लॉन्ग वीकेंड में घूमने के लिए परफेक्ट हैं ये हिल स्टेशन्स

रक्षाबन्धन यानी 11 अगस्त (गुरुवार) से इस बार लॉन्ग वीकेंड शुरू हो रहा है। अब आप ये मत कहना कि 'सबका नहीं होता लक्ष्मण' । मेरा भी नहीं है लेकिन आपमें से कई का तो होगा। तो अगर आपकी भी 11 अगस्त से 16 अगस्त तक कि छुट्टी है या आपने प्लान कर ली है तो आप इसमें एक ट्रिप पूरी सकते हैं। हम आपको बता रहे हैं दिल्ली के पास के कुछ ऐसे हिल स्टेशन्स जहां इस समय मौसम एकदम मेहरबान होता है और अगर आप पहले से टिकट बुक कराना भूल गए हैं तो एकदम से भी यहां जाने की प्लानिंग कर सकते हैं।
फागू

समुद्रतल से 2500 मीटर की ऊंचाई पर बसा, फागू एक शांत सुंदर सा शहर है। यह शिमला से लगभग 45 मिनट की ड्राइव पर है। यह अपने सेब के बागानों, खेतों और बैकग्राउंड में बर्फ से ढके हिमालय के लिए जाना जाता है। चूंकि यहां ज़्यादा भीड़ नहीं होती है, इसलिए फागू हनीमून मनाने वालों का स्वर्ग है। यह ट्रेकर्स और प्रकृतिप्रेमियों को भी खूब भाता है। ऐसा माना जाता है कि फागु का नाम 'कोहरे' शब्द से लिया गया है। यह साल में लगभग 9 महीने कोहरे से ढका रहता है। यह जगह हरे-भरे देवदार के पेड़ों से घिरी हुई है और सपनों की तरह सुंदर दिखती है। यहां कई सेब के बाग हैं व आलू के खेत भी हैं। आप हिम तेंदुए, याक और टट्टू जैसे जानवरों को भी देख सकते हैं फागू में देख सकते हैं। आप यहां मां दुर्गा मंदिर, भांटिया देवता मंदिर, देशु काली मंदिर, चोग जैसी जगहों पर घूम सकते हैं।
कैसे पहुंचें फागू
फागू नई दिल्ली से NH-44 और NH-5 के माध्यम से 360 किमी दूर है। यहां तक पहुंचने में लगभग 8 से 9 घंटे लगते हैं। या तो आप अपनी कार से सिद्ध फागू जा सकते हैं या दिल्ली से शिमला के लिए बस ले सकते हैं। शिमला से, फागू सिर्फ 18 किमी की दूरी पर है जिसे टैक्सी या कैब से कवर किया जा सकता है।
शिमला रेलवे स्टेशन फागू से सिर्फ 20 किमी दूर स्थित है। वहां से आप फागू के लिए आसानी से टैक्सी या कैब ले सकते हैं। शिमला का जुब्बर-हट्टी हवाई अड्डा फागू से सिर्फ 35 किमी दूर है। वहां से फागू पहुंचने के लिए आप आसानी से किराए या टैक्सी ले सकते हैं।
सोलन
चंडीगढ़ और शिमला के बीच बसा, सोलन शहर का नाम देवी शूलिनी के नाम पर रखा गया है। कच्चे माल के उत्पादन के कारण, सोलन को पिछले कुछ वर्षों में कई उपनाम मिले हैं, जैसे कि टमाटर के उत्पादन के लिए सिटी ऑफ़ रेड गोल्ड। ऊंची, नीची पहाड़ियों पर देवदार के जंगलों से घिरा यह छोटा शहर एक असीम कुदरती खूबसूरती का खजाना है। इस शहर में कई सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्मारक भी हैं। यहां की प्राकृतिक सुंदरता के बीच कुछ वक्त बिताना चाहते हैं तो मोहन नेशनल हेरिटेज पार्क बेस्ट ऑप्शन है। इस बड़े से पार्क में देवी-देवताओं की कई मूर्तियां हैं। इसे विशेष रूप से युवा पीढ़ी को समृद्ध वैदिक संस्कृति के बारे में शिक्षित करने के उद्देश्य से विकसित किया गया था। सोलन की पारंपरिक वास्तुकला भी अनूठी है जो यहां के कई मंदिरों में दिखती है, जैसे शूलिनी देवी मंदिर। यहां का मशहूर अर्की किला, मुग़ल शैली से प्रेरित नालागढ़ पैलेस भी देखने लायक है। सोलन में मोहन मीकिन ब्रुअरी भी है, जो भारत की सबसे पुरानी ब्रुअरीज में से एक है। सोलन की समृद्ध स्थापत्य विरासत इसे हिमाचल प्रदेश के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक बनाती है।
कैसे पहुंचें सोलन
सोलन से निकटतम हवाई अड्डा शिमला में 55 किमी की दूरी पर है। शिमला से दिल्ली और कुल्लू के लिए उड़ानें संचालित होती हैं। सोलन पहुंचने के लिए शिमला हवाई अड्डे से टैक्सी आसानी से उपलब्ध हैं। 315 किमी की दूरी पर दिल्ली निकटतम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है।
सोलन यूनेस्को की विश्व धरोहर रेलवे - कालका-शिमला रेलवे द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। कालका एक ब्रॉड गेज है जो शहर को अन्य प्रमुख शहरों जैसे चंडीगढ़, शिमला, बरोग, दिल्ली, देहरादून, अमृतसर आदि से जोड़ता है। रेलवे स्टेशन से आप शहर तक पहुंचने के लिए स्थानीय टैक्सियों को किराए पर ले सकते हैं। बसें भी उपलब्ध हैं। शिमला और चंडीगढ़ से सड़क मार्ग से सोलन पहुंचा जा सकता है। नियमित बस सेवाएं दोनों शहरों को सोलन से जोड़ती हैं। चंडीगढ़ कसौली से एक घंटे की ड्राइव पर है, जबकि दिल्ली साढ़े पांच घंटे में पहुंचा जा सकता है।
कसौली
कसौली हिमाचल प्रदेश राज्य के सोलन जिले का एक सुंदर, सुरम्य शहर और छावनी है। वैसे तो कसौली में बहुत सारे अनोखे आकर्षण हैं, लेकिन यह मुख्य रूप से अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांति के लिए जाना जाता है। एक छोटा शहर होने के बावजूद यहां घूमने के लिए कई शानदार जगहें हैं, जिसने इसे एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल बना दिया है। कसौली के मुख्य आकर्षण हैं मंकी पॉइंट (एक हनुमान मंदिर), कच्छा रोड पर गिल्बर्ट ट्रेल, सनसेट पॉइंट, गोरखा किला, बाबा बालक नाथ मंदिर, क्राइस्ट चर्च, शिरडी साईं बाबा मंदिर और सेंट्रल रिसर्च लाइब्रेरी। यहां एक जगह और फेमस है इम्यूनोलॉजी और वायरोलॉजिकल एक्सपेरिमेंट्स के लिए सेन्टर रिसर्च इंस्टीट्यूट। चूंकि यह शहर हिमालय की तलहटी में बसा है, इसलिए यहां पूरे साल मौसम अच्छा रहता है।
कैसे पहुंचें कसौली
यह शहर चंडीगढ़ से 65 किमी दूर है और शिमला से 77 किमी दूर है। कसौली जाने का सबसे सुविधाजनक तरीका ट्रेन है क्योंकि यहां रेलवे जंक्शन भी है। कालका मेल, जो दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और अमृतसर जैसे शहरों को जोड़ने वाली देश की सबसे महत्वपूर्ण ट्रेनों में से एक है, कसौली पहुंचने का एक शानदार साधन है, क्योंकि कसौली हरियाणा के कालका शहर से मात्र 40 किमी दूर है। यदि कोई हवाई मार्ग से पहुंचना चाहता है, तो चंडीगढ़ हवाई अड्डा निकटतम हवाई अड्डा है जहां से आप आसानी से कार किराए पर ले सकते हैं या कसौली जाने के लिए बस का ऑप्शन भी है। दिल्ली और चंडीगढ़ से भी बसें आसानी से मिल जाती हैं।
तोश

पार्वती वैली के बीच बसा तोश प्रकृति की खूबसूरती को पूरी तरह से अपने अंदर समेटे है। चाहे आप पार्वती नदी के किनारे सिर्फ शांति से टहलना चाहते हों या किसी खुशमिजाज कैफे में बेहतरीन म्यूजिक के बीच अपनी शाम बिताना चाहते हों। अपने हिप्पी कल्चर के लिए प्रसिद्ध, तोश हर तरह के टूरिस्ट्स की पसंद है। आप सोलो ट्रेवल करें, ग्रुप में हों या फैमिली के साथ यह आपको निराश नहीं करेगा। 2,400 मीटर की ऊंचाई पर बसा, तोश हमेशा पास और दूर दोनों तरह के टूरिस्ट्स की बकेट लिस्ट में शामिल होता है, जिससे यहां पूरे साल रौनक रहती है। आप यहां मलाणा की सैर कर सकते हैं, मणिकरण साहिब के गर्म पानी के सोते को देख सकते हैं। तोश की गलियों में घूम सकते हैं। ट्रेकिंग का शौक है तो खीर गंगा का ट्रैक भी कर सकते हैं।
कैसे पहुंचें तोश
तोश में कोई हवाई अड्डा नहीं है, भुंतर का निकटतम हवाई अड्डा तोश से 51 किमी दूर है। भुंतर हवाई अड्डा भारत के अधिकांश प्रमुख हिस्सों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। तोश में कोई रेलवे स्टेशन नहीं है। जोगिंदर नगर का निकटतम रेलवे स्टेशन तोश से 145 किमी दूर है। जोगिंदर नगर रेलवे स्टेशन पहुंचने के बाद आपको बरशैणी के लिए बस या निजी कैब लेनी होगी। यहां पहुंचने के लिए सड़क मार्ग ही बेस्ट है। सबसे पहले, दिल्ली से मनाली के लिए एक बस लें और भुंतर में उतरें जो मनाली से सिर्फ 50 किमी पहले है। भुंतर से आपको बरशैणी जाने वाली एचआरटीसी की बस मिल जाएगी, वहां से आपको तोश पहुंचने के लिए एक बहुत ही छोटा लेकिन सुंदर ट्रेक लेना होगा। ट्रेक के बजाय, आप साझा कैब भी ले सकते हैं।
धनाचुली
समुद्र से 7000 फीट की ऊंचाई पर बसा, धनाचुली- प्रकृति की गोद के बीच एक हरा-भरा गांव है। यहां आप जिधर भी नज़र घुमाएंगे आपको पेड़ और पहाड़ नज़र आएंगे। धनाचुली, नैनीताल की धारी तहसील में मुक्तेश्वर महादेव मंदिर से 14 किलोमीटर की दूरी पर है। भीमताल से सिर्फ 26 किलोमीटर दूर, धनाचुली से हिमालय का अद्भुत नजारा दिखता है। अपना वीकेंड बिताने के लिए यह एक परफेक्ट जगह है। धनाचुली से नंदा देवी, त्रिशूल और पंचाचुली की पहाड़ियां बेहद सुंदर दिखती हैं। इन खूबसूरत पहाड़ियों की एक झलक आपको ताज़गी से भर देगी। आप एक बार धनाचुली आ गए तो आपका मन करेगा कि आप यहीं रह जाएं। उत्तराखण्ड के गांवों की असली खूबसूरती और पहाड़ी संस्कृति को संजोए ये गाँव बेहद सुंदर है।
कैसे पहुंचें धनाचुली
पंतनगर हवाई अड्डा यहां से निकटतम हवाई अड्डा है, जो धनाचुली से लगभग 94 किमी दूर है। हवाई अड्डे से धनाचुली के लिए टैक्सी आसानी से उपलब्ध हैं। यहां से निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम 62 किमी की दूरी पर है। काठगोदाम भारत के प्रमुख शहरों जैसे लखनऊ, कोलकाता, दिल्ली आदि से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। दो ट्रेनें प्रतिदिन दिल्ली से काठगोदाम के बीच चलती हैं। धनाचुली सड़क मार्ग से उत्तर भारत के शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। आईएसबीटी आनंद विहार से हल्द्वानी, नैनीताल, अल्मोड़ा और धनाचुली के लिए बसें आसानी से उपलब्ध हैं। कुमाऊं क्षेत्र के प्रमुख शहरों और गढ़वाल क्षेत्र से धनाचुली के लिए टैक्सी भी उपलब्ध हैं। कई निजी बस सेवा प्रदाता दिल्ली से काठगोदाम और नैनीताल के बीच लक्जरी बसों का संचालन करते हैं जहाँ से आपको धनाचुली के लिए आसानी से टैक्सी मिल सकती हैं।
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चाहे आप परिवार के साथ हों, दोस्तों के साथ या अकेले, ये जगह आपकी ट्रिप को यादगार बना देगी।
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