Posts By - Shrinkhala Pandey

एक चाय की चुस्की.....एक कहकहा

दूर-दूर तक फैली खूबसूरत वादियां हों, ठंडी हवाएं आपको छूकर तरोताजा कर रहीं हों, झीलें एक मीठी सी धुन सुनाकर बह रहीं हों और आप हाथों में चाय का कप लिए इस खूबसूरती को बस देर तक निहार रहे हों। चाय के दीवानों को इससे ज्यादा और क्या चाहिए कि मनपसंद सफर हो और साथ में अदरक वाली चाय की गर्म चुस्कियां। उत्तर भारत के ज्यादातर लोगों का फेवरेट ड्रिंक चाय ही माना जाता है और कई तो इस कदर चाय के शौकीन हैं कि उन्हें किसी भी मौसम और दिन-रात से मतलब नहीं होता बस किसी ने चाय का नाम भर लिया और इन्हें तलब हो उठती है। इसमें कोई शक नहीं कि ये आपके सफर को दोगुना मजेदार बना देती है तो ग्रासहॉपर के इस अंक में हम बात करने जा रहे हैं चाय की अलग-अलग वैरायिटीज की और अगर आप खुद को टी लवर मानते हैं तो जरूरी है कि इन सभी अलग-अलग किस्म की चायों के स्वाद का मजा जरूर लें। 

झरनों और गुफाओं की खूबसूरती को निहारना है तो आइए झारखण्ड

झारखण्ड का नाम आते ही दिमाग में कोयला खदानें और इस्पात कारखाना घूमने लगता है, लेकिन इन सबके अलावा भी यहां बहुत कुछ है देखने और घूमने को। जंगलों से घिरे हुए इस राज्य के पास अपार प्राकृतिक सौंदर्य है। यहां कई ऐसी खूबसूरत जगहें हैं, जहां पहुंचकर आपको मानसिक शांति मिलेगी। कहीं पहाड़ों से कल-कल की आवाज करके बहते हुए झरने हैं तो कहीं दूर तक खामोश बहती झीलों के पास जब शाम ढलती है तो नजारा बेहद खूबसूरत होता है। दूर-दूर तक फैली हरी-भरी पहाड़ियों के नजारे देखकर आप अपनी सारी टेंशन भूल जाएंगे। प्राकृतिक नजारों के साथ-साथ पुरानी गुफाएं, ऊंची पहाड़ियां और हवा के संग-संग बहती नदियां आपको अपनी तरफ बरबस ही खींच लेंगी। ये सब देखकर ऐसा लगता है कि झारखण्ड को कुदरत ने प्राकृतिक सौंदर्य तोहफे में दिया हो। तभी तो यह एक ही नजर में सभी को लुभा लेता है। वाइल्डलाइफ के शौकीनों के लिए भी यहां कई ऑप्शन्स मौजूद हैं जो आपको एक्सपीरिएंस के साथ फोटोग्राफी का भी बेहतरीन मौका देते हैं। इसके अलावा झारखण्ड की आदिवासी लोक-संस्कृति भी आपका मन मोह लेगी तो इस बार जब भी घूमने का प्लान बना रहे हों झारखण्ड को जरूर याद कीजिएगा।

देश चखता है इन लजीज नाश्तों का स्वाद

इंडिया अपने संस्कृति, कला, खूबसूरत इमारतों के साथ-साथ खान-पान के लिए भी जाना जाता है। बोलचाल, रहन-सहन की तरह ही यहां के हर राज्य में आपको खाने में भी विविधता मिलेगी। कहीं के खाने की खुशबू आपके मुंह में पानी ला देगा तो कहीं का स्वाद आपकी जुबान पर देर तक अपना असर छोड़ेगा। राजस्थान के खाने में आपको मसाले की खुशबू मिलेगी तो वहीं साउथ इंडियन जायके लाइट और स्वाद से भरपूर होते हैं। हम बात करने जा रहे हैं फेसम नाश्तों की जो कुछ राज्यों की पहचान हैं, जब भी इन जगहों पर कभी घूमने का प्लान बनें तो सुबह के नाश्ते में वहां की स्पेशलिटी को चखना न भूलें। 

कश्मीर: ये हसीं वादियां देंगी आपके दिल को सुकून

कश्मीर की खूबसूरती का बखान कई शायरों और लेखकों ने किया है और ये बात आपको बिल्कुल सच लगेगी जब आप यहां आएंगें। इसके जर्रे जर्रे में खूबसूरती समाई है, कश्मीर की खूबसूरत वादियों में आने के बाद आप को ये महसूस होगा कि यहां की हवाओं और पानी में भी गजब की खूबसूरती है। दूर-दूर तक फैली सफेद बर्फीली पहाड़ियां, खामोशी से खड़े देवदार और चीड़ के पेड़, वादियों में महकती केसर की खुशबू, थोड़ी-थोड़ी दूर पर किसी जेवर सी झिलमिलाती झीलें और झीलों के पानी पर तैरते हाउसबोट और शिकारों में बैठकर चांदनी रात में आसमान को निहराना, ये सब सुनकर ही कितना खूबसूरत लगता है। अब सोचिए सामने से ये कितना हसीन मंजर होगा। कश्मीर के रंग हर मौसम में अलग-अलग तरीके से दिल को सुकून देते हैं लेकिन जब भी यहां बर्फ पड़ती है तो इस जगह की खूबसूरती और भी बढ़ जाती है, बर्फ की चादर पूरी तरह से जब इन वादियों को ढक लेती है तो वाकई ये जगह स्वर्ग ही लगती है।  

धरोहरें जो यूपी को बनाती हैं बाकी राज्यों से अलग

भारत की विरासतें दुनिया भर में अपनी अद्भुत बनावट और महत्व के कारण फेमस हैं। देश के अलग-अलग राज्यों में कोई न कोई ऐसी ऐतिहासिक धरोहर है, जो न केवल पर्यटकों के सामने बरसों पुराने इतिहास को दोबारा दोहराती हैं बल्कि अपनी खूबसूरत कलाकृतियों से उनको अपना कायल भी कर लेती हैं। यूपी भी उन राज्यों में शामिल है, जहां अनेक संस्कृतियां और परंपराएं पली-बढ़ी हैं। इस राज्य ने कई धरोहरों को बड़े सलीके से संभाल कर रखा है। फिर वो हर धर्म से परे, बेशुमार मोहब्बत की निशानी ताजमहल हो या फिर नवाबों के शहर लखनऊ में वास्तुकला का सबसे नायाब उदाहरण इमामबाड़ा। ये सब मिलकर ही यूपी को खास बनाते हैं और पर्यटकों की पसंद भी।  

अनोखे और खूबसूरत ब्रिजेज को देखकर आप भी हो जाएंगे हैरान

हम जब घूमने का प्लान बनाते हैं तो वहां कौन-कौन सी जगह एक्सप्लोर कर सकते हैं, ज्यादा फेमस, ज्यादा खूबसूरत या फिर कोई ऐसी जगह जो हैरान करने वाली हो, जिसे देखकर आप अपने दांतों तले उंगली दबा लें और सोचने पर मजबूर हो जाएं कि आखिर ये बना कैसे होगा। दुनिया में कई ऐसे देश हैं जहां ऐसे अजीबो-गरीब पुल हैं जो न सिर्फ बने ही हैरान करने वाले अंदाज में हैं बल्कि बहुत ही खूबसूरत भी हैं। ग्रासहॉपर के इस अंक में हम आपको बताने जा रहे हैं दुनिया के कुछ ऐसे ही हैरतअंगेज पुलों के बारे में। कोई ब्रिज फ्लैट्स के बीच से होकर गुजर रहा है तो कोई जंगलों में पेड़ों को जोड़ रहा है। कुछ तो ऐसे भी हैं जिन्हें देखकर ऐसा लगता है मानो डराने के लिए ही बनाए गए हों। 

वाइल्ड लाइफ के शौकीनों के लिए महाराष्ट्र है बेस्ट

घूमने के शौकीनों की भी अलग-अलग पसंद होती है किसी को पहाड़ पसंद हैं तो किसी को समंदर, किसी को ऐतिहासिक धरोहरें अपनी ओर खींचती हैं तो किसी को जंगल और वाइल्ड लाइफ। महाराष्ट्र इस मामले में बाकी राज्यों से ज्यादा धनी है क्योंकि यहां कई सारे टाइगर रिजर्व हैं, पार्क हैं, जंगल हैं, जो वाइल्ड लाइफ के शौकीनों के लिए किसी जन्नत से कम नहीं हैं। टाइगर, चिंकारा, भालू, नीलगाय, सांभर, चीतल समेत कई सुंदर पक्षी आपको यहां विचरते दिख जाएंगे। खूबसूरत झीलों के किनारे बड़े-बड़े पेड़ों के झुरमुट पर रंग-बिरंगे पक्षियों का कलरव सुनते हुए कब ठंडी हवा के थपेड़े आपको छूकर निकल जाएंगे, आपको पता नहीं चलेगा बस महसूस करके अच्छा लगेगा, तो चलिए कर लेते हैं प्लानिंग इस बार महाराष्ट्र के टाइगर रिजर्व्स को एक्सप्लोर करने की और एडवेंचर के साथ खूबसूरती को निहारने की।  

दुर्गा पूजा: शक्ति व शौर्य का उत्सव

आस्था, भक्ति, शक्ति व शौर्य का प्रतीक त्योहार यानि दुर्गा पूजा। उत्सव भले एक हो लेकिन इसका रंग हर राज्य में थोड़ा अलग देखने को मिलेगा। कहीं इन नौ दिनों में उपवास रखा जाता है तो कहीं नाच गाकर मां दुर्गा को खुश करने की कोशि। आस्था और उल्लास दोनों का मेल है दुर्गा पूजा। यूपी, झारखंड, गुजरात, हिमाचल, महाराष्ट्र और सबसे खास बंगाल में ये त्योहार बड़े ही भव्य तरीके से मनाया जाता है। तो इस बार आप भी इस उत्सव के भक्ति रंग में खुद को सराबोर करने के लिए निकल पड़िए इनमें से ही किस एक राज्य में।

विदेश नहीं गए तो क्या हुआ, ये जगहें कर देंगी कमी पूरी

कई बार हॉलीवुड फिल्मों में खूबसूरत लोकेशन्स देखकर हमारा मन उस जगह घूमने जाने को करने लगता है, लेकिन हमारा बजट सारे अरमानों पर फेर देता है, ऐसी परिस्थिति में मायूस होने की कोई जरूरत नहीं है। हमारे देश में भी कई ऐसे राज्य और शहर हैं जिनकी इमारतों और जगहों में विदेशी आर्किटेक्चर की पूरी झलक दिखती है, सबसे खास बात यह है कि यहां जाने पर आपकी जेब का बोझ भी नहीं बढ़ेगा। विदेश जाकर घूमने से पहले क्यों न अपने देश की इन खूबसूरत जगहों को एक्सप्लोर कर लिया जाए। यहां कोई शहर इटैलियन स्टाइल को अपनाए है तो किसी ने हूबहू फ्रेंच कॉलोनियां बसा ली हैं। आप एक बार अगर यहां पहुंच गए तो यकीनन विदेश न घूम पाने का मलाल जरूर कम हो जाएगा। तो फिर कर लीजिए तैयारी हमारे साथ एक ऐसे सफर की जो आपको अपने ही देश में विदेश की यात्रा का अनुभव कराएगा।

सोलो ट्रिप कर रहें हैं प्लान तो रखिए इन बातों का ध्यान

घूमने का शौक रखने वाले को बस बहाना चाहिए फिर फैमिली, रिश्तेदार या दोस्त प्लान कैंसिल भी कर दें तो क्या फर्क पड़ता है। घुमक्कड़ी तो अकेले ही निकल पड़ते हैं और अकेले घूमने का अपना अलग ही मजा है लेकिन जब आप अकेले सफर कर रहे हों तो सावधानियां भी बढ़ जाती हैं। सामान से लेकर खुद की सुरक्षा सभी का ध्यान रखना जरूरी होता है। अगर आप भी सोलो ट्रिप प्लान कर रहे हैं तो हम आपको कुछ टिप्स दे रहे हैं जिन्हें अपनाकर आप अपनी ट्रिप को पूरी तरह से एन्जॉय कर पाएंगे। 

सेंट वैलेनटाइन का गांव जिसे कहते हैं 'विलेज ऑफ लव'

हफ्ता मोहब्बत वाला जिसका जश्न मनाने के लिए लाखों दिल धड़कते हैं। वैलेनटाइंस डे पर अनगिनत प्रेम कहानियां शुरू होती हैं और वक्त के साथ परवान चढ़ती हैं। लेकिन जिसकी वजह से मोहब्बत वाले इस हफ्ते में युवाओं का दिल धड़कता है क्या उसके बारे में आप जानते हैं? क्या उसके गांव के बारे में जानते हैं और क्या उसके त्याग के बारे में जानते हैं। तो आइए हम आपको बताते हैं सेंट वैलेनटाइन और उनके गांव के बारे में जो हर साल 12 से 14 फरवरी के बीच सैंकड़ों कपल्स के प्रेम का गवाह बनता है।यह गांव लॉयर वैली में स्थित है, जिसका नाम है सेंट वैलेनटाइन। यदि आपको लगता है कि पेरिस दुनिया के सबसे रोमांटिक शहरों में से है तो एक बार लॉयर वैली के सेंट वैलेनटाइन गांव जरूर घूम आइए। यहां हवाओं में प्यार आप जरूर महसूस कर पाएंगे। खैर अब आते हैं सेंट वैलेनटाइन के इतिहास पर। दरअसल, सम्राट क्लॉडियस का मानना था कि अविवाहित पुरुष विवाहित पुरुषों की तुलना में ज्यादा अच्छे सैनिक बन सकते हैं। यही वजह है उसने अपने राज्य में सैनिकों व अधिकारियों के शादी करने पर पाबंदी लगा दी थी। उसी दौरान संत वैलेनटाइन एक चर्च में पादरी थे और उन्होंने इस आदेश को मानने से मना कर दिया और इसका विरोध किया। संत वैलेनटाइन ने सम्राट के आदेश के खिलाफ कई सैनिकों और अधिकारियों के गुप्त विवाह भी करवाए। इस बात के बारे में जब क्लॉडियस को पता चला तो उन्होंने संत वैलेनटाइन को फांसी पर चढ़ा दिया। यह फांसी 14 फरवरी 269 के दिन दी गई। तभी से यह दिन वैलेनटाइंस डे के रूप में प्रचलित हो गया। बताया जाता है कि वैलेनटाइन ने अपनी मौत के समय जेल की अंधी बेटी जैकोबस को अपनी आंखें दान कर दी थीं। साथ ही उन्होंने जैकोबस को एक चिट्ठी भी दी, जिसके आखिर में लिखा था Your Valentine. यही से लोगों में अपने प्रिय लोगों के प्रति वैलेनटाइन कहने की परंपरा की शुरुआत हुई। 

डेल्ही बेली : दिल्ली में हैं तो मत भूलिए चखना इनके स्वाद

राजधानी दिल्ली पूरे देश की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को खुद में समेटे है। देश का ऐसा कोई राज्य नहीं होगा जहां के लोग दिल्ली में न रहते हों। इसीलिए यहां हर जगह की मिट्टी, खुशबू और रंग मिल गए हैं, ऐसे में दिल्ली खाने के मामले में कैसे पीछे रह जाती। दिल्ली की गलियों में आपको जो खाना मिलेगा, वो शायद देश के बाकी हिस्सों में भी मिलता हो लेकिन यहां के जैसा स्वाद आपको कहीं और नहीं मिलेगा...और हां, कुछ स्पेशल डिशेज भी हैं जो आपको सिर्फ और सिर्फ दिल्ली की बाजारों में ही मिलेंगी...

शहर की भीड़ से दूर घूमने के साथ-साथ सेहत का भी ख्याल

आज के समय में हर इंसान किसी न किसी रूप से अपनी लाइफस्टाइल को लेकर चिंतित है। इन सबके बीच वो ऐसे लम्हों को तलाशता है जहां कुछ समय का सुकून हो। इसी को देखते हुए विश्वस्तर पर वेलनेस टूरिज्म का कांसेप्ट चलन में आया है। इंडिया में वेलनेस टूरिज्म एक बड़ा सेक्टर बनकर उभरा है। हम सबका कभी न कभी ऐसा मन जरूर करता है कि सब छोड़कर किसी ऐसी जगह पर जाया जाए, जहां न कोई टेंशन हो और न कोई स्ट्रेस। ऐसे डेस्टिनेशन पॉइंट पर अगर अपनी हेल्थ को इंप्रूव करने का मौका भी मिले तो बात ही अलग होती है। आज के समय में इन्हीं जरूरतों को ध्यान में रखकर वेलनेस टूरिज्म की डिमांड बढ़ रही है। इंडिया में भी इसको लेकर काफी अवेयरनेस है। यहां की पंचकर्मा व आयुर्वेदिक थेरेपीज पूरी दुनिया में फेमस हैं। अगर आपको भी अपनी सेहत की चिंता है, तो यहां कई ऐसे डेस्टिनेशन हैं, जहां पहुंचकर खुद को फिट रखा जा सकता है।

पुष्कर: उत्सवों को उत्साह से मनाती भगवान ब्रह्मा की ये नगरी

अरावली की पहाड़ियों से तीन ओर से घिरे राजस्थान के ह्रदय पुष्कर में एक अलग ही रंग का हिंदुस्तान बसता है। एक ऐसा हिंदुस्तान जिसे सैलानी सिर्फ देखने नहीं बल्कि उसे महसूस करने, जीने और इसकी आध्यात्मिकता में डूब जाने के लिए आते हैं। आपके लिए ये बेस्ट मौका है पुष्कर घूमने का, क्योंकि 15 नवंबर से 23 नवंबर तक यहां पूरी दुनिया में अपनी तरह का इकलौता पुष्कर मेला लगने जा रहा है। हां उछलते हुए ऊंट दौड़ लगाते हों, जहां राजस्थानी बांकुरे मूंछों पर ताव देते हुए डूबते सूरज के धुंधलके को आंखों में समेट लेते हों और जहां सिर पर रंग-बिरंगा साफा बांधे थिरकते सैलानी महोत्सव को जश्न में बदल देते हों, उस खूबसूरत नगरी का नाम है पुष्कर। श्रृष्टि रचयिता, सभी वेदों के निर्माता, स्वयंभु और परमपिता ब्रह्मा की यह नगरी मन में उत्साह का नया संचार करती है। यूं तो संपूर्ण ब्रह्माण्ड ही परमपिता का घर है लेकिन पृथ्वी के बारे में कहा जाता है कि यहां एक जगह ऐसी भी है, जिसे भगवान ब्रह्मा का पृथ्वी का घर कहा जाता है, उस जगह का नाम है तीर्थराज पुष्कर। वही पुष्कर जिसे विश्व में एकमात्र ब्रह्मा मंदिर होने का सौभाग्य प्राप्त है। तो चलिए ग्रासहॉपर के साथ दिल्ली से लगभग 414 किमी और जयपुर से 130 किलोमीटर दूर बसे इस शहर की खुशबू को समेटने...

गुजराती खाना : नाम पर नहीं स्वाद पर जाइए

आपको 'थ्री इडियट्स' फिल्म में करीना कपूर का डायलॉग याद है? जिसमें वह कहती हैं - तुम गुजराती लोगों का खाना इतना खतरनाक क्यों होता है? ढोकला, फाफड़ा, हांडवो, थेपला... जैसे मिसाइल है। हो सकता है कि आप में से भी कई लोगों को कई गुजराती डिशेज का नाम मिसाइल जैसा ही लगता हो (मुझे भी लगता है) लेकिन, इसके शानदार स्वाद से आप मुंह नहीं मोड़ सकते। इसीलिए इस बार हम आपके लिए लेकर आए हैं, कुछ ऐसे ही लाजवाब गुजराती व्यंजनों की लिस्ट, जिन्हें एक बार खाकर आप इनके मिसाइल जैसी होने की बात भूल जाएंगे।

उत्तराखंड: जंगल की खूबसूरती को देखिए ड्रोन कैमरे की नजर से

अगर आप उत्तराखंड के छह नेशनल पार्क, सात सेंचुरी और चार कंजर्वेशन रिजर्व में से कहीं जाने का प्लान कर रहे हैं, तो आपके लिए एक खुशखबरी है। अब आप उत्तराखंड के जंगलों में बहुत ही करीब से जानवरों को देख पाएंगे। जी हां, पर्यटकों की मांग को देखते हुए जंगलों में ड्रोन कैमरे को उड़ाने की परमिशन मिल गई है और अब पर्यटक ड्रोन कैमरे की नजर से कुदरती नजारों और वन्यजीवों का दीदार कर सकेंगे। अपनी खूबसूरती और वाइल्ड लाइफ के लिए फेमस उत्तराखंड की वादियों में अगर आप घूमने जा रहे हैं, तो इस बार आपका मजा दोगुना हो सकता है। यहां के जंगलों की प्राकृतिक खूबसूरती के साथ ही साथ आप ड्रोन कैमरे से अठखेलियां करते हुए जानवरों को भी देख सकेंगे और सिर्फ देख ही क्यों, इन लम्हों को कैमरे में कैद भी कर सकेंगे। लाखों सैलानियों की मांग को देखते हुए वन विभाग ने ड्रोन कैमरा चलाने की परमिशन दे दी है हालांकि इसमें कुछ शर्तें भी लागू की जाएंगी। वन्यजीव पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए उत्तराखंड के जिम कार्बेट सहित अन्य नेशनल पार्क, सेंचुरी और कंजर्वेशन रिजर्व में नैनो ड्रोन (250 ग्राम से कम वजन) से फोटो व वीडियोग्राफी करने की सुविधा मिल सकेगी। इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए आपको कुछ चार्जेज देने होंगे। अलग-अलग जगहों के हिसाब से वन विभाग ने दरें निर्धारित की है। हालांकि, सुरक्षा की नजर  से अंतर्राष्ट्रीय सीमा से लगे क्षेत्रों में ड्रोन कैमरे को चलाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उत्तराखंड फॉरेस्ट ड्रोन फोर्स के समन्वयक डॉ. पराग मधुकर धकाते ने बताया कि ड्रोन से एरियल फोटो-वीडियोग्राफी से आकर्षण बढ़ेगा और पर्यटक यहां की वादियों को कैद करने के लिए आएंगे। नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने स्पष्ट किया है कि जंगलों में 250 ग्राम से कम वजन के ड्रोन कैमरे के इस्तेमाल की अनुमति जरूरी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि तमाम अवसरों पर ड्रोन से फोटो-वीडियोग्राफी का चलन बढ़ा है। ऐसे में डीजीसीए की गाइडलाइन के हिसाब से ही विभाग ने वन्यजीव पर्यटन में नैनो ड्रोन की अनुमति देने का फैसला किया है। ड्रोन कैमरे का गलत इस्तेमाल न हो सके, इसके लिए निगरानी की जिम्मेदारी संबंधित क्षेत्र के डीएफओ स्तर के अधिकारियों को दी गई है। 

... लेकिन यहां आकर वो खूब दर्शन की बातें करने लगा था!

हम साल के आखिरी दिनों में वाकई उस तरह घूम रहे थे, जिस तरह हम पूरे साल घूमने की प्लानिंग करते हैं। दिल्ली से शुरू हुई ये यात्रा हल्द्वानी से होते हुए रानीखेत तक पहुंची थी और अब हमें इसे बढ़ाते हुए मुनस्यारी तक जाना था। हमारे ड्राइवर (सुंदर) ने बताया था कि रानीखेत से बिरथी के सफर में कम से कम 7 घंटे लगते हैं। पिछले अंक में मैंने बताया था न कि हमें बिरथी में रुकना था। बिरथी उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी से 30 किलोमीटर पहले बसने वाला एक छोटा सा गांव है और एक बहुत बड़े झरने के लिए जाना जाता है। म सुबह 6 बजे ही रानीखेत से निकल पड़े थे। सोचा था कि अगर 7 घंटे भी लगे तो हम 1 बजे तक तो बिरथी पहुंच जाएंगे और थोड़ी देर आराम करके आज ही कुछ जगहें देख लेंगे, लेकिन ये हमने सिर्फ सोचा था, होना कुछ और तय था। अभी हम रानीखेत से बाहर भी नहीं निकले थे कि प्रसून (पति) ने गाड़ी रुकवा ली। गाड़ी रुकते ही वो तेजी से बाहर निकले और मैं पीछे-पीछे। मोशन सिकनेस शुरू हो चुका था। हल्द्वानी से रानीखेत तक के सफर को आराम से तय करने के बाद उन्हें इस बात का भरोसा था कि आगे का सफर भी मजे से बीतेगा पर पहाड़ तो इम्तेहान लेता ही है। 

वाइल्ड लाइफ के रोमांच को महसूस करना चाहते हैं तो आइए इटावा सफारी

इटावा लॉयन सफारी आने वाले टूरिस्ट बब्बर शेर के अलावा लेपर्ड, हिरण, भालू, सांभर आदि जानवरों को देख सकते हैं। इस सफारी पार्क में 4 तरह की सफारी के इंतजाम किए गए हैं, जिसमें 50 हेक्टेयर में बनी लॉयन सफारी, 21 हेक्टेयर में बनी लेपर्ड सफारी, 31 हेक्टेयर में बनी डियर सफारी और 20 हेक्टेयर में बनी बियर सफारी का लुत्फ उठा सकते हैं। इसके अलावा यहां फेसिलिटेशन सेंटर भी है। यहां टूरिस्ट को घुमाने के लिए जीप का भी इंतजाम है। इटावा का लॉयन सफारी पार्क कई मायनों में बेहद खास है। 350 हेक्टेयर में फैले इस लॉयन सफारी पार्क का हाल ही में उद्घाटन हुआ है। अब इसे इटावा लॉयन सफारी की जगह इटावा सफारी पार्क का नाम दिया गया है। इटावा में पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इस पार्क की स्थापना की गई थी। यह एशिया का सबसे बड़ा सफारी पार्क भी है।

तूफानी करने से पहले इन बातों का रखें ख्याल

कुछ टाइम पहल एक वीडियो खूब वायरल हुआ, जिसमें पैराग्लाइडिंग कर रहा एक शख्स अपने इंस्ट्रक्टर को लैंड कराने के लिए मिन्नतें करता नजर आया था। इस दौरान युवक ने खुद का तो मजाक बनवाया ही, साथ ही पैराग्लाइडिंग की परेशानियों की ओर भी लोगों का ध्यान खींचा। अगर आप एडवेंचर के शौकीन हैं और कुछ तूफानी करने की तमन्ना रखते हैं तो कुछ बातों का ख्याल रखना बेहद जरूरी है। मुश्किल हालातों में जरूरी टिप्स आपकी जान बचाने में मददगार साबित हो सकते हैं।

एक अप्रैल से महंगी हो जाएंगी विदेश यात्राएं, अभी करा लें टिकट

घूमने के शौकीनों के लिए एक जरूरी खबर है अगर आप विदेश टूर का प्लान बना रहे हैं तो बता दें कि इस साल एक अप्रैल से विदेशी यात्राएं महंगी हो जाएंगी। नए वित्त वर्ष से विदेशी टूर पैकेज लेने और विदेश में किसी भी तरह का पैसा भेजना महंगा हो जाएगा। अगर कोई विदेशी टूर पैकेज खरीदता है या इंडियन करेंसी के बदले विदेशी करेंसी एक्सचेंज कराता है तो 7 लाख रुपए से ज्यादा की रकम पर टैक्स कलेक्शन एट सोर्स (टीसीएस) देना होगा। केंद्र सरकार ने बजट 2020 में आयकर की धारा 206सी में संशोधन कर टीसीएस लगाने का प्रस्ताव दिया है। इन विदेशी टूर पैकेज में भारत के बाहर किसी एक देश या कई देशों का टूर पैकेज शामिल हैं। इनमें ट्रैवल का खर्च, होटल में ठहरने का खर्च, बोर्डिंग, लॉजिंग समेत अन्य तरह के सभी खर्च शामिल होंगे। सरकार के इस प्रस्ताव के बाद अब विदेशों में पढ़ाई के लिए जाने से लेकर छुट्टियां मनाना सभी कुछ महंगा हो जाएगा।

कोर्णाक डांस फेस्टिवल : झूमकर नाचिए और डूब जाइए भक्ति के रंग में

ठंड ने पूरी तरह से देश के अधिकतर हिस्से को अपनी गिरफ्त में ले लिया है। इसी के साथ देश में कुछ ऐसे विंटर फेस्टिवल्स भी शुरू हो जाएंगे, जो लोक-संस्कृति और कलाओं के अनोखे उदाहरण पेश करते हैं। ग्रासहॉपर के इस अंक में हम आपको देश के कुछ प्रसिद्ध विंटर फेस्टिवल्स के बारे में बताएंगे, जहां जाकर आप विभिन्न संस्कृतियों और विधाओं के बारे में जान पाएंगे, साथ ही कुछ बेहतरीन पलों का भी मजा ले सकते हैं।

फिजाओं में चार चांद लगाता राजस्थान का माउंट आबू फेस्टिवल

राजस्थान जितना खूबसूरत है, यहां की गर्मी उतनी ही खतरनाक भी है। कई टूरिस्ट तो यहां कि गर्मी के चलते घूमने का प्लान बनाने से पहले सौ बार सोचते हैं, लेकिन आपको बता दें रेत से घिरे इस रंग-रंगीले राज्य में एक हिल स्टेशन भी है। यह राजस्थान के सिरोही जिले में है, जिसे माउंट आबू नाम से जाना जाता है। माउंट आबू बेहद ही आकर्षक जगह है, जो टूरिस्ट को अपनी ओर खींच ही लेती है। यहां आने की एक खास वजह और है जिसके चलते देश-दुनिया से यहां टूरिस्ट पहुंचते हैं। दिसंबर के महीने में माउंट आबू विंटर फेस्टिवल आयोजित होता है। इस दौरान आपको यहां राजस्थान की संस्कृति के विविध रंग दिखाई देंगे। यह फेस्टिवल यहां राजस्थान सरकार, पर्यटन विभाग, म्युनिसिपल बोर्ड आदि की ओर से आयोजित किया जाता है। इसमें सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अलावा खेलकूद, कठपुतली नृत्य, डॉग शो, बोट रेस, योग और ध्यान जैसी गतिविधियों का आयोजन किया जाता है।माउंट आबू अपने प्राचीन इतिहास और ऐतिहासिक महत्व वाली जगहों के चलते टूरिस्ट के आकर्षण का केन्द्र है। माउंट आबू विंटर फेस्टिवल में यहां का माहौल बिलकुल बदला नजर आता है। दरअसल, यह फेस्टिवल यहां के स्थानीय पर्वतीय लोगों के सामूहिक जश्न का प्रतीक है। इसमें होने वाले रंगारंग कार्यक्रम यहां की फिजाओं में चार चांद लगा देते हैं। रंग-बिरंगे पारम्परिक राजस्थानी परिधानों में यहां की स्थानीय जनजातियां सांस्कृतिक कार्यक्रमों में जान फूंक देती हैं। करीने से सजाए गए ऊंट, घोड़े, हाथी पर्यटकों को रोमांच से भर देते हैं। आबू रोड बस स्टैंड से लेकर नक्की झील तक यहां जगह-जगह सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। यहां पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए विभिन्न प्रतियोगिताएं जैसे मटका फोड़, रंगोली, म्यूजिकल चेयर, रस्साकशी होती रहती हैं। शाम को विशेष रंगारंग कार्यक्रम होते हैं, जिसमें दर्शकों की बड़ी तादाद उमड़ती है। माउंट आबू राजस्थान की एक अलग झलक पेश करता है।

अब मेघालय घूमना नहीं होगा आसान, सरकार से लेनी होगी परमिशन

मेघालय घूमने का प्लान बना रहे हैं, टिकट बुकिंग से लेकर सारी तैयारियां हो रही हैं तो आपको एक जरूरी बात याद करा दें, मेघालय सरकार ने पर्यटकों के लिए एक निर्देश दिया है जो कि आपको ज़रूर जानना चाहिए। मेघालय सरकार ने निर्देश दिया है कि अगर आप 24 घंटे से ज्यादा समय के लिए मेघालय में रहने वाले हैं, तो सरकार की वेबसाइट पर जाकर आपको खुद को पहले रजिस्टर करना होगा। ये जानकारी मेघालय के उपमुख्यमंत्री प्रेस्टन तिनसोंग ने दी थी। मेघालय सरकार ने अपने बचाव एवं सुरक्षा एक्ट, 2019 के 4 (ए) में संशोधन करते हुए बाहर से आने वाले लोगों के लिए ये निर्देश दिया है। इसके तहत आपको ऑनलाइन या फिर ऑफ़लाइन तरीके से सरकार को अपनी जानकारी देनी होगी।यही नहीं निर्देशों का पालन न करने पर भारतीय दंड संहिता (IPC) के अनुच्छेद 176 व 177 के तहत अधिकतम 6 माह की जेल का प्रावधान है। मेघालय के अलावा कुछ ऐसा ही नियम भारत के नागालैंड, अरुणांचल प्रदेश और मिज़ोरम में भी है, जिसे आईएलपी के नाम से जानते हैं। मेघालय के खासी छात्र संगठन पहले से ही इसकी मांग कर रहे थे। आदिवासी लोगों के अधिकारों के संरक्षण के लिए यह नियम लागू करना जरूरी था। 

एक कहानी की शुरुआत से उसके अंत का सफर

कुछ यात्राएं ऐसी होती हैं जिनमें एक कहानी की शुरुआत होती है और कुछ ऐसी जिनमें कोई किस्सा खत्म हो जाता है। मेरा ये सफर भी कुछ ऐसा ही था। महीनों पर एक यात्रा पर जिस कहानी की शुरुआत हुई थी, इस यात्रा पर वो किस्सा अपनी आखिरी सांसें ले रहा था। ये वो वक्त था जब मुझे जरूरत थी एक और यात्रा की जिसमें आखिरी सांसें लेते किस्से को कहीं छोड़ आऊं मैं। हालांकि, ये इतना आसान नहीं होता, लेकिन सफर आपको ताकत देते हैं, कुछ पल के लिए अपनी रोज की जिंदगी से निकलकर नई यादें समेट लेने की। लखनऊ से शुरू हुआ मेरा ये सफर उत्तराखंड की कई सड़कों, गलियों से गुजरते हुए कुछ बेहद ही खूबसूरत ठिकानों तक पहुंचा। मेरे ऑफिस के कलीग्स हिमांशू, भूषण, मेरी बहन अनुष्का और एक अंजान शख्स अक्षित, जो रास्ते में ही दोस्त बन गया, इन सबने मिलकर मेरे इस सफर को यादगार बना दिया। जब हम लखनऊ से कार से निकले तो सफर में शामिल सिर्फ 3 लोग ही थे जो एक-दूसरे को जानते थे, लेकिन सफर खत्म होने तक पांचों में बेहतरीन दोस्ती हो चुकी थी। हां, तो अब शुरू करते हैं सफर की बात। लखनऊ से सब दोपहर को कार से रानीखेत के लिए निकले। हमारा प्लान था। सबसे पहले रानीखेत जाना, वहां से अल्मोड़ा और फिर कौसानी। बरेली से मुझे अपनी बहन को भी लेना था। रात 11 बजे करीब हम काठगोदाम पहुंच चुके थे। अक्षत ने गाड़ी का स्टेयरिंग संभाल रखा था। तय तो ये था कि हमें रानीखेत जाना है और हम उसी रास्ते पर आगे बढ़ रहे थे। पीछे वाली सीट पर मैं, अनुष्का और हिमांशु थे। हमारी गाड़ी उत्तराखंड के खूबसूरत पहाड़ी रास्तों पर रात को दौड़े जा रही थी। ज्यादातर रास्ते पर अंधेरा और कहीं दूर किसी पहाड़ी पर दिखती एक या दो बल्ब की रोशनी। धीरे-धीरे हमें नींद आने लगी। अचानक से गाड़ी रुकी और हमें बाहर आने के लिए कहा गया। आस-पास एकदम अंधेरा था। पास में ही झरने के बहने की आवाज आ रही थी, लेकिन दिखाई नहीं दे रहा था। आसमान अनगिनत तारों से भरा था। इतने तारे शहर में रहने वालों ने शायद कभी नहीं देखे होंगे। पता चला कि गाड़ी इसीलिए रोकी गई है ताकि कुछ देर तक बैठकर तारों को निहारा जा सके और उनकी तस्वीरें ली जा सकें। हालांकि, वह जगह ठीक से नजर नहीं आ रही थी, लेकिन यकीनन बेहद ही सुंदर थी। 6 जून को भी वहां की ठंडी हवाओं से शरीर में कंपकंपी छूट रही थी। अक्षत, हिमांशु और भूषण तीनों पूरी मेहनत से कैमरे को आईएसओ और एपरचर सेट कर रहे थे ताकि तारों की बेहतरीन से बेहतरीन फोटो ली जा सके। खैर, पता नहीं उनकी ये मेहनत कितनी सफल हुई, लेकिन हम कुछ देर में आगे बढ़ गए। अक्षत और भूषण के अलावा सब सो चुके थे।

मेरी यात्राएं हमेशा मुझे मेरे और करीब लाती हैं

हर किसी की जिंदगी में यात्राओं के मायने अलग होते हैं। कोई नई जगहों को देखना चाहता है तो कोई कुछ नया सीखना चाहता है, लेकिन मेरी लिए यात्राएं हमेशा मुझे खुद से मिलाती हैं। दुनिया भर के तनाव, उलझन, काम और जिम्मेदारियों से जब ऊबने लगती हूं तो खुद को तलाशने निकल पड़ती हूं एक यात्रा पर और यकीन मानिए मैं हर बार कामयाब होती हूं। कुछ महीनों की पॉजिटिव एनर्जी का कोटा लेकर वापस आती हूं और जैसे ही ये खत्म होने लगती हैं, दूसरे सफर की तैयारी शुरू कर देती हूं। इस बार मन था पहाड़ों से हटकर कहीं और सुकून तलाशने का, बारिश में जमकर भीगने का, हरे-भरे जंगलों में बेखौफ होकर टहलने का और संमदर किनारे घंटों बैठकर अपनी मनपसंद लेखिका की कहानियों में खोने का।प्लान तो एक महीने पहले ही बन चुका था महाराष्ट्र जाने का और इस बार भी हमेशा की तरह मैं सिर्फ लड़कियों के साथ जाना चाहती थी। यहां आप मुझे दकियानूसी ख्यालात का मत समझिएगा इसके पीछे मेरा मकसद सिर्फ इस बात को सिरे से नकारने का रहता है कि बिना किसी लड़के के हम नई जगहों पर सुरक्षित यात्रा नहीं कर सकते। आप यूं कह सकते हैं कि फेमिनिज्म का पलड़ा यहां भी थोड़ा हावी था। लगातार टीवी और अखबारों में महाराष्ट्र की बारिश और बाढ़ की खबरें पढ़कर एक बार को मन थोड़ा घबराया लेकिन फिर सोचा अब जो होगा वहीं देखा जाएगा। मेरे साथ जाने के लिए पुरानी कलीग दिति और मेरी छोटी बहन अंजलि तैयार थीं, हमारे टिकट हो चुके थे और हम इस खूबसूरत सफर पर कई सारी प्लानिंग ये करेंगे वो करेंगे के साथ निकल पड़े थे। ट्रेन रात 7 बजकर 45 मिनट की थी और हमें स्टेशन पहुंचने में देर हो रही थी, ऐसा लगा कि सब चौपट होने वाला है, ट्रेन अगर छूट गई तो क्या होगा। हमने कैब ड्राइवर से किसी भी तरह स्टेशन पहुंचाने के लिए कहा इसपर वो हंसकर बोला जाने की इतनी एक्साइटमेंट थी तो कम से कम घर से टाइम से निकलतीं। स्टेशन पर पहुंचते-पहुंचते सिग्नल हो चुका था और ट्रेन चल पड़ी थी, हमें आगे जो डिब्बा मिला उसी पर चढ़ गए और एक बार भगवान को शुक्रिया अदा कर अपने डिब्बे की खोज में लग गए, पता चला कि अभी जंग लड़नी बाकी है हमें 9 डिब्बे पार करने थे।  अपना-अपना सामान लादे लोगों से भइया थोड़ा साइड होना कहते -कहते हम किसी तरह अपनी सीट तक पहुंचे। मन ही मन खुश थे कि कम से कम ट्रेन तो नहीं छूटी और दूसरी तरफ ये प्रतिज्ञा ली कि अब स्टेशन हमेशा समय से पहुंचेंगे। हालांकि वो आज तक पूरी नहीं हो पाई। मेरे व्हाट्सऐप पर लगातार खबरों के लिंक आ रहे थे कि मुंबई में बारिश के चलते जनजीवन अस्त व्यस्त। लोगों के फोन कॉल्स भी आ रहे थे कि टीवी नहीं देखती क्या अभी क्यों जा रही हूं लेकिन हममें न जानें कहां से इतनी निडरता आ गई थीं कि किसी की बात का कोई असर नहीं था। दूसरे दिन सुबह उठे तो मौसम बहुत ही खूबसूरत था, बाहर हरियाली ही हरियाली थी, काश हमारे लखनऊ की तपती धूप भी इनमें बदल जाती। काले बादल बीच-बीच में हल्की बारिश की फुहारों से खिड़कियां भीग रहीं थीं। हमने चाय पी और बाहर के नजारों को निहारने लगे। सफर लंबा था, इसलिए हमारी आस-पास के लोगों से थोड़ी बातचीत होने लगी थी, एक पैंट्री वाले से भी हमारी पहचान हो गई थी और उसने हमें थोड़ी देर में दोबारा अदरक की अच्छी सी चाय पिलाने का वादा किया। सफर इतनी जल्दी कट गया कि पता ही नहीं चला हमें कल्याणपुर स्टेशन उतरना था और बगल की सीट वाले अंकल को भी वहीं उतरना था।

वेलनेस टूरिज्म: घूमने के साथ ही पाएं निरोगी काया

घूमना हर किसी को पसंद होता है। अक्सर हम लोग अपनी थकाऊ और उबाऊ जीवनशैली से कुछ चेंज पाने के लिए कोई ट्रिप प्लान कर लेते हैं। वहीं आजकल अपने स्वास्थ्य को बेहतर करने के लिए भी घूमने का प्रचलन जोरों पर है। इसी को वेलनेस टूरिज्म का नाम दिया गया है। आइए इस आर्टिकल के जरिए देशभर के कुछ बेहतरीन वेलनेस सेंटर्स पर नजर डालते हैं।

ये आयुर्वेद रिजॉर्ट्स रखेंगे आपकी सेहत का पूरा ख्याल

घूमने फिरने के कई कारण हो सकते हैं कुछ लोग नई जगहों को एक्सप्लोर करने जाते हैं तो कुछ सुकून तलाशने। ऑफिस की टेंशन और काम काज से दूर कुछ दिनों के लिए डिटॉक्स के लिए भी कोई ऐसी जगह ढूढ़ते हैं जहां शांति हो और आप कुछ दिन सुकून के बिता सकें। ट्रिप कोई भी हो बिजनेस या वकेशन अपनी वेलनेस रूटीन को मेंटेन रखना बेहद जरूरी है यही वजह है कि देश के कई होटल्स अपने कस्टमर्स के वेलनेस पर ज्यादा से ज्यादा फोकस कर रहे हैं। भारत वेलनेस टूरिज्म डेस्टिनेशन के रूप में भी तेजी से उभर रहा है। ऐसे में हम आपको बता रहे हैं उन जगहों के बारे में जो आयुर्वेद वेलनेस टूरिज्म के हिसाब से बेस्ट डेस्टिनेशन्स हैं। 

इन फेमस खाने की थालियों को अकेले खत्म करना बड़ा टास्क

भई किसी दूर शहर घूमने फिरने जाओ और बिना वहां की बाजार देखे और खाने का स्वाद चखे लौट आओ तो ये भी कोई बात। मैं तो कहीं भी घूमने जाती हूं तो वहां के देखने लायक जगहों के बाद दूसरा सवाल यही होता है कि यहां खाने में फेमस क्या है। भारत के अलग-अलग राज्य अपने आप में एक अलग स्वाद भी समेटे हैं कहीं सादा खाना खाया जाता है तो कहीं चटपटा। कहीं खट्टे का पलड़ा भारी है तो कहीं मीठे की मिठास ज्यादा है। कई ऐसी भी फेमस जगहें हैं जहां की थाली देखकर ही आप हैरान हो जाएंगे। रंग-बिरंगे स्वादिष्ट खानों से सजी इन थालियों को देखकर मुंह में पानी तो आयेगा ही लेकिन खत्म करने के लिए बहुत हिम्मत भी होनी चाहिए। तो आइए जानते हैं कुछ ऐसी ही खास थालियों के बारे में जिसका स्वाद और रूप आपको अपना मुरीद बना देगा।

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