गुजराती खाना : नाम पर नहीं स्वाद पर जाइए

खमन
खमन दालों और चने को पीसकर उसके मिश्रण से बनाया गया एक हेल्दी स्नैक होता है। ये काफी हद तक ढोकले से मिलता जुलता ही होता है। बस इसे बनाने के लिए इसे मिक्सचर को हल्दी, नमक और बेकिंग सोडा (फ्लफी बनाने के लिए) मिलाकर उबाल कर सुखा लिया जाता है और इसे क्यूब्स में काट लेते हैं। इसे सरसों के दाने, धनिया पत्ती, सेव और कटा हुआ प्याज डालकर सर्व करते हैं। पारंपरिक रूप से इसे एक पत्ते पर सर्व करते हैं, जिसे केसुदा कहते हैं। हालांकि आजकल यह फर्सन (नाश्ता) की दुकानों में अखबार या किसी कागज के टुकड़े पर रखकर ही बेचा जाता है और इसके साथ मिलता है। इसे खट्टी-मिट्ठी चटनी और तली हरी मिर्च के साथ खाते हैं।

थेपला
गुजरातियों का कोई भी सफर, पिकनिक और यहां तक कि बिजनेस ट्रिप भी थेपले के बिना पूरी नहीं होती। बेसन, गेहूं का आटा, ताजे मेथी पत्ता और कुछ मसालों को मिलाकर बनाया जाता है। इन सबको एक साथ मिलाकर गूंथ लेते हैं और फिर उसकी पतली-पतली चपाती बेलकर हल्के तेल से सेक लिया जाता है। इन गर्मा-गर्म थेपलों को दही, अचार और हरी मिर्च के साथ खाते हैं। हां, अगर साथ में अदरक की एक कप चाय हो, तब मजा यकीनन दोगुना हो जाएगा। इनकी खास बात ये है कि इन्हें पैक करके कहीं ले जाना बहुत आसान होता है और सर्दियों में ये तो 8-10 दिन तक खराब नहीं होते।

खांडवी
कई लेयर्स में बनी हुई खांडवी को जब आप देखेंगे तब शायद आपको लगेगा कि इसे बनाना बहुत मुश्किल है, लेकिन अगर आप इसे बनाएंगे तो आपका ये भ्रम दूर हो जाएगा। बेसन में दही, हींग, हल्दी और नमक मिलाकर बनाई गई ये डिश गुजरातियों के फेवरेट स्नैक्स में से एक है। इसके लिए आपको बस दही फेट कर उसमें नमक, हींग, हल्दी और बेसन मिलाना है और उसका स्मूद सा पेस्ट बना लेना है। इस मिक्सचर को गर्म कढ़ाही में हल्की आंच पर लगातार चलाते रहना है, ताकि इसमें गांठ न पड़े। जब ये मिक्सचर गाढ़ा पेस्ट बन जाए तब गैस बंद कर दें और लगातार चलाते रहें, व ठंडा होने दें। इसके बाद इसे अच्छे से फैला कर लंबी पट्टी में काट लिया जाता है और उसका रोल बना लेते हैं। इसके बाद इस राई और करी पत्ते का तड़का लगा दें। कुछ लोग इसमें चीनी का घोल भी मिलाते हैं और इस पर गरी भी घिस कर डालते हैं। अब इसे चटनी और चाय के साथ खाएं।

उंधियू
उंधियू को गुजराती डिशेज का राजा कहा जाता है, क्योंकि लगभग पूरा गुजरात इसे खाने के लिए सर्दी आने का इंतजार करता है। मकर संक्रांति पर तो लगभग हर घर में उंधियू बनता है। गुजरात की ये पारंपरिक डिश मिट्टी के मटके में बनाई जाती है। इसमें बैंगन, आलू, जिमीकंद, हरी मटर, केला, बींस, दही, नारियल, मसाले और बेसन की मुठिया पड़ती है। गुजराती शादियों में भी इसे लोग पूरी और श्रीखंड के साथ बनवाते हैं।

फाफड़ा-जलेबी
गुजरात में लगभग हर नाश्ते की दुकान पर आपको सुबह-सुबह पतली कुरकुरी जलेबी और फाफड़ा मिल जाएगा। अगर ये कहें कि आधा गुजरात नाश्ते में फाफड़ा जलेबी ही खाता है तो बड़ी बात नहीं है। फाफड़ा बेसन से बना हुआ एक क्रंची स्नैक होता है और जलेबी, इसके बारे में तो आप सब जानते होंगे। चाशनी में डूबी जलेबियां देखकर भला किसके मुंह में पानी नहीं आता! जलेबी, फाफड़ा और साथ में सूखे पपीते की चटनी, एक बेहतरीन दिन की इससे शानदार शुरुआत हो ही नहीं सकती।

दाल ढोकली
दाल ढोकली की खासियत है कि इसके साथ आपको कुछ और खाने की जरूरत नहीं है। ये अपने आप में पूरा खाना है। रोटी की तरह चपटी, मसालेदार आटे के डम्पलिंग्स के टुकड़ों को एक गाढ़े मीठे और तीखी दाल में डालकर इन्हें बनाया जाता है। दाल ढोकली गुजरात के साथ-साथ राजस्थान में भी खूब खाई जाती है। उत्तर भारत में भी ऐसी ही एक डिश बनती है, जिसे दाल के फरे कहते हैं। इसके लिए आटे में प्याज, अजवाइन, बेसन, नमक और तेल डालकर उसे गूथ लिया जाता है और उससे छोटे-छोटे से डम्पलिंग्स (ढोकली) बना लेते हैं। इसके बाद कुकर में सूखी लाल मिर्च, करी पत्ता, राई और हींग का भून कर उसमें दाल डालकर उबाल लेते हैं और फिर इसमें ढोकली डालकर एक सीटी और लगा लेते हैं। आप इसे नींबू या इमली का रस डालिए और धनिया पत्ती व घी डालकर सर्व करिए, मजा आ जाएगा।
हांडवो
हांडवो एक खट्टा केक होता है, जो बाहर से क्रिस्पी और अंदर से सॉफ्ट होता है। इसे दाल, चावल, लौकी, आटा, मट्ठा, धनिया और मिर्च मिलाकर बनाया जाता है। सिर्फ आधे घंटे में बन जाने वाली ये डिश स्वादिष्ट होने के साथ-साथ प्रोटीन्स और विटामिंस से भी भरपूर होती है। कई बार इसे फ्राई भी कर लिया जाता है, जिससे इसका स्वाद और बढ़ जाता है।

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