एक शहर जिसमें कोई कार नहीं, कोई धुआं नहीं और हर जगह सफाई
जर्मनी के दक्षिण-पश्चिम कोने में ब्लैक फॉरेस्ट की हरी पहाड़ियों के नीचे एक छोटा शहर है। नाम है फ्राइबुर्ग। ये शहर बिल्कुल अलग है। यहां कारों की लंबी लाइन नहीं दिखती। धुआं नहीं फैलता। शोर भी कम है। सड़कें चमचमाती साफ रहती हैं। हवा ताजी है। पानी इतना साफ कि सीधे पी सकते हैं। घरों की छतों पर सोलर पैनल चमकते हैं। कचरे के डिब्बे भी सूरज की रोशनी से चलते हैं। लोग साइकिल चलाते हैं। ट्राम से घूमते हैं। पैदल चलना पसंद करते हैं। ये शहर पर्यावरण को बचाने का सबसे अच्छा उदाहरण है। यह यूनिवर्सिटी शहर है, इसलिए युवाओं की ऊर्जा भी भरपूर है। फ्राइबुर्ग पूरी दुनिया को बता रहा है कि शहर सुंदर, स्वस्थ और खुशहाल भी हो सकता है। चलिए, जानते हैं कि ये शहर इतना खास कैसे है…
सूरज की रोशनी से बिजली बनती है
फ्राइबुर्ग को यूरोप का सोलर सिटी कहा जाता है। यहां हर घर, स्कूल और ऑफिस की छत पर सोलर पैनल लगे हैं। ये पैनल बिजली बनाते हैं और शहर की लाइन में सीधे भेजते हैं। वॉबन नाम का इलाका इसका सबसे अच्छा नमूना है। पहले यहां फ्रेंच आर्मी का ठिकाना था। अब ये पर्यावरण का मॉडल बन गया है। यहां पैसिव हाउस और प्लस एनर्जी हाउस बने हैं। मतलब, घर बहुत कम बिजली खाते हैं या खुद से ज्यादा बिजली बनाते हैं। लोग कार छोड़कर साइकिल या ट्राम इस्तेमाल करते हैं। सख्त नियम हैं कि हर नया घर पर्यावरण को नुकसान न दे।
कारों के बिना भी सब आसान
1970 से शहर ने सोच-समझकर प्लानिंग की। पैदल चलने वाले, साइकिल वाले और बस-ट्राम को पहले नंबर दिया। आज शहर में एक-तिहाई सफर साइकिल से होता है। कई किलोमीटर तक साइकिल के रास्ते बने हैं। पुराना शहर पैदल या कम गाड़ियों वाला है। ट्राम और बस बिजली से चलती हैं। कोई शोर नहीं करतीं। शहर छोटा और अच्छे से प्लान किया गया है। दुकान, स्कूल या दफ्तर तक पैदल या साइकिल से पहुंच जाते हैं। वॉबन में कार रखना मुश्किल बनाया गया है। पार्किंग बाहर कम्युनिटी गैरेज में है। ज्यादातर लोग साइकिल ही चुनते हैं। फायदा ये हुआ कि हवा साफ है। सड़क शांत है। जिंदगी आसान और खुशहाल है। कोई ट्रैफिक जाम नहीं। सिर्फ साइकिल की घंटी और ट्राम की हल्की आवाज सुनाई देती है।
हरा जीवन सबकी आदत बन गया
फ्राइबुर्ग में पर्यावरण सिर्फ सरकारी काम नहीं है। ये लोगों की रोज की जिंदगी है। ऑर्गेनिक बाजार लगते हैं। छत पर सब्जी उगाते हैं। दीवारें हरी रखते हैं। जंगल के रास्तों पर घूमते हैं। कचरा अलग-अलग डिब्बों में डालते हैं। कम्युनिटी गार्डन में खुद फल-सब्जी बोते हैं। लोकल सामान खरीदते हैं ताकि दूर से माल लाने में धुआं न फैले। शहर के चारों तरफ जंगल है। ये हवा साफ रखता है और घूमने की जगह देता है। सरकारी लोग जनता को साथ रखते हैं। ऊर्जा के कोऑपरेटिव बनते हैं। प्लानिंग की मीटिंग में सबकी राय ली जाती है। पर्यावरण की पढ़ाई होती है। विश्वविद्यालय के छात्र और वैज्ञानिक नए सोलर आइडिया आजमाते हैं। हरा जीवन यहां बोझ नहीं लगता। ये स्मार्ट तरीका है। लोग स्वस्थ हैं। शांत हैं। एक-दूसरे से जुड़े हैं।
दुनिया को क्या सीख मिलती है
दुनिया के शहर धुआं, गर्मी और भीड़ से परेशान हैं। फ्राइबुर्ग अलग रास्ता दिखाता है। यहां तरक्की और प्रकृति साथ-साथ चलते हैं। कुछ बातें इस शहर से सबको सीखनी चाहिए।
- शहर छोटा और अच्छे से प्लान करो। सफर कम होगा।
- हर छत पर सोलर पैनल लगाओ। बिजली साफ बनेगी।
- बस, ट्राम और साइकिल को पहले रखो। कार की जरूरत नहीं पड़ेगी।
- लोगों को साथ लो। प्लान कामयाब होंगे।
फ्राइबुर्ग में ग्रीन लिविंग त्याग नहीं है। ये फायदा है। लोग खुश हैं क्योंकि हवा साफ है। शोर कम है। जिंदगी आसान है।
मुश्किलें भी हैं
फ्राइबुर्ग में सब कुछ परफेक्ट नहीं है। हरे घरों की मांग से कीमतें बढ़ गई हैं। पुराने घरों को नया करना मुश्किल है। शहर बढ़ रहा है। उन्हें भी हरी जगह बचानी पड़ेगी। लेकिन शहर क्लाइमेट न्यूट्रल बनने की राह पर है। 2050 तक पूरी तरह कार्बन फ्री होने का लक्ष्य है। लोग वहां सोलर बढ़ाएंगे। ट्रांसपोर्ट को और स्मार्ट करेंगे। एक-दूसरे का साथ देंगे। फ्राइबुर्ग 50 साल से अपने हरे सपने पर कायम है।
आज ही भविष्य का शहर
सोचिए, पत्थर की सड़कों पर साइकिल चलाते हुए। सूरज की रोशनी सोलर छतों से टकराती हुई। ट्राम चुपचाप गुजरती हुई। हवा में पाइन की खुशबू। पेट्रोल की गंध नहीं। ये सपना नहीं है। ये फ्राइबुर्ग की रोज की जिंदगी है। ये सिर्फ जगह नहीं है। ये मॉडल है। टेक्नोलॉजी, प्रकृति और लोग यहां एक साथ हैं। फ्राइबुर्ग साबित करता है कि आने वाले शहर साफ, तेज और खुशहाल हो सकते हैं। बस सही प्लानिंग और इच्छाशक्ति चाहिए।
फ्राइबुर्ग घूमने की आसान सलाह
- कैसे पहुंचें: फ्रैंकफर्ट या ज्यूरिख एयरपोर्ट से ट्रेन लें। 2-3 घंटे लगते हैं।
- रहें कहां: वॉबन या पुराना शहर चुनें। होमस्टे या ग्रीन होटल लें।
- घूमें कैसे: साइकिल किराए पर लें। ट्राम पास खरीदें।
- क्या देखें: ब्लैक फॉरेस्ट के रास्ते, सोलर टूर, ऑर्गेनिक बाजार।
- कब जाएं: गर्मियों में। हरियाली ज्यादा होती है।
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