अटल टनल ; नया रास्ता, नई मंजिलें
कुछ खास बातें
अटल टनल हिमालय की पीर पंजाल रेंज में औसत समुद्र तल से 3000 मीटर (10,000 फीट) की ऊंचाई पर बनाई गई है। इससे मनाली और लेह के बीच सड़क की दूरी 46 किलोमीटर कम हो गई है और दोनों जगहों के बीच सफर का समय करीब 4 से 5 घंटे की घट गया है।
अटल टनल का दक्षिण पोर्टल मनाली से 25 किलोमीटर दूर 3060 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जबकि इसका उत्तर पोर्टल लाहौल घाटी में तेलिंगसिस्सु गांव के पास 3071 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इस टनल के अंदर हर 150 मीटर की दूरी पर इमरजेंसी कॉन्टैक्ट के लिए टेलीफोन कनेक्शन दिया गया है और हर 60 मीटर की दूरी पर कैमरा लगा है। इसमें आप 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ी चला सकते हैं।
बर्फबारी में मजा
लाहौल-स्पीति में बर्फबारी हो चुकी है और अटल टनल के रास्ते पर्यटकों ने वहां पहुंचना भी शुरू कर दिया है। यह शायद पहली बार होगा जब देश के दूसरे हिस्सों के लोग लाहौल-स्पीति की बर्फबारी आसानी से देख पा रहे हैं।
खूबसूरती की खोज
मनाली तक जाने वाले पर्यटकों के लिए अटल टनल के बनने से सिसु लेक, स्पीति का बर्फीला रेगिस्तान और काजा की खूबसूरती को देखने का भी ख्वाब अब पूरा होने लगा है। आप जब इस टनल में घुसें तो हो सकता है कि आपको फास्ट एंड फ्यूरियस का कोई सीन याद आए और आप अपनी गाड़ी स्पीड बढ़ा दें लेकिन याद रखें कि यहां न ही आपको फास्ट होना है और न ही फ्यूरियस क्योंकि यहां जगह-जगह पर निगरानी के लिए कैमरे लगे हैं। अटल टनल रोहतांग से निकलते ही टनल का नॉर्थ पोर्टल सैलानियों की पहली डेस्टिनेशन बन गया है। चंद्रा नदी पर बना पुल अटल टनल के नॉर्थ पोर्टल को मनाली लेह हाईवे से जोड़ता है। यहीं से सैलानी लाहौल घाटी की नैसर्गिक वादी को निहार सकते हैं।
यहां से 7 किलोमीटर आगे आपको सिसु गांव मिलेगा। चंद्रा नदी के किनारे बसा ये पहाड़ी गांव बहुत सुंदर है। यहां आपको 300 फीट ऊंचाई से बहता एक बेहद आकर्षक झरना दिखेगा। जिसकी तस्वीरें लिए बिना आप आगे बढ़ ही नहीं सकते। आप सिस्सू गांव के ठीक नीचे बनी आर्टीफिाशियल झील में वोटिंग का मजा ले सकते हैं। इसी गांव में लाहौल घाटी के आराध्य देव राजा घेपन का मंदिर भी है। सिस्सू में पर्यटकों के ठहरने के लिए कई होटल भी बने है। यहां से लगभग 15 किमी दूर गोंदला में सैकड़ों साल पुराना किला है।
गोंदला से 14 किमी आगे चंद्रा और भागा नदी का प्राचीन और पवित्र तांदी संगम है। यहां पर चंद्रा और भागा नदी आपस में मिलकर एक हो जाती हैं। तांदी संगम का जिक्र वेदों में भी किया गया है। मान्यता है कि द्रौपदी ने इसी संगम में अपना शरीर त्यागा था। यह संगम हिंदू और बौद्ध दोनों धर्मों के अनुयायियों के लिए गंगा की तरह ही पवित्र है। यहां से महज 1 किमी आगे से एक रास्ता केलांग जिस्पा और दूसरा उदयपुर कस्बे की तरफ निकलता है।
यह इलाका पट्टन घाटी के नाम से जाना जाता है। तांदी संगम से लगभग 36 किमी आगे हिंदू और बौद्धों का सबसे बड़ा धार्मिक स्थल त्रिलोकनाथ धाम पड़ता है। यहां दोनों धर्मों के लोग मिलकर एक ही मूर्ति की पूजा करते हैं। त्रिलोकनाथ धाम चंद्रा और भागा नदी के वामतट पर एक चट्टान के ऊपर स्थित है। यहां से महज 7 किमी दूर उदयपुर कस्बा पड़ता है। यहां महाभारत काल मे बना माता मृकुला का प्राचीन मंदिर है। तांदी संगम से 7 किमी लेह की तरफ जिला मुख्यालय केलांग है। केलांग के ठीक ऊपर सैकड़ों साल पुराना शशुर बौद्ध मठ है। केलांग से लगभग 55 किलोमीटर आगे मनाली-लेह के रास्ते पर सूरजताल पड़ता है। बाराचाला दर्रा की यहां से दूरी महज 25 किलोमीटर है। नॉर्थ पोर्टल से दांयी तरफ मुड़ने से रोहतांग और स्पीति की तरफ सड़क निकलती है।
अटल टनल के बनने से अब लाहौल-स्पीति के छुपे हुए गांवों और वहां के लोगों की जिंदगी को करीब से देखने की चाहत भी पूरी हो सकती है। वो खूबसूरती और सुकून जो आपको पहाड़ों पर जाकर भी नहीं मिल पा रहा था। इस टनल के बनने के बाद शायद आप वहां तक का सफर आसानी से पूरा कर सकें।
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