कसार देवी, माचू पिच्चू और स्टोनहेंज में है कुछ एक जैसा

अनुषा मिश्रा 31-08-2022 06:30 PM Culture
क्या आपको लगता है कि कि पेरू के माचू पिच्चू और यूके के स्टोनहेंज जैसी जगहों का संबंध भारत के कुमाऊं क्षेत्र के एक छोटे से गांव से हो सकता है? अगर आपको लगता है कि ऐसा कैसे हो सकता है तो फटाफट इस स्टोरी को पढ़ डालिए और जान लीजिए कि आखिर इन तीनों में क्या सम्बंध है। 

हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र के कसार देवी की। टूरिस्ट्स के बीच भले ही यह जगह पॉपुलर न रही हो लेकिन लंबे समय से कलाकारों, मनीषियों, दार्शनिकों और आध्यात्मिक साधकों को लुभाती रही है। आपको जानकर हैरानी होगी कि स्वामी विवेकानंद, बॉब डायलन, रवींद्रनाथ टैगोर, हार्वर्ड मनोवैज्ञानिक टिमोथी लेरी, डीएच लॉरेंस जैसी प्रसिद्ध हस्तियां किसी न किसी वजह से यहां आ चुकी हैं। इतिहास की मानें तो 1890 में, स्वामी विवेकानंद ने यहीं एक गुफा में ध्यान लगाया था।

तो चलिए मुद्दे पर आते हैं। जो बात इस जगह को खास बनाती है वह है पृथ्वी की वैन एलन बेल्ट पर इसका स्थित होना। ऐसा माना जाता है कि कसार देवी मंदिर के आसपास धरती के भीतर विशाल भू-चुंबकीय पिंड है। इस पिंड में विद्युतीय चार्ज कणों की परत होती है जिसे रेडिएशन भी कह सकते हैं। यही कारण है कि माना जाता है कि कसार देवी में ब्रह्मांडीय ऊर्जा है जो पेरू के माचू पिच्चू और यूके के स्टोनहेंज के समान है।

पिछले कुछ साल से नासा के वैज्ञानिक इस बेल्ट के बनने की वजह पता लगाने में जुटे हैं। इस वैज्ञानिक अध्ययन में यह भी पता लगाया जा रहा है कि मानव मस्तिष्क या प्रकृति पर इस चुंबकीय पिंड का क्या असर पड़ता है। ऐसा माना जाता है कि इन चुम्बकीय पिंडो की उपस्थिति के कारण, यहां एक परम शांति का अनुभव होता है। जिन्होंने यहां ध्यान किया है, उनका दावा है कि वे यहां एक अनोखी तरह की शांति महसूस कर सकते हैं, हालांकि इस बात का कोई वैज्ञानिक प्रमाण अभी तक नहीं मिला है। 

न भूलें दर्शन करना

grasshopper yatra Image

अगर आप अल्मोड़ा आते हैं तो कसार देवी मंदिर में दर्शन ज़रूर करें। यह मंदिर एक पहाड़ी की चोटी पर है, यहीं नीचे कसर नाम का एक गांव है। मंदिर सुंदर और हरे भरे जंगलों से घिरा हुआ है। अभिलेखों के अनुसार, यहां का पुराना मंदिर एक गुफा को काटकर बनाया गया था, और माना जाता है कि यह लगभग 2000 वर्षों से बना हुआ है। हालांकि यगण जो नया मंदिर है वह 1948 में बनाया गया था।


कसारदेवी, माचू-पिच्चू और स्टोनहेंज की खासियत

कसारदेवी मंदिर, अल्मोड़ा (भारत) - अल्मोड़ा से 10 किमी दूर अल्मोड़ा-बिंसर मार्ग पर बने कसारदेवी के आसपास पाषाण युग के अवशेष मिलते हैं। यहां लोगों को इतनी शांति मिलती है कि कई लोग तो यहां महीने भर रुक जाते हैं तो कुछ अपनी गर्मी की पूरी छुट्टियां यहीं बिताते हैं।

माचू-पिच्चू, पेरू (अमेरिका) - यहां इंका सभ्यता के अवशेष मिले हैं जो उस वक्त एक धार्मिक नगरी थी। 11वीं शताब्दी में यहां वेधशाला भी थी। यहां ऊपर पहाड़ी से नीचे देखने पर एक लम्बी लाइन दिखाई देती है, जबकि नीचे पहुंचने पर ऐसा कुछ नहीं पाया जाता है।

स्टोनहेंज स्मारक, विल्टशायर (इंग्लैंड) - वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स की सूची में शामिल यह स्मारक दुनिया के सात अजूबों में शुमार है। यहां भी प्रागैतिहासिक काल के प्रमाण देखे जा सकते हैं।


आपके पसंद की अन्य पोस्ट

हर की दून गए हैं आप? ये जगह है बेहद सुंदर

चलिए हमारे साथ उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में हर की दून घाटी के सफर पर

उत्तराखंड की ये झीलें मोह लेंगी आपका मन

ये झीलें खूबसूरत हैं और आपकी छुट्टियां बिताने के लिए परफेक्ट हैं।

लेटेस्ट पोस्ट

अयोध्या को खूबसूरत बनाने वाली 10 शानदार जगहें

आप बिना ज़्यादा सोच-विचार किए झट से वहां जाने की तैयारी कर लें।

इतिहास का खजाना है यह छोटा सा शहर

यहां समय-समय पर हिंदू, बौद्ध, जैन और मुस्लिम, चार प्रमुख धर्मों का प्रभाव रहा है।

लक्षद्वीप : मूंगे की चट्टानों और खूबसूरत लगूंस का ठिकाना

यहां 36 द्वीप हैं और सभी बेहद सुंदर हैं, लेकिन इनमें से सिर्फ 10 द्वीप ही ऐसे हैं जहां आबादी है।

नए साल का जश्न मनाने के लिए ऑफबीट डेस्टिनेशन्स

वन्यजीवन के बेहतरीन अनुभवों से लेकर संस्कृति, विरासत और प्रकृति तक, इन जगहों में सब कुछ है।

पॉपुलर पोस्ट

पुष्कर: उत्सवों को उत्साह से मनाती भगवान ब्रह्मा की ये नगरी

अरावली की पहाड़ियों से तीन ओर से घिरे राजस्थान के ह्रदय पुष्कर में एक अलग ही रंग का हिंदुस्तान बसता है। एक ऐसा हिंदुस्तान जिसे सैलानी सिर्फ देखने नहीं बल्कि उसे महसूस करने, जीने और इसकी आध्यात्मिकता में डूब जाने के लिए आते हैं।

वाइल्ड लाइफ के शौकीनों के लिए महाराष्ट्र है बेस्ट

प्लानिंग इस बार महाराष्ट्र के टाइगर रिजर्व्स को एक्सप्लोर करने की और एडवेंचर के साथ खूबसूरती को निहारने की।

भूटान घूमने का बना रहे हैं प्लान? रॉयल हाइलैंड फेस्टिवल कर रहा है इंतज़ार

भूटान गासा में रॉयल हाईलैंड फेस्टिवल की मेजबानी करने के लिए पूरी तरह तैयार है।

सितंबर में घूमने के लिए बेस्ट हैं ये जगहें

हमारा देश इतना बड़ा है कि यहां हर महीने आपको घूमने के लिए कई सुंदर जगहें मिल जाएंगी।