करेंग घर: असम का ऐतिहासिक खजाना

करेंग घर क्या है?

करेंग घर, जिसे रंगपुर पैलेस के नाम से भी जाना जाता है, असम के सिबसागर जिले में गरगांव से करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित है। ये सात मंजिला इमारत अहोम राजवंश का शाही महल हुआ करता था। इसे 1752 में अहोम राजा रूद्र सिंह के बेटे राजेश्वर सिंह ने कराया था। चार मंजिलें जमीन से ऊपर और तीन मंजिलें जमीन के नीचे। इसकी इस तरह की बनावट ही इसे खास बनाती है। ये महल सिर्फ रहने की जगह नहीं था, बल्कि अहोम शासकों का प्रशासनिक और सांस्कृतिक केंद्र भी था।
इतिहास
अहोम राजवंश ने असम पर करीब 600 साल तक राज किया और करेंग घर उनके शासन की चमक का एक नमूना है। 18वीं सदी में जब इसे बनाया गया, तब अहोम राजा अपनी ताकत और कला के चरम पर थे। इस महल को बनाने में स्थानीय सामान जैसे लाल ईंटें, चावल का पेस्ट और अंडों का इस्तेमाल किया गया, जो उस दौर की इंजीनियरिंग का कमाल दिखाता है।
करेंग घर सिर्फ एक महल नहीं, बल्कि उस समय की रणनीति का भी हिस्सा था। इसकी तीन मंजिलें जमीन के नीचे थीं, जो युद्ध या हमले के समय शाही परिवार के लिए सुरक्षित ठिकाना होती थीं। कहते हैं कि इन तहखानों में गुप्त रास्ते भी थे, जो आपातकाल में भागने के लिए बनाए गए थे। हालांकि, आज इन रास्तों का कुछ हिस्सा ही बचा है, लेकिन इनके बारे में सुनकर रोमांच जरूर होता है।
क्या है खास?

करेंग घर की वास्तुकला अपने आप में अनोखी है। इसकी सात मंजिलें, मेहराबदार प्रवेश द्वार, और जटिल नक्काशी इसे देखने लायक बनाती हैं। जैसे ही आप इसके अंदर कदम रखते हैं, आपको लगता है कि आप समय में पीछे चले गए हैं। दीवारों पर बनी नक्काशी और छत की डिजाइन अहोम कला की समृद्धि का नमूना भी पेश करती हैं। खास बात ये है कि इमारत की छत नाव के आकार की है, जो इसे और भी आकर्षक बनाती है।
महल के आसपास का नजारा भी कम खूबसूरत नहीं। इसे चारों तरफ से हरियाली और तालाब घेरे हुए हैं, जो इसे एक शांत और राजसी अहसास देते हैं। पास ही रंग घर है, जो अहोम राजाओं का मनोरंजन स्थल था, जहां बिहू उत्सव और पारंपरिक खेल जैसे भैंसों की लड़ाई का आयोजन होता था। दोनों जगहों को एक साथ घूमना आपके ट्रिप को और यादगार बना देगा।
आज का करेंग घर
आज करेंग घर एक पुरातत्व स्थल है, जिसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) संभालता है। हालांकि समय के साथ इसकी कुछ हिस्सों को नुकसान पहुंचा है, फिर भी ये अपनी भव्यता बरकरार रखे हुए है। सैलानी यहां आकर न सिर्फ इतिहास को करीब से देखते हैं, बल्कि अहोम राजवंश की शानदार विरासत को भी महसूस करते हैं। यहां घूमते वक्त आपको लोकल गाइड्स मिल जाएंगे, जो आपको महल की कहानियां और किस्से सुनाएंगे। अगर आप फोटोग्राफी के शौकीन हैं, तो करेंग घर की बनावट और आसपास का नजारा आपके कैमरे के लिए परफेक्ट है।
कैसे पहुंचें?

सिबसागर असम का एक प्रमुख शहर है, और यहां पहुंचना आसान है। सबसे नजदीकी हवाई अड्डा जोरहाट (लगभग 60 किमी दूर) है। रेलवे स्टेशन भी सिबसागर में है, जो असम के बाकी हिस्सों से अच्छे से जुड़ा है। सिबसागर से करेंग घर तक टैक्सी या ऑटो से आसानी से पहुंचा जा सकता है। सड़क मार्ग से यात्रा करते वक्त आपको असम की हरियाली और ग्रामीण जीवन का भी लुत्फ उठाने को मिलेगा।
घूमने का सही समय
यहां अक्टूबर से मार्च का समय घूमने के लिए सबसे अच्छा है। इस दौरान मौसम सुहाना रहता है, और आप बिना गर्मी या बारिश की चिंता के करेंग घर और आसपास की दूसरी जगहों को आराम से घूम सकते हैं। अगर आप बिहू उत्सव के दौरान जाएं, तो आपको असम की संस्कृति का रंग-बिरंगा रूप देखने को मिलेगा।
आसपास और क्या देखें?

सिबसागर अपने आप में इतिहास का खजाना है। करेंग घर के अलावा आप रंग घर, तलातल घर, शिवडोल मंदिर, और जॉयसागर तालाब भी देख सकते हैं। ये सभी जगहें अहोम वास्तुकला और संस्कृति की झलक दिखाती हैं। अगर आपके पास समय हो, तो काजीरंगा नेशनल पार्क भी ज्यादा दूर नहीं है, जहां आप एक सींग वाले गैंडों को देख सकते हैं।
ट्रैवल टिप्स
- स्थानीय गाइड लेकर जाना बेहतर रहता है क्योंकि वे आपको करेंग घर की पूरी कहानी समझाएगा।
- सुबह जल्दी या शाम को जाएं, जब मौसम ठंडा और भीड़ कम होती है।
- आरामदायक जूते पहनें, क्योंकि महल के कुछ हिस्सों में पैदल चलना पड़ता है।
- अपनी पानी की बोतल और सनस्क्रीन साथ रखें।
- स्थानीय असमिया खाने का स्वाद जरूर लें, खासकर मूगा सिल्क की दुकानों से कुछ खरीदारी भी कर सकते हैं।
क्यों जाएं करेंग घर?
करेंग घर सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि असम के गौरवशाली अतीत का जीवंत दस्तावेज है। ये वो जगह है जहां आप अहोम राजवंश की शक्ति, उनकी कला और उनके जीवन को करीब से देख सकते हैं। अगर आप इतिहास, वास्तुकला या बस एक अनोखे ट्रैवेल अनुभव के शौकीन हैं, तो करेंग घर आपकी लिस्ट में जरूर होना चाहिए। तो अगली बार जब आप असम की ट्रिप प्लान करें, सिबसागर को अपनी लिस्ट में डालें और करेंग घर की सैर जरूर करें। ये महल आपको न सिर्फ इतिहास की सैर कराएगा, बल्कि असम की आत्मा से भी जोड़ेगा। तैयार हैं ना इस शाही सफर के लिए?
आपके पसंद की अन्य पोस्ट

सितंबर में घूमने के लिए बेस्ट हैं ये जगहें
हमारा देश इतना बड़ा है कि यहां हर महीने आपको घूमने के लिए कई सुंदर जगहें मिल जाएंगी।

शानदार नज़ारों से घिरा हिमालय का छोटा सा ठिकाना नारकंडा
नारकंडा खिले हुए फूलों और सेब के बगीचों के साथ एक रंगीन स्वर्ग में बदल जाता है।