चाय की चुस्कियों में खो जाएंगे यहां
अनुषा मिश्रा
15-06-2022 01:50 PM
My India

सौ गम भुला देगी और खुशियां बढ़ा देगी
एक चाय की चुस्की को ये कमाल आता है
हो यारों की टोली या मेहमानों का जमघट
महफ़िल में हर तरह से रौनक बढ़ा देगी
एक चाय की चुस्की को ये कमाल आता है
हो समंदर का किनारा या पहाड़ों की चोटी
सफर को ये पहले से खूबसूरत बना देगी
एक चाय की चुस्की को ये कमाल आता है
जी हां, एक चाय की चुस्की में वाकई ये कमाल है कि वो हर किसी को अपना दीवाना बना लेती है। खासकर जब हम सफर कर रहे होते हैं तब तो चाय ही हमारा पक्का हमसफ़र बनती है। तो चलिए आज हम आपको ले चलते हैं चाय के साथ, चाय के सफर पर। अरे, मेरा मतलब है चाय के बागानों के सफर पर...
आपका तो पता नहीं, लेकिन मेरा कोई जानने वाला अगर ये कह देता है कि उसे चाय पसंद नहीं तो मुझे वही पसंद आना बंद हो जाता है। सुबह आंख खुलने से लेकर रात में सोने तक जब भी कोई पूछे - चाय पिओगी? हमारा जवाब 'न' हो ही नहीं सकता। गली का नुक्कड़ हो या घर का कमरा, दूर तक फैली वादियां हों या घने जंगल का कोई कोना, बेड पर बिस्तर में घुसकर या खुले आसमान में सितारों के नीचे, जगह कोई भी हो, मौसम कोई भी हो, मूड कैसा भी, हो चाय उसे अच्छा बना देती है। तो ज़्यादा बातें किए बिना मैं आपको ले चलती हूं देश के सबसे अच्छे चाय बागानों की यात्रा पर। आखिर आपको भी तो पता होना चाहिए कि आपकी रग-रग को ताज़गी से भर देने वाली चाय आखिर आती कहां से है।
दार्जीलिंग, पश्चिम बंगाल
शैम्पेन ऑफ टी के नाम से मशहूर है दार्जीलिंग शहर। दार्जिलिंग में चाय के 87 बागान हैं जिनमें हर साल लगभग 85 लाख किलो चाय पैदा होती है। यहां के हर बागान में अपने तरह की अनूठी, शानदार खुशबू वाली चाय तैयार की जाती है। दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची चोटी कंचनजंगा की ढलानों पर बसी हैं दार्जीलिंग की पहाड़ियां और इन पहाड़ियों पर हैं यहां के चाय बागान। वैसे तो यहां की हर चाय खास है, लेकिन दार्जीलिंग से 33 किलोमीटर दक्षिण की तरफ दुनिया की सबसे पुरानी चाय की फ़ैक्ट्रियों में से एक है जिसमें एक दुर्लभ किस्म की चाय की पत्ती और कली मिलती है। इसे सिल्वर टिप्स इम्पीरियल के नाम से जाना जाता है। इस चाय की कलियों को कुछ खास लोग ही तोड़ते हैं जिनका ताल्लुक मकाईबाड़ी चाय बागान से होता है। सिल्वर टिप्स इम्पीरियल चाय को पूर्णमासी की रात में ही तोड़ा जाता है। इस चाय की कीमत लगभग 37,000 रुपये किलो है। कोई बात नहीं अगर आप इतनी महंगी चाय नहीं पीना चाहते। यहां के किसी भी बागान में हरियाली के बीच बैठकर चाय पीजिए आपको मज़ा आ ही जाएगा।
कैसे पहुंचें दार्जीलिंग
दार्जीलिंग पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी एयरपोर्ट बागडोगरा है जो यहां से 67 किलोमीटर दूर है। सड़क के रास्ते ढाई घंटे में आप एयरपोर्ट से दार्जीलिंग पहुंच सकते हैं। नजदीकी रेलवे स्टेशन न्यू जलपाईगुड़ी है जो यहां से 70 किलोमीटर दूर है। आप चाहें तो गंगटोक, कलिम्पोंग, सिलीगुड़ी जैसे शहरों से सड़क मार्ग के जरिए भी दार्जीलिंग जा सकते हैं।
जोरहाट, असम
आसाम का जोरहाट सबसे बड़ा चाय उत्पादक क्षेत्र माना जाता है। यहां और इसके आसपास के इलाकों में चाय के लगभग 135 बागान हैं। यहां के सिन्नामोरा चाय बागान की खूबसूरती बेमिसाल है। बागान में चाय की छोटी - छोटी झाड़ियों से गुजरते हुए सैर की जा सकती है। अगर आप जानना चाहते है कि चाय कैसे बनाई जाती है, उसे कैसे उगाया जाता है तो सिन्नोमोरा चाय बागान सबसे अच्छी जगह है। यहां आप ये सब देख सकते हैं। इसके अलावा यहां का टोकलाई चाय अनुसंधान केंद्र, दुनिया का सबसे पुराना चाय संस्थान है जो जोरहाट की सुंदरता को बढ़ाता है। यहां हर वर्ष चाय महोत्सव मनाया जाता है। यानी चाय के दीवानों के लिए एकदम परफेक्ट दिन। यही वजह है कि हर साल इस दिन भारी तादाद में पर्यटकों की भीड़ यहां पहुंच जाती है।
कैसे पहुंचें जोरहाट, असम
जोरहाट, असम के अन्य भागों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है और देश के अन्य हिस्सों में भी यहां से होकर गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है। जोरहाट में निजी हवाई अड्डा और रेलवे स्टेशन भी है।
मुन्नार, केरल
घूमने के शौकीन और कुदरत के चाहने वाले केरल को 'God's own country' कहते हैं। यूं तो केरल में हर जगह खास और घूमने लायक है, लेकिन मुन्नार की बात ही कुछ और है। तकरीबन 1700 मीटर की ऊंचाई पर बसे इस हिल स्टेशन की घुमावदार गोल-गोल पहाड़ियों पर एक ही ऊंचाई के चाय के पौधों को देखकर ऐसा लगता है जैसे किसी ने पूरे इलाके में हरे रंग की मखमली कालीन बिछा दी हो। अंग्रेजों ने 1857 में मुन्नार में चाय बागान की नींव रखी थी। जॉन डेनियल मुनरो जब केरल पहुंचे तो उन्हें इस जगह से प्यार हो गया। बस तभी से केरल चाय बागानों का घर बन गया। यहां - एवीटी चाय, हैरिसन मलयालम, सेवनमल्ले टी एस्टेट, ब्रुक बॉन्ड जैसे कई चाय बागान हैं। खास बात यह है कि आप इन चाय बागानों में रुक भी सकते हैं। केरल का राज्य पर्यटन विभाग यात्रियों को ये सुविधाएं देता है। यहां टाटा टी ने एक म्यूजियम भी बना रखा है, जहां चाय उगाने से लेकर उसे प्रॉसेस करने की पूरी प्रक्रिया देख सकते हैं। यहां पुरानी तस्वीरों के साथ एक वीडियो के जरिए चाय के इतिहास की पूरी जानकारी मिलेगी।
कैसे पहुंचें मुन्नार, केरल
मुन्नार से सबसे नजदीकी एयरपोर्ट कोचीन है। जहां से पर्यटक आसानी से बस या टैक्सी द्वारा मुन्नार पहुंच सकते हैं। रेल मार्ग से पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन एर्नाकुलम है। बस मार्ग से भी आप केरल आसानी से पहुंच सकते हैं।
ऊटी, तमिलनाडु
दक्षिण भारत में पहाड़ों की रानी कही जाने वाली ऊटी हर तरह की खूबसूरती अपने आप में समेटे हैं। यहां पहाड़ों की ठंडक है, बगीचों की हरियाली और झीलों की ताज़गी भी, इसके साथ ही यहां कई एकड़ों में फैले चाय के बागान भी हैं जिनकी खुशबू लोगों पर अपना जादू चलाने में कोई कसर नहीं छोड़ती। नीलगिरी की पहाड़ियों पर ऊंचे-नीचे चाय के बागान देखकर आपका मन करेगा कि यहीं इन हरी पत्तियों के झुरमुट के बीच बैठकर एक प्याली चाय तो पी ही लेनी चाहिए। ऊटी में पैदा होने वाली चाय की भारत में तो खपत है ही, ये अमेरिका और ब्रिटेन में भी निर्यात की जाती है। ऊटी से 17 किलोमीटर की दूरी पर कुनूर टी एस्टेट यहां का सबसे मशहूर चाय का बागान है। यहां आपको कई तरह की चाय की खुशबू के साथ जंगली फूलों की सुंदरता भी देखने को मिलेगी। इसके अलावा लैम्ब्स रॉक टी एस्टेट भी देखने लायक है। यहां से कोयम्बटूर के प्लेन्स भी साफ दिखाई देते हैं। खास बात ये है कि लैम्ब्स रॉक में आप चाय के साथ कॉफ़ी प्लान्टेशन भी देख पाएंगे। ऊटी का स्विट्जरलैंड कही जाने वाली केटी वैली का एक ट्रिप भी आप चाय के बागानों को देखने के लिए कर सकते हैं।
कैसे पहुंचें ऊटी, तमिलनाडु
ऊटी का नजदीकी एयरपोर्ट कोयम्बटूर एयरपोर्ट है जो ऊटी से 85 किलोमीटर दूर है। दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, अहमदाबाद समेत देश के प्रमुख शहरों से नियमित फ्लाइट्स कोयंम्बटूर आती हैं। ऊटी से 40 किलोमीटर दूर स्थित मेट्टूपलयम ऊटी का नजदीकी रेलवे स्टेशन है। चेन्नई, मैसूर, बेंगलुरु समेत कई नजदीकी शहरों से नियमित ट्रेनें मेट्टूपलयम आती हैं। यहां से आपको ऊटी के लिए ट्वॉय ट्रेन मिल जाएगी। ट्वॉय ट्रेन का सफर आपकी ट्रिप को यादगार बना देगा। ट्रेन की कई जगह बगानों से होकर गुजरती है। आप चाहें तो तमिलनाडु स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन की बस सर्विस के जरिए भी ऊटी पहुंच सकते हैं। इसके अलावा बेंगलुरु, चेन्नई और मैसूर जैसे पड़ोसी शहरों से भी सरकारी औऱ प्राइवेट बसें ऊटी के लिए चलती हैं।
पालमपुर, हिमाचल प्रदेश
उत्तर पश्चिमी भारत की चाय की राजधानी के रूप में जाना जाता है हिमाचल प्रदेश की कांगड़ा घाटी का पालमपुर। कई एकड़ क्षेत्र में फैले चाय के बागान ही यहां के लोगों की आजीविका का प्रमुख साधन हैं। यहां के इतिहास की मानें तो 1849 में उत्तर - पश्चिम सीमांत प्रांत में बॉटनिकल गार्डन के अधीक्षक डॉ. जेम्सन ने यहां चाय के बागानों की शुरुआत की थी। 1883 में चाय के कारण ही इसे पूरी दुनिया में पहचान मिली। बाजार में जो दरबारी, बागेश्वरी, बहार और मल्हार नाम से चाय बिकती है, वह यहीं की कांगड़ा किस्म की चाय होती है। ये सभी ब्रांड्स के नाम संगीत के रागों के नाम पर हैं। कांगड़ा की हवा, मिट्टी और बर्फ ढके पहाड़ों की ठंडक, ये सब मिलकर यहां की चाय को खास बनाते हैं और आपकी चाय के कप में जादू घोल देते हैं। पालमपुर आए हैं तो चाय के बागानों की सैर कभी भी मिस न करिएगा। आप यहां चाय बनाने का पूरा तरीका भी देख सकते हैं। चाय बागानों में एक झोपड़ी में गर्म कांगड़ा चाय के एक कप का स्वाद लेना भी आपके लिए बेहद खास साबित हो सकता है। और हां, इसकी एक तस्वीर लेना बिल्कुल मत भूलिएगा।
कैसे पहुंचें पालमपुर, हिमाचल प्रदेश
पालमपुर का निकटतम हवाई अड्डा गग्गल हवाई अड्डा है। जो यहां से 25 किमी की दूरी पर है। सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन पठानकोट है जो यहां से 90 किलोमीटर की दूरी पर है। पालमपुर हिमाचल प्रदेश के सभी प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। यहां के लिए सीधी बसें धर्मशाला, मनाली, कांगड़ा, चंडीगढ़ और शिमला से चलती हैं।
टेमी टी एस्टेट, सिक्किम
सिक्किम के टेमी चाय बागान की स्थापना यहां के राजा चोग्याल के शासनकाल में 1969 में हुई थी। कुछ समय बाद 1977 में बड़े पैमाने पर इसका उत्पादन शुरू हो गया। यहां चाय बागान के रोजमर्रा के कामकाज को ठीक ढंग से रखा व किया जा सके, इसलिए 1974 में चाय बोर्ड की बनाया गया। कुछ समय बाद टेमी टी एस्टेट सरकारी उद्योग विभाग की सहायक कम्पनी बन गई। खास बात यह है कि यहां 440 एकड़ से भी ज़्यादा क्षेत्र में जैविक खेती करके लगभग 100 टन चाय उगाई जाती है। यदि बड़े चाय बागानों से मुकाबला किया जाए, तो यह पैदावार बहुत ज्यादा नहीं है, लेकिन इसकी गुणवत्ता और सुगंध ने भारत और दुनिया भर के चाय प्रेमियों का दिल जीत लिया है। जर्मनी, ब्रिटेन, अमेरिका और जापान टेमी चाय के प्रमुख खरीदार हैं। टेमी चाय को भारतीय चाय बोर्ड की तरफ से साल 1994 और 1995 के लिए "अखिल भारतीय गुणवत्ता पुरस्कार" भी मिल चुका है। यहां से कंचनजंगा की ऊंची चोटियां भी साफ दिखती हैं। वैसे तो यहां नवम्बर के महीने में चेरी के फूल भी देखने लायक होते हैं, लेकिन सालभर यहां का मौसम अच्छा ही रहता है।
कैसे पहुंचें सिक्किम
यहां का निकटतम हवाईअड्डा बागडोगरा है जो यहां से 118 किलोमीटर की दूरी पर है। देश के लगभग सभी बड़े हवाईअड्डों से यहां के लिए फ्लाइट मिल जाती हैं। सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन न्यू जलपाईगुड़ी है, जिसकी दूरी 114 किलोमीटर है। आगे की दूरी आप टैक्सी से तय कर सकते हैं।
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