दुर्गा पूजा: शक्ति व शौर्य का उत्सव

श्रृंखला पाण्डेय 13-02-2020 01:10 PM Culture
आस्था, भक्ति, शक्ति व शौर्य का प्रतीक त्योहार यानि दुर्गा पूजा। उत्सव भले एक हो लेकिन इसका रंग हर राज्य में थोड़ा अलग देखने को मिलेगा। कहीं इन नौ दिनों में उपवास रखा जाता है तो कहीं नाच गाकर मां दुर्गा को खुश करने की कोशि। आस्था और उल्लास दोनों का मेल है दुर्गा पूजा। यूपी, झारखंड, गुजरात, हिमाचल, महाराष्ट्र और सबसे खास बंगाल में ये त्योहार बड़े ही भव्य तरीके से मनाया जाता है। तो इस बार आप भी इस उत्सव के भक्ति रंग में खुद को सराबोर करने के लिए निकल पड़िए इनमें से ही किस एक राज्य में।

पं बंगाल: भव्य पंडालों की दिखेगी कतार

दुर्गा पूजा का नाम आते ही सबसे पहले दिलो-दिमाग में बंगाल का ख्याल आता है। वैसे तो ये भारत के हर राज्य में अलग-अलग अंदाज में मनाई जाती है लेकिन बंगाल की दुर्गा पूजा की बात ही कुछ और है। यहां के लोग हर साल बड़े धूमधाम व भव्य तरीके से इस पूजा का आयोजन करते हैं। अगर आप कोलकाता की दुर्गापूजा देखने जा रहे हैं तो निश्चित तौर पर एक भव्य समारोह का हिस्सा बनने जा रहे हैं जिसे आप कभी नहीं भूल पाएंगें। इन दिनों कोलकाता शहर को दुल्हन की तरह तैयार किया जाता है। असल मायने में ये शहर त्योहारों को मनाना जाता है। यहां पर हर साल थीम बेस्ड सुंदर पंडाल बनाए जाते हैं। इस दौरान हर कोई जात-पात भूलकर, उम्र की सीमा को पार कर बस पंडालों में इस पूजा का लुत्फ उठाता नजर आता है। बंगाल के लोगों के लिए दुर्गा पूजा का मतलब केवल पूजा पाठ नहीं बल्कि साल भर के दुख दर्द भूलकर मस्ती में झूमने का है। कोलकाता के हर कोने में, उत्तरी कोलकाता से दक्षिण तक, नाकतला से बेहाला तक, बागबाजार, श्यामबाजार, कोलकाता की हर गली में मां दुर्गा का पंडाल जरूर सजता है। कई लोग अपने घर में ही मां की स्थापना करते हैं और 9 दिन तक घर में उनकी पूजा होती है और विसर्जन के समय महिलाएं रंग खेलती हैं। कोलकाता में दुर्गा पूजा की सबसे खास बात है कि यहां लोग प्रतिमा दर्शन के लिए पंडालों में रात भर लाइन लगाते हैं। वे दिन में निकलते हैं और रोजाना देर रात तक पंडालों के दर्शन करते हैं। ये पंडाल लाखों रुपए खर्च करके तैयार किए जाते हैं। पंडालों को इतनी खूबसूरती से सजाया जाता है, जिसे देखकर आप उसका बखान किए बिना नहीं रह पाएंगें।

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गुजरात-- गरबे पर थिरकते हैं लोग

जिस तरह गुजरात की संस्कृति व रीति रिवाज उसे सबसे अलग बनाती है उसी तरह यहां की दुर्गापूजा भी  कुछ हटके हैं। गुजरात एक ऐसा राज्य है जहां नवरात्रि का त्योहार गरबा और डांडिया रास के साथ मनाया जाता है। यहां श्रद्धालु पूरे नौ दिन का उपवास रखते हैं और मां अम्बे को खुश करने के लिए महिलाएं व पुरुष यहां के पांरपरिक कपड़ों में सज धज कर गरबा खेलते हैं। माँ दुर्गा की आरती के साथ नवरात्रि उत्सव का शुभारम्भ किया जाता है। यह त्योहार गुजरातवासियों के लिए उल्लास का प्रतीक है। नौ रातों तक चलने वाला यह उत्सव अपने अंदर रोशनियों और खुशियों को समेटे हुए है। गुजरात में हर जगह छोटे बड़े पंडालों में लोग गरबा नृत्य करने आते हैं। वैसे तो गुजरात के हर शहर में गरबा होता है लेकिन सबसे बड़े गरबे का आयोजन बड़ोदरा में होता है। यहां गरबा की धूम महीनों पहले से लोगों में ऊर्जा भर देती है। ताल से ताल मिला कर, बिना एक बीट मिस किए गरबा करना सरल नहीं है। लेकिन ये कला यहां के लोगों को बहुत अच्छे से आती है। देश-विदेश से लोग गरबा का मजा लेने के लिए गुजरात आते हैं। इस दौरान यहां बड़े-बड़े कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जिसमें लोग पारंपरिक गानों के साथ आधुनिक गानों पर भी थिरकते हैं। पूरी रात यहां की सड़कों पर चहल पहल रहती है  ऐसा लगता है मानो पूरा शहर नवरात्रि के रंग में डूब गया हो। तो अगर आप भी चाहते हैं बेफ्रिक होकर झूमकर नाचना,गाना तो इस नवरात्रि आइए गुजरात।

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यूपी: कन्या पूजा से पूरी होती है मुराद

यूपी और बिहार में दुर्गापूजा के दौरान जगह-जगह पंडाल सजाए जाते हैं। लोग नौ दिन का उपवास रखते हैं ओर कीर्तन-भजन करते हैं। यहां देवी स्थापना के साथ दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है। मंदिरों में देवी मां की झांकियां और पंडाल सजाए हैं। नवरात्रि भर यहां माता विंध्यवासिनी मंदिर,  विंध्याचल धाम, वाराणसी में मां अन्नपूर्णा मंदिर और मां मुंडेश्वरी के मंदिरों में रौनक रहती हैं तो वहीं वाराणसी में होने वाले नवरात्रि में पूरा काशी भक्ति में डूबा रहता है। नवरात्रि के दिनों वाराणसी में रामलीला का बड़े ही धूम-धाम से आयोजन किया जाता है, इसके चलते वाराणसी के घाटों पर बड़ी चहल-पहल और रौनक रहती है। यहां के सभी मंदिरों में आपको जगह-जगह देवी मां की झांकियां सजी मिलेंगी। इन मंदिरों में एक बार पहुंचकर  भजन-कीर्तन के साथ ढोलक की थाप व मंजीरों की धुन सुनकर उसमें लीन हो जाने का मन  हर किसी का करेगा। नवरात्रि के आठ दिन पूरे होने पर यहां कन्यापूजा होती है, जिसमें कन्या को देवी रुप मानकर उसकी आवभगत की जाती है, उसे भोजन कराकर दक्षिणा देकर विदा किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इससे देवी मां खुश होती हैं और मन की सारी मुरादें पूरी कर देती हैं।

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मुंबई- रंगारंग कार्यक्रमों से होती है शुरूआत

मुंबई में हर त्यौहार को बड़े ही प्यार और उल्लास के साथ मनाया जाता है तो फिर दुर्गा पूजा में भला मुंबई पीछे कैसे रह सकता है। इस त्योहार के दौरान पूरे शहर लाइटों की जगमगाहट से बेहद खूबसूरत लगता है। जगह-जगह भव्य पंडाल बनाकर उसमें देवी प्रतिमा को स्थापित किया जाता है। पंडालों के बाहर लगने वाले मेले में मिलने वाले लज़ीज़ व्यंजन और वहां होने वाले रंगारग सांस्कृतिक प्रोग्राम पूरे नौ दिन शहरवासियों को सोने नहीं देते। विवाहित महिलाएं एक-दूसरे के माथे पर हल्दी और कुमकुम लगाकर नवरात्रि की शुभकामनाएं देती हैं। गरबा की तरह महाराष्ट्र के लोग भी इन दिनों डांडिया खेलते हैं। अगर आप इस दुर्गापूजा में मुंबई जाने का प्लान कर रहे हैं तो लोखंडवाला दुर्गा उत्सव, बाल्कन जी बारी और बंगाल क्लब की पूजा देखने जा सकते हैं। यहां पंडाल में बॉलीवुड साइन कलाकार अपनी परफॉरमेंस से दर्शकों का मन मोह लेते हैं। मुंबई के अँधेरी में यह पंडाल होने के कारण यहां कई बॉलीवुड और टीवी कलाकारों को मां दुर्गा का आशीर्वाद लेते हुए देखा जा सकता है।

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हिमाचल प्रदेश: सबसे अलग यहां का रिवाज

हिमाचल की गोद में कई देवी मंदिर बसे हैं,जिनपर लोगों की अटूट आस्था है। मंदिरों के कारण नवरात्रि में यहां रौनक रहना आम बात है।  यहां के लोग नवरात्रि को बड़ा महत्व देते हैं। लेकिन यहां की दुर्गापूजा अन्य राज्यों से बिल्कुल अलग है। हिमाचल प्रदेश में नवरात्रि उत्सव तब शुरू होता है जब बाकी देश में पूजा खत्म होने के करीब होती है। ब्यास नदी के तट पर लकड़ी और घास के टुकड़े को जलाने के साथ ये त्योहार खत्म हो जाता है, जो रामायण में लंका के विनाश का दिखाता है। कुल्लू घाटी के ढलपुर मैदान में नौ दिनों के इस उत्सव को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।

 

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