दो झीलों से बंटा शहर भोपाल हर तरह के पर्यटक के लिए खास है। इतिहास प्रेमी हों या कला प्रेमी, हरियाली पसंद हो पानी यहां सब मिलेगा। 'झीलों का शहर' कहा जाने वाला भोपाल बारिश के मौसम में ऐसा लगता है जैसे कुदरत ने गीले हरे रंग से इसे रंग दिया हो।अगर ये कहा जाए कि यह भारत के सबसे हरे-भरे शहरों में से एक है तो गलत नहीं होगा। इस शहर को बसाने का श्रेय जाता है राजा भोज को।
यहां की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है इसकी निशानी हैं, ऐतिहासिक स्मारक, धार्मिक स्थल और संग्रहालय। शहर को दो भागों में बांटा जा सकता है, उत्तर की ओर पुराना शहर जिसमें मस्जिदें, बाज़ार और पुरानी हवेलियां हैं व दक्षिण की ओर आधुनिक शहर हैं। शहर की दो झीलें 'भोजताल' और 'छोटा तालाब' हैं, जिन्हें ऊपरी झील और निचली झील भी कहा जाता है। यूं तो झीलें यहां आने वाले टूरिस्ट्स के लिए मेन अट्रेक्शन पॉइन्ट हैं, लेकिन ये शहर के लोगों के लिए पानी का एक महत्वपूर्ण स्रोत भी हैं। यहां की शाहजहाँ बेगम की बनवाई हुई ताज-उल-मसाजिद भारत की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है। भोपाल में ऐसा बहुत कुछ है जो बारिश के मौसम में घूमने के लिए बेस्ट है।
हलाली डैम
बारिश के मौसम में घूमने के लिए भोपाल की सबसे खास जगहों में से एक है, हलाली डैम। यहां नौका विहार करें या पिकनिक मनाने जाएं, मज़ा आ जाएगा। 699 वर्ग किमी में फैला यहां का ताल बेहद सुंदर दिखता है। इसमें मृगल, रोहू, चीताला और मिस्टस जैसे समुद्री जीव भी पाए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि राजा मोहम्मद खान नवाद ने नदी के तट के पास दुश्मन सेना का वध किया था, जिसने इसे 'हलाली' नदी नाम दिया है। इसी नदी पर इस डैम बना है।
रायसेन फोर्ट
भोपाल से 23 किमी की थोड़ी दूरी पर एक सुंदर किला है रायसेन फोर्ट। हरियाली से भरी हुई पहाड़ी के ऊपर बना यह किला कई मंदिरों से घिरा हुआ है। इसकी तह में कई कुएं और एक विशाल ताल है। कहा जाता है कि 800 साल से ज़्यादा पुराने इस किले में एक मंदिर और एक मस्जिद भी है। प्रसिद्ध मुस्लिम संत हजरत पीर फतेहुल्लाह शाह बाबा की दरगाह के रूप में प्रसिद्ध यह किला लोगों की आस्था का गढ़ है। 13वीं शताब्दी में इसकी स्थापना के बाद से किले पर कई शासकों ने राज किया। बारिश में जब यहां के पहाड़ पर हरियाली खूब बढ़ जाती है तब हल्की फुहारों में इस किले में घूमने में काफी मज़ा आता है।
भीमबेटका
भोपाल से लगभग 45 किमी की दूरी बनी भीमबेटका गुफाएं यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल सूची में शामिल हैं। ऐसा माना जाता है कि ये गुफाएं 30,000 साल से भी पुरानी हैं! कहते हैं कि यहां की दीवारों पर उकेरे गए भित्ति चित्र एशिया में प्रागैतिहासिक काल के सबसे सुंदर गुफा चित्र हैं। यहां के रॉक शेल्टर देखने लायक हैं। घने जंगलों से घिरी चट्टानों से बनी इन गुफाओं में घूमते वक़्त आपके मन में बच्चों की तरह कई सवाल आएंगे, मसलन, ये कैसे बनी होगी? इसमें कैसे ये आकृतियां उकेरी गई होंगी? हो सकता है कि आप यहां से लौटकर इतिहास की किताब खोलकर ही बैठ जाएं।
अपर लेक
भोपाल में सबसे मशहूर जगह है, अपर लेक। इसे 'भोजताल' या 'बड़ी झील' भी कहा जाता है। कहते हैं कि यह भारत की सबसे पुरानी मानव निर्मित झील है। माना जाता है कि 11वीं शताब्दी की इस झील का निर्माण राजा भोज ने करवाया था। कमला पार्क से देखने पर यह झील बेहद सुंदर लगती है, जो पर्यटकों को अपनी ओर खींच लेती है। आप भोपाल आएंगे तो यकीन मानिए आपकी ज़्यादातर शामें इस झील के किनारे ही बीतेंगी।
टेकड़ी, भोपाल व्यू पॉइन्ट
अगर आप भोपाल को ऊंचाई से देखना चाहते हैं तो टेकड़ी ज़रूर जाएं। यहां से आपको भोपाल का बेहतरीन नजारा देखने को मिलेगा। सूर्यास्त और सूर्योदय दोनों यहां से बेहद खूबसूरत दिखते हैं। यहीं एक जैन मंदिर भी है। यहां आप केबल कार में भी बैठ सकते हैं। यहां से आप हवाई अड्डे का पूरा नज़ारा ले सकते हैं। टेक ऑफ और लैंड करती हुए हवाई जहाज देखने का भी यहां अलग ही मज़ा है। खाने के आइटम यहां थोड़े महंगे मिलेंगे। आप चाहे तो स्नैक्स वगैरह अपने साथ लेकर जा सकते हैं।