जहां हर जगह पक्षियों की चहचहाहट है...

अनुषा मिश्रा 08-09-2021 04:05 PM Eco Tourism
कुदरत के करीब कुछ सुकून के पल बिताना, पक्षियों के कलरव के साथ कोई गीत गुनगुनाना, नदी के बहते पानी की आवाज सुनना, ये सब किसे अच्छा नहीं लगता। अगर आप भी ऐसी ही किसी जगह कुछ वक्त बिताना चाहते हैं तो उत्तर प्रदेश के पक्षी विहार आपके इंतजार में हैं। यहां कई पक्षी विहार हैं जिन्हें प्रकृति ने अपनी खूबसूरती से संवारा तो। आप भी चलिए हमारे साथ इनके सफर पर। 

नवाबगंज पक्षी विहार

उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले का नवाबगंज पक्षी विहार कुदरती खूबसूरती का असली ठिकाना है। राजधानी लखनऊ से 43 किलोमीटर दूर इस पक्षी विहार को अब चंद्र शेखर आजाद पक्षी विहार के नाम से जानते हैं।  वैसे तो आपको यहां पूरे साल तमाम तरह के पक्षी देखने को मिलेंगे लेकिन सर्दियों में खासकर लगभग 550 प्रकार की चिड़ियों की प्रजातियां भारत सहित दूसरे देशों से यहां आती हैं। इनमें बेंटेल, रसियन कूट, गरगनीटील, रॉबिन बर्ड जैसे कई खूबसूरत पक्षी शामिल हैं। इसका उद्घाटन साल 1975 में हेमवती नादान भुगन ने किया था। तब इसका नाम प्रियदर्शिनी पक्षाी बिहार था। साल 1984 में इसे नवाबगंज बर्ड सेंचुरी रख दिया गया। अब ये चंद्र शेखर आजाद पक्षी विहार है। यहां विदेश से आने वाले पक्षियों में कॉमन टेल, गार्गनी, पिनफॉल, कॉमन पोचर्ड, रेड क्रिस्टेड पोचर्ड, फरोजीनस पोचर्ड और नार्थन शोवलर तो भारत के एशियन ओपनबिल स्टोर्क, पेंटेड स्टोर्क, ब्लैक हेडेड लेबिस, इंडियन कोरमोरेंट, डारटर या स्नेक बर्ड जैसे कई पक्षी देखने को मिलते हैं। 

समसपुर पक्षी विहार

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रायबरेली में सलोन के पास समसपुर पक्षी विहार स्थित है। 780 हेक्टेयर में फैले इस पक्षी विहार की स्थापना 1987 में हुई थी। कभी कुदरत के करीब कुछ पल सुकून के बिताने हों तो यह जगह एकदम मुफीद है। यहां भारतीय और विदेशी लगभग 250 प्रकार के पक्षियों की प्रजातियां हैं। इसमें पाये जाने वाले पक्षियों में गिद्ध, किंगफिशर, स्पॉट बिल, सामान्य टील, विजन और व्हिसलिंग टील प्रमुख हैं। यहां एक झील भी है जिसमें कई प्रकार की मछलियां पाई जाती हैं। स्थानीय लोग और पर्यटक यहां आकर पक्षियों को देखने, पिकनिक मनाने या केवल वातावरण की शान्ति को मससूस करने आते हैं। ये मौसम भी यहां घूमने के लिए एकदम बेहतरीन तो जब चाहें तब प्लान बना लीजिए। 

सांडी पक्षी विहार

प्रवासी पक्षियों के प्राकृतिक आवास और जलीय वनस्पति की रक्षा के लिए 1990 में सांडी पक्षी विहार बनाया गया था। इस पक्षी विहार के पास से गर्रा नदी गुजरती है। सांडी पक्षी विहार में पहुंचने से पहले प्रवासी पक्षी नदी के तट पर आराम करते हैं। नवंबर के महीने में सर्दियों की शुरुआत में विहार में प्रवासी पक्षियों का आगमन शुरू हो जाता है। यहां से हरदोई रेलवे स्टेशन की दूरी 19 किलोमीटर है। यहां दुर्लभ साइबेरियाई सफेद क्रेन ग्रुस ल्यूकोगैरनस को भी पहले यहां देखा गया है।

सूर सरोवर पक्षी विहार

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आगरा से करीब 22 किलोमीटर दूर रूनकता गांव के पास सूर सरोवर पक्षी विहार है। 27 मार्च 1991 को इस पूरे क्षेत्र को राष्ट्रीय पक्षी अभ्यारण्य नाम उत्तर प्रदेश वन विभाग ने दिया। यहां 100 से ज्यादा पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती हैं। साथ ही यहां 12 प्रजाति के स्तनपायाी और 18 प्रजाति के सरीसृप का भी ये जगह ठिकाना है। यहां स्पूनबिल, साइबेरियन सारस, सरने सारस, ब्राहमनी बत्तख, बार-हेडेड गीसे और गडवॉल्स व शोवेलर्स यहां पाई जाने वाली पक्षियों की प्रमुख प्रजातियां हैं। सूर सरोवर पक्षी विहार में कीठम नाम की एक झील भी है। 

लाख बहोसी पक्षी अभ्यारण्य

लाख बहोसी पक्षी अभ्यारण्य कन्नौज जिले के पास लखब अभयारण्य उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले के लाख और बहोसी गांव के पास स्थित है। 80 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला, 1989 में स्थापित लाख बहोसी भारत के सबसे बड़े पक्षी अभयारण्यों में से एक है। घूमने के लिए यह एक बेहतरीन जगह है। यहां कई प्रकार के स्थानीय और प्रवासी पक्षी पाए जाते हैं। सियार, नीली बुल, मोंगोज, मछली पकड़ने वाली बिल्ली, बंदरों और कई जानवरों का ये घर है। 

पटना पक्षी विहार

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उत्तर प्रदेश के एटा जिले में पटना पक्षी विहार 300 से ज्यादा प्रजाति की 200,000 से ज्यादा चिड़ियों का ठिकाना है। यहां 106 प्रजाति के शरणार्थी और भारतीय पक्षी भी हर साल आते हैं। सिर्फ 1.09 किलोमीटर स्क्वॉयर क्षेत्रफल में फैला यह पक्षी विहार उत्तर प्रदेश का सबसे छोटा पक्षी विहार है। यहां एक झील भी है जिसकी वजह से शरणार्थी पक्षी भी यहां आते हैं। 

ओखला पक्षी अभ्यारण्य

ओखला पक्षी अभ्यारण्य यमुना नदी पर ओखला बेराज क्षेत्र में स्थित है। यह जगह 300 से ज्यादा प्रजाति के पक्षियों का घर है। खासकर यहां जलीय पक्षी ज्यादा पाए जाते हैं। 1990 में यहां यमुना नदी पर 3.5 स्क्वाॅयर किलोमीटर के क्षेत्र को उत्तर प्रदेश सरकार ने पक्षी अभ्यारण्य घोषित किया था। उत्तर प्रदेश में युमना नदी के प्रवेश द्वार पर स्थित पक्षी विहार में नदी को बांधकर एक झील बनाई गई है जो ओखला गांव के पश्चिम से लेकर गौतम बुद्ध नगर के पूर्व तक स्थित है। यहां पाए जाने वाले पक्षियों में से लगभग 50 प्रतिशत तिब्बत, यूरोप और साइबेरिया जैसे ठंडे क्षेत्रों से इस हिस्से की गर्म जलवायु के लिए आते हैं। ये यहाँ पर नवम्बर में आते हैं और मार्च में इस जगह को छोड़ देते हैं। 

बखिरा पक्षी विहार

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उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर में स्थित बखिरा झील पक्षियों के पसंदीदा ठिकानों में से एक है। लगभग 29 किलोमीटर क्षेत्रफल में फैली इस झील को 14 मई 1990 को उत्तर प्रदेश सरकार ने अधिसूचना जारी कर बखिरा पक्षी विहार का दर्जा दिया था। इस झील को महाराजगंज के साहगी बरवां क्षेत्र से जोड़ते हुए वर्ष 1997 में यहां रेंज कार्यालय की स्थापना की गई। यहां पर पूरे वर्ष पानी भरा रहता है जिसके चलते जलीय वनस्पतियां, छोटे-छोटे कीड़े, घोंघे व सीप आदि यहां खूब मिलते हैं। इसीलिए यूरोप, साइबेरिया, तिब्बत, चीन आदि देशों के पक्षी इस पक्षी विहार में आते हैं। वन विभाग की मानें तो यहां 113 प्रजाति के पक्षी आते रहे हैं। यह जगह लालसर, हिवीसिल, कोचार्ड, सूरखाल, गोजू, सवल, पिण्टेल जैसे विदेशी और कैमा, वाटरहेन, राईटर, कारमोरेन्ट, सारस व बगुले जैसे भारतीय पक्षियों का घर है।

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