पाताल भुवनेश्वर गुफा, यहां छुपा है दुनिया के खत्म होने का राज़

अनुषा मिश्रा 15-02-2023 03:31 PM My India
दुनिया भर में ऐसी कई गुफाएं हैं, जो समय के साथ लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में बदल गई हैं। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि कुछ ऐसी गुफाएं भी हैं जो इतनी रहस्यमयी हैं कि वे एक पहेली बनकर रह गई हैं। हम आपको भारत की एक ऐसी गुफा में ले चलते हैं, जो आपकी अंदर की जिज्ञासा को बढ़ा देगी। यह उत्तराखंड में स्थित है और इसे पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर के रूप में जाना जाता है। अगर आपने पुराणों को पढ़ा है तो उसमें इसका उल्लेख ज़रूर मिला होगा। माना जाता है कि इस गुफा के गर्भ में दुनिया के अंत का राज छुपा है।

क्या है ख़ास?

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पाताल भुवनेश्वर गुफा समुद्र तल से लगभग 90 फीट नीचे स्थित है, और इसके अंदर जाने के लिए बहुत ही संकरे रास्तों से होकर जाना पड़ता है। कहते हैं कि इस मंदिर की खोज सर्वप्रथम सूर्य वंश के राजा रितुपर्णा ने की थी, जिन्होंने त्रेता युग में अयोध्या पर शासन किया था। यहीं पर राजा रितुपर्णा की मुलाकात सर्पों के राजा अधिशेष से हुई थी। मान्यताओं के अनुसार, राजा रितुपर्णा इस मंदिर की खोज करने वाले पहले मानव थे। राजा रितुपर्णा को नागों के राजा अंदर बुलाया, जहां उन्हें भगवान शिव और अन्य देवताओं के दर्शन हुए। हालांकि इसके अलावा कहीं भी गुफा का उल्लेख नहीं मिलता है। 


पांडवों ने की खोज

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ऐसा माना जाता है कि द्वापर युग में पांडवों ने फिर से इसकी खोज की थी। मान्यताओं के अनुसार पांडव इसी गुफा में पूजा किया करते थे। स्कंद पुराण में कहा गया है कि भगवान शिव पाताल भुवनेश्वर में निवास करते हैं, और यही वह स्थान है जहां सभी देवी-देवता उनकी पूजा करने आते हैं। इसके अलावा, अगर हम पौराणिक कथाओं की की मानें तो जगद्गुरु आदि शंकराचार्य ने बाद में कलियुग में इस गुफा की खोज की, जब उन्होंने यहां एक तांबे से बना शिवलिंग स्थापित किया। 

इस मंदिर में चार द्वार हैं- रणद्वार, पापद्वार, धर्मद्वार और मोक्षद्वार। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब रावण मारा गया था, तब पापद्वार बंद कर दिया गया था, जबकि महाभारत के युद्ध के बाद, रणद्वार भी बंद कर दिया गया था। यह भी माना जाता है कि भगवान गणेश का कटा हुआ सिर इसी मंदिर में है, जहां उन्हें आदिगणेश कहा जाता है, और मंदिर में चार स्तंभ हैं जो सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग के प्रतीक हैं। इनमें कलियुग के स्तम्भों की लम्बाई सबसे अधिक है। ऐसा कहा जाता है कि इस गुफा में एक शिवलिंग लगातार बढ़ रहा है और मान्यताओं के अनुसार, जब यह गुफा की छत को छुएगा, तो दुनिया खत्म हो जाएगी!

कब जाएं

यहां जाने का सबसे सही समय अप्रैल से जून के बीच होता है। पाताल भुवनेश्वर में गर्मियां गर्म होती हैं और तापमान 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। लेकिन शामें ठंडी होती हैं। मौसम के हिसाब से दिन के लिए कॉटन के और रात के लिए या हल्के ऊनी कपड़े साथ रखें। यदि सर्दियों के दौरान यात्रा करते हैं, तो ठंडी और तेज हवाओं के साथ मौसम सुहावना होता है। मानसून (जुलाई-मध्य सितंबर) के दौरान यहां आने से बचें।

कैसे पहुंचें

पाताल भुवनेश्वर का निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर हवाई अड्डा है। पंतनगर हवाई अड्डा पाताल भुवनेश्वर से 244 किमी दूर है। पंतनगर हवाई अड्डे से पाताल भुवनेश्वर के लिए टैक्सी आसानी से उपलब्ध हैं। पाताल भुवनेश्वर कुमाऊं के प्रमुख शहरों के साथ सड़कों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।  154 किलोमीटर की दूरी पर स्थित टनकपुर यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन है। यह स्टेशन भारत के कई प्रमुख शहरों जैसे दिल्ली, लखनऊ, कोलकाता और आगरा से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। पाताल भुवनेश्वर जाने के लिए स्टेशन के बाहर बसें और टैक्सी आसानी से उपलब्ध हैं। पाताल भुवनेश्वर उत्तराखंड राज्य के प्रमुख स्थलों के साथ सड़कों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। आईएसबीटी आनंद विहार से टनकपुर, चंपावत, पिथौरागढ़, लोहाघाट और कई अन्य गंतव्यों के लिए बसें मौजूद हैं, जहां से आप पाताल भुवनेश्वर तक पहुंचने के लिए आसानी से स्थानीय कैब या बस किराए पर ले सकते हैं।

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