अयोध्या को खूबसूरत बनाने वाली 10 शानदार जगहें
जब भी प्राचीन भारत के तीर्थों के बारे में बात होती है, तब उसमें सबसे पहले अयोध्या का नाम सबसे पहले आता है। प्राचीन भारत के सात सबसे पवित्र शहरों या सप्तपुरियों में से एक के रूप में मशहूर, अयोध्या सरयू नदी के किनारे बसी है। यह जगह श्रद्धालुओं के दिल में ख़ास जगह रखती है, आखिर यह मर्यादापुरुषोत्तम भगवान श्री राम की जन्मस्थली जो है। धार्मिक मान्यता है कि स्वयं देवताओं ने इसकी रचना की थी। आजकल श्री राम मंदिर बनने के कारण पूरी दुनिया में अयोध्या की चर्चा हो रही है, पर क्या आपको पता है कि अयोध्या में राम मंदिर के अलावा कई ऐसे प्रसिद्ध मंदिर, घाट और महल मौजूद हैं, जो न सिर्फ अयोध्या की शोभा बढ़ाते हैं बल्कि श्रद्धालुओं को श्री राम और उनसे जुड़ी कहानियों को महसूस करने का मौका देते हैं। यहां हम आपको ऐसी ही कुछ जगहों के बारे में बता रहे हैं जिससे जब कभी भी आपका अयोध्या के अध्यात्मिक वातावरण में सराबोर होने का मन करे तो आप बिना ज़्यादा सोच-विचार किए झट से वहां जाने की तैयारी कर लें।
राम की पैड़ी
राम की पैड़ी सरयू नदी के किनारे बसे घाटों में से एक है। माना जाता है कि भगवान राम इसी घाट से होकर सरयू में स्नान करने जाते थे। कहा जाता है कि एक बार जब लक्ष्मण जी ने सभी तीर्थों के दर्शन का मन बनाया तो श्री राम ने सरयू के इसी घाट पर खड़े होकर कहा कि जो व्यक्ति यहां सूरज निकलने से पहले स्नान करेगा, उसे सभी तीर्थों के दर्शन करने जैसा पुण्य मिलेगा। यही वजह है कि पूर्णिमा पर यहां स्नान का बहुत महत्व है। स्थानीय लोगों के लिए यह जगह किसी पिकनिक स्पॉट से कम नहीं है। यहां आने वाले सैलानी सरयू नदी के जल में नहाकर खूब आनंद लेते हैं। यहां का दीपोत्सव भी खूब प्रसिद्ध है जो हर साल ‘गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड’ में अपना नाम दर्ज कराता है। यह श्रद्धा का केंद्र तो है ही, साथ ही नदी के किनारे सुकून से परिवार के साथ वक्त बिताने का सुन्दर स्पॉट भी है। राम की पैड़ी पर दीवारों को म्यूरल आर्ट के जरिए सजाया गया है, जिसमें रामायण के प्रसंगों को मनमोहक चित्रों के रूप में दिखाया गया है।
हनुमानगढ़ी
अयोध्या की हनुमानगढ़ी से अनगिनत लोगों की आस्था जुड़ी है। कहते हैं कि आज भी यहां हनुमान जी अयोध्या की रक्षा कर रहे हैं। यह माना जाता है कि इस मंदिर के दर्शन किये बिना, रामलला का दर्शन अधूरा है, क्योंकि आज भी यहां हनुमानजी का वास है। इस मंदिर को लेकर यह मान्यता है कि लंका से लौटने के बाद भगवान राम ने अपने प्रिय भक्त हनुमान को यह जगह रहने के लिए दी थी, इसलिए इस जगह को ‘हनुमानजी का घर’ भी कहते हैं। सरयू नदी के दक्षिणी तट पर बसे हनुमानगढ़ी की दीवारों पर हनुमान चालीसा और चौपाइयां लिखी हुई हैं। इस मंदिर में हनुमानजी के दर्शन करने के लिए 76 सीढ़ियों से होकर जाना पड़ता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार यहां पर एक चोला चढ़ाने से हर दोष से मुक्ति मिल जाती है। यहां दिखने वाले ‘हनुमान निशान’ लोगों को हैरान करते हैं। हनुमानगढ़ी की गुप्त पूजा पद्धति बहुत खास है, देश में ऐसी पूजा और कहीं नहीं होती है। अगर आप अयोध्या आने के बारे में सोच रहे हैं, तो पहले हनुमानगढ़ी आकर भगवान राम के प्रिय भक्त ‘हनुमानजी’ के दर्शन जरूर करें।
कनक भवन
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की नगरी अयोध्या को भारत ही नहीं, पूरे विश्व में बसे हिन्दुओं के लिए सबसे पवित्र तीर्थों में से एक माना जाता है। पुण्य देने वाली सरयू नदी के गोद में बसी अयोध्या में कई ऐसे मंदिर हैं जो भक्तों को भगवान राम और उनके रामराज्य की याद दिलाते हैं, कनक भवन उन मंदिरों में से एक है। कनक भवन को लेकर यह कथा कही जाती है कि त्रेतायुग में मिथिला के महाराज जनक की सभा में, जब प्रभु श्री राम ने भगवान शिव के धनुष को तोड़ कर, माता सीता को अपनी पत्नी का स्थान दिया था, तब उस रात को प्रभु यह विचार करने लगे कि जनकनंदिनी सीता अब अयोध्या जाएंगी, वहां उनके लिए खूबसूरत भवन होना चाहिए। जिस क्षण भगवान के मन में यह विचार आया, उसी क्षण अयोध्या में माता कैकेयी को सपने में साकेत धाम वाला दिव्य कनक भवन दिखाई पड़ा। महारानी कैकेयी ने सपने में दिखे कनक भवन जैसा सुंदर भवन अयोध्या में बनाने की इच्छा रखी। महाराज दशरथ के आग्रह पर शिल्पी विश्वकर्मा ने कनक भवन बनाया। माता कैकेयी ने वह भवन अपनी बहू सीता को मुंह दिखाई में दिया। विवाह के बाद भगवान राम, माँ सीता के साथ इसी भवन में रहने लगे। द्वापरयुग में जब भगवान श्री कृष्ण अपनी पत्नी रुक्मिणी के साथ अयोध्या आए थे, तब उन्होंने कनक भवन की जर्जर हालत देखी और अपनी दिव्य दृष्टि से इस स्थान की महिमा जानकर अपने योगबल से भगवान राम और माता सीता की मूर्तियों को प्रकट कर उसी स्थान पर स्थापित कर दिया। यह मंदिर आज भी एक बड़े-सुंदर महल जैसा दिखता है। मंदिर का बड़ा आंगन इसकी सुन्दरता में चार चांद लगाता है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान राम, माता सीता, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न की मूर्ति विराजमान हैं, जिसमें भगवान राम और माता सीता ने सोने का मुकुट पहना है।
कनक भवन
सीता की रसोई
यह कोई रसोई नहीं बल्कि एक मंदिर है। इस मंदिर में भगवान राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के साथ-साथ माता सीता, उर्मिला, मांडवी और श्रुतकीर्ति की मूर्तियां हैं। सीता की रसोई में आज भी कुछ बर्तन जैसे बेलन और चकला मौजूद है। कहा जाता है कि माता सीता ने इस रसोई में पांच ऋषियों को खाना खिलाया था, जिसके बाद सीता जी को ‘अन्नपूर्णा माता’ कहा जाने लगा था। यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु रसोई के दर्शन के लिए आते हैं। इस रसोई के बगल में सीता कुंड भी है, जहां देवी सीता स्नान करती थीं। कुछ विद्वानों का मानना है कि सीता जी ने कम से कम एक बार इस रसोई में भोजन जरूर बनाया होगा। कुछ का मानना है कि जब देवी सीता अपने ससुराल पहुंचीं, तो शगुन के तौर पर उन्होंने परिवार के लिए इसी रसोई में भोजन तैयार किया था।
त्रेता के ठाकुर
त्रेता के ठाकुर अयोध्या के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यह मंदिर त्रेतायुग में जन्मे भगवान राम को समर्पित है। इस मंदिर की मूल संरचना 300 साल पहले कुल्लू के राजा ने बनवाई थी। मंदिर की मरम्मत सन् 1784 में मराठा रानी अहिल्याबाई होल्कर ने करवाई थी। इस मंदिर का बहुत धार्मिक महत्व है। यहां पर भगवान राम ने रावण पर अपनी विजय के उपलक्ष्य में ‘अश्वमेघ यज्ञ’ समारोह आयोजित किया था। यहां भगवान राम, माता सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और वशिष्ठ की मूर्तियां हैं जो काले बलुआ पत्थर से बनी हुईं हैं और पूरी तरह काली हैं। यह मंदिर कितना पुराना है, इस बात का पता महाकाव्य काल से लगाया जा सकता है, जो इसे न केवल धार्मिक स्थल बताता है बल्कि पौराणिक और पुरातात्विक महत्व का एक स्मारक भी बताता है। मंदिर का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व काफी हद तक अयोध्या शहर के आसपास के राजनीतिक और धार्मिक विवादों से प्रभावित था। हालांकि, शहर के विकास और आध्यात्मिक विरासत को बढ़ावा देने पर, नये सिरे से जोर देने से लोगों की रुचि त्रेता के ठाकुर जैसे मंदिरों में फिर से बढ़ी है।
गुप्तार घाट
अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि से करीब 11 किलोमीटर दूरी पर गुप्तार घाट स्थित है। पौराणिक मान्यता और अयोध्या मंदिर के पुजारी के अनुसार गुप्तार घाट ही वह घाट है जहाँ भगवान राम ने समाधि ली थी। अपने शरीर को इस घाट के जल में गुप्त कर लेने की वजह से ही इसे ‘गुप्तार घाट’ के नाम से जाना जाता है। सरयू नदी के इस घाट पर श्रद्धालु स्नान करने आते हैं, साथ ही मन्नत भी मांगते हैं। मान्यता है कि इस घाट के दर्शन करने और यहां आकर स्नान करने से पुण्य मिलता है और साथ ही साथ मनोकामना भी पूरी होती है। विकास की तमाम परियोजनाओं के कारण यह अयोध्या के सबसे चहेते सेल्फी और टूरिस्ट स्पॉट के तौर पर उभरा है।
गुप्तार घाट
तुलसी उद्यान
रामनगरी अयोध्या में स्थित तुलसी उद्यान इन दिनों सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र बना है। यहां रामचरितमानस के रचयिता ‘गोस्वामी तुलसीदास’ की मूर्ति स्थापित है। रामायण काल से ही यह हमारी आस्था और धार्मिक स्वतंत्रता का केंद्र रहा है। लेकिन क्या आपको पता है कि अभी जिसे आप तुलसी उद्यान के नाम से जानते हैं वह कभी ‘विक्टोरिया पार्क’ हुआ करता था। अंग्रेजों के जमाने में इसे विक्टोरिया पार्क के नाम से जाना जाता था। देश को आज़ादी मिलने के साथ ही राम नगरी अयोध्या को भी धार्मिक पाबंदी से आज़ादी मिल गयी। 28 दिसंबर, 1963 में अयोध्या की समाजसेवी ‘रीना शर्मा’ ने विक्टोरिया पार्क को ‘तुलसी उद्यान’ का नाम दिया, साथ ही विक्टोरिया की मूर्ति हटाकर सफेद संगमरमर के शानदार मंडप में गोस्वामी तुलसीदास की मूर्ति स्थापित कर दी। उत्तरप्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल ‘विश्वनाथ दास’ ने इस प्रतिमा का अनावरण किया था। यह कार्य रामनगरी अयोध्या को नई दिशा देने वाला बना।
बिड़ला मंदिर
भगवान राम और माता सीता को समर्पित यह मंदिर ज्यादा पुराना नहीं है। भारत के सबसे जाने माने औद्योगिक परिवार ‘बिड़ला परिवार’ ने बिड़ला मंदिर देश को विभिन्न हिस्सों में बनवाया। देश में 31 से ज्यादा मंदिर हैं, जो बिड़ला मंदिर के नाम से जाने जाते हैं। अयोध्या में स्थित, बिड़ला मंदिर में भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण जी की सफेद संगमरमर से बनी मूर्ति है। मंदिर का आंगन काफी भव्य है और इसके आस-पास की हरियाली, यहां आने वाले भक्तों का मन मोह लेती है। सड़क की भीड़ के बीच बना यह मंदिर लोगों को यहां आने के लिए विवश करता है, क्योंकि यहां समय बिताने से लोगों को मानसिक शांति मिलती है। कुल मिलाकर बिड़ला मंदिर उन लोगों के लिए देखने लायक है, जो हिंदू पौराणिक कथाओं और वास्तुकला में रुचि रखते हैं। मंदिर परिसर में एक हनुमान मंदिर, अयोध्या के इतिहास को प्रदर्शित करने वाला एक संग्रहालय और तीर्थयात्रियों के लिए एक धर्मशाला भी शामिल है। यह मंदिर पूरे साल बड़ी संख्या में भक्तों को आकर्षित करता है। दीपावली त्योहार के दौरान यहां भक्तों की भीड़ जमा हो जाती है।
बिड़ला मंदिर
वाल्मीकि रामायण भवन
राम नगरी अयोध्या में लगभग 8 हजार मठ-मंदिर हैं। सभी मठ-मंदिरों का अलग-अलग इतिहास और अलग-अलग मान्यताएं हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि रामनगरी अयोध्या में एक ऐसा भी मंदिर है, जहां महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण का उल्लेख पूरे मंदिर में किया गया है। दरअसल हम बात कर रहे हैं छोटी छावनी मंदिर के ठीक सामने स्थित वाल्मीकि रामायण भवन की। वाल्मीकि रामायण भवन आदिकवि वाल्मीकि के महान योगदान की याद दिलाता है। यह दिव्य भवन न सिर्फ अयोध्या की अध्यात्मिक भव्यता का प्रतीक है, बल्कि अनगिनत भक्तों की आस्था का केंद्र भी है। यह एक ऐसा मंदिर है, जहां रामायण के सभी 24 हजार श्लोक संगमरमर की दीवारों पर अंकित हैं। यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं को यहाँ की दीवारें खूब आकर्षित करती हैं।
दशरथ महल
अयोध्या का दशरथ महल एक प्रसिद्ध सिद्ध पीठ है। दशरथ महल, हनुमान गढ़ी से मात्र 100 मीटर की दूरी पर स्थित है। मान्यताओं के अनुसार ‘राजा दशरथ’ ने त्रेतायुग में इस महल की स्थापना की थी। इस महल की समय-समय पर कई बार मरम्मत भी की गई। दशरथ महल को बड़ा स्थान या बड़ी जगह के नाम से भी जाना जाता है। अब दशरथ महल एक पवित्र मंदिर के रूप में बदल चुका है। यहां भगवान राम, माता सीता, लक्ष्मण, शत्रुघ्न और भरत की मूर्तियां स्थापित हैं। मान्यता है कि राजा दशरथ अपने रिश्तेदारों के साथ यहां रहते थे। इस मंदिर का प्रवेश द्वार बहुत बड़ा और रंगीन है। इस परिसर में काफी संख्या में जमा होकर श्रद्धालु भजन-कीर्तन करते रहते हैं। दशरथ महल में राम विवाह, दीपावली, श्रावण मेला, चैत्र रामनवमी और कार्तिक मेला बेहद उत्साह और धूम-धाम के साथ मनाया जाता है।
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