ईको टूरिज्म की परिभाषा है उत्तराखंड का यह गांव

अनुषा मिश्रा 27-04-2023 06:52 PM My India
पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी में एक छोटा सा गांव है सरमोली। यह गांव उन गांवों जैसा बिल्कुल नहीं है जो हम अक्सर अपने आसपास देखते हैं। हो सकता है कि पहली नज़र में यह आपको साधारण सा लगे लेकिन थोड़ा पास से जाने पर यह आपको टूरिज़्म के एक जेम यानी रत्न की तरह लगेगा। कुमाऊं की पहाड़ियों में सरमोली का छोटा सा गांव इकोटूरिज्म के लिए एक आदर्श गांव है।

ईको टूरिज़्म की परिभाषा है यह गांव

पिछले कुछ वक्त में ऐसे कई टूरिस्ट प्लेसेस हैं जिनको ईको टूरिज्म डेस्टिनेशन्स कहा गया है। और जब आप वहां जाकर देखते हैं तो हकीकत कुछ और ही होती है, लेकिन सरमोली के साथ ऐसा नहीं है। यह गांव ईको टूरिज्म को परिभाषित नहीं करता बल्कि यह खुद ही ईको टूरिज्म की परिभाषा है। यह इसलिए संभव हो पाया है क्योंकि इस गांव में आपको जमीनी स्तर से स्थानीय संस्कृति का अनुभव होता है। 

क्या है कहानी?

एक वक्त था जब इस गांव के बहुत से स्थानीय लोग आजीविका के स्रोत की तलाश में बड़े शहरों में जाने के लिए अपने घर छोड़ने लगे। तब कुछ स्थानीय लोगों ने महसूस किया कि उन्हें अपने गांव को बचाए रखने के लिए कुछ करने की ज़रूरत है। गांव को बचाए रखने का अर्थ परंपराओं और संस्कृति को जीवित रखना भी है। इस काम को सच कर दिखाया एक उत्साही पर्वतारोही और सामाजिक कार्यकर्ता मलिका विर्डी ने। उन्होंने हिमालयन आर्क होमस्टे कार्यक्रम शुरू किया, जो पूरी तरह से गांव की महिलाओं द्वारा चलाया जाने वाला कार्यक्रम था।

जिम्मेदार पर्यटन को बढ़ावा देने और स्थानीय पर्यावरण और संस्कृति के संरक्षण के लिए ग्रामीण एक साथ आए और यह कारवां बढ़ता गया।

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महिलाओं के एक साथ आने से न केवल गांव के सामाजिक और आर्थिक मुद्दों को हल करने में मदद मिली बल्कि इस क्षेत्र के सतत विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जो जलवायु परिवर्तन के लिए अत्यधिक संवेदनशील है। महिलाओं के द्वारा चलाए जाने वाले इस एंटरप्राइज का मूल विलेज फारेस्ट कॉमन्स (जिसे वन पंचायत के रूप में जाना जाता है) के आसपास डिजाइन किया गया था। इसके गठन के समय, प्रकृति-आधारित समुदाय-केंद्रित पर्यटन जो प्रकृति को नुकसान पहुंचाए बिना आजीविका प्रदान कर सकता था, अस्तित्व में नहीं था। विर्डी और उनकी टीम ने हिमालयी ईकोसिस्टम के कंजेरवशन को लेकर काम किया और अपने कार्यक्रम के एक हिस्से के रूप में ऊंचाई वाली झीलों, जंगलों और समुदायों की बहाली को शामिल किया।

मज़ेदार होता है अनुभव

सरमोली गांव में, टूरिस्ट्स यहां के लोकल लोगों के घरों में रहकर, गांव की एक्टिविटीज में हिस्सा ले सकते हैं और स्थानीय व्यवसायों का समर्थन करके पर्यावरण के अनुकूल पर्यटन का अनुभव कर सकते हैं। गांव की गतिविधियों में भाग लेने का मतलब स्थानीय लोगों को बीज बोने में मदद करने से लेकर उन्हें टोकरी बुनने में मदद करने तक कुछ भी हो सकता है! यह सचमुच कुछ भी है। Live Like A Local यानी एक स्थानीय की तरह जीना उनका आदर्श वाक्य है। उनके प्रवास के दौरान, उन्हें स्थानीय व्यंजन जैसे भांग की चटनी (भांग के बीज की चटनी), मडुआ के रोटी (स्थानीय जौ की रोटी), पहाड़ी राजमा (स्थानीय राजमा) और कई अन्य व्यंजन परोसे जाते हैं।

टूरिस्ट्स की मेज़बानी करने से करीब 20 परिवारों को फ़ायदा होता है, और मेहमानों के लिए गाइड बनने से भी उन्हें फ़ायदा होता है। सरमोली गांव की कुछ महिलाएं, जिन्हें क्षेत्र की वनस्पतियों और जीवों के बारे में जानकारी है, वे गाइड और प्रकृतिवादी भी बन गई हैं। ऐसी ही एक महिला हैं 37 वर्षीय बीना नटीवाल, जो एक सांस्कृतिक और पर्यावरण गाइड हैं। टूरिस्ट्स की जरूरतों को समझने और विशेष जानकारी हासिल करने के लिए उन्होंने पहले एक ट्रेनिंग प्रोग्राम में भाग लिया। आज, वह मेहमानों के लिए गांव की सैर, बर्ड वाचिंग टूर और पर्वतीय ट्रेक का आयोजन करती हैं। मुनस्यारी जैव विविधता से भरपूर क्षेत्र है, और विशेषज्ञों का अनुमान है कि यहां पक्षियों की 300 से अधिक प्रजातियां हैं, जो इसे पक्षी प्रेमियों के लिए स्वर्ग बनाती हैं।

गांव में घूमने से लेकर बर्डवॉचिंग तक और स्थानीय फूड टूर से लेकर लोकल एक्टिविटीज में भाग लेने तक यहां का अनुभव पूरी तरह से स्थानीय और पारंपरिक है, और यही वास्तव में इकोटूरिज्म का मतलब है।

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