भारतीय पेपर मनी का दिलचस्प इतिहास बताता है यह म्यूजिमय, यहां है कमाल का कलेक्शन

अनुषा मिश्रा 15-09-2021 05:33 PM News
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया दो कमाल के म्यूजियम चलाती है। पहला- मुंबई में (द मॉनेटरी म्यूजियम) और दूसरा - कोलकाता में (आरबीआई म्यूजियम), जो पैसे के इतिहास, मॉनेटरी ट्रांजेक्शन आदि का काम करते हैं। लेकिन अगर आप विशेष रूप से भारतीय रुपये के नोटों के बारे में जानना चाहते हैं तो आपको बंगलुरु के रिजवान रजाक म्यूजियम ऑफ इंडियन पेपर मनी का रुख करना चाहिए। 

2020 में शुरू हुए इस म्यूजियम में भारतीय पेपर मनी और संबंधित सामग्री का बेहतरीन संग्रह है। यह रिजवान रजाक के पर्सनल कलेक्शन से बनाया गया म्यूजियम है, जो प्रेस्टीज ग्रुप के सह-संस्थापक और प्रेस्टीज एस्टेट्स प्रोजेक्ट्स के प्रबंध निदेशक हैं। 2012 में, रजाक ने 'द रिवाइज्ड स्टैंडर्ड रेफरेंस गाइड टू इंडियन पेपर मनी' नामक एक पुस्तक का सह-लेखन किया, जिसे तब से 'बाइबल फॉर इंडियन पेपर मनी' कहा जाता है। 2017 में, उन्होंने भारत में एक रुपये के नोट के जारी होने की 100 वीं वर्षगांठ के अवसर पर एक दूसरी पुस्तक, 'वन रुपया - वन हंड्रेड इयर्स 1917-2017' लिखी। भारतीय पेपर मनी का उनका संग्रह आज दुनिया में सबसे व्यापक माना जाता है। 50 वर्षों की मेहनत से उन्होंने ये कलेक्शन बनाया है, जिसमें उनकी मेहनत और लगन साफ दिखती है। 

इस तरह हुई शुरुआत

आउटलुक ट्रैवलर से बात करते हुए रिजवान रजाक कहते हैं कि मेरे पुश्तैनी घर की लोहे की तिजोरी में भारतीय रिजर्व बैंक के कुछ कैंसल्ड बैंकनोट्स रखे थे, जिन्हें एकत्रित करने से मेरी पेपर मनी इकट्ठा करने की हॉबी की शुरुआत हुई थी। इस तिजोरी में अन्य पुराने बैंक नोट भी थे, उनमें किंग जॉर्ज VI की तस्वीर के साथ भारतीय रिजर्व बैंक के कुछ नोट थे जिन्हें "पाकिस्तान नोट भुगतान से इनकार" लिखे हुए रबर स्टैम्प के साथ रद्द कर दिया गया था। मैं हमेशा सोचता था कि भारतीय रिजर्व बैंक के नोट पाकिस्तान के पैसे कैसे हो सकते हैं?मेरा शौक 1971 में कुन्नूर में मेरी छुट्टियों के दौरान और पक्का हो गया, जब मेरे चचेरे भाई सादिक हारून ने मुझे ब्रिटिश भारत के बैंक नोटों का एक अच्छा कलेक्शन गिफ्ट किया। बंगलुरु लौटने के बाद, मैंने अपने दादाजी को उन सभी पुराने नोटों को मुझे देने के लिए कहा जो विमुद्रीकृत हो चुके थे। इस तरह, मेरा शौक शुरू हुआ। ”

है बेहतरीन कलेक्शन

पूरी तरह से क्लाइमेट कंट्रोल्ड म्यूजियम में गैलरीज को विषयगत रूप से व्यवस्थित किया गया है। यहां आपको बैंकनोट, करेंसी और उससे जुड़ी सामग्री का एक विशाल संग्रह मिलेगा जो 1800 के दशक का है। इसके साथ इनके बारे में पूरी जानकारी भी यहां लिखी होगी। कुछ कमाल के कलेक्शन में 'उस्मानिया सिक्का रुपये' जो प्रथम विश्व युद्ध के दौरान हैदराबाद की रियासत द्वारा जारी किए गए नोटों की एक श्रृंखला (उस समय चांदी की कमी के कारण ये नोट जारी किए गए थे), भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान इंग्लैंड के किंग जॉर्ज पंचम और किंग जॉर्ज VI के सम्मान में जारी किए गए नोटों की एक श्रृंखला, 1880 के एंग्लो-पुर्तगाली सम्मेलन के बाद पहले गोवा, दमन और दीव के पुर्तगाली कब्जे वाले क्षेत्रों में और बाद में दादरा और नगर हवेली में जारी किए गए यूनिफेस नोट, 18वीं शताब्दी में बंगाल प्रेसीडेंसी से कई संयुक्त स्टॉक बैंकों द्वारा जारी किए गए नोट, जिनका अनुसरण अन्य द्वारा किया गया; बर्मा, पाकिस्तान आदि में इस्तेमाल होने वाले भारतीय नोट शामिल हैं।

जरूरी जानकारी

यह म्यूजियम बंगलुरू के ब्रंटन रोड पर प्रेस्टीज फैल्कन टावर्स में हैं। यहां से सबसे नजदीकी मेट्रो स्टेशन ट्रिनिटी है। मंगलवार से रविवार तक सुबह 10.30 से शाम 5.30 तक यह म्यूजियम खुला रहता है। इसका टिकट प्रति व्यक्ति 100 रुपये का है। 

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