... लेकिन यहां आकर वो खूब दर्शन की बातें करने लगा था!
श्रृंखला पाण्डेय
18-02-2020 12:18 PM
Soul Journey

हम साल के आखिरी दिनों में वाकई उस तरह घूम रहे थे, जिस तरह हम पूरे साल घूमने की प्लानिंग करते हैं। दिल्ली से शुरू हुई ये यात्रा हल्द्वानी से होते हुए रानीखेत तक पहुंची थी और अब हमें इसे बढ़ाते हुए मुनस्यारी तक जाना था। हमारे ड्राइवर (सुंदर) ने बताया था कि रानीखेत से बिरथी के सफर में कम से कम 7 घंटे लगते हैं। पिछले अंक में मैंने बताया था न कि हमें बिरथी में रुकना था। बिरथी उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी से 30 किलोमीटर पहले बसने वाला एक छोटा सा गांव है और एक बहुत बड़े झरने के लिए जाना जाता है।
म सुबह 6 बजे ही रानीखेत से निकल पड़े थे। सोचा था कि अगर 7 घंटे भी लगे तो हम 1 बजे तक तो बिरथी पहुंच जाएंगे और थोड़ी देर आराम करके आज ही कुछ जगहें देख लेंगे, लेकिन ये हमने सिर्फ सोचा था, होना कुछ और तय था। अभी हम रानीखेत से बाहर भी नहीं निकले थे कि प्रसून (पति) ने गाड़ी रुकवा ली। गाड़ी रुकते ही वो तेजी से बाहर निकले और मैं पीछे-पीछे। मोशन सिकनेस शुरू हो चुका था। हल्द्वानी से रानीखेत तक के सफर को आराम से तय करने के बाद उन्हें इस बात का भरोसा था कि आगे का सफर भी मजे से बीतेगा पर पहाड़ तो इम्तेहान लेता ही है।
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