आपको भा जाएगा नवाबी लखनऊ का शाही ज़ायका

1. टुंडे के कबाब

इनके स्वाद के साथ इसके नाम के पीछे की कहानी भी दिलचस्प है। दरअसल, जिस शख्स ने सबसे पहले ये कबाब बनाए थे वो दिव्यांग था। उस शख्स का एक हाथ नहीं था, ऐसे शख्स को लखनऊ की स्थानीय भाषा में टुंडा कहते हैं और यहीं से इन कबाबों का नाम टुंडे के कबाब पड़ गया। इन शाही कबाबों को बनाने में 100 से ज्यादा मसालों का इस्तेमाल होता है लेकिन इस बात की गारंटी दी जाती है कि इन्हें खाने के बाद आप असहज महसूस नहीं करेंगे। ये कबाब इतने मुलायम होते हैं कि आइस्क्रीम की तरह आपके मुंह में घुल जाते हैं। अगर आप इन्हें रुमाली रोटी के साथ खाएंगे तो यकीन मानिए आपका मज़ा दोगुना हो जाएगा।
2. गलौटी कबाब

गलौटी कबाब खासकर लखनऊ के बुजुर्ग नवाबों के लिए बनाए गए थे। जब यहां के कुछ नवाब बूढ़े होने लगे और उनके दांत कमज़ोर हो गए तब उन्हें दूसरी नॉनवेज डिशेज खाने में दिक्कत होने लगी लेकिन वो ठहरे नवाब, उन्हें कहां उबला हुआ खाना पसंद आता। बस दे दिया अपने बावर्ची को आदेश कि कुछ ऐसा बनाओ कि आसानी से खा भी लिया जाए और स्वाद में भी बेहतरीन हो और तब जाकर ईजाद हुआ गलौटी कबाब। गलौटी का मतलब ही होता है मुंह में घुलने वाला। जब आप इस कबाब को खाएंगे तो आपको इसके नाम की खासियत पर यकीन भी हो जाएगा। मीट में कच्चे पपीते को मैरिनेट करके उसमें कुछ मसाले मिलाकर बनाए गए ये कबाब अगर आप एक बार खाएंगे तो दूसरी बार सिर्फ इन्हें खाने लखनऊ ज़रूर आएंगे।
3. लखनवी बिरयानी
आप सोच रहे होंगे कि बिरयानी तो हैदराबादी फेमस है, अब ये लखनवी बिरयानी में कहां वो मज़ा होगा लेकिन अगर आप एक बार लखनऊ की मटन बिरयानी खाएंगे तो हैदराबादी बिरयानी का स्वाद भी भूल जाएंगे। ताज़े मसालों के साथ पके हुए चावल को जब पहले से मैरीनेट किए मटन में मिक्स किया जाता है, तब जा कर तैयार होती है लखनवी बिरयानी। बिरयानी पकाने का अंदाज यहां पर सबसे जुदा माना जाता है। हां, अगर आपको मटन नहीं पसंद है तो इसी तरह बनाई हुई चिकन बिरयानी भी आपको यहां आसानी से मिल जाएगी।
4. प्रकाश की कुल्फी

एक कहावत है कि अगर अगर जन्नत रंगों में होती तो यकीनन वो रंग पीला ही होता। इसी कहावत को पूरा करती है लखनऊ के अमीनाबाद में मिलने वाली प्रकाश की कुल्फी। इस कुल्फी के कई फ्लेवर होते हैं और आपके सामने यह बिल्कुल ठंडी पेश की जाती है। शुरुआत में दुकान के बाहर ही मिट्टी के मटके में कुल्फी जमाई जाती थी। मिट्टी के मटके को ठंडा रखने के लिए पहले उसे लाल कपड़े से ढका जाता था। जब ग्राहक आता था तो मटके से लोहे का डिब्बा निकाल कर कुल्फी प्लेट में डाल कर फालूदा के साथ खाने को दी जाती थी। अब इसे बनाने का और खिलाने का तरीका बदल गया है लेकिन इसका स्वाद अभी भी उतना ही लाजवाब है।
5. मलाई मक्खन

सर्दियों की सुबह आपको लखनऊ की लगभग हर गली में मलाई मक्खन वाले की आवाज़ सुनाई दे जाएगी। रुई से भी हल्का ये मलाई मक्खन इतना लाजवाब होता है कि इससे आपका मन कभी भर ही नहीं सकता। हल्का मीठा ये मक्खन मुंह में मलाई और मक्खन दोनों से ही जल्दी घुल जाता है। इसे अगर आप एक बार खा लेंगे तो आपका मन करेगा कि आपकी हर सुबह इसी मलाई मक्खन को खाने के साथ हो।
6. बास्केट चाट

लखनऊ से अच्छी चाट आपको और कहीं नहीं मिल सकती, खासतौर पर बास्केट चाट। यह चटपटी चाट खास मसालों, मीठी दही, खट्टी मीठी इमली की चटनी, मटर और आलू भर कर तैयार की जाती है। इसके लिए बास्केट यानी टोकरी को भी आलू के लच्छों को अलग से पका कर तैयार किया जाता है। एक बास्केट चाट खा लेने से पेट लंबे समय तक भरा रहता है। अगर आप लखनऊ आए हैं तो हज़रतगंज में मोती महल और रॉयल कैफे की बास्केट चाट जरूर खाएं।
7. शीरमाल

केसर, दूध, मैदे और घी से बनी रोटी को शीरमाल कहते हैं। नारंगी रंग की दिखने वाली शीरमाल अपने बनाने और दिखने के ढंग से काफी लोगों को लुभती है। इसे कबाब और मीट के साथ खाने पर मज़ा दोगुना हो जाता है। पुराने लखनऊ के कई इलाकों में बेहतरीन शीरमाल मिलता है। इन इलाकों तक पहुंचने में आपको मुश्किल तो होगी लेकिन ये शीरमाल खाने के बाद आप बस इसका स्वाद ही याद रखेंगे, उस मुश्किल को नहीं।
8. रोगनजोश

कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कश्मीर के रहने वाले हैं या हैदराबाद के, लखनऊ से अच्छा रोगनजोश आपको कहीं नहीं मिल सकता। मीट की ये तीखी करी आपके स्वाद के लिए तो अच्छी हो सकती है लेकिन आपकी जेब पर भारी पड़ेगी क्योंकि अगर आप एक बार इसे खा लेंगे तो बार-बार खाने का मन न करे ऐसा हो ही नहीं सकता।
9. बाजपई की खस्ते, कचौड़ी और छोले

लखनऊ में लीला सिनेमा के पास बाजपई के खस्ते, कचौड़ी और छोले आपको दूर से ही देखने को मिल जाएंगे। ये लोग अपनी ही स्टाइल से पूड़ी और खस्ते बनाते हैं, जिसमें सौंफ, भुना मसाला, गरम मसाला, जीरा, काली मिर्च, घी और घर का बनाया हुआ मसाला डालते हैं। बाजपेई की दुकान के बाहर आपको सुबह-सुबह से ही लंबी लाइन लगी दिखेगी। इस दुकान के खस्ते, कचौड़ी इतने स्वादिष्ट होते हैं कि गुलशन कुमार, विनोद दुआ और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपई तक इनका स्वाद ले चुके हैं।
10. कबाब पराठा

अगर आप नॉनवेज नहीं खाते और लखनऊ के कबाब को न खाने का आपके मन में मलाल है तो कोई बात नहीं। लखनऊ वालों ने इसका भी पूरा ख्याल रखा है। यहां कि लगभग हर गली में आपको पिसी हुई चने की दाल में मसालों को मिलाकर बनाए गए कबाब और साथ में रुमाली पराठा मिल जाएगा, जिसे यहां कबाब पराठा कहते हैं। चटनी और प्याज़ के साथ मिलने वाले इन कबाब पराठों का स्वाद इतना लाजवाब होता है कि कई बार तो बाहर से आए लोग दुकान वालों से इनकी रेसिपी तक पूछते हैं ताकि अपने घर जाकर भी वे इन्हें खा सकें।
आपके पसंद की अन्य पोस्ट

चलिए हमारे साथ उत्तराखंड के देसी ज़ायके के सफर पर
कहीं बिना चावल के खाना पूरा नहीं होता तो कहीं रोटी के बिना किसी का पेट नहीं भरता।
सफर में स्ट्रीट फूड को छोड़कर खाएं ये हेल्दी स्नैक्स
न्यूट्रिशनिस्ट लवनीत बत्रा ने आपकी यात्रा को अच्छा बनाने के लिए कुछ स्नैक्स के बारे में अपनी एक इंस्टाग्राम पोस्ट में बताया है।