यूपी की विस्टाडोम ‘ट्रेन सफारी’: जंगल घूमने का नया और आसान तरीका, इसके बारे में जानें सबकुछ
अगर आप शहर की भीड़-भाड़ और धूल-धक्कड़ वाली जीप सफारी से थक गए हो तो अब जंगल घूमने का एक नया और मजेदार तरीका आजमाइए। उत्तर प्रदेश में शुरू हुई विस्टाडोम ट्रेन सफारी भारत की सबसे नई रेल यात्रा है। ये ट्रेन आपको जंगल के बीच ले जाती है, लेकिन बिना किसी झटके या परेशानी के। यूपी इको-टूरिज्म बोर्ड की वेबसाइट के मुताबिक, ये सफारी टेराई इलाके के घने जंगलों, झीलों और हरे मैदानों से गुजरती है। यहां मोर नाचते दिखते हैं, हिरण आराम से घास खाते हैं और हर मोड़ पर ऐसा नजारा मिलता है कि मुंह से अपने आप ‘वाह!’ निकल जाता है। ये ट्रेन सिर्फ शनिवार और रविवार को चलती है। अगर शहर से दो दिन की छुट्टी चाहिए, तो ये ट्रेन आपके लिए बेस्ट है।
ट्रेन कहां से कहां चलती है?
ट्रेन बिचिया से शुरू होती है। बिचिया कतरनियाघाट वन्यजीव अभयारण्य के पास है। फिर ये मैलानी तक जाती है। मैलानी दुधवा नेशनल पार्क का मुख्य द्वार है। कुल रास्ता 107 किलोमीटर का है। एक तरफ का सफर साढ़े चार घंटे लगते हैं। ट्रेन घने साल के जंगलों से, चमचमाती झीलों के किनारे से और हरे-भरे घास के मैदानों से होकर गुजरती है। टेराई का इलाका भारत में सबसे ज्यादा जानवरों और पक्षियों वाला क्षेत्र है। हवा में जंगल की ताजा खुशबू आती है और हर खिड़की से खूबसूरत फोटो खींचने लायक नजारा दिखता है।
रास्ते में क्या-क्या दिखता है?
 
	
											
									- साल के ऊंचे पेड़ों के बीच से धूप की किरणें झांकती हैं।
- खुले मैदान में हिरण, नीलगाय और लंगूर आराम से घूमते हैं।
- कभी-कभी मोर अपना पंख फैलाकर नाचते दिख जाते हैं।
- अगर किस्मत अच्छी हुई, तो मिट्टी में तेंदुए के पंजों के निशान या झाड़ियों में कुछ हलचल भी दिख सकती है।
ये पुरानी मीटर गेज रेल लाइन है जो पहले माल ढोने के लिए बनाई गई थी, लेकिन अब ये जंगल की जिंदगी का रास्ता बन गई है। ट्रेन धीरे-धीरे चलती है। इससे आप हर चीज को अच्छे से देख सकते हैं। ट्रेन की सीटी जंगल में गूंजती है, पत्तियां सरसराती हैं और अचानक कोई जानवर दिख जाए तो पूरा कोच खुशी से चिल्ला उठता है।
विस्टाडोम कोच में क्या खास है?
 
	
											
									ये कोई साधारण ट्रेन नहीं है। विस्टाडोम कोच में ये सब सुविधाएं हैं:
- बड़ी-बड़ी कांच की खिड़कियां जिनसे चारों तरफ जंगल दिखता है।
- छत पर भी कांच है, जिससे ऊपर से आसमान, बादल और पेड़ देख सकते हैं।
- ट्रेन के आखिरी हिस्से में भी कांच लगा है जिससे ऐसा लगता है कि आप जंगल के अंदर चल रहे हो।
चाहे आप पक्षी देखने के शौकीन हो, फोटो खींचना पसंद करते हो या बस शांति चाहते हो, ये ट्रेन आपको प्रकृति के सबसे करीब ले जाती है।
फोन चुप, दिल खुश
इस रास्ते में एक चीज बिल्कुल नहीं मिलेगी और वह है मोबाइल नेटवर्क। पूरा सफर फोन खामोश रहेगा, ठीक वैसे ही जैसे जंगल। लेकिन यही तो मजा है। कोई मैसेज नहीं, कोई कॉल नहीं, सिर्फ पक्षियों की आवाज और जंगल की खामोशी। आप सच में फोन से दूर होकर प्रकृति से जुड़ जाते हो।
वीकेंड का बेस्ट प्लान
 
	
											
									ट्रेन सिर्फ शनिवार और रविवार को चलती है। समय इस तरह है:
ट्रेन नंबर 52260 (मैलानी से बिचिया): सुबह 6:05 बजे निकलती है और 10:30 बजे बिचिया पहुंचती है।
ट्रेन नंबर 52259 (बिचिया से मैलानी): सुबह 11:45 बजे निकलती है और दोपहर 4:10 बजे मैलानी पहुंचती है।
इस टाइम टेबल से आपके पास फोटो खींचने, जंगल में घूमने या सूरज की रोशनी में जंगल देखने का पूरा वक्त रहता
टिकट कैसे बुक करें?
- RCTC की वेबसाइट खोलिए: [irctc.co.in](https://www.irctc.co.in)
- ट्रेन नंबर डालिए – 52260 (मैलानी से बिचिया) या 52259 (बिचिया से मैलानी)।
- तारीख चुनिए – सिर्फ शनिवार या रविवार की।
- 4. अपनी सीट चुनिए, पेमेंट करिए और टिकट कन्फर्म हो जाएगा।
टिप: वीकेंड पर सीटें जल्दी भर जाती हैं, इसलिए पहले से बुक कर लीजिए। अगर टूर कंपनी के साथ जा रहे हैं, तो वो भी बुकिंग करवा सकती है।
वहां कैसे पहुंचें?
 
	
											
									मैलानी: लखनऊ से करीब 200 किलोमीटर दूर है। ट्रेन या बस से आसानी से पहुंच सकते हैं।
बिचिया: नेपाल की सीमा के पास है। सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन नेपालगंज रोड है, जो 20 किलोमीटर दूर है।
लखनऊ से: टैक्सी या बस से 5-6 घंटे का रास्ता है।
अगर दुधवा, किशनपुर या कतरनियाघाट में रुकना चाहते हो, तो वहां की जंगल सफारी या होटल की बुकिंग अलग से कर लें। ट्रेन के आने-जाने के समय के हिसाब से गाड़ी की पिकअप-ड्रॉप की व्यवस्था पहले से कर लें, क्योंकि जंगल में गाड़ियां कम मिलती हैं।
पर्यावरण के लिए भी अच्छी
ये ट्रेन सिर्फ मजेदार नहीं, बल्कि पर्यावरण के लिए सुरक्षित भी है। जंगल में नई गाड़ियां नहीं डाली जा रही हैं। पुरानी रेल लाइन का ही इस्तेमाल हो रहा है। ट्रेन धीरे चलती है, कम शोर करती है और जानवरों को परेशान नहीं करती। ये इको-टूरिज्म का शानदार उदाहरण है। आप मजा लेते हो और जंगल को नुकसान नहीं पहुंचता।
एक बार ट्रेन सफारी क्यों करें?
- जीप की धूल नहीं – आराम से बैठकर जंगल देखो।
- चारों तरफ नजारा – विस्टाडोम कोच में हर तरफ से जंगल दिखता है।
- फोन से ब्रेक – नेटवर्क नहीं, सिर्फ सुकून।
- दो दिन का प्लान – वीकेंड में पूरा मजा।
- फोटो का खजाना – हर फोटो वॉलपेपर लायक।
- जानवर पास से – हिरण, मोर, लंगूर सब नजदीक।
- सुरक्षित यात्रा – जंगल को नुकसान पहुंचाए बिना घूम सकते हैं।
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