असली ताजमहल से कम खूबसूरत नहीं है ये 'दक्षिण का ताजमहल'
इतिहास
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मुगल बादशाह औरंगजेब ने 1637 में साफाविद वंश की पारसी राजकुमारी दिलरास बानो बेगम से शादी की। भले ही वह औरंगजेब की इकलौती बीवी नहीं थीं लेकिन उनकी पसंदीदा बेगम थीं। 20 साल की शादी में उनके पांच बच्चे हुए। पांचवी संतान मुहम्मद अकबर के जन्म के समय दिलरास बानो बेगम प्रसव के बाद होने वाले संक्रमण और बुखार से ग्रस्त हो गईं और 8 अक्टूबर 1657 को उनकी मौत हो गई। अपनी बेगम की मौत से दुखी औरंगजेब ने 1660 में उनके लिए मकबरा बनवाने की सोची। इस मकबरे का निर्माण कार्य को औरंगजेब के बेटे आजम शाह ने बनवाया और इसे बीबी का मकबरा नाम दिया गया और दिलरास बानो बेगम को राबिया-उद-दौरानी की उपाधि के साथ इसमें दफनाया गया।
उस समय इस मकबरे को बनवाने का खर्च 6 लाख 68 हजार 203 रुपये 7 आना आया था जबकि औरंगजेब ने इसके लिए 7 लाख रुपये का बजट दिया था। मकबरे के आर्किटेक्चर की जिम्मेदारी अताउल्लाह रशीदी और हंसपत राय को दी गई। 15000 स्क्वायर फीट के क्षेत्र में एक विशाल चारबाग के बीच मुख्य मकबरा बनाया गया। इसमें बाग, तालाब, फव्वारे और चलने के लिए अच्छा खासा रास्ता है। बाग की दीवारें काफी ऊंची हैं। इस वास्तु के निर्माण के लिए लगनेवाले पत्थर जयपुर की खदानों से लाये गए थे। मकबरे में राबिया-उद-दौरानी के शव को मुख्य मकबरे में नीचे दफनाया गया है और इस पर संगमरमर पर नक्काशी की हुई कब्र बनी है। यहां तक सीढ़ियों से उतरकर जाया जा सकता है। मकबरे के पश्चिम में एक मस्जिद भी है जिसे संभवत: मकबरे के निर्माण के बाद बनाया गया है। हालांकि, अब यहां नमाज नहीं होती।
आजमशाह इसे ताजमहल से भी ज्यादा भव्य बनाना चाहता था परंतु बादशाह औरंगजेब ने इसके निर्माण के लिए जो रकम दी थी उसमें यह मुमकिन नहीं था। बीबी के मकबरे का गुंबद संगमरमर से बनवाया गया और बाकी हिस्सा प्लास्टर से तैयार किया गया। यही वजह थी कि लोगों ने इसे उतना पसंद नहीं किया जितना ताजमहल को किया। कई लोगों ने तो इसे ताजमहल की सस्ती नकल भी बताया लेकिन दक्षिण में मुगल वास्तुकला की ये इकलौती इमारत है।
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