काशी के घाट गंगा महोत्सव 2025 के लिए हैं तैयार, यहां जानें पूरे 4 दिन का शेड्यूल
काशी यानी वाराणसी के पवित्र गंगा घाट हमेशा से ही आस्था और संस्कृति का केंद्र रहे हैं। इस बार देव दीपावली की दिव्य रोशनी से ठीक पहले एक और भव्य उत्सव होने जा रहा है। गंगा महोत्सव 2025, जो 1 नवंबर से 4 नवंबर तक चलेगा। यह महोत्सव घाटों को संगीत, नृत्य और लोक कला से भर देगा। डीडी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, गंगा महोत्सव 2025, जो 1 से 4 नवंबर तक आयोजित होगा, वाराणसी के घाटों को एक विशाल सांस्कृतिक मंच में बदल देगा। यहां भारत की समृद्ध संगीत, नृत्य और लोक परंपराओं की सुंदर झलक दिखाई देगी।
उत्तर प्रदेश सरकार के प्रयासों से यह महोत्सव गंगा के पवित्र तटों पर आयोजित किया जा रहा है। मुख्य स्थान राजघाट और नमो घाट होंगे। देश भर से सम्मानित कलाकार यहां पधारेंगे और शास्त्रीय संगीत, भक्ति भजन, लोक गीत तथा नृत्य की मनमोहक प्रस्तुतियां देंगे। टूरिज्म के जॉइंट डायरेक्टर दिनेश कुमार ने इसे गीत, संगीत, नृत्य और वाद्य यंत्रों का पावन त्योहार बताया है। हर शाम ठीक 4 बजे से कार्यक्रम शुरू होंगे और सभी के लिए खुला रहेगा।
चार दिनों का शेड्यूल
1 नवंबर
महोत्सव की शुरुआत पंडित माता प्रसाद मिश्रा और पंडित रवि शंकर मिश्रा के कथक नृत्य से होगी। डॉ. रिपि मिश्रा शास्त्रीय गायकी की सुंदर प्रस्तुति देंगी। विदुषी कमला शंकर स्लाइड गिटार पर अपना जादू बिखेरेंगी। पंडित नवल किशोर मलिक शास्त्रीय संगीत की गहराई दिखाएंगे। रवि शर्मा और उनका ग्रुप ब्रज लोक संगीत से माहौल को और जीवंत बनाएंगे।
2 नवंबर
इस शाम मेलोडी और नृत्य का सुंदर मिश्रण देखने को मिलेगा। प्रो. पंडित साहित्य नाहर और डॉ. पंडित संतोष नाहर सितार-वायलिन की मंत्रमुग्ध करने वाली जुगलबंदी पेश करेंगे। पद्मश्री गीता चंद्रन का भरतनाट्यम नृत्य शाम का मुख्य आकर्षण होगा। शिवानी शुक्ला, वंदना मिश्रा और राजकुमार तिवारी शास्त्रीय गायकी से मन को शांति देंगे। ओम प्रकाश भक्ति भरे भजन गाकर भक्ति का रंग चढ़ाएंगे।
3 नवंबर
तीसरे दिन लोक संगीत का जोश और शास्त्रीय नृत्य की ग्रेस एक साथ नजर आएगी। पद्मश्री मालिनी अवस्थी उत्तर भारत के देसी लोक गीत गाकर ग्रामीण भारत की भावना को जीवंत करेंगी। विशाल कृष्ण कथक नृत्य से सबको मंत्रमुग्ध कर देंगे। चेतन जोशी बांसुरी की मधुर धुन बजाएंगे। विदुषी कविता द्विवेदी ओडिसी नृत्य की सुंदरता दिखाएंगी।
4 नवंबर
समापन का दिन भक्ति में डूबा रहेगा। लोकप्रिय भजन गायक हंसराज रघुवंशी अपनी आत्मिक रचनाओं से दिव्य ऊर्जा भर देंगे। डॉ. शुभंकर दे शास्त्रीय गायकी की प्रस्तुति देंगे। डॉ. प्रेम किशोर मिश्रा और उनका ग्रुप सितार-सरोद की जुगलबंदी पेश करेंगे। शिवानी मिश्रा कथक ग्रुप डांस से महोत्सव को यादगार विदाई देंगे।
चार दिनों तक घाटों पर दीये जलेंगे और हवा में संगीत की मधुर धुन गूंजेगी। काशी एक बार फिर साबित करेगी कि वह भारत का सांस्कृतिक हृदय क्यों कहलाती है। गंगा महोत्सव कला और आस्था का पावन जश्न है। यह देव दीपावली की स्वर्गीय सुंदरता का सुंदर पूर्वाभ्यास भी है, जब गंगा के घाट लाखों दीयों से जगमगा उठेंगे। हर सुर, हर कदम और हर ताल के साथ गंगा महोत्सव 2025 एक अविस्मरणीय अनुभव बनेगा। यहां नदी सिर्फ पानी से नहीं बहती, बल्कि भारत की जीवंत परंपराओं की लय से भी बहती है।
महोत्सव में क्यों जाएं
- एंट्री पूरी तरह मुफ्त है।
- गंगा किनारे संगीत का आनंद लीजिए।
- पद्मश्री जैसे सम्मानित कलाकार एक मंच पर होंगे।
- देव दीपावली की सुंदर तैयारी देखिए।
- काशी की असली संस्कृति का अनुभव कीजिए।
कुछ टिप्स
- 31 अक्टूबर तक वाराणसी पहुंच जाएं।
- घाटों के पास होटल या गेस्ट हाउस पहले से बुक कर लें।
- रिक्शा या पैदल घूमकर आसानी से पहुंच सकते हैं।
- हल्के गर्म कपड़े, पानी की बोतल और कैमरा साथ रखें।
- सुबह गंगा स्नान और काशी विश्वनाथ के दर्शन करें।
- दोपहर में बनारसी चाट और चाय का मजा लें।
- शाम को महोत्सव में शामिल हों।
- रात में घाट पर टहलकर दीयों की रोशनी का आनंद लें।
काम की बात
- शाम 3:30 बजे तक घाट पहुंच जाएं ताकि अच्छी जगह मिले।
- कुछ कैश साथ रखें क्योंकि हर जगह डिजिटल पेमेंट नहीं चलता।
- बच्चों और बुजुर्गों को आरामदायक जूते पहनाएं।
- पानी और हल्के स्नैक्स साथ रखें।
- अगर पहली बार काशी आ रहे हैं तो लोकल गाइड की मदद लें।
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