अपने हैंडलूम के लिए मशहूर शहरों का सफर
भारत का कपड़ा उद्योग देश की बेमिशाल कलात्मक प्रतिभा और गहरी जड़ें जमा चुकी सांस्कृतिक विरासत का जीता जागता उदाहरण है। भारत का हर क्षेत्र अपनी अनूठी कपड़ा शैली को दिखाता है, जिसमें कांचीपुरम और वाराणसी की हाथ से बुनी रेशम साड़ियां और कोटा का कपड़ा सबसे मशहूर उदाहरण हैं। भारतीय परिधानों में इस्तेमाल कपड़ों, पैटर्न और बुनाई तकनीकों की विविधता बुनकरों के कौशल के बारे में काफी कुछ कहती है। हमारे देश में ऐसे कई शहर हैं जो हथकरघा की कलात्मक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।
वाराणसी, उत्तर प्रदेश
वाराणसी अपने बेहतरीन हथकरघा उत्पादों, खासकर बनारसी रेशम साड़ियों, ज़री कढ़ाई और ब्रोकेड के लिए जाना जाता है। यह बुनाई शिल्प का एक सेंटर है, जहां कुशल कारीगर सोने और चांदी के धागों को बुनकर आम तौर पर भारतीय शादियों के लिए चुने जाने वाले कपड़े बनाते हैं। यहां आप आप प्योर सूती कपड़ों पर अच्छे पैटर्न वाली जामदानी बुनाई भी पा सकते हैं।
सूरत, गुजरात
भारत के अग्रणी कपड़ा केंद्रों में से एक के रूप में जाना जाने वाला सूरत एक संपन्न हथकरघा बाजार का मालिक है। शहर की ख़ासियत में सूत उत्पादन, बुनाई, प्रॉसेसिंग और कढ़ाई सहित कई कौशल शामिल हैं। आबादी का एक बड़ा हिस्सा सिंथेटिक कपड़ा उत्पादों के उत्पादन और व्यापार में लगा हुआ है। शहर की बेशकीमती संपत्तियों में पारंपरिक "पटोला" है, जो रेशम से बनी एक डबल इकत (कपड़ा) बुनी हुई साड़ी है। यह खूबसूरत कलात्मकता शुरुआत से ही सूरत में कायम है, जिससे यह हथकरघा शिल्प कौशल के लिए एक अनुकरणीय शहर बन गया है।
पानीपत, हरियाणा
ऐतिहासिक शहर पानीपत में हथकरघा और कपड़ा निर्माताओं का एक पूरा समुदाय है, जो ख़ासकर घरेलू सजावट की चीज़ें बनाता है। शहर की बहुत सारी आबादी फलते-फूलते हथकरघा व्यवसायों में सक्रिय रूप से शामिल है। इस शहर के हथकरघा उत्पादों की सूची में गलीचे, चटाई, चादरें, तौलिये और पर्दे शामिल हैं। अच्छी मात्रा में कच्चे माल, कुशल लेकिन लागत प्रभावी श्रम शक्ति और घरेलू और वैश्विक बाजारों में मजबूत उपस्थिति के कारण घरेलू साज-सज्जा को पानीपत में एक विशाल बाजार मिला है।
लखनऊ, उत्तर प्रदेश
नवाबों का शहर कहे जाने वाले लखनऊ में राजशाही और भव्यता का अहसास होता है। इसके सबसे प्रसिद्ध हथकरघा शिल्पों में चिकनकारी है, जो एक अत्यधिक सम्मानित कला है। यह चिकन वर्क फैब्रिक के निर्माण के लिए मुख्य केंद्र के रूप में खड़ा है। जटिल चिकनकारी का काम टोपी, कुर्ता, साड़ी और स्कार्फ सहित कई परिधानों और सामानों पर होता है। आप यहां आएं तो अपने आप को नवाबों के शहर के शाही आकर्षण में डुबो दें और चिकनकारी की कलात्मक महारत को देखें, जिससे आपका सफर वास्तव में यादगार हो जाएगा।
कोटा, राजस्थान
कोटा अपने दुल्हन के कपड़ों, जैसे गोटा पट्टी और चांदी के आभूषणों के लिए जाना जाता है। उनमें से, कोटा बुनाई सबसे अलग है, सूती कपड़े का एक खास रूप जो धागों से बुना जाता है और एक आकर्षक चेकर पैटर्न बनाता है। इसके अलावा, इस क्षेत्र में कोटा डोरिया नामक एक और कमल का प्रोडक्ट है, जो कपास और रेशम का मिश्रण है और चौकोर पैटर्न से बना है जिसे खत के नाम से जाना जाता है।
महेश्वर, मध्य प्रदेश
यह क्षेत्र अपनी लोकप्रिय माहेश्वरी साड़ियों और कपड़ों के लिए जाना जाता है, जो धारियों, चेक और फूलों के बॉर्डर जैसे कमाल के डिजाइन में बनते हैं। यहां के कुशल बुनकरों की उत्पत्ति मांडू से मानी जाती है, जहां उन्होंने शुरुआत में मुगलों के लिए कपड़ा बुना था। समय के साथ, उनकी शिल्प कौशल को शाही संरक्षण प्राप्त हुआ, जिससे महेश्वर की हथकरघा बुनाई परंपरा समृद्ध हुई। पूरे इतिहास में, महेश्वर को मध्य प्रदेश में बेहतरीन कपड़ों के उत्पादन के लिए जाना जाता है।
चेन्नई, तमिलनाडु
शहर में चमड़ा, बुना हुआ कपड़ा, रेशम और कपास सहित व्यापक कपड़े उपलब्ध हैं। कांचीपुरम और अरानी के कपड़े स्थानीय बाजार में हावी हैं, जो विशेष रूप से अपनी उत्कृष्ट ज़री रेशम साड़ियों के लिए मशहूर हैं। यह क्षेत्र कई हथकरघा रेशम-बुनाई उद्योगों की भी मेजबानी करता है, जो पारंपरिक शिल्प कौशल को बेहतरीन तरीके से दिखाते करते हैं।
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