहोवी येप्थोमी ने बताया है कि यह उत्सव 1 से 10 दिसंबर तक किसामा के नागा विरासत गांव में आयोजित किया जाएगा, जो नागालैंड की राजधानी कोहिमा से लगभग 12 किमी दूर स्थित है।

70 वर्षों बाद टूरिस्ट्स के लिए कश्मीर में होगा कुछ खास

कश्मीर भारत में सबसे खूबसूरत टूरिस्ट डेस्टिनेशन्स में से एक है। कश्मीर हमारे देश की उन चुनिंदा जगहों में शामिल है जहां लगभग हर कोई घूमने जाने चाहता है। हालांकि, कड़ाके की ठंड और भारी बर्फबारी के कारण घाटी के अधिकांश हिस्से सर्दियों के दौरान बंद रहते हैं, जिससे यहां घूमना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। सर्दियों के दौरान कुछ लोकप्रिय पर्यटन स्थल जैसे करनाह, सोनमर्ग और गुरेज आमतौर पर पर्यटकों के लिए बंद रहते हैं। अब, 70 वर्षों के बाद, कश्मीर के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ये तीनों जगहें सर्दियों के महीनों में भी पर्यटकों के लिए खुली रहेंगी।

भारत से इन देशों तक आप कर सकते हैं रोड ट्रिप

रोड ट्रिप्स एक अलग ही तरह का सुकून देने वाली होती हैंक्योंकि यह आपको यात्रा का पूरा अनुभव देती हैं। आप जहां चाहें रुक सकते हैं, वहां के खाने का, लोगों से बातें करने का आनंद ले सकते हैं। नए-नए गांव-शहर देखते हुए अपनी मंज़िल तक पहुंच सकते हैं। आने देश में तो लोग अक्सर रोड ट्रिप करते हैं लेकिन जब विदेश जाने की बारी आती है तब पहला ख्याल हवाई यात्रा का ही आता है। आए भी क्यों न ये आसान है और इसमें समय भी बचता है। लेकिन अगर आप घुमन्तू किस्म के हैं और पूरी दुनिया को करीब से देखने की ख्वाहिश रखते हैं तो एक बार विदेश यात्रा भी सड़क के रास्ते कर ही डालिए। मज़ा न आए तो पैसे वापस। अब आप सोच रहे होंगे कि भारत से किसी विदेशी देश की सड़क यात्रा कैसे करें? ठीक है, अगर आपको लगता है कि यह संभव नहीं है, तो हम आपके लिए उन विदेशी देशों की सूची लेकर आए हैं जहां भारतीय सड़क मार्ग से यात्रा कर सकते हैं। 

भारत से इन देशों तक आप कर सकते हैं रोड ट्रिप

रोड ट्रिप्स एक अलग ही तरह का सुकून देने वाली होती हैंक्योंकि यह आपको यात्रा का पूरा अनुभव देती हैं। आप जहां चाहें रुक सकते हैं, वहां के खाने का, लोगों से बातें करने का आनंद ले सकते हैं। नए-नए गांव-शहर देखते हुए अपनी मंज़िल तक पहुंच सकते हैं। आने देश में तो लोग अक्सर रोड ट्रिप करते हैं लेकिन जब विदेश जाने की बारी आती है तब पहला ख्याल हवाई यात्रा का ही आता है। आए भी क्यों न ये आसान है और इसमें समय भी बचता है। लेकिन अगर आप घुमन्तू किस्म के हैं और पूरी दुनिया को करीब से देखने की ख्वाहिश रखते हैं तो एक बार विदेश यात्रा भी सड़क के रास्ते कर ही डालिए। मज़ा न आए तो पैसे वापस। अब आप सोच रहे होंगे कि भारत से किसी विदेशी देश की सड़क यात्रा कैसे करें? ठीक है, अगर आपको लगता है कि यह संभव नहीं है, तो हम आपके लिए उन विदेशी देशों की सूची लेकर आए हैं जहां भारतीय सड़क मार्ग से यात्रा कर सकते हैं। 

इस मौसम में घूमने के लिए बेस्ट हैं ये 8 जगहें

शांत, सुहाने मौसम और कुदरती खूबसूरती के साथ, भारत में किसी भी जगह घूमने के लिए नवंबर शायद साल के सबसे अच्छे महीनों में से एक है। न ही ज़्यादा गर्मी और न ही ठिठुरने वाली ठंडक, हल्की सी धूप और कुछ ठंडी सी हवा वाला ये महीना पूरे देश में खुशनुमा होता है। अगर आप नवंबर में कहीं घूमने का प्लान बना रहे हैं और समझ नहीं आ रहा कि कहां जाएं तो ये स्टोरी आपके लिए ही है। आप कहीं सुकून से कुछ वक्त बिताना चाहते हैं या परिवार के साथ मौज मस्ती करना चाहते हैं, यहां आपको हर जानकारी मिलेगी।

दिसम्बर में घूमने के लिए राजस्थान के बेस्ट ऑफबीट डेस्टिनेशन्स

जब राजस्थान की बात आती है, तो हवा महल, उदयपुर के सिटी पैलेस और जैसलमेर किले जैसे मशूर टूरिस्ट प्लेसेस की लिस्ट जेहन में आ जाती है। लेकिन इस बार, आइए इन मशहूर जगहों को छोड़कर राजस्थान में लीक से हटकर टूरिस्ट स्पॉट्स पर घूमने चलें। रोमांच, त्योहारों, सुंदरता और इतिहास के अपने बेहतरीन मिश्रण के लिए जाना जाने वाला राजस्थान आपकी ट्रैवेल लिस्ट में ज़रूर शामिल होना चाहिए क्योंकि इस जगह का हर कोना इस यहां की मिट्टी की कहानी बयां करता है। राजस्थान में सर्दियों में बहुत भीड़ होती है इसलिए इस बार हमारे साथ चलिए यहां के ऑफबीट टूरिस्ट डेस्टिनेशन्स की सैर पर… 

तमिलनाडु में हैं ये 5 खूबसूरत आइलैंड्स

तमिलनाडु भारत के सबसे खूबसूरत राज्यों में से एक है। चाहे वह सांस्कृतिक रूप से हो या भौगोलिक रूप से, तमिलनाडु हमें हर तरह से अपनी ओर खींचता है। यहां के विशाल मंदिरों को देखने पूरे भारत से लोग यहां आते हैं। हां, कुछ टूरिस्ट्स को यहां के कॉफी के बागान और नीलगिरी की पहाड़ियां भी बुला लैटी हैं लेकिन इस बार हम कुछ हटकर लाए हैं। हम आपको कराएंगे तमिलनाडु कुछ सबसे खूबसूरत आइलैंड्स की सैर …

जहां आंखों के सामने गायब हो जाता है समंदर

क्या आपने अपनी आंखों के सामने चीजों को गायब होते देखा है? खैर, ऐसा कई बार होता है, जब हम चीजों को किसी जगह रख देते हैं और भूल जाते हैं कि हमने उन्हें कहां रखा है। लेकिन, क्या हो अगर हम आपको एक ऐसे समुद्र के बारे में बताएं जो गायब हो जाता है? हां, आपने सही पढ़ा है। हम बात कर रहे हैं ओडिशा के एक सुनसान समुद्र तट की, जहां आप समुद्र को रहस्यमय तरीके से गायब होते देख सकते हैं। हम बात कर रहे हैं चांदीपुर बीच की जो टूरिस्ट्स के साथ लुका-छिपी करने के लिए जाना जाता है। ओडिशा के चांदीपुर में वाकई एक ऐसा बीच है जहां दिन में समुद्र गायब हो जाता है और रात में वापस आ जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि समुद्र का पानी भाटा के दौरान 2-5 किमी पीछे हट जाता है। यह हाई टाइड और लो टाइड के बीच का समय होता है। और हाई टाइड यानी उच्च ज्वार के समय यह बीच पर वापस आ जाता है। यह असामान्य प्राकृतिक घटना यहां रोज़ होती है।यहां आप अपनी आंखों के सामने समंदर को सामने आते और गायब होते देख सकते हैं। जब समुद्र पीछे हटता है तब आप उस पर चल भी सकते हैं। कई टूरिस्ट और यहां रहने वाले लोग सुबह इस तट पर टहलने आते हैं और अपनी आंखों के सामने इस अनोखी घटना को देखते हैं। वैसे समुद्र के आगे आने और पीछे जाने का कोई निश्चित समय नहीं है क्योंकि यह चंद्रमा चक्र पर निर्भर करता है। इस अनूठी घटना के अलावा, यह समुद्र तट और भी कई मायनों में खास है। 

श्री राम के इस मंदिर पर हुआ था फिदायीन हमला

जम्मू में भगवान राम का एक बेहद मशहूर मंदिर है, रघुनाथ मंदिर।  रघुनाथ मंदिर में सात मंदिर हैं। इनमें हर मंदिर का अपना `शिखर` है। यह भारत के सबसे बड़े मंदिर परिसरों में से एक है। महाराजा गुलाब सिंह और उनके बेटे महाराज रणबीर सिंह ने 1853-1860 के दौरान इस मंदिर को बनवाया था। वैसे तो इस मंदिर में कई भगवानों की मूर्तियां हैं लेकिन मुख्य रूप से मंदिर भगवान श्री राम को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि महाराजा गुलाब सिंह को इस मंदिर को बनाने का विचार श्री राम दास बैरागी से मिला था। श्री राम दास बैरागी भगवान राम के पक्के भक्त थे और भगवान की शिक्षाओं का प्रचार करने के लिए अयोध्या से जम्मू आए थे। वह सुई सिंबली में एक छोटी सी झोपड़ी में रहते थे, जहां उन्होंने पहले राम मंदिर का निर्माण करवाया था। रणबीर सिंह के शासनकाल के दौरान, बड़ी संख्या में ब्राह्मण छात्रों को शिक्षित करने के लिए मंदिर को संस्कृत शिक्षा के केंद्र के रूप में भी इस्तेमाल किया जाने लगा। 

श्री राम के इस मंदिर पर हुआ था फिदायीन हमला

जम्मू में भगवान राम का एक बेहद मशहूर मंदिर है, रघुनाथ मंदिर।  रघुनाथ मंदिर में सात मंदिर हैं। इनमें हर मंदिर का अपना `शिखर` है। यह भारत के सबसे बड़े मंदिर परिसरों में से एक है। महाराजा गुलाब सिंह और उनके बेटे महाराज रणबीर सिंह ने 1853-1860 के दौरान इस मंदिर को बनवाया था। वैसे तो इस मंदिर में कई भगवानों की मूर्तियां हैं लेकिन मुख्य रूप से मंदिर भगवान श्री राम को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि महाराजा गुलाब सिंह को इस मंदिर को बनाने का विचार श्री राम दास बैरागी से मिला था। श्री राम दास बैरागी भगवान राम के पक्के भक्त थे और भगवान की शिक्षाओं का प्रचार करने के लिए अयोध्या से जम्मू आए थे। वह सुई सिंबली में एक छोटी सी झोपड़ी में रहते थे, जहां उन्होंने पहले राम मंदिर का निर्माण करवाया था। रणबीर सिंह के शासनकाल के दौरान, बड़ी संख्या में ब्राह्मण छात्रों को शिक्षित करने के लिए मंदिर को संस्कृत शिक्षा के केंद्र के रूप में भी इस्तेमाल किया जाने लगा। 

इस बार गोवा में होने जा रहा है एक अनोखा फेस्टिवल

अपने हिप्पी कल्चर और बेमिसाल खूबसूरती के लिए गोवा पूरी दुनिया में जाना जाता है। सिर्फ भारत ही नहीं कई देशों के लोग सर्दियां शुरू होने का इंतज़ार करते हैं ताकि गोवा में होने वाले स्पेशल फेस्टिवल्स में हिस्सा ले सकें और इंडिया के बीच कल्चर को एन्जॉय कर सकें। वैसे तो गोवा में सनबर्न फेस्टिवल, मांडो फेस्टिवल, सुपरसोनिक फेस्टिवल, सैंट फ्रांसिस जेवीयर फीस्ट, गोआ सनस्प्लैश, टैटू फेस्टिवल जैसे कई फेस्ट सर्दियों में होते हैं लेकिन इस जनवरी गोवा में एक अनोखा फेस्टिवल होने जा रहा है। 

इस बार गोवा में होने जा रहा है एक अनोखा फेस्टिवल

अपने हिप्पी कल्चर और बेमिसाल खूबसूरती के लिए गोवा पूरी दुनिया में जाना जाता है। सिर्फ भारत ही नहीं कई देशों के लोग सर्दियां शुरू होने का इंतज़ार करते हैं ताकि गोवा में होने वाले स्पेशल फेस्टिवल्स में हिस्सा ले सकें और इंडिया के बीच कल्चर को एन्जॉय कर सकें। वैसे तो गोवा में सनबर्न फेस्टिवल, मांडो फेस्टिवल, सुपरसोनिक फेस्टिवल, सैंट फ्रांसिस जेवीयर फीस्ट, गोआ सनस्प्लैश, टैटू फेस्टिवल जैसे कई फेस्ट सर्दियों में होते हैं लेकिन इस जनवरी गोवा में एक अनोखा फेस्टिवल होने जा रहा है। 

दुनिया के सबसे खूबसूरत पर्वतीय शहर

हम में से ज़्यादातर लोगों का कभी न कभी तो ये मन किया ही होगा कि बस बैग पैक करें और किसी पहाड़ की यात्रा पर निकल जाएं। बस वहां पहाड़ हों, कुदरत की खूबसूरती हो और हम हों। ऐसा लगा हो जैसे कि पहाड़ हमें बुला रहे हों और कहते हों - ज़िन्दगी तो चलती रहेगी और काम, कुछ पल हमारे साथ बिताओ तब ज़िन्दगी को ज़िंदादिली से जी पाओगे। जब हम पहाड़ के अनुभवों के बारे में बात करते हैं, सिर्फ बर्फ के बारे में बात नहीं कर रहे होते हैं। पहाड़ों की हवा, पानी, नज़ारे सब ख़ास होता है, कुछ ऐसा जिसे हम नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते। अगर आपको भी पहाड़ों से मोहब्बत है तो हम आपके लिए लाए हैं दुनिया के कुछ ऐसे पर्वतीय शहरों की लिस्ट जहां की खूबसूरती बेमिसाल है…

भारत में बन गया है पहला डार्क स्काई रिज़र्व, घूमने के लिए है अनोखी जगह

लद्दाख एक ऐसी जगह है जहां हर कोई घूमना चाहता है। यहां का मौसम, पहाड़, नदियां, मोनेस्ट्रीज सब कमाल के हैं। अब एक और वजह मिल गई जो आपको लद्दाख घूमने के लिए इंस्पायर करेगी। लद्दाख अब भारत के पहले डार्क स्काई रिजर्व, हानले डार्क स्काई रिजर्व का घर है। हानले लेह से लगभग 270 किमी दक्षिण-पूर्व में चांगथांग क्षेत्र का एक छोटा सा गांव है।चांगथांग वन्यजीव अभयारण्य के भीतर, भोक, शादो, पुंगुक, खुल्डो, नागा और तिब्बती शरणार्थी आवास के छह पड़ाव मिलकर एक समूह या एक क्षेत्र बनाते हैं जिसे आधिकारिक तौर पर हानले डार्क स्काई रिजर्व नाम दिया गया है। इससे पहले, हेनले में सिर्फ इंडियन एस्ट्रोनॉमिकल ऑब्ज़र्वेटरी थी। अब, हेनले के चारों ओर 1,073 किमी का क्षेत्र एक डार्क स्काई रिजर्व है। अगर आपको एस्ट्रोनॉमी में इंटरेस्ट

मेसी के देश में ये जगहें हैं सबसे खूबसूरत

अर्जेंटीना उन देशों में से एक है जो दुनिया के कुछ बेहतरीन नेशनल पार्क्स, ज़िंदादिली से भरपूर शहर से लेकर मशहर यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों के लिए जाना जाता है। और सबसे खास बात यह है कि यह देश विश्व फुटबॉल के दिग्गज लियोनेल मेसी का देश है। इस बार के फ़ीफ़ा वर्ल्ड कप में दुनिया के सबसे बेहतरीन फुटबॉल खिलाड़ी लियोनेल मेसी का जादू तो आप सबने देखा ही होगा, अब हम आपको लेकर चलेंगे फुटबॉल के इस जादूगर के देश की सैर पर… 

सोलो ट्रैवल के लिए बेस्ट हैं ये देश

क्या आप भी उन लोगों में से हैं जो दुनिया को सिर्फ अपनी नज़रों से देखना पसंद हैं। दूसरे क्या कहते हैं और कुछ क्या करते हैं इससे आपको कोई फर्क नहीं पड़ता। आपको ग्रुप में रहना नापसंद है और अपनी ही कंपनी भाती है? आप अपनी मर्जी से यात्रा करना पसंद करते हैं, और अकेले यात्रा करके खुश रहते हैं। अगर हां, तो हमारे बताए गए इन देशों को बुकमार्क कर लें। ये देश सुंदर, सुरक्षित और आसानी से एक्सप्लोर करने लायक हैं। और हां, सोलो ट्रैवल के लिए बेस्ट हैं।

सिक्किम की ये झीलें हैं बेहद खूबसूरत

अगर आप अभी तक सिक्किम नहीं गए हैं, तो आपको एक बार यहां घूमने का प्लान ज़रूर बनाना चाहिए। इस राज्य की प्राकृतिक सुंदरता, ऊंचे पहाड़ों, शानदार झीलों और हरे-भरे खेतों के साथ आपका दिल तुरंत चुरा लेगी। वैसे तो पूरा सिक्किम ही अपने आप में अनूठा है लेकिन यहां की झीलें इसे और भी खूबसूरत बनाती हैं। तो चलिए हम आपको बताते हैं सिक्किम की सबसे सुंदर झीलों के बारे में…

जहां एक साथ मिलते हैं समुद्र, रेत और बर्फ

अगर आपको समुद्र, रेत और बर्फ से प्यार है लेकिन एक साथ ये सब देखने की तमन्ना पूरी नहीं हो रही तो ये जगह आपजे लिए ही है। आपको निश्चित रूप से इस जगह को बुकमार्क कर लेना चाहिए। हम आपको एक ऐसे समुद्र तट के बारे में बता रहे हैं जहां आपको एक ही जगह ये तीनों यानी समुद्र, रेत और बर्फ मिलेगा। अब आप सोचेंगे कि भला ये कैसे हो सकता है, समंदर के किनारे बर्फ कहां से आएगा जबकि आप इस बात को भी मानते होंगे कि कुदरत के जादू के आगे सब मुमकिन है। ये जादू हमें विस्मित करना कभी नहीं छोड़ता। जबकि हम सभी इस बात से सहमत होंगे कि प्रकृति का जादू हमें विस्मित करना कभी नहीं छोड़ता। तो बस इसीलिए यह समुद्र तट आपको अवाक छोड़ देगा। यह अद्भुत समुद्र तट जापान में है, जिसका नाम है होकाईडो। इसलिए अभी से तय कर लें कि जब भी आप जापान जाएंगे इस जगह को देखना नहीं भूलेंगे। 

रहस्यमयी हैं भारत के ये मंदिर, अपनी मान्यताओं के लिए हैं मशहूर

भारत के हर हिस्से में अलग-अलग मान्यताओं को मानने वाले लोग रहते हैं। इसीलिए इन लोगों के पूजा करने का ढंग भी अलग-अलग है और ये अपने भगवान को भी अलग-अलग नामों से पुकारते हैं। यहां कई धार्मिक शहर और पूज्य भगवानों के मंदिर हैं लेकिन उनमें से कुछ मंदिर ऐसे हैं जो बाकी से अलग हैं और अपनी किसी खास बात के लिए प्रसिद्ध हैं। भारत के इन मंदिरों में से कुछ अपने अपरंपरागत देवताओं के कारण प्रसिद्ध हैं, कुछ अपने भूत-प्रेत संस्कार के कारण, और कुछ इसलिए कि वे 2000 वर्ष से अधिक पुराने हैं। 

रहस्यमयी हैं भारत के ये मंदिर, अपनी मान्यताओं के लिए हैं मशहूर

भारत के हर हिस्से में अलग-अलग मान्यताओं को मानने वाले लोग रहते हैं। इसीलिए इन लोगों के पूजा करने का ढंग भी अलग-अलग है और ये अपने भगवान को भी अलग-अलग नामों से पुकारते हैं। यहां कई धार्मिक शहर और पूज्य भगवानों के मंदिर हैं लेकिन उनमें से कुछ मंदिर ऐसे हैं जो बाकी से अलग हैं और अपनी किसी खास बात के लिए प्रसिद्ध हैं। भारत के इन मंदिरों में से कुछ अपने अपरंपरागत देवताओं के कारण प्रसिद्ध हैं, कुछ अपने भूत-प्रेत संस्कार के कारण, और कुछ इसलिए कि वे 2000 वर्ष से अधिक पुराने हैं। 

भारत में सर्फिंग करने के लिए बेस्ट हैं ये समुद्र तट

भारत में सर्फिंग को चाहने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। हमारे देश के एक बड़े हिस्से में समुद्र हैं और इसमें कई फेमस समुद्र तट हैं जहां आप सर्फिंग कर सकते हैं। हालांकि, यहां का हर बीच ऐसा नहीं है जहां की लहरें सर्फिंग के लिए परफेक्ट हों, लेकिन फील भी कुछ ऐसे समुद्र तट हैं जो इसके लिए उपयुक्त हैं। आम तौर पर वर्ष के अधिकांश समय में तीन से पांच फीट के बीच ही लहरें उठती हैं। पेशेवर सर्फर के लिए बड़ी और तेज लहरें (आठ फीट से अधिक) मई से सितंबर तक मानसून से ठीक पहले और उसके दौरान अनुभव की जा सकती हैं। अक्टूबर से दिसंबर तक ये कम हो जाती हैं। यहां हम आपको बता रहे हैं ऐसे कुछ बीचेज के बारे में जो सर्फिंग के लिए एकदम परफेक्ट हैं।

ये सूनसान जगहें हैं आपकी अगली ट्रिप के लिए परफेक्ट

आपको घूमने का भी शौक है लेकिन भीड़ से बचना चाहते हैं। नई जगह एक्स्प्लोर करना है और सुकून भी चाहिए तो यह स्टोरी आपके के लिए ही है। यहां, हम आपके लिए उन जगहों की लिस्ट लेकर आए हैं, जहां आपकी इन सारी ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए सब कुछ है।

टाइट बजट में भी कर सकते हैं ये वीकेंड ट्रिप्स

हर कुछ समय बाद हम अपनी रोजमर्रा की ज़िंदगी से बोर होने लगते हैं और हमें ऐसा लगता है कि काश एक ब्रेक मिल जाता तप कितना अच्छा होता। इस ब्रेक में हम कहीं घूमने का प्लान बनाते। कुछ लोगों की ये इच्छा पूरी हो जाती है लेकिन कुछ लोग बजट की चिंता में मन मार कर रह जाते हैं। लेकिन आपको परेशान होने की ज़रूरत नहीं है। हम आपके लिए लेकर आए हैं कुछ ऐसे वीकेंड डेस्टिनेशन्स जहां घूमने के लिए बजट आपकी राह में रोड़ा नहीं बनेगा।  

अपने देश के ब्लैक सैंड वाले ये समुद्र तट देखे हैं आपने?

अगर आप एक बीच लवर हैं और समुद्र तटों पर जाना पसंद करते हैं, तो हमारे पास आपके लिए एक अनूठी लिस्ट है। आपने नॉर्मल सैंड वाले तो कई बीच देखे होंगे लेकिन क्या आपको पता है कि हमारे देश में ऐसे भी कई बीच हैं जहां आपको ब्लैक सैंड मिलेगा। हम आपके लिए भारत में सुंदर काले-रेत समुद्र तटों की एक सूची लेकर आए हैं, जो इतने सुंदर लगते हैं कि आप न्यूजीलैंड के ब्लैक सैंड समुद्र तटों को भी भूल जाएंगे। 

आप भी घूम आइए वहां, सिड-कियारा की शादी हो रही है जहां

थार रेगिस्तान के आलीशान गेटवे के नाम से मशहूर सूर्यगढ़ जैसलमेर ही वह जगह है जहां  बॉलीवुड लवबर्ड्स सिद्धार्थ मल्होत्रा ​​और कियारा आडवाणी की ड्रीम वेडिंग होने वाली है। यह  लक्ज़री किला या कह लें कि होटल वह सब कुछ है जो एक काल्पनिक फेरी टेल वाली शादी के लिए चाहिए। लक्जरी, विरासत, परंपराएं, शाही अनुभव, जैसा सबकुछ आपको यहां फील होगा। आप भी एक बिग फैट इंडियन वेडिंग चाहते हैं तो इसे आप ऑप्शन में शामिल कर सकते हैं या फिर आप यहां सिर्फ घूमने भी जा सकते हैं। 

तुर्की और सीरिया के भूकंप में बर्बाद हो गईं ये ऐतिहासिक इमारतें

6 फरवरी को, तुर्की और सीरिया के करीबी उत्तरी क्षेत्र में 7.8 तीव्रता का घातक भूकंप आया। रिपोर्ट्स से पता चलता है कि अब तक संयुक्त मरने वालों की संख्या 4800 से अधिक है, और भूकंप में 10,000 से अधिक घायल हुए हैं। इस बीच, तुर्की सरकार ने बताया कि भूकंप ने सांस्कृतिक स्थलों और ऐतिहासिक स्थलों के साथ-साथ देश भर में 3000 से अधिक इमारतों को नष्ट कर दिया है। भूकंप ने टूरिस्ट्स के बीच पॉपुलर कुछ ऐतिहासिक स्थलों को भी प्रभावित किया है।

तुर्की और सीरिया के भूकंप में बर्बाद हो गईं ये ऐतिहासिक इमारतें

6 फरवरी को, तुर्की और सीरिया के करीबी उत्तरी क्षेत्र में 7.8 तीव्रता का घातक भूकंप आया। रिपोर्ट्स से पता चलता है कि अब तक संयुक्त मरने वालों की संख्या 4800 से अधिक है, और भूकंप में 10,000 से अधिक घायल हुए हैं। इस बीच, तुर्की सरकार ने बताया कि भूकंप ने सांस्कृतिक स्थलों और ऐतिहासिक स्थलों के साथ-साथ देश भर में 3000 से अधिक इमारतों को नष्ट कर दिया है। भूकंप ने टूरिस्ट्स के बीच पॉपुलर कुछ ऐतिहासिक स्थलों को भी प्रभावित किया है।

इस महाशिवरात्रि आप इन मंदिरों में कर सकते हैं महादेव के दर्शन

महा शिवरात्रि आने वाली है। इस दिन का इंतज़ार भोले के भक्त पूरे साल करते हैं। अगर आप भी उनमें से हैं जो इस दिन किसी बड़े मंदिर में जाकर अपने आराध्य की पूजा करना चाहते हैं तो यहां हम आपके लिए उन मंदिरों की सूची लेकर आए हैं जहां आप शिवरात्रि के इस अवसर पर जाने की योजना बना सकते हैं।

Valentine's day Special : दुनिया के सबसे रोमांटिक शहर

चाहे रोमांस का आपका आईडिया ऐतिहासिक सड़कों पर हाथ में हाथ डाले टहलना हो, बोनफायर के किनारे बैठकर बातें करना हो, या किसी शहर के बेहतरीन भोजन और ड्रिंक्स का मज़ा लेना हो, सबका बेस तो प्यार ही होता है। इसलिए इस प्यार भरे दिन यानी वैलेंटाइन्स डे पर हम आपके लिए लेकर आए हैं दुनिया के सबसे रोमांटिक शहरों की लिस्ट। 

पाताल भुवनेश्वर गुफा, यहां छुपा है दुनिया के खत्म होने का राज़

दुनिया भर में ऐसी कई गुफाएं हैं, जो समय के साथ लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में बदल गई हैं। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि कुछ ऐसी गुफाएं भी हैं जो इतनी रहस्यमयी हैं कि वे एक पहेली बनकर रह गई हैं। हम आपको भारत की एक ऐसी गुफा में ले चलते हैं, जो आपकी अंदर की जिज्ञासा को बढ़ा देगी। यह उत्तराखंड में स्थित है और इसे पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर के रूप में जाना जाता है। अगर आपने पुराणों को पढ़ा है तो उसमें इसका उल्लेख ज़रूर मिला होगा। माना जाता है कि इस गुफा के गर्भ में दुनिया के अंत का राज छुपा है।

पाताल भुवनेश्वर गुफा, यहां छुपा है दुनिया के खत्म होने का राज़

दुनिया भर में ऐसी कई गुफाएं हैं, जो समय के साथ लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में बदल गई हैं। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि कुछ ऐसी गुफाएं भी हैं जो इतनी रहस्यमयी हैं कि वे एक पहेली बनकर रह गई हैं। हम आपको भारत की एक ऐसी गुफा में ले चलते हैं, जो आपकी अंदर की जिज्ञासा को बढ़ा देगी। यह उत्तराखंड में स्थित है और इसे पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर के रूप में जाना जाता है। अगर आपने पुराणों को पढ़ा है तो उसमें इसका उल्लेख ज़रूर मिला होगा। माना जाता है कि इस गुफा के गर्भ में दुनिया के अंत का राज छुपा है।

आंध्र प्रदेश की राजधानी अमरावती की सैर

आंध्र प्रदेश की राजधानी अमरावती की सैरआंध्र प्रदेश की राजधानी अमरावती सांस्कृतिक और धार्मिक अनुभवों का खजाना है। अमरावती शहर गुंटूर जिले में कृष्णा नदी के तट पर स्थित है। प्राचीन शहर महायान बौद्ध धर्म का एक महत्वपूर्ण केंद्र था। इसने शहर को एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल बना दिया, और आस-पास के क्षेत्रों और पूरे भारत के लोग इस जगह आते थे।इतना महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल होने के बावजूद अमरावती भारत के प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों की सूची में शामिल नहीं होने का मुख्य कारण यह है कि समय के साथ (विशेष रूप से ब्रिटिश शासन के दौरान), कई मूर्तियां या तो नष्ट कर दी गईं या यहां से ले ली गईं। साइट बहुत लंबे समय तक खंडहर बनी रही, हाल ही में राज्य सरकार ने इसे नया रूप देने का फैसला किया। यह साइट अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन है। जो भी संरचनाएं बची थीं, उन्हें भारत और विदेशों के कई संग्रहालयों में ले जाया गया।

खूबसूरती का खजाना है झारखंड की ये घाटी

जब कहीं घूमने की बात आती है, तो झारखंड उन भारतीय राज्यों में से एक है जिसके बारे में सबसे कम सोचा जाता है। शायद लोगों को लगता है कि झारखंड में देखने और करने के लिए बहुत कुछ नहीं है। लेकिन, यह सच नहीं है। झारखंड में घूमने के लोए ऐसी बहुत सी जगह हैं जहां कुदरती खूबसूरती और कमाल का सुकून है। ऐसा ही एक छिपा हुआ खजाना है पतरातू घाटी।

महाराष्ट्र के इस जिले में चप्पे-चप्पे पर खूबसूरती है

महाराष्ट्र के इस जिले में चप्पे-चप्पे पर खूबसूरती हैमहाराष्ट्र एक ऐसा राज्य है जहां लगभग हर जगह देखने लायक है। यहां मस्ती और रोमांच कभी खत्म नहीं होता। शांत हिल स्टेशन्स से लेकर, रेतीले समुद्र तटों तक और बड़े महानगरों से गहरे जंगलों तक, यहां आपको सब मिलेगा। यही वजह है बैकपैकर्स और ट्रैवेलर्स की लिस्ट में महाराष्ट्र हमेशा आगे रहता है।

सफर में स्ट्रीट फूड को छोड़कर खाएं ये हेल्दी स्नैक्स

सफर में स्ट्रीट फूड को छोड़कर खाएं ये हेल्दी स्नैक्सट्रैवेल करना लगभग हर किसी को पसंद होता है। सफर में कुछ चीज़ें होती हैं जो इसे और भी ज़्यादा मज़ेदार बना देती हैं। उनमें से एक है खाना। अगर आपको सफर के दौरान अच्छा खाना मिल जाए तो इसका आनंद दोगुना हो जाता है। इसका मतलब यह नहीं है कि आप खाने में सिर्फ अपने स्वाद का ध्यान रखें और उसकी न्यूट्रिशनल वैल्यू के बारे में सोचें ही न।

लद्दाख के नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड

लद्दाख ने 13,862 फीट ऊंचे पैंगोंग त्सो में सब-जीरो टेम्प्रेचर में अपने पहले 21 किलोमीटर के ट्रेल रनिंग इवेंट का सफलतापूर्वक प्रबंधन करके एक इतिहास रच दिया है। इसके साथ ही इसने दुनिया की सबसे ऊंची जमी हुई झील हाफ मैराथन आयोजित करने का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है। चार घंटे लंबी मैराथन लुकुंग से शुरू हुई और हाल ही में मान गांव में समाप्त हुई। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 75 प्रतिभागियों में से किसी को भी चोट नहीं लगी। लेह जिला विकास आयुक्त श्रीकांत बालासाहेब सुसे ने इसकी जानकारी दी।

लद्दाख के नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड

लद्दाख ने 13,862 फीट ऊंचे पैंगोंग त्सो में सब-जीरो टेम्प्रेचर में अपने पहले 21 किलोमीटर के ट्रेल रनिंग इवेंट का सफलतापूर्वक प्रबंधन करके एक इतिहास रच दिया है। इसके साथ ही इसने दुनिया की सबसे ऊंची जमी हुई झील हाफ मैराथन आयोजित करने का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है। चार घंटे लंबी मैराथन लुकुंग से शुरू हुई और हाल ही में मान गांव में समाप्त हुई। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 75 प्रतिभागियों में से किसी को भी चोट नहीं लगी। लेह जिला विकास आयुक्त श्रीकांत बालासाहेब सुसे ने इसकी जानकारी दी।

वॉक टूर के लिए परफेक्ट हैं भारत के ये शहर

आजकल जब भी इंस्टाग्राम खोलो तो कोई गुलमर्ग की बर्फ में खेलता हुआ नजर आता है और कोई  मेघालय की दावकी नदी के क्रिस्टल साफ पानी पर नौका विहार करते हुए दिखता है। आपको लगता होगा कि बस मौज़ में तो वही लोग हैं लेकिन ऐसा नहीं है। भारत का हर शहर खूबसूरत है। आप एक बार इसे पैदल घूमकर तो देखिए। आपके शहर में भी यकीनन कुछ न कुछ खास तो ज़रूर होगा। फिलहाल हम यहां आपको बता रहे हैं हमारे देश के कुछ ऐसे बड़े शहरों के बारे में जहां एक बार पैदल घूमना तो बनता है।  

भीड़ से दूर भारत की खूबसूरत जगहें!

भारत उन  देशों में से एक है जहां प्रकृति, संस्कृति, बेहतरीन खान-पान और आस्था सभी एक साथ मिल जाते हैं। हैं, यह कहना भी गलत नहीं होगा कि यह एक घनी आबादी वाला देश भी है और यहां हर जगह लोगों की भीड़ दिख जाती है। अगर आप भी हर दिन भीड़ से घिरे रहते हैं और किसी सुकून वाली ऑफबीट जगह पर जाकर समय बिताना चाहते हैं तो ये स्टोरी आपजे लिए ही है।  हमने उन जगहों की एक लिस्ट बनाई है जो भीड़-भाड़ से दौर हैं और काफी सुंदर भी।

यूक्रेन के इस पैलेस में हुई थी नाटू- नाटू गाने की शूटिंग

यूक्रेन के इस पैलेस में हुई थी नाटू- नाटू गाने की शूटिंगभारतीय सिनेमा को एक नया, चमचमाता पंख मिला है  और वह है नाटू - नाटू को ऑस्कर - वह गाना जो ब्लॉकबस्टर बन गया है! इस गाने ने 95वें अकादमी पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ मूल गीत का ऑस्कर जीता है। जैसे ही फिल्म रिलीज़ हुई थी, यह एक हिट गाना बन गया था। बेशक, जितना ये गाना अच्छा है उतना ही इसमें किया गया डांस और उतनी ही अच्छी है वह जगह जहां इस गाने की शूटिंग हुई थी। 

दूसरे देशों तक जाती हैं इन भारतीय रेलवे स्टेशन्स से ट्रेन

हमारा देश भारत सात देशों चीन, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, भूटान, नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार के साथ सीमा साझा करता है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि आप इनमें से कुछ देशों तक ट्रेन से भी पहुंच सकते हैं? नहीं? कोई बात नहीं, हम आपके लिए ऐसे क्रॉस बॉर्डरलाइन रेलवे स्टेशन्स की लिस्ट लेकर आए हैं जो दर्शनीय स्थल भी हैं। 

वीकेंड बिताने के लिए चेन्नई के पास कुछ खूबसूरत जगहें

चाहे आप चेन्नई में रहते हों या कुछ समय के लिए इस शहर में आए हों, आप घूमने के शौकीन हैं तो यह ज़रूर जानना चाहेंगे कि इस शहर के आस-पास ऐसी कौन सी जगह हैं जहां आप वीकेंड बिता सकते हैं। अगर आप भी चेन्नई के पास एक क्विक वीकेंड गेटवे की तलाश में हैं तो सुकून से भरा और मज़ेदार समय बिताने के लिए इन हमारी बताई इन जगहों पर जा सकते हैं।

लद्दाख में होने जा रहा है एप्रीकॉट ब्लॉसम फेस्टिवल, अभी से कर लें तैयारी

वसंत का मौसम ऐसा होता है जो हर किसी को भाता है। इस समय न तो ज़्यादा सर्दी होती है और न ही ज़्यादा गर्मी। मौसम से लेकर पेड़-पौधों तक हर जगह बस बाहर ही बहार दिखती है। यहां आपको बता रहे हैं कि इस साल वसंत का जश्न मनाने का एक शानदार तरीका है। 4 से 17 अप्रैल तक लद्दाख में एप्रीकॉट ब्लॉसम फेस्टिवल होने जा रहा है जो आपकी आंखों के साथ मन के लिए भी किसी ट्रीट से कम नहीं होगा।इस वसंत के मौसम में, लद्दाख के कई क्षेत्रों को आप एप्रीकॉट के फूलों से गुलज़ार होते देख सकेंगे। यहां आपको कई जगह सुंदर से गुलाबी रंग के एप्रीकॉट के फूल दिखेंगे। आमतौर पर ये फूल ज़्यादा दिनों तक नहीं रहते, इसलिए अगर आप इन्हें देखना चाहते हैं तो इस फेस्टिवल में शामिल होने की तैयारी कर लीजिए। फूलों से लदे एप्रीकॉट के पेड़ों के साथ आपकी तस्वीरें और रील्स इंस्टाग्राम पर आपके फॉलोवर्स ज़रूर बढा देंगी।

लद्दाख में होने जा रहा है एप्रीकॉट ब्लॉसम फेस्टिवल, अभी से कर लें तैयारी

वसंत का मौसम ऐसा होता है जो हर किसी को भाता है। इस समय न तो ज़्यादा सर्दी होती है और न ही ज़्यादा गर्मी। मौसम से लेकर पेड़-पौधों तक हर जगह बस बाहर ही बहार दिखती है। यहां आपको बता रहे हैं कि इस साल वसंत का जश्न मनाने का एक शानदार तरीका है। 4 से 17 अप्रैल तक लद्दाख में एप्रीकॉट ब्लॉसम फेस्टिवल होने जा रहा है जो आपकी आंखों के साथ मन के लिए भी किसी ट्रीट से कम नहीं होगा।इस वसंत के मौसम में, लद्दाख के कई क्षेत्रों को आप एप्रीकॉट के फूलों से गुलज़ार होते देख सकेंगे। यहां आपको कई जगह सुंदर से गुलाबी रंग के एप्रीकॉट के फूल दिखेंगे। आमतौर पर ये फूल ज़्यादा दिनों तक नहीं रहते, इसलिए अगर आप इन्हें देखना चाहते हैं तो इस फेस्टिवल में शामिल होने की तैयारी कर लीजिए। फूलों से लदे एप्रीकॉट के पेड़ों के साथ आपकी तस्वीरें और रील्स इंस्टाग्राम पर आपके फॉलोवर्स ज़रूर बढा देंगी।

वियतनाम के 9 सबसे खूबसूरत बीच

लगभग 2,000 मील की कोस्टलाइन और कुछ मशहूर आइलैंड्स को समेटे हुए, वियतनाम में सुंदर समुद्र तटों की कोई कमी नहीं है। आप चाहे तो किसी बड़े शहर में रहें या किसी छोई सी जगह आपको सम्बदर के किनारे मिल ही जाएंगे। हनोई के औपनिवेशिक वास्तुकला और इतिहास के साथ, ह्यू के शाही आकर्षण और साइगॉन की हलचल वाली नाइटलाइफ़ यहां सब मिलेगा। लेकिन आप पानी की ऊंची उठती लहरों को देखे बिना वियतनाम घूम लिए तो खुद को माफ नहीं कर पाएंगे। यहां के ज़्यादातर समुद्रतट शहर से सिर्फ एक दिन की दूरी पर हैं। आपकी मदद करने के लिए, हमने वियतनाम में सबसे सुंदर समुद्र तटों की एक लिस्ट तैयार की है। यूनेस्को साइट हा लॉन्ग बे के तट से लेकर मुई ने के रोलिंग टिब्बा और कोन डाओ और फु क्वोक के द्वीप गेटवे तक, ये वियतनाम के सर्फ, सूरज और रेत का आनंद लेने के लिए सबसे अच्छी जगह हैं।

नुब्रा घाटी में हैं घूमने के ये सुंदर ठिकाने

हम में से ज़्यादातर लद्दाख की सुंदरता के कायल होंगे। हम केवल प्राकृतिक सुंदरता के बारे में ही बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि अद्वितीय और सुंदर संस्कृति के बारे में भी बात कर रहे हैं जो जगह की प्राकृतिक सुंदरता में इजाफा करती है। यह कहना गलत नहीं होगा कि लद्दाख कई कारणों से खास है। नुब्रा घाटी लद्दाख में एक ऐसी जगह है जो अपनी अनूठी सुंदरता के साथ टूरिस्ट्स को आकर्षित करती है। नुब्रा घाटी एक ठंडा रेगिस्तान है। इस घाटी की विशेषता ऊंचे पहाड़, रेत के टीले और साफ नीला आसमान है। अब गर्मियां शुरू होने वाली हैं तो आपको यहां का एक ट्रिप प्लान करना चाहिए। आज हम बता रहे हैं आपको नुब्रा घाटी की सबसे सुंदर जगहों के बारे में।

भारत की सबसे बड़ी बावड़ी की कहानी

आभानेरी गांव में चांद बावड़ी (स्टेपवेल) राजस्थान के सबसे पुराने और सबसे लोकप्रिय आकर्षणों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि निकुंभ राजवंश के राजा चंदा ने 9वीं शताब्दी ईस्वी में इसे बनवाया था। लगभग 30 मीटर गहराई के साथ यह भारत की सबसे बड़ी बावड़ी है और दुनिया की सबसे बड़ी बावड़ियों में से एक है। इसे पानी के संरक्षण और भीषण गर्मी से राहत देने के लिए बनवाया गया था। यह स्थानीय लोगों के साथ-साथ राजघरानों के लिए एक सामुदायिक सभा स्थल था। 

एशियाई शेरों का गांव सासन गिर

सासन गिर, गिर राष्ट्रीय उद्यान और जूनागढ़ शहर के बीच बफर जोन पर एक गांव है, जो भारत के सबसे अनोखे गांवों में से एक है। नेशनल पार्क के पास होने की वजह से इस गांव में अक्सर वो मेहमान आ जाते हैं जिनसे इंसान और जानवर सब डरते हैं। हम बात कर रहे हैं जंगल के राजा शेर की।हम में से कई लोग ऐसे होंगे जो यह सोच कर ही डर गए होंगे कि उनके घर के आस पास अगर शेर आ जाये तो वे क्या करेंगे। लेकिन इस गांव के निवासियों के लिए यह एक सामान्य घटना बन गई है। यहां के लोगों का शेर से बचने का बस एक ही मूल मंत्र है कि उससे सुरक्षित दूरी बनाए रखें।

एशियाई शेरों का गांव सासन गिर

सासन गिर, गिर राष्ट्रीय उद्यान और जूनागढ़ शहर के बीच बफर जोन पर एक गांव है, जो भारत के सबसे अनोखे गांवों में से एक है। नेशनल पार्क के पास होने की वजह से इस गांव में अक्सर वो मेहमान आ जाते हैं जिनसे इंसान और जानवर सब डरते हैं। हम बात कर रहे हैं जंगल के राजा शेर की।हम में से कई लोग ऐसे होंगे जो यह सोच कर ही डर गए होंगे कि उनके घर के आस पास अगर शेर आ जाये तो वे क्या करेंगे। लेकिन इस गांव के निवासियों के लिए यह एक सामान्य घटना बन गई है। यहां के लोगों का शेर से बचने का बस एक ही मूल मंत्र है कि उससे सुरक्षित दूरी बनाए रखें।

टूरिस्ट्स के लिए खुल रही है शिमला की द रिट्रीट बिल्डिंग

अगर आप शिमला घूमने का प्लान बना रहे हैं तो 23 अप्रैल तक रुक जाइए। ऐसा इसीलिए क्योंकि 173 साल पुरानी विरासत द रिट्रीट, जो हिमाचल प्रदेश की राजधानी के बाहरी इलाके में भारतीय राष्ट्रपति के गर्मी की छुट्टियों का रिसॉर्ट है, 23 अप्रैल से जनता के लिए खोल दी जाएगी। हाल ही में यह घोषणा की गई थी कि प्रेसिडेंशियल रिट्रीट टूरिस्ट्स के लिए फिर से खुल जाएगा। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शिमला की अपनी यात्रा के दौरान आधिकारिक रूप से जनता के लिए इस ऐतिहासिक विरासत को खोल देंगी।हाल ही में राष्ट्रपति निवास में हुई एक बैठक के दौरान इसके बारे में बताया गया। इस बैठक की अध्यक्षता राष्ट्रपति के अतिरिक्त सचिव ने की, जिसके बाद यह बताया गया कि राष्ट्रपति शिमला की अपनी निर्धारित यात्रा के दौरान औपचारिक रूप से रिट्रीट का उद्घाटन करेंगी।यहां के लोकल और पर्यटक भारतीय नागरिकों के लिए 50 रुपये प्रति व्यक्ति का शुल्क प्रेसिडेंशियल रिट्रीट में घूमने के लिए लिया जाएगा जबकि विदेशी नागरिकों को सोमवार और अन्य सरकारी छुट्टियों को छोड़कर प्रति व्यक्ति 250 रुपये का भुगतान करना होगा। प्रेसिडेंशियल रिट्रीट में कई मुख्य भवन, आधिकारिक भोजन कक्ष, कलाकृतियां और बहुत कुछ ऐसा है जो देखने लायक है। इसके अलावा, हरे-भरे लॉन, क्यूरेटेड ट्यूलिप और अन्य फूलों की क्यारियों से सजा एक बाग इस जगह की खूबसूरती को और बढ़ाता है। रिपोर्ट्स के मिताबिक राष्ट्रपति निवास में बाग के रास्ते भी यहां आने लोगों के लिए खोले जाएंगे। अगर आप यहां घूमने चाहते हैं तो 15 अप्रैल से राष्ट्रपति भवन की आधिकारिक वेबसाइट https://visit.rashtrapatibhavan.gov.in के ज़रिये से ऑनलाइन बुकिंग कर सकते हैं। यह हैदराबाद में राष्ट्रपति निलयम (निवास) और नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन की तरह किया गया है जो पहले से ही जनता के लिए खुला है और इनमें भारी भीड़ देखी जा रही है।

भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को समेटे हैं ये शहर

भारत को दुनिया की कुछ प्रमुख संस्कृतियों और धर्मों का जन्मस्थान माना जाता है। कुछ के लिए यह देश पालने जैसा है जिसमें ये संस्कृतियां और धर्म बड़े हुए। यहां की तमाम ऐतिहासिक धरोहरें और सांस्कृतिक विविधता दुनियाभर के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। परंपराओं और रीति-रिवाजों के असंख्य रंगों ने भारतीय संस्कृति में योगदान दिया है और भारतीय सांस्कृतिक विरासत की कई जगहें इसके बारे में बहुत कुछ कहती हैं। भारत में कल्चरल टूरिज़्म यात्रियों को एक अलग ही दुनिया में ले जाता है। वर्ल्ड हेरिटेज डे पर हम आपको बता रहे हैं देश की अनूठी संस्कृति को खुद में समेटे 5 हेरिटेज शहरों के बारे में…

चेन्नई से पुडुचेरी के इस बस टूर में मिलेगी अनलिमिटेड फ्री बीयर

पुडुचेरी काफी लोगों के फेवरिट टूरिस्ट डेस्टिनेशन्स में से एक है। यहां समंदर के किनारे बैठकर बीयर पीने का मज़ा ही अलग है। अगर आप भी पुडुचेरी घूमने का प्लान बना रहे हैं तो आपके लिए एक काफी इंटरेस्टिंग खबर है। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक मिक्रोब्रूरी ने यहां एक अनोखी स्कीम निकाली है। कैटामरान ब्रूइंग कंपनी, जो पुडुचेरी की पहली माइक्रोब्रूरी है, टूरिस्ट्स को एक अनूठा अनुभव देने के लिए ब्रूरी बस टूर की शुरू कर रही है। पहले इसे बीयर बस कहा जाता था, जिससे यह भ्रम पैदा हो गया था कि बस में बीयर परोसी जाएगी। इसलिए, नाम बदलकर ब्रूरी बस टूर कर दिया गया है।

बाली जाने का बना रहे हैं प्लान? देना पड़ सकता है एक्स्ट्रा टैक्स

पिछले महीने (मार्च) ही बाली ने कई यातायात नियमों को तोड़ने वाले अनियंत्रित पर्यटकों के बढ़ते मामलों के कारण बाली के चारों ओर यात्रा करने के लिए पर्यटकों को दोपहिया वाहनों का उपयोग करने पर प्रतिबंध लगाने की संभावना की घोषणा की थी।अब इंडोनेशिया के सबसे लोकप्रिय टूरिस्ट्स स्पॉट्स में से एक बाली में टूरिस्ट्स टैक्स भी लग सकता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, बाली को हाल ही में अपने वर्किंग वीजा के गलत इस्तेमाल, यातायात नियमों को तोड़ने और आइलैंड में धार्मिक स्थलों पर नियमों को न मानने की वजह से कई टूरिस्ट्स को वहां से वापस भेजना पड़ा। 

बाली जाने का बना रहे हैं प्लान? देना पड़ सकता है एक्स्ट्रा टैक्स

पिछले महीने (मार्च) ही बाली ने कई यातायात नियमों को तोड़ने वाले अनियंत्रित पर्यटकों के बढ़ते मामलों के कारण बाली के चारों ओर यात्रा करने के लिए पर्यटकों को दोपहिया वाहनों का उपयोग करने पर प्रतिबंध लगाने की संभावना की घोषणा की थी।अब इंडोनेशिया के सबसे लोकप्रिय टूरिस्ट्स स्पॉट्स में से एक बाली में टूरिस्ट्स टैक्स भी लग सकता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, बाली को हाल ही में अपने वर्किंग वीजा के गलत इस्तेमाल, यातायात नियमों को तोड़ने और आइलैंड में धार्मिक स्थलों पर नियमों को न मानने की वजह से कई टूरिस्ट्स को वहां से वापस भेजना पड़ा। 

हर की दून गए हैं आप? ये जगह है बेहद सुंदर

साल के इस समय तक देश के ज़्यादातर हिस्सों में तेज गर्मी शुरू हो जाती है और हम में से ज़्यादातर लोग जो पहाड़ों से दूर रहते हैं, उनका मन हिमालय की घाटियों में जाने को मचलने लगता है। इस गर्मी में, अगर आपका भी दिल कहीं दूर किसी पहाड़ पर अटक गया है तो उस अटके दिल तक आप भी पहुंच ही जाइए। चलिए हमारे साथ उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में हर की दून घाटी के सफर पर…

मई में घूमने के लिए बेस्ट ऑफबीट डेस्टिनेशन्स

अगर गर्मियां नहीं होती तो क्या होता? कितना अच्छा होता अगर आप मई के महीने में, आप अपने बरामदे में बैठे सूर्यास्त को निहार रहे हों, अपने जीवन में कुछ समय के लिए आराम कर सकें? क्या होगा यदि आप एक नरम ठंडी हवा को महसूस कर सकते हों जो आपके पास से गुजर रही है, आपके बालों को उड़ा रही है, आपके मन को ताज़ा कर रही है? आपके शहर में ऐसा बहुत मुश्किल है न? कोई बात नहीं, बस थोड़ा सा वक़्त निकालिये और हमारे साथ आप भी चलिए एक ऐसे सफर पर जहां सुकून है, बेहतरीन मौसम है, खूबसूरत सुबहें हैं और सुरमई शामें हैं। 

ईको टूरिज्म की परिभाषा है उत्तराखंड का यह गांव

पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी में एक छोटा सा गांव है सरमोली। यह गांव उन गांवों जैसा बिल्कुल नहीं है जो हम अक्सर अपने आसपास देखते हैं। हो सकता है कि पहली नज़र में यह आपको साधारण सा लगे लेकिन थोड़ा पास से जाने पर यह आपको टूरिज़्म के एक जेम यानी रत्न की तरह लगेगा। कुमाऊं की पहाड़ियों में सरमोली का छोटा सा गांव इकोटूरिज्म के लिए एक आदर्श गांव है।

जगमगाते जुगनुओं का त्योहार देखा है आपने?

बचपन में जुगनुओं के पीछे भागकर उन्हें जलते-बुझते देखने में शायद आप सबको मज़ा आता होगाज़ लेकिन तब हमें कभी दो-चार जुगनू ही देखने को मिलते थे। सोचो कि एक पूरा गांव सिर्फ जुगनुओं की रोशनी से ही रोशन हो जाए तो क्या नज़ारा होगा। अगर आप भी इस खूबसूरत सी कल्पना का हकीकत में हिस्सा बनना चाहते हैं तो महाराष्ट्र के पुरुषवाड़ी में होने वाले फायरफ्लाइज फेस्टिवल में शामिल होने की तैयारी कर लीजिए। यहां आपको चमकदार फायरफ्लाइज के बीच कुदरत के सुंदर और जीवंत रंगों का जश्न मनाने का मौका मिलेगा। यहां मानसून से पहले लाखों जुगनू खुले में निकलते हैं और देखने वालों के लिए एक जन्नत सा माहौल बनाते हैं। 

जगमगाते जुगनुओं का त्योहार देखा है आपने?

बचपन में जुगनुओं के पीछे भागकर उन्हें जलते-बुझते देखने में शायद आप सबको मज़ा आता होगाज़ लेकिन तब हमें कभी दो-चार जुगनू ही देखने को मिलते थे। सोचो कि एक पूरा गांव सिर्फ जुगनुओं की रोशनी से ही रोशन हो जाए तो क्या नज़ारा होगा। अगर आप भी इस खूबसूरत सी कल्पना का हकीकत में हिस्सा बनना चाहते हैं तो महाराष्ट्र के पुरुषवाड़ी में होने वाले फायरफ्लाइज फेस्टिवल में शामिल होने की तैयारी कर लीजिए। यहां आपको चमकदार फायरफ्लाइज के बीच कुदरत के सुंदर और जीवंत रंगों का जश्न मनाने का मौका मिलेगा। यहां मानसून से पहले लाखों जुगनू खुले में निकलते हैं और देखने वालों के लिए एक जन्नत सा माहौल बनाते हैं। 

ये हैं दुनिया के सबसे पुराने मंदिर

मंदिर आदिकाल से हमारी सभ्यता और संस्कृति का हिस्सा रहे हैं। हमारे देश में हर शहर, कस्बे, गांव, मोहल्ले यहां तक कि गली में भी कोई न कोई मंदिर होता है। सिर्फ भारत ही नहीं पूरी दुनिया में कई हज़ारों साल पुराने मंदिर हैं जिनकी अपनी मान्यता है, अपनी पहचान है और अपनी संस्कृति है। दुनियाभर में कई ऐसे मंदिर हैं जिन्हें प्राचीन सभ्यता की सबसे महान कृतियों में से एक माना जाता है। इनमें से कुछ का राजवंशों द्वारा निर्माण किया गया था जिनके पास उन्हें बनाने के अपने कारण थे, कुछ को आध्यात्मिक उद्देश्यों के कारण बनाया गया माना जाता है। इसके अलावा, इन प्राचीन मंदिरों में से कुछ ऐसे हैं जिनमें कई रहस्य छिपे हुए हैं, और कुछ इतने प्राचीन हैं कि एक बार उनके दर्शन करने से न केवल आपकी आत्मा को तृप्ति मिल सकती है, बल्कि आपकी ज़िंदगी को नया नज़रिया भी मिलेगा। आज हम आपको बता रहे हैं दुनिया के कुछ सबसे पुराने मंदिरों के बारे में… 

देश के 5 सबसे बड़े चिड़ियाघर

हर साल, लाखों पर्यटक और लोकल्स जीवों के लिए बनाए गए 'प्राकृतिक आवास' में इत्मीनान से टहलने का आनंद लेने वाले जंगली जानवरों को देखने के लिए चिड़ियाघर जाते हैं। भारत में दुनिया के कुछ सबसे बड़े चिड़ियाघर हैं। सैकड़ों एकड़ जमीन में फैले ये चिड़ियाघर जानवरों को सुरक्षित रखने में मदद करते हैं। यहां ऐसे कई जानवरों को भी पनाह मिलती है जो विलुप्त होने की कगार पर हैं। अगर आप इन जानवरों को राष्ट्रीय उद्यान या अभयारण्यों में गए बिना करीब से देखना चाहते हैं, तो चिड़ियाघर में जा सकते हैं। अब गर्मी की छुट्टियां आने वाली हैं तो आप अपने बच्चों को भी चिड़ियाघर दिखाने ले जा सकते हैं।  वे यकीनन वहां जाकर और ऐसे जानवरों को देखकर बेहद खुश होंगे, जिन्हें उन्होंने अभी तक केवल फ़ोटो और किताबों में देखा है। यहां हम आपको भारत के कुछ सबसे बड़े चिड़ियाघरों के बारे में बता रहे हैं।

हिमाचल के इस ऑफबीट डेस्टिनेशन में बिताएं गर्मी की छुट्टियां

बरोट हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में एक छोटा सा गांव है। यह उहल नदी के तट पर स्थित है और धौलाधार पर्वत श्रृंखला से घिरा हुआ है। बरोट अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है और ट्रेकिंग व कैंपिंग के शौकीनों के लिए एक लोकप्रिय ठिकाना है।जो लोग उत्तर भारत के भीड़भाड़ वाले शहरों कस्बों से दूर कुछ दिन सुकून से बिताना चाहते हैं, उनके लिए बरोट एक बढ़िया विकल्प है। शिमला, मनाली और धर्मशाला जैसे हिमाचल प्रदेश के कुछ ज़्यादा भीड़-भाड़ वाले शहरों की तुलना में बरोट कम मशहूर टूरिस्ट प्लेस है। हालांकि, यह एडवेंचर के शौकीनों, प्रकृति प्रेमियों और लीक से हटकर टूरिस्ट्स के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहा है।

कैंपिंग की कर रहे हैं तैयारी? इन चीजों को रखें साथ

कई एडवेंचर के शौकीन लोगों के लिए कैपिंग सबसे अच्छी एक्टिविटीज में से एक माना जाता है, लेकिन यह अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग हो सकता है। जहां कुछ लोग पहाड़ी इलाकों में चांद और तारों के नीचे लेटने का मज़ा लेना चाहते हैं। वहीं कुछ घने जंगलों की सैर करना पसंद करते हैं लेकिन आपको अगर इनमें से किसी भी जगह कैंपिंग करनी है तो कुछ बुनियादी चीजें हैं जो आपको जरूर पैक कर लेनी चाहिए। अगर आप पहली बार कैंपिंग करने जा रहे हैं या कभी भविष्य में करने की योजना बना रहे हैं तो हम आपको कैंपिंग के दौरान इस्तेमाल होने वाली चीजों की लिस्ट बता रहे हैं।

कैंपिंग की कर रहे हैं तैयारी? इन चीजों को रखें साथ

कई एडवेंचर के शौकीन लोगों के लिए कैपिंग सबसे अच्छी एक्टिविटीज में से एक माना जाता है, लेकिन यह अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग हो सकता है। जहां कुछ लोग पहाड़ी इलाकों में चांद और तारों के नीचे लेटने का मज़ा लेना चाहते हैं। वहीं कुछ घने जंगलों की सैर करना पसंद करते हैं लेकिन आपको अगर इनमें से किसी भी जगह कैंपिंग करनी है तो कुछ बुनियादी चीजें हैं जो आपको जरूर पैक कर लेनी चाहिए। अगर आप पहली बार कैंपिंग करने जा रहे हैं या कभी भविष्य में करने की योजना बना रहे हैं तो हम आपको कैंपिंग के दौरान इस्तेमाल होने वाली चीजों की लिस्ट बता रहे हैं।

Mother's Day Special : ऐसा ट्रिप करें प्लान कि मां हो जाएं खुश

इस मदर्स डे, क्या आप अपनी मां को कुछ ख़ास देकर सरप्राइज करने के बारे में सोच रहे हैं? तो क्यों न उन्हें कुछ ऐसा दिया जाए जो वह आपके साथ एन्जॉय कर सकें, ताकि आप साथ में कुछ खास पल बिता सकें। आप इस एक दिन को खास बनाने के लिए अपनी मां की पसंद के हिसाब से एक ट्रिप प्लान कर सकते हैं। चाहे आपकी मां को रोमांच पसंद हो या स्पा में कुछ आराम करना, पहाड़ों में टहलना पसंद हो या लाजवाब खाना, कुदरत से प्यार हो या धर्म में आस्था, आप उनके लिए उनकी पसंद का ट्रिप प्लान कर सकते हैं।

कश्मीर की सबसे सुंदर जगह की सैर

हरे-भरे घास के मैदान, जंगल, उफनती नदियां, गहरी घाटियां, और धुंध से ढके पहाड़ कुछ ऐसा नजारा गुरेज़ घाटी को कश्मीर ही नहीं पूरे देश की सबसे सुंदर जगहों में से एक बनाता है। आपने पूरा कश्मीर घूम लिया और गुरेज़ घाटी नहीं देखी तो समझिए कि आपकी कश्मीर यात्रा अधूरी रह गई। 

क्या आपने घूमा है मालगुड़ी डेज वाला गांव

अगर आप भी उन लोगों में से हैं जिनका बचपन 90 के दशक में बीता तो आपको पता होगा कि मालगुड़ी डेज हमारे लिए क्या मायने रखता है। 80 के दशक में फिल्माया गया यह शो भारत के छोटे शहरों में बचपन का पर्याय बन गया था। मालगुडी के छोटे से शहर के आसपास स्वामी और उनके दोस्तों के कारनामों को देखते हुए कभी तो आपको भी लगा होगा कि ये लोग कितनी सुंदर जगह रहते हैं। वैसे तो ये एक काल्पनिक जगह थी लेकिन इस सीरियल को जहां शूट किया गया था क्या आपको उस जगह के बारे में मालूम है?

रहस्यमयी है ये बुलेट बाबा मंदिर, अनोखी है कहानी

आपने लोगों को अलग-अलग देवताओं की पूजा करते देखा होगा लेकिन क्या आपने कभी किसी मोटरसाइकिल की पूजा होते देखी है और क्या उसके नाम पर कोई मंदिर भी बना है? हो सकता है आपने न देखा हो लेकिन राजस्थान में एक ऐसा मंदिर है जहां रॉयल एनफील्ड बुलेट 350 की पूजा होती है। हम बात कर रहे हैं ओम बन्ना धाम या बुलेट बाबा मंदिर की जो जोधपुर के पास है। 

यहां सिर्फ यादें ही नहीं तस्वीरें भी मिलेंगी खूबसूरत

अगर आपको भी मेरी तरह घूमने का शौक है और अच्छी तस्वीरें लेने का भी तो मैं आपको बता रही हूं, भारत की उन सबसे खूबसूरत जगहों के बारे में जहां की खूबसूरती तो आपका मन मोह ही लेगी, आपकी इंस्टाग्राम प्रोफाइल में वहां की तस्वीरें देखकर लोगों को जलन भी होगी। हालांकि लोगों को जलाना गलत बात है लेकिन कोई जलता है तो जलने दे। आप बस इन जगहों की सुंदरता का मजा लें और बेहतरीन सी तस्वीरें भी। जब से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की लिस्ट में इंस्टाग्राम का नाम जुड़ा है तब से मेरे लिए घूमने की जगहें डिसाइड के लिए ये एक इंस्पिरेशन की तरह काम कर रहा है। जब भी मैं कोई ट्रिप प्लान करती हूं ये पहली ऐप होती है जिसे खोल कर, मैं उस जगह की तस्वीरें देखती हूं और उसकी बाद ही तय करती हूं कि मुझे वहां जाना चाहिए या नहीं। गूगल पर किसी जगह की फोटोज सर्च करने पर यूं तो कई तस्वीरें सामने आती हैं जो बेहद खूबसूरत होती हैं लेकिन उनमें से ज्यादातर फोटोज ऐसी होती हैं जो किसी प्रोफेशनल फोटोग्राफर ने ली होती हैं। लेकिन, इंस्टग्राम की तस्वीरों से किसी भी ट्रैवल डेस्टिनेशन के बारे में पता लगाना इसलिए भी सही रहता है क्योंकि यहां ट्रैवलर्स ही फोटोज डालते हैं। तो देर किस बात की? आप भी चल दीजिए मेरे साथ भारत की इन खूबसूरत सी जगहों को एक्सप्लोर करने। 

74 दिन पानी में रहकर बनाया रिकॉर्ड, 100 दिन पूरे करने की चाहत

अगर मौका दिया जाए, तो पानी के नीचे रहने के बारे में क्या ख्याल है? खैर, किसी ने पहले ही 74 दिनों से अधिक समय तक पानी के भीतर रहने का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, फ्लोरिडा के एक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ने हाल ही में 74 दिनों से ज़्यादा पानी के अंदर रहने का विश्व रिकॉर्ड तोड़ दिया। जब उनसे पूछा गया कि क्या वह अब पानी की सतह से बाहर रहने का प्लान बना बना रहे हैं? इस पर उनका कहना है कि वह समुद्र के नीचे रहना पसंद करते हैं, और उनकी जल्द ही फिर से बाहर आने की कोई योजना नहीं है। जोसेफ दितुरी 1 मार्च को पानी के नीचे चले गए थे और जूल्स के अंडरसी लॉज में रह रहे हैं जो कि लार्गो में 30 फीट गहरे लैगून के तल पर है।

देवी के मासिक धर्म से जुड़े अम्बुबाची मेले की अद्भुत है कहानी

22-26 जून को गुवाहाटी, असम में देवी कामाख्या मंदिर भक्तों और पर्यटकों से गुलजार रहेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि इस बीच यहां वार्षिक अंबुबाची मेला होने वाला है। यह मेला हर साल होने वाला एक धार्मिक आयोजन है जो कामाख्या मंदिर में होता है। यह मेला आस्था, उर्वरता और दिव्य स्त्रीत्व का उत्सव है। जिन लोगों को कामाख्या मंदिर के रहस्यों में दिलचस्पी है, कामाख्या मंदिर के तांत्रिक प्रथाओं के साथ संबंध के बारे में जानना चाहते हैं, यह मेला उनके लिए एक बेहतरीन अवसर है। 

देवी के मासिक धर्म से जुड़े अम्बुबाची मेले की अद्भुत है कहानी

22-26 जून को गुवाहाटी, असम में देवी कामाख्या मंदिर भक्तों और पर्यटकों से गुलजार रहेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि इस बीच यहां वार्षिक अंबुबाची मेला होने वाला है। यह मेला हर साल होने वाला एक धार्मिक आयोजन है जो कामाख्या मंदिर में होता है। यह मेला आस्था, उर्वरता और दिव्य स्त्रीत्व का उत्सव है। जिन लोगों को कामाख्या मंदिर के रहस्यों में दिलचस्पी है, कामाख्या मंदिर के तांत्रिक प्रथाओं के साथ संबंध के बारे में जानना चाहते हैं, यह मेला उनके लिए एक बेहतरीन अवसर है। 

बच्चों की छुट्टियों में जाएं कूनो नेशनल पार्क घूमने, यहां मिलेगा सबकुछ

द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि जून के तीसरे सप्ताह के आझीर तक छह और चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में जंगल में छोड़ दिया जाएगा। जिनमें चार नर और दो मादा शामिल हैं, फिलहाल ये पार्क के भीतर तीन अलग-अलग शिकार बाड़ों में हैं। चीता संचालन समिति ने बुधवार को अपनी पहली बैठक में यह निर्णय लिया। दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से लाए गए 20 चीतों में से तीन और भारत में पैदा हुए तीन शावकों की दो महीने से भी कम समय में पार्क में मौत के बाद समिति का गठन 26 मई को किया गया था। देश में चीता प्रजाति को विलुप्त घोषित किए जाने के सात दशक बाद चीतों को भारत में फिर से लाया गया था। 1952 में भारत सरकार द्वारा चीता को आधिकारिक रूप से विलुप्त घोषित कर दिया गया था। इन्हें देश में आखिरी बार 1948 में दर्ज किया गया था, जब छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के साल जंगलों में तीन चीतों को मार दिया गया था। मध्य प्रदेश का कूनो नेशनल पार्क वाइल्ड लाइफ लवर्स और एडवेंचर पसंद करने वाले लोगों के लिए एक बेहतरीन जगह है। यहां करधई, खैर और सलाई के जंगल और विशाल घास के मैदानों में दर्जनों वन्य जीवों को घूमते हुए देखना एक कभी न भूलने वाला एक्सपीरियंस साबित हो सकता है। यहां के कुछ घास के मैदान कान्हा या बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से बड़े हैं। 

बच्चों की छुट्टियों में जाएं कूनो नेशनल पार्क घूमने, यहां मिलेगा सबकुछ

द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि जून के तीसरे सप्ताह के आझीर तक छह और चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में जंगल में छोड़ दिया जाएगा। जिनमें चार नर और दो मादा शामिल हैं, फिलहाल ये पार्क के भीतर तीन अलग-अलग शिकार बाड़ों में हैं। चीता संचालन समिति ने बुधवार को अपनी पहली बैठक में यह निर्णय लिया। दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से लाए गए 20 चीतों में से तीन और भारत में पैदा हुए तीन शावकों की दो महीने से भी कम समय में पार्क में मौत के बाद समिति का गठन 26 मई को किया गया था। देश में चीता प्रजाति को विलुप्त घोषित किए जाने के सात दशक बाद चीतों को भारत में फिर से लाया गया था। 1952 में भारत सरकार द्वारा चीता को आधिकारिक रूप से विलुप्त घोषित कर दिया गया था। इन्हें देश में आखिरी बार 1948 में दर्ज किया गया था, जब छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के साल जंगलों में तीन चीतों को मार दिया गया था। मध्य प्रदेश का कूनो नेशनल पार्क वाइल्ड लाइफ लवर्स और एडवेंचर पसंद करने वाले लोगों के लिए एक बेहतरीन जगह है। यहां करधई, खैर और सलाई के जंगल और विशाल घास के मैदानों में दर्जनों वन्य जीवों को घूमते हुए देखना एक कभी न भूलने वाला एक्सपीरियंस साबित हो सकता है। यहां के कुछ घास के मैदान कान्हा या बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से बड़े हैं। 

डिवॉर्स टेम्पल के बारे में सुना है आपने? 600 साल पुरानी है कहानी

तलाक मंदिर, यह नाम अजीब लग सकता है लेकिन लगभग 600 साल पहले मात्सुगाओका टोकेई-जी कहे जाने वाले जापान के डिवॉर्स टेम्पल की स्थापना के पीछे के इरादे बिल्कुल अजीब नहीं थे। मात्सुगाओका टोकेई-जी, कामकुरा शहर, कानागावा प्रान्त, जापान में, कई घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं का घर रहा है।यह पढ़कर आपको थोड़ा अजीब लग रहा होगा लेकिन उस वक़्त यह मंदिर ऐसी महिलाओं का सबसे बड़ा सहारा था। टोकीजी मंदिर के रूप में भी जाना जाने वाला यह ऐतिहासिक बौद्ध मंदिर उस समय से है जब महिलाओं के पास कोई अधिकार नहीं था और जापान में 'तलाक' के लिए कोई प्रावधान नहीं थे। उस समय, अपने प्रताणित करने वाले पतियों से दूर जाने वाली महिलाओं को इस मंदिर में शरण मिलती थी। जापान में महिलाओं के पास सीमित कानूनी अधिकार और कई सामाजिक प्रतिबंध थे। समय के साथ, मंदिर एक सुरक्षित ठिकाने और एक संस्था के रूप में लोकप्रिय होने लगा जहां दुखी महिलाएं सुरक्षा पा सकती थीं और अपमानजनक रिश्तों से अपनी आजादी पा सकती थीं। 

ऐसी लोकेशन्स जहां का ड्रोन शूट होगा बेहद खूबसूरत

ट्रैवेल और फोटोग्राफी का रिश्ता तो बहुत पुराना है। तस्वीरें ही हमारी यात्रा की खूबसूरत यादों को सहेज कर रखती हैं और कभी गाहे-बगाहे मोबाइल फोन में कुछ स्क्रॉल करते हुए हमारी नज़र उन पर पड़ जाती है तो वो सारे सुंदर से पल हमारी आंखों के सामने तैरने लगते हैं। हम में से कुछ लोग ऐसे भी होंगे जिन्होंने अपनी इन यादों का एक पुराने ज़माने वाला एल्बम बना रखा होगा और उसके पन्नों को पलट कर ही उन पलों को जी लेते हैं। कैमरे और मोबाइल से होता हुआ फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी का सफर अब ड्रोन तक पहुंच चुका है। ट्रैवेल की दुनिया में भी ड्रोन ने अपनी धाक जमा ली है। तो चलिए हम आपको ऐसी ही कुछ जगहों के बारे में बताते हैं जहां आप बेहतरीन ड्रोन शॉट्स ले सकते हैं।

कितनी पुरानी है 'पुरानी दिल्ली'? क्या है इसकी कहानी

विकास और बदलाव की बढ़ती रफ्तार के साथ देश के ज़्यादातर शहर नए और पुराने हिस्सों में बंट चुके हैं। इनमें से जो शहर सबसे पहले एक से दो हुए उनमें से दिल्ली का नाम शायद सबसे पहले आएगा। हो भी क्यों न यह देश की राजधानी जो है। वैसे तो ये दिल्ली और नई दिल्ली कहा जाता है लेकिन कई लोग अभी भी इसे पुरानी दिल्ली कहते हैं क्योंकि यह अभी भी पुराने किस्सों और कहानियों को ज़िंदा रखे है। राजधानी के इस पुराने हिस्से ने दिल्ली की संस्कृति को आकार देने में एक अहम भूमिका निभाई है। यहां के लाजवाब खाने वाले रेस्तरां, संकरी भीड़-भाड़ वाली गलियां, ऐतिहासिक स्मारक और पारंपरिक बाज़ार, सभी एक साथ मिलकर आपको पुराने समय में ले जाते हैं। साथ ही, इस जगह का जबरदस्त अनुभव कुछ ऐसा है जो आपको शायद ही राजधानी के किसी अन्य हिस्से में मिलेगा। इसका माहौल और आकर्षण ऐसा है कि कलाकार, फिल्म निर्माता और कला से जुड़े लोग इसकी गलियों में खिंचे चले आते हैं। 

गर्मियों में करना है रोड ट्रिप, ये ऑप्शन्स करिए ट्राई

गर्मियों में करना है रोड ट्रिप, ये ऑप्शन्स करिए ट्राईअगर आप इस गर्मी में रोड ट्रिप का प्लान बना रहे हैं, तो हमारे पास आपके लिए कुछ बेहतरीन ऑप्शन्स हैं। ये रोड ट्रिप्स आपको किसी पोएट्री की तरह लगेंगी हैं और आपको ज़िंदगी भर का अनुभव देंगी! 

गर्मियों में करना है रोड ट्रिप, ये ऑप्शन्स करिए ट्राई

गर्मियों में करना है रोड ट्रिप, ये ऑप्शन्स करिए ट्राईअगर आप इस गर्मी में रोड ट्रिप का प्लान बना रहे हैं, तो हमारे पास आपके लिए कुछ बेहतरीन ऑप्शन्स हैं। ये रोड ट्रिप्स आपको किसी पोएट्री की तरह लगेंगी हैं और आपको ज़िंदगी भर का अनुभव देंगी! 

देखने लायक है तीरथगढ़ झरने की खूबसूरती, जल्दी बना लीजिए प्लान

तीरथगढ़ झरना छत्तीसगढ़ में बस्तर जिले के सबसे खूबसूरत रत्नों में से एक है। जगदलपुर के जिला मुख्यालय से लगभग 35 किमी दूर स्थित यह झरना भारत के सबसे शानदार झरनों में शामिल है। लगभग 300 फीट की ऊंचाई वाला तीरथगढ़ झरना कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में है। इस झरने से गिरता हुआ पानी सफेद रंग का दिखता है इसलिए इसे 'द मिल्की फॉल्स' के नाम से भी जाना जाता है। तीरथगढ़ झरना नीचे गिरता है तो तल पर एक पूल बनाता है। इस पूल में तैराकी, पैडल बोटिंग करते हुए और नहाते हुए लोग आपको दिख जाएंगे। यह मॉनसून में सबसे सुंदर लगता है क्योंकि इस समय पानी काफी तेजी से नीचे गिरता है। तीरथगढ़ साल के बाकी दिनों में भी शांत और सुंदर रहता है। पूल के किनारे भगवान शिव का एक छोटा सा मंदिर है जहां स्थानीय लोग प्रार्थना करते हैं। 

देखने लायक है तीरथगढ़ झरने की खूबसूरती, जल्दी बना लीजिए प्लान

तीरथगढ़ झरना छत्तीसगढ़ में बस्तर जिले के सबसे खूबसूरत रत्नों में से एक है। जगदलपुर के जिला मुख्यालय से लगभग 35 किमी दूर स्थित यह झरना भारत के सबसे शानदार झरनों में शामिल है। लगभग 300 फीट की ऊंचाई वाला तीरथगढ़ झरना कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में है। इस झरने से गिरता हुआ पानी सफेद रंग का दिखता है इसलिए इसे 'द मिल्की फॉल्स' के नाम से भी जाना जाता है। तीरथगढ़ झरना नीचे गिरता है तो तल पर एक पूल बनाता है। इस पूल में तैराकी, पैडल बोटिंग करते हुए और नहाते हुए लोग आपको दिख जाएंगे। यह मॉनसून में सबसे सुंदर लगता है क्योंकि इस समय पानी काफी तेजी से नीचे गिरता है। तीरथगढ़ साल के बाकी दिनों में भी शांत और सुंदर रहता है। पूल के किनारे भगवान शिव का एक छोटा सा मंदिर है जहां स्थानीय लोग प्रार्थना करते हैं। 

बादलों के पीछे छिपा खूबसूरती का खजाना है शिलॉन्ग पीक

जब हम भारत के पूर्वोत्तर हिस्से में घूमने की बात करते हैं तो शिलॉन्ग सबसे पहले दिमाग में आने वाली जगहों में से एक है। लेकिन इससे पहले कि आप शिलॉन्ग आएं, आपको शिलॉन्ग पठार के बारे में ज़रूर जानना चाहिए, वो शिलॉन्ग पठार जहां यह शहर बसा है।यह भारत के उत्तरपूर्व में सबसे प्रमुख पठारों में से एक है, जो लहरदार रास्तों, रोलिंग पहाड़ियों और ऊंचे बैकड्रॉप वाला है। यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता, बेहतरीन जलवायु और प्राकृतिक संसाधनों के लिए जाना जाता है। मेघालय की राजधानी शिलॉन्ग इस पठार पर बसी है, जहां से शहर की सुंदरता और इसके पठार की खूबसूरती देखी जा सकती है।

शानदार नज़ारों से घिरा हिमालय का छोटा सा ठिकाना नारकंडा

हिमालय की खूबसूरत वादियों में बसा नारकंडा हिमाचल प्रदेश का एक छोटा सा शहर है। यह जगह बर्फ से ढके पहाड़ों और सेब के बगीचों से भरी हुई है। नारकंडा प्रकृति प्रेमियों और रोमांच चाहने वालों के लिए स्वर्ग है। बेहद सुंदर सूर्यास्त, खूबसूरत नज़ारे और कमाल क स्थानीय लोग, ये सब मिलकर इस जगह को टूरिस्ट्स क लिए एक परफेक्ट जगह बनाते हैं।8100 फीट की ऊंचाई पर स्थित, नारकंडा हिमाचल में एक छिपा हुआ रत्न है, जो हाटू पीक सहित बर्फ से ढकी हिमालय की चोटियों के शानदार नज़ारों से घिरा है। यहां वसंत ऋतु बेहद सुंदर होती है क्योंकि नारकंडा खिले हुए फूलों और सेब के बगीचों के साथ एक रंगीन स्वर्ग में बदल जाता है।सबके लिए है कुछ ख़ास एडवेंचर शौकीनों के लिए भी नारकंडा में काफी ऑप्शंस हैं। नारकंडा स्कीइंग के लिए मशहूर है और दुनिया भर से उत्साही लोगों को आकर्षित करता है। यहां की स्कीइंग ढलानें शुरुआती और अनुभवी स्कीयरों दोनों के लिए परफेक्ट हैं। शहर में हाटू पीक जैसी सुंदर जगहों पर जाने वाले रोमांचक ट्रैक भी हैं। नारकंडा न केवल प्राकृतिक रूप से समृद्ध है, बल्कि इसका सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व भी है। यह शहर स्थानीय देवता को समर्पित हाटू माता मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। यहां वार्षिक हाटू मेला आयोजित किया जाता है जो दूर-दूर से भक्तों को आकर्षित करता है। हाटू माता का लकड़ी का मंदिर चीनी शैली की नक्काशी से बना है। कहा जाता है कि यह वही जगह है जहां महाभारत के पांडवों ने निर्वासन के दौरान अपना भोजन पकाया था। पर्यटक मंदिर के पास भीम चूल्हा, दो चूल्हे भी देख सकते हैं। इसके अलावा, नारकंडा में लोग स्टोक्स फार्म, महामाया मंदिर और तन्नी जुब्बर झील भी देख सकते हैं। 

अगली ट्रिप पर जाइएगा ये चमकने वाले मशरुम देखने

घूमने के शौक़ीन लोग कई तरह के होते हैं। कुछ पहाड़ों पर चढ़कर दुनिया देखना चाहते हैं, कुछ समंदर की लहरों में सुकून ढूंढने जाते हैं। किसी को नदियों के पीछे से उगते सूरज को देखने के लिए सफर करना पसंद होता है तो कोई किसी चोटी से ढलते हुए सूरज को देखकर खुश हो जाता है। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो कुछ नया और अनोखा देखने की तलाश में घूमते रहते हैं। अगर आप भी ऐसे ही लोगों में से एक हैं तो हम आपको एक ऐसी चीज़ के बारे में बताने जा रहे हैं जो बेहद अनोखी है। अभी कुछ समय पहले ही वैज्ञानिकों ने मेघालय के जंगलों में मशरूम की अनोखी चमकती प्रजातियों की खोज की थी। लंबे समय तक, यहां के स्थानीय लोग उन्हें प्राकृतिक मशाल मानते थे, जिससे उन्हें रात में जंगल में नेविगेट करने में मदद मिलती थी। रिपोर्टों के अनुसार, लगभग 20,000 कवक प्रजातियों में से केवल 100 को ही बायोल्यूमिनसेंस प्रभाव के लिए जाना जाता है और वे रौशनी पैदा कर सकती हैं। इसे पहली बार मेघालय के पूर्वी खासी हिल्स जिले के मावलिननॉन्ग में एक झरने के करीब खोजा गया था। स्थानीय लोगों ने पश्चिमी जैंतिया हिल्स जिले के क्रांग शुरी में मशरूम की उसी किस्म को देखा, और अब इसे दुनिया में बायोल्यूमिनसेंट कवक की 97 ज्ञात प्रजातियों में गिना जाता है!

मॉनसून में ख़ूबसूरती की मिसाल बन जाती है गोवा की यह जगह

गोवा शायद हर उम्र के लोगों की पसंदीदा जगहों में से एक है वैसे तो यहां सबसे ज़्यादा टूरिस्ट्स सर्दियों के मौसम में ही घूमने जाते हैं लेकिन मानसून में भी यह बेहद खूबसूरत दिखता है। बारिश के मौसम में गोवा पूरी तरह प्रकृति के रंग में रंग जाता है। हर तरफ हरियाली ही हरियाली नज़र आती है। अगर आपको बारिश पसंद है तो एक बार मॉनसून में गोवा घूम कर आइये, इस समय यहां न ज़्यादा भीड़ होती है और न ही ज़्यादा महंगाई। ऑफ सीजन होने की वजह से होटल्स भी काफी सस्ते मिल जाते हैं। 

जानें दुनिया के कुछ सबसे पुराने देशों के बारे में

यह बात तो शायद ही कोई जनता हो कि जिस पृथ्वी पर पर हम रहते हैब वह कितनी पुरानी है लेकिन यह जानने की कोशिश लगातार होती रही है की इस पृथ्वी पर जीवन कितना पुराना है। हड़प्पा सभ्यता का अस्तित्व इस बात का प्रमाण है कि प्राचीन काल में सभ्य तरीके से सनाज में रहने वाले लोग थे। सब कुछ होते हुए भी सभ्यताएं बढ़ती रहीं। समाज, गांव , कस्बे , शहर, देश बनते गए। क्या आपको पता है कि दुनिया के सबसे पुराने देश कौन से हैं? नहीं पता ! कोई बात नहीं हम आपको बताते हैं दुनिया के कुछ सबसे पुराने देशों के बारे में…

मॉनसून में घूमने के लिए ये हैं देश की बेस्ट जगहें

जैसे-जैसे मॉनसून अपनी रफ़्तार पकड़ने लगता है ज्यादातर लोग एक अच्छी किताब और एक गरमागरम चाय के कप के साथ या तो अपने घर की खिड़की से बारिश देखना पसंद करते हैं या अपने बिस्तर पर सोने की प्लानिंग करते हैं। बारिश में घूमने के बारे में सोचकर ही लोगों को घबराहट होने लगती है। लेकिन कुछ लोगों को घूमने के लिहाज से यह मौसम बेस्ट लगता है। एक तो इस मौसम में टूरिस्ट्स की ज़्यादा भीड़ नहीं होती दूसरा होटल्स और बाकी खर्च भी काफी कम हो जाते हैं। 

महाबलीपुरम की यह जगह है बेहद खास

हम सभी जानते हैं कि गुरुत्वाकर्षण कैसे काम करता है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि महाबलीपुरम में एक रहस्यमयी 250 टन का रॉक बोल्डर है, जिसे कृष्णा बटरबॉल के रूप में भी जाना जाता है। कमाल की बात यह है कि ये बटरबॉल गुरुत्वाकर्षण को चुनौती देती है। यह 20 फीट ऊंची और 5 मीटर चौड़ी चट्टान है जो एक पहाड़ी की फिसलन भरी ढलान पर खड़ी है, जिसका आधार 4 फीट से कम है। इसे लोकप्रिय रूप से कृष्ण की बटरबॉल के रूप में जाना जाता है क्योंकि मक्खन को भगवान कृष्ण का पसंदीदा भोजन माना जाता है। कहते हैं कि यह पत्थर स्वर्ग से गिरा है इसलिए इसे यह नाम दे दिया गया। अगर आप इस चट्टान को देखेंगे तो आप सोच में पड़ जाएंगे कि यह कैसे वहां टिक जाती है और ढलान से लुढ़कती नहीं है। फिर भी, यह इतनी स्थिर है कि टूरिस्ट्स इसके नीचे छांव में बैठते भी हैं। सबसे ज़्यादा हैरान करने वाली बास्त यह है कि यह चक्रवात, सुनामी या भूकंप जैसी किसी भी प्राकृतिक आपदा से भी नहीं हिली। यह भी माना जाता है कि यह चट्टान 1200 साल से भी ज्यादा पुरानी है।वैसे इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि यह चट्टान आधुनिक तकनीक और विज्ञान को चुनौती देती है। कुछ लोगों का मानना है कि फ्रिक्शन और गुरुत्व केंद्र के कारण ऐसा हो सकता है। जिसका मतलब है कि फ्रिक्शन चट्टान को नीचे फिसलने से रोकता है, जबकि कोई ढलान वाली जमीन पर खड़ा हो सकता है जहां गुरुत्वाकर्षण का केंद्र इसे एक छोटे से संपर्क क्षेत्र पर संतुलित रखता है। हालांकि कुछ लोगों का यह भी यह भी मानना है कि चट्टान को ऐसी स्थिति में लाना भगवान की लीला थी। अगर रिपोर्ट्स की मानें तो 1908 में मद्रास के गवर्नर आर्थर लॉली ने इसे अपनी जगह से हटाने का फैसला किया था। ऐसा कहा जाता है कि उसे पहाड़ी की तलहटी में बसे शहर की सुरक्षा का डर था। इसलिए उसने सात हाथियों को भेजकर चट्टान को हिलाने की कोशिश की थी, लेकिन चट्टान एक इंच भी नहीं हिली। इससे यह तो साफ है कि अलौकिक शक्तियां हों या केवल विज्ञान, बटरबॉल गुरुत्वाकर्षण को चुनौती दे रही है।

जागेश्वर मंदिर : जहां बसता है विश्वास और इतिहास

देवभूमि उत्तराखंड अपने प्राकृतिक वैभव और आध्यात्मिक आभा के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। इस खूबसूरत से राज्य में सिर्फ हरियाली और पहाड़ ही नहीं कई अविश्वसनीय मंदिर भी हैं जो दुनिया भर से यात्रियों और भक्तों को आकर्षित करते हैं। उत्तराखंड कई प्राचीन मंदिरों का घर है जो किंवदंतियों और लोककथाओं को दर्शाते हैं। इन्हीं में से एक है जागेश्वर मंदिर। कुमाऊं की सुंदर पहाड़ियों में स्थित, परमात्मा का यह पौराणिक निवास अपनी मनोरम वास्तुकला और किंवदंतियों से भक्तों को आकर्षित करता है। इन किंवदंतियों ने भक्तों और इतिहास प्रेमियों सभी के दिलों में अपनी जगह बना ली है।आज हम बात कर रहे हैं जागेश्वर मंदिर की। यह मंदिर उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में है और भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर परिसर में 100 से अधिक प्राचीन पत्थर के मंदिरों का एक समूह है जो 9वीं और 13वीं शताब्दी के बीच के हैं। कुछ तो इससे भी अधिक उम्र के हैं! आप मंदिर परिसर में नक्काशी देखकर हैरान हो जाएंगे, जिससे बीते दौर की अद्भुत शिल्पकला का पता चलता है।

जागेश्वर मंदिर : जहां बसता है विश्वास और इतिहास

देवभूमि उत्तराखंड अपने प्राकृतिक वैभव और आध्यात्मिक आभा के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। इस खूबसूरत से राज्य में सिर्फ हरियाली और पहाड़ ही नहीं कई अविश्वसनीय मंदिर भी हैं जो दुनिया भर से यात्रियों और भक्तों को आकर्षित करते हैं। उत्तराखंड कई प्राचीन मंदिरों का घर है जो किंवदंतियों और लोककथाओं को दर्शाते हैं। इन्हीं में से एक है जागेश्वर मंदिर। कुमाऊं की सुंदर पहाड़ियों में स्थित, परमात्मा का यह पौराणिक निवास अपनी मनोरम वास्तुकला और किंवदंतियों से भक्तों को आकर्षित करता है। इन किंवदंतियों ने भक्तों और इतिहास प्रेमियों सभी के दिलों में अपनी जगह बना ली है।आज हम बात कर रहे हैं जागेश्वर मंदिर की। यह मंदिर उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में है और भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर परिसर में 100 से अधिक प्राचीन पत्थर के मंदिरों का एक समूह है जो 9वीं और 13वीं शताब्दी के बीच के हैं। कुछ तो इससे भी अधिक उम्र के हैं! आप मंदिर परिसर में नक्काशी देखकर हैरान हो जाएंगे, जिससे बीते दौर की अद्भुत शिल्पकला का पता चलता है।

नोएडा में खुला है देश का पहला वैदिक थीम पार्क, इसमें बहुत कुछ है खास

भारत के पहले वैदिक-थीम पार्क का उद्घाटन हाल ही में उत्तर प्रदेश के नोएडा सेक्टर 78 में किया गया। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि यह पार्क, जिसे वेद वन पार्क के नाम से भी जाना जाता है, 50,000 से अधिक पौधों का घर है जिनका उल्लेख वैदिक साहित्य में भी मिलता है। यह अविश्वसनीय पार्क भारतीय संस्कृति, प्राकृतिक सुंदरता और मनोरंजन का एक भव्य मिश्रण है। इस पार्क में आप एक ही समय में प्रकृति और इतिहास का एक साथ अनुभव कर सकते हैं। 

सावन के महीने में करें भगवान शिव के इन मंदिरों में दर्शन

भगवान शिव की महिमा अपरंपार है। वे अपने भक्तों को सुखी और आनंदमय वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद देने के लिए जाने जाते हैं। भगवान शिव के भक्त अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए उनकी उपासना करते हैं। हिंदुओं की धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव सर्वोच्च शक्ति हैं, जिन्होंने भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पौराणिक कथाओं में उन्हें कहीं भोले नाथ बताया गया है तो कहीं अपनी भक्तों की रक्षा के लिए उनके उग्र रूप को दर्शाया गया है। भारत के विभिन्न राज्यों में भगवान शिव की अलग-अलग रूपों में पूजा की जाती है। यही कारण है; भारत में भगवान शिव के कई मंदिर हैं। सावन के महीने को भगवान शिव का महीना माना जाता है और शिवलिंगम की पूजा की जाती है। इस विशेष महीने में लोग महादेव का अभिषेक करते हैं, उनके लिए व्रत रखते हैं। इस महीने में भगवान शंकर के दर्शन करने लिए भारत में कई शिव मंदिर हैं। इनमें से कुछ खास मंदिरों के बारे में आज हम आपको बता रहे हैं। 

सावन के महीने में करें भगवान शिव के इन मंदिरों में दर्शन

भगवान शिव की महिमा अपरंपार है। वे अपने भक्तों को सुखी और आनंदमय वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद देने के लिए जाने जाते हैं। भगवान शिव के भक्त अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए उनकी उपासना करते हैं। हिंदुओं की धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव सर्वोच्च शक्ति हैं, जिन्होंने भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पौराणिक कथाओं में उन्हें कहीं भोले नाथ बताया गया है तो कहीं अपनी भक्तों की रक्षा के लिए उनके उग्र रूप को दर्शाया गया है। भारत के विभिन्न राज्यों में भगवान शिव की अलग-अलग रूपों में पूजा की जाती है। यही कारण है; भारत में भगवान शिव के कई मंदिर हैं। सावन के महीने को भगवान शिव का महीना माना जाता है और शिवलिंगम की पूजा की जाती है। इस विशेष महीने में लोग महादेव का अभिषेक करते हैं, उनके लिए व्रत रखते हैं। इस महीने में भगवान शंकर के दर्शन करने लिए भारत में कई शिव मंदिर हैं। इनमें से कुछ खास मंदिरों के बारे में आज हम आपको बता रहे हैं। 

समंदर के किनारों के परे भी है गोवा की खूबसूरती

गोवा शायद हमारे देश की सबसे ज़्यादा घूमी जाने वाली जगहों में से एक है। वैसे तो यहां कई ऐसी जगहें हैं जो देखने लायक हैं लेकिन उनमें ज़्यादातर बीच और फोर्ट ही शामिल हैं। मॉनसून के मौसम में पहाड़ों पर जाना कितना खतरनाक साबित हो सकता है ये तो आपको हाल-फिलहाल की ख़बरों से पता चल ही गया होगा। ऐसे में गोवा ट्रैवेलर्स के लिए एक परफेक्ट डेस्टिनेशन हो सकता है और वो भी ट्रेडिशनल वाले गोवा नहीं, ऑफ बीट गोवा। अब आप सोच रहे होंगे कि भाई, गोवा तो लोग बीच पर मस्ती करने ही जाते हैं, वहां और क्या किया जा सकता है? तो आप ये जान लीजिए और एक बार मेरा कहा मान लीजिये कि गोवा में वो है जो आपका दिल - ओ - दिमाग ताज़ा कर देगा। गोवा की ऐसी ही एक अनोखी जगह है अरवलेम गुफाएं जो पांडव गुफाओं के नाम से ज़्यादा मशहूर हैं।अर्वलेम गुफाएं, जिन्हें पांडव गुफाओं के नाम से भी जाना जाता है, उत्तरी गोवा के संक्वेलिम गांव में स्थित प्राचीन चट्टान को काटकर बनाई गई गुफाएं हैं। पणजी से सैनक्वेलिम तक की एक घंटे की ड्राइव में आपको हर तरफ सब कुछ हरा भरा दिखाई देगा और हां यह ड्राइव थका देने वाली नहीं है। ये गुफाएं ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व रखती हैं और माना जाता है कि ये 6ठी या 7वीं शताब्दी की हैं। कुछ लोग कहते हैं कि इन गुफाओं को बौद्ध भिक्षुओं ने बनवाया था। ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि इन गुफाओं और अजंता और एलोरा की गुफाओं के बीच शैली और वास्तुकला में समानताएं आसानी से पाई जा सकती हैं। स्थानीय लोककथाओं के अनुसार, पांडवों ने अपने निर्वासन के दौरान इन गुफाओं में शरण ली थी। हालांकि, इस दावे का समर्थन करने के लिए कोई ठोस ऐतिहासिक सबूत नहीं है। ये गुफाएं एक ही लेटराइट चट्टान से बनी हैं और इसमें पांच खंड हैं। केंद्रीय कक्ष सबसे बड़ा है और इसमें एक शिवलिंग है। इस वजह से ये गुफाएं धार्मिक महत्व भी रखती हैं। भले ही यह गोवा के सुदूर इलाकों में से एक में है लेकिन तीर्थयात्री इस जगह पर आते रहते हैं। 

देश के सबसे छोटे टाइगर रिज़र्व के बारे में पता है आपको ?

आपने बड़े - बड़े टाइगर रिज़र्व के बारे में खूब सुना होगा लेकिन क्या आपको पता है कि भारत का सबसे छोटा टाइगर रिज़र्व कौन सा है? महाराष्ट्र में वर्धा जिले के हिंगानी के पास स्थित बोर टाइगर रिजर्व भारत का सबसे छोटा टाइगर रिजर्व है। अगर आप सोच रहे हैं कि देश के सबसे छोटे बाघ अभयारण्य कैसा होगा तो रिपोर्ट के मुताबिक यहाँ लगभग 8 बाघ हैं। 2014 में, जब इसे पहली बार टाइगर रिज़र्व घोषित किया गया था, तब यहां केवल केवल चार बाघ थे!बोर टाइगर रिजर्व अचानक ही टाइगर रिजर्व नहीं बन गया। 2014 से पहले, इसे बोर वन्यजीव अभयारण्य के रूप में जाना जाता था, जो विभिन्न प्रकार के जंगली जानवरों का घर था। रिज़र्व अब 121.10 किमी वर्ग के क्षेत्र को कवर करता है। 

मॉनसून में घूमने के लिए परफेक्ट हैं पायकारा फाल्स

पायकारा फॉल्स, तमिलनाडु के ऊटी में सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है। ये झरना इतना सुंदर है कि यकीनन आपका दिल जीत लेगा। यह ऊटी के सबसे सुंदर और मनोरम झरनों में से एक है, जो पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों को अपना दीवाना बना लेता है। पायकारा झरना पायकारा नदी से निकलता है जो चट्टानी ढलानों की एक श्रृंखला से गिरती है। पायकारा नदी और उसके आसपास की पहली झलक आपको कश्मीर की अनोखी घाटियों की याद दिलाएगी। यह झरना घने जंगलों से घिरी हरी-भरी घाटी के बीच है, जो इसके मनमोहक माहौल की खूबसूरती को और भी बढ़ा देता है।

यमुना के किनारे पर कुछ खजानों का सफ़र

उत्तराखंड के चंपासर ग्लेशियर से निकलकर हरियाणा, दिल्ली से होती हुई 1367 किलोमीटर का सफर तय करते हुए यमुना नदी प्रयागराज के संगम में गंगा नदी में समाहित हो जाती है। गंगा की सहायक नदियों में सबसे लम्बी यमुना ही है। लाखों लोगों को जीवन देने वाली इस नदी का नाम अक्सर लोगों की जुबान पर चढ़ा रहता है। कभी इसमें बढ़ते प्रदूषण की चर्चा होती है तो कभी ये खुद को पर्यावरणीय चुनौतियों और शहरीकरण की बुराइयों से जुडी चर्चाओं में उलझा हुआ पाती है। फ़िलहाल यमुना में पानी का स्तर काफी ज़्यादा बढ़ने से दिल्ली और कई पड़ोसी शहरों और गांवों में तबाही मची हुई है।हालांकि, हम आपको इन बोझिल ख़बरों में नहीं उलझाएंगे और आपको इसके किनारों की सैर कराएंगे। यमुना नदी के किनारे पर ऐसी कई जगहें बसी और बनी हैं जो पूरी दुनिया में मशहूर हैं। हो सकता है कि आप इनके बारे में जानते हों लेकिन फिर भी एक बार हमारे साथ चलिए यमुना के किनारे-किनारे एक खूबसूरत से सफर पर…

यमुना के किनारे पर कुछ खजानों का सफ़र

उत्तराखंड के चंपासर ग्लेशियर से निकलकर हरियाणा, दिल्ली से होती हुई 1367 किलोमीटर का सफर तय करते हुए यमुना नदी प्रयागराज के संगम में गंगा नदी में समाहित हो जाती है। गंगा की सहायक नदियों में सबसे लम्बी यमुना ही है। लाखों लोगों को जीवन देने वाली इस नदी का नाम अक्सर लोगों की जुबान पर चढ़ा रहता है। कभी इसमें बढ़ते प्रदूषण की चर्चा होती है तो कभी ये खुद को पर्यावरणीय चुनौतियों और शहरीकरण की बुराइयों से जुडी चर्चाओं में उलझा हुआ पाती है। फ़िलहाल यमुना में पानी का स्तर काफी ज़्यादा बढ़ने से दिल्ली और कई पड़ोसी शहरों और गांवों में तबाही मची हुई है।हालांकि, हम आपको इन बोझिल ख़बरों में नहीं उलझाएंगे और आपको इसके किनारों की सैर कराएंगे। यमुना नदी के किनारे पर ऐसी कई जगहें बसी और बनी हैं जो पूरी दुनिया में मशहूर हैं। हो सकता है कि आप इनके बारे में जानते हों लेकिन फिर भी एक बार हमारे साथ चलिए यमुना के किनारे-किनारे एक खूबसूरत से सफर पर…

केरल का किताबों वाला गांव देखा है आपने?

केरल का एक गांव किताबों के शौक़ीन लोगों के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है। यह केरल और आम तौर पर भारत के लोगों के लिए बेहद गर्व की बात है। हम बात कर रहे हैं केरल के कोल्लम जिले के कुलक्कडा पंचायत के पेरुमकुलम गांव की।जून 2020 में, पेरुमकुलम के अनोखे छोटे से गांव को किताबों केगांव , या पुस्तक ग्रामम की उपाधि से सम्मानित किया गया, जिससे पेरुमकुलम केरल में अपनी तरह का पहला और भारत में दूसरा (पहला महाराष्ट्र में भिलार है) बन गया। यह गांव उस राज्य में आता है जहां 100 फीसदी साक्षरता दर है। अगर आप इस सुंदर से गांव में घूमने का प्लान बना रहे हैं तो यहाँ आपको सड़कों के किनारे और बाकी जगहों पर कई किताबों की अलमारियां मिलेंगी। इन बुकशेल्फ़ में आपको पढ़ने के लिए काफी कुछ मिलेगा, जैसे बच्चों के लिए किताबें, समाचार पत्र और पत्रिकाएं आदि । लोग बुकशेल्फ़ से किताबें लेने और उन्हें पूरा करने के बाद वापस लौटने के लिए स्वतंत्र हैं।

400 साल पुराना है सांगानेरी प्रिंट का इतिहास, एक बार यहां आना तो बनता है

अगर आप जयपुर में हों, तो शहर से सिर्फ 16 किमी दूर सांगानेर जरूर जाएं। सांगानेर कपड़ा और हस्तशिल्प उद्योगों में अपनी समृद्ध विरासत के लिए सबसे प्रसिद्ध है। क्या आपने सांगानेरी हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग के बारे में सुना है? प्रसिद्ध हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग इसी शहर से आती है, एक ऐसा कौशल जो पीढ़ियों से चला आ रहा है।

400 साल पुराना है सांगानेरी प्रिंट का इतिहास, एक बार यहां आना तो बनता है

अगर आप जयपुर में हों, तो शहर से सिर्फ 16 किमी दूर सांगानेर जरूर जाएं। सांगानेर कपड़ा और हस्तशिल्प उद्योगों में अपनी समृद्ध विरासत के लिए सबसे प्रसिद्ध है। क्या आपने सांगानेरी हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग के बारे में सुना है? प्रसिद्ध हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग इसी शहर से आती है, एक ऐसा कौशल जो पीढ़ियों से चला आ रहा है।

पहाड़ों से घिरा, बर्फ सा ठंडा उदयपुर घूमा है आपने ?

उदयपुर का नाम सुनते ही अक्सर जेहन में सिटी पैलेस, बड़ी सी लेक में बना एक महल, कुछ सुंदर से घाट और रंग बिरंगी बाजार की तस्वीरें आ जाती हैं, क्या हो कि उदयपुर में ऊंचे-ऊंचे पहाड़, बर्फ और ढेर सारी ठंडक मिल जाये! ऐसा बिलकुल मुमकिन है लेकिन इसके लिए आपको राजस्थान वाले उदयपुर को भूलकर हिमाचल प्रदेश वाले उदयपुर का रुख करना होगा। जी हां, सही पढ़ा आपने हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति में भी एक उदयपुर है जो बड़ी बड़ी इमारतों नहीं बल्कि पहाड़ों की ठंडक और कुदरती खूबसूरती के लिए मशहूर है। हिमाचल प्रदेश के लाहौल और स्पीति जिले में चंद्रभागा नदी के तट पर स्थित उदयपुर एक  खूबसूरत गांव है। इस सुंदर पहाड़ी गांव को कभी प्रसिद्ध मारकुला देवी मंदिर के कारण मारकुल के नाम से जाना जाता था, जिसे बाद में चंबा के शासक राजा उदय सिंह के सम्मान में 1695 ई। में बदलकर उदयपुर कर दिया गया।यह जगह बौद्ध और हिंदू दोनों के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है। इसका मुख्य कारण त्रिलोकनाथ मंदिर है, जो दुनिया का एकमात्र मंदिर है जहां हिंदू और बौद्ध दोनों पूजा करने आते हैं। यहां ऐसी कई जगहें हैं जो आप इस सुंदर से पहाड़ी गांव में आकर देख सकते हैं। 

चलिए हमारे साथ उत्तराखंड के देसी ज़ायके के सफर पर

भारतीय व्यंजन अपने मुंह में पानी ला देने वाले मसालों और जीभ पर आने वाले चटकारों के लिए पूरी दुनिया में मशहूर हैं। यहां के खाने से निकलने वाली खुशबू ही इतनी कमाल की होती है कि लोग उसी से खिंचे चले आते हैं। यहां के ज़्यादातर राज्यों का अपना अनूठा खाना है। ये खाना वहां के लोगों के स्वाद, उपज और मौसम को देखते हुए खास होता है। कहीं खाने में खट्टे और मीठे को मिक्स किये बिना कोई डिश पूरी नहीं होती तो कहीं तीखा के बिना लोगों के गले से निवाला नहीं उतरता। कहीं बिना चावल के खाना पूरा नहीं होता तो कहीं रोटी के बिना किसी का पेट नहीं भरता। खैर, जितने राज्य उतनी ही यर्ह के स्वाद और उतनी ही तरह के पकवान मिलकर ही इस देश के खाने को सबसे खास बनाते हैं। ऐसा ही एक राज्य है उत्तराखंड, जहां का देसी खाना भी इतना लाजवाब होता है कि इसके आगे आप इस्टाग्राम से फेमस हुई पहाड़ों वाली मैगी भी भूल जाएंगे। उत्तराखंड पंच फोरन या पांच मसालों और अन्य मसालों की किस्मों के सही इस्तेमाल के लिए मशहूर है। तो चलिए हम आपको बताते हैं यहाँ के 10 देसी व्यंजनों के बारे में…

देश के कोनों पर बसी सबसे सुन्दर जगहें

कहीं दूर जब दिन ढल जाए… यह गाना शायद आप सबने सुना होगा। हो सकता है कि आप में से कई लोगों को ये पसंद भी हो। मुझे ये गण तो पसंद है ही, दूर कहीं ढलते हुए दिन को देखना भी बेहद पसंद है। किसी ऐसी जगह जहां ज़्यादा भीड़ न हो, पहाड़ हों या समंदर हो या दूर तक फैला कोई मैदान जहां से ढलते हुए सूरज को उस जगह के आगोश में समाते हुए देखा जा सके। जहां चिड़ियों की चहचहाहट साफ़ सुनाई दे, जहां बहते पानी की आवाज़ हो या उठती गिरती लहरों की तरंगें, जहां हवा के छूकर निकलने का एहसास हो और मन सुकून से भर जाए। अब आप सोच रहे होंगे कि भला ये किसे नहीं पसंद होगा! बिलकुल, सच भी है ये। इसीलिए आज मैं आपको अपने साथ ले चलूंगी कुछ ऐसी जगहों पर जो अनूठे अनुभवों को खुद में समेटे हैं, जो घिसे पिटे रास्तों से नहीं, किस्से और कहानियों से आपके सफर को पूरा करेंगी, वो जगहें जो हमारे देश के कोनों पर हैं…

मसिनागुदी : हर तरह के टूरिस्ट्स को भाएगी यह जगह

आप एडवेंचर लवर हैं? वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर हैं? आपको हरियाली पसंद है? ऊंचाई से गिरते हुए झरनों का पानी देखना पसंद है? या नदियां पसंद हैं? कोई नई जगह घूमने की तलाश में रहते हैं? अगर आपको इनमें से कुछ भी पसंद है, या सबकुछ पसंद है तो मसिनागुदी आपके लिए परफेक्ट डेस्टिनेशन है तमिलनाडु के नीलगिरी जिले में बसा मसिनागुदी हर तरह के टूरिस्ट्स को पसंद आने वाली जगह है। इस जगह की एक खास बात ये भी है कि गर्मी हो या सर्दी, बारिश हो वसंत, यहां आप पूरे साल के किसी भी सीजन में जा सकते हैं। मुदुमलाई नेशनल पार्क के पांच रीजंस में से एक मसिनागुदी यहां के फेमस हिल स्टेशन ऊटी से सिर्फ 30 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां का हरियाली से भरा हुआ जंगल, फूलों, पौधों और जानवरों की अनगिनत प्रजातियां, ऊंचे झरने, गहरी नदियां इस जगह को पिक्चर परफेक्ट डेस्टिशन बनाने में कोई कसर नहीं छोड़तीं। अगर आपको वाइल्ड लाइफ सफारी का मजा लेना है या कैम्पिंग करनी है तो भी ये जगह आपको खुश कर देगी। यहां की मुदुमलाई वाइल्डलाइफ सेंचुरी, बांदीपुर नेशनल पार्क और तेपकड्डु एलिफेंट कैंप इसे एक बेहतरीन वाइल्डलाइफ हॉटस्पॉट बनाते हैं। यहां की मोयार नदी, पायकरा झील देखकर आपको ऐसा लगेगा जैसी कुदरत ने इस जगह अपनी सारी नेमतें न्योछावर कर दी हों। अगर आपका यहां जाने का प्लान बनता है तो हमारी ये स्टोरी आपके काम आ सकती हैं। हम आपको बता रहे हैं मसिनागुदी की 6 ऐसी जगहों के बारे में जहां की यात्रा आपके लिए यादगार हो सकती है।

जहां से आती है ताजमहल की सबसे खूबसूरत तस्वीर

दुनियाभर में घूमने की नयी जगहों की आए दिन खोज हो रही है। एक से एक नयी इमारतें बनकर तैयार हो रही हैं लेकिन मोहब्बत की निशानी की जब भी बात आती है तो सबसे पहले ताजमहल का ही नाम जुबां पर आता है। बीते कुछ साल में इसे लेकर कई गलत बातें भी चर्चा में रहीं लेकिन उससे इसकी लोकप्रियता पर कोई खास फर्क नहीं पड़ा। इसकी मंत्रमुग्ध कर देने वाली खूबसूरती में आज भी लोग खो जाते हैं। इसकी मेहराबों के तले बैठकर न जाने कितने जोड़ों ने मोहब्बत की कसमें खायी हैं। इसीलिए आप चाहे कभी भी इसे देखने जाओ यहां भीड़ ही मिलती है, इसके सामने एक ऐसा फोटो लेने की अदद हसरत शायद सबकी होती है जिसमें उसके और ताज के बीच कोई न आ रहा हो लेकिन ऐसा मुमकिन नहीं हो पता। अगर आप भी उन लोगों में से एक हैं तो हम आपको एक ऐसी जगह बता रहे हैं जहां की सुंदरता के तो आप कायल हो ही जाएंगे और वहां से ताज की एक अद्भुत तस्वीर भी ले पाएंगे। 

त्रिपुरा का उज्जयंता पैलेस बनने जा रहा है वीकेंड टूरिस्ट हब

त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में बने उज्जयंता पैलेस को एक वीकेंड टूरिस्ट सेंटर बनाया जा रहा है। जिस पूरे क्षेत्र में यह पैलेस खड़ा है, उसे हर शनिवार और रविवार को नो-ट्रैफिक जोन घोषित किया जाएगा। पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए यह उपाय किया जा रहा है। उज्जयंता पैलेस को पर्यटन केंद्र घोषित करना प्रमुख कदमों में से एक है। 

सांस्कृतिक विरासत की पहचान दार्जीलिंग की टॉय ट्रेन

दार्जीलिंग की सुंदर पहाड़ियों के बीच से गुजरती हुई एक छोटी सी टॉय ट्रेन अपनी ही धुन पर नाचती हुई सी चलती है। सुंदर चाय बागानों, हरी-भरी घाटियों और सुरम्य गांवों के बीच अपना रास्ता बनाते हुए, दार्जीलिंग हिमालयन रेलवे, हिल स्टेशन में ट्रांसपोर्टेशन के प्रमुख साधनों में से एक है। यह ट्रेन, जिसे टॉय ट्रेन के नाम से भी जाना जाता है, दार्जीलिंग के समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक विरासत का भी प्रतीक है। 

मोहनजो-दारो से जुड़े हैं बस्तर की इस कला के तार

भारत के दिल में बसे सांस्कृतिक रूप से समृद्ध क्षेत्र बस्तर में, एक सदियों पुरानी परंपरा निहित है जो कला प्रेमियों और इतिहासकारों को समान रूप से आकर्षित करती रहती है। उस कला का नाम है ‘ढोकरा’। ढोकरा कला, धातु ढलाई का एक अनूठा रूप है, जो पीढ़ियों से इस आदिवासी क्षेत्र में प्रचलित है। यह कला प्राचीन तकनीकों के इस्तेमाल व कुशल कारीगरों की मेहनत का बेहतरीन नमूना है। 

मोहनजो-दारो से जुड़े हैं बस्तर की इस कला के तार

भारत के दिल में बसे सांस्कृतिक रूप से समृद्ध क्षेत्र बस्तर में, एक सदियों पुरानी परंपरा निहित है जो कला प्रेमियों और इतिहासकारों को समान रूप से आकर्षित करती रहती है। उस कला का नाम है ‘ढोकरा’। ढोकरा कला, धातु ढलाई का एक अनूठा रूप है, जो पीढ़ियों से इस आदिवासी क्षेत्र में प्रचलित है। यह कला प्राचीन तकनीकों के इस्तेमाल व कुशल कारीगरों की मेहनत का बेहतरीन नमूना है। 

कम खर्चे में घूम सकते हैं आप भारत के पास के ये आइलैंड्स

जब रोज़मर्रा की भागदौड़ आपको परेशान कर रही हो और हर सोमवार आपको सज़ा जैसा महसूस हो, तो यह स्वीकार करने का समय आ गया है, 'मुझे छुट्टी की ज़रूरत है।' हालांकि लोगों को कई अलग- अलग शौक होता है लेकिन समुद्र तट पर हाथ में कोई ड्रिंक लेकर बैठना और लहरों को आते- जाते देखना शायद हर किसी को पसंद आता है। लेकिन ऐसी छुट्टियों के लिए अपने आपके बैंक अकाउंट को खाली देना भी ठीक नहीं होता। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि ज़्यादातर बीच डेस्टिनेशंस पर जाना- आना काफी महंगा होता है। पर कितना अच्छा हो अगर खर्चा कम हो और आपको अपनी मनपसंद जगह पर छुट्टियां बिताने का मौका भी मिल जाये। इसीलिए हम आपको बता रहे हैं अपने देश के आस-पास की कुछ ऐसी जगहें जो बेहद सुंदर तो हैं ही, वहां खर्चा भी काफी कम होगा। 

सुकून से भरी छुट्टियां बिताने के लिए परफेक्ट है तमिलनाडु की यह जगह

कन्याकुमारी तमिलनाडु में सबसे कम घूमी जाने वाली जगहों में से एक है। यह जिला राज्य के सबसे शांत जिलों में से एक है और आपकी शांति और सुकून से भरे ड्रीमी वैकेशन के लिए परफेक्ट है। वैसे तो जो भी कन्याकुमारी जाता है वह विवेकांनद मेमोरियल को देखने के बारे में सोचकर ही जाता है लेकिन यहां और भी बहुत कुछ है जो देखने लायक है। कन्याकुमारी में पोथायडी गांव आपके कन्याकुमारी घूमने की शुरुआत के लिए एक आदर्श जगह है। इस गांव में मुथुनंदिनी पैलेस सबसे सुंदर जगहों में से एक है, जो ऊबड़-खाबड़ पहाड़ियों और पेड़-पौधों से घिरा हुआ है। यहां की आबादी भी काफी कम है और आसपास बहुत से लोग नहीं हैं, इसलिए आप शांत छुट्टियां बिता सकते हैं।

अपने हैंडलूम के लिए मशहूर शहरों का सफर

भारत का कपड़ा उद्योग देश की बेमिशाल कलात्मक प्रतिभा और गहरी जड़ें जमा चुकी सांस्कृतिक विरासत का जीता जागता उदाहरण है। भारत का हर क्षेत्र अपनी अनूठी कपड़ा शैली को दिखाता है, जिसमें कांचीपुरम और वाराणसी की हाथ से बुनी रेशम साड़ियां और कोटा का कपड़ा सबसे मशहूर उदाहरण हैं। भारतीय परिधानों में इस्तेमाल कपड़ों, पैटर्न और बुनाई तकनीकों की विविधता बुनकरों के कौशल के बारे में काफी कुछ कहती है। हमारे देश में ऐसे कई शहर हैं जो हथकरघा की कलात्मक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।

बिहार में शुरू हो रहा है रिवर टूरिज्म, काफी कुछ है खास

बिहार के टूरिस्ट्स जल्द ही दो रो-रो (रोल-ऑन रोल-ऑफ) जहाजों की शुरुआत के साथ गंगा नदी पर रिवर टूरिज़्म का मज़ा ले सकेंगे। इसकी शुरुआत पटना और भागलपुर में होगी। पटना में यह सर्विस एक सप्ताह के भीतर शुरू हो जाएगी, जबकि भागलपुर में अभी भी वन विभाग से मंजूरी का इंतजार है। भागलपुर में पानी विक्रमशिला गंगा डॉल्फिन अभयारण्य तक है। इसलिए यह तय करना बेहद ज़रूरी है कि वेसेल सर्विस से लुप्तप्राय गंगा डॉल्फ़िन के आवास को कोई स्थायी नुकसान नहीं होगा।

दिल्ली में बन गया है पहला आउटडोर म्यूजियम, बहुत कुछ है देखने लायक

भारत के पहले आउटडोर म्यूजियम, शहीदी पार्क का हाल ही में दिल्ली में उद्घाटन किया गया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने कुछ दिन पहले पार्क का उद्घाटन किया था, जिसे दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने 4.5 एकड़ जमीन पर बनाया है। इस जगह पर मौजूद कलाकृतियां आपको प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक भारतीय इतिहास की झलक दिखाएंगी. रिपोर्ट्स की मानें तो इस पार्क को वेस्ट टू आर्ट थीम के तहत छह महीने में 700 कारीगरों के साथ 10 कलाकारों ने तैयार किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पार्क को बनाने के लिए लगभग 250 टन स्क्रैप का इस्तेमाल किया गया है।

दिल्ली में बन गया है पहला आउटडोर म्यूजियम, बहुत कुछ है देखने लायक

भारत के पहले आउटडोर म्यूजियम, शहीदी पार्क का हाल ही में दिल्ली में उद्घाटन किया गया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने कुछ दिन पहले पार्क का उद्घाटन किया था, जिसे दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने 4.5 एकड़ जमीन पर बनाया है। इस जगह पर मौजूद कलाकृतियां आपको प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक भारतीय इतिहास की झलक दिखाएंगी. रिपोर्ट्स की मानें तो इस पार्क को वेस्ट टू आर्ट थीम के तहत छह महीने में 700 कारीगरों के साथ 10 कलाकारों ने तैयार किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पार्क को बनाने के लिए लगभग 250 टन स्क्रैप का इस्तेमाल किया गया है।

दुनिया की वो जगहें जहां टूरिस्ट्स का जाना मना है

हम इंसान चाँद तक पहुंचने में कामयाब रहे हैं. कुछ ही वक़्त में शायद मंगल ग्रह पर भी कॉलोनी बन ही जाये. ऐसे में अगर कोई कहे कि धरती पर ही कुछ ऐसी जगहें हैं जहां हम नहीं जा सकते तो थोड़ा अजीब लगता है. लेकिन आपको शायद यह जानकार हैरानी होगी कि वाकई में ऐसा है. यहां, हम आपके लिए दुनिया भर की कुछ सबसे दिलचस्प जगहें लेकर आए हैं जो अभी भी लोगों की पहुंच से दूर हैं। 

अद्भुत है वो जगह जहां बुद्ध को ज्ञान मिला था

बिहार के खूबसूरत शहर बोधगया में भव्य महाबोधि मंदिर स्थित है। आध्यात्मिक ज्ञान के इस प्रतिष्ठित प्रतीक का अत्यधिक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है। यह मंदिर यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है क्योंकि यहीं पर बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था। 

अद्भुत है वो जगह जहां बुद्ध को ज्ञान मिला था

बिहार के खूबसूरत शहर बोधगया में भव्य महाबोधि मंदिर स्थित है। आध्यात्मिक ज्ञान के इस प्रतिष्ठित प्रतीक का अत्यधिक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है। यह मंदिर यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है क्योंकि यहीं पर बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था। 

दक्षिण भारत की सबसे खूबसूरत झीलें

बचपन से पढ़ते आए हैं कि भारत एक विविधताओं से भरा देश है। तब हम भले ही संस्कृति, भाषा-बोली और जलवायु के बारे में ये बात कहते थे लेकिन अब जब घूमने के बारे में बात होती है तब लगता है की यह देश नज़ारों के लिए भी उतना ही विविध है। यह देश अपने ऊंचे पहाड़ों, खूबसूरत झीलों, रेगिस्तानों, समंदर के किनारों, अद्भुत मंदिरों और न जाने कितनी ही खूबसूरत जगहों के लिए जाना जाता है। दक्षिण भारत में कुदरत इसकी सुंदरता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस दक्षिण भारतीय राज्य में हैं, कुछ शानदार प्राकृतिक खूबसूरती आपको यहां हर तरफ देखने को मिलेगी।  आज हम आपको बता रहे हैं भारत के दक्षिण में कुछ सबसे सुन्दर झीलों के बारे में…

क्या होता है तत्काल पासपोर्ट? इसे कैसे बनवाएं?

पासपोर्ट बनवाना काफी कठिन और समय लगने वाला प्रॉसेस माना जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि आप तत्काल योजना से भी पासपोर्ट बनवा सकते हैं। यह योजना तेजी से प्रॉसेसिंग के अलावा, पासपोर्ट बनवाने का एक आसान तरीका भी है, जिससे आपको आपका पासपोर्ट कुछ ही दिनों में मिल जाएगा।अगर आप भी इसे बनवाने के तरीके के बारे में जानना चाहते हैं तो यहां वो सारी जानकारी दी गई है जिसके बारे में आपको जानना जरूरी है।

सितंबर में घूमने के लिए 5 बेस्ट जगहें

कई लोग इस बात को मानते नहीं हैं लेकिन ये फैक्ट है कि भारत में घूमने की योजना बनाने के लिए सितंबर एक अच्छा महीना है। यह मानसून का आखिरी महीना है जो कुल मिलाकर सुखद मौसम का स्वागत करता है। यह महीना जुलाई और अगस्त के महीनों की तुलना में ठंडा होता है लेकिन आने वाले अक्टूबर और नवंबर के महीनों की तुलना में थोड़ा कम ठंडा। यह भारत में कम रेट्स पर होटल बुक करने का आखिरी 'ऑफ-सीज़न महीना' भी है। और सितंबर महीने की सबसे अच्छी बात यह है कि आपको कई टूरिस्ट्स प्लेसेस पर भारी भीड़ का सामना नहीं करना पड़ेगा। तो चलिए हम आपको बताते हैं भारत कि कुछ ऐसी जगहें जहां आप इस महीने अपना वेकेशन प्लान कर सकते हैं। 

दुनिया की सबसे ऊंची मोटोरेबल रोड का अपना ही रिकॉर्ड तोड़ने जा रहा है लद्दाख

सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने पूर्वी लद्दाख के डेमचोक सेक्टर में हानले के पास 64 किमी विस्तारित लिकारू-मिग ला-फुकचे सड़क बनाना शुरू कर दी है। एक बार जब यह रास्ता चालू हो जाएगा, तो यह सड़क मिग ला में 19,400 फीट की ऊंचाई पर दुनिया की सबसे ऊंची मोटर से जाने लायक सड़क का गौरव हासिल कर लेगी। फ़िलहाल, दुनिया की सबसे ऊंची मोटोरेबल रोड का ताज लद्दाख में उमलिंग ला के पास है, जो 19,024 फीट की ऊंचाई पर है। यह 52 किमी लंबी सड़क है जो एक्चुअल लाइन ऑफ़ कंट्रोल (एलएसी) के साथ चिशुमले को डेमचोक से जोड़ती है जो भारत और चीन के बीच एक विवादास्पद क्षेत्र है।

ट्रेकिंग करते समय ध्यान रखें ये बातें

ट्रेकिंग आजकल बहुत ज़्यादा ट्रेंड में है। चाहे घूमने के पुराने शौक़ीन हों या नया-नया एक्स्प्लोर करना शुरू किया हो, हर किसी को ट्रेकिंग करना पसंद आ रहा है। आलम तो ये है कि लोगों ने अपने-अपने शहरों में भी ट्रेकिंग स्पॉट्स ढूंढ लिए हैं। हालांकि, आज भी ज़्यादातर लोगों को ये नहीं पता है कि ट्रेकिंग के दौरान क्या सावधानियां बरतनी चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए। ट्रेकिंग करते समय कुछ बातों को ध्यान में रखना बहुत ज़रूरी है, चाहे आप अनुभवी हों, शुरुआती हों या अकेले ट्रेकर हों। हमने थीम को 3 अलग-अलग हिस्सों में बांटा है:1) हिमालय के क्षेत्र और कुछ ट्रेक जिन्हें आप देख सकते हैं 2) ट्रैकिंग के नियम 3) ट्रैकिंग के लिए क्या न करें?

अनूठेपन और खूबसूरती से भरी है स्पीति वैली

स्पीति घाटी आश्चर्यों से भरी हुई है। हिमाचली खूबसूरती को खुद में समेटे यह घाटी अपने खूबसूरत नज़रों और प्राचीन मठों के लिए दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करती है। अद्भुत प्रकृति से लेकर जीवन के अनूठे तरीके तक, स्पीति घाटी रहस्यों से भरी हुई है। यहां हम आपको बता रहे हैं स्पीति घाटी के बारे में कुछ आश्चर्यजनक तथ्य:

अनूठेपन और खूबसूरती से भरी है स्पीति वैली

स्पीति घाटी आश्चर्यों से भरी हुई है। हिमाचली खूबसूरती को खुद में समेटे यह घाटी अपने खूबसूरत नज़रों और प्राचीन मठों के लिए दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करती है। अद्भुत प्रकृति से लेकर जीवन के अनूठे तरीके तक, स्पीति घाटी रहस्यों से भरी हुई है। यहां हम आपको बता रहे हैं स्पीति घाटी के बारे में कुछ आश्चर्यजनक तथ्य:

राजस्थान की राजसी कहानी कहता अल्बर्ट हॉल म्यूजियम

जयपुर शहर के बीच बना अल्बर्ट हॉल संग्रहालय बेहदशानदार है! राजस्थान के शाही इतिहास और समृद्ध विरासत की कहानी कहता यह संग्रहालय इतिहास से लेकर वर्तमान तक की झलक पाने के लिए एक आदर्श जगह है। 19वीं शताब्दी के आखिर में बनाया गया अल्बर्ट हॉल म्यूजियम इतिहासकारों और कला प्रेमियों के लिए एक खजाना है। यह म्यूजियम 16 एकड़ में फैला हुआ है और राजस्थान की कलात्मक विरासत के बारे में बताता है। जयपुर में अल्बर्ट हॉल म्यूजियम राज्य का सबसे पुराना संग्रहालय है और यह राजस्थान का स्टेट म्यूजियम भी है। यह इमारत न्यू गेट के सामने शहर की दीवार के बाहर राम निवास गार्डन में स्थित है और इंडो-सारसेनिक वास्तुकला का एक बेहतरीन उदाहरण है। कलाकृतियों के अपने खास संग्रह और राज्य के समृद्ध इतिहास के लिए जाना जाने वाला, अल्बर्ट हॉल संग्रहालय तरसती आंखों के लिए एक उपहार है। यह संग्रहालय हर मायने में जयपुर का गौरव है। महाकाव्यों को उकेरने वाली ढालों, आभानेरी की मूर्तियों और ममी को देखकर आप मंत्रमुग्ध हो जाएंगे। 

विश्व पर्यटन दिवस विशेष : आस्था, श्रद्धा और विश्वास का उत्तर...

मैं मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम की जन्मस्थली हूं और नटखट कान्हा की भी। मैं तथागत बुद्ध की शरणस्थली हूं और अयोध्या छोड़ने पर माता सीता की भी। मेरे हृदय में ही गंगा, जमुना और सरस्वती का संगम होता है। मेरी रगों में बहती गंगा के घाटों पर पाप-पुण्य का लेखा जोखा होता है और मोक्ष भी मिलता है। मेरी काशी में कबीर ने जीवन के अनुभवों को दर्शाते दोहे लिखे तो चित्रकूट में तुलसी ने श्रीराम के दर्शन किए। कई पक्षियों और जानवरों को पनाह देते अभ्यारण्य मैंने बसाए हैं। कल-कल करते झरने और नदियां मेरी खूबसूरती बढ़ाते हैं। मैं वन्य जीव प्रेमियों के कौतूहल का उत्तर हूं। मैं घुमक्कड़ों की घुमक्कड़ी का उत्तर हूं। मंदिरों, मठों, स्तूपों में बसी आस्था, श्रद्धा और विश्वास का उत्तर हूं। मैं इतिहास का उत्तर हूं और वर्तमान का उत्तर हूं…। मैं उत्तर प्रदेश हूं। यूं तो घूमने के लिए हमारे देश में कई राज्य हैं। सब एक से एक खूबसूरत हैं और सबकी अपनी महत्ता है, लेकिन कहते हैं कि ‘यूपी नहीं देखा तो इंडिया नहीं देखा’। यह बात सोलह आने सच है। आपने ऊंचे-ऊंचे पहाड़ देख लिए, अथाह दूरी तक फैला समंदर देख लिया लेकिन अगर आस्था और विश्वास की डोर को मजबूती से बांधे राम और कृष्ण की जन्मभूमि मुझे यानी उत्तर प्रदेश को नहीं देखा तो वाकई आपने कुछ नहीं देखा। तो चलिए मेरे साथ, मेरे ही अद्भुत सफर पर और जानिए कि सिर्फ ताजमहल ही नहीं, मेरे पास घुमक्कड़ों को देने के लिए और भी बहुत कुछ है। विश्व पर्यटन दिवस पर चलिए मेरे साथ मेरे ही एक अनोखे सफर पर…

नए साल का जश्न मनाने के लिए ऑफबीट डेस्टिनेशन्स

फिर से साल का वह समय है पूरा देश पहले से कहीं ज़्यादा खूबसूरत हो जाता है। पहाड़ बर्फ की चादर ओढ़ लेते हैं और समन्दर के ऊपर निकलने वाले सूरज मन में ताजगी भर रहा है। इस मौसम में रेगिस्तान की रेत भी ठंडी हो जाती है और धूप गर्म नहीं, गुनगुनी लगती है। यह घर से बाहर निकलने और कहीं घूमकर आने का सबसे सही समय है। नए साल के लिए यात्रा की योजना बनाने का वक़्त भी आ ही गया है और अगर आप दिल्ली में हैं, तो ये योजना हमने आपके लिए बना दी है। हमने आपके लिए दिल्ली के पास कुछ बेहतरीन ऑफबीट डेस्टिनेशन्स की लिस्ट तैयार की है। वन्यजीवन के बेहतरीन अनुभवों से लेकर संस्कृति, विरासत और प्रकृति तक, इन जगहों में सब कुछ है। 

लक्षद्वीप : मूंगे की चट्टानों और खूबसूरत लगूंस का ठिकाना

अरब सागर के फिरोजी पानी, बेहद अनोखे समुद्री तट, अनदेखे झरने और खूबसूरत लगून से मिलकर बना है लक्षद्वीप। लक्षद्वीप, मिनीकॉय और अभिनदीप, इन तीनों को मिलाकर 1 जनवरी 1973 को लक्षद्वीप बना था।वैसे तो मलयालम भाषा में लक्षद्वीप का मतलब एक लाख द्वीप होता है, लेकिन यहां 36 द्वीप हैं और सभी बेहद सुंदर हैं, लेकिन इनमें से सिर्फ 10 द्वीप ही ऐसे हैं जहां आबादी है। इनमें से हम आपके लिए लेकर आए हैं कुछ खास जगह, जहां की यात्रा आपको रोमांच से भर देगी। यहां नारियल के पेड़ों की घनी छाया पूरे आसमान को ढकती हुई समंदर के फिरोजी पानी पर पड़ती है तब टूरिस्ट्स एकदम इसमें खो जाते हैं। लक्षद्वीप हमेशा से भारत के पसंदीदा टूरिस्ट डेस्टिनेशंस में से एक है, लेकिन पीएम मोदी के लक्षद्वीप जाने के बाद से इस जगह को लेकर लोगों में दिलचस्पी और ब्ध गई है। लक्षद्वीप में अगर पानी जमकर बरसता है, तो सूरज की किरणें भी भरपूर चमकती हैं। यहां के हर द्वीप से सूरज के उगने और डूबने का रंगीन नजारा देखा जा सकता है। सूर्यास्त के समय लगून पर डूबते सूरज की किरणों के अनोखे रंग अद्भुत पैदा करते हैं। सूरज के सामने अगर कोई छोटी नाव आ जाए तो यह दृश्य जैसे मन पर छप जाता है।  खास बात ये है कि यहां जैसे वॉटर स्पोर्ट्स शायद पूरे देश में आपको कहीं नहीं मिलेंगे। भारत में स्कूवा डाइविंग कई जगह होती है, हो सकता है आपने इसका मजा भी लिया हो, लेकिन एक बार लक्षद्वीप आकर स्कूवा डाइविंग करिए, आपको इस बात का यकीन हो जाएगा कि समंदर के अंदर ऐसा बहुत कुछ है, जो आपने मिस कर दिया था।  सागर की तलहटी में हजरों किस्म की मछलियां, मूंगे की बस्तियां, कछुए, ऑक्टोपस और समंदर के दूसरे जीवों के साथ कुछ समय बिताया जा सकता है। लक्षद्वीप के लगून सजे एक्वेरियम की तरह है। यह द्वीप समूह दक्षिण भारतीय राज्य केरल के समुद्री तट से करीब 200 से 300 किलोमीटर की दूर है। देश का सबसे छोटा केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप सिर्फ 32 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। लक्षद्वीप में पीने के पानी के स्रोत बिलकुल नहीं हैं। यहां बारिश के पानी को ही इकट्ठा करके इस्तेमाल किया जाता है। कुछ द्वीपों में कुएं बनाए गए हैं, जिनमें बारिश का पानी जमा किया जाता है और फिर इसे फिल्टर करके पीने लायक बनाया जाता है। नारियल, केला, पपीता और कुछ जंगली पेड़ पौधों के अलावा लक्षद्वीप में ज्यादा कुछ नहीं पैदा होता। मिट्टी न होने की वजह से कई सब्जियां नहीं उगाई जा पाती हैं। खाद्य सामग्री, सब्जियां और जरूरत की दूसरी चीजें कोच्चि से ही मंगाई जाती हैं।

इतिहास का खजाना है यह छोटा सा शहर

एक ऐसा शहर जहां मंदिर भी हैं, मस्जिद भी, किले भी हैं और स्तूप भी, गुफाएं भी हैं और पहाड़ भी, जिसका इतिहास भी कमाल का है और जो अपने वर्तमान से भी लोगों को आकर्षित करता है। हम बात कर रहे हैं पश्चिमी भारत में अरब सागर से लगे हुए गुजरात के जिले जूनागढ़ की। 

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यहां समय-समय पर हिंदू, बौद्ध, जैन और मुस्लिम, चार प्रमुख धर्मों का प्रभाव रहा है।

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यहां 36 द्वीप हैं और सभी बेहद सुंदर हैं, लेकिन इनमें से सिर्फ 10 द्वीप ही ऐसे हैं जहां आबादी है।

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