दिवाली पर घूमने का बना रहे हैं प्लान? ये 5 जगहें हैं बेस्ट

अयोध्या

जब दिवाली की बात आती है, तो अयोध्या पहले नंबर पर आता है क्योंकि यह भगवान राम की जन्मभूमि है। भगवान राम, उनकी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के 14 साल के वनवास के बाद अयोध्या वापसी की खुशी में ही यह त्योहार मनाया जाता है। यहां आकर आपको ऐसा लगेगा जैसे आप सच में श्री राम के युग में ही पहुंच गए हों। पूरे उत्तर प्रदेश से लोग दीये जलाने के लिए सरयू नदी के तट पर इकट्ठा होते हैं। बीते साल यहां 5.5 लाख दीये जलाकर गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया गया था। अयोध्या में दिवाली 4 दिन तक मनाते हैं जिसमें एक विशाल उत्सव होता है। एक परम्परा यह भी है कि यहां की महिलाएं दीये जलाती हैं और उन्हें सरयू नदी तक ले जाती हैं। शहर को लाइट्स और सजावटी सामान से सजाया जाता है।
कैसे पहुंचें अयोध्या?
अयोध्या जाने के लिए ज़्यादातर लोग ट्रेन से यात्रा करना पसंद करते हैं। अयोध्याके लिए आप लखनऊ या फैजाबाद जैसे किसी भी बड़े शहर से सीधी ट्रेन ले सकते हैं। इसके अलावा, एक सीधी ट्रेन है जो नई दिल्ली से आती है। देश के लगभग हर हिस्से से अयोध्या रेलवे से जुड़ा है। अयोध्या का निकटतम हवाई अड्डा फैजाबाद हवाई अड्डा है जो लगभग 7-8 किमी की दूरी पर है। इसके अलावा, निकटतम प्रमुख हवाई अड्डा लखनऊ में है, जो अयोध्या से 130 किमी दूर है। लखनऊ से आप बस, ट्रेन या टैक्सी से अयोध्या आ सकते हैं। लखनऊ, प्रयागराज और गोरखपुर जैसे उत्तर प्रदेश के कई शहरों में अयोध्या से आने-जाने के लिए कई बसें उपलब्ध हैं। ये बसें नियमित रूप से चलती हैं।
वाराणसी
वाराणसी, जिसे बनारस के नाम से भी जाना जाता है, दुनिया के सबसे पवित्र हिंदू तीर्थ स्थलों में से एक है। इस दिन यहां गंगा के घाटों पर दिए समय बिताना आपके लिए अविस्मरणीय होगा। यहां के दशाश्वमेध घाट पर होने वाली गंगा आरती देखने लायक होती है। दिवाली पर लोग आरती के बाद जलते हुए दीये और फूल दुबे में रखकर गंगा में बहाते हैं। दिवाली के दो हफ्ते बाद आने वाली देव दीपावली यहां और भी ज़्यादा भव्य रूप से मनाई जाती है। इस दौरान सड़कों पर हिंदू देवी-देवताओं का एक विशाल जुलूस निकलता है, और घाट एक लाख से अधिक दीपों से जगमगाते हैं। यहां इस दौरान गंगा के घाट पर सांस्कृतिक उत्सव भी होते हैं।
कैसे पहुंचें वाराणसी?
वाराणसी रेलवे स्टेशन रेल के माध्यम से भारत के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। वाराणसी हवाई अड्डा भारत के कुछ प्रमुख शहरों जैसे दिल्ली और मुंबई से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। अंतरराष्ट्रीय पर्यटक दिल्ली हवाईअड्डे से कनेक्टिंग फ्लाइट्स में सवार हो सकते हैं जो दुनिया के सभी प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। वाराणसी उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों और पड़ोसी राज्यों से सरकारी बसों द्वारा जुड़ा हुआ है। आसपास के शहरों से वाराणसी के लिए निजी वातानुकूलित बसें भी उपलब्ध हैं।
अमृतसर

वैसे तो अमृतसर स्वर्ण मंदिर के लिए मशहूर है जिसमें सिखों का वर्चस्व है लेकिन यहां दिवाली भी काफी धूमधाम से मनाई जाती है। अगर आपकी इतिहास में रुचि है और नई चीजों को जानने का शौक तो आपको अमृतसर में अपनी दिवाली छुट्टी बिताने का प्लान बनाना चाहिए। दिवाली, अमृतसर में इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह 1577 में स्वर्ण मंदिर की आधारशिला रखने का प्रतीक है। अगर आप दिवाली के दौरान यहां आते हैं, तो आपको स्वर्ण मंदिर के ऊपर एक शानदार आतिशबाजी देखने को मिलेगी। इसके अलावा, मंदिर परिसर रोशनी, तेल के दीयों और मोमबत्तियों के ढेर से रोशन होता है जो यहां आने टूरिस्ट्स और भक्त जलाते हैं।
कैसे पहुंचें अमृतसर?
अमृतसर रेलवे स्टेशन शहर का मुख्य स्टेशन है। यह दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, हैदराबाद, अहमदाबाद, कोलकाता, आगरा और चंडीगढ़ सहित भारत के लगभग सभी प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। दिल्ली से अमृतसर तक की ट्रेन यात्रा में 6 घंटे से थोड़ा अधिक समय लगता है। अमृतसर में श्री गुरु राम दास जी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, जो शहर के केंद्र से लगभग 11 किलोमीटर दूर स्थित है, भारत के अन्य शहरों और कई अंतरराष्ट्रीय शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। दिल्ली, चंडीगढ़, जम्मू, श्रीनगर, दुबई, लंदन, टोरंटो और ताशकंद सहित अन्य शहरों के लिए दैनिक उड़ानें हैं। बस सेवा भी अमृतसर को दिल्ली, देहरादून, शिमला, जम्मू और उत्तर भारत के अन्य शहरों जैसे शहरों से जोड़ती हैं। इनमें सरकार द्वारा संचालित बसें और निजी कंपनियों द्वारा संचालित कोच दोनों शामिल हैं।
गोवा
भगवान कृष्ण द्वारा राक्षस नरकासुर की हार के उपलक्ष्य में गोवा में दिवाली मनाई जाती है। हर साल, गोवा में हर शहर और गांव में यह देखने के लिए कि सबसे बड़े और सबसे भयानक राक्षस का पुतला कौन बना सकता है एक प्रतियोगिता आयोजित की जाती है। जिन्हें दिवाली के मुख्य दिन से एक दिन पहले नरकासुर चतुर्दशी पर जला दिया जाता है। गोवा की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा ताश खेलना भी है, इसलिए यह दिवाली के आसपास और भी ज़्यादा खेला जाता है। इस समय गोवा के कैसीनो कल्चर भी देख सकते हैं।
कैसे पहुंचें गोवा?
गोवा में दो प्रमुख रेलहेड मडगांव और थिविम हैं, जो पूरे देश से ट्रेनों द्वारा अच्छी तरह से जुड़े हुए हैं। डाबोलिम हवाई अड्डा राज्य की राजधानी पंजिम से सिर्फ 29 किलोमीटर की दूरी पर है। यह चेन्नई, मुंबई, नई दिल्ली, हैदराबाद, कोचीन और बैंगलोर से दैनिक उड़ानों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। गोवा में कई सार्वजनिक और निजी बस ऑपरेटर हैं। केएसआरटीसी, एमएसआरटीसी और केटीसी कुछ सरकारी उपक्रम हैं जो पणजी, मडगांव और वास्को डी गामा से संचालित होते हैं। गोवा के लिए मुंबई और पुणे जैसे महत्वपूर्ण शहरों से बस आसानी से मिल जाती हैं।
मदुरै

मदुरै देश के सबसे पुराने बसे हुए शहरों में से एक है। सांस्कृतिक रूप से भी यह शहर पूरी तरह समृद्ध है। यह बात पूरे शहर में होने वाले दिवाली समारोहों को देखकर आपकी समझ में आ जाएगी। खास बात यह है कि इस वक़्त आपको यहां टूरिस्ट्स की भीड़ ज़्यादा नहीं मिलेगी। हालांकि, आस-पास के शहरों के लोग इस दौरान यहां शॉपिंग करने खूब आते हैं। आप दिवाली के दौरान यहां आते हैं तो मीनाक्षी मंदिर में दर्शन करना मत भूलिएगा।
कैसे पहुंचें मदुरै?
मदुरै जंक्शन रेलवे स्टेशन एक बड़े रेल नेटवर्क से मदुरै को बाकी भारत से जोड़ता है। कई सीधी ट्रेनें मदुरै को देश के प्रमुख शहरों और कस्बों से जोड़ती हैं। सुपर-फास्ट डे ट्रेनें नियमित रूप से मदुरै और चेन्नई के बीच चलती हैं। मदुरै हवाई अड्डा शहर के केंद्र से लगभग 10 किमी की दूरी पर स्थित है। यह देश के सभी प्रमुख शहरों को जोड़ता है और आप हमेशा मदुरै से बैंगलोर, अहमदाबाद, आगरा और अन्य प्रमुख घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्थानों के लिए उड़ानें ले सकते हैं। मदुरै राज्य और राष्ट्रीय राजमार्गों से जुड़ा हुआ है। अंतर-शहर और अंतर-राज्यीय बसें मदुरै, तमिलनाडु के अन्य प्रमुख शहरों और आसपास के राज्यों के बीच नियमित और लगातार आधार पर चलती हैं। पसंद के आधार पर, यात्री सरकारी या निजी बसों का लाभ उठा सकते हैं। मदुरै में 3 बस टर्मिनल हैं।
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