कोरोना से लड़खड़ा रहा अफ्रीका का वाइल्डलाइफ टूरिज्म
कर्मचारियों की तनख्वाह में हो रही कटौती
पूरे अफ्रीका में जहां कहीं भी वाइल्डलाइफ रिजर्व और पार्क्स हैं, वहां के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजक्ट पैसों की कमी के चलते रोक दिए गए हैं। इतना ही नहीं नुकसान को कम करने के लिए कर्मचारियों की तनख्वाह में भी कटौती भी की जा रही है। खासकर उन जगहों पर काम करने वाले कर्मचारी जहां पर अधिक संख्या में टूरिस्ट आते थे। बता दें कि अफ्रीका में सालभर में सैर करने वाले पर्यटकों की संख्या लगभग 7 करोड़ के आसपास है। यूनाइटेड नेशंस वर्ल्ड टूरिज्म ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक अफ्रीका में आने वाले बड़ी संख्या में टूरिस्ट सफारी, गेम ड्राइव और हंटिंग जैसी एडवेंचरस एक्टिविटीज के लिए आते हैं। इस तरह की एक्टिविटीज से अच्छी खासी कमाई होती है।
बीते साल 160 करोड़ रुपये से अधिक कमाई
टूरिज्म सेक्टर से ही अकेले बीते साल केन्या ने लगभग 160 करोड रुपये से अधिक की आमदनी हुई थी। इसे हॉस्पिटैलटी से लेकर अवैध शिकार और जानवरों के संरक्षण में लगाया गया था। SWT अवैध शिकार को रोकने के लिए 13 टीम, पांच मोबाइल वेटनरी टीम के अलावा एरियल सर्विलांस और हाथी व गैंडा को बचाने के लिए ग्राउंड पेट्रोल टीम चला रही है। इस तरह की सभी एक्टिविटी ऑनलाइन डोनेशन के अलावा नैरोबी स्थित हाथियों के अनाथालय में आने वाले 500 से अधिक लोगों द्वारा दिए गए पैसों से चलती हैं। हालांकि, कोरोना का पहला केस आने के बाद इस अनाथालय को 15 मार्च के बाद बंद कर दिया गया था।
70 प्रतिशत तक बिजनेस प्रभावित
केन्या में एक और संरक्षक ओल पेजेता के मैनेजिंग डायरेक्टर रिचर्ड का मानना है कि इस साल उन्हें लगभग 70 प्रतिशत बिजनेस का नुकसान हुआ है। यह नुकसान लगभग 3 करोड़ रुपये के आसपास होगा। इस पैसे को संरक्षण के काम में लगाया जाता। ओल पेजेता एक ऐसी सेंचुरी है, जहां पर विलुप्ति की कगार पर खड़े काले गैंडों का संरक्षण किया जाता है। कोरोना की वजह से होने वाले नुकसान की वजह से यहां काम करने वाले कर्मचारियों के सैलरी के साथ गाड़ियों के तेल में भी कटौती की जा रही है। कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर का कहना है कि जब तक अतिरिक्त आमदनी नहीं होती तब तक सिर्फ जरूरी चीजों के लिए ही पैसे खर्च किए जाएंगे।
पहले इबोला अब कोरोना
कॉन्गों के पूर्वी भाग विरुंगा नैशनल पार्क पहले विद्रोही संगठनों, उसके बाद इबोला और अब कोरोना की मार झेल रहा है। शुरुआती दो परेशानियों के बावजूद यह नैशनल पार्क बेहतर कमाई कर रहा था। पार्क के डायरेक्टर इमैन्युअल कहते हैं कि सामान्य दिनों में एक कीपर हाथी के बच्चों को दूध पिलाने के साथ वहां आने वाले पर्यटकों को भी अटेंड करता था लेकिन कोराना फैलने के साथ ही लोगों ने यहां आना बंद कर दिया काम पूरी तरह से ठप हो गया। इतना ही नहीं यह पार्क दुनिया में बचे एक तिहाई पहाड़ी गोरिल्ला का घर है लेकिन इन्हें कोरोना से बचाने के लिए फरवरी के आखिर में इन इलाकों को रेंजर्स और सैलानियों दोनों के लिए बंद कर दिया गया। विरुंगा में ऑफ सीजन मंथ होने के बावजूद लगभग 280,000 डॉलर की कमाई होती है लेकिन इस बार यह सब नहीं होगा।
अवैध शिकार का बढ़ा खतरा
विरुंगा पार्क में जानवरों के अवैध शिकार को रोकने के लिए हवाईजहाज से निगरानी की जाती है, जो कि पिछली काफी समय से खड़े हैं। साथ ही पार्क में काम करने वाले न सिर्फ 1500 कर्मचारी बल्कि उनके परिवारों की मदद करने को लेकर अतिरिक्त दबाव महसूस कर रहा है। देश में मुद्रास्फिति बढ़ने की वजह से खाने-पीने की चीजों के दाम बढ़े हैं। इसका सीधा असर अवैध शिकार पर पड़ सकता है। अभी जो अवैध शिकार घटा है वह इस मार्केट के बढ़े चीजों के दाम के चलते बढ़ सकता है और लोकल शिकारी इसे पैसे कमाने के अवसर की तरह ले सकते हैं।
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