मॉनसून में खूबसूरती के उफान पर होते हैं उत्तर प्रदेश के ये झरने
शबरी वॉटरफॉल
मध्य प्रदेश के सतना बॉर्डर पर परासिन पहाड़ से धारकुंडी मारकुंडी जंगलों के बीच से पयस्वनी नदी आगे चलकर मंदाकिनी के नाम से पहचानी जाती है। उत्तर प्रदेश में बंबियां जंगल में पयस्वनी, ऋषि सरभंग आश्रम से निकली जलधारा व त्रिवेणी नाले से शबरी झरना बनता है। इसे देखकर ऐसा लगता है कि मानो आसमान से गिरता पानी जमीन को छूने के लिए ललचा रहा हो। जब पानी कम होता है तो तीन धाराएं अलग-अलग गिरती हैं लेकिन मॉनसून में जब पानी ज्यादा होता है तब ये तीनों जलधाराएं एक में मिल जाती हैं और बड़े वेग से नीचे गिरती हैं। यह झरना लगभग 40 फीट नीचे गिरता है। वैसे तो इसकी खूबसूरती से ज्यादातर लोग अंजान थे लेकिन कोरोना के बाद जब लोगों ने दूर-दराज की यात्रा करना थोड़ा कम किया और आस-पास ही कुदरत की कारीगरी तलाशने लगे तब लोगों को इस झरने की असली खूबसूरती का अंदाजा हुआ।
राजदारी और देवदारी झरना
उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले में चंद्रप्रभा वन्यजीव अभ्यारण्य के बीच राजदारी और देवदारी झरना बहता है। 65 मीटर ऊंचाई वाले राजदारी झरने को आस-पास का सबसे ऊंचा झरना माना जाता है। इसी झरने से नीचे की ओर 500 मीटर की दूरी पर देवदारी झरना बहता है। इन दोनों ही झरनों में पानी कुछ किलोमीटर दूर चंद्रप्रभा बांध से पहले आने वाले जलाशय से मिलता है। सर्दी और बारिश के महीनों में इस झरने के पास पर्यटकों की भारी भीड़ उमड़ती है। मॉनसूने का समय यहां आने के लिए सबसे सही माना जाता है क्योंकि इस समय झरने का पानी और सौंदर्य अपने उफान पर रहता है। इन झरनों की दूरी उत्तर प्रदेश के सांस्कृतिक शहर माने जाने वाले वाराणसी से महज 70 किलोमीटर है।
मुक्खा झरना
ये शानदार झरना रोबर्ट्सगंज घोरावल मुक्खादारी रोड पर पड़ता है। मुक्खा झरना रोबर्ट्सगंज के पश्चिम में 55 किमी और शिवद्वार में 15 किमी दूर उत्तर प्रदेश के सोनभद्रा जिले में स्थित है। यह झरना देवी मंदिर के नजदीक है और यहां आप बेलन नदी भी देख सकते हैं। मॉनसून के दौरान इस झरने की खूबसूरती दोगुनी हो जाती है। झरने से थोड़ी दूरी पर ही सलखन फॉसिल पार्क मौजूद है, जो दुनिया का सबसे पुराना जीवाश्म पार्क है।
लखनिया दरी वॉटरफॉल्स
उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में अहरौरा के पास स्थित शानदार झरना आपका मन मोह लेगा। वाराणसी शहर की सड़कों पर पड़ने वाला ये झरना लोगों के दिल में बसता है। मॉनसून के मौसम में तो इसकी खूबसूरती दोगुनी हो जाती है। 150 मीटर की ऊंचाई से बहने वाला ये झरना अद्भुत लगता है। इस झरने से आसपास के गांवों में खेतों में सिंचाई की जाती है। ट्रैकिंग के शौकीन लोगों के लिए भी ये जगह एडवेंचर से भरी हुई है। चूंकि झरने का बहाव बहुत तेज होता है इसलिए यहां आने पर सावधानी बरतनी बहुत जरूरी है। आसपास खाने-पीने की कोई व्यवस्था नहीं है इसलिए अपने साथ ही खाने का सामान लेकर आएं। इस जगह पर विशाल पत्थर और घने जंगल हैं।
चूनादरी झरना
चूनादरी झरने का पानी 165 फीट की ऊंचाई से बहता है। इस झरने का पानी लखियानी दरी में जाकर गिरता है। इसकी गहराई के बारे में बता पाना मुश्किल है। इस झरने की तलहटी में एक बड़ा सा पत्थर रखा है जो लोगों को खूब भाता है।
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