एक कहानी की शुरुआत से उसके अंत का सफर

श्रृंखला पाण्डेय 19-02-2020 01:15 PM Soul Journey
कुछ यात्राएं ऐसी होती हैं जिनमें एक कहानी की शुरुआत होती है और कुछ ऐसी जिनमें कोई किस्सा खत्म हो जाता है। मेरा ये सफर भी कुछ ऐसा ही था। महीनों पर एक यात्रा पर जिस कहानी की शुरुआत हुई थी, इस यात्रा पर वो किस्सा अपनी आखिरी सांसें ले रहा था। ये वो वक्त था जब मुझे जरूरत थी एक और यात्रा की जिसमें आखिरी सांसें लेते किस्से को कहीं छोड़ आऊं मैं। हालांकि, ये इतना आसान नहीं होता, लेकिन सफर आपको ताकत देते हैं, कुछ पल के लिए अपनी रोज की जिंदगी से निकलकर नई यादें समेट लेने की। 

लखनऊ से शुरू हुआ मेरा ये सफर उत्तराखंड की कई सड़कों, गलियों से गुजरते हुए कुछ बेहद ही खूबसूरत ठिकानों तक पहुंचा। मेरे ऑफिस के कलीग्स हिमांशू, भूषण, मेरी बहन अनुष्का और एक अंजान शख्स अक्षित, जो रास्ते में ही दोस्त बन गया, इन सबने मिलकर मेरे इस सफर को यादगार बना दिया। जब हम लखनऊ से कार से निकले तो सफर में शामिल सिर्फ 3 लोग ही थे जो एक-दूसरे को जानते थे, लेकिन सफर खत्म होने तक पांचों में बेहतरीन दोस्ती हो चुकी थी। 

हां, तो अब शुरू करते हैं सफर की बात। लखनऊ से सब दोपहर को कार से रानीखेत के लिए निकले। हमारा प्लान था। सबसे पहले रानीखेत जाना, वहां से अल्मोड़ा और फिर कौसानी। बरेली से मुझे अपनी बहन को भी लेना था। रात 11 बजे करीब हम काठगोदाम पहुंच चुके थे। अक्षत ने गाड़ी का स्टेयरिंग संभाल रखा था। तय तो ये था कि हमें रानीखेत जाना है और हम उसी रास्ते पर आगे बढ़ रहे थे। पीछे वाली सीट पर मैं, अनुष्का और हिमांशु थे। हमारी गाड़ी उत्तराखंड के खूबसूरत पहाड़ी रास्तों पर रात को दौड़े जा रही थी। ज्यादातर रास्ते पर अंधेरा और कहीं दूर किसी पहाड़ी पर दिखती एक या दो बल्ब की रोशनी। धीरे-धीरे हमें नींद आने लगी। अचानक से गाड़ी रुकी और हमें बाहर आने के लिए कहा गया। आस-पास एकदम अंधेरा था। पास में ही झरने के बहने की आवाज आ रही थी, लेकिन दिखाई नहीं दे रहा था। आसमान अनगिनत तारों से भरा था। इतने तारे शहर में रहने वालों ने शायद कभी नहीं देखे होंगे। पता चला कि गाड़ी इसीलिए रोकी गई है ताकि कुछ देर तक बैठकर तारों को निहारा जा सके और उनकी तस्वीरें ली जा सकें। हालांकि, वह जगह ठीक से नजर नहीं आ रही थी, लेकिन यकीनन बेहद ही सुंदर थी। 6 जून को भी वहां की ठंडी हवाओं से शरीर में कंपकंपी छूट रही थी। अक्षत, हिमांशु और भूषण तीनों पूरी मेहनत से कैमरे को आईएसओ और एपरचर सेट कर रहे थे ताकि तारों की बेहतरीन से बेहतरीन फोटो ली जा सके। खैर, पता नहीं उनकी ये मेहनत कितनी सफल हुई, लेकिन हम कुछ देर में आगे बढ़ गए। अक्षत और भूषण के अलावा सब सो चुके थे।

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