इस तरह करें वृन्दावन में प्रेमानंद महाराज के दर्शन, यहां मिलेगी पूरी जानकारी
 
									वृंदावन, उत्तर प्रदेश का वो पवित्र शहर है, जहां हर गली-नुक्कड़ पर राधा-कृष्ण की भक्ति की खुशबू बिखरी रहती है। ये वो जगह है, जहां मन को सुकून मिलता है और आत्मा को शांति। अगर आप आध्यात्मिक खोज में हैं या भक्ति का असली रंग महसूस करना चाहते हैं तो श्री प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज के दर्शन जरूर करें। लोग उन्हें प्यार से प्रेमानंद जी महाराज बुलाते हैं। उनकी श्रीमद्भागवत गीता पर दी गई शिक्षाएं और राधा रानी के प्रति उनकी गहरी भक्ति लाखों लोगों के दिलों को छूती है। उनका आश्रम, श्री हित राधा केली कुंज, वृंदावन के शांत और पवित्र परिक्रमा मार्ग पर बसा है। ये गाइड आपको बताएगा कि दर्शन कैसे करें, आश्रम का समय क्या है, टोकन की प्रक्रिया क्या है और इस यात्रा के लिए आपको क्या-क्या चाहिए।
कौन हैं प्रेमानंद जी महाराज
 
	
											
									प्रेमानंद जी महाराज का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर के पास एक छोटे से गांव में हुआ था। बचपन से ही उनका मन संसार की चकाचौंध से हटकर भक्ति की ओर मुड़ा। छोटी उम्र में ही उन्होंने सब कुछ छोड़कर काशी का रुख किया और शिव की भक्ति में डूबे रहे। बाद में शिव जी कृपा से वह वृंदावन आए। उस समय उनके पास न कोई जान-पहचान थी, न कोई ठिकाना। वो दिन-रात परिक्रमा करते और बांके बिहारी जी के दर्शन में डूबे रहते। एक संत ने उन्हें सलाह दी कि राधावल्लभ मंदिर जाएं। वहां पहुंचकर वो घंटों भक्ति में लीन रहते। उनकी सादगी ने गोस्वामियों का दिल जीत लिया।
एक दिन पूज्य श्री हित मोहित मारल गोस्वामी जी ने एक पद सुनाया, जिसे महाराज जी पूरी तरह समझ न सके। गोस्वामी जी ने उन्हें श्री हरिवंश के नाम का जाप करने को कहा। परिक्रमा के दौरान इस जाप का असर ऐसा हुआ कि उनकी भक्ति और गहरी हो गई। एक और परिक्रमा में एक सखी के गाए पद ने उन्हें इतना प्रभावित किया कि उन्होंने राधावल्लभ संप्रदाय में शरणागति मंत्र लिया। बाद में उनके सद्गुरु, पूज्य श्री हित गौरांगी शरण जी महाराज ने उन्हें सहचरी भाव और नित्य विहार रस (निज मंत्र) की दीक्षा दी।
महाराज जी ने दस साल तक अपने गुरु की पूरी निष्ठा से सेवा की। इस दौरान उन्होंने ब्रजवासियों का सम्मान करना सीखा और मधुकरी की परंपरा अपनाई। उनका मानना है कि ब्रजवासियों के अन्न में सच्ची भक्ति और प्रेम छिपा है। उनका हर काम, हर बात उनके गुरु की कृपा और वृंदावन धाम की महिमा को दर्शाती है। आज उनकी सादगी, भक्ति और आध्यात्मिक ज्ञान लाखों लोगों को प्रेरित करता है।
दर्शन की प्रक्रिया: कैसे पाएं टोकन?
 
	
											
									वृंदावन में प्रेमानंद जी महाराज के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ लगी रहती है। इसलिए पहले से प्लानिंग जरूरी है। अभी आश्रम में दर्शन या एकांतिक वार्तालाप (महाराज जी से अकेले में आध्यात्मिक चर्चा) के लिए कोई ऑनलाइन बुकिंग सिस्टम नहीं है। लेकिन आप आधिकारिक वेबसाइट vrindavanrasmahima.org पर जाकर संपर्क फॉर्म भर सकते हैं। वेबसाइट पर 'एक्टिविटीज' सेक्शन में 'दर्शन' टैब पर जाएं। वहां आपको कई तरह के दर्शन की जानकारी मिलेगी, जैसे:
महाराज जी भाव दर्शन: जहां आप उनकी भक्ति और प्रवचन का आनंद ले सकते हैं।
श्री जी श्रृंगार दर्शन: राधा रानी के श्रृंगार का पवित्र अनुभव।
वाणी पाठ दर्शन: गीता और अन्य ग्रंथों के पाठ का हिस्सा बनें।
संपर्क फॉर्म में अपनी डिटेल्स भरें, जैसे नाम, पता और दर्शन की इच्छा। ये फॉर्म आश्रम को आपकी रुचि के बारे में बताता है, लेकिन टोकन के लिए आपको आश्रम जाना होगा।
आश्रम में टोकन लेने की प्रक्रिया:
 
	
											
									जल्दी पहुंचें: आश्रम में सुबह 9:30 बजे के आसपास टोकन बंटते हैं। ये टोकन अगले दिन के दर्शन के लिए होते हैं। भीड़ ज्यादा होती है, इसलिए सुबह-सुबह पहुंचना बेहतर है।
आधार कार्ड जरूरी: टोकन लेने के लिए आपका आधार कार्ड अनिवार्य है। इसे साथ रखें।
सीमित स्लॉट: दर्शन के स्लॉट महाराज जी की सेहत और उनके शेड्यूल पर निर्भर करते हैं। रोजाना सीमित भक्तों को ही मौका मिलता है।
एकांतिक वार्तालाप: अगर आप महाराज जी से अकेले में आध्यात्मिक सलाह लेना चाहते हैं, तो ये स्लॉट और भी कम हैं। इसके लिए पहले से चयन होता है, और रोजाना कुछ ही भक्तों को मौका मिलता है।
दर्शन का खर्चा और अन्य सुविधाएं
 
	
											
									अच्छी बात ये है कि प्रेमानंद जी महाराज के दर्शन पूरी तरह मुफ्त हैं। आश्रम में कोई दर्शन शुल्क नहीं लिया जाता। लेकिन अगर आपको वृंदावन में आने-जाने या रहने की जगह ढूंढने में मदद चाहिए, तो कुछ वैकल्पिक कोऑर्डिनेशन सर्विस उपलब्ध हैं। इनमें शामिल हो सकता है:
लोकल ट्रैवल की व्यवस्था, जैसे ऑटो या टैक्सी।
वृंदावन में ठहरने के लिए गेस्टहाउस या धर्मशाला की जानकारी।
ध्यान दें, ये सुविधाएं आश्रम द्वारा नहीं चलाई जातीं। ये बाहरी सर्विस हैं, जो आपकी यात्रा को आसान बनाने के लिए हैं। अगर आप इनका इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो पहले उनकी डिटेल्स चेक कर लें।
आश्रम का रोज का समय
 
	
											
									आश्रम का टाइम-टेबल अच्छे से समझ लें, ताकि आप सही समय पर सही जगह हों। यहां रोज का शेड्यूल है:
- सुबह का सत्संग (महाराज जी द्वारा): 04:10 AM से 05:30 AM - महाराज जी की बातें और भक्ति का अनुभव।
- मंगला आरती और वन विहार: 05:30 AM से 06:30 AM - सुबह की आरती और प्रकृति के बीच भक्ति।
- हित चौरासी पाठ: 06:30 AM से 08:15 AM (सोमवार, बुधवार, गुरुवार, शनिवार, रविवार) - पवित्र ग्रंथों का पाठ।
- राधा सुधानिधि पाठ: 06:30 AM से 08:15 AM (मंगलवार, शुक्रवार) - राधा रानी पर आधारित पाठ।
- श्रृंगार आरती, भक्त नामावली, राधा नाम संकीर्तन: 08:15 AM से 09:15 AM - भक्ति भरे भजन और आरती।
- ब्रेक (सेवा और व्यक्तिगत भक्ति): 09:15 AM से 04:00 PM - इस दौरान भक्त अपनी भक्ति या सेवा कर सकते हैं।
- धूप आरती: 04:00 PM से 04:15 PM - छोटी लेकिन सुंदर आरती।
- शाम का वाणी पाठ: 04:15 PM से 05:35 PM - ग्रंथों की व्याख्या।
- भक्त चरित्र: 05:35 PM से 06:00 PM - भक्तों की कहानियां।
- संध्या आरती: 06:00 PM से 06:15 PM - दिन की आखिरी आरती।
नोट: सुबह का पाठ दिन के हिसाब से बदलता है, तो शेड्यूल चेक करें।
दर्शन के लिए जरूरी चीजें
 
	
											
									दर्शन के लिए आपको ज्यादा कुछ नहीं चाहिए, बस ये ध्यान रखें:
आधार कार्ड: टोकन लेने के लिए ये जरूरी है। बिना इसके टोकन नहीं मिलेगा।
एकांतिक वार्तालाप के लिए सवाल: अगर आपको महाराज जी से व्यक्तिगत सलाह चाहिए, तो अपने सवाल पहले से लिख लें। इससे समय की बचत होगी।
धैर्य: आश्रम में भीड़ हो सकती है, तो धैर्य रखें और शांति से प्रक्रिया फॉलो करें।
श्री हित राधा केली कुंज आश्रम क्यों जाएं?
 
	
											
									वृंदावन का ये आश्रम सिर्फ एक जगह नहीं, बल्कि आत्मिक शांति का ठिकाना है। यहां की हवा में भक्ति है और हर कोने में राधा-कृष्ण का प्रेम महसूस होता है। प्रेमानंद जी महाराज के सत्संग सुनने से मन को सुकून मिलता है। उनकी गीता और राधावल्लभ संप्रदाय की शिक्षाएं आसान शब्दों में गहरे सत्य बताती हैं। चाहे आप जिंदगी में रास्ता ढूंढ रहे हों या भगवान के करीब जाना चाहते हों, ये आश्रम आपकी यात्रा को यादगार बना देगा।
यहां रोज होने वाली आरतियां, सत्संग और संकीर्तन आपको भक्ति के रंग में रंग देंगे। परिक्रमा मार्ग पर बसा ये आश्रम प्रकृति और भक्ति का अनोखा संगम है। वृंदावन की गलियां, मंदिर और गोपियों की कहानियां आपके अनुभव को और खास बनाएंगी।
कुछ जरूरी टिप्स
- पहले से प्लान करें: वृंदावन में भीड़ रहती है, खासकर त्योहारों के समय। पहले से होटल या धर्मशाला बुक कर लें।
- सादगी से जाएं: आश्रम में सादगी और भक्ति का माहौल है। हल्के और सभ्य कपड़े पहनें।
- समय का ध्यान रखें: सुबह का समय सबसे अच्छा है, क्योंकि तब भीड़ कम होती है और टोकन आसानी से मिल सकते हैं।
- वृंदावन की अन्य जगहें: समय हो तो बांके बिहारी मंदिर, राधावल्लभ मंदिर और निधिवन भी घूमें।
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