अजंता-एलोरा ही नहीं, महाराष्ट्र की ये गुफाएं भी हैं खास

अजंता की गुफाएं

बात जब भारत की गुफाओं की आती है तो अजंता का नाम सबसे पहले जेहन में आात है। महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद जिले में हैं अजंता की गुफाएं। लगभग 200 ईसा पूर्व इन गुफाओं को बनवाया गया था। इन गुफाओं में हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म के चित्र, मूर्ति व अन्य कलाकृति लगी हुई है। अजंता की गुफाओं को यूनेस्को ने विश्व विरासत स्थल का दर्जा भी दिया है। अजंता में लगभग 30 गुफाएं है जिनमें तीनों धर्मों के चित्र, मूर्तियां और भित्ति-चित्र बने हैं। गुफाओं की सभी दीवारों में एक- एक महत्वपूर्ण खिड़की लगी हुई हैं जो बहुमूल्य रत्नों से जड़ी हैं। अजंता की सभी गुफाओं की एक खास और आम बात है कि इन सभी में भगवान बुद्ध के जीवन के अनसुने किस्से दिखाए गए हैं। जब भगवान बुद्ध ने मोक्ष प्राप्त किया था उससे पहले के सभी वाकयों को यहां बखूबी दिखाया गया है।
एलोरा की गुफाएं

एलोरा की गुफाएं
औरंगाबाद जिले से 30 किलोमीटर दूर हैं एलोरा की गुफाएं। विश्व विरासत स्थलों की फेहरिस्त में शामिल इन गुफाओं को राशत्राकुता राजवंश में बनवाया गया था। तीन हिस्सों में बंटी एलोरा में 34 गुफाएं बनी हुई है। तीनों भाग हिन्दू, बौद्ध, व जैन धर्म के लिए है। बौद्ध भाग में 12 गुफाएं, हिन्दू भाग में 17 और जैन भाग में केवल 5 गुफाएं है। यह सभी गुफाएं पुराने समय की बनी हुई नायाब कलाकृति है। इनका पहला हिस्सा बौद्ध धर्म का है। 450 से 700 ईसा बाद बने इस हिस्से में 12 गुफाएं है। यह 12 गुफाएं दो नक़्क़ाशीदार हिस्सों में बंटी हैं यानि गुफा 1 से 5 और गुफा 6 से 12 । हिन्दू गुफाओं को ब्राह्मण गुफाएं भी कहा जाता है और पश्चिम की ओर बनी ये गुफाएं 13 से 29 तक हैं। एलोरा में गुफाओं का अंतिम भाग जैन धर्म का है। इसमें 5 गुफाएं है। इनकी कई खासियतें हैं जिनके बारे में जानने के लिए आपको यहां का एक चक्कर तो लगाना चाहिए।
पीतलखोरा की गुफाएं

अजंता एलोरा की गुफाओं के बारे में हम सभी जानते हैं, लेकिन अजंता की गुफाओं से 110 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पीतलखोरा की गुफाओं से आप अंजान होंगे। महाराष्ट्र के औरंगाबाद में पीतलखोरा की गुफाएं बनी हुई हैं। शहर की भीड़भाड़ से दूर ये गुफाएं एक अलग ही दुनिया का अहसास कराती हैं। ये सह्याद्री पर्वत शृंखला पर मौजूद 14 गुफाओं का एक समूह हैं। विशालकाल मूर्तियों से भरी इन गुफाओं की सुंदरता देखते ही बनती है। अद्भुत चित्रकारी और पत्थर पर की गई नक्काशी इसकी खासियत है। पत्थर की चट्टानों को काटकर बनाई गईं खूबसूरत मूर्तियां हर किसी को आश्चर्य में डाल देती हैं। चंदोरा की पहाड़ियों को काटकर इस गुफा का निर्माण किया गया है। इसमें प्रार्थना कक्ष, आवासीय कक्ष, आरामगाह आदि अलग-अलग जगहें हैं। इस गुफाओं में बने ज्यादातर चित्र छठवीं शताब्दी के हैं। यहां हर गुफा में आपको अलग अहसास होगा। सुंदर झरने का पार करने के बाद जब आप इसके परिसर में दाखिल होते हैं तो यहां हाथियों, सैनिकों की मूर्ति देखने को मिलेगी। अन्य भाग में भगवान बुद्ध के कई मुद्राओं में चित्र उकेरे गए हैं। यहां की चित्रकारी अजंता शैली जैसी ही है। भगवान बुद्ध के अलावा यहां नागदेव, हाथियों और घोड़े की मूर्तियां हैं। यहां मिली कई मूर्तियों को नई दिल्ली के नेशनल म्युजियम में रखा गया है।
जोगेश्वरी गुफा

एक तरह से महाराष्ट्र गुफाओं का केन्द्र कहा जा सकता हैं। यहां छोटी-बड़ी मिलाकर तमाम गुफाएं हैं। ऐसी ही एक छोटी गुफा मुंबई शहर के गोरेगांव स्टेशन से करीब 30 किलोमीटर दक्षिण में अंबोली गांव में है, जिसे जोगेश्वरी गुफा कहते हैं। ये एक तरह का गुफा मंदिर भी है। इसमें प्रवेश करते ही आपको मूर्तियां देखने को मिल जाएंगी। इसमें तमाम मूर्तियां जोगेश्वरी माता, हनुमान और गणेश भगवान की हैं। धार्मिक महत्व के चलते भक्त इस गुफा में अपनी ओर से भी मूर्तियां स्थापित कर देते हैं। गुफा के अंदर आने वाले दर्शक इसकी भव्यता देखकर आश्चर्यचकित हो जाते हैं। गुफा के अंदर बने विशाल स्तम्भ भी हैं, जिनके ऊपर गुफा टिकी हुई है। स्वरूप बताया जाता है कि यह गुफा करीब 1500 साल पुरानी है। समय का प्रभाव इस गुफा पर अधिक पड़ा है, जिसकी वजह से अधिकांश मूर्तियां अपने प्राचीन स्वरूप में नहीं बची हैं।
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