झरनों और गुफाओं की खूबसूरती को निहारना है तो आइए झारखण्ड

श्रृंखला पाण्डेय 11-02-2020 04:16 PM My India

झारखण्ड का नाम आते ही दिमाग में कोयला खदानें और इस्पात कारखाना घूमने लगता है, लेकिन इन सबके अलावा भी यहां बहुत कुछ है देखने और घूमने को। जंगलों से घिरे हुए इस राज्य के पास अपार प्राकृतिक सौंदर्य है। यहां कई ऐसी खूबसूरत जगहें हैं, जहां पहुंचकर आपको मानसिक शांति मिलेगी। कहीं पहाड़ों से कल-कल की आवाज करके बहते हुए झरने हैं तो कहीं दूर तक खामोश बहती झीलों के पास जब शाम ढलती है तो नजारा बेहद खूबसूरत होता है। दूर-दूर तक फैली हरी-भरी पहाड़ियों के नजारे देखकर आप अपनी सारी टेंशन भूल जाएंगे। प्राकृतिक नजारों के साथ-साथ पुरानी गुफाएं, ऊंची पहाड़ियां और हवा के संग-संग बहती नदियां आपको अपनी तरफ बरबस ही खींच लेंगी। ये सब देखकर ऐसा लगता है कि झारखण्ड को कुदरत ने प्राकृतिक सौंदर्य तोहफे में दिया हो। तभी तो यह एक ही नजर में सभी को लुभा लेता है। वाइल्डलाइफ के शौकीनों के लिए भी यहां कई ऑप्शन्स मौजूद हैं जो आपको एक्सपीरिएंस के साथ फोटोग्राफी का भी बेहतरीन मौका देते हैं। इसके अलावा झारखण्ड की आदिवासी लोक-संस्कृति भी आपका मन मोह लेगी तो इस बार जब भी घूमने का प्लान बना रहे हों झारखण्ड को जरूर याद कीजिएगा।

देवघर

देवघर को झारखंड का महाकुंभ भी कहा जाता है। ये हिंदुओं की एक पवित्र नगरी के रूप में प्रसिद्ध है जहां हर साल श्रावणी मेला लगता है। धर्म और देवताओं के इस शहर देवघर को बाबा वैद्यनाथ की नगरी भी कहा जाता है। 12 ज्योतिर्लिगों में से एक बाबा वैद्यनाथ का ऐतिहासिक ज्योतिर्लिग यहीं स्थापित है, जिनके दर्शन के लिए लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। देवघर चारो ओर से जंगलों से घिरा है इसलिए इसके आस-पास का नजारा भी सुंदर लगता है, मंदिर के आस-पास कई छोटी- छोटी पहाड़ियां हैं। वैद्यनाथ मंदिर के अलावा पर्यटक देवघर में रामकृष्ण मिशन विद्यापीठ, त्रिकुट, सत्संग आश्रम, नवलखा मंदिर, श्रावणी मेला, शिवगंगा, देवसंघ मठ भी घूम सकते हैं।

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हजारीबाग

रांची से 93 किमी की दूरी पर बसा हजारीबाग़ अपनी वाइल्ड सेंचुरी के लिए जाना जाता है। यहां पर अलग-अलग तरह के जानवर हाथी, बाघ, जंगली भालू, तेंदुआ, हिरन और अन्य कई प्रजातियों का घर है। इसके अलावा हजारीबाग में कई सारे मंदिर और झरने भी हैं। अगर आपको एडवेंचर के साथ-साथ सुकून भी चाहिए तो हजारी बाग आपके लिए बेस्ट है। हजारीबाग में आप झील, हजारीबाग वन्यजीव अभयारण्य, कोनार बांध और भद्रकाली मंदिर भी घूम सकते हैं।

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नेतरहाट

नेतरहाट, झारखंड का बहुत ही खूबसूरत हिल स्टेशन है जो समुद्र तल से 1128 मीटर की ऊंचाई पर बसा है और चारो तरफ से घने जंगलों से घिरा है। इस जगह को द क्वीन ऑफ छोटा नागपुर भी कहते हैं। यहां का मौसम बहुत ही सुहाना होता है। रांची से ये जगह मात्र 156 किमी दूर है नेतरहाट अपनी पहाड़ी खूबसूरती के बीच सूर्योदय और सूर्यास्त के अद्भुत दृश्यों के लिए जाना जाता है। यहां पर आपको घने जंगलों, ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों पर घुमावदार सड़कें, झरने और ठंडी हवाओं का अद्भुत संगम इसकी खूबसूरती को बढ़ा देता है। यहां की चांदनी रात भी पर्यटकों को बहुत लुभाती है। मंगोलिया प्वाइंट, नेतरहाट से सिर्फ 10 किमी दूर है और यहां से डूबते हुए सूरज का नजारा देखने लायक होता है। यहां घूमने का सबसे अच्छा समय गर्मियों का है। नेतरहाट में मंगोलिया पॉइंट, अपर घाघरी हिल्स, कोयल व्यू पॉइंट, लोध फॉल, साधना फॉल भी घूमने वाली जगह हैं।

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मैथन बांध

अगर आप सुकून तलाशने आए हैं तो झारखंड के धनबाद शहर से लगभग 52 किमी की दूरी पर मैथन बांध घूमने का प्लान भी बना सकते हैं। यह बांध बंगाल की दामोदर बांध परियोजना का एक बड़ा जलाशय है, जो टूरिस्टस को काफी पसंद आती हैं। बांध के नीचे एक पावर स्टेशन का भी निर्माण किया गया है, जो अपने आप में एक लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का उदाहरण है। इसके पास में ही एक झील भी है, जहां बोटिंग का भी लुत्फ उठाया जा सकता है। अगर आप दोस्तों या परिवार के साथ घूमने गए हैं तो ये जगह बढ़िया पिकनिक स्पॉट है। न्यू ईयर में ये जगह पर्यटकों से भरी रहती है।

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रांची की पहाड़ियां

अगर आप झारखंड जाकर पहाड़ियों के नजारे देखना चाहते हैं तो रांची हिल्स जाने का प्लान कर सकते हैं। रांची हिल्स राज्य की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है, जो लगभग 2140 फीट की ऊंचाई पर है। इन हिल्स की खासियत ये है कि आप यहां से पूरे शहर का दीदार कर सकते हैं। रांची हिल्स पर भगवान शिव का मंदिर भी है जो यहां के मुख्य आकर्षणों में से एक है। इसके अलावा यहां रांची लेक के नाम से एक खूबसूरत पहाड़ी झील है। जहां आप घंटों बैठकर नजारों को निहारते हुए थकेंगे नहीं।

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जगन्नाथ मंदिर

झारखंड अपनी कला और संस्कृति के लिए पूरे देश में अलग जाना जाता है। यहां का खान-पान भी देश के बाकी राज्यों से थोड़ा अलग है। ज्यादातर हिस्सा जंगल से जुड़ा होने के कारण यहां के खान-पान में भी आदिवासी संस्कृति को दिखाता है। यहां के डिशेज में आपको जंगली साग और चावल का ज्यादा इस्तेमाल देखने को मिलेगा। यहां के खाने का स्वाद इतना लाजवाब है कि आप इसके स्वाद को कभी नहीं भूल पाएंगे। चावल की कई सारी डिशेज को अलग-अलग तरीके से बनाया जाता है।

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