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विंटर फेस्टिवल्स: मस्ती का फुल पैकेज

ठंड ने पूरी तरह से देश के अधिकतर हिस्से को अपनी गिरफ्त में ले लिया है। इसी के साथ देश में कुछ ऐसे विंटर फेस्टिवल्स भी शुरू हो जाएंगे, जो लोक-संस्कृति और कलाओं के अनोखे उदाहरण पेश करते हैं। ग्रासहॉपर के इस अंक में हम आपको देश के कुछ प्रसिद्ध विंटर फेस्टिवल्स के बारे में बताएंगे, जहां जाकर आप विभिन्न संस्कृतियों और विधाओं के बारे में जान पाएंगे, साथ ही कुछ बेहतरीन पलों का भी मजा ले सकते हैं।

राजस्थान की सर्दी में माउंट आबू विंटर फेस्टिवल का मजा

राजस्थान जितना खूबसूरत है, यहां की गर्मी उतनी ही खतरनाक भी है। कई टूरिस्ट तो यहां कि गर्मी के चलते घूमने का प्लान बनाने से पहले सौ बार सोचते हैं, लेकिन आपको बता दें रेत से घिरे इस रंग-रंगीले राज्य में एक हिल स्टेशन भी है। यह राजस्थान के सिरोही जिले में है, जिसे माउंट आबू नाम से जाना जाता है। माउंट आबू बेहद ही आकर्षक जगह है, जो टूरिस्ट को अपनी ओर खींच ही लेती है। यहां आने की एक खास वजह और है जिसके चलते देश-दुनिया से यहां टूरिस्ट पहुंचते हैं। दिसंबर के महीने में माउंट आबू विंटर फेस्टिवल आयोजित होता है। इस दौरान आपको यहां राजस्थान की संस्कृति के विविध रंग दिखाई देंगे। यह फेस्टिवल यहां राजस्थान सरकार, पर्यटन विभाग, म्युनिसिपल बोर्ड आदि की ओर से आयोजित किया जाता है। इसमें सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अलावा खेलकूद, कठपुतली नृत्य, डॉग शो, बोट रेस, योग और ध्यान जैसी गतिविधियों का आयोजन किया जाता है।

रण उत्सव: तीन महीने चलने वाला त्योहार

नमक के सफेद रेगिस्तान पर गूंजती संगीत की धुनें टूरिस्ट्स को गुजरात के कच्छ तक खींच लाती हैं। यहां जाड़े के मौसम में रण उत्सव का आयोजन होता है। तीन महीने चलने वाले रण उत्सव की शुरुआत नवंबर में हो जाती है। यह फेस्टिवल गुजरात की संस्कृति और परम्पराओं के प्रचार-प्रसार में अहम भूमिका निभाता है। इसमें गीत-संगीत, नृत्य के अलावा कलाकारों की ओर से विविध कलाओं का प्रदर्शन किया जाता हैं। दुनियाभर में मशहूर गुजरात का कच्छ रण उत्सव गुजरात के बारे में बहुत कुछ जानने का मौका देता है। रण उत्सव में अच्छा संगीत सुनने और नृत्य देखने के अलावा लजीज व्यंजन चखने का भी मौका मिलता है। यहां गुजरात के परम्परागत व्यंजनों के अलावा स्थानीय खानपान की चीजों का जायका भी कभी न भूलने वाला अनुभव साबित होता है।अगर आप भी गुजरात के रण महोत्सव का हिस्सा बनना चाहते हैं तो यहां आने से पहले अपने पास पहचान पत्र जरूर रख लें, इसके बगैर आपको इसमें प्रवेश नहीं मिल पाएगा। वहीं विदेशी टूरिस्ट्स को पासपोर्ट दिखाने पर ही प्रवेश मिलता है। अपने साथ डॉक्यूमेंट्स की कॉपी जरूर रखें। रण उत्सव खरीदारी के लिए भी मुफीद है। यहां आने वाले टूरिस्ट्स इस उत्सव में जमकर खरीदारी करते हैं।

कुंभलगढ़ विंटर फेस्टिवल में दिखता है पूरा राजस्थान

भारत को त्योहारों का देश कहा जाता है। तमाम संस्कृतियों, धर्म और सभ्यताओं की विविधता के चलते ही यहां मनाए जाने वाले उत्सवों की एक लंबी फेहरिस्त है। जाड़े के मौसम में देश में कई फेस्टिवल्स मनाए जाते हैं, जिसमें राजस्थान का कुंभलगढ़ फेस्टिवल बेहद खास है। इसमें आपको राजस्थान की लोक-सांस्कृतिक विरासत देखने को मिल जाएगी।

नागालैंड के मोआत्सू सफर फेस्टिवल का बनिए हिस्सा

लोक संगीत की मधुर धुन पर नाचते थिरकते नागालैंड के आओ नागा जनजाति के लोग हर चिंता भुलाकर जश्न में डूबे नजर आते हैं। यहां विशेष समुदाय के लोगों के बीच माओत्सू फेस्टिवल का काफी महत्व है। इसका मकसद ही चिंता फिक्र को भूलकर हंसने गाने और खुशी में झूमने का उत्सव मनाना है। पारंपरिक वेषभूषा में सजे आदिवासी जब अपनी धुनों पर नाचते हैं तो देखने वालों का मन भी उनके बीच पहुंचकर थिरकने का होने लगता है। माओत्सू फेस्टिवल 1 से 7 मई के दौरान मनाया जाता है। यह भारत में गर्मी के मौसम का सबसे बेहतरीन फेस्टिवल माना जाता है। इस फेस्टिवल को स्थानीय जनजाति के लोग फसल कटाई, घरों की मरम्मत, साफ-सफाई के काम और नई फसल को लगाने के बाद थकान और तनाव को मिटाने के उद्देश्य से मनाते हैं। इसमें महिलाएं आग के किनारे बैठे लोगों को मांस-मदिरा परोसकर उत्सव मनाती हैं।

गुलाबी शहर का रंगों भरा सफर

सफर, यही वो शब्द है जिसमें हम में से ज्यादातर की पूरी जिंदगी बीत जाती है। हम चाहें मंजिलों को पाने के लिए कितनी भी मेहनत कर लें, लेकिन आखिर में हमें जो याद रहता है, जिसके बारे में हम बात करते हैं और जिसकी कहानियां सुनाते हैं, वो सफर ही होते हैं। इसीलिए सफर हमेशा मुझे बेहद प्यारे लगते हैं। एक यात्रा के खत्म होते ही मैं तुरंत दूसरे सफर की तैयारी में लग जाती हूं, तो इस बार भी एक खूबसूरत से शहर की यात्रा मुकाम पर पहुंचने वाली थी। जयपुर जाने की प्लानिंग तो कई महीनों पहले ही हो गई थी, लेकिन बस वक्त तय नहीं हो रहा थाI इस दशहरे की छुट्टी में वो समय भी मिल गया जब ये प्लानिंग अपने अंजाम तक पहुंच सकती थी। हमने भी बिना देर करते हुए जयपुर की टिकट्स बुक करा लीं। लखनऊ से जयपुर जाने का सबसे अच्छा साधन बस है। तुंरत फ्लाइट बुक कराओ तो महंगी पड़ती है। ट्रेन का सफर तकरीबन 15 घंटे का है। ऐसे में बस ही बेस्ट ऑप्शन है, जो 9 घंटे में लखनऊ से जयपुर पहुंचा देती है। तो हमने भी वही किया, लखनऊ से 5 अक्टूबर की रात 10 बजे की स्लीपर बस से हम जयपुर के सफर पर निकल पड़े। बस में लेटकर गाने सुनते हुए, हम सुबह 7 बजे जयपुर पहुंच चुके थे।

भूटान घूमना चाहते हैं तो जुलाई से पहले कर लें प्लानिंग नहीं तो पड़ेगा महंगा

भारत और चीन के बीच हिमालय की गोद में बसे भूटान देश को अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। प्रकृति की हसीन वादियों के बीच यहां आकर पर्यटक आनंदित हो उठते हैं। अगर आप भी भूटान घूमना चाहते हैं, तो जुलाई से पहले की प्लानिंग कर लें। ऐसा इसलिए, क्योंकि भूटान जाने वाले भारतीयों को जुलाई से सतत विकास शुल्क (Sustainable Development Fee) के तौर पर 1200 रुपए देना पड़ेगा। इससे पहले यहां भारतीय पर्यटकों का प्रवेश नि:शुल्क था। आइए जानते हैं भूटान की खूबसूरत जगहों के बारे में।

कोरोना में चिड़ियों से अंखियां लड़ाना

क्या चल रहा है इन दिनों? कहने का मतलब, क्वारंटीन में आप किस तरह दिन बिताते हैं। क्वारंटीन के वक्त आप बाहर के लोगों से नहीं मिल रहे होंगे। पर क्या आपने ध्यान दिया इन सबके बीच कुछ मेहमान ऐसे भी हैं, आपके द्वारा तय की गई इन बंदिशों का नहीं मानते और रोज घर का मुआयना करने चले आते हैं। मुमकिन है आपको इन मेहमानों से मुलाकात पसंद आएगी क्योंकि कई दिनों से घर में रहते हुए अलग-अलग खिड़कियों से दिखने वाला नजारा अब याद हो गया होगा, लॉन में टहलते हुए चिड़ियों का झुंड दिखता होगा, छत पर शाम को टहलते हुए अगर आसमान में नजर गई होगी, तो नीड़ की ओर लौटती पक्षियों की कतार अभी भी जेहन में ताजा होगी।

ट्रैवल प्लान कैंसिल हुआ है फ्यूचर प्लानिंग तो नहीं

इस बार गर्मियों में आपने जो छुट्टियां प्लान की थीं, वह कोरोना संक्रमण के चलते या तो कैंसिल हो गईं या फिर आगे खिसक गईं। पैसों से लेकर ऑफिस की छुट्टियां जैसी काफी कैलकुलेशन के बाद बने प्लान का कैंसिल होना दुखद तो है। हालांकि, इसके बावजूद आपको उदास होने की जरूरत नहीं है क्योंकि सिर्फ प्लान ही कैंसिल हुआ है घूमने की फ्यूचर प्लानिंग तो नहीं। हम आपको बताएंगे कि कैसे लॉकडाउन के चलते जो खाली समय आपको मिला है उस दौरान आप अगली ट्रिप बेहतर तरीके से प्लान कर सकते हैं। 

आईआरसीटीसी ने 30 अप्रैल तक अपनी तीन ट्रेनों की बुकिंग रोकी

आईआरसीटीसी ने अपनी तीन प्राइवेट ट्रेनों का संचालन आगामी 30 अप्रैल तक निलंबित रखने का फैसला किया है। इन तीन प्राइवेट ट्रेनों में नई दिल्ली-लखनऊ के बीच चलने वाली तेजस एक्सप्रेस, मुंबई-अहमदाबाद तेजस और वाराणसी-इंदौर के बीच चलने वाली महाकाल एक्सप्रेस शामिल हैं। पहले इन ट्रेनों में टिकट की बुकिंग 25 मार्च से 15 अप्रैल तक बंद की गई थी। यह फैसला कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के चलते लिया गया था। हालांकि, यह उम्मीद जताई जा रही थी कि 15 अप्रैल के बाद लोग इन ट्रेनों में सफर कर सकेंगे लेकिन देश में तेजी से फैलते वायरस के चलते बड़ी संख्या में संक्रमित होते लोगों को देखते हुए इसे 30 अप्रैल तक बंद रखने का फैसला लिया गया है।

कोरोना से लड़खड़ा रहा अफ्रीका का वाइल्डलाइफ टूरिज्म

केन्या के शेल्ड्रिक वाइल्डलाइफ ट्रस्ट (SWT) में हाथी के अनाथ बच्चों को पहले की तरह ही बेफिक्र अंदाज में घूमते हुए देखा जा सकता है लेकिन इनकी अठखेलियों को देखने वाली टूरिस्टों की भीड़ गायब है, जो सामान्य दिनों में नजर आती थी। हाथी व जंगल में पाए जाने वाले अन्य जानवरों को देखने वाली भीड़ के गायब होने की वजह है कोरोना वायरस का प्रकोप। टूरिस्टों के न आने के चलते अब इनकी आमदनी भी बंद हो गई है।सील हुए बॉर्डर व एयरपोर्टकोरोना के बढ़ते प्रकोप के चलते ज्यादातर देशों ने अपने एयरपोर्ट बंद करने से लेकर बॉर्डर तक सील कर दिए हैं। इस वजह से अफ्रीका का वाइल्डलाइफ टूरिज्म सेक्टर मुश्किल में है। न सिर्फ कमाई के मामले में बल्कि विलुप्त होने की कगार पर खड़े जानवरों के बचाव के लिए चलाए जाने वाले प्रोजेक्ट भी रुक गए हैं। वाइल्डाइफ ट्रस्ट से जुड़े आधिकारियों का मानना है कि कोरोना वायरस के प्रभाव से अफ्रीका का वाइल्डलाइफ टूरिज्म सेक्टर महीनों नहीं बल्कि पूरे साल तक प्रभावित रह सकता है। यह अनिश्चिताओं से भरी इंडस्ट्री है, यही वजह है कि हम सभी इसे लेकर चिंतित हैं। 

टूरिस्ट के लिए कोरोना वायरस फ्री सर्टिफिकेट जारी करेगा तुर्की

कोराना वायरस (CoronaVirus) के कहर से दुनिया भर में टूरिज्म इंडस्ट्री जूझ रही है। ऐसे में टूरिज्म सेक्टर को दोबारा से पहले जैसा बनाने के लिए तुर्की ने एक नया तरीका निकाला है। तुर्की अब अपने फेमस टूरिस्ट स्पॉट्स को कोविड फ्री सर्टिफिकेट (Covid Free Certificate) देगा, ताकि पर्यटकों को फिर से आकर्षित किया जा सके। इसकी जानकारी तुर्की के कल्चर और टूरिज्म मिनिस्टर नूरी इरसोय ने दी।

World Book Day/ विश्व पुस्तक दिवस पर जानें मानचित्र और ऐटलस का सफर

किताबें, सैर कराती हैं दुनिया की। फूलों की, पत्तियों की, नदियों की, झरनों की, पहाड़ की, आसमान की, ज्ञान की, विज्ञान की, बदूकों की, तोपों की, बम और रॉकेटों की भी। अद्भुत, अनोखा, अनकहा और रोमांचक अहसासों से हमारे अंदर  निर्माण कराती हैं एक नए संसार का। पर क्या आपने सोचा है कि पहले दुनिया की सैर कैसे होती थी। वो नदी, झरने, पर्वत और रेगिस्तान के बारे में कौन बताता था। आज से लगभग 500 साल पहले जब गूगल (Google) नहीं था, सैटेलाइट नहीं थे और ऐटलस की किताब नहीं थी तो कैसे पता चलता था कि फलां देश समुद्र किनारे बसा है या फिर रेगिस्तान पर। आज तो बिना भटके हम फर्राटा भरते और कदम गिनते हुए अपनी मंजिल तक पहुंच जाते हैं लेकिन पहले कैसे पता चलता था कि कितने महाद्वीप हैं, कितने समुद्र हैं, लंदन कहां है, पेरिस किस चिड़िया का नाम है, अमेरिका कहां है, चीन कहां और रशिया कितना विशाल है। इन विभिन्न जगहों को खोजने के दौरान कितना भटकना पड़ता था? आज विश्व पुस्तक दिवस (World Book Day) पर हम आपको बताएंगे विश्व के पहले मानचित्र (Map) और किताब की शक्ल लेते ऐटलस के बारे में।

कोरोना के बाद ट्रैवल इंडस्ट्री में होंगे ये बदलाव

कोरोना काल के बाद क्या हम ट्रैवल (Travel) कर सकेंगे? अगर हां, तो कब, कैसे और किन जगहों पर। सवाल बड़े हैं और जटिल भी। कोरोना महामारी (Corona Pandemic) बढ़ने के साथ ही टूरिस्ट (Tourist) और ट्रैवल इंडस्ट्री (Travel industry) के सामने ऐसे कई सवाल मुंह बाए खड़े हैं। इसका जवाब यूं तो भविष्य के गर्भ में है लेकिन अभी से अनुमान जरूर लगाया जा सकता है। कोरोना काल गुजरने के बाद ट्रैवल इंडस्ट्री में ट्रैवलर्स के स्वास्थ्य से लेकर परिवहन व अन्य चीजों में बदलाव आना मुमकिन है। तो आइये जानते हैं कि कोरोना महामारी ट्रैवल इंडस्ट्री में किस तरह के बदलाव लाएगी।

घर बैठे ट्रैवल करो और देखो अपना देश

साल 2020 सर्द चादर ओढ़े बेफिक्र आगे बढ़ रहा था, दो महीने से ज्यादा समय बीत चुका था। घूमने के शौकीन या तो छुट्टियां मनाकर लौट रहे थे या फिर गर्मी की छुट्टियों की प्लानिंग कर रहे थे। इस प्लानिंग के बीच कोराना वायरस (Corona Virus) ने देश और दुनिया में घुसपैठ की, जिससे सभी के प्लान पर ब्रेक लग गया। अब जबकि लोग घरों में कैद रहने को मजबूर हैं, ऐसे में भारत की टूरिज्म मिनिस्ट्री (Tourism Ministry) ने लोगों को घर बैठे देश घुमाने का अनोखा तरीका निकाला है। टूरिज्म मिनिस्ट्री ने इंक्रेडिबल इंडिया (Incredible India) के बैनर तले देखो अपना देश (Dekho Apna Desh) नाम से ऑनलाइन सीरीज (Online Series) की शुरुआत की है। इसके तहत टूर ऑपरेटर्स (Tour Operators) विभिन्न राज्यों के अलावा कम चर्चित टूरिस्ट डेस्टिनेशन (Tourist Destination) और वहां की खासियत के बारे में विस्तार में बताएंगे। 

घर बैठे देखें दुनिया की शानदार स्ट्रीट आर्ट

शहरों के रंग सिर्फ किताबों (Books) में ही नहीं मिलते बल्कि वहां की गलियों और दीवारों और स्ट्रीट्स पर भी मिलते हैं। फिर चाहे वो बर्लिन की स्ट्रीट आर्ट (Street Art) हो या फिर कुंभ के दौरान प्रयागराज की गलियों में की गई कलाकारी हो। यह आर्ट महज चित्र नहीं हैं बल्कि उस शहर की संस्कृति और वहां के मिजाज के बारे में बताते हैं। घूमने के शौकीन यह बात अच्छी तरह से जानते हैं। यही वजह है कि बड़ी संख्या में लोग घूमने के लिए उन जगहों का चुनाव करते हैं, जहां स्ट्रीट आर्ट (Street Art) का मजा लिया जा सके। तो इस लॉकडाउन (Lockdown) के समय अगर आप वहां नहीं जा सकते तो हम आपको बता रहे हैं कि कैसे आप दुनियाभर की शानदार स्ट्रीट आर्ट्स का घर बैठे मजा ले सकते हैं।

जोगेश्वरी गुफा: मंदिर से जुड़ी आस्था

एक तरह से महाराष्ट्र गुफाओं का केन्द्र कहा जा सकता हैं। यहां छोटी-बड़ी मिलाकर तमाम गुफाएं हैं। जिनमें अजंता-एलोरा की गुफाएं तो पूरे विश्व में अपनी शानदार वास्तुकला के चलते प्रसिद्ध हैं। महाराष्ट्र में जोगेश्वरी गुफा मुंबई शहर के गोरेगांव स्टेशन से करीब 30 किलोमीटर दक्षिण में अंबोली गांव में मौजूद है। ये एक तरह का गुफा मंदिर भी है। इसमें प्रवेश करते ही आपको मूर्तियां देखने को मिल जाएंगी। इसमें तमाम मूर्तियां जोगेश्वरी माता, हनुमान और गणेश भगवान की हैं।धार्मिक महत्व के चलते भक्त इस गुफा में अपनी ओर से भी मूर्तियां स्थापित कर देते हैं। गुफा के अंदर आने वाले दर्शक इसकी भव्यता देखकर आश्चर्यचकित हो जाते हैं। गुफा के अंदर बने विशाल स्तम्भ भी हैं, जिनके ऊपर गुफा टिकी हुई है। बताया जाता है कि यह गुफा करीब 1500 साल पुरानी है। समय का प्रभाव इस गुफा पर अधिक पड़ा है, जिसकी वजह से अधिकांश मूर्तियां अपने प्राचीन स्वरूप में नहीं बची हैं।

लॉकडाउन में हो रहे हैं बोर तो करें ऑनलाइन इन म्यूजियम्स की सैर

कोरोना वायरस के बाद लॉकडाउन के चलते सभी पर्यटक स्थलों को बंद कर दिया गया था। अब जब पर्यटक स्थल खुलेंगे तो भी लोगों को विशेष ध्यान रखना होगा। लॉकडाउन के समय जब आप अपने घरों से ज्यादा घूमने फिरने नहीं जा सकते और बोर हो रहे हैं तो क्यों न घर में बैठकर कुछ ज्ञान बढ़ाया जाए। इस समय आप चाहें तो अपनी बोरियत को दूर करने और घुमक्कड़ी मन को शांत करने के लिए कुछ खास संग्रहालयों की वर्चुअल सैर कर सकते हैं। इससे आपका मनोरंजन भी होगा और जानकारी भी बढ़ेगी।आइए आपको लेकर चलते हैं कुछ ऐसे ही खास संग्रहालयों की ऑनलाइन सैर कराने-

मोशन सिकनेस: कहीं आपके सफर का मजा किरकिरा न कर दे

घूमने का शौक हो मगर यात्रा के दौरान सिर दर्द और चक्कर आना यानि मोशन सिकनेस की भी दिक्कत हो तो थोड़ी परेशानी तो होती ही है। लेकिन घूमने के शौकीन इन छोटी-मोटी परेशानियों से घबरा जाएं तो किस बात के घुमक्कड़। हां ये परेशानी कई बार आपके सफर को भले खराब कर देती है और आप बाकी लोगों की तरह एन्जॉय नहीं कर पाते। हम आपको कुछ ऐसे टिप्स बताएंगे जिन्हें अपनाकर आप इस परेशानी से भी छुटकारा पा सकते हैं और अपने सफर को एन्जॉय भी कर पाएंगे। 

ये मनमौजी डॉल्फिन मोह लेगी आपका मन...

वैसे तो दुनिया के कई हिस्‍सों में डॉल्फिन पाई जाती है, इनमें नदियां और समंदर दोनों ही शामिल हैं। भारत में पाई जाने वाली मीठे पानी की डॉल्फिन को गंगा डॉल्फिन के नाम से जाना जाता है और इसे लुप्तप्राय प्रजाति के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। यह भारत का राष्ट्रीय जलीय जीव भी है। वैसे तो नदियों में प्रदूषण और शिकार के कारण इनकी संख्‍या काफी कम है, इसी बात को ध्‍यान में रखते हुए केंद्र सरकार इसके संरक्षण के लिए प्रयास कर रही है। बिहार, उत्‍तर प्रदेश और असम की गंगा, चम्बल, घाघरा, गण्डक, सोन, कोसी, ब्रह्मपुत्र में पाई जाने वाली गंगा डॉल्फिन को सुसु भी कहा जाता है। कई जगहों पर स्‍थानीय लोग इसे सोंस और गंगा की गाय के नाम से भी पुकारते हैं। 

कोरोना के साथ टूरिज्म को पटरी पर लाने की तैयारी

देश में भले ही कोरोना वायरस का खतरा बढ़ रहा, लेकिन सरकार ने अनलॉक में सामूहिक कार्यक्रमों को छोड़कर लगभग सारी प्रक्रिया को फिर से शुरू करने की छूट दे रखी है। केंद्र सरकार देश के लोगों की आर्थिक और मानसिक स्थिति को नॉर्मल करने के लिए लॉकडाउन में पुरजोर ढील दे रही है। वहीं, दूसरी तरफ केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति राज्य मंत्री श्री प्रहलाद सिंह पटेल ने हाल ही में ट्वीट कर सभी स्मारकों को खोलने की सलाह दी है। उनके इस बयान के बाद अंदाजा लगाया जा रहा है कि जल्द ही देश में पयर्टन स्थल खुल जाएंगे। लम्बे समय से घरों में बंद रहे लोग कोरोना से निपटने की सावधानी को अपनाते हुए कई जगह पर सैर कर सकते हैं। आइए आपको बताते हैं कि कोरोना वायरस के इस संकट में आखिर भारत के अलावा किस देश ने अपने यहां के लोगों के लिए पर्यटन खोल दिया गया है।

प्रकृति का खूबसूरत तोहफा हैं कारगिल के गांव

घूमने वालों के लिए दुनियाभर में ढेरों जगह मौजूद हैं। मगर, इनमें कुछ खास ऐसी जगह भी हैं जिन्हें शब्दों में परिभाषित नहीं किया जा सकता है। उस क्षेत्र की खूबसूरती देखकर हर किसी का मनमोह जाता है। कुछ जगह ऐसी होती हैं जो कि अपनी तस्वीरों के जरिए ही लोगों को आकर्षित कर लेती हैं। इन्हीं जगहों में शामिल हैं लेह और लद्दाख। लेह में ही स्थित है वीर योद्धाओं के शौर्य का बखान करने वाली कारगिल चोटी। 1999 में भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध के बाद चर्चा में आई यह चोटी इस समय पर्यटन का मुख्य आकर्षण बन चुकी है। लेह-लद्दाख आने वाला हर शख्स कारगिल जरूर आना चाहता है। आइए हम आपको बताते हैं कि ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों और नीले रंग की दिखने वाली झीलों के आसपास कौन-कौन से खूबसूरत ठिकाने छिपे हुए हैं।

यहां माथा टेककर पूरी होगी मन की हर मुराद

क्यों सर जी! कोरोना ने गर्मी की छुट्टियों का कबाड़ा कर दिया न। आप ही नहीं, हर किसी के साथ ऐसा ही हुआ है। लोगों ने जो कुछ भी प्लान बनाया था, वह रेत के टीले की तरह भरभरा कर ढह गया। अब तो सारी कोशिशें जान बचाने की हैं। खैर जैसे यह वक्त आया है, देर-सवेर चला भी जाएगा। इस दौर के गुजरने के बाद आपको कहीं निकलना हो तो हमारे पास आपके लिए कुछ खास है। आज हम आपको उन जगहों पर ले चलेंगे जो खास हैं। विज्ञान व तर्क की कसौटी पर इन जगहों को अंधविश्वास से जोड़ा जाता है, लेकिन कुछ तो है जिससे करोड़ों लोग हर साल यहां खिंचे चले आते हैं। लोग आते हैं, अपनी अर्जियां लगाते हैं और मनौतियां पूरी होने पर मत्था टेकने भी आते हैं। अब अगर आप इन जगहों को खारिज करना चाहते हैं तो टेस्ट लेना सबसे मुनासिब तरीका होगा। आउटिंग की आउटिंग भी हो जाएगी और सच्चाई का पता भी चल जाएगा।

दिल्ली की लड़की: जो पहाड़ों को अपना दिल दे बैठी है

आपने कभी कहीं किसी कहानी में पढ़ा होगा कि अगर किसी चीज़ को शिद्दत से चाहो तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने में लग जाती है।  ये लाइन पढ़ने के बाद अगर अचानक शाहरुख़ खान याद आ जाए तो भी चलेगा।  बात इतनी सी है कि अगर आप कुछ ठान लेते हैं तो उस बात को पूरा होना ही होता है।  ऐसी ही थी मेरी पहाड़ों में जाने की चाहत, हालांकि अब इसमें आप सोच सकते हैं कि ये कैसी चाहत है जिसके लिए कायनात लगानी पड़ रही है तो जान लीजिये कि मन की ये चाहत कोरोना के समय में जागी थी। तब, जब दुनिया अपने घरों में थी, सब कुछ रुक गया था।  सड़कें खाली, आसमान साफ़ और चिड़ियों की आवाज़ सुनाई दे रही थी।  शोर नहीं था। 

एक गांव जो रात में हो जाता है 'भुतहा'

राजस्थान की धरा पर आपको बहुत ही कम गांव वीरान मिलेंगे। यहां पर जो गांव वीरान मिलेंगे, वह अपने आप में कोई रहस्य संजोये हुए होंगे। ऐसा ही है जैसलमेर का कुलधरा गांव। शहर से 18 किमी की दूरी पर बसा कुलधरा गांव रहस्यों की वजह से पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। 170 साल से वीरान पड़े इस गांव की गलियां कभी गुलजार हुआ करती थीं और यह काफी समृद्ध था। यहां के लोग अचानक एक ही रात में गांव खाली करके चले गए। पीले पत्थरों वाले शहर जैसलमेर की पहचान बड़ी-बड़ी हवेलियों के रूप में होती है। सोने की तरह चमकने वाली यहां की हवेलियां हर साल इसी मौसम में लोगों को अपनी तरफ आकर्षित कर लाती हैं। यहां पर हजारों साल पहले एक गांव बसाया गया था। इस गांव की पहचान हवेलियों के रूप में ही होती थी। हवेलियों वाले इस समृद्ध गांव को ऐसी नजर लगी कि यह गांव वीरान हो गया। यह गांव है जैसलमेर का कुलधरा। हर साल हजारों पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करने वाले इस गांव में अभी तक कई राज छिपे हुए हैं। आखिर इस गांव में रात को कोई क्यों नहीं रुका पाता है? इस रहस्य का पता लगाने का प्रयास लगातार जारी है। फिलहाल, रात में इस गांव में ऐसी वीरानियत छाती है कि इंसान तो क्या, पशु-पक्षी भी यहां से चले जाते हैं। 

कैलाश मानसरोवर यात्रा : धर्म, अध्यात्म और अनोखा सफर

कैलाश मानसरोवर यात्रा:आस्था के वैचारिक आयाम’ मशहूर लेखक ग़ज़ल गायक और नामी IAS डॉक्टर हरिओम की ताज़ा किताब है।इस किताब के ज़रिए उन्होंने 'यात्रा-आख्यान' विधा में बहुत कुछ जोड़ा-तोड़ा हैं।एक साहित्यिक तीर्थयात्री के बतौर हरिओम के पास वह स्वस्थ और साकांक्ष दृष्टिकोण है जिससे वह 'तीर्थयात्रा' को भी एक रम्य-आख्यान में बदल देते हैं। उनकी दृष्टि खुली और आलोचनात्मक है जिसके कारण वे तीर्थों के भूगोल में फैले व्यवसाय और कुव्यवस्था को भी सामने लाते हैं। आस्था शंका और तर्क से परे होती है जहाँ चिंतन और वैचारिकी का पूर्णत: समर्पण होता है। शायद इसीलिए आस्थावान भक्त अपने परलोक की चिंता में इहलोक के असहनीय कष्ट को झेल लेते हैं। हरिओम इस यात्रा में धर्म, अध्यात्म आदि पर न सिर्फ़ तार्किक दृष्टि से विचार करते हैं बल्कि समाज-मनोवैज्ञानिक विश्लेषण भी करते चलते हैं। उनके भीतर यह चिंता भी कायम है कि कैसे धर्म के 'धुंध और पीलेपन ने हमारे देश के सुंदर परिवेश का रंग चुरा लिया है।'यहाँ विकास और पर्यावरण के बीच के असंतुलन को भी बहुत शिद्दत के साथ रेखांकित किया गया है। कैलाश मानसरोवर तिब्बत में स्थित है जो अब चीन के अधीन है। हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार यह भगवान शिव का निवास स्थान है। यह हिन्दू के साथ-साथ बौद्ध, जैन और बोन तीनों धर्मों में पवित्र तीर्थ माना गया है। यात्रा में नेपाल की विपन्नता के सामने चीन की सम्पन्नता दिखती है लेकिन तमाम ऐसे सवाल हैं जो नेपाल और तिब्बत के सामाजिक आर्थिक जीवन के साझा सवाल हैं।भोले बाबा की जय' एक ऐसा वाक्य है जिसमें सारी अव्यवस्था ढँक जाती है। 'सेहत और सफाई का सवाल श्रद्धा और आस्था' के नीचे दब जाता है। इस यात्रा-आख्यान में रोमांच और रोचकता के साथ ही अद्भुत किस्सागोई है। नि:संदेह धार्मिक-आध्यात्मिक पक्ष के साथ ही भारत, नेपाल, तिब्बत और चीन के भूगोल, समाज, पर्यावरण, कूटनीति, विकास और सांस्कृतिक-राजनीतिक संबंधों को समझने में भी यह पुस्तक सहायक सिद्ध होगी।          कैलाश मानसरोवर यात्रा :आस्था के वैचारिक आयामलेखक-हरिओमअंतिका प्रकाशन दिल्ली मूल्य ३५० रुपए पृष्ठ-१४४किताब अमेजन पर भी उपलब्ध हैamazon.in/dp/B08Y74RGGXसीधे प्रकाशक से मंगवाने के लिए कृपया इस लिंक पर जाएँhttp://antikaprakashan.com/Author-Details.php?bid=Hariom

जूलरी से है प्यार? लॉकडाउन के बाद घूम लीजिएगा ये बाजार

जूलरी का नाम सुनते ही लोगों को लगता है कि अरे, इसका तो लेना-देना सिर्फ लड़कियों से है। अव्वल तो ये कि आजकल लड़के भी फैशन जूलरी के दीवाने हो गए हैं और दूसरा ये कि अगर लड़कियों का जूलरी से लेना है तो ये भी मान लीजिए कि देना तो लड़काें का भी काम है। इसलिए जो भी घूमने के शौकीन हैं, ये स्टोरी उन सबके लिए है। हम जब भी कहीं घूमने जाते हैं तो वहां की कुछ मशहूर चीजों की शॉपिंग किए बिना नहीं रह पाते। तो हम आपको बता रहे हैं ऐसी ही जगहों के बारे में जो घूमने के लिए तो बेहतरीन हैं ही यहां की जूलरी भी कमाल की होती है।

सुकून से भरी हैं ये जगहें, कुदरत भी है मेहरबान

जब भी घूमने की बात आती है तो लोग ऐसी जगहों पर जाना चाहते हैं जो मशहूर हैं। ये जगहें यकीनन खूबसूरत होती हैं लेकिन हर वक्त पर्यटकों से भरी रहती हैं। अगर आप लॉकडाउन के बाद कहीं घूमने का प्लान बना रहे हैं, कोविड की टेंशन ले-लेकर परेशान हो गए हैं तो हम आपको  बता रहे हैं दक्षिण भारत के कुछ ऐसे गांवों के बारे में जहां आपको ढेर सारा सुकून मिलेगा। 

अजंता-एलोरा ही नहीं, महाराष्ट्र की ये गुफाएं भी हैं खास

दुनिया खूबसूरती से भी भरी हुई है। यहां पेड़ हैं, पहाड़ हैं, बर्फ से लदी वादियां हैं। बलखाती इतराती नदियां हैं और तो और समंदर के किनारे छूने को बेकरार दिखती लहरें भी हैं। इसके अलावा भी दुनिया में ऐसा बहुत कुछ है, जो थोड़ा छिपा हुआ है। हम बात कर रहे हैं गुफाओं की। एडवेंचर पसंद करने वाले टूरिस्ट्स के लिए भारत में गुफाओं की कमी नहीं है। इस इश्यू में हम आपको महाराष्ट्र की प्रमुख गुफाओं के बारे में बताएंगे। इसमें अजंता-एलोरा जैसी वर्ल्ड फेसम गुफाएं तो हैं ही साथ ही छोटी-छोटी कई अन्य गुफाएं भी हैं, जिनकी बनावट देखकर आप हैरान रह जाएंगे।

खूबसूरत नक्काशी और गर्वीला इतिहास है इस जगह की पहचान

दक्षिण भारत के कर्नाटक राज्य में एक छोटा सा शहर है हम्पी। विजयनगर का यह शहर भले ही छोटा सा है, लेकिन इसका नाम यूनेस्को ने विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया है। कभी विजयनगर साम्राज्य की राजधानी रहा हम्पी आज भी अपनी कमाल की नक्काशी वाले मंदिरों के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। 

यूं ही नहीं ये जगह जन्नत कहलाती है

आशुतोष श्रीवास्तवये हसीं वादियां, ये खुला आसमां...। एआर रहमान की म्यूजिक पर बाला सुब्रमण्यम और एस चित्रा ने रोज़ा फिल्म के इस गाने को आवाज दी थी। अरविंद स्वामी और मधु पर फिल्माया गया मणिरत्नम की मूवी का गाना कश्मीर पर लगे आतंकवाद के ग्रहण की याद दिलाता है। आतंकवाद के चरम पर बनी यह मूवी हसीन वादियों में खौफ के पलों को अब भी ताजा कर देती है। तीन दशक तक आतंकवाद की आग में झुलसे कश्मीर में अब बहुत कुछ बदल चुका है। अब वहां न तो पत्थरबाजी की घटनाएं होती हैं और न ही पहले की तरह आतंकी घटनाएं। वादियों में टूरिज्म इंडस्ट्री पटरी पर लौट रही है और आपको बुला रही है।तो फिर देर किस बात की है? आप कोरोना के थमने का वेट मत कीजिए। जब भी मौका लगे धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर की एक ट्रिप लगा लीजिए। नोट बुक में लिख लीजिए। जो मजा आपको कश्मीर की वादियों में मिलेगा, वैसा आपको आज तक नहीं आया होगा। बर्फ, झील, घाटियों में शोर करके बहती नदियां व झरने। सब कुछ तो है यहां। अरे ये क्या, आप तो बैग पैक करने में ही जुट गए। कश्मीर ट्रिप के लिए बैग तो पैक करिए, लेकिन टिकट तो बुक करवा लीजिए। आप कश्मीर तक फ्लाइट और सड़क से पहुंच सकते हैं। हम आपको वहां की खूबसूरत जगहें और पहुंचने के बारे में बातें पूरी डिटेल में बताएंगे।

यूं ही नहीं ये जगह जन्नत कहलाती है

आशुतोष श्रीवास्तवये हसीं वादियां, ये खुला आसमां...। एआर रहमान की म्यूजिक पर बाला सुब्रमण्यम और एस चित्रा ने रोज़ा फिल्म के इस गाने को आवाज दी थी। अरविंद स्वामी और मधु पर फिल्माया गया मणिरत्नम की मूवी का गाना कश्मीर पर लगे आतंकवाद के ग्रहण की याद दिलाता है। आतंकवाद के चरम पर बनी यह मूवी हसीन वादियों में खौफ के पलों को अब भी ताजा कर देती है। तीन दशक तक आतंकवाद की आग में झुलसे कश्मीर में अब बहुत कुछ बदल चुका है। अब वहां न तो पत्थरबाजी की घटनाएं होती हैं और न ही पहले की तरह आतंकी घटनाएं। वादियों में टूरिज्म इंडस्ट्री पटरी पर लौट रही है और आपको बुला रही है।तो फिर देर किस बात की है? आप कोरोना के थमने का वेट मत कीजिए। जब भी मौका लगे धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर की एक ट्रिप लगा लीजिए। नोट बुक में लिख लीजिए। जो मजा आपको कश्मीर की वादियों में मिलेगा, वैसा आपको आज तक नहीं आया होगा। बर्फ, झील, घाटियों में शोर करके बहती नदियां व झरने। सब कुछ तो है यहां। अरे ये क्या, आप तो बैग पैक करने में ही जुट गए। कश्मीर ट्रिप के लिए बैग तो पैक करिए, लेकिन टिकट तो बुक करवा लीजिए। आप कश्मीर तक फ्लाइट और सड़क से पहुंच सकते हैं। हम आपको वहां की खूबसूरत जगहें और पहुंचने के बारे में बातें पूरी डिटेल में बताएंगे।

मोगली और शेरखान के अड्डे की सैर

नीरज अंबुजऐसा कहा जाता है कि रुडयार्ड किपलिंग की ‘जंगल बुक’ कान्हा नेशनल पार्क पर आधारित है। यहां दूर तक फैले घास के मैदान, साल और बांस के घनघोर जंगल,  उछलते-कूदते बारहसिंघे, ताल किनारे पानी पीते हिरण, पक्षियों के झुरमुट, जंगली भैंसे, अजगर, लंगूर, भालू, हाथी जंगल बुक के सारे किरदार आंखों के सामने उतर आते हैं।एक दिन अचानक नीरज पाहुजा जी का फोन आया। उन्होंने कान्हा नेशनल पार्क चलने को कहा। मैंने आधा घंटा मांगा और दस मिनट में ही हामी भर दी। पाहुजा जी पर्यटन अधिकारी हैं। अभी तक उनसे ख़बरों के सिलसिले में ही बात होती थी। पहली बार घूमने जा रहे थे। वन्यजीवों से उन्हें विशेष लगाव है। देश के ज्यादातर नेशनल पार्क घूम चुके हैं। दुधवा के तो लॉकडाउन में चार राउंड लगा चुके हैं। इनके पास जंगल की एक से बढ़कर एक दिलचस्प कहानियां हैं। लखनऊ से हम दोनों साथ में निकले। इलाहाबाद में एक साथी जितेन्द्र सिंह को लेना था। उम्र 50 साल, लेकिन चेहरे की रौनक से 35-40 से ज्यादा नहीं लगते हैं। बेहद सरल और सौम्य। वह हद दर्जे के सकारात्मक आदमी और बनारस के बड़े ट्रेवल एजेंट हैं। पिछले तीस वर्षों से फील्ड में सक्रिय हैं।हम लखनऊ से इलाहाबाद पहुंचे। रात होटल में गुजारी। जितेन्द्र सिंह से मिले। सुबह आठ बजे इलाहाबाद से रीवा, मैहर, कटनी, जबलपुर होते हुए कान्हा नेशनल पार्क पहुंचे। कान्हा मध्य प्रदेश के मंडला जिले में पड़ता है। यहां पर्यटकों की एंट्री के लिए मुक्की, किसली, सरही...गेट हैं। मुक्की गेट से हमारी चार सफारी बुक थीं। दो सुबह की थीं, दो शाम की। दिनभर के सफ़र  जब मुक्की पहुंचे तो वन विभाग की एक चौकी पड़ी। वहां एक पीली पर्ची काटी गई। पैसा एक ढेला नहीं लिया गया। पर, उस पर टाइम नोट कर दिया गया। ये माजरा कुछ समझ से परे था। जंगल में नौ किमी चलने के बाद मुक्की गेट आया। चौकी पर गाड़ी रुकवा ली गई। मैं नीचे उतरा। वनकर्मी ने पर्ची पर टाइम चेक किया। बोला, गाड़ी तेज चलाकर आए हो। चालान कटेगा। सड़क पर जगह-जगह मोड़ थे। स्पीड ब्रेकर थे। गाड़ी क्या आदमी भी यहां तेज क़दमों से नहीं चल सकता था। फिर चालान काहे का। वनकर्मी बोला, ये पीली पर्ची स्पीड टेस्ट के लिए है। नौ किलोमीटर में आधे घंटे लगने चाहिए थे। आप 27 मिनट में पहुंच गए। मैंने कहा, तीन मिनट के लिए क्या दो हजार का चालान काट दोगे? उसने कुछ सोचा, फिर बैरिकेड उठवा दिया। बोला, जाइए। गाड़ी धीमी चलाइयेगा।मुक्की गेट के बाहर ही मुक्की गांव है। यहीं पर शानदार बाघ रिजॉर्ट है। जिसमें लकड़ी का शानदार काम हुआ है। एथनिक लुक दिल मोह लेता है, फिर पक्षियों की भरमार भी है। रिजाॅर्ट के मालिक विष्णु सिंह गेट पर ही हमारा इंतजार कर रहे थे। उनसे मुलाकात हुई। उन्होंने डिनर भी हमारे साथ किया। वह यारबाज किस्म के इन्सान थे। थकान के बावजूद देर रात तक उनसे बात होती रही। सुबह 6.45 पर हमारी पहली सफारी थी। हमने विष्णु जी से साथ में चलने को कहा। उन्होंने बताया कि भरतपुर से उनके बचपन के मित्र आए हैं। उनके साथ कान्हा जाना है।सुबह पांच बजे उठे। हल्की-हल्की ठण्ड थी। जिप्सी ड्राइवर कमलेश ने कम्बल रखे। रिजॉर्ट से निकलकर मुक्की गांव देखा। गांव के सारे घर नीले रंग (नील) से पुते हुए थे। कमलेश ने बताया, यह गोंड आदिवासियों का इलाका है। उनकी शिव जी में गहरी आस्था रहती है। नीलकंठ की तरह घर भी नीले रखते हैं। गांव के किसी भी घर में फाटक भी नहीं थे। सिर्फ दो बल्लियां ऐसे लगाई गई थीं कि जानवर न घुस सकें। चोरी-चकारी का सवाल ही नहीं था। रास्ते में ढेरों महुआ के पेड़ दिखे। वहां महिलाएं दुधमुंहे बच्चों को किनारे रखकर महुआ के फूल बीन रही थीं।

मोगली और शेरखान के अड्डे की सैर

नीरज अंबुजऐसा कहा जाता है कि रुडयार्ड किपलिंग की ‘जंगल बुक’ कान्हा नेशनल पार्क पर आधारित है। यहां दूर तक फैले घास के मैदान, साल और बांस के घनघोर जंगल,  उछलते-कूदते बारहसिंघे, ताल किनारे पानी पीते हिरण, पक्षियों के झुरमुट, जंगली भैंसे, अजगर, लंगूर, भालू, हाथी जंगल बुक के सारे किरदार आंखों के सामने उतर आते हैं।एक दिन अचानक नीरज पाहुजा जी का फोन आया। उन्होंने कान्हा नेशनल पार्क चलने को कहा। मैंने आधा घंटा मांगा और दस मिनट में ही हामी भर दी। पाहुजा जी पर्यटन अधिकारी हैं। अभी तक उनसे ख़बरों के सिलसिले में ही बात होती थी। पहली बार घूमने जा रहे थे। वन्यजीवों से उन्हें विशेष लगाव है। देश के ज्यादातर नेशनल पार्क घूम चुके हैं। दुधवा के तो लॉकडाउन में चार राउंड लगा चुके हैं। इनके पास जंगल की एक से बढ़कर एक दिलचस्प कहानियां हैं। लखनऊ से हम दोनों साथ में निकले। इलाहाबाद में एक साथी जितेन्द्र सिंह को लेना था। उम्र 50 साल, लेकिन चेहरे की रौनक से 35-40 से ज्यादा नहीं लगते हैं। बेहद सरल और सौम्य। वह हद दर्जे के सकारात्मक आदमी और बनारस के बड़े ट्रेवल एजेंट हैं। पिछले तीस वर्षों से फील्ड में सक्रिय हैं।हम लखनऊ से इलाहाबाद पहुंचे। रात होटल में गुजारी। जितेन्द्र सिंह से मिले। सुबह आठ बजे इलाहाबाद से रीवा, मैहर, कटनी, जबलपुर होते हुए कान्हा नेशनल पार्क पहुंचे। कान्हा मध्य प्रदेश के मंडला जिले में पड़ता है। यहां पर्यटकों की एंट्री के लिए मुक्की, किसली, सरही...गेट हैं। मुक्की गेट से हमारी चार सफारी बुक थीं। दो सुबह की थीं, दो शाम की। दिनभर के सफ़र  जब मुक्की पहुंचे तो वन विभाग की एक चौकी पड़ी। वहां एक पीली पर्ची काटी गई। पैसा एक ढेला नहीं लिया गया। पर, उस पर टाइम नोट कर दिया गया। ये माजरा कुछ समझ से परे था। जंगल में नौ किमी चलने के बाद मुक्की गेट आया। चौकी पर गाड़ी रुकवा ली गई। मैं नीचे उतरा। वनकर्मी ने पर्ची पर टाइम चेक किया। बोला, गाड़ी तेज चलाकर आए हो। चालान कटेगा। सड़क पर जगह-जगह मोड़ थे। स्पीड ब्रेकर थे। गाड़ी क्या आदमी भी यहां तेज क़दमों से नहीं चल सकता था। फिर चालान काहे का। वनकर्मी बोला, ये पीली पर्ची स्पीड टेस्ट के लिए है। नौ किलोमीटर में आधे घंटे लगने चाहिए थे। आप 27 मिनट में पहुंच गए। मैंने कहा, तीन मिनट के लिए क्या दो हजार का चालान काट दोगे? उसने कुछ सोचा, फिर बैरिकेड उठवा दिया। बोला, जाइए। गाड़ी धीमी चलाइयेगा।मुक्की गेट के बाहर ही मुक्की गांव है। यहीं पर शानदार बाघ रिजॉर्ट है। जिसमें लकड़ी का शानदार काम हुआ है। एथनिक लुक दिल मोह लेता है, फिर पक्षियों की भरमार भी है। रिजाॅर्ट के मालिक विष्णु सिंह गेट पर ही हमारा इंतजार कर रहे थे। उनसे मुलाकात हुई। उन्होंने डिनर भी हमारे साथ किया। वह यारबाज किस्म के इन्सान थे। थकान के बावजूद देर रात तक उनसे बात होती रही। सुबह 6.45 पर हमारी पहली सफारी थी। हमने विष्णु जी से साथ में चलने को कहा। उन्होंने बताया कि भरतपुर से उनके बचपन के मित्र आए हैं। उनके साथ कान्हा जाना है।सुबह पांच बजे उठे। हल्की-हल्की ठण्ड थी। जिप्सी ड्राइवर कमलेश ने कम्बल रखे। रिजॉर्ट से निकलकर मुक्की गांव देखा। गांव के सारे घर नीले रंग (नील) से पुते हुए थे। कमलेश ने बताया, यह गोंड आदिवासियों का इलाका है। उनकी शिव जी में गहरी आस्था रहती है। नीलकंठ की तरह घर भी नीले रखते हैं। गांव के किसी भी घर में फाटक भी नहीं थे। सिर्फ दो बल्लियां ऐसे लगाई गई थीं कि जानवर न घुस सकें। चोरी-चकारी का सवाल ही नहीं था। रास्ते में ढेरों महुआ के पेड़ दिखे। वहां महिलाएं दुधमुंहे बच्चों को किनारे रखकर महुआ के फूल बीन रही थीं।

जुलाई में बारिश के साथ लें देशभर के इन फेस्टिवल्स का मज़ा

विविधता से भरे अपने देश में हर महीने पर्वों की खुशबू तैरती रहती है। हमारे त्यौहार साल भर अपने रंगों से पूरे भारत को रोशन किए रहते हैं। जुलाई का महीना पर्वों के साथ ही साथ मॉनसून वाला भी होता है। इस महीने जहां चारों तरफ हरियाली फैलना शुरू हो जाती है, वहीं जुलाई में कई त्यौहार भी होते हैं जो इस मौसम को और खास बना देते हैं।  मॉनसून में भला किसका घूमने का मन नहीं करेगा। जुलाई में मॉनसून काफी खुशनुमा एहसास दिलाता है और तभी घूमने में आनंद आता हैं। जी हां! अगर आप भी मॉनसून के इस खास महीने में अपनी फैमिली के साथ भारत में कहीं घूमने जाना चाहते हैं, तो फिर आपका इंतजार देश के खूबसूरत ठिकाने कर रहे हैं। भारत एक ऐसा देश है जहां पर हर धर्म और समुदाय के लोग अपनी संस्कृति का जश्न मनाते हैं। जुलाई महीने के विविध त्यौहार भी पर्यटकों के लिए भारतीय संस्कृति को देखने का सबसे अच्छा तरीका पेश करते हैं। जुलाई महीने में मॉनसून अपने पूरे रंग में रहता है, तो ऐसे में सुहाना मौसम इन फेस्टिवल्स की रौनक को दोगुना कर देता है। 

जुलाई में बारिश के साथ लें देशभर के इन फेस्टिवल्स का मज़ा

विविधता से भरे अपने देश में हर महीने पर्वों की खुशबू तैरती रहती है। हमारे त्यौहार साल भर अपने रंगों से पूरे भारत को रोशन किए रहते हैं। जुलाई का महीना पर्वों के साथ ही साथ मॉनसून वाला भी होता है। इस महीने जहां चारों तरफ हरियाली फैलना शुरू हो जाती है, वहीं जुलाई में कई त्यौहार भी होते हैं जो इस मौसम को और खास बना देते हैं।  मॉनसून में भला किसका घूमने का मन नहीं करेगा। जुलाई में मॉनसून काफी खुशनुमा एहसास दिलाता है और तभी घूमने में आनंद आता हैं। जी हां! अगर आप भी मॉनसून के इस खास महीने में अपनी फैमिली के साथ भारत में कहीं घूमने जाना चाहते हैं, तो फिर आपका इंतजार देश के खूबसूरत ठिकाने कर रहे हैं। भारत एक ऐसा देश है जहां पर हर धर्म और समुदाय के लोग अपनी संस्कृति का जश्न मनाते हैं। जुलाई महीने के विविध त्यौहार भी पर्यटकों के लिए भारतीय संस्कृति को देखने का सबसे अच्छा तरीका पेश करते हैं। जुलाई महीने में मॉनसून अपने पूरे रंग में रहता है, तो ऐसे में सुहाना मौसम इन फेस्टिवल्स की रौनक को दोगुना कर देता है। 

यहाँ के कण-कण में राम हैं…

प्रभु राम की नगरी अयोध्या का जिक्र आते ही आपके दिमाग में सबसे पहले क्या खयाल आता है? सरयू का घाट, हनुमानगढ़ी, कनक भवन और राम मंदिर सब जैसे नज़र के सामने घूमने लगता हो।पिछले कई महीनों या कहें सालों से अयोध्या जाने का प्लान बनता, हर बार किसी न किसी वजह से कैंसिल हो जाता, लेकिन इस बार तो हमने ठान ही लिया था कि चाहे जो हो जाए अयोध्या जाकर ही रहेंगे। फिर क्या सुबह चार बजे लखनऊ से अयोध्या के लिए निकल पड़े, हमारे बड़े बुजुर्ग भी कहते आए हैं कि जो भी करना है भोर में उठकर ही करना है। सुबह-सुबह हाइवे के दो तरफ खेतों में गेहूं की पकती बालियां, सरसों के कटते खेत, घोसलों को छोड़कर उड़ती चिड़िया और कहीं-कहीं पर सिर पर गठ्ठर उठाए महिलाएं भी दिखीं, उस दिन लगा कि जैसे सारी दुनिया हमें अयोध्या जाने के लिए विदा करने के लिए आ गई हो। कई घंटों के सफर के बाद आखिरकार हम अयोध्या पहुंच गए, अयोध्या बिल्कुल नई सी लग रही थी क्योंकि मैं सालों बाद यहां आयी थी। पिछले कुछ सालों में बहुत कुछ बदल गया था, मैंने खुद से कहा कि अब हम असली अयोध्या पहुंचे हैं।राम की नगरी में आने के बाद मन जैसे शांत हो गया हो। कोई उथल- पुथल नहीं थी दिमाग में बस जैसे कोई वैरागी स्थिर हो जाता है वैसे ही मैं बिल्कुल स्थिर थी। मंदिरों और दुकानों को पार करते हुए हम सीधे सरयू नदी के तट पर पहुंच गए, वो नदी जिसका उल्लेख रामायण में भी मिलता है। नदी तट पर पहुंचते ही हम कई घंटों तक नदी में नहाते रहे क्योंकि गर्मी और धूप से बचने का ये सबसे बेहतरीन तरीका था। सरयू में डुबकी लगाते ही ऐसे लगा कि जैसे कई महीनों की थकान आज मिट गई हो, हम अपने दुख परेशानी सब नदी में बहा आए हों। सारे पाप, दुख, दर्द को सरयू ने हमसे बिल्कुल वैसे ले लिया हो जैसे मां अपने बच्चे से उसकी तकलीफें ले लेती है।

यहाँ के कण-कण में राम हैं…

प्रभु राम की नगरी अयोध्या का जिक्र आते ही आपके दिमाग में सबसे पहले क्या खयाल आता है? सरयू का घाट, हनुमानगढ़ी, कनक भवन और राम मंदिर सब जैसे नज़र के सामने घूमने लगता हो।पिछले कई महीनों या कहें सालों से अयोध्या जाने का प्लान बनता, हर बार किसी न किसी वजह से कैंसिल हो जाता, लेकिन इस बार तो हमने ठान ही लिया था कि चाहे जो हो जाए अयोध्या जाकर ही रहेंगे। फिर क्या सुबह चार बजे लखनऊ से अयोध्या के लिए निकल पड़े, हमारे बड़े बुजुर्ग भी कहते आए हैं कि जो भी करना है भोर में उठकर ही करना है। सुबह-सुबह हाइवे के दो तरफ खेतों में गेहूं की पकती बालियां, सरसों के कटते खेत, घोसलों को छोड़कर उड़ती चिड़िया और कहीं-कहीं पर सिर पर गठ्ठर उठाए महिलाएं भी दिखीं, उस दिन लगा कि जैसे सारी दुनिया हमें अयोध्या जाने के लिए विदा करने के लिए आ गई हो। कई घंटों के सफर के बाद आखिरकार हम अयोध्या पहुंच गए, अयोध्या बिल्कुल नई सी लग रही थी क्योंकि मैं सालों बाद यहां आयी थी। पिछले कुछ सालों में बहुत कुछ बदल गया था, मैंने खुद से कहा कि अब हम असली अयोध्या पहुंचे हैं।राम की नगरी में आने के बाद मन जैसे शांत हो गया हो। कोई उथल- पुथल नहीं थी दिमाग में बस जैसे कोई वैरागी स्थिर हो जाता है वैसे ही मैं बिल्कुल स्थिर थी। मंदिरों और दुकानों को पार करते हुए हम सीधे सरयू नदी के तट पर पहुंच गए, वो नदी जिसका उल्लेख रामायण में भी मिलता है। नदी तट पर पहुंचते ही हम कई घंटों तक नदी में नहाते रहे क्योंकि गर्मी और धूप से बचने का ये सबसे बेहतरीन तरीका था। सरयू में डुबकी लगाते ही ऐसे लगा कि जैसे कई महीनों की थकान आज मिट गई हो, हम अपने दुख परेशानी सब नदी में बहा आए हों। सारे पाप, दुख, दर्द को सरयू ने हमसे बिल्कुल वैसे ले लिया हो जैसे मां अपने बच्चे से उसकी तकलीफें ले लेती है।

ज्वालामुखी के ऊपर बसे हैं ये खूबसूरत शहर

आज से लगभग 14.5 करोड़ साल पहले जुरासिक युग के अंत के पांच प्रमुख कारणों में से एक ज्वालामुखियों में हुए विस्फोट को भी माना जाता है। ज्वालामुखियों में विस्फोट कई बार परमाणु बम जितने शक्तिशाली और विनाशकारी भी होते हैं। क्या आपको लगता है ऐसे विनाशकारी खतरों के बीच कोई शहर बस सकता है? अगर आपका जवाब न है, तो आपको जानकार आश्चर्य होगा कि दुनिया के कई ऐसे शहर हैं जो ज्वालामुखियों के नज़दीक आबाद हैं। यहां की रौनक तो देखते ही बनती है।आखिर लोग ज्वालामुखी जैसी खतरनाक जगहों पर क्यों बसे हुए हैं?  "हम अक्सर ज्वालामुखियों को एक खलनायक के रूप में देखते हैं, पर उनको देखने का ये सही नजरिया नहीं है।" ये शब्द हैं अमेरिका के भूवैज्ञानिक सर्वे की रिसर्चर सारा मैकब्राइड के। सिर्फ इसलिए कि एक ज्वालामुखी मौजूद है, ये जरुरी नहीं कि ये विनाशकारी ही हो। यहां तक कि बहुत से लोग सिर्फ अपने अस्तित्व के लिए ज्वालामुखियों पर निर्भर हैं। ज्वालामुखी के भूतापीय ऊर्जा से आस-पास के समुदायों अपने तकनीकी सिस्टम को आसानी से ऑपरेट कर पाते हैं। माना जाता है कि सक्रिय ज्वालामुखियों के पास की मिट्टी अक्सर खनिज से भरपूर होती है जो खेती के लिए फायदेमंद होती है। आइए आपको हम कुदरत के इसी खजाने की सैर पर ले चलते हैं। 

ज्वालामुखी के ऊपर बसे हैं ये खूबसूरत शहर

आज से लगभग 14.5 करोड़ साल पहले जुरासिक युग के अंत के पांच प्रमुख कारणों में से एक ज्वालामुखियों में हुए विस्फोट को भी माना जाता है। ज्वालामुखियों में विस्फोट कई बार परमाणु बम जितने शक्तिशाली और विनाशकारी भी होते हैं। क्या आपको लगता है ऐसे विनाशकारी खतरों के बीच कोई शहर बस सकता है? अगर आपका जवाब न है, तो आपको जानकार आश्चर्य होगा कि दुनिया के कई ऐसे शहर हैं जो ज्वालामुखियों के नज़दीक आबाद हैं। यहां की रौनक तो देखते ही बनती है।आखिर लोग ज्वालामुखी जैसी खतरनाक जगहों पर क्यों बसे हुए हैं?  "हम अक्सर ज्वालामुखियों को एक खलनायक के रूप में देखते हैं, पर उनको देखने का ये सही नजरिया नहीं है।" ये शब्द हैं अमेरिका के भूवैज्ञानिक सर्वे की रिसर्चर सारा मैकब्राइड के। सिर्फ इसलिए कि एक ज्वालामुखी मौजूद है, ये जरुरी नहीं कि ये विनाशकारी ही हो। यहां तक कि बहुत से लोग सिर्फ अपने अस्तित्व के लिए ज्वालामुखियों पर निर्भर हैं। ज्वालामुखी के भूतापीय ऊर्जा से आस-पास के समुदायों अपने तकनीकी सिस्टम को आसानी से ऑपरेट कर पाते हैं। माना जाता है कि सक्रिय ज्वालामुखियों के पास की मिट्टी अक्सर खनिज से भरपूर होती है जो खेती के लिए फायदेमंद होती है। आइए आपको हम कुदरत के इसी खजाने की सैर पर ले चलते हैं। 

IRCTC के इस टूर पैकेज से सस्ते में घूम सकेंगे हिमाचल

अगर नए साल में सस्ते में हिमाचल प्रदेश घूमना चाहते हैं तो आईआरसीटीसी के कुछ नए पैकेज आपके काम आ सकते हैं। इनमें से एक पैकेज ऐसा है जो 8 जनवरी से शुरू हो रहा है। अगर आप राजस्थान के अजमेर शहर या उसके आस-पास रहते हैं तो ये आपने काफी काम आ सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह टूर पैकेज अजमेर से शुरू होगा और आपको चंडीगढ़, शिमला, मनाली घुमाएगा। 

बर्फबारी के कारण बंद हुईं हिमाचल की सड़कें, पहाड़ों पर घूमने का प्लान करें कैंसिल

अगर आप उत्तर भारत के पहाड़ी राज्यों में फिलहाल घूमने की तैयारी कर रहे हैं तो उसे कुछ वक्त के लिए ताल दें। उत्तर भारत के कई हिस्से पिछले कुछ दिनों से शीतलहर की चपेट में हैं, लद्दाख के पदुम शहर में सोमवार को तापमान -25 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, अगले कुछ दिनों तक ठंड की स्थिति जारी रहने की संभावना है। मौसम एजेंसी ने यह भी कहा कि उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश सहित उत्तर भारत के कुछ या कई हिस्सों में रात या सुबह के समय घना कोहरा अगले पांच दिनों तक जारी रहने की संभावना है।इस बीच, हिमाचल प्रदेश में भी सोमवार को न्यूनतम तापमान में कुछ डिग्री की गिरावट देखी गई और अधिकांश स्थानों पर हिमांक बिंदु के आसपास रहा। खबरों के मुताबिक, हिमाचल में पिछले कुछ दिनों में ऊंचाई वाले इलाकों और लाहौल और स्पीति में भारी बर्फबारी के कारण 92 सड़कें बंद हो गईं। साथ ही, पूरे क्षेत्र में बर्फीली हवाएं चलीं, जिससे लोग घर के अंदर रहने को मजबूर हो गए। पहाड़ी दर्रों और ऊंचाई वाले आदिवासी क्षेत्रों में तापमान शून्य से नीचे चला गया, जबकि केलांग और कुसुमसिरी में पारा जमाव बिंदु से 12 से 15 डिग्री नीचे रहा। मौसम विभाग ने कम तापमान के कारण किसानों को पशुओं को घर के अंदर रखने का आग्रह करते हुए एक एडवाइजरी भी जारी की और उन्हें यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि उन्हें गर्म रखने के लिए पर्याप्त व्यवस्था हो। साथ ही तापमान में और गिरावट आने की भी चेतावनी दी है।

टूरिस्ट्स को लुभाने के लिए फिलीपींस सरकार ला रही नई योजना

फिलीपींस ने देश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए नया तक संबंधी प्रोग्राम लॉन्च किया है। खबरों के अनुसार, राष्ट्रपति फर्डिनेंड मार्कोस ने ज़्यादा टूरिस्ट्स को आकर्षित करने के लिए 2024 तक विदेशी पर्यटकों के लिए वैल्यू एडेड टैक्स रेतुर्न प्रोग्राम को मंजूरी दे दी है। राष्ट्रपति संचार कार्यालय (पीसीओ) ने भी इसकी जानकारी दी। 

टूरिस्ट्स को लुभाने के लिए फिलीपींस सरकार ला रही नई योजना

फिलीपींस ने देश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए नया तक संबंधी प्रोग्राम लॉन्च किया है। खबरों के अनुसार, राष्ट्रपति फर्डिनेंड मार्कोस ने ज़्यादा टूरिस्ट्स को आकर्षित करने के लिए 2024 तक विदेशी पर्यटकों के लिए वैल्यू एडेड टैक्स रेतुर्न प्रोग्राम को मंजूरी दे दी है। राष्ट्रपति संचार कार्यालय (पीसीओ) ने भी इसकी जानकारी दी। 

सतपुड़ा नेशनल पार्क में लें पैदल सफारी का मज़ा

सतपुड़ा नेशनल पार्क में लें पैदल सफारी का मज़ाजब आप पेड़ों, घास, पक्षियों, झाड़ियों और बाकी प्राकृतिक चीजों से घिरे होते हैं तो एक अलग तरह का मानसिक सुकून मिलता है। कुदरत न केवल हमारे शरीर को बल्कि मन को भी ठीक करती है। इस तरह की शांति आज के समय में मुश्किल है, लेकिन पूरी तरह से असंभव भी नहीं है। ऐसा इसलिए है क्योंकि हम भाग्यशाली हैं कि सतपुड़ा नेशनल पार्क जैसी प्राकृतिक जगहें हैं जहां आप वास्तव में प्रकृति के करीब रह सकते हैं। 

हांगकांग सरकार दे रही है 5 लाख फ्री हवाई टिकट

हांगकांग सरकार ने घोषणा की है कि वह शहर की यात्रा करने के इच्छुक सभी लोगों को 5 लाख हवाई जहाज का मुफ्त टिकट प्रदान करेगी। यह कदम हांगकांग में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है। हाल ही में यहां की सरकार ने पर्यटकों के लिए अपने बॉर्डर को पूरी तरह से खोलने की घोषणा की है।

हांगकांग सरकार दे रही है 5 लाख फ्री हवाई टिकट

हांगकांग सरकार ने घोषणा की है कि वह शहर की यात्रा करने के इच्छुक सभी लोगों को 5 लाख हवाई जहाज का मुफ्त टिकट प्रदान करेगी। यह कदम हांगकांग में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है। हाल ही में यहां की सरकार ने पर्यटकों के लिए अपने बॉर्डर को पूरी तरह से खोलने की घोषणा की है।

'होला मोहल्ला' के लिए पूरी तरह तैयार है पंजाब

आनंदपुर साहिब होला मोहल्ला (8-10 मार्च) के तीन दिन के उत्सव की मेजबानी करने के लिए पूरी तरह तैयार है। होला मोहल्ला सिखों का एक त्योहार है जो हर साल मार्च के महीने में मनाया जाता है। यह त्योहार आमतौर पर हिंदू त्योहार होली के एक दिन बाद मनाया जाता है। इस त्योहार की शुरुआत दसवें सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह ने की थी।होला मोहल्ला सिखों के लिए सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहार है। इसे दुनिया भर के सिख समुदाय बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाते हैं। होला मोहल्ला नगर कीर्तन से शुरू होता है, जो पंज प्यारे (पांच प्यारे) के नेतृत्व में एक जुलूस है और इसमें विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक प्रदर्शन शामिल होते हैं। जुलूस में पारंपरिक सिख मार्शल आर्ट फॉर्म गतका का प्रदर्शन भी शामिल है।आश्चर्यजनक मार्शल आर्ट प्रदर्शन, नकली लड़ाई और जी तरह के कार्यक्रम इस त्योहार के दौरान होते हैं। सिखों का मानना है कि होला मोहल्ला का मुख्य फोकस सेवा, बहादुरी और निस्वार्थता के सिख मूल्यों को बढ़ावा देना है।

'होला मोहल्ला' के लिए पूरी तरह तैयार है पंजाब

आनंदपुर साहिब होला मोहल्ला (8-10 मार्च) के तीन दिन के उत्सव की मेजबानी करने के लिए पूरी तरह तैयार है। होला मोहल्ला सिखों का एक त्योहार है जो हर साल मार्च के महीने में मनाया जाता है। यह त्योहार आमतौर पर हिंदू त्योहार होली के एक दिन बाद मनाया जाता है। इस त्योहार की शुरुआत दसवें सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह ने की थी।होला मोहल्ला सिखों के लिए सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहार है। इसे दुनिया भर के सिख समुदाय बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाते हैं। होला मोहल्ला नगर कीर्तन से शुरू होता है, जो पंज प्यारे (पांच प्यारे) के नेतृत्व में एक जुलूस है और इसमें विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक प्रदर्शन शामिल होते हैं। जुलूस में पारंपरिक सिख मार्शल आर्ट फॉर्म गतका का प्रदर्शन भी शामिल है।आश्चर्यजनक मार्शल आर्ट प्रदर्शन, नकली लड़ाई और जी तरह के कार्यक्रम इस त्योहार के दौरान होते हैं। सिखों का मानना है कि होला मोहल्ला का मुख्य फोकस सेवा, बहादुरी और निस्वार्थता के सिख मूल्यों को बढ़ावा देना है।

दिल्ली एयरपोर्ट के सभी बोर्डिंग और एंट्री गेट पर मिलेगी डिजीयात्रा की सुविधा

मार्च 2023 के आखिर तक इंदिरा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के टर्मिनल 2 और 3 के सभी एंट्री और बोर्डिंग गेट पर डिजीयात्रा काम करने लगेगी। इसकी घोषणा हाल ही में दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे (IGI) हवाई अड्डे ने की। दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (डीआईएएल) ने कहा कि वे टर्मिनल 3 और 2 डिजीयात्रा के सभी एंट्री और बोर्डिंग गेटों को बेहतर बनाने के लिए प्रयास कर रहे हैं।

ड्रामेबाज़ बच्चों के लिए दिल्ली में होने जा रहा अनोखा फेस्ट

15 जून से, दिल्ली और पूरे भारत के बच्चों को राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NSD) के कुछ बेहतरीन प्रोफेशनल्स से एक्टिंग और थिएटर सीखने का मौका मिल सकता है।  दिल्ली में ये 10 दिनों (15 से 25 जून तक) तक चलने वाला फेस्टिवल राजघाट के पास गांधी स्मृति और दर्शन में होगा। यह फेस्ट राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के सहयोग से दिल्ली पर्यटन विभाग की एक पहल है। दिल्ली पर्यटन विभाग ने इसे बच्चों की गर्मी की छुट्टियों के हिसाब से ऑर्गनाइज किया है।

अब दो घंटे में कर सकेंगे पृथ्वी के किसी भी कोने का सफर !

हम जब भी एक देश से दूसरे किसी कॉन्टिनेंट के देश जाने के बारे में सोचते हैं तो सबसे पहला ख्याल यही आता है कि जाने में ही काफी समय लग जाएगा। भारत से अमेरिका के कुछ हिस्सों की फ्लाइट में 24 घंटे से भी ज़्यादा का समय लग जाता है। ऐसे में अगर कोई आपसे कहे कि आप केवल 2 घंटे में पृथ्वी के किसी भी कोने की यात्रा कर सकेंगे तो आपका क्या रिएक्शन होगा? अविश्वसनीय, यही कहेंगे न? खैर, नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन, नासा, सबऑर्बिटल उड़ानें लॉन्च करने की योजना बना रहा है जो आपको 2 घंटे में पृथ्वी पर कहीं भी ले जाने में सक्षम होंगी। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, नासा ने एक्स-59 अंतरिक्ष यान का के बारे में बताया जिसकी अधिकतम गति लगभग 1,500 किमी प्रति घंटा है। यह X-59 'सन ऑफ कॉनकॉर्ड लॉन्च करने की योजना बना रहा है जिसकी रफ्तार पहले वाले से ज़्यादा होगी।

घूमने के शौकीनों के लिए कुदरत की नेमत है झारखंड

हवा की सनसनाहट सुनना कितना सुकून देता है न। मिट्टी की खुशबू का पीछा करते हुए मीलों चलते जाने का भी अपना अलग ही मजा है। घने जंगल की हरियाली से एकांत में बातें करने अहसास याद है न आपको। नदी की तरह बलखाती सड़कें और ऊंचाई से गिरते झरनों का शोर ही तो है जो मन में एक ठहराव पैदा करता है, वही ठहराव जिसकी तलाश हमें कभी पहाड़, कभी समुद्र तो कभी रेगिस्तान की सैर कराती है। तो आइए इस बार हम आपको ऐसी ही एक जगह ले चलते हैं, जहां दूर तक फैली जंगलों की खूबसूरती है और उन जंगलों से निकलते छोटे-छोटे झरने। हां, लेकिन एक वादा कीजिए कि आप किसी तरह के पूर्वाग्रह के साथ इस सफर पर नहीं जाएंगे। इसे अपने खूबसूरती के तय किए गए पैमानों से नहीं नापेंगे, क्योंकि बेतरतीबी ही इस हिल स्टेशन की खासियत है। चारों ओर से जंगल से घिरे रांची को देखकर लगता है कि प्रकृति ने अपना सौंदर्य इस शहर पर खुलकर लुटाया है। यहां हरे-भरे पेड़ों से घिरी पतरातू वैली के घुमावदार रास्ते, हुंडरू, दशम, जोन्हा फॉल और पतरातू, कांके, धुर्वा डैम आपको दोबारा आने के लिए मजबूर कर देंगे।

अब आप एयर इंडिया के एक टिकट से घूम सकेंगे लगभग पूरा यूरोप

एयर इंडिया के यात्री जल्द ही 100 से अधिक यूरोपीय शहरों और कस्बों की बिना किसी रुकावट के यात्रा कर सकेंगे. इनमें वे शहर भी शामिल हैं जिनमें हवाईअड्डे नहीं हैं। यह इसलिए संभव होगा क्योंकि एयर इंडिया और इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के ट्रैवल पार्टनर AccesRail ने हाल ही में एक इंटरमॉडल समझौता किया है।  इस समझौते के साथ, एयर इंडिया के यात्री एक ही टिकट पर कई देशों और 100 से अधिक यूरोपीय शहरों में घूम सकेंगे।रिपोर्टों के अनुसार, यह साझेदारी एयर इंडिया के यात्रियों को अपनी उड़ान के दौरान सेम बैगेज अलाउंस को बनाए रखते हुए बस और रेल सर्विसेज का इस्तेमाल करने की अनुमति देगी। 

अयोध्या को खूबसूरत बनाने वाली 10 शानदार जगहें

जब भी प्राचीन भारत के तीर्थों के बारे में बात होती है, तब उसमें सबसे पहले अयोध्या का नाम सबसे पहले आता है। प्राचीन भारत के सात सबसे पवित्र शहरों या सप्तपुरियों में से एक के रूप में मशहूर, अयोध्या सरयू नदी के किनारे बसी है। यह जगह श्रद्धालुओं के दिल में ख़ास जगह रखती है, आखिर यह मर्यादापुरुषोत्तम भगवान श्री राम की जन्मस्थली जो है। धार्मिक मान्यता है कि स्वयं देवताओं ने इसकी रचना की थी। आजकल श्री राम मंदिर बनने के कारण पूरी दुनिया में अयोध्या की चर्चा हो रही है, पर क्या आपको पता है कि अयोध्या में राम मंदिर के अलावा कई ऐसे प्रसिद्ध मंदिर, घाट और महल मौजूद हैं, जो न सिर्फ अयोध्या की शोभा बढ़ाते हैं बल्कि श्रद्धालुओं को श्री राम और उनसे जुड़ी कहानियों को महसूस करने का मौका देते हैं। यहां हम आपको ऐसी ही कुछ जगहों के बारे में बता रहे हैं जिससे जब कभी भी आपका अयोध्या के अध्यात्मिक वातावरण में सराबोर होने का मन करे तो आप बिना ज़्यादा सोच-विचार किए झट से वहां जाने की तैयारी कर लें।

अयोध्या को खूबसूरत बनाने वाली 10 शानदार जगहें

जब भी प्राचीन भारत के तीर्थों के बारे में बात होती है, तब उसमें सबसे पहले अयोध्या का नाम सबसे पहले आता है। प्राचीन भारत के सात सबसे पवित्र शहरों या सप्तपुरियों में से एक के रूप में मशहूर, अयोध्या सरयू नदी के किनारे बसी है। यह जगह श्रद्धालुओं के दिल में ख़ास जगह रखती है, आखिर यह मर्यादापुरुषोत्तम भगवान श्री राम की जन्मस्थली जो है। धार्मिक मान्यता है कि स्वयं देवताओं ने इसकी रचना की थी। आजकल श्री राम मंदिर बनने के कारण पूरी दुनिया में अयोध्या की चर्चा हो रही है, पर क्या आपको पता है कि अयोध्या में राम मंदिर के अलावा कई ऐसे प्रसिद्ध मंदिर, घाट और महल मौजूद हैं, जो न सिर्फ अयोध्या की शोभा बढ़ाते हैं बल्कि श्रद्धालुओं को श्री राम और उनसे जुड़ी कहानियों को महसूस करने का मौका देते हैं। यहां हम आपको ऐसी ही कुछ जगहों के बारे में बता रहे हैं जिससे जब कभी भी आपका अयोध्या के अध्यात्मिक वातावरण में सराबोर होने का मन करे तो आप बिना ज़्यादा सोच-विचार किए झट से वहां जाने की तैयारी कर लें।

दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर भारत का पहला वन्यजीव कॉरिडोर

भारत ने सड़क निर्माण और पर्यावरण की हिफाज़त में एक नया कीर्तिमान बनाया है। दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर 12 किलोमीटर लंबा वन्यजीव कॉरिडोर बना है, जो देश का पहला ऐसा प्रयास है। यह कॉरिडोर न सिर्फ मुसाफिरों की सुविधा को ध्यान में रखता है, बल्कि जंगली जानवरों की सलामती को भी प्राथमिकता देता है। यह राजस्थान के रणथंभौर टाइगर रिजर्व के बफर जोन से होकर गुजरता है। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) ने वन्यजीव संस्थान और पर्यावरण मंत्रालय के साथ मिलकर इसे तैयार किया है। 

भारतीय पासपोर्ट की शानदार उड़ान: 59 देशों में बिना वीजा की सुविधा

जब भी हम घूमने-फिरने का सोचते हैं, तो मन में एक नई खुशी और सपनों की उड़ान जाग उठती है। आमतौर पर राजस्थान के रेगिस्तान, हिमाचल की वादियां, या गोवा के समुद्र तट याद आते हैं, लेकिन अब समय है कि हम अपनी नजरें विश्व के कोनों तक फैलाएं। भारतीय पासपोर्ट ने हेनली पासपोर्ट इंडेक्स में एक शानदार छलांग लगाई है। यह अब 77वें स्थान पर पहुंच गया है, जो पिछले साल 85वें से उल्लेखनीय प्रगति दिखाता है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि अब हमारे पासपोर्ट धारक 59 देशों में बिना वीजा या वीजा ऑन अराइवल (VOA) का लुत्फ उठा सकते हैं। 

भारतीय पासपोर्ट की शानदार उड़ान: 59 देशों में बिना वीजा की सुविधा

जब भी हम घूमने-फिरने का सोचते हैं, तो मन में एक नई खुशी और सपनों की उड़ान जाग उठती है। आमतौर पर राजस्थान के रेगिस्तान, हिमाचल की वादियां, या गोवा के समुद्र तट याद आते हैं, लेकिन अब समय है कि हम अपनी नजरें विश्व के कोनों तक फैलाएं। भारतीय पासपोर्ट ने हेनली पासपोर्ट इंडेक्स में एक शानदार छलांग लगाई है। यह अब 77वें स्थान पर पहुंच गया है, जो पिछले साल 85वें से उल्लेखनीय प्रगति दिखाता है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि अब हमारे पासपोर्ट धारक 59 देशों में बिना वीजा या वीजा ऑन अराइवल (VOA) का लुत्फ उठा सकते हैं। 

प्रदूषण से परफेक्शन तक: भारत के 7 इको-टूरिज्म स्टार्स

जब भी यात्रा का प्लान बनता है, मन में एक अलग सी खुशी होती है न! कहीं ढलती शाम में समंदर के किनारे की ठंडी हवा, कहीं दूर तक दिखते ऊंचे पहाड़, कहीं हरियाली से भरे जंगल तो कहीं किलों की पुरानी बातें, ये सब भारत की खूबसूरती को और बढ़ा देते हैं। लेकिन पिछले कुछ सालों में प्रदूषण और भीड़ ने कई जगहों को थोड़ा दुखी कर दिया था। फिर भी, कुछ शहरों ने दिल से कोशिश की और अब वो हरे-भरे हो गए हैं, जहां हम मस्ती कर सकें और प्रकृति को भी प्यार दे सकें। ये 7 ठिकाने अब इको-टूरिज्म के सितारे बन गए हैं। 

एयरपोर्ट ट्रिक्स: सफर को बनाएं मज़ेदार और आसान

जब भी एयरपोर्ट पर जाने की बात आती है, तो दिल में थोड़ा-सा डर और एक्साइटमेंट दोनों साथ चलते हैं। सुबह-सुबह बैग पैक करना, फ्लाइट का समय चेक करना, और फिर उस भीड़ भरे एयरपोर्ट तक पहुंचने की हड़बड़ी, ये सब एक आम यात्री के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। लेकिन अगर कुछ स्मार्ट तरकीबें अपनाएं, तो यह सफर न केवल आसान हो सकता है, बल्कि मज़ेदार भी बन सकता है। हाल ही में एक रिपोर्ट में पता चला है कि एयरपोर्ट पर समय बचाने और टेंशन कम करने के लिए कुछ खास तरीके हैं, जिन्हें हर ट्रैवलर को आजमाना चाहिए। तो चलिए, अपने बैग की तैयारी के साथ इन ट्रिक्स को भी साथ रखें और तैयार हो जाएं!

एयरपोर्ट ट्रिक्स: सफर को बनाएं मज़ेदार और आसान

जब भी एयरपोर्ट पर जाने की बात आती है, तो दिल में थोड़ा-सा डर और एक्साइटमेंट दोनों साथ चलते हैं। सुबह-सुबह बैग पैक करना, फ्लाइट का समय चेक करना, और फिर उस भीड़ भरे एयरपोर्ट तक पहुंचने की हड़बड़ी, ये सब एक आम यात्री के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। लेकिन अगर कुछ स्मार्ट तरकीबें अपनाएं, तो यह सफर न केवल आसान हो सकता है, बल्कि मज़ेदार भी बन सकता है। हाल ही में एक रिपोर्ट में पता चला है कि एयरपोर्ट पर समय बचाने और टेंशन कम करने के लिए कुछ खास तरीके हैं, जिन्हें हर ट्रैवलर को आजमाना चाहिए। तो चलिए, अपने बैग की तैयारी के साथ इन ट्रिक्स को भी साथ रखें और तैयार हो जाएं!

बारिश में हिमाचल जा रहे हैं तो इन बातों का रखें ध्यान

हिमाचल प्रदेश में बारिश का मौसम एक ऐसी खूबसूरती लेकर आता है, जो हर ट्रैवलर के दिल को छू लेती है। यहां की धुंध भरी घाटियां, चमकते हुए पाइन जंगल, पहाड़ों की चोटियों पर मंडराते बादल, और वो चाय जो इस मौसम में और भी स्वादिष्ट लगती है, सब कुछ मिलकर एक जादुई माहौल बनाते हैं। लेकिन एक्साइटमेंट में बहकर बैग पैक करने से पहले यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि हिमाचल के मानसून में कब क्या हो जाए कुछ पता नहीं होता। एक पल आप पहाड़ों की शांति का मज़ा ले रहे होते हैं, और अगले ही पल कोई लैंडस्लाइड या भारी बारिश आपको 6 घंटे के ट्रैफिक जाम में फंसा सकती है। सड़कें बंद हो सकती हैं या फिर मौसम की मार से आपका ट्रिप बीच में ही खत्म हो सकता है। ऐसे में, अगर आप इस बारिश के मौसम में हिमाचल की सैर का प्लान कर रहे हैं, तो कुछ खास टिप्स हैं जिन्हें आप गांठ बांध लें, ताकि आपका सफर सुरक्षित और यादगार बने। 

बारिश में हिमाचल जा रहे हैं तो इन बातों का रखें ध्यान

हिमाचल प्रदेश में बारिश का मौसम एक ऐसी खूबसूरती लेकर आता है, जो हर ट्रैवलर के दिल को छू लेती है। यहां की धुंध भरी घाटियां, चमकते हुए पाइन जंगल, पहाड़ों की चोटियों पर मंडराते बादल, और वो चाय जो इस मौसम में और भी स्वादिष्ट लगती है, सब कुछ मिलकर एक जादुई माहौल बनाते हैं। लेकिन एक्साइटमेंट में बहकर बैग पैक करने से पहले यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि हिमाचल के मानसून में कब क्या हो जाए कुछ पता नहीं होता। एक पल आप पहाड़ों की शांति का मज़ा ले रहे होते हैं, और अगले ही पल कोई लैंडस्लाइड या भारी बारिश आपको 6 घंटे के ट्रैफिक जाम में फंसा सकती है। सड़कें बंद हो सकती हैं या फिर मौसम की मार से आपका ट्रिप बीच में ही खत्म हो सकता है। ऐसे में, अगर आप इस बारिश के मौसम में हिमाचल की सैर का प्लान कर रहे हैं, तो कुछ खास टिप्स हैं जिन्हें आप गांठ बांध लें, ताकि आपका सफर सुरक्षित और यादगार बने। 

विदेश घूमने जा रहे हैं? इन डाक्यूमेंट्स को ज़रूर रखिएगा साथ

किसी दूसरे देश के सफर पर निकलना एक रोमांचक अनुभव होता है, लेकिन इसके लिए सही तैयारी से बढ़कर कुछ नहीं। सिर्फ बैग पैक करना ही काफी नहीं है, आपको वैलिड पासपोर्ट, वीजा और आइडेंटिटी प्रूफ जैसे जरूरी कागजात साथ रखने होंगे। इसके अलावा, फ्लाइट टिकट, होटल कन्फर्मेशन, ट्रैवेल आइटिनरी और पहले से बुक किए गए इवेंट टिकट आपके सफर को आसान बनाते हैं। ट्रैवल इंश्योरेंस, विदेशी करेंसी, और इमरजेंसी कॉन्टैक्ट्स जैसी चीजें एकदम से आई मुश्किलों में आपकी मदद करती हैं। चाहे आप पहली बार विदेश जा रहे हों या अक्सर जाते रहते हों, इन डॉक्युमेंट चेकलिस्ट आपको तैयार रखेगी और लास्ट मिनट की अफरा-तफरी से बचाएगी।

विदेश घूमने जा रहे हैं? इन डाक्यूमेंट्स को ज़रूर रखिएगा साथ

किसी दूसरे देश के सफर पर निकलना एक रोमांचक अनुभव होता है, लेकिन इसके लिए सही तैयारी से बढ़कर कुछ नहीं। सिर्फ बैग पैक करना ही काफी नहीं है, आपको वैलिड पासपोर्ट, वीजा और आइडेंटिटी प्रूफ जैसे जरूरी कागजात साथ रखने होंगे। इसके अलावा, फ्लाइट टिकट, होटल कन्फर्मेशन, ट्रैवेल आइटिनरी और पहले से बुक किए गए इवेंट टिकट आपके सफर को आसान बनाते हैं। ट्रैवल इंश्योरेंस, विदेशी करेंसी, और इमरजेंसी कॉन्टैक्ट्स जैसी चीजें एकदम से आई मुश्किलों में आपकी मदद करती हैं। चाहे आप पहली बार विदेश जा रहे हों या अक्सर जाते रहते हों, इन डॉक्युमेंट चेकलिस्ट आपको तैयार रखेगी और लास्ट मिनट की अफरा-तफरी से बचाएगी।

ट्रैवलर्स के लिए अलर्ट: भारी बारिश और बाढ़ का खतरा!

मंगलवार को उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में एक भीषण प्राकृतिक आपदा ने दस्तक दी। गंगोत्री धाम के नजदीक धराली गांव और मुखवा के पास बादल फटने से एक नाला अचानक उफान पर आ गया। तेज रफ्तार से पहाड़ों से नीचे की ओर बहता पानी अपने साथ तबाही का मंजर लाया, जिसने कई घरों को पूरी तरह नेस्तनाबूद कर दिया। उत्तरकाशी के डीएम प्रशांत आर्य के मुताबिक, इस हादसे में अब तक चार लोगों की जान जा चुकी है, जबकि संपत्ति का भारी नुकसान हुआ है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि 50 से अधिक लोग इस आपदा के बाद लापता बताए जा रहे हैं।इस हादसे के बाद से खराब मौसम में पहाड़ों पर घूमने का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया है। अगर आप अगले कुछ दिनों में घूमने-फिरने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो एक बार रुककर मौसम का हाल जरूर चेक कर लें। भारत मौसम विभाग (IMD) ने कई राज्यों में 11 अगस्त तक भारी बारिश और बाढ़ का अलर्ट जारी किया है। मॉनसून का मौसम अपने चरम पर है। ऐसे में तेज बारिश की वजह से सफर के दौरान सावधानी बरतना बेहद जरूरी हो गया है। आइए, जानते हैं कि कौन से राज्य खतरे में हैं, क्या-क्या दिक्कतें हो सकती हैं, और आपको कैसे अपने सफर को सुरक्षित रखना चाहिए।

सनबर्न फेस्टिवल 2025: मुंबई में पहली बार होगा धमाकेदार म्यूजिक फेस्ट, जानें सारी डिटेल्स

सनबर्न फेस्टिवल, भारत का सबसे बड़ा इलेक्ट्रॉनिक डांस म्यूजिक (EDM) इवेंट है जो 2025 में पहली बार मुंबई में आयोजित होगा। यह फेस्टिवल 19 से 21 दिसंबर तक चलेगा। गोवा की रेतीली समुद्री हवाओं को छोड़कर यह अब मुंबई की तेज रफ्तार जिंदगी में नया रंग जमाएगा। गोवा में कई सालों तक धूम मचाने के बाद यह इवेंट अब महाराष्ट्र की राजधानी में म्यूजिक टूरिज्म को बढ़ावा देने और नया जोश भरने के लिए तैयार है। गोवा में लोकल्स के विरोध और कुछ सरकारी रुकावटों की वजह से आयोजकों ने इसे मुंबई शिफ्ट करने का फैसला किया है। 

FASTag एनुअल पास: 15 अगस्त 2025 से शुरू, यात्रियों के लिए 5 जरूरी बातें

भारत में हाईवे यात्रा को और आसान बनाने के लिए FASTag सिस्टम में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। 15 अगस्त 2025 से निजी वाहनों के लिए FASTag एनुअल पास शुरू हो रहा है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इसकी घोषणा की है, जिसका मकसद हाईवे यात्रा को सस्ता, तेज और सुविधाजनक बनाना है। यह पास खासकर उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो अक्सर हाईवे पर सफर करते हैं। हम आपको बता रहे हैं इस नए फास्टैग के बारे में 5 जरूरी बातें…

जेद्दा का बाम्बी बीच: महिलाओं की गुलाबी जन्नत, सिर्फ कुछ दिनों तक ही रहेगा खुलेगा

सऊदी अरब के जेद्दा में महिलाओं के लिए एक ऐसी जगह खुली है जो हर गर्ल गैंग का सपना है। इस जगह का नाम है बाम्बी बीच। ये कोई आम बीच नहीं बल्कि एक चटक गुलाबी थीम वाला पैराडाइस है जहां लाल सागर की लहरें, मस्ती, और प्राइवेसी का जादू आपका इंतजार कर रहा है। जेद्दा सीजन 2025 के तहत बना ये खास बीच सिर्फ महिलाओं के लिए है जहां आप बेफिक्र होकर मजे कर सकती हैं। लेकिन ध्यान रखें कि ये पिंक जन्नत 31 अगस्त 2025 तक ही खुली रहेगी। तो अपनी सहेलियों को भी इत्तिला दें और इस अनोखे अनुभव के लिए तैयार हो जाएं। हम आपको बता रहे हैं इस शानदार डेस्टिनेशन की पांच खास बातें…

जेद्दा का बाम्बी बीच: महिलाओं की गुलाबी जन्नत, सिर्फ कुछ दिनों तक ही रहेगा खुलेगा

सऊदी अरब के जेद्दा में महिलाओं के लिए एक ऐसी जगह खुली है जो हर गर्ल गैंग का सपना है। इस जगह का नाम है बाम्बी बीच। ये कोई आम बीच नहीं बल्कि एक चटक गुलाबी थीम वाला पैराडाइस है जहां लाल सागर की लहरें, मस्ती, और प्राइवेसी का जादू आपका इंतजार कर रहा है। जेद्दा सीजन 2025 के तहत बना ये खास बीच सिर्फ महिलाओं के लिए है जहां आप बेफिक्र होकर मजे कर सकती हैं। लेकिन ध्यान रखें कि ये पिंक जन्नत 31 अगस्त 2025 तक ही खुली रहेगी। तो अपनी सहेलियों को भी इत्तिला दें और इस अनोखे अनुभव के लिए तैयार हो जाएं। हम आपको बता रहे हैं इस शानदार डेस्टिनेशन की पांच खास बातें…

सिर्फ एक दिन में घूम सकते हैं ये 5 छोटे देश

अगर आप कम समय में कुछ नया, अनोखा और यादगार देखना चाहते हैं, तो माइक्रो-कंट्रीज यानी दुनिया के सबसे छोटे देशों की सैर आपके लिए बिल्कुल सही है। ये देश आकार में छोटे जरूर हैं, लेकिन अनुभव में बड़े। ये आकार में इतने छोटे कि आप इन्हें एक ही दिन में घूमा सकते हैं, और इतने खास कि ये आपके दिल में हमेशा के लिए बस जाएंगे। यहां आपको मिलेगी समृद्ध संस्कृति, सदियों पुरानी कहानियां सुनाते ऐतिहासिक स्थल, आंखों को सुकून देने वाली प्राकृतिक खूबसूरती और स्वाद से भरपूर लोकल खाना। यहां हम आपको ऐसे 5 छोटे लेकिन शानदार देशों के बारे में…

करेंग घर: असम का ऐतिहासिक खजाना

असम की खूबसूरत वादियों में बसा सिबसागर शहर इतिहास और संस्कृति का एक अनमोल रत्न है। अगर आप असम की सैर पर निकले हैं और सिबसागर पहुंचे, तो एक ऐसी जगह है जहां जाना बनता है, करेंग घर। ये कोई आम इमारत नहीं, बल्कि अहोम राजवंश का गौरवशाली प्रतीक है, जो आज भी अपनी भव्यता और कहानियों से हर सैलानी का दिल जीत लेता है। तो चलिए, हम आपको ले चलते हैं करेंग घर की सैर पर, जहां इतिहास की हर ईंट कुछ न कुछ कहती है!

घूमने के साथ कमाने हैं पैसे? कर सकते हैं ये नौकरियां

क्या आप घूमने-फिरने के दीवाने हैं और चाहते हैं कि आपकी नौकरी भी आपके इस शौक को पूरा करे? अगर हां, तो आपके लिए कई ऐसी नौकरियां हैं जो आपको दुनिया भर में सैर करने का मौका देंगी और साथ में अच्छी कमाई भी करवाएंगी। ये नौकरियां न सिर्फ आपके घूमने की चाहत को पूरा करेंगी, बल्कि आपको नई जगहों, अलग-अलग संस्कृतियों और नए लोगों से मिलने का मौका भी देंगी। तो सोच क्या रहे हैं? अपनी पसंद की नौकरी चुनें, अपने बैग पैक करें और दुनिया घूमने के लिए निकल पड़ें…

घूमने के साथ कमाने हैं पैसे? कर सकते हैं ये नौकरियां

क्या आप घूमने-फिरने के दीवाने हैं और चाहते हैं कि आपकी नौकरी भी आपके इस शौक को पूरा करे? अगर हां, तो आपके लिए कई ऐसी नौकरियां हैं जो आपको दुनिया भर में सैर करने का मौका देंगी और साथ में अच्छी कमाई भी करवाएंगी। ये नौकरियां न सिर्फ आपके घूमने की चाहत को पूरा करेंगी, बल्कि आपको नई जगहों, अलग-अलग संस्कृतियों और नए लोगों से मिलने का मौका भी देंगी। तो सोच क्या रहे हैं? अपनी पसंद की नौकरी चुनें, अपने बैग पैक करें और दुनिया घूमने के लिए निकल पड़ें…

भारतीय एयरपोर्ट पर हैंड बैग में नहीं ले जा सकते ये 10 चीजें

हवाई सफर करना मज़ेदार होता है, लेकिन इस सफर के लिए बैग पैक करते वक्त कुछ रूल्स का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है। खासकर भारतीय एयरपोर्ट पर हैंड बैग (केबिन बैग) में क्या ले जा सकते हैं और क्या नहीं, इसके नियम काफी सख्त हैं। अगर आप इन रूल्स को नहीं जानते तो सिक्योरिटी चेक के दौरान दिक्कत हो सकती है। आज हम आपको 10 ऐसी चीजों के बारे में बताएंगे, जो इंडियन एयरपोर्ट पर हैंड बैग में ले जाना मना है। साथ ही, कुछ आसान टिप्स भी देंगे, ताकि आपकी यात्रा बिना किसी झंझट के मज़ेदार रहे। 

हिमाचल की इन 5 पहाड़ी जगहों की सैर से अभी बचें

हिमाचल प्रदेश अपनी बर्फ से ढकी चोटियों, हरी-भरी वादियों और शांत माहौल के लिए हर किसी का फेवरेट है। हर साल लाखों लोग यहां घूमने आते हैं। लेकिन इस वक्त भारी बारिश, भूस्खलन और बाढ़ की वजह से हिमाचल के कई मशहूर पहाड़ी इलाकों में जाना खतरनाक हो सकता है। ख़बरों के मुताबिक, भारत मौसम विभाग (IMD) ने हिमाचल के कई हिस्सों में रेड अलर्ट जारी किया है। सड़कें बंद हैं, मौसम खराब है और कुछ जगहों पर बिजली-पानी तक की दिक्कत है। आइए, जानते हैं कि किन 5 जगहों की यात्रा से अभी आपको बचना चाहिए।

हिमाचल की इन 5 पहाड़ी जगहों की सैर से अभी बचें

हिमाचल प्रदेश अपनी बर्फ से ढकी चोटियों, हरी-भरी वादियों और शांत माहौल के लिए हर किसी का फेवरेट है। हर साल लाखों लोग यहां घूमने आते हैं। लेकिन इस वक्त भारी बारिश, भूस्खलन और बाढ़ की वजह से हिमाचल के कई मशहूर पहाड़ी इलाकों में जाना खतरनाक हो सकता है। ख़बरों के मुताबिक, भारत मौसम विभाग (IMD) ने हिमाचल के कई हिस्सों में रेड अलर्ट जारी किया है। सड़कें बंद हैं, मौसम खराब है और कुछ जगहों पर बिजली-पानी तक की दिक्कत है। आइए, जानते हैं कि किन 5 जगहों की यात्रा से अभी आपको बचना चाहिए।

तो पर्दा प्रथा की वजह से बना था हवामहल!

गुलाबी शहर के नाम से मशहूर जयपुर के दिल में बसा एक अद्वितीय और ऐतिहासिक स्मारक है हवा महल। यह राजस्थान के शाही इतिहास की गौरवशाली विरासत, रचनात्मकता और दूरंदेशी मानसिकता का प्रतीक है। यह कमाल की जगह सिर्फ एक इमारत नहीं है, बल्कि वास्तुकला का एक ऐसा चमत्कार है जो इतिहास, कला और संस्कृति की अनगिनत कहानियों को अपने अंदर समेटे हुए है। इसकी दीवारें न केवल राजसी वैभव की गवाही देती हैं, बल्कि अपने अनोखे और सरल डिजाइन के जरिए राजस्थान के स्थापत्य कौशल की अनमोल विरासत का जादू बिखेरती हैं। पत्थरों पर लिखी यह जीवंत कहानी आज भी अनगिनत पर्यटकों को आकर्षित करती है और जयपुर की शान के रूप में गर्व से खड़ी है। आपको अच्छे आर्किटेक्चर देखना पसंद हो, इतिहास के शौकीन हों, या बस एक यात्री हों जो राजस्थान के आकर्षण में डूब जाना चाहता हो, हवा महल आपको एक कभी ण भूलने वाला अनुभव देगा।

इन टिप्स से लम्बे समय तक नया रहेगा आपका ट्रैवेल बैग

सफर करना तो सबको पसंद है और इस सफर में आपका सबसे पक्का साथी होता है आपका ट्रैवेल बैग। चाहे आप हवाई जहाज से जा रहे हों, सड़क पर घूमने निकले हों, या पहाड़ों की सैर पर हों, आपका बैग हर बार आपके सामान को सेफ रखता है। लेकिन बार-बार इस्तेमाल और थोड़ी सी लापरवाही से बैग जल्दी खराब हो सकता है। अगर आप चाहते हैं कि आपका बैग सालों-साल नया जैसा रहे, तो हम आपको बता रहे हैं 8 आसान तरीके। ये टिप्स इतने आसान हैं कि इन्हें अपनाकर आप अपने बैग को लंबे समय तक चला सकते हैं। 

Beach Hacks: ताकि रेत से बचा रहे आपका सामान

बीच पर घूमना बहुत मजेदार होता है। नीला पानी, गर्म रेत और ताजी हवा, ये सब मिलकर हमें तरोताजा कर देते हैं। चाहे आप परिवार के साथ हों, दोस्तों के साथ या अकेले, बीच ट्रिप यादगार बन जाती है। लेकिन एक समस्या जो हमेशा परेशान करती है, वह है रेत। रेत हर जगह घुस जाती है,  आपके बैग में, फोन में, कपड़ों में और यहां तक कि खाने में भी। इसे साफ करना मुश्किल हो जाता है और घर लौटने पर कार या घर में भी रेत फैल जाती है। अच्छी बात यह है कि कुछ आसान तरीके हैं, जिनसे आप रेत को अपने सामान से दूर रख सकते हैं। ये तरीके आजमाए हुए हैं और बहुत कारगर साबित होते हैं। 

यहां दिन में दो बार गायब होता है समुद्र

भारत में कई ऐसी जगहें हैं जो अपने अनोखे नजारों के लिए मशहूर हैं। ओडिशा का चांदीपुर बीच एक ऐसी ही जगह है, जहां समुद्र दिन में दो बार गायब हो जाता है! जी हां, आपने सही सुना। यहां समुद्र का पानी पीछे हट जाता है और आप वहां चल सकते हैं, जहां कुछ देर पहले लहरें थीं। इसे लोग "गायब समुद्र" (Vanishing Sea) कहते हैं। यह नजारा इतना कमाल का है कि हर कोई हैरान रह जाता है। आज हम आपको बता रहें हैं, चांदीपुर बीच की खासियत, वहां करने लायक चीजें, खाने-पीने, रहने के ठिकाने और सही तरीके से घूमने के आसान टिप्स। चाहे आप परिवार के साथ हों, दोस्तों के साथ या अकेले, ये जगह आपकी ट्रिप को यादगार बना देगी।

‘शोल्डर सीजन’ में घूमने के लिए की सबसे खूबसूरत जगहें

सितंबर का महीना घूमने के लिए बहुत मस्त है। न ज्यादा गर्मी, न ज्यादा सर्दी, और न ही छुट्टियों की भीड़। इसे शोल्डर सीजन कहते हैं, यानी वो समय जब मौसम सुहाना होता है, पर्यटक कम होते हैं, और खर्चा जेब के हिसाब से रहता है। अगर आप कम पैसे में विदेश घूमने का सपना देख रहे हैं, तो सितंबर बेस्ट है। यहां हम 5 ऐसे देशों की बात करेंगे, जहां सितंबर में घूमना सस्ता और मजेदार है। तो, बैग पैक करें, अपने बजट का ध्यान रखें, और सितंबर में इन खूबसूरत देशों की सैर करें। आपकी ट्रिप यादगार होगी, और जेब पर भी भारी नहीं पड़ेगी!

फ्लेमिंगो देखने के लिए भारत की 5 बेस्ट जगहें

फ्लेमिंगो! ये गुलाबी रंग के पक्षी इतने सुंदर हैं कि इन्हें देखते ही मन खुश हो जाता है। उनकी लंबी गर्दन और नाचती हुई चाल किसी डांसिंग स्टार जैसी लगती है। हर साल सर्दियों में हजारों फ्लेमिंगो भारत आते हैं, खासकर ग्रेटर और लेसर फ्लेमिंगो। ये पक्षी पाकिस्तान, अफगानिस्तान और इजराइल जैसे देशों से लंबा सफर करके यहां पहुंचते हैं। अक्टूबर से मार्च का समय इनके लिए बेस्ट होता है, जब ये झीलों, नमक के मैदानों और लगून में इकट्ठा होते हैं। भारत में कई ऐसी जगहें हैं जहां आप इन गुलाबी मेहमानों को देख सकते हैं। ये जगहें न सिर्फ बर्डवॉचर्स के लिए, बल्कि नेचर लवर्स और फोटोग्राफर्स के लिए भी जन्नत हैं। 

खास लिस्ट में शामिल हुआ ‘मुन्नार’, जानें इसके बारे में सबकुछ

मुन्नार! नाम सुनते ही आंखों के सामने हरे-भरे चाय के बागान, ठंडी हवा और कोहरे से ढकी पहाड़ियां आ जाती हैं। ये जगह इतनी खूबसूरत है कि इसे देखने का मन हर किसी का करता है। अब तो मुन्नार को और भी बड़ी पहचान मिली है। ग्लोबल ट्रैवल वेबसाइट अगोड़ा ने इसे ‘एशिया के टॉप 8 ग्रामीण ठिकानों’ की लिस्ट में सातवें नंबर पर रखा है। अगोड़ा ने 15 फरवरी से 15 अगस्त तक की ट्रैवल सर्च देखकर ये लिस्ट बनाई है। लोग अब शहर की भागदौड़ छोड़कर शांत और नेचर से भरी जगहों की तलाश में हैं। मुन्नार ऐसी ही जगह है, जहां सुकून, खूबसूरती और नेचर का मेल है। आइए, मुन्नार की खासियत और वहां की 5 बेस्ट जगहों के बारे में जानते हैं।

गायब होने से पहले देख लें भारत के इन दुर्लभ जानवरों को

भारत की खूबसूरती सिर्फ इसके पहाड़ों, जंगलों और समुद्रों में नहीं, बल्कि यहां के अनोखे और दुर्लभ जानवरों में भी है। ये जानवर न सिर्फ नेचर की शान हैं, बल्कि कई तो इतने खास हैं कि दुनिया में कहीं और नहीं मिलते। लेकिन अफसोस, इनमें से कई खतरे में हैं, क्योंकि उनके घर यानी हैबिटैट को नुकसान पहुंच रहा है। अगर आप नेचर लवर या वाइल्डलाइफ के शौकीन हैं, तो ये गाइड आपके लिए है। ये ट्रिप न सिर्फ मजेदार होगी, बल्कि आपको नेचर के प्रति जिम्मेदारी का एहसास भी देगी। तो बैग पैक करें, कैमरा तैयार रखें और इन अनोखे जानवरों की दुनिया में खो जाएं। बस इतना ध्यान रखें कि नेचर को वैसा ही सुंदर छोड़कर आएं, जैसा आपने पाया।

गायब होने से पहले देख लें भारत के इन दुर्लभ जानवरों को

भारत की खूबसूरती सिर्फ इसके पहाड़ों, जंगलों और समुद्रों में नहीं, बल्कि यहां के अनोखे और दुर्लभ जानवरों में भी है। ये जानवर न सिर्फ नेचर की शान हैं, बल्कि कई तो इतने खास हैं कि दुनिया में कहीं और नहीं मिलते। लेकिन अफसोस, इनमें से कई खतरे में हैं, क्योंकि उनके घर यानी हैबिटैट को नुकसान पहुंच रहा है। अगर आप नेचर लवर या वाइल्डलाइफ के शौकीन हैं, तो ये गाइड आपके लिए है। ये ट्रिप न सिर्फ मजेदार होगी, बल्कि आपको नेचर के प्रति जिम्मेदारी का एहसास भी देगी। तो बैग पैक करें, कैमरा तैयार रखें और इन अनोखे जानवरों की दुनिया में खो जाएं। बस इतना ध्यान रखें कि नेचर को वैसा ही सुंदर छोड़कर आएं, जैसा आपने पाया।

दिवाली और छठ पूजा के लिए रेलवे ने चलाई 1100 से ज्यादा स्पेशल ट्रेनें: पूरी जानकारी

दिवाली और छठ पूजा का त्योहार आते ही घर जाने का मन हर किसी का करता है। लेकिन ट्रेनों में भीड़ देखकर कभी-कभी प्लानिंग मुश्किल हो जाती है। अच्छी खबर ये है कि भारतीय रेलवे ने इस बार दिवाली और छठ के रश को देखते हुए 1100 से ज्यादा स्पेशल ट्रेनें चलाने का ऐलान किया है। ये ट्रेनें मुख्य रूप से सेंट्रल रेलवे और सदर्न रेलवे से चलेंगी। मुंबई, पुणे जैसे बड़े हब से उत्तर और पूर्वी भारत के शहरों तक कनेक्टिविटी मिलेगी। बुकिंग 14 सितंबर 2025 से शुरू हो चुकी है, तो जल्दी बुक कर लें क्योंकि डिमांड बहुत ज्यादा है।रिपोर्ट के मुताबिक, सेंट्रल रेलवे ने 1126 स्पेशल ट्रेनें चलाने का प्लान बनाया है। इसमें पहले से शेड्यूल्ड 944 ट्रेनें शामिल हैं, साथ ही 182 नई ट्रेनें भी जोड़ी गई हैं। ये ट्रेनें दिवाली (अक्टूबर 2025) और छठ पूजा (नवंबर 2025) के लिए खास हैं। बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में ये त्योहार बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं, इसलिए वहां जाने वालों के लिए ये ट्रेनें बहुत राहत देंगी। 

दिवाली और छठ पूजा के लिए रेलवे ने चलाई 1100 से ज्यादा स्पेशल ट्रेनें: पूरी जानकारी

दिवाली और छठ पूजा का त्योहार आते ही घर जाने का मन हर किसी का करता है। लेकिन ट्रेनों में भीड़ देखकर कभी-कभी प्लानिंग मुश्किल हो जाती है। अच्छी खबर ये है कि भारतीय रेलवे ने इस बार दिवाली और छठ के रश को देखते हुए 1100 से ज्यादा स्पेशल ट्रेनें चलाने का ऐलान किया है। ये ट्रेनें मुख्य रूप से सेंट्रल रेलवे और सदर्न रेलवे से चलेंगी। मुंबई, पुणे जैसे बड़े हब से उत्तर और पूर्वी भारत के शहरों तक कनेक्टिविटी मिलेगी। बुकिंग 14 सितंबर 2025 से शुरू हो चुकी है, तो जल्दी बुक कर लें क्योंकि डिमांड बहुत ज्यादा है।रिपोर्ट के मुताबिक, सेंट्रल रेलवे ने 1126 स्पेशल ट्रेनें चलाने का प्लान बनाया है। इसमें पहले से शेड्यूल्ड 944 ट्रेनें शामिल हैं, साथ ही 182 नई ट्रेनें भी जोड़ी गई हैं। ये ट्रेनें दिवाली (अक्टूबर 2025) और छठ पूजा (नवंबर 2025) के लिए खास हैं। बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में ये त्योहार बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं, इसलिए वहां जाने वालों के लिए ये ट्रेनें बहुत राहत देंगी। 

नवरात्रि 2025 : इन मंदिरों में करें माता के दर्शन

नवरात्रि का त्योहार आते ही मन में भक्ति और उत्साह का माहौल बन जाता है। ये वो समय है जब लोग मां दुर्गा की पूजा करते हैं, गरबा-डांडिया का मजा लेते हैं और मंदिरों में जाकर आशीर्वाद लेते हैं। भारत में देवी मां के ढेर सारे मंदिर हैं, लेकिन कुछ इतने खास हैं कि वहां नवरात्रि में जाना अपने आप में एक अनोखा अनुभव है। चाहे आप भक्त हों या बस ट्रैवलर, इन मंदिरों में दर्शन आपको सुकून और खुशी देंगे। इस बार नवरात्रि 22 सितंबर से शुरू हो रही है। इस मौके पर हम आपको भारत के 5 प्रमुख देवी मंदिरों के बारे में बता रहे हैं।

नवरात्रि 2025 : इन मंदिरों में करें माता के दर्शन

नवरात्रि का त्योहार आते ही मन में भक्ति और उत्साह का माहौल बन जाता है। ये वो समय है जब लोग मां दुर्गा की पूजा करते हैं, गरबा-डांडिया का मजा लेते हैं और मंदिरों में जाकर आशीर्वाद लेते हैं। भारत में देवी मां के ढेर सारे मंदिर हैं, लेकिन कुछ इतने खास हैं कि वहां नवरात्रि में जाना अपने आप में एक अनोखा अनुभव है। चाहे आप भक्त हों या बस ट्रैवलर, इन मंदिरों में दर्शन आपको सुकून और खुशी देंगे। इस बार नवरात्रि 22 सितंबर से शुरू हो रही है। इस मौके पर हम आपको भारत के 5 प्रमुख देवी मंदिरों के बारे में बता रहे हैं।

अगले महीने खुलेगा नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट, जानें इसके बारे में सबकुछ

नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का इंतजार खत्म होने वाला है। ये एयरपोर्ट नेशनल कैपिटल रीजन (एनसीआर) में दिल्ली के इंदिरा खबरों के मुताबिक, एयरपोर्ट का उद्घाटन 30 अक्टूबर को होगा। उसके बाद 45 दिनों के अंदर पैसेंजर सर्विसेज शुरू हो जाएंगी। शुरुआत में ये एयरपोर्ट करीब 10 बड़े मेट्रो शहरों से जुड़ेगा। ये खबर यूनियन सिविल एविएशन मिनिस्टर किंजरापु रममोहन नायडू ने दी है। उन्होंने कहा कि मुंबई, हैदराबाद, बैंगलोर और कोलकाता जैसे शहर पहले कनेक्ट होंगे। इंडिगो और अकासा एयर जैसी एयरलाइंस ने पहले से ही एग्रीमेंट साइन कर लिया है। अगर आप दिल्ली-एनसीआर में रहते हैं और ट्रैवलर हैं, तो ये एयरपोर्ट आपके लिए गेम चेंजर साबित होगा। 

अगले महीने खुलेगा नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट, जानें इसके बारे में सबकुछ

नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का इंतजार खत्म होने वाला है। ये एयरपोर्ट नेशनल कैपिटल रीजन (एनसीआर) में दिल्ली के इंदिरा खबरों के मुताबिक, एयरपोर्ट का उद्घाटन 30 अक्टूबर को होगा। उसके बाद 45 दिनों के अंदर पैसेंजर सर्विसेज शुरू हो जाएंगी। शुरुआत में ये एयरपोर्ट करीब 10 बड़े मेट्रो शहरों से जुड़ेगा। ये खबर यूनियन सिविल एविएशन मिनिस्टर किंजरापु रममोहन नायडू ने दी है। उन्होंने कहा कि मुंबई, हैदराबाद, बैंगलोर और कोलकाता जैसे शहर पहले कनेक्ट होंगे। इंडिगो और अकासा एयर जैसी एयरलाइंस ने पहले से ही एग्रीमेंट साइन कर लिया है। अगर आप दिल्ली-एनसीआर में रहते हैं और ट्रैवलर हैं, तो ये एयरपोर्ट आपके लिए गेम चेंजर साबित होगा। 

नवरात्रि 2025: भारत के अलावा इन 5 देशों में धूमधाम से मनाया जाता है यह त्योहार

नवरात्रि का त्योहार भारत में नौ रातों तक रंग, डांस और भक्ति का माहौल लाता है। मां दुर्गा की पूजा, गरबा और डांडिया की धूम से हर गली-मोहल्ला गूंज उठता है। लेकिन ये जश्न सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है। भारतीय डायस्पोरा ने इसे दुनिया के कोने-कोने में पहुंचा दिया है। आज हम आपको बता रहे हैं 5 ऐसे देशों के बारे में जहां नवरात्रि भारत जैसी ही धूमधाम से मनाई जाती है। 

नवरात्रि 2025: भारत के अलावा इन 5 देशों में धूमधाम से मनाया जाता है यह त्योहार

नवरात्रि का त्योहार भारत में नौ रातों तक रंग, डांस और भक्ति का माहौल लाता है। मां दुर्गा की पूजा, गरबा और डांडिया की धूम से हर गली-मोहल्ला गूंज उठता है। लेकिन ये जश्न सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है। भारतीय डायस्पोरा ने इसे दुनिया के कोने-कोने में पहुंचा दिया है। आज हम आपको बता रहे हैं 5 ऐसे देशों के बारे में जहां नवरात्रि भारत जैसी ही धूमधाम से मनाई जाती है। 

माउंट कैलाश के बारे में ये रहस्यमयी बातें पता हैं आपको?

माउंट कैलाश तिब्बत के ट्रांस-हिमालय इलाके में बसा एक ऐसा पर्वत है, जो अपनी रहस्यमयी बातों और आध्यात्मिक महत्व के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। इसकी ऊंचाई 6,638 मीटर (21,778 फीट) है, और ये पर्वत हिंदू, बौद्ध, जैन और बोन परंपराओं में बेहद पवित्र माना जाता है। लोग इसे भगवान शिव का घर मानते हैं, यही वजह है कि आज तक कोई भी इस पर चढ़ने में कामयाब नहीं हुआ। आज के दौर में विज्ञान और तकनीक बहुत आगे बढ़ गए हैं, फिर भी माउंट कैलाश एक ऐसी पहेली बना हुआ है, जिसे कोई हल नहीं कर पाया। अगर आप घूमने-फिरने या आध्यात्मिकता में रुचि रखते हैं, तो ये पर्वत आपको अपनी ओर खींच सकता है। इस पर्वत की खूबियां और रहस्य आपको चकित कर देंगे और आपके मन में कई सवाल छोड़ जाएंगे।

माउंट कैलाश के बारे में ये रहस्यमयी बातें पता हैं आपको?

माउंट कैलाश तिब्बत के ट्रांस-हिमालय इलाके में बसा एक ऐसा पर्वत है, जो अपनी रहस्यमयी बातों और आध्यात्मिक महत्व के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। इसकी ऊंचाई 6,638 मीटर (21,778 फीट) है, और ये पर्वत हिंदू, बौद्ध, जैन और बोन परंपराओं में बेहद पवित्र माना जाता है। लोग इसे भगवान शिव का घर मानते हैं, यही वजह है कि आज तक कोई भी इस पर चढ़ने में कामयाब नहीं हुआ। आज के दौर में विज्ञान और तकनीक बहुत आगे बढ़ गए हैं, फिर भी माउंट कैलाश एक ऐसी पहेली बना हुआ है, जिसे कोई हल नहीं कर पाया। अगर आप घूमने-फिरने या आध्यात्मिकता में रुचि रखते हैं, तो ये पर्वत आपको अपनी ओर खींच सकता है। इस पर्वत की खूबियां और रहस्य आपको चकित कर देंगे और आपके मन में कई सवाल छोड़ जाएंगे।

विश्व पर्यटन दिवस 2025: भारत के 10 शानदार इको-फ्रेंडली स्पॉट्स

विश्व पर्यटन दिवस हर साल 27 सितंबर को मनाया जाता है, और 2025 का थीम है "टूरिज्म एंड सस्टेनेबल ट्रांसफॉर्मेशन"। ये थीम पर्यटन को पर्यावरण के अनुकूल बनाने और स्थानीय समुदायों को मजबूत करने पर जोर देती है। भारत जैसे विविध देश में इको-फ्रेंडली पर्यटन का चलन तेजी से बढ़ रहा है, जहां कुदरती खूबसूरती को बचाते हुए घूमने का मजा लिया जा सकता है। हम आपको भारत की टॉप 10 इको-फ्रेंडली जगहों की लिस्ट दे रहे हैं। ये जगहें न सिर्फ खूबसूरत हैं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण, कम्युनिटी बेस्ड टूरिज्म और सस्टेनेबल प्रैक्टिसेज पर फोकस करती हैं। अगर आप प्रकृति प्रेमी हैं और जिम्मेदारी से घूमना चाहते हैं, तो ये जगहें आपके लिए परफेक्ट हैं। 

तारों भरी रात बिताने के लिए भारत की 5 शानदार कैंपसाइट्स

रात को खुले आसमान के नीचे कैंपिंग करना किसी सपने जैसा लगता है। तारों की चादर ओढ़कर सोना, सुबह पहाड़ों की हवा में जागना, ये अनुभव भारत की खूबसूरत जगहों पर आसानी से मिल सकता है। आज हम आपको बता रहे हैं भारत के 5 ऐसे कैंपसाइट्स, जहां आप स्टारगेजिंग का मजा लेते हुए कुदरत के करीब आ सकते हैं। ये जगहें इको-फ्रेंडली हैं, जहां लाइट पॉल्यूशन कम है और पर्यावरण का ख्याल रखा जाता है। अगर आप एडवेंचर लवर हैं या पीसफुल छुट्टियां बिताना चाहते हैं, तो ये कैंपसाइट्स आपके लिए परफेक्ट हैं। 

तारों भरी रात बिताने के लिए भारत की 5 शानदार कैंपसाइट्स

रात को खुले आसमान के नीचे कैंपिंग करना किसी सपने जैसा लगता है। तारों की चादर ओढ़कर सोना, सुबह पहाड़ों की हवा में जागना, ये अनुभव भारत की खूबसूरत जगहों पर आसानी से मिल सकता है। आज हम आपको बता रहे हैं भारत के 5 ऐसे कैंपसाइट्स, जहां आप स्टारगेजिंग का मजा लेते हुए कुदरत के करीब आ सकते हैं। ये जगहें इको-फ्रेंडली हैं, जहां लाइट पॉल्यूशन कम है और पर्यावरण का ख्याल रखा जाता है। अगर आप एडवेंचर लवर हैं या पीसफुल छुट्टियां बिताना चाहते हैं, तो ये कैंपसाइट्स आपके लिए परफेक्ट हैं। 

दिवाली 2025 : भारत के इन 8 लक्ष्मी मंदिरों में करें दर्शन

दिवाली भारत का रोशनी और खुशियों से भरा त्योहार है। ये जगमगाहट, खुशी और समृद्धि का समय है। इस त्योहार में माता लक्ष्मी की पूजा खास होती है, क्योंकि वह धन और सौभाग्य की देवी हैं। देश में कई ऐसे मंदिर हैं, जहां दिवाली के समय माता लक्ष्मी के दर्शन करने से विशेष आशीर्वाद मिलता है। आज हम आपको ऐसे ही 8 शक्तिशाली लक्ष्मी मंदिरों के बारे में बता रहे हैं। ये मंदिर अपनी खूबसूरत बनावट, शांति और खास पूजा के लिए मशहूर हैं। अगर आप इस दिवाली माता लक्ष्मी का आशीर्वाद लेना चाहते हैं, तो इन मंदिरों में जरूर जाएं। 

दिवाली 2025 : भारत के इन 8 लक्ष्मी मंदिरों में करें दर्शन

दिवाली भारत का रोशनी और खुशियों से भरा त्योहार है। ये जगमगाहट, खुशी और समृद्धि का समय है। इस त्योहार में माता लक्ष्मी की पूजा खास होती है, क्योंकि वह धन और सौभाग्य की देवी हैं। देश में कई ऐसे मंदिर हैं, जहां दिवाली के समय माता लक्ष्मी के दर्शन करने से विशेष आशीर्वाद मिलता है। आज हम आपको ऐसे ही 8 शक्तिशाली लक्ष्मी मंदिरों के बारे में बता रहे हैं। ये मंदिर अपनी खूबसूरत बनावट, शांति और खास पूजा के लिए मशहूर हैं। अगर आप इस दिवाली माता लक्ष्मी का आशीर्वाद लेना चाहते हैं, तो इन मंदिरों में जरूर जाएं। 

2026 के अनोखे ट्रैवल ट्रेंड्स: नए सफर की खोज

2026 में सफर का तरीका तेजी से बदल रहा है। अब लोग सिर्फ घूमने-फिरने नहीं, बल्कि पर्सनल और डीप एक्सपीरियंस की तलाश में हैं। हाल ही में आई स्काईस्कैनर की रिपोर्ट में 2026 ट्रैवल ट्रेंड्स की जानकारी दी गई है। इस यूनिवर्सल सर्वे के आधार पर पता चलता है कि लोग 2026 में कैसे घूमना चाहते हैं। चाहे वो संस्कृति से जुड़ना हो, वेलनेस की तलाश हो या प्रकृति के अनछुए कोनों की खोज, ये ट्रेंड्स यात्रा को और खास बनाएंगे। आइए, इन 7 अनोखे ट्रैवल ट्रेंड्स और उनके लिए भारत की बेस्ट जगहों के बारे में जानते हैं। ये ट्रेंड्स आपको नई तरह से घूमने के लिए इनस्पायर देंगे।

2026 के अनोखे ट्रैवल ट्रेंड्स: नए सफर की खोज

2026 में सफर का तरीका तेजी से बदल रहा है। अब लोग सिर्फ घूमने-फिरने नहीं, बल्कि पर्सनल और डीप एक्सपीरियंस की तलाश में हैं। हाल ही में आई स्काईस्कैनर की रिपोर्ट में 2026 ट्रैवल ट्रेंड्स की जानकारी दी गई है। इस यूनिवर्सल सर्वे के आधार पर पता चलता है कि लोग 2026 में कैसे घूमना चाहते हैं। चाहे वो संस्कृति से जुड़ना हो, वेलनेस की तलाश हो या प्रकृति के अनछुए कोनों की खोज, ये ट्रेंड्स यात्रा को और खास बनाएंगे। आइए, इन 7 अनोखे ट्रैवल ट्रेंड्स और उनके लिए भारत की बेस्ट जगहों के बारे में जानते हैं। ये ट्रेंड्स आपको नई तरह से घूमने के लिए इनस्पायर देंगे।

हाइवे पर टॉयलेट की फोटो खींचें, पाएं 1000 रुपये का FASTag क्रेडिट: जानें कैसे

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने हाईवे पर सफाई बढ़ाने के लिए एक खास योजना शुरू की है, जिसका नाम है 'क्लीन टॉयलेट पिक्चर चैलेंज'। ये योजना 'स्पेशल कैंपेन 5.0' का हिस्सा है। इसके तहत अगर आप टोल प्लाजा पर गंदा टॉयलेट देखते हैं तो उसकी फोटो खींचकर भेजें और 1,000 रुपये का FASTag क्रेडिट पाएं। ये योजना 31 अक्टूबर 2025 तक पूरे देश के राष्ट्रीय राजमार्गों पर लागू है। अगर आप हाईवे पर गाड़ी चलाते हैं, तो ये आपके लिए पैसे कमाने का शानदार मौका है। आइए, समझते हैं कि ये योजना कैसे काम करती है? फोटो कैसे भेजनी है? और क्या नियम हैं? 

अब फ्लाइट टिकट की कीमतों की टेंशन नहीं! 'फेयर से फुरसत' योजना बनेगी सहारा

क्या आपने कभी फ्लाइट टिकट बुक करने की कोशिश की और आखिरी समय में कीमतें आसमान छूने लगीं? ये हर किसी के साथ होता है और इससे सब परेशान भी रहते हैं। लेकिन अब अच्छी खबर है! भारत की सरकारी रीजनल एयरलाइन, एलायंस एयर, ने 'फेयर से फुरसत' नाम की एक नई योजना शुरू की है। इस योजना में टिकट की कीमतें फिक्स रहेंगी, चाहे आप पहले बुक करें या आखिरी दिन। केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री रममोहन नायडू किंजारापु ने इस योजना की शुरुआत की है। ये योजना 13 अक्टूबर से 31 दिसंबर 2025 तक कुछ खास रूट्स पर चलेगी। इसका मकसद मिडिल क्लास और छोटे शहरों के लोगों के लिए हवाई यात्रा को सस्ता और आसान बनाना है। आइए समझें कि ये योजना क्या है, कैसे काम करती है और आपको क्या फायदा होगा।

गूगल मैप्स के रंगों का आसान मतलब: हरी, लाल, बैंगनी लाइनें क्या बताती हैं?

गूगल मैप्स हमारा रोज़ का साथी है, चाहे पास की चाय की दुकान जाना हो या पहाड़ों में रोड ट्रिप। लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि मैप पर दिखने वाली हरी, लाल, पीली और बैंगनी लाइनें क्या कहती हैं? ये रंग सिर्फ सजावट के लिए नहीं हैं। आइए, इन रंगों का मतलब समझें, ताकि आपकी अगली यात्रा मज़ेदार और आसान हो।

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भारत के 5 मंदिर जहां मोबाइल फोन ले जाना मना है

अगर आप इन मंदिरों में दर्शन के लिए जा रहे हैं, तो पहले नियम जान लें, ताकि कोई परेशानी न हो।

अब फ्लाइट टिकट की कीमतों की टेंशन नहीं! 'फेयर से फुरसत' योजना बनेगी सहारा

इसका मकसद मिडिल क्लास और छोटे शहरों के लोगों के लिए हवाई यात्रा को सस्ता और आसान बनाना है।

हाइवे पर टॉयलेट की फोटो खींचें, पाएं 1000 रुपये का FASTag क्रेडिट: जानें कैसे

ये योजना कैसे काम करती है? फोटो कैसे भेजनी है? और क्या नियम हैं?

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पुष्कर: उत्सवों को उत्साह से मनाती भगवान ब्रह्मा की ये नगरी

अरावली की पहाड़ियों से तीन ओर से घिरे राजस्थान के ह्रदय पुष्कर में एक अलग ही रंग का हिंदुस्तान बसता है। एक ऐसा हिंदुस्तान जिसे सैलानी सिर्फ देखने नहीं बल्कि उसे महसूस करने, जीने और इसकी आध्यात्मिकता में डूब जाने के लिए आते हैं।

वाइल्ड लाइफ के शौकीनों के लिए महाराष्ट्र है बेस्ट

प्लानिंग इस बार महाराष्ट्र के टाइगर रिजर्व्स को एक्सप्लोर करने की और एडवेंचर के साथ खूबसूरती को निहारने की।

भूटान घूमने का बना रहे हैं प्लान? रॉयल हाइलैंड फेस्टिवल कर रहा है इंतज़ार

भूटान गासा में रॉयल हाईलैंड फेस्टिवल की मेजबानी करने के लिए पूरी तरह तैयार है।

सितंबर में घूमने के लिए बेस्ट हैं ये जगहें

हमारा देश इतना बड़ा है कि यहां हर महीने आपको घूमने के लिए कई सुंदर जगहें मिल जाएंगी।