खूबसूरत नक्काशी और गर्वीला इतिहास है इस जगह की पहचान

इतिहास
कहते हैं कि 1336 में हरिहर और बुक्का ने हम्पी की स्थापना की थी। 1336 से 1565 तक हम्पी विजयनगर साम्राज्य की राजधानी रहा। 1565 में डेक्कन महासंघ ने इस शहर पर जीत हासिल कर ली और इसकी संपत्ति को लूट लिया। इसके बाद से ये शहर पूरी तरह निर्जन हो गया और 17वीं 18वीं शताब्दी तक पहुंचते-पहुंचते इस शहर का पूरी तरह विनाश हो गया। इसके बावजूद कृष्णा-तुंगभद्री दोआब क्षेत्र के पास रहने वाले लोगों की स्मृतियों में यह जीवित ही रहा। सन् 1800 में कर्नल कोलिन मच्केंजि ने दोबारा हम्पी की खोज की। इस शहर की खुदाई करने पर पुरातत्त्ववेत्ताओं को कई भव्य महल और मंदिर, पानी की शानदार व्यवस्था और कई दूसरे बुनियादी ढांचे मिले। इसके बाद, 1986 में यूनेस्को ने इसे विश्व विरासत स्थल घोषित किया था।
हम्पी में कई भव्य मंदिरों की श्रृंखला तो है ही, तुंगभद्रा नदी के किनारे होने के कारण इसे कुदरत ने भी अपनी खूबसूरती से नवाजा है। यहां दूर-दूर तक फैली वादी में बड़े-बड़े पत्थर आज भी मौजूद हैं। इसके साथ ही यहां 1600 से ज्यादा मंदिरों, महलों और पुरानी इमारतों के अवशेष हैं। हम्पी का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है विरुपाक्ष मंदिर। कहते हैं कि 7वीं सदी में इसकी स्थापना की गई थी। तब से लेकर आजतक यह मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र है। मंदिरों और प्राकृतिक दृश्यों के अलावा, यहां बेहद सुंदर पानी के ताल और कई भवन भी हैं, जो विजयनगर के राजाओं के नगर नियोजन कौशल को दर्शाते हैं। यहां के जलसेतु और नहरें 13 से 15वीं सदी की जल प्रबंधन प्रणाली की एक झलक दिखलाते हैं। हम्पी के आस-पास ग्रेनाइट पत्थरों की पहाड़ियां हैं, जिनकी गिनती दुनिया के सबसे पुराने पत्थरों में होती है। कभी ये पहाड़ बहुत बड़े होते थे, लेकिन कहते हैं कि सैकड़ों साल में घिस-घिस कर ये पहाड़ियां ही रह गई हैं।

पौराणिक महत्व भी है
मान्यता है कि रामायण में जिस किष्किंधा का जिक्र हुआ था, वह हम्पी ही था। उस युग में हम्पी का नाम किष्किंधा ही था और यह वह जगह है जहां राम- लक्ष्मण जी, सीता ली को ढूंढने के लिए लंका जाने से रुके थे। आज के पहाड़ों और कई स्थानों पर सुग्रीव, बाली, हनुमान और राम के रुकने की कहानियां हैं। हिन्दू पौराणिक कथाओं के मुताबिक, इस जगह पर पहले एक वानर साम्राज्य होता था। उन पौराणिक पूर्वजों के वंशज आज भी इन ग्रेनाइट पहाड़ियों पर उछल-कूद मचाते हुए देखे जाते हैं। अब चट्टानों पर चढ़ने का शौक रखने वाले लोगों के लिए यहां चढ़ना एक चुनौती माना जाता है।
घूमने के लिए है बहुत कुछ
हम्पी में विठ्ठलस्वामी मंदिर, विरुपाक्ष मंदिर, हाम्पी रथ, बड़ाव लिंग, लक्ष्मी नरसिम्हा मंदिर, हजारा राम मंदिर, रानी का स्नानागार, कमल महल, रघुनाथस्वामी मंदिर, हाउस ऑफ विक्टरी, हाथीघर, अच्युत राय के मंदिर, रिवरसाइड खंडहर, जज्जल मंडप, पंपा सरोवर, बुक्का के जलसेतु, गनीगित्ति मंदिर, पुरातत्व संग्रहालय, कमलापुर, गुंबददार गेटवे जैसी कई जगहें हैं जहां आप घूम सकते हैं और भारत के गौरवशाली इतिहास के दर्शन कर सकते हैं।
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