महाबलीपुरम की यह जगह है बेहद खास

अनुषा मिश्रा 30-06-2023 06:05 PM My India

हम सभी जानते हैं कि गुरुत्वाकर्षण कैसे काम करता है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि महाबलीपुरम में एक रहस्यमयी 250 टन का रॉक बोल्डर है, जिसे कृष्णा बटरबॉल के रूप में भी जाना जाता है। कमाल की बात यह है कि ये बटरबॉल गुरुत्वाकर्षण को चुनौती देती है। यह 20 फीट ऊंची और 5 मीटर चौड़ी चट्टान है जो एक पहाड़ी की फिसलन भरी ढलान पर खड़ी है, जिसका आधार 4 फीट से कम है। इसे लोकप्रिय रूप से कृष्ण की बटरबॉल के रूप में जाना जाता है क्योंकि मक्खन को भगवान कृष्ण का पसंदीदा भोजन माना जाता है। कहते हैं कि यह पत्थर स्वर्ग से गिरा है इसलिए इसे यह नाम दे दिया गया। 

अगर आप इस चट्टान को देखेंगे तो आप सोच में पड़ जाएंगे कि यह कैसे वहां टिक जाती है और ढलान से लुढ़कती नहीं है। फिर भी, यह इतनी स्थिर है कि टूरिस्ट्स इसके नीचे छांव में बैठते भी हैं। सबसे ज़्यादा हैरान करने वाली बास्त यह है कि यह चक्रवात, सुनामी या भूकंप जैसी किसी भी प्राकृतिक आपदा से भी नहीं हिली। यह भी माना जाता है कि यह चट्टान 1200 साल से भी ज्यादा पुरानी है।

वैसे इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि यह चट्टान आधुनिक तकनीक और विज्ञान को चुनौती देती है। कुछ लोगों का मानना है कि फ्रिक्शन और गुरुत्व केंद्र के कारण ऐसा हो सकता है। जिसका मतलब है कि फ्रिक्शन चट्टान को नीचे फिसलने से रोकता है, जबकि कोई ढलान वाली जमीन पर खड़ा हो सकता है जहां गुरुत्वाकर्षण का केंद्र इसे एक छोटे से संपर्क क्षेत्र पर संतुलित रखता है। हालांकि कुछ लोगों का यह भी यह भी मानना है कि चट्टान को ऐसी स्थिति में लाना भगवान की लीला थी। अगर रिपोर्ट्स की मानें तो 1908 में मद्रास के गवर्नर आर्थर लॉली ने इसे अपनी जगह से हटाने का फैसला किया था। ऐसा कहा जाता है कि उसे पहाड़ी की तलहटी में बसे शहर की सुरक्षा का डर था। इसलिए उसने सात हाथियों को भेजकर चट्टान को हिलाने की कोशिश की थी, लेकिन चट्टान एक इंच भी नहीं हिली। इससे यह तो साफ है कि अलौकिक शक्तियां हों या केवल विज्ञान, बटरबॉल गुरुत्वाकर्षण को चुनौती दे रही है।

किंवदंतियां क्या कहती हैं?

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एक मिथक के मुताबिक, यह भी कहा जाता है कि पल्लव राजा नरसिंहवर्मन जिन्होंने 630 से 668 A.D तक दक्षिण भारत पर शासन किया था। उन्होंने इस चट्टान को हटाने की पहली कोशिश की थी लेकिन यह थोड़ी सी भी नहीं हिली। ऐसा कहा जाता है कि यह चट्टान पेरू, ओलंतायटम्बो, या माचू पिच्चू के अखंड पत्थरों से भी भारी है।

कैसे पहुंचें?

यहां से निकटतम हवाई अड्डा चेन्नई में है, जो लगभग 40 किमी दूर है। महाबलीपुरम पहुंचने के लिए आप चेन्नई हवाई अड्डे से टैक्सी किराए पर ले सकते हैं। आप चेन्नई के रास्ते महाबलीपुरम पहुंच सकते हैं या सीधे कार से ड्राइव कर सकते हैं। चेन्नई और कुछ अन्य शहरों जैसे बैंगलोर और कोयंबटूर से बस सेवाएं उपलब्ध हैं। यहां से निकटतम रेलवे स्टेशन चेन्नई का एग्मोर स्टेशन है। चेन्नई पहुंचने के बाद, आप या तो रेलवे स्टेशन के बाहर से टैक्सी किराए पर ले सकते हैं या चेन्नई से महाबलीपुरम के लिए चलने वाली बसों पर चढ़ सकते हैं।

कहां ठहरें ?

महाबलीपुरम टूरिस्ट्स के बीच काफी फेमस है इसलिए यहां रुकने के लिए आपको होमस्टे, धर्मशाला, होटल, गेस्टहाउस जैसे सभी ऑप्शन मिल जाएंगे। 

कितना आएगा खर्चा?

यहां आपको रुकने के लिए सस्ते और महंगे दोनों तरह के ऑप्शन मिलेंगे। अगर आप बजट होटल लेना चाहते हैं तो 1000 रुपये में भी आपको रुकने की जगह मिल जाएगी। वैसे यहां आपको 500 रुपये से लेकर 25-30 हज़ार रुपये प्रतिदिन तक के होटल्स मिल जाएंगे। खाने में आपका हर दिन 500 से 1000 रुपये तक का खर्चा होगा। यहां तक आने के लिए आप फ्लाइट लेते हैं या ट्रेन से आते हैं आपके ट्रैवेल का खर्चा उसपर निर्भर करेगा। 

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