स्लो ट्रैवेल है पसंद? ये 5 ऑप्शन्स कर सकते हैं ट्राई

केरल के मसालों की खुशबू

स्लो ट्रैवेल के महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक केवल जगह पर पहुंचने के बजाय यात्रा का मज़ा लेने के लिए समय निकालना और कुछ सीखना है। इसका अनुभव करने के लिए 'भगवान के अपने देश' यानी केरल से बेहतर और क्या हो सकता है। आप यहां के मसालों और चाय के बागान की सैर कर सकते हैं। इन मसाले के बागानों में आपको हर तरह के मसालों की पूरी जानकारी मिल जाएगी। आप यहां के जंगलों, पहाड़ों या समंदर के किनारे साइकिल चलाते हुए, यहां के कल्चर से भी रू-ब-रू हो सकते हैं।
कूर्ग में कॉफी हार्वेस्टिंग देखें
कहा जाता है कि भारत में उगाई जाने वाली कुल कॉफी का 71 प्रतिशत हिस्सा कर्नाटक में उगाया जाता है, जिसमें से कुर्ग में कुछ बेहतरीन अरेबिका और रोबस्टा किस्मों की कॉफी उगाई जाती है। जब इस फसल का मौसम होता है तब कुर्ग में कई समूह प्लांटेशन सफारी का आयोजन करते हैं। आप इनमें शामिल हो सकते हैं। इनसे आपको यह जानने में मदद मिलेगी कि कॉफी के साथ उगाई जाने वाली वेनिला, इलायची और काली मिर्च की फसलों को कैसे उगाया जाता है। हां, अच्छा मौसम और खूबसूरत नज़ारे तो यहां आपको चप्पे-चप्पे पर मिलेंगे।
कोलकाता के हिस्टोरिकल प्लेसेस की सैर

कोलकाता अपने अंदर इतिहास की पूरी एक दुनिया समेटे है। यहां अंग्रेजों के ज़माने की बिल्डिंगिंग्स, चीनी कस्बे, पारसी विरासत, मुगलों की वास्तुकला सब मिलेगा। कोलकाता की हर गली की एक कहानी है। हर सड़क कोई किस्सा कहती है। यहां की इमारतें बीते हुए लम्हों के गीत खुद गुनगुनाती हुई नजर आती हैं। यहां तक कि यहां के लोग आपको बंगाली खाने और मिठाइयों का भी इतिहास बताते नज़र आएंगे।
गोवा के खाने का मज़ा लें
गोवा का खाना पुर्तगाली और देशी संस्कृतियों का एक मज़ेदार मिक्सचर है। अगर आप किसी गोअन फ़ूड ट्रैवेल का हिस्सा हैं, तो आप इमली, कटहल, पोर्क सॉसेज और देशी शराब जैसी चीजों का इस्तेमाल करके बनाए गए खाने का मज़ा मिलने की उम्मीद कर सकते हैं। केलर की तरह यहां भी इलायची, काली मिर्च, जायफल, वेनिला और दालचीनी की तलाश में किसी भी मसाले के बागान में जाना भी आपके लिए इंफोर्मेटिव और एंटरटेनिंग साबित हो सकता है। काजू के बागानों की सैर के साथ आप काजू से फेनी बनाने का प्रॉसेस भी देख सकते हैं।
ऋषिकेश में कयाकिंग सीखें
अगली बार जब आप ऋषिकेश में हों, तो गंगा के पानी में राफ्टिंग का विचार छोड़ दें और कयाकिंग का आनंद लेने के लिए तैयार हो जाएं। जिनके पास पहले से कयाकिंग का अनुभव नहीं है वे एक दिन या वीकेंड के बजाय पूरे हफ्ते इसे सीखने का प्लान बना सकते हैं। गंगा का पानी अक्टूबर से मार्च तक कयाकिंग के लिए उपयुक्त है, इसलिए अपनी यात्रा को उसी के अनुसार प्लान करें।
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