प्रदूषण से परफेक्शन तक: भारत के 7 इको-टूरिज्म स्टार्स

इन जगहों की खासियत क्या है?
इन 7 शहरों ने दिखाया कि विकास और प्रकृति साथ चल सकते हैं। सरकार ने प्लास्टिक पर रोक लगाई और सौर ऊर्जा को अपनाया। स्थानीय लोग कचरा साफ करने और पौधे लगाने में जुटे हैं। यात्री भी अब साफ-सफाई का ध्यान रखते हैं। बरसात में इन जगहों की हरियाली और बढ़ जाती है, जो दिल को सुकून देती है। देहरादून की पहाड़ियां हों या पुडुचेरी का समुद्र तट, हर जगह दिल को छूती है।
1. देहरादून (उत्तराखंड): प्रकृति का नया रूप

देहरादून को याद करो तो पहले दिमाग में ट्रैफिक और धूल आती थी, लेकिन अब ये हरा-भरा लगने लगा है। हिमालय की गोद में बसा ये शहर अपने जंगलों, नदियों, और सुकून भरी वादियों से भरा है। सरकार ने वाहनों की संख्या कम की और सूरज की ऊर्जा को अपनाया, तो हवा साफ हो गई। सुबह की सैर पर पहाड़ों की ठंडी हवा और चिड़ियों की चहचहाहट सुनकर मन खुश हो जाता है। अगर आपको चिड़िया देखना या हल्की चढ़ाई पसंद है, तो ये जगह आपको गले लगाएगी। स्थानीय लोग भी इसमें साथ दे रहे हैं, जो इसे और प्यारा बनाता है।
2. मैसूर (कर्नाटक): शाही ठाठ के साथ
मैसूर का नाम आते ही यहां के महल और दशहरा की रौनक याद आती है, है न? लेकिन अब ये शहर हरा-भरा और साफ भी हो गया है। यहां प्लास्टिक बैग पर रोक लग गई। लोग बाइक या पैदल पर चलना ज़्यादा करें, इस बात पर जोर दिया गया। वृन्दावन गार्डन और कुंभकोणम झील में घूमते हुए मन को सुकून मिलता है, खासकर परिवार के साथ पिकनिक के लिए। कचरा साफ करने का इंतजाम बेहतर हुआ, तो प्रदूषण कम हो गया। शाम को महल के आसपास टहलते हुए लगता है कि प्रकृति और शाहीपन एक साथ खिल रहे हैं। यह दिल को छू लेने वाला नजारा होता है।
3. कोच्चि (केरल): समुद्र की गोद में

कोच्चि, जो पहले कोचीन कहलाता था, अपने चीनी मछली पकड़ने के जाल और पुराने ढंग के जादू के लिए मशहूर है। अब ये शहर ग्रीन टूरिज्म का नया रूप ले चुका है। यहां कचरा साफ करने और बारिश का पानी जमा करने का काम शुरू हुआ, तो प्रकृति और खिल उठी। कोच्चि में नाव की सैर पर समुद्र की हवा में सुकून मिलता है और वह भी बिना उसे नुकसान पहुंचाए। मछुआरे और यात्री साथ मिलकर इसे बनाए रखते हैं। बरसात में तो ये जगह और भी हसीन हो जाती है, बारिश की बूंदें और हरे पेड़ दिल को भा जाते हैं।
4. उदयपुर (राजस्थान): झीलों का शहर, अब हरा-भरा
उदयपुर की पिछोला और फतेह सागर झीलें, साथ में भव्य महल, ये तो हमेशा से पसंदीदा रहे हैं। लेकिन अब ये शहर हरा-भरा हो गया है, जो और प्यारा लगता है। यहां होटल सोलर लाइट से चलते हैं और कचरे को रीसायकिल किया जाता है। नाव की सवारी पर शाही एहसास के साथ हरा-भरा माहौल मिलता है। सरकार ने प्रदूषण कम करने की कोशिश की, तो झील का पानी साफ रहता है। शाम को झील किनारे बैठकर लगता है कि रिवाज और नई सोच यहां गजब की जोड़ी बनाते हैं। ये जगह दिल में बस जाती है!
5. गंगटोक (सिक्किम): पहाड़ों का हरा जादू

गंगटोक, सिक्किम की राजधानी, पहले से ही अपनी खूबसूरत पहाड़ों और मठों के लिए जाना जाता था। अब ये हरा-भरा और प्राकृतिक शहर बन गया है। यहां प्लास्टिक पर रोक है, और लोग बांस की बोतलें और हरे सामान इस्तेमाल करते हैं। घूमने के लिए ये जगह जन्नत है। हर कदम पर साफ प्रकृति दिखती है। स्थानीय तहजीब और हरे कामों का मेल इसे खास बनाता है। सुबह चाय पीते हुए कंचनजंगा की चोटी देखो तो ऐसा लगता है कि प्रकृति पास है। ये शहर शांति और रोमांच दोनों देता है।
6. शिलांग (मेघालय): प्रकृति का जीवंत रंग
शिलांग के लिविंग रूट ब्रिज और हरी घाटियां हमेशा से पसंद की जाती रही हैं। अब ये ग्रीन टूरिज्म का शानदार उदाहरण बन गया है। यहां कचरा साफ करने और प्राकृतिक चीजों का चलन है, जो प्रकृति को सही रखता है। ट्रेकिंग के दौरान दिखने वाले झरने और हरे जंगल दिल को छू जाते हैं। स्थानीय कबीले अपने रीति-रिवाजों से इसे और खास बनाते हैं। बरसात में तो ये शहर जादू सा लगता है, पानी की बूंदें और प्रकृति का रंग मन को लुभाता है।
7. पुडुचेरी (पांडिचेरी): फ्रेंच आकर्षण

पुडुचेरी का फ्रेंच अंदाज, रंगीन गलियां, और शांत समुद्र तट हमेशा से प्यारे रहे हैं। अब ये इको टूरिज्म का नया ठिकाना भी बन गया है। यहां की सरकार गाड़ी के बजाय साइकिल चलाने पर जोर देती है। पुडुचेरी में समुद्र तट भी काफी साफ रहते हैं। स्थानीय कैफे और दुकानें सस्टेनेबल तरीके अपनाते हैं, जो टूरिस्ट्स को काफी पसंद आता है। समुद्र किनारे टहलते हुए लगता है कि एक शांत दुनिया में हैं।
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