लक्षद्वीप : मूंगे की चट्टानों और खूबसूरत लगूंस का ठिकाना

अरब सागर के फिरोजी पानी, बेहद अनोखे समुद्री तट, अनदेखे झरने और खूबसूरत लगून से मिलकर बना है लक्षद्वीप। लक्षद्वीप, मिनीकॉय और अभिनदीप, इन तीनों को मिलाकर 1 जनवरी 1973 को लक्षद्वीप बना था।
वैसे तो मलयालम भाषा में लक्षद्वीप का मतलब एक लाख द्वीप होता है, लेकिन यहां 36 द्वीप हैं और सभी बेहद सुंदर हैं, लेकिन इनमें से सिर्फ 10 द्वीप ही ऐसे हैं जहां आबादी है। इनमें से हम आपके लिए लेकर आए हैं कुछ खास जगह, जहां की यात्रा आपको रोमांच से भर देगी। यहां नारियल के पेड़ों की घनी छाया पूरे आसमान को ढकती हुई समंदर के फिरोजी पानी पर पड़ती है तब टूरिस्ट्स एकदम इसमें खो जाते हैं।
लक्षद्वीप हमेशा से भारत के पसंदीदा टूरिस्ट डेस्टिनेशंस में से एक है, लेकिन पीएम मोदी के लक्षद्वीप जाने के बाद से इस जगह को लेकर लोगों में दिलचस्पी और ब्ध गई है। लक्षद्वीप में अगर पानी जमकर बरसता है, तो सूरज की किरणें भी भरपूर चमकती हैं। यहां के हर द्वीप से सूरज के उगने और डूबने का रंगीन नजारा देखा जा सकता है। सूर्यास्त के समय लगून पर डूबते सूरज की किरणों के अनोखे रंग अद्भुत पैदा करते हैं। सूरज के सामने अगर कोई छोटी नाव आ जाए तो यह दृश्य जैसे मन पर छप जाता है। खास बात ये है कि यहां जैसे वॉटर स्पोर्ट्स शायद पूरे देश में आपको कहीं नहीं मिलेंगे। भारत में स्कूवा डाइविंग कई जगह होती है, हो सकता है आपने इसका मजा भी लिया हो, लेकिन एक बार लक्षद्वीप आकर स्कूवा डाइविंग करिए, आपको इस बात का यकीन हो जाएगा कि समंदर के अंदर ऐसा बहुत कुछ है, जो आपने मिस कर दिया था। सागर की तलहटी में हजरों किस्म की मछलियां, मूंगे की बस्तियां, कछुए, ऑक्टोपस और समंदर के दूसरे जीवों के साथ कुछ समय बिताया जा सकता है। लक्षद्वीप के लगून सजे एक्वेरियम की तरह है। यह द्वीप समूह दक्षिण भारतीय राज्य केरल के समुद्री तट से करीब 200 से 300 किलोमीटर की दूर है। देश का सबसे छोटा केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप सिर्फ 32 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।
लक्षद्वीप में पीने के पानी के स्रोत बिलकुल नहीं हैं। यहां बारिश के पानी को ही इकट्ठा करके इस्तेमाल किया जाता है। कुछ द्वीपों में कुएं बनाए गए हैं, जिनमें बारिश का पानी जमा किया जाता है और फिर इसे फिल्टर करके पीने लायक बनाया जाता है। नारियल, केला, पपीता और कुछ जंगली पेड़ पौधों के अलावा लक्षद्वीप में ज्यादा कुछ नहीं पैदा होता। मिट्टी न होने की वजह से कई सब्जियां नहीं उगाई जा पाती हैं। खाद्य सामग्री, सब्जियां और जरूरत की दूसरी चीजें कोच्चि से ही मंगाई जाती हैं।
लक्षद्वीप का इतिहास

सोलहवीं शताब्दी में यहां का प्रशासन केन्नानूर के मुसलिम प्रशासकों के हाथ में आ गया था, लेकिन यहां के लोग उसकी निरंकुशता से तंग आ गए और मैसूर के टीपू सुल्तान से मदद की गुजरिश की। उस वक्त टीपू सुल्तान ने पांच द्वीपों पर कब्जा कर लिया। अब टीपू सुल्तान के नाम का एक भव्य समुद्री जहाज पर्यटकों को लक्षद्वीप ले जता है। समंदर के सफर के दौरान ज्यादातर पर्यटक अपने एसी केबिन से बाहर निकलकर डेक पर ही जमे रहते हैं। दोपहर में चलने वाला जहाज अगले दिन सुबह लक्षद्वीप पहुंच जता है। जहाज का अनुशासन भी सेना जैसा है। सुबह होते ही जहाज के जनसंपर्क अधिकारी यात्रियों को बताते हैं कि कावरती (लक्षद्वीप की राजधानी) आ गया है और सामान बांध लें। ज्यादातर पर्यटक सामान बांधने की बजाए लक्षद्वीप को पहली नजर से देखने के लिए डेक पर पहुंच ज़ाते हैं।
लक्षद्वीप के समुद्री तट
लक्षद्वीप समुद्री तटों और मूंगों की जमीन है। आप इस द्वीप पर यहां-वहां बिखरे पड़े आकर्षक मूंगों को देख सकते हैं। यह आकर्षक और खूबसूरत मूंगे इस जगह को विशेष बनाते हैं।जब आप हवाई जहाज से नीचे तक लक्षद्वीप को देखेंगे तो वाकई आपको इससे ज्यादा सुंदर कुछ नहीं लगेगा। दूर-दूर फैले इसके किनारे देखकर आपको ऐसा लगेगा जैसे वो आपको पास बुलाने की दावत दे रहे हों। भीड़ और शो-शराबे से दूर समंदर के किनारे पर बैठकर यहां सूरज को डूबते हुए देखने का मजा ही अलग है। यहां के लगून पर आप पक्षियों को निहारते और हवा की धुन पर थिरकते ताड़ के पेड़ों को देखते हुए समय बिता सकते हैं। कहीं पन्ने जैसा हरा पानी तो कहीं फिरोजा जैसा नीला पानी, देखकर आपको लगेगा इसमें तैरकर तो देखना ही चाहिए।
लक्षद्वीप में देखने लायक जगहें

वैसे तो यहां के 10 द्वीपों पर लोग रहते हैं, लेकिन कुछ ही जगह ऐसी हैं जहां पर्यटकों को जाने की आजादी मिलती है।
कवराट्टी
लक्षद्वीप के द्वीपों में कवराट्टी एक खूबसूरत लगून है। टूरिस्ट्स यहां अपना समय बेहरतरीन तरीके से बिता सकें इसके लिए यहां कई वॉटर स्पोर्ट्स भी होते हैं। कवराट्टी में कई बहुत ही खूबसूरत मस्जिदें भी हैं, जो समृद्ध प्राचीन भारतीय आर्किटेक्चर का अद्भुत नमूना लगती हैं। यहां एक एक्वेरियम भी है, जिसमें आप समंदर के अंदर की जिंदगी को बड़े करीब से देख सकते हैं। कवराट्टी में समंदर के किनारे बिछा रेत सफेद रंग का है और पानी पन्ने जैसे हरे रंग का। ये दोनों मिलकर बेहद ही खूबसूरत लगते हैं।
मिनिकॉय
आधे चांद के आकार में बने का लगून सबसे बड़ा है। इसकी खूबसूरती मालदीव के आइलैंड से किसी तरह कम नहीं है। इस द्वीप पर महत्वपूर्ण स्मारक के तौर पर 1885 में बना एक लाइटहाउस है। टूरिस्ट्स के रुकने के लिए यहां कई कॉटेज भी बने हैं।
काल्पेनी

काल्पेनी के तट पर वैसे तो कोई नहीं रहता लेकिन यहां एक बहुत बड़ा और छिछला लगून है। काल्पेनी शहर भारत का पहला शहर है, जहां लड़कियां सबसे पहले स्कूल गई थीं। काल्पेनी शहर में मोइदीन मस्जिद है, जो इस द्वीप के सबसे लोकप्रिय स्थानों में से एक है।
अगट्टी
अगट्टी में लक्षद्वीप का सबसे खूबसूरत लगून है। इस आइलैंड पर एयरपोर्ट भी बना है। यहां जब हवाईजहाज उतरता है, तो आसपास का नजारा देखने लायक होता है। एयरपोर्ट पर ही एक 20 बेड्स का टूरिस्ट्स कॉम्प्लैक्स भी है, जिसमें सभी जरूरी सुविधाएं हैं। यहां किराए पर साइकिल भी मिलती हैं, जिससे इस द्वीप की सैर कर सकते हैं। यहां के समंदर का पानी एक दम शीशे की तरह साफ और समुद्री जीवन बेहद सुंदर। यहां के स्नॉरकेलिंग और ग्लास बॉटम राइड जैसे वॉटर स्पोर्ट्स कमाल के हैं। अगट्टी के पास गोल्डन जुबली म्यूजियम और मोइउद्दीन मस्जिद देखने लायक जगहें हैं।
कदमात
लगभग 9.3 किलोमीटर में फैला कदमात आइलैंड, लक्षद्वीप द्वीपसमूह के अमीनदीवी का हिस्सा है। यहां की मूंगे की चट्टानें और सूरज को चूमते किनारे, फिरोजी पानी ये सब मिलकर इसे खास बनाते हैं। ये आइलैंड सिर्फ इंडियंस ही नहीं फॉरेनर्स को भी खूब भाता है। यहां कायाकिंग, स्नॉरकेलिंग, स्कूबा डाइविंग जैसे वॉटस स्पोर्ट्स का आप आनंद उठा सकते हैं।
बंगारम

ऐसा कहते हैं कि बंगारम आइलैंड आंसू के आकार का है। यहां का पानी टरक्वाइज ब्लू और किनारे पर सफेद रेत बिछी है। इसके साथ ही ताड़ के पेड़ों की लंबी कतारे हैं, जो धूप को आपके पास आने से रोकने की पूरी कोशिश करती दिखाई देती हैं। अगट्टी आइलैंड से बंगारम आइलैंड तक स्पीड बोट के जरिए 20 मिनट में पहुंचा जा सकता है। हनीमूनर्स के लिए भी ये आइलैंड बेस्ट है। यह ऐसी जगह है जहां आप पूरे दिन सिर्फ इसकी खूबसूरती को निहारते हुए बिता सकते हैं।
लक्षद्वीप कैसे पहुंचें?
क्रूज से लक्षद्वीप
लक्षद्वीप क्रूज इन दिनों बहुत लोकप्रिय हो रहा है। इस क्रूज पर लोगों के आराम की सारी सुविधाएं मौजदू हैं। 1962 से पहले तक, इस द्वीप से मुख्य जमीन को जोड़ने लिए कोई जहाज नहीं था। पहला जहाज 1962 में एमवी सी फॉक्स नाम से चला। इसके बाद तीन और जहाज शुरू हुएः एमवी अमीनदीवी (1974), एमवी भारतसीमा और एमवी टीपू सुल्तान (1988)। इसके कुछ ही वक्त बाद एमवी मिनिकॉय भी टीम में शामिल हुआ। हालांकि, मानसून के दौरान जहाज सेवा बंद रहती है।
हवाई मार्ग से

इस केंद्रशासित प्रदेश में अगट्टी में एयरपोर्ट है। केरल के शहर कोच्चि (कोचीन) से नियमित उड़ानें लक्षद्वीप जाती हैं। कोच्चि में एक अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट है, जो भारत के करीब-करीब सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
अगट्टी और कोच्चि के बीच उड़ान का वक्त सिर्फ एक घंटा और 30 मिनट है। इन द्वीपों पर पहुंचने के लिए पवन हंस हेलिकॉप्टर सर्विस भी उपलब्ध है। अगट्टी से आप (क्षेत्र के एक महत्वपूर्म शहर) कवराट्टी और मानसून में बंगारम पहुंचने के लिए हेलिकॉप्टर सेवा ले सकते हैं।
लक्षद्वीप में खरीदारी
लक्षद्वीप वैसे कोई शॉपिंग डेस्टिनेशन नहीं है। यहां लोग खरीदारी के लिए नहीं आते, बल्कि वे आराम करने और स्कूबा डाइविंग करने आते हैं और बाकी वॉटर स्पोर्ट्स के लिए आते हैं, लेकिन अगर आप यादगार के तौर पर कुछ खरीदना चाहते हैं तो आप कोरल शैल्स और ऑइस्टर्स से बने समुद्री हैंडीक्राफ्ट्स ले सकते हैं।
यह पता होना जरूरी है कि लक्षद्वीप में खरीदारी के लिए आलीशान मॉल्स, कई बाजार या बड़े एम्पोरियम नहीं है। आपको इस द्वीप पर कहीं-कहीं इक्का-दुक्का दुकानें दिख जाएंगी। सड़क किनारे लगने वाली स्टॉल्स और कुछ स्थानीय छोटी दुकानें भी आपको दिख सकती हैं।
पर्यटन के लिए सबसे अच्छा समय
लक्षद्वीप का मौसम सालभर खुशनुमा बना रहता है, लेकिन यहां अक्टूबर से अप्रैल के बीच यात्रा करना सबसे अच्छा है। यहां का तापमान आम तौर पर 30 डिग्री से ऊपर नहीं जाता।
खानपान
लक्षद्वीप में बनने वाला ज्यादातर भोजन दक्षिण भारतीय खानपान से प्रेरित है। सुबह नाश्ते में अप्पम, डोसा, इडली को प्राथमिकता दी जाती है। दोपहर के भोजन के लिए पत्तागोभी, ओलान, परिप्पू करी, प्लेनटेन इडिमाज पसंद किए जाते हैं। इस द्वीप पर मुस्लिम शासकों का शासन रहा है, इसलिए मांसाहारी पकवान जैसे कोझी मसाला, इराची वरुत्थातु और चिकन करी जैसे व्यंजन भी आपको यहां मिल जाएंगे।
यात्रा के लिए सलाह
लक्षद्वीप द्वीप समूह की यात्रा के लिए प्लानिंग जरूरी है। बिना यात्रा परमिट के आप लक्षद्वीप नहीं जा सकते और यह परमिट बनने में कम से कम दो दिन तक लग जाते हैं। अगर आप पीक सीजन में यात्रा की योजना बना रहे हैं तो लक्षद्वीप में रुकने की व्यवस्था करना मुश्किल हो जाता हे। इस वजह से यात्रा शुरू करने से पहले ही आप अपने रहने का ठिकाना ढूंढ लें। इस द्वीपसमूह पर रात को यात्रा न करें क्योंकि यह निर्जन द्वीप हैं।
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