किस्सा-ए-संतरा…

इस तरह आया भारत
बगीचे का जेवर कहे जाने वाले संतरे को सन् 1450 में इतालवी व्यापारी मेडिटेरनियन क्षेत्र में लेकर गए और सन् 1500 में पुर्तगाली इसे भारत लेकर आए। ऐसा माना जाता है कि संतरे का ओरिजिन दक्षिणी चीन, उत्तर पूर्वी भारत और दक्षिण पूर्वी एशिया से है जिसे इंडो चाइना कहा जाता है। सन् 1500 तक ज्यादातर यूरोपियन इसका इस्तेमाल दवा बनाने में करते थे, लेकिन कुछ ही समय में यह लोगों के बीच एक खट्टे व जूसी फल के रूप में मशहूर हो गया और उस वक्त के अमीर लोग इसे अपने बगीचों में उगाने लगे। सन् 1646 तक यह आम लोगों के बीच आ गया और इसे सब पसंद करने लगे।
स्पेन के लोगों ने दक्षिण अमेरिका और मेक्सिको में 1500 के दशक के मध्य में मीठा संतरा पेश किया और फ्रांसीसी इसे लुइसियाना ले गए। न्यू ऑरलियन्स से इसके बीज इकट्ठे करके उन्हें 1872 में फ्लोरिडा ले जाया गया और यहां खट्टे संतरे के रूटस्टॉक्स पर मीठे संतरे की ग्राफ्टिंग की गई। इसके बाद 1707 से 1710 के बीच यह सैन डिआगो, कैलिफोर्निया पहुंचा। 1781 में एक सर्जन और नेचरलिस्ट ने जहाज पर साउथ अफ्रीका में इसके बीज की खोज की और वहीं इसे उगाया। 1792 में जब यह जहाज हवाइयन आइलैंड पर पहुंचा तो उसने इसे वहां के आदिवासी प्रमुखों के सामने पेश किया।
कई परम्पराओं में शामिल
साइट्रस फलों की खेती में चीनी, भारतीय, यहूदी, फारसी, अरब, ग्रीक और रोमन जैसी कई प्राचीन सभ्यताएं शामिल थीं। ये लोग अपने-अपने तरीके से शुभ फल के रूप में इसका इस्तेमाल करते हैं। यहूदी सुक्कॉट पर एट्रॉग्स खरीदते हैं, ईसाई क्रिसमस ट्री पर संतरे सजाते हैं और चीनी अपने नए साल पर एक-दूसरे को संतरे देते हैं।
उत्पादन में भी आगे
भारत में केले और आम के बाद सबसे ज्यादा उत्पादन संतरे का ही होता है। हालांकि बीते कुछ वर्षों में मौसम की मार से संतरे का उत्पादन यहां कम हुआ है लेकिन 2010 में ब्राजील और संयुक्त राष्ट्र के बाद संतरे के उत्पादन में भारत दुनिया में तीसरे नंबर पर था। अब नागपुर शहर को ऑरेंज क्लस्टर बनाने पर काम किया जा रहा है। यहां से संतरे का एक्सपोर्ट बढ़ाने के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया जाएगा। यहां से पूर्वी देशों में संतरे के निर्यात को बढ़ावा दिया जाएगा।
सबसे ज्यादा मशहूर नागपुर के संतरे
'ऑरेंज सिटी ऑफ इंडिया' के नाम से जाना जाता है नागपुर शहर। यहां ऐसे कई बाग हैं जहां पर्यटक संतरों से लदे पेड़ों वाले खेतों की सैर कर सकते हैं। यहां संतरे से रस निकालना, उसकी मिठाइयां बनाने की पूरी प्रक्रिया भी कई जगह टूरिस्ट्स को दिखाई जाती है। 2014 में नागपुर के संतरे को जीआई (Geographical Index) टैग भी मिल गया। यह टैग किसी उत्पाद के खास और अलग होने का भरोसा दिलाता है।
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