‘मसालों की रानी’ की कहानी

अनुषा मिश्रा 04-02-2021 12:37 PM Food And Drinks
कभी एक छोटी सी इलायची पूरे खाने का स्वाद बदल देती है तो कभी इसका बस एक दाना ही मुंह को महकाने के लिए काफी होता है। मीठा हो या तीखा, ये हर खाने को लजीज बनाने में काम आती है। इलायची वाली चाय के तो क्या कहने। सर्दियों में जो मजा अदरक वाली चाय में आता है, इलायची उसी चाय को गर्मियों में भी खास बना देती है। हो सकता है कि आपकी यादों में भी इलायची से जुड़ी कोई कहानी हो लेकिन आज हम आपको बताएंगे इसकी खुद की कहानी। कितनी पुरानी है इलायची, कहां सबसे ज्यादा पैदा होती है और कैसे ये पूरी दुनिया में पहुंची, सब कुछ...

बहुत पुराना है इतिहास

जिंजर फैमिली की इलायची को मसालों की रानी भी कहा जाता है। दुनिया के सबसे पुराने मसालों में शामिल इलायची का इतिहास 4000 साल से भी पुराना माना जाता है। मिस्र के लोग इलायची का इस्तेमाल दवा बनाने में, कई परम्पराओं में शवों पर लेप लगाने में भी करते थे। रोमन और ग्रीक इसका इस्तेमाल इत्र बनाने में  थे। ऐसा कहते हैं कि मध्य यूरोप के यात्री वाइकिंग्स ने अपनी यात्रा के दौरान सबसे पहले इस मसाले की खोज की और इसे स्कैंडिनेविया में ले गया।

भारत की इलायची है बेस्ट

वैसे तो अब नेपाल, श्री लंका, ग्वेटमाला, मेक्सिको, थाईलैंड, तंजानिया और मध्य अमेरिका में भी इलायची की खेती होती है, लेकिन दक्षिण पश्चिम भारत में उगने वाली इलायची का कोई मुकाबला नहीं। यहीं से इसकी उत्पत्ति भी मानी जाती है। इसके जैसा महक और स्वाद बाकी कहीं की इलायची में नहीं मिल सकता। ऐसा नहीं है कि भारत में सिर्फ बेस्ट क्वालिटी की इलायची उगाई ही जाती है, यहां इसके कद्रदानों की भी कमी नहीं है। यही वजह है भारत में उगाई जाने वाली कुछ इलायची का लगभग 60 फीसदी हिस्सा यहां की लोकल मार्केट में ही खप जाता है और बाकी का बचा हिस्सा ही निर्यात होता है। ग्वेटमाला में इसकी खपत इतनी कम है कि वहां उगाई जाने वाली इलायची का अधिकांश हिस्सा एक्सपोर्ट ही हो जाता है और अरब के लोग इसके इतने शौकीन हैं कि पूरी दुनिया में उगाई जाने वाली इलायची का कम से कम 60 फीसदी हिस्सा अरब देशों में ही चला जाता है। 

जब यूनानी भी खो गए थे इलायची की महक में

ईसा से 2 सदी पहले ग्रीस के लोग जिन्हें यूनानी भी कहा जाता है, पूर्वी देशों से अमॉमॉन नाम से इलायची आयात करते थे। वैसे इस बारे में ज्यादा साफ तरीके से तो कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन रोम के कुछ लेखकों ने इसकी दो किस्मों के बारे में लिखा है। 11वीं शताब्दी की पुस्तक मानसोल्लासा में 'पंचसुगंधा-तम्बुला' बनाने में इस्तेमाल किए जाने वाले मसालों में इलायची का भी नाम लिखा है। मांडु के सुल्तान के महल में भी शरबत और चावल में इलायची इस्तेमाल करने का जिक्र है। पुर्तगाली यात्री बारबोसा ने भी 1524 में इलायची के उपयोग के बारे में लिखा है। 1563 में ग्रेसिया द ऑर्टा के समय में  इलायची का अंतरराष्ट्रीय बाजार काफी विकसित हो चुका था। औपनिवेशिक काल तक केरल प्रांत में इलायची पर अच्छा खासा कर लिया जाता था। 19वीं सदी में जब ब्रिटिश यहां आ गए तब कॉफी के बाद इलायची यहां की दूसरी सबसे ज्यादा उगाई जाने वाली फसल बन गई।

इलायची पहाड़ियां

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