हम्पी: वास्तुकला की नायाब धरोहर
वीरूपक्ष मंदिर (7वीं सदी):
यह भारत की सबसे अनोखी जगहों में से एक होने के साथ ही साथ हम्पी की तीर्थयात्रा का सबसे खास केंद्र है। ये मंदिर अपनी खास वास्तुकला के लिए जाना जाता है, इसे पंपपति मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यहां आपको पुराने आर्किटेक्चर में से एक द्रविड़ वास्तुकला शैली देखने को मिलेगी। यह विजयनगर की राजधानी के पुराने शहर के खंडहरों में तुंगाबाद नदी के तट पर बना है। ये मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, क्योंकि वीरुपक्ष भगवान शिव के ही अवतार माने जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर 7 वीं शताब्दी में बनने के बाद से भारत के सबसे पुराने और खास मंदिरों में से एक है। इस मंदिर में बहुत पुराने शिलालेख हैं जो 9वीं और 10 वीं सदी तक के माने जाते हैं।
शाही अहाता
अपनी भव्य बनावट के कारण शाही अहाता किसी मजबूत साम्राज्य की ताकत को दर्शाता है। इस अहाते की खूबसूरती महानवमी डिब्बा व 100 खंभों से सजा हुआ दीवान-ए-आम बढ़ा देता है। इसके अलावा यहां एक अंडरग्रांउड कमरा भी है जो सीढ़ी वाली पुष्करणि व दीवान-ए-आम के बीच है। अहाते में जाने के लिए तीन रास्ते हैं। इसी अहाते में राजा रहते थे। यहां से थोड़ा आगे बढ़ने पर आगे चलने पर हमें रानी स्नान कुंड दिखाई देता है, इसे क्वीन्स बाथ के नाम से भी जाना जाता है, जो 15 वर्ग मीटर में बना हुआ है। शाही अहाते में मिलने वाली चीजों से अनुमान लगाया जाता है कि पहले के समय में यहां घोड़ों को प्रशिक्षण भी दिया जाता था।
इस बार की छुट्टियां मनाने का प्लान हमने बैंगलोर के लिए किया था क्योंकि वहां मेरा बेटा जॉब भी करता है तो हमारे लिए वहां घूमना आसान था। मैं अपनी पत्नी और बेटे के साथ एक हफ्ते के लिए बैंगलोर पहुंच गया। बेटे ने पहले से ही हम्पी घूमने का प्लान तैयार कर लिया था। उसने हम लोगों के बैंगलोर का टिकट भी स्लीपर बस में बुक कर दिया था। हम लोग रात 8 बजे मैजेस्टिक जिसको केम्पगौडा भी कहते हैं वहां बस पकड़ने के लिए पहुंच गए। हमने खाना भी बस स्टैंड पर ही खाया, हमारी बस रात 9 बजे हम्पी के लिए चल दी।
हम्पी यूनेस्को की विश्व धरोहर जगहों में शामिल है। यह बैंगलोर से लगभग 350 किमी की दूरी पर है इसलिए रात भर का सफर करके सुबह सुबह आराम से हम्पी पहुंचा जा सकता है। हम्पी अपने खूबसूरत मंदिर, महलों के खंडहर, पुराने बाजार की सड़कें, शाही मंडप, बुर्ज और शाही प्लेटफॉर्म जैसी खास चीजों के लिए ही जाना जाता है।
वीरूपक्ष मंदिर (7वीं सदी):
यह भारत की सबसे अनोखी जगहों में से एक होने के साथ ही साथ हम्पी की तीर्थयात्रा का सबसे खास केंद्र है। ये मंदिर अपनी खास वास्तुकला के लिए जाना जाता है, इसे पंपपति मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यहां आपको पुराने आर्किटेक्चर में से एक द्रविड़ वास्तुकला शैली देखने को मिलेगी। यह विजयनगर की राजधानी के पुराने शहर के खंडहरों में तुंगाबाद नदी के तट पर बना है। ये मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, क्योंकि वीरुपक्ष भगवान शिव के ही अवतार माने जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर 7 वीं शताब्दी में बनने के बाद से भारत के सबसे पुराने और खास मंदिरों में से एक है। इस मंदिर में बहुत पुराने शिलालेख हैं जो 9वीं और 10 वीं सदी तक के माने जाते हैं।
शाही अहाता
अपनी भव्य बनावट के कारण शाही अहाता किसी मजबूत साम्राज्य की ताकत को दर्शाता है। इस अहाते की खूबसूरती महानवमी डिब्बा व 100 खंभों से सजा हुआ दीवान-ए-आम बढ़ा देता है। इसके अलावा यहां एक अंडरग्रांउड कमरा भी है जो सीढ़ी वाली पुष्करणि व दीवान-ए-आम के बीच है। अहाते में जाने के लिए तीन रास्ते हैं। इसी अहाते में राजा रहते थे। यहां से थोड़ा आगे बढ़ने पर आगे चलने पर हमें रानी स्नान कुंड दिखाई देता है, इसे क्वीन्स बाथ के नाम से भी जाना जाता है, जो 15 वर्ग मीटर में बना हुआ है। शाही अहाते में मिलने वाली चीजों से अनुमान लगाया जाता है कि पहले के समय में यहां घोड़ों को प्रशिक्षण भी दिया जाता था।
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