तमिलनाडु में हैं ये 5 खूबसूरत आइलैंड्स
पम्बन आइलैंड
इस आइलैंड का पूरा हिस्सा भारत की ज़मीन पर नहीं है फिर भी यह सभी भारतीयों और बीच को पसंद करने वालों के लिए एक लोकप्रिय टूरिस्ट स्पॉट है। पम्बन आइलैंड तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले का एक हिस्सा है। यह क्षेत्रफल में तमिलनाडु का सबसे बड़ा द्वीप है और चार धामों में से एक रामेश्वरम के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। रामेश्वरम हिंदुओं के लिए बेहद पवित्र स्थान है, क्योंकि यह माना जाता है कि यहां ही भगवान राम ने अपनी पत्नी सीता को लंका के राक्षस राजा रावण से बचाने के लिए समुद्र पर पत्थरों का एक पुल बनाया था। और यहीं समुद्र के किनारे शिवलिंग की स्थापना करके राम जी ने अपने आराध्य शिव की पूजा की थी। उसी जगह पर अब रामेश्वरम मंदिर है।
पंबन द्वीप भारतीय प्रायद्वीप और श्रीलंका के बीच है। यब पंबन चैनल के ज़रिये भारत की ज़मीन से जुड़ा हुआ है। प्राचीन और धार्मिक महत्व के अलावा, यह द्वीप चोल राजवंश और जाफना साम्राज्य के शासकों के लिए भी जाना जाता है। इस द्वीप पर पश्चिम के कई व्यापारियों जैसे अंग्रेजों और डचों ने आक्रमण किया था, क्योंकि यहां तक पहुंचना आसान था। स्वतंत्रता के बाद, यह क्षेत्र तमिलनाडु में रामनाथपुरम जिले के अंतर्गत आया। आज पंबन आइलैंड यात्रियों के लिए ऑफबीट डेस्टिनेशन माना जाता है। यहां धार्मिक पर्यटकों के लिए प्राचीन मंदिर, समुद्र तट प्रेमियों के लिए बेहतरीन बीच, समुद्र के ऊपर बना एक बेहद सुंदर रेलवे ब्रिज और एडवेंचर के शौकीनों के लिए वॉटर स्पोर्ट्स सब है।
हरे आइलैंड
हरे द्वीप तूतीकोरिन बंदरगाह से सटा हुआ है। यह अपनी छुट्टियां शांति से बिताने और और डोमेस्टिक ट्रैवेलर्स के लिए के लिए एक बहुत अच्छा पिकनिक स्पॉट है। पोंगल की छुट्टियों के दौरान कई पर्यटक यहां आते हैं। उस वक़्त टूरिस्ट्स के लिए यहां विशेष बसें भी चलाई जाती हैं। हरे आइलैंड को पर्यटकों और स्थानीय लोगों दोनों के बीच पांडियन थीवु भी कहा जाता है। यह थूथुकुडी के पूर्व में लगभग 6 किलोमीटर की दूरी पर है और शहर का नज़दीकी आइलैंड है। शहर से अपनी नज़दीकी की वजह से हरे द्वीप एक बेहतरीन वीकेंड डेस्टिनेशन बन गया है। 1.29 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र के साथ, मन्नार की खाड़ी में हरे द्वीप सबसे बड़ा द्वीप है। हरे आइलैंड सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है और बंदरगाह के पास स्थित है। स्थानीय और बाहर के पर्यटक दोनों इस द्वीप पर मनोरंजन के लिए आते हैं।
क्रुसदाई आइलैंड
क्रुसदाई द्वीप पम्बन ब्रिज के पश्चिम में है। यह समुद्र की जीवों को पसंद करने वालों और प्रकृति प्रेमियों के लिए जन्नत की तरह है। यह आइलैंड रामनाथपुरम जिले के मंडपम से 4 किमी दूर है। क्रुसदाई द्वीप को समुद्री क्षेत्र की असाधारण और लगभग विलुप्त प्रजातियों का आश्रय स्थल माना जाता है। इसके अलावा, यह आइलैंड जलीय शोधकर्ताओं और समुद्री विशेषज्ञों के लिए बहुत पसंदीदा इन्वेस्टिगेशन स्पॉट्स में से एक है। क्रुसदाई द्वीप अपने में कई वनस्पतियों और जीवों के रिजर्व है। इसलिए, यह उस क्षेत्र में मौजूद समुद्री प्रजातियों के डेवलपमेंट को प्रोटेक्ट भी करता है और उन्हें बढ़ावा भी देता है। क्रुसदाई द्वीप अपनी खास कोरल रीफ्स के लिए विश्व स्तर पर पहचाना जाता है। यह द्वीप टूरिस्ट्स के लिए खुला है। लेकिन यहां आने के लिए टूरिस्ट्स को तमिलनाडु मत्स्य विभाग के कर्मियों से कोरल रीफ्स, डॉल्फ़िन और डुगोंग नामक सी काऊज को देखने के लिए पहले परमिशन लेनी होगी। एक समुद्री ईकोटूरिज़म सेंटर होने के नाते, क्रुसदाई द्वीप उन टूरिस्ट्स को बेहद पसंद आता है जो मन्नार की खाड़ी में डॉल्फ़िन और सी काऊ को गोता लगाते हुए देखना चाहते हैं।
श्रीरंगम आइलैंड
श्रीरंगम द्वीप तमिलनाडु में कावेरी और कोल्लीदम नदियों के संगम पर, 2,000 साल पुराने मंदिर परिसर का घर है, जिसके प्रमुख हिस्से आज भी इस्तेमाल में हैं। हालांकि यहां का ज़्यादातर हिस्सा छिपा या क्षतिग्रस्त है। सदियों की बाढ़ के परिणामस्वरूप कई पुराने हिस्से नीचे दब गए हैं। मुस्लिम जनरल उलुग खान ने चौदहवीं शताब्दी में परिसर को तहस-नहस कर दिया था। पेरियार विश्वविद्यालय के भूविज्ञानी मु. रामकुमार सहित शोधकर्ताओं ने उलुग खान द्वारा नष्ट किए गए मंदिर के कुछ हिस्सों को खोह है। यहां उन्होंने हैंगिंग लैंप, गोपालकृष्णन की मूर्तियों और पत्नियों के साथ उनकी मूर्तियों का पता लगाया है। भूभौतिकीय सर्वेक्षण तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए, उन्होंने यह भी पता लगाया है कि यहां धार्मिक विद्वान और शिक्षक श्री मनावाला मामुनिगल की कब्र है, जिन्होंने पंद्रहवीं शताब्दी में मंदिर परिसर का जीर्णोद्धार किया था। मकबरे को धार्मिक कारणों से बिना खोदे छोड़ दिया गया है।
क्विबल आइलैंड
तमिलनाडु में चेन्नई में अडयार नदी में बसा, क्विबल आइलैंड खारे पानी के लैगून में बने चार छोटे द्वीपों में सबसे बड़ा है। यह आइलैंड केंद्र में स्थित बड़े यूरोपीय कब्रिस्तान के लिए प्रसिद्ध है। माना जाता है कि इस कब्रिस्तान का निर्माण फ्रांसीसी नेतृत्व वाले भारतीय सैनिकों और नवाब सेना के बीच लड़ाई के बाद यहां किया गया था। मद्रास प्रेसीडेंसी के प्रशासन पर 1864 की रिपोर्ट के अनुसार, मायलापुर के ईसाई लोगों के लिए एक खास कब्रिस्तान लायक जगह मिली थी। साइट को 1,202 रुपये में अधिग्रहित किया गया था। ब्रिटिश सरकार ने द्वीप पर भूमि अधिग्रहण, निर्माण और कब्रिस्तान की स्थापना में सभी शुल्कों का भुगतान किया। पहले इसमें सिर्फ ब्रिटिशर्स को ही दफनाया जाता था। भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के खत्म होने के बाद कब्रिस्तान को आम जनता के लिए खोल दिया गया था। क्विबल द्वीप चेन्नई के मरीना बीच के दक्षिणी भाग से सटा हुआ है। यह शांत जगह तट से टकराती लहरों की आवाज़ के साथ-साथ असीम शांति भी देती है।
आपके पसंद की अन्य पोस्ट
दक्षिण भारत की सबसे खूबसूरत झीलें
दक्षिण भारत में कुदरत इसकी सुंदरता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
अगली ट्रिप पर जाइएगा ये चमकने वाले मशरुम देखने
वैज्ञानिकों ने मेघालय के जंगलों में मशरूम की अनोखी चमकती प्रजातियों की खोज की थी।