यहां माथा टेककर पूरी होगी मन की हर मुराद

क्यों सर जी! कोरोना ने गर्मी की छुट्टियों का कबाड़ा कर दिया न। आप ही नहीं, हर किसी के साथ ऐसा ही हुआ है। लोगों ने जो कुछ भी प्लान बनाया था, वह रेत के टीले की तरह भरभरा कर ढह गया। अब तो सारी कोशिशें जान बचाने की हैं। खैर जैसे यह वक्त आया है, देर-सवेर चला भी जाएगा। इस दौर के गुजरने के बाद आपको कहीं निकलना हो तो हमारे पास आपके लिए कुछ खास है। आज हम आपको उन जगहों पर ले चलेंगे जो खास हैं। विज्ञान व तर्क की कसौटी पर इन जगहों को अंधविश्वास से जोड़ा जाता है, लेकिन कुछ तो है जिससे करोड़ों लोग हर साल यहां खिंचे चले आते हैं। लोग आते हैं, अपनी अर्जियां लगाते हैं और मनौतियां पूरी होने पर मत्था टेकने भी आते हैं। अब अगर आप इन जगहों को खारिज करना चाहते हैं तो टेस्ट लेना सबसे मुनासिब तरीका होगा। आउटिंग की आउटिंग भी हो जाएगी और सच्चाई का पता भी चल जाएगा।
तिरुपति भगवान वेंकटेश्वर मंदिर
तिरुमला की पहाड़ियों पर स्थित भगवान वेंकटेश्वर (विष्णु) के मंदिर में आशीर्वाद लेने के लिए हर साल करोड़ों लोग पहुंचते हैं। आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में तिरुपति में स्थित भगवान वेंकटेश्वर मंदिर समुद्र तल से 3200 फिट की ऊंचाई पर स्थित है। दक्षिण भारतीय वास्तुकला और शिल्प कला का अद्भुत नमूना यहां देखने को मिलता है। मान्यता है कि पांचवीं शताब्दी में इस मंदिर का निर्माण हुआ था, लेकिन इसको लेकर मतभेद भी हैं। कुछ साहित्यों में इस मंदिर की स्थापना को लेकर अलग-अलग तिथियां दर्ज हैं। मंदिर के ट्रस्ट का कहना है कि प्रतिदिन एक लाख लोग यहां पर आते हैं। कहा जाता है कि भगवान वेंकटेश्वर जिनको बाला जी के नाम से भी जाना जाता है, सबकी इच्छाएं पूरी करते हैं। मनौती पूरी होने पर मंदिर के दर्शनों के लिए आने वाले लोग अपने बालों का दान करते हैं। बाला जी मंदिर की देश से कनेक्टिविटी बेहतर है। यहां के लिए दिल्ली, लखनऊ जैसे शहरों से सीधी ट्रेनें चलती हैं। हैदराबाद तक हवाई मार्ग से भी पहुंचा जा सकता है जहां से डेली ट्रेन बाला जी को जाती हैं। रुकने की कोई टेंशन मत लीजिएगा। सस्ते से लेकर लग्जरी होटल तक आपको तिरुपति में मिल जाएंगे।

शेख सलीम चिश्ती की दरगाह
आगरा से एक घंटे की दूरी पर फतेहपुर सीकरी के किले में स्थित है शेख सलीम चिश्ती की दरगाह। मान्यता है कि यहां आने वाला कभी खाली हाथ नहीं जाता। मुगल सम्राट अकबर की भी पुत्र की मुराद भी चिश्ती के दरबार में पहुंचकर पूरी हुई थी। कहा जाता है कि चिश्ती की दुआ से सम्राट को तीन पुत्रों की प्राप्ति हुई। चिश्ती के आदर में अकबर ने अपने प्रथम पुत्र का नाम सलीम (जहांगीर) रखा। शेख सलीम चिश्ती की पुत्री जहांगीर की पालक मां थीं। मुराद पूरी होने के बाद अकबर चिश्ती से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपनी राजधानी को फतेहपुर सीकरी ही शिफ्ट कर दिया। अकबर की मुराद पूरी होने के बाद से लोगों का शेख सलीम चिश्ती की दरगाह पर आने का जो सिलसिला आरंभ हुआ था, वह अब तक जारी है। अब भी लोगों को उनकी दरगाह में विश्वास है। लोग मन्नतों को पूरा करने के लिए मजार में धागा बांधते हैं। मान्यता है कि जो भी यहां पर धागा बांधता है, उसकी मुराद जरूर पूरी होती है। मुराद पूरी हो जाने पर लोगों को धागा खोलने जाना होता है। दरगाह तक पहुंचना बहुत ही आसान है। आगरा से बस या टैक्सी से फतेहपुर सीकरी पहुंचा जा सकता है। यहां पर दरगाह के साथ ही आप पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित किले को भी घूमने जा सकते हैं। यहां पर जोधा बाई के महल के साथ ही घूमने की बहुत सी जगह हैं। आगरा तक आप ट्रेन से आसानी से पहुंच सकते हैं। यहां धर्म निरपेक्षता की अनूठी मिसाल देखने को मिलती है। हर धर्म के लोग यहां हर साल आते हैं।

नैनीताल का घंटियों वाला मंदिर
अब आप लगे हाथ हसीन वादियों की ठंडी हवा का मजा भी ले लीजिए। हम आपको लिए चलते हैं नैनीताल के घोड़ाखाल में प्रसिद्ध गोलू देवता के मंदिर। यह मंदिर अपने में अनूठा है और मनौती मांगने का तरीका भी एकदम अनोखा है। यहां पर लोग स्टांप पेपर पर लिखकर अर्जियां लगाते हैं। मान्यता है कि स्टांप पेपर पर लिखकर जो भी मांगा जाता है, वह पूरा होता है। जब मनौती पूरी हो जाती हैं तो इस मंदिर में लोग आकर भगवान को धन्यवाद कहने के लिए घंटियां बांधते हैं। नैनीताल की हरी-भरी वादियों से कुछ दूर स्थित इस मंदिर में न सिर्फ उत्तराखंड बल्कि देश के कोने-कोने से लोग अर्जियां लगाने आते हैं। इस मंदिर लाखों की तादात में घंटियां लगी हैं। घंटियां भी हर साइज की। छोटी घंटियों से लेकर बड़े-बड़े घंटे तक यहां लगे हैं। जिसकी जितनी हैसियत होती है, वह भगवान को उसी हिसाब से घंटियां चढ़ाता है। गोलू देवता का मंदिर काठगोदाम से 36 किमी व भवाली से 4 किमी दूर है। काठगोदाम से नैनीताल जाते वक्त घोड़ाखाल से रास्ता अलग हो जाता है। आप नैनीताल घूमने जा रहे हैं तो अपनी मनौती को पूरा करने के लिए यहां अर्जी लगा सकते हैं। वैसे ट्राई करने में क्या जाता है। मंदिर तक जाने के लिए आपको काठगोदाम, हल्द्वानी और नैनीताल से टैक्सियां

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