ये हैं दुनिया के सबसे पुराने मंदिर

अनुषा मिश्रा 04-05-2023 05:24 PM Around The World
मंदिर आदिकाल से हमारी सभ्यता और संस्कृति का हिस्सा रहे हैं। हमारे देश में हर शहर, कस्बे, गांव, मोहल्ले यहां तक कि गली में भी कोई न कोई मंदिर होता है। सिर्फ भारत ही नहीं पूरी दुनिया में कई हज़ारों साल पुराने मंदिर हैं जिनकी अपनी मान्यता है, अपनी पहचान है और अपनी संस्कृति है। दुनियाभर में कई ऐसे मंदिर हैं जिन्हें प्राचीन सभ्यता की सबसे महान कृतियों में से एक माना जाता है। इनमें से कुछ का राजवंशों द्वारा निर्माण किया गया था जिनके पास उन्हें बनाने के अपने कारण थे, कुछ को आध्यात्मिक उद्देश्यों के कारण बनाया गया माना जाता है। इसके अलावा, इन प्राचीन मंदिरों में से कुछ ऐसे हैं जिनमें कई रहस्य छिपे हुए हैं, और कुछ इतने प्राचीन हैं कि एक बार उनके दर्शन करने से न केवल आपकी आत्मा को तृप्ति मिल सकती है, बल्कि आपकी ज़िंदगी को नया नज़रिया भी मिलेगा। आज हम आपको बता रहे हैं दुनिया के कुछ सबसे पुराने मंदिरों के बारे में… 

अमदा, मिस्र का मंदिर

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15 वीं शताब्दी में मिस्र के फिरौन थुटमोस III द्वारा निर्मित, यह नूबिया, मिस्र के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। इस मंदिर का महान ऐतिहासिक महत्व है और इसकी अंदर की दीवारों पर महत्वपूर्ण ऐतिहासिक शिलालेख खुदे हुए हैं। इतिहास के मुताबिक, इस मंदिर में सदियों से बहुत सारे बदलाव और जीर्णोद्धार हुए हैं। यहां दीवारों पर मिस्र के इतिहास को दर्शाने वाले 19वें राजवंश के दृश्य देखे जा सकते हैं। अगर आप मिस्र जा रहे हैं तो इस मंदिर में एक बार जरूर जाइएगा। 

हाल-सफ्लिएनी का हाइपोगियम

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माल्टा, यूरोप में स्थित, हाइपोगियम मंदिर का निर्माण लगभग 2500 ईसा पूर्व किया गया था। अंडरग्राउंड बना हुआ यह मंदिर यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों में से एक है। मंदिर में विशाल हॉलवे, गुप्त कक्ष, संकरी गलियां, बड़ी खिड़कियां, सजावटी द्वार, लाल ग्रैफिटी पेंटिंग और रॉक इंग्रेव्ड छत शामिल हैं। इस मंदिर की खोज 1902 में हुई थी और 1990 में इसे बंद कर दिया गया था। इस मंदिर के अलग-अलग स्तर अलग-अलग शताब्दियों में बनाए गए थे। निचला स्तर 2500 ईसा पूर्व में बनाया गया था, जबकि केंद्र स्तर 3000 ईसा पूर्व में बनाया गया था और शीर्ष स्तर 3600 ईसा पूर्व में बनाया गया था। आज यह मंदिर प्रति दिन सीमित दर्शनार्थियों के लिए खुलता है।

स्टोनहेंज, इंग्लैंड

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दक्षिण पश्चिम इंग्लैंड में स्थित, यह 3000 ईसा पूर्व में बनाया गया था। यह दुनिया के सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है। इसके बारे में दिलचस्प तथ्य यह है कि यह एक ऐसी संस्कृति द्वारा बनाया गया था जिसका आज तक इतिहास में कोई लिखित प्रमाण नहीं है। इस मंदिर की कई विशेषताएं दुनिया भर में बहस का विषय हैं। इस मंदिर की संरचना को इंजीनियरिंग के क्षेत्र में प्रमुख उपलब्धियों में से एक माना जाता है। यह पृथ्वी के सबसे प्राचीन देवताओं की पूजा करने के लिए बनाया गया था, और 1986 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था।

अपोलो का मंदिर, ग्रीस

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ग्रीक दुनिया के बीच में स्थित, अपोलो का मंदिर ग्रीस के डेल्फी में है और इसका निर्माण 330 ईसा पूर्व में किया गया था। स्पिनथारस, ज़ेनोडोरोस और एगेथॉन्स द्वारा निर्मित, यह मंदिर एक भूकंप से बर्बाद हो गया था। इसे 373 ईसा पूर्व में फिर से बनाया गया था। इस मंदिर के ज़्यादातर हिस्से अभी तक खोजे नहीं जा सके हैं। इस मंदिर का मुख्य आकर्षण अंदर बने अपोलो के चार घोड़े हैं। इस प्राचीन मंदिर के विभिन्न खंडों की खोज अभी बाकी है।

मुंडेश्वरी देवी मंदिर, बिहार

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बिहार के मुंडेश्वरी मंदिर को दुनिया का सबसे पुराना हिंदू मंदिर माना जाता है। यह मंदिर बिहार के कैमूर में है और पवरा पहाड़ी पर 608 फीट ऊंचाई पर स्थित है। हालांकि संरचना के लिहाज से यह छोटा है लेकिन यहां पत्थर की नक्काशी बेहद सुंदर है। इस मंदिर का संबंध मार्केण्डेय पुराण से भी है जिसमें शुंभ-निशुंभ के सेनापति चण्ड और मुण्ड के वध की कथा मिलती है। अगर आप यहां आते हैं तो आपको 625 ईसा पूर्व में गुप्त काल के जीवन की आकर्षक नक्काशियों को देख सकते हैं। 

सेती प्रथम का मंदिर

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यह मंदिर मिस्र के 19वें राजवंश का है और इसे राजा सेती प्रथम और उनके पुत्र रामसीस द्वितीय ने बनवाया था। एबिडोस में नील नदी के तट पर स्थित इस मंदिर का निर्माण राजा सेती ने शुरू करवाया था लेकिन 1297 ईसा पूर्व में उनकी मृत्यु के बाद, रामसीस ने इस मंदिर का निर्माण पूरा कराया। यह मंदिर पृथ्वी के कई देवताओं को समर्पित था। इसे प्राचीन मिस्र के महत्वपूर्ण स्थलों में से एक माना जाता है। चूना और बलुआ पत्थर से बने इस मंदिर की संरचना एल- आकार की है। रिपोर्टों के अनुसार, प्रसिद्ध 'एबिडोस किंग लिस्ट' भी मंदिर के अंदर कहीं स्थित है।

गोबेक्ली टेपे, तुर्की

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स्टोनहेंज मंदिर से 6000 साल पहले बना यह मंदिर तुर्की में स्थित है। इसे प्रागैतिहासिक लोगों द्वारा दक्षिण-पूर्वी तुर्की का एक इन्नोवेशन माना जाता है। रिपोर्टों के अनुसार, मंदिर को जानबूझकर 8000 ईसा पूर्व में दफनाया गया था और 2008 में एक जर्मन पुरातत्वविद् क्लॉस श्मिट द्वारा खोजा गया था। इसमें चूना पत्थर से बने कई टी-आकार के खंभे शामिल हैं। गोबेक्ली टेपे लेखन और पहिया के आविष्कार और कृषि की शुरुआत से पहले भी बनाया गया था।

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