यहां सिर्फ यादें ही नहीं तस्वीरें भी मिलेंगी खूबसूरत

लद्दाख

यह एक ऐसी जगह है जहां आप कितना भी ट्राई कर लें, बुरी फोटो आ ही नहीं सकती और खूबसूरती में इस जगह का ताज है पैंगॉन्ग लेक। सबसे पुरानी झीलों में से एक, इसका सिर्फ एक तिहाई हिस्सा भारत में है। यह एशिया की खारे पानी की सबसे बड़ी झील है जो सर्दी में पूरी तरह जम जाती है। यहां का नीला पानी, भूरे पहाड़ और हल्का नीला आसमान, सब मिलकर फोटोज को कमाल का बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते।
घूमने के लिए मुफीद समय - मई से सितंबर
टिप्स - अपना कुछ समय एकदम साफ आसमान में रात में तारे देखते हुए बिताएं और यहां की मरमॉट एनरूट गिलहरियों को जरूर देखें।
कैसे पहुंचें - लद्दाख का नजदीकी एयरपोर्ट लेह कुशोक बकुला रिम्पोची है जो पैंगॉन्ग से करीब 150 किलोमीटर दूर है। आप लेह से टैक्सी या स्टेट ट्रांसपोट की बस से यहां तक पहुंच सकते हैं। नजदीकी बस स्टॉप पैंगॉन्ग से 7 किलोमीटर दूर है। लद्दाख में ट्रेन से जाने का कोई रास्ता नहीं है।
वैली ऑफ फ्लॉवर्स नेशनल पार्क

अगर आप सिर्फ फूलों के बीच में तस्वीरें लेना चाहते हैं तो इससे बेहतर और कोई जगह नहीं है। और अगर आप किसी नेशनल पार्क में रंगों से भरी खूबसूरती को तस्वीरों में उतारना चाहते हैं तो भी ये जगह आपके लिए बेस्ट है (repetitive)। यहां पहुंचकर ऐसा लगता है जैसे आपने जन्नत का दरवाजा खोल दिया हो। इस पार्क में 600 से ज्यादा फूलों और वृक्षों की प्रजातियां हैं। कई प्रजातियां तो ऐसी हैं जो उत्तराखंड के अलावा पूरी दुनिया में शायद और कहीं नहीं होंगी। नंदा देवी नेशनल पार्क के साथ ये भी यूनेस्को के वर्ल्ड नेटवर्क ऑफ बायोस्फेयर रिजर्व्स का हिस्सा है।
घूमने के लिए मुफीद समय - यह वैली हर साल जून में टूरिस्ट्स के लिए खुलती है। हालांकि जुलाई के महीने में यहां सबसे ज्यादा फूल खिले होते हैं।
टिप्स - यहां तक आए हैं तो हेमकुंड साहब लेक भी घूम लें। इसके अलावा घंगराला गांव जरूर जाएं, ये इस घाटी के रास्ते पर आखिरी मानव बस्ती है। यहां गौरीकुंड में डुबकी लगाना भी न भूलें।
कैसे पहुंचें - देहरादून का जॉली ग्रांट एयरपोर्ट यहां का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट है जो घाटी से 158 किलोमीटर दूर है। सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन यहां से 272 किलोमीटर दूर ऋषिकेश में है। अगर आप बस के रास्ते वैली ऑफ फ्लॉवर्स पहुंचना चाहते हैं तो गोविंदघाट सबसे नजदीकी जगह है जो यहां से 17 किलोमीटर दूर है। यहां से आगे के रास्ते पर आपको ट्रेकिंग करनी पड़ेगी।
पार्वती वैली

वैसे तो हिमाचल में कई जगह ऐसी हैं जहां तस्वीरें बेहतरीन आती हैं लेकिन पार्वती वैली में कुछ अलग और खास है। यहां के पहाड़ों की खूबसूरती, साफ पानी, हरियाली और रात में तारों से भरा आसमान सबकुछ इतना बेहतरीन है कि तस्वीरें लेने के लिए ये आपके भी फेवरेट प्लेसेज में शामिल हो जाएगी। यहां के गांव भी शोर-शराबे से दूर और शांति से भरे हैं।
घूमने के लिए मुफीद समय - मार्च से जून के बीच का समय यहां घूमने के लिए सबसे सही रहता है।
टिप्स - पार्वती वैली आए हैं तो खीरगंगा तक ट्रेकिंग जरूर करें। एक दिन तोश गांव में बिताएं और पार्वती नदी के किनारे पर कैम्पिंग करना न भूलें। कसोल को कैसे भूल सकते हैं आप? वहां भी जरूर जाएं।
कैसे पहुंचें - नजदीकी एयरपोर्ट यहां से 30 किलोमीटर दूर भुटनर में कुल्लू-मनाली एयरपोर्ट हैं। यहां से आप टैक्सी बुक कर सकते हैं या स्टेट ट्रांसपोर्ट की बस से कसोल तक जा सकते हैं। ये पार्वती वैली की सबसे फेमस जगह है।
वाराणसी

दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक है वाराणसी। हालांकि मैं यहां इसे बनारस ही लिखूंगी जो इसका पुराना नाम है। ऐसा इसलिए क्योंकि मुझे जो फीलिंग बनारस लिखने में आती है वो वाराणसी लिखने में नहीं। हां तो वाराणसी में आपको इतिहास, परंपराएं, आस्था, संस्कृति, लजीज खाना और गंगा सब कुछ मिलेगा जो किसी भी घूमने के शौकीन के लिए सबसे जरूरी होता है। अगर आपने यहां के गंगा घाटों की तस्वीरें देखी होंगी तो इस शहर के बारे में आपको थोड़ा-बहुत अंदाजा तो होगा ही लेकिन आप इसके खासियत का असली अनुभव तब तक नहीं ले सकते जब तक आप बनारस की गलियों में घूमकर खुद को बनारसियों जैसा महसूस न करने लगें। कहीं किसी घाट पर, किसी गली में घूमते हुए, किसी मंदिर की सीढ़ियों पर तो किसी नाव से गंगा की सैर करते हुए आपको ऐसी तस्वीरें लेने का मौका मिल जाएगा जो आपके लिए जिंदगी भर की यादगार बन जाएंगी।
घूमने के लिए मुफीद वक्त - अक्टूबर से फरवरी के बीच का समय यहां घूमने के लिए सबसे सही है।
टिप्स - दशाश्वमेध घाट पर होने वाली शाम की गंगा आरती में जरूर शामिल हों। काशी विश्वनाथ मंदिर में शिव जी के दर्शन करें। रामनगर फोर्ट जरूर घूमने जाएं। कला प्रेमी हैं तो भारत कला भवन भी घूम आएं।
कैसे पहुंचें - बनारस में इंटरनेशनल एयरपोर्ट है तो आप सभी बड़े शहरों से यहां तक आसानी से पहुंच सकते हैं। बनारस में काफी बड़ा रेलवे स्टेशन है तो उत्तरी भारत रीजन के ज्यादातर शहरों से आपको यहां के लिए डायरेक्ट ट्रेन भी मिल जाएगी। एनएच-19 के जरिए आप सड़क के रास्ते भी यहां आसानी से पहुंच सकते हैं।
युकसोम

सिक्किम का यह छोटा सा गांव किसी छुपे हुए खजाने की तरह है। बर्फ से ढके पहाड़ों से घिरा हुआ ये गांव कंचनजंघा का गेटवे है और कई ट्रेक्स के लिए बेस कैम्प भी। यहां आपको तस्वीरें लेने के लिए कई खूबसूरत ठिकाने तो मिलेंगे ही, कई ऐसे लोग भी मिलेंगे जो आपके स्वागत में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। यकीन मानिए बुद्ध का ये गांव आपको लुभाने में पूरी तरह से कामयाब होगा और आपको यहां ऐसी तस्वीरें मिलेंगी जो आपके इंस्टग्राम प्रोफाइल की रौनक बढ़ा देंगी।
घूमने के लिए मुफीद समय - मार्च से जून के बीच यहां घूमने बेहतर रहता है।
टिप्स - यहां से जॉन्गरी (Dzongri) और गोएचा ला (Goecha La) की ट्रेकिंग करें। कंचनजंघा नेशनल पार्क घूमें और दुबदी मॉनेस्ट्री जाना न भूलें।
कैसे पहुंचें - यहां से सबसे नजदीकी एयरपोर्ट पश्चिम बंगाल के बागडोगरा में है जो 120 किलोमीटर की दूरी पर है। 150 किलोमीटर दूर न्यू जलपाईगुड़ी रेलवे स्टेशन नजदीकी रेलवे स्टेशन है। युकसम तक पहुंचने के लिए बस से तो नहीं जा सकते। हां, टैक्सी के जरिए यहां तक पहुंचना सबसे आसान है।
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