चलें गंगा की लहरों के साथ

गंगोत्री: जहां गंगा की शुरुआत होती है

गंगा की सैर शुरू होती है गंगोत्री से, जहां ये पवित्र नदी जन्म लेती है। उत्तराखंड में बसी गंगोत्री एक ऐसी जगह है, जहां माँ गंगा का मंदिर दिल जीत लेता है। बर्फ़ से ढके हिमालय के बीच ये मंदिर मई से अक्टूबर तक खुलता है। यहां का नज़ारा इतना खूबसूरत है कि लगता है, प्रकृति और भक्ति एक-दूसरे से गप्पे लड़ा रहे हों। गंगोत्री के घाट पर खड़े होकर गंगा की लहरों को देखो, तो मन को सुकून मिलता है। हवा में मंत्रों की आवाज़ और घंटियों की टुनटुन आत्मा को छू जाती है। यहां की सैर हर किसी के लिए एक ऐसा अनुभव है, जो ज़िंदगी भर याद रहता है। आसपास के ट्रेकिंग रास्ते और गोमुख, जहां गंगा का असली स्रोत है, वो तो प्रकृति के दीवानों के लिए जन्नत हैं। गोमुख तक का रास्ता थोड़ा मुश्किल है, लेकिन वहां की शांति और गंगा की शुरुआत का नज़ारा हर मेहनत को भुला देता है। यहां की ठंडी हवाएं और बर्फीली चोटियां आपको एक अलग ही दुनिया में ले जाती हैं। अगर आप यहां जाते हैं, तो गर्म कपड़े और अच्छे जूते ज़रूर ले जाएं।
हरिद्वार: भक्ति का पहला पड़ाव
गंगा के किनारे बसा हरिद्वार वो जगह है, जहां आस्था का असली रंग दिखता है। इसे 'हर का द्वार' यानी भगवान शिव का दरवाज़ा कहते हैं। हर की पौड़ी यहां का सबसे ख़ास घाट है। हर शाम होने वाली गंगा आरती देखकर दिल ख़ुश हो जाता है। जब पुजारी दीप जलाकर गंगा को अर्पित करते हैं, तो पूरा माहौल भक्ति और जोश से भर जाता है। लोग दीप जलाकर गंगा में बहाते हैं, और ये नज़ारा इतना प्यारा होता है कि आंखें ठहर सी जाती हैं। हरिद्वार में कई पुराने मंदिर हैं, जैसे मानसा देवी और चंडी देवी मंदिर, जो पहाड़ों पर बने हैं। इन मंदिरों तक केबल कार से भी जाया जा सकता है, जो अपने आप में एक मज़ेदार अनुभव है। यहां की गलियों में साधु-संत, रंग-बिरंगे बाज़ार, और गंगा की लहरों की आवाज़ मिलती है। हरिद्वार में खाने का भी अपना मज़ा है, मसलन, गर्मागर्म कचौड़ियां, आलू पूरी, और मिठाइयां हर गली में मिल जाएंगी। ये जगह ऐसी है, जहां आप ज़िंदगी की भागदौड़ से थोड़ा सुकून पा सकते हैं। यहां की भीड़ में भी एक अजीब सी शांति है, जो आपको अपने साथ बांध लेती है।
ऋषिकेश: योग और शांति की दुनिया

हरिद्वार से थोड़ा आगे चलकर आता है ऋषिकेश, जिसे 'योग की राजधानी' कहते हैं। गंगा के किनारे बसी ये जगह शांति और अध्यात्म का ठिकाना है। लक्ष्मण झूला और राम झूला, जो गंगा के ऊपर लटके हुए पुल हैं, यहां की शान हैं। इनसे गंगा का नज़ारा इतना प्यारा है कि आप घंटों खड़े रहना चाहेंगे। ये पुल थोड़े हिलते-डुलते हैं, जो सैर को और मज़ेदार बना देता है। ऋषिकेश में कई आश्रम हैं, जहां योग और ध्यान सिखाया जाता है। अगर आप योग सीखना चाहते हैं, तो यहां कुछ दिन रुकना बनता है। त्रिवेणी घाट की गंगा आरती भी कमाल की है। यहां गंगा की धारा इतनी साफ़ और शांत है कि आप इसके किनारे बैठकर घंटों खो सकते हैं। अगर आपको थ्रिल पसंद है, तो रिवर राफ्टिंग का मज़ा ले सकते हैं। गंगा की तेज़ धाराओं में राफ्टिंग करना ऐसा अनुभव है, जो आपके दिल में हमेशा रहेगा। यहां बीटल्स आश्रम भी है, जहां मशहूर बैंड बीटल्स ने ध्यान सीखा था। इस आश्रम की दीवारों पर बनी पेंटिंग्स देखने लायक हैं।
प्रयागराज: तीन नदियों का मिलन
प्रयागराज, जिसे पहले इलाहाबाद कहते थे, वो जगह है जहां गंगा, यमुना, और अदृश्य सरस्वती नदी मिलती हैं। ये त्रिवेणी संगम भारत की सबसे पवित्र जगहों में से एक है। यहां गंगा और यमुना की धाराएं साफ़ दिखती हैं, एक हल्की हरी, दूसरी गहरी नीली। यहां संगम में डुबकी लगाना बहुत बड़ा पुण्य माना जाता है। नाव से संगम तक की सैर अपने आप में ख़ास है। यहां के नाव वाले आपको संगम की कहानियां भी सुनाएंगे। प्रयागराज में हर 12 साल में कुम्भ मेला लगता है, जो दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक मेला है। इस साल तो यहां 144 साल में एक बार लगने वाला महाकुंभ मेला भी लगने वाला है। इस दौरान लाखों लोग गंगा के किनारे इकट्ठा होंगे। यहां हनुमान मंदिर और अकबर का किला भी देखने लायक हैं। हनुमान मंदिर में लेटे हुए हनुमान जी की मूर्ति बहुत अनोखी है। संगम के किनारे सूरज ढलते देखना ऐसा अनुभव है, जो दिल में बस जाता है। यहां की शांति और गंगा की लहरों की आवाज़ आपको एक अलग ही दुनिया में ले जाती है। अगर आप इतिहास में रुचि रखते हैं, तो आनंद भवन भी देख सकते हैं, जहां नेहरू परिवार की यादें बसती हैं।
वाराणसी: मोक्ष का रास्ता

गंगा के किनारे बसी वाराणसी, या कहें काशी, दुनिया की सबसे पुरानी जगहों में से एक है। ये शहर भक्ति और संस्कृति का गढ़ है। यहां के घाट, जैसे दशाश्वमेध, मानिकर्णिका, और अस्सी घाट, हमेशा लोगों से गुलज़ार रहते हैं। दशाश्वमेध घाट की गंगा आरती इतनी शानदार है कि हर कोई देखकर मंत्रमुग्ध हो जाता है। पुजारी बड़े-बड़े दीप जलाकर गंगा को अर्पित करते हैं, और मंत्रों की गूंज पूरे घाट को पवित्र कर देती है। काशी विश्वनाथ मंदिर यहां का सबसे बड़ा तीर्थ है। लोग दूर-दूर से भगवान शिव के दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर की गलियों में भीड़ हमेशा रहती है, लेकिन वहाँ की भक्ति का माहौल सब कुछ भुला देता है। वाराणसी की गलियों में पुराने मंदिर, बनारसी पान, और रंग-बिरंगे बाज़ार मिलते हैं। बनारसी साड़ियां और चाट का स्वाद यहां की पहचान हैं। मानिकर्णिका घाट, जहां हर वक़्त अंतिम संस्कार होते हैं, ज़िंदगी और मृत्यु का फ़लसफ़ा समझाता है। यहां की सैर आपको ज़िंदगी के हर रंग दिखाती है, ख़ुशी, गम, भक्ति, और शांति। अगर आप सुबह-सुबह नाव की सैर करें, तो घाटों का नज़ारा और भी ख़ास लगता है।
कोलकाता: गंगा का रंग-बिरंगा अंदाज़
गंगा के किनारे बसा कोलकाता एक ऐसी जगह है, जहां नया और पुराना साथ-साथ चलते हैं। यहां का कालीघाट मंदिर माँ काली का सबसे बड़ा ठिकाना है। मंदिर के आसपास की गलियां हमेशा भक्तों से भरी रहती हैं। गंगा के किनारे हुगली नदी के घाट, जैसे बाबू घाट और प्रिंसेप घाट, देखने लायक हैं। इन घाटों पर सूरज ढलते देखना बहुत सुकून देता है। कोलकाता में गंगा के किनारे होने वाली दुर्गा पूजा का जश्न दुनिया भर में मशहूर है। इस दौरान शहर रंग-बिरंगी लाइट्स और पंडालों से सज जाता है। हर पंडाल में माँ दुर्गा की मूर्तियाँ इतनी खूबसूरत होती हैं कि आप देखते रह जाएं। यहां गंगा की धारा शांत और चौड़ी है, जो शहर की हलचल में भी सुकून देती है। कोलकाता की सैर आपको गंगा के सांस्कृतिक रंग दिखाती है। यहां के रसगुल्ले, संदेश, और मिष्टि दही का स्वाद लेना न भूलें। अगर आप इतिहास में रुचि रखते हैं, तो विक्टोरिया मेमोरियल और हावड़ा ब्रिज भी ज़रूर देखें।
गंगा सागर: जहां गंगा समंदर से मिलती है

पश्चिम बंगाल में बसा गंगा सागर वो ख़ास जगह है, जहां गंगा बंगाल की खाड़ी में जाकर समंदर से मिलती है। ये जगह बेहद पवित्र मानी जाती है, ख़ासकर मकर संक्रांति के मौके पर, जब यहां गंगा सागर मेला लगता है। लाखों लोग यहां स्नान करने और कपिल मुनि मंदिर में दर्शन करने आते हैं। मेला इतना बड़ा होता है कि दूर-दूर से लोग यहां का रुख करते हैं। गंगा सागर का नज़ारा अनोखा है। यहां गंगा की लहरें समंदर की विशालता से मिलकर एक जादुई माहौल बनाती हैं। कपिल मुनि मंदिर यहां का मुख्य ठिकाना है, और यहां की शांति मन को सुकून देती है। यहां तक पहुंचने के लिए नाव की सवारी करनी पड़ती है, जो अपने आप में एक रोमांच है। नाव से समंदर और गंगा का मिलन देखना ऐसा अनुभव है, जो शब्दों में बयान करना मुश्किल है। यहां के स्थानीय लोग बहुत मेहमाननवाज हैं और मेले में आपको बंगाली संस्कृति का रंग भी देखने को मिलेगा। अगर आप गंगा सागर जाएं, तो यहां की मछली करी और मिठाइयां जरूर ट्राई करें।
आपके पसंद की अन्य पोस्ट

400 साल पुराना है सांगानेरी प्रिंट का इतिहास, एक बार यहां आना तो बनता है
क्या आपने सांगानेरी हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग के बारे में सुना है?

पुष्कर: उत्सवों को उत्साह से मनाती भगवान ब्रह्मा की ये नगरी
अरावली की पहाड़ियों से तीन ओर से घिरे राजस्थान के ह्रदय पुष्कर में एक अलग ही रंग का हिंदुस्तान बसता है। एक ऐसा हिंदुस्तान जिसे सैलानी सिर्फ देखने नहीं बल्कि उसे महसूस करने, जीने और इसकी आध्यात्मिकता में डूब जाने के लिए आते हैं।