बारिश में हिमाचल जा रहे हैं तो इन बातों का रखें ध्यान

मौसम की जानकारी हर दिन चेक करें

सबसे पहली और जरूरी बात है कि मौसम की खबर को गंभीरता से लें। यह सुनने में आसान लगता है, लेकिन इसका मतलब है कि आपको रोजाना, हर घंटे मौसम की जानकारी देखनी चाहिए। सिर्फ एक ऐप पर भरोसा न करें, कम से कम दो वेदर ऐप्स जैसे AccuWeather या Weather Underground को चेक करते रहें। अगर संभव हो तो वहां रहने वाले किसी जानकार से भी बात कर लें। हिमाचल में मौसम का कुछ पता नहीं होता है कि कब क्या हो जाए। अगर मौसम विभाग (IMD) की ओर से रेड अलर्ट जारी हो, तो ऊंचाई वाले इलाकों जैसे रोहतांग पास या किन्नौर की ओर जाने से बचें। लोकल लोगों की सलाह को भी मानें, क्योंकि उन्होंने सालों से इन मॉनसूनों का सामना किया है और उनकी जानकारी आपकी सुरक्षा में मददगार साबित हो सकती है।
खास टिप: इंडियन मेट्रोलॉजिकल डिपार्टमेंट (IMD) की वेबसाइट और लोकल न्यूज़ चैनल्स पर ताजा अपडेट्स मिलते हैं। इन वेबसाइट्स को बुकमार्क कर लें और हर दिन सुबह-शाम उन्हें चेक करते रहें।
शॉर्टकट्स से बचें

मॉनसून के दौरान हिमाचल की सुंदर सड़कें खतरों से भरी हो सकती हैं। ये रास्ते, जो आमतौर पर इंस्टाग्राम पर खूबसूरत लगते हैं, बारिश में कीचड़ से भर जाते हैं या लैंडस्लाइड की वजह से बंद हो जाते हैं। इसलिए, शॉर्टकट या खूबसूरत रास्तों से बचें, खासकर अगर गूगल मैप्स पर वो नजदीक दिखाई दें। इसके बजाय, हमेशा मेन हाईवे से जाएं जो समय-समय पर साफ किए जाते हैं और प्रशासन की निगरानी में रहते हैं। हो सकता है कि कोई छिपा हुआ गांव, जो सोशल मीडिया पर आपको बेहद सुंदर लग रहा हो, इस मौसम में पहुंच से बाहर हो सकता है। निकलने से पहले रास्ते का हाल जानने के लिए स्थानीय पुलिस या होटल स्टाफ से जानकारी लें। जैसे, मनाली से लेह जाने वाला रास्ता मॉनसून में अक्सर बंद रहता है, तो वहां जाने का प्लान टाल दें।
ट्रैवल इंश्योरेंस जरूर करवाएं

मॉनसून में हिमाचल के मौसम का कुछ पता नहीं चलता। बारिश से सड़कें बंद हो सकती हैं, फ्लाइट्स कैंसिल हो सकती हैं या ट्रेनें लेट हो सकती हैं। ऐसे में ट्रैवल इंश्योरेंस आपका सबसे बड़ा सहारा बन सकता है। यह थोड़ा खर्चा कराएगा, लेकिन अगर आपकी मनाली से बस रास्ते में फंस जाए और होटल रिफंड देने से इनकार कर दे, तो 500-1000 रुपये का यह निवेश आपकी जेब और चिंता दोनों को बचा लेगा। इंश्योरेंस में मेडिकल इमरजेंसी, ट्रिप कैंसिलेशन, और सामान खोने का कवर शामिल हो, तो बेहतर है। कई कम्पनियां अच्छे ऑप्शंस देती हैं। पॉलिसी लेते वक्त शर्तें अच्छी तरह पढ़ लें, ताकि बाद में कोई दिक्कत न हो।
सब कुछ वाटरप्रूफ रखें

बारिश के मौसम में सब कुछ वाटरप्रूफ करना बेहतर रहेगा। एक अच्छी रेन जैकेट, मजबूत जूते जो फिसलन पर पकड़ बनाए रखें, मोबाइल और कैमरे के लिए वाटरप्रूफ कवर और क्विक-ड्राई कपड़े ज़रूर पैक कर लें। अगर आप थोड़ा स्टाइलिश होना चाहते हैं, तो वाटरप्रूफ बैग भी ले सकते हैं। गीले जींस पहनकर ठंड में रहना, बिजली न होना, और वाई-फाई की कमी, ये मॉनसून के आम हालात हैं। अगर आप इन एक्स्ट्रा चीजों को खुशी-खुशी साथ ले जाने को तैयार हैं, तो आपका सफर बेहतर हो सकता है।
प्लान बदलने के लिए तैयार रहें

आपका प्लान हो सकता है कि जलोरी पास पर सूरज को उगते हुए देखें और दोपहर 2 बजे नदी किनारे लंच करें, लेकिन मॉनसून में ऐसा होना मुश्किल है। लैंडस्लाइड की वजह से आपका रास्ता बदल सकता है, और आप तीन अनजान जगहों से होकर गुजर सकते हैं। हो सकता है कि आखिर में आपको किसी ढाबे पर पराठे खा कर ही काम चलाना पड़े। यही हिमाचल का मॉनसून है जिसमें कभी-कभी प्लान बदलना पड़ता है। इसलिए अपने शेड्यूल को चेंज करने के लिए हमेशा तैयार रहें। अगर बारिश रुक जाए तो एक्स्ट्रा समय निकालकर लोकल बाजार घूमें या सड़क किनारे बैठ कर चाय के मज़े लें। फ्लेक्सिबिलिटी आपको फालतू की टेंशन से बचाएगी और सफर को मज़ेदार बनाएगी।
कुछ खास तैयारी

इसके अलावा कुछ और बातों का ध्यान रखना जरूरी है। पहला, अपने साथ फर्स्ट एड किट रखें। दर्द की दवा, पट्टी, और एंटीसेप्टिक क्रीम हमेशा साथ हों। दूसरा, मोबाइल में टॉर्च और पावर बैंक रखें, क्योंकि बारिश में अक्सर बिजली कटौती होती है। तीसरा, लोकल इमरजेंसी नंबर जैसे 112 या पुलिस हेल्पलाइन सेव नंबर सेव कर लें। चौथा, अगर आप टेंटिंग या कैंपिंग प्लान कर रहे हैं, तो वाटरप्रूफ टेंट चुनें और सुरक्षित जगह चुनें। आखिर में, हल्के-फुल्के स्नैक्स जैसे बिस्किट या चॉकलेट साथ रखें ताकि भूख लगने पर परेशानी न हो।
पहाड़ों कि आवाज़ को समझें

हिमाचल की बारिश में एक अलग ही रूमानीपन है। कांगड़ा की चाय बागान बारिश में और हरे हो जाते हैं, जबकि मनाली की बर्फीली चोटियां बादलों से ढक जाती हैं। शिमला में रिज पर टहलना और मॉल रोड पर गरमा-गरम कॉफी पीना एक अनोखा एहसास देता है। लेकिन इस खूबसूरती के साथ-साथ सावधानी भी जरूरी है। लोकल लोग कहते हैं कि बारिश में पहाड़ों की आवाज़ सुनाई देती है, जो प्रकृति का संदेश होता है। तो इस संदेश को समझें और अपने सफर को सुरक्षित बनाएं।
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