राज्यों का सफर

नवंबर में घूमने के लिए ये 5 जगहें हैं बेस्ट

बारिश, गर्मी और ह्यूमिडिटी से राहत मिल चुकी है। ठंडी हवाओं ने अपना रास्ता बना लिया है, गुनगुनी धूप और सिहरती रातों वाला महीना यानी नवंबर दस्तक देने हैं। इसे अगर ट्रैवेल मंथ यानी यात्रा का महीना कहा जाए तो गलत नहीं होगा। टूरिज्म से जुड़े फेस्टिवल्स भी इस महीने खूब होते हैं। इस समय न तो रेगिस्तान की गर्मी जलाती है न ही पहाड़ों की ठंडक ठिठुराती है। हमारे यहां तो कई लोग नवंबर में घूमने के लिए साल भर छुट्टियां बचा कर रखते हैं। अगर आप भी उनमें से एक हैं तो ये स्टोरी आपके लिए है। अगर आप पूरे साल घूमते हैं तो ये स्टोरी आपके लिए भी है क्योंकि हम आपको बता रहे हैं भारत की 5 ऐसी जगहों के बारे में जहां नवंबर सबसे ज़्यादा खूबसूरत होता है। 

दो देशों में है नागालैंड का ये गांव, लोगों के पास है दोहरी नागरिकता

नागालैंड के उत्तरी हिस्से में एक लोंगवा गांव है जिसमें कुछ खास है। मोन जिले के सबसे बड़े गांवों में से एक, यह एक बेहद दिलचस्प जगह है। यहां गांव के प्रधान जिन्हें अंग कहा जाता है, उनका आधा घर भारत में और आधा म्यांमार में है। क्योंकि ये गाँव दो देशों में है, फिर भी पूरे गांव पर मुखिया का शासन होता है। यहां प्राकृतिक सुंदरता अपार है। यहां कुल चार नदियाँ गाँव से होकर बहती हैं, दो भारत में और दो म्यांमार में।कभी-कभी जब आप वहां होते हैं, तो आप म्यांमार में होते हैं और कभी भारत में। नागालैंड में कोन्याक जनजाति को भारत के अंतिम शिकारियों में से एक माना जाता है, क्योंकि 1960 के दशक में ईसाई धर्म के उदय के साथ इस प्रथा को छोड़ दिया गया था। कोन्याक्स ने अपने चेहरे और शरीर के अन्य हिस्सों पर टैटू बनवाए जो समाज में उनकी जनजाति, कबीले और स्थिति को दर्शाते थे। टैटू और सिर का शिकार करना संस्कृति का एक अभिन्न अंग था। क्योंकि युवा कोन्याक लड़कों को कबीलाई लड़ाई में प्रतिद्वंद्वी जनजातियों के सदस्यों का सिर काटना पड़ता था। इनका मानना था कि एक व्यक्ति की खोपड़ी में उनकी आत्मा की शक्ति होती है, जो समाज में समृद्धि लाती है और उनके वंश को आगे बढ़ाती है।लोंगवा में आज कई ग्रामीण पीतल की खोपड़ी का हार पहनते हैं, जो इस विरासत का प्रतीक है। दिलचस्प बात यह है कि बहुत सारे स्थानीय लोग भी म्यांमार की सेना में हैं क्योंकि गाँव के निवासियों के पास दोनों देशों की नागरिकता है इसीलिए यहां के लोग दोनों देशों में स्वतंत्र रूप से घूम सकते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि यहां के गांव की मुखिया की जिन्हें अंग कहते हैं, उनकी 60 पत्नियां हैं और म्यांमार और अरुणाचल प्रदेश के 70 गांवों में उनका शासन है। 

सितंबर में घूमने के लिए बेस्ट हैं ये जगहें

वैसे तो लोग आजकल महीने और मौसम की बातें भूलकर पूरे साल ही कहीं न कहीं घूमते रहते हैं लेकिन फिर भी कई लोग ऐसे हैं जो हर मौसम का असल लुत्फ नहीं उठा पाते। अगर आप भी उनमें से एक हैं और ये मानते हैं कि भई घूमना तो सिर्फ नवम्बर से फरवरी तक ही चाहिए तो जनाब आपकी सोच गलत है। हमारा देश इतना बड़ा है कि यहां हर महीने आपको घूमने के लिए कई सुंदर जगहें मिल जाएंगी। उस महीने में मॉनसून विदा हो रहा होता है और मौसम में हल्की ठंडक आ जाती है। यह महीना जुलाई और अगस्त के महीनों की तुलना में ठंडा होता है लेकिन आने वाले अक्टूबर और नवंबर के महीनों की तुलना में कम ठंडा। सितम्बर में टूरिस्म का ऑफ सीजन भी खत्म हो रहा होता है इसलिए इस महीने आने वाले महीनों की तुलना में होटल भी सस्ते मिल जाते हैं। सितंबर के महीने की सबसे अच्छी बात यह है कि आपको टूरिस्ट प्लेसेस पर भारी भीड़ का सामना नहीं करना पड़ता। अब जब इस महीने घूमने के इतने फायदे हैं तो क्यों न एक ट्रिप आप भी प्लान कर लें। हम आपको बता रहे सितम्बर में घूमने के लिए सबसे अच्छी जगह।  

इश्क़ = मॉनसून, घुमक्कड़ी और भोपाल

दो झीलों से बंटा शहर भोपाल हर तरह के पर्यटक के लिए खास है। इतिहास प्रेमी हों या कला प्रेमी, हरियाली पसंद हो पानी यहां सब मिलेगा। 'झीलों का शहर' कहा जाने वाला भोपाल बारिश के मौसम में ऐसा लगता है जैसे कुदरत ने गीले हरे रंग से इसे रंग दिया हो।अगर ये कहा जाए कि यह भारत के सबसे हरे-भरे शहरों में से एक है तो गलत नहीं होगा। इस शहर को बसाने का श्रेय जाता है राजा भोज को। यहां की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है इसकी निशानी हैं, ऐतिहासिक स्मारक, धार्मिक स्थल और संग्रहालय। शहर को दो भागों में बांटा जा सकता है, उत्तर की ओर पुराना शहर जिसमें मस्जिदें, बाज़ार और पुरानी हवेलियां हैं व दक्षिण की ओर आधुनिक शहर हैं। शहर की दो झीलें 'भोजताल' और 'छोटा तालाब' हैं, जिन्हें ऊपरी झील और निचली झील भी कहा जाता है। यूं तो झीलें यहां आने वाले टूरिस्ट्स के लिए मेन अट्रेक्शन पॉइन्ट हैं, लेकिन ये शहर के लोगों के लिए पानी का एक महत्वपूर्ण स्रोत भी हैं। यहां की शाहजहाँ बेगम की बनवाई हुई ताज-उल-मसाजिद भारत की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है। भोपाल में ऐसा बहुत कुछ है जो बारिश के मौसम में घूमने के लिए बेस्ट है। हलाली डैमबारिश के मौसम में घूमने के लिए भोपाल की सबसे खास जगहों में से एक है, हलाली डैम। यहां नौका विहार करें या पिकनिक मनाने जाएं, मज़ा आ जाएगा। 699 वर्ग किमी में फैला यहां का ताल बेहद सुंदर दिखता है। इसमें मृगल, रोहू, चीताला और मिस्टस जैसे समुद्री जीव भी पाए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि राजा मोहम्मद खान नवाद ने नदी के तट के पास दुश्मन सेना का वध किया था, जिसने इसे 'हलाली' नदी नाम दिया है। इसी नदी पर इस डैम बना है।रायसेन फोर्टभोपाल से 23 किमी की थोड़ी दूरी पर एक सुंदर किला है रायसेन फोर्ट। हरियाली से भरी हुई पहाड़ी के ऊपर बना यह किला कई मंदिरों से घिरा हुआ है। इसकी तह में कई कुएं और एक विशाल ताल है। कहा जाता है कि 800 साल से ज़्यादा पुराने इस किले में एक मंदिर और एक मस्जिद भी है। प्रसिद्ध मुस्लिम संत हजरत पीर फतेहुल्लाह शाह बाबा की दरगाह के रूप में प्रसिद्ध यह किला लोगों की आस्था का गढ़ है। 13वीं शताब्दी में इसकी स्थापना के बाद से किले पर कई शासकों ने राज किया। बारिश में जब यहां के पहाड़ पर हरियाली खूब बढ़ जाती है तब हल्की फुहारों में इस किले में घूमने में काफी मज़ा आता है।

यूपी: सोनभद्र के ये 5 ठिकाने हैं बेहद खूबसूरत

यूँ तो उत्तर प्रदेश के लास पर्यटकों को लुभाने के लिए बनारस, मथुरा, अयोध्या, आगरा, लखनऊ जैसी कई बड़ी जगहें हैं लेकिन यहां के छोटे-छोटे शहर भी अपने आप में बहुत खूबसूरती समेटे हैं। ऐसा ही एक जिला है सोनभद्र। यहां बारिश के मौसम को और भी सुंदर बनाने के लिए ऐसे कई ठिकाने हैं जो आपका मन मोह लेंगे।विजयगढ़ किला400 फीट लंबा, 5वीं शताब्दी का विजयगढ़ किला उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में कोल राजाओं ने बनवाया था। यह रॉबर्ट्सगंज से लगभग 30 किमी दूर रॉबर्ट्सगंज-चर्च रोड पर मऊ कलां गांव में है। किले का लगभग आधा क्षेत्र कैमूर रेंज की खड़ी चट्टानी पहाड़ियों से भरा है। किले की कुछ अनूठी विशेषताओं में गुफा में बने चित्र, मूर्तियाँ, शिलालेख और चार बारहमासी तालाब शामिल हैं जो कभी सूखते नहीं हैं। मुख्य द्वार मुस्लिम संत, सैय्यद ज़ैन-उल-अब्दीन मीर साहिब की कब्र से पहले है, जिसे लोकप्रिय रूप से हज़रत मीरान शाह बाबा कहा जाता है। यहां इन महान संत को समर्पित एक उर्स या मेला हर साल अप्रैल में आयोजित किया जाता है जिसमें सभी धर्मों के भक्तों की बड़ी भीड़ होती है।नौगढ़ किलानौगढ़ किला रॉबर्ट्सगंज में नौगढ़ टाउनशिप से लगभग 2 किमी और उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में चकिया के दक्षिणी हिस्से में 40 किमी की दूरी पर है। किले का निर्माण काशी नरेश ने करवाया था। पिछले कुछ समय से इसे सरकारी अधिकारियों के लिए गेस्ट हाउस के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। किला से कर्मनाशा नदी और आसपास के क्षेत्र काफी सुंदर दिखता है।नौगढ़ किले के आसपास कुछ अवशेष मिले हैं। ये अवशेष 3000 वर्ष पुराने हैं और इसके प्राचीन इतिहास के साक्षी हैं। किले के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में एक पहाड़ है जिसे गेरुवातवा पहाड़ कहा जाता है। यह पहाड़ धातु और खनिज के अवशेषों से भरा हुआ है। 

खूबसूरती का खजाना हैं हिमाचल के ये गांव

पहाड़ों पर घूमना हो तो हिमाचल प्रदेश लोवों की फेहरिस्त में सबसे ऊपर आता है। हिमाचल प्रदेश का नाम आते ही सबको कुल्लू और मनाली की याद आ जाती है। अक्सर लोग शिमला, कुल्लू और मनाली घूमने के बारे में सोचते हैं। टूर एंड ट्रैवल एजेंट्स भी आपको कुल्लू, मनाली, शिमला, रोहतांग जैसे शहरों के शानदार पैकेज भी देते हैं, लेकिन अगर आप भीड़ से बचकर हिमाचल प्रदेश की वादियों का आनंद लेना चाहते हैं तो आपको यहां के गांवों की तरफ रुख करना होगा। हिमाचल प्रदेश के गांवों में आने के बाद कुल्लू, मनाली और शिमला जरूर भूल जाएंगे।राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है। बापूजी का यह कथन हिमाचल प्रदेश के गांवों पर बिल्कुल ही सटीक बैठता है। प्राकृतिक सौंदर्य से लबालब हिमाचल प्रदेश में जहां कई मं‍दिर हैं, वहीं ऐसे बौद्ध मठ भी हैं, जो अपनी बेहतरीन कला शैली की वजह से सभी को अपनी ओर आकर्षि‍त करते हैं। हर सुविधाओं से युक्त हिमाचल प्रदेश के गांवों में अगर आप एक बार आ गए, तो आपका हर बारे जाने का मन करेगा। बादलों के बीच बसे खूबसूरत गांवों में आने के बाद आपको यहां का शांत वातारण और प्राकृतिक सुंदरता जरूर मोह लेगी। यहां के खूबसूरत गांवों में चाहे चितकुल गांव हो या फिर लांगजा गांव। यहां हर तरफ फैली हरियाली आपका दिल जीत लेगी।

यूं ही नहीं ये जगह जन्नत कहलाती है

आशुतोष श्रीवास्तवये हसीं वादियां, ये खुला आसमां...। एआर रहमान की म्यूजिक पर बाला सुब्रमण्यम और एस चित्रा ने रोज़ा फिल्म के इस गाने को आवाज दी थी। अरविंद स्वामी और मधु पर फिल्माया गया मणिरत्नम की मूवी का गाना कश्मीर पर लगे आतंकवाद के ग्रहण की याद दिलाता है। आतंकवाद के चरम पर बनी यह मूवी हसीन वादियों में खौफ के पलों को अब भी ताजा कर देती है। तीन दशक तक आतंकवाद की आग में झुलसे कश्मीर में अब बहुत कुछ बदल चुका है। अब वहां न तो पत्थरबाजी की घटनाएं होती हैं और न ही पहले की तरह आतंकी घटनाएं। वादियों में टूरिज्म इंडस्ट्री पटरी पर लौट रही है और आपको बुला रही है।तो फिर देर किस बात की है? आप कोरोना के थमने का वेट मत कीजिए। जब भी मौका लगे धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर की एक ट्रिप लगा लीजिए। नोट बुक में लिख लीजिए। जो मजा आपको कश्मीर की वादियों में मिलेगा, वैसा आपको आज तक नहीं आया होगा। बर्फ, झील, घाटियों में शोर करके बहती नदियां व झरने। सब कुछ तो है यहां। अरे ये क्या, आप तो बैग पैक करने में ही जुट गए। कश्मीर ट्रिप के लिए बैग तो पैक करिए, लेकिन टिकट तो बुक करवा लीजिए। आप कश्मीर तक फ्लाइट और सड़क से पहुंच सकते हैं। हम आपको वहां की खूबसूरत जगहें और पहुंचने के बारे में बातें पूरी डिटेल में बताएंगे।

असली ताजमहल से कम खूबसूरत नहीं है ये 'दक्षिण का ताजमहल'

वैसे तो वास्तुकला की जब बात होती है तो सबसे ऊपर ताजमहल का नाम आता है लेकिन औरंगाबाद में बना 'छोटा ताजमहल' यानी बीबी का मकबरा भी किसी से कम नहीं है। यूं तो औरंगजेब ने अपने शासन काल में ज्यादा इमारतों का निर्माण नहीं कराया लेकिन बीबी का मकबरा औरंगजेब के शासन काल की ही निशानी है। मंदिर हों या मस्जिद, गुरुद्वारे हों या गिरिजाघर, किले हों या महल, भारत में हर चीज का एक स्वर्णिम इतिहास है। यहां की इमारतों इतनी खास हैं कि लोग पूरी दुनिया से उन्हें देखने, उनके बारे में जानने यहां चले आते हैं। वैसे तो यहां हर शासक ने अपने शासन काल में कुछ न कुछ ऐसा किया है कि उसको हमेशा याद रखा जाए लेकिन मुगल काल में भारत को कई ऐसी इमारतें मिलीं जो पूरी दुनिया में मशहूर हो गईं। मुगल भारत आए और भारत की जनता पर शासन किया, लेकिन उन्हें हमारा देश इतना भाया कि वे यहीं के होकर रह गए और शासन काल में वास्तुकला के कई नायाब नमूने हमारे लिए छोड़ गए। दक्षिण का ताजमहल यानी बीबी का मकबरा भी उनमें से एक है।

गलियां... जो शहरों का दिल हैं

इस शहर ने देखे हैं तमाम मौसम गुजरते हुएइसकी गलियों में आज भी उनकी खुशबू बाकी हैकहते हैं कि किसी शहर को समझना हो तो वहां की गलियों में झांकिए। ऊंची- ऊंची इमारतें, मॉल, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स और पार्क बनाकर शहर का जितना भी मेकअप कर दिया जाए, लेकिन खूबसूरती तो दिल में होती है और शहर का दिल उसकी गलियों में बसता है। इसलिए आज हम आपके लिए लेकर आए हैं देश भर के कुछ शहरों की गलियां, उन गलियों में बसी यादें और उनसे जुड़े किस्से।आप किसी शहर को एक्सप्लोर करना चाहते हैं, वहां की टिकट बुक करा ली, सभी घूमने वाली जगहों की लिस्ट बना ली और सफर पर निकल गए, लेकिन अगर आपने वहां की सबसे मशहूर गलियों या सड़कों का चक्कर नहीं लगाया तो समझिए आपने सब कुछ मिस कर दिया। आपसे ऐसी गलती न हो इसलिए इन गलियों का एक चक्कर जरूर लगा लें।

जहां भीगा-भीगा होगा हर नजारा

जब मौसम भीगा हो, जगहें भीगी हों, नजारे भीगे हों और आपका मन भी न भीगे, ऐसा कैसे हो सकता है! अपने मन को खुशी से सराबोर करना है तो मानसून में घूमने की तैयारी कर लीजिए। माना कि बारिश में खिड़की पर बैठकर चाय के साथ पकौड़ी खाने का अपना मजा है, लेकिन कभी किसी खूबसूरत सी जगह पर भीगते हुए भुट्टा खाकर देखिए, बाकी सारे मजे इसके सामने फीके लगेंगे। अब ये भुट्टा कहां खाना है और मानसून में घूमने के लिए बेस्ट जगहें कौन सी हैं, ये हम आपको बताएंगे।घूमने के शौकीनों ने इस बार भी गर्मी लॉकडाउन में बिता दी, लेकिन ढील मिलते ही लोग घूमने के लिए निकल पड़े। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड जैसे कई राज्यों में इस वक्त टूरिस्ट्स की भीड़ है। अगर आप भीड़ के डर से वहां अभी जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं? मौसम और लैंडस्लाइड को लेकर परेशान हैं? मानसून के बाद जाया जा सकता है कि नहीं? अगर इस तरह के सवाल आपके जेहन में उठ रहे हों तो टेंशन न लें। आपके सारे सवालों के जवाब देने के लिए हम हैं न!

मॉनसून में खूबसूरती के उफान पर होते हैं उत्तर प्रदेश के ये झरने

पहाड़ों से नीचे गिरता झरने का पानी देखकर मन को अजीब सी शांति मिलती है। इसके कलकल बहते पानी की ठंडक मन को नई ताजगी से भर देती है। ऊंचे पर्वतों और बर्फ के ग्‍लेशियर से निकलकर समुद्र तक अपना रास्‍ता बनाने वाले झरने वाकई में बहुत खूबसूरत होते हैं। आपने उत्तराखंड, केरल, कर्नाटक, मेघालय के झरनों के बारे में तो खूब सुना और पढ़ा होगा। हो सकता है कि इनमें से कई जगह आप घूम भी आए हों लेकिन क्या आपको पता है कि राम और कृष्ण की भूमि कहे जाने वाले उत्तर प्रदेश में भी कई झरने हैं जो आपको बहुत पसंद आएंगे। मॉनसून में तो इन झरनों की सुंदरता देखने लायक होती है। आप भी चलिए हमारे साथ इन झरनों के सफर पर ...

तारकर्ली : यहां बसता है एक छोटा गोवा

नीला, इतना जैसे आसमान पानी में उतर आया हो, लहरें इतनी सरल कि तैरना न जानने वाले भी खुद को इनमें जाने से रोक न पाएं। लगभग सफेद सा रेत और दूर तक पसरी शांति, ऐसी कि लहरों की हर आवाज़ जो कहना चाहे उसे आप सुन सकें। भीड़-भाड़ से भी दूर। सुबह जब आप सोकर उठें तो समंदर की आवाज़ से ही और उसे निहारते हुए होटल की बालकनी में बैठ कर चाय की चुस्कियां लें। सब कुछ कितना अच्छा लग रहा है न? बिल्कुल ऐसा ही नजारा आपको मिल सकता है महाराष्ट्र के ऑफ बीट टूरिस्ट डेस्टिनेशन कहे जाने वाले तारकर्ली में।

एक गांव जो रात में हो जाता है 'भुतहा'

राजस्थान की धरा पर आपको बहुत ही कम गांव वीरान मिलेंगे। यहां पर जो गांव वीरान मिलेंगे, वह अपने आप में कोई रहस्य संजोये हुए होंगे। ऐसा ही है जैसलमेर का कुलधरा गांव। शहर से 18 किमी की दूरी पर बसा कुलधरा गांव रहस्यों की वजह से पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। 170 साल से वीरान पड़े इस गांव की गलियां कभी गुलजार हुआ करती थीं और यह काफी समृद्ध था। यहां के लोग अचानक एक ही रात में गांव खाली करके चले गए। पीले पत्थरों वाले शहर जैसलमेर की पहचान बड़ी-बड़ी हवेलियों के रूप में होती है। सोने की तरह चमकने वाली यहां की हवेलियां हर साल इसी मौसम में लोगों को अपनी तरफ आकर्षित कर लाती हैं। यहां पर हजारों साल पहले एक गांव बसाया गया था। इस गांव की पहचान हवेलियों के रूप में ही होती थी। हवेलियों वाले इस समृद्ध गांव को ऐसी नजर लगी कि यह गांव वीरान हो गया। यह गांव है जैसलमेर का कुलधरा। हर साल हजारों पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करने वाले इस गांव में अभी तक कई राज छिपे हुए हैं। आखिर इस गांव में रात को कोई क्यों नहीं रुका पाता है? इस रहस्य का पता लगाने का प्रयास लगातार जारी है। फिलहाल, रात में इस गांव में ऐसी वीरानियत छाती है कि इंसान तो क्या, पशु-पक्षी भी यहां से चले जाते हैं। 

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