79वां स्वतंत्रता दिवस: करें इन ऐतिहासिक स्मारकों की सैर

आगा खान पैलेस, पुणे: स्वतंत्रता संग्राम का गवाह

आगा खान पैलेस, पुणे, महाराष्ट्र में बना एक ऐतिहासिक स्मारक है, जिसे 1892 में सुल्तान मोहम्मद शाह आगा खान तृतीय ने बनवाया था। यह इमारत अपनी शानदार वास्तुकला और स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका के लिए जानी जाती है। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी, कस्तूरबा गांधी और बाकी कई स्वतंत्रता सेनानियों को यहां नजरबंद रखा गया था। पैलेस के परिसर में कस्तूरबा गांधी और महादेव देसाई की समाधियां भी हैं जो इसे और भी खास बनाती हैं।
प्रवेश शुल्क: भारतीयों के लिए ₹25, विदेशियों के लिए ₹200।
टिप्स
- आगा खान पैलेस को देखने के लिए 1-2 घंटे का समय काफी है।
- बेहतर होगा कि सुबह जल्दी जाएं ताकि भीड़ से बचा जा सके।
- पास के पुणे शहर में लोकल खाना जैसे मिसल पाव और वड़ा पाव टेस्ट कर सकते हैं।
- परिसर में गांधी स्मारक संग्रहालय भी देखें, जहां स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी तस्वीरें और दस्तावेज हैं।
जालियांवाला बाग, अमृतसर: बलिदान की अमर कहानी

जालियांवाला बाग, अमृतसर, पंजाब में बना एक ऐतिहासिक स्थल है, जो 1919 के जलियांवाला बाग नरसंहार के लिए जाना जाता है। 13 अप्रैल, 1919 को बैसाखी के दिन ब्रिटिश सेना ने जनरल डायर के नेतृत्व में निहत्थे भारतीयों पर गोलीबारी की जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए। यह घटना स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मोड़ थी। आज यह जगह एक स्मारक है जहां शहीदों की याद में एक ज्योति जलती है।
इस नरसंहार ने स्वतंत्रता आंदोलन को और तेज कर दिया था। यहां पड़े बुलेट के निशान और शहीद कुआं आज भी उस दुखद घटना की गवाही देते हैं।
प्रवेश: निःशुल्क।
टिप्स
- जालियांवाला बाग की सैर के लिए 1 घंटा पर्याप्त है।
- पास के यहां तक जाएं तो पास के स्वर्ण मंदिर में भी ज़रूर दर्शन करें।
- अमृतसर के प्रसिद्ध कुलचे-चोले और लस्सी का मज़ा लें।
- गर्मियों में टोपी और पानी की बोतल साथ रखें, क्योंकि यह खुली जगह है।
- स्मारक में शांति बनाए रखें, क्योंकि यह शहीदों के सम्मान का स्थान है।
इंडिया गेट, दिल्ली: शहीदों को श्रद्धांजलि

इंडिया गेट, नई दिल्ली में स्थित एक युद्ध स्मारक है, जिसे प्रथम विश्व युद्ध और तीसरे आंग्ल-अफगान युद्ध में शहीद हुए 70,000 भारतीय सैनिकों की याद में बनाया गया था। 42 मीटर ऊंचा यह स्मारक सर एडविन लुटियंस ने डिजाइन किया है। इसके नीचे अमर जवान ज्योति जलती है जो शहीदों को श्रद्धांजलि देती है। रात में रंग-बिरंगी रोशनी से जगमगाता इंडिया गेट पर्यटकों के बीच बेहद लोकप्रिय है। हरे-भरे लॉन और बोटिंग की सुविधा इसे परिवारों के लिए आदर्श बनाती है।
प्रवेश: निःशुल्क।
टिप्स
- शाम के समय इंडिया गेट जाएं, जब यह रोशनी से और भी खूबसूरत लगता है।
- यहां पास के कनॉट प्लेस में आप बटर चिकन, चाट, और अन्य व्यंजनों का मज़ा लें सकते हैं।
- गर्मियों में पानी की बोतल और टोपी साथ रखें।
लाल किला, दिल्ली: स्वतंत्रता का प्रतीक

लाल किला, दिल्ली का एक ऐतिहासिक स्मारक है जिसे मुगल सम्राट शाहजहां ने 1648 में बनवाया था। यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल अपनी भव्य वास्तुकला और लाल बलुआ पत्थर के लिए मशहूर है। हर साल स्वतंत्रता दिवस पर भारत के प्रधानमंत्री यहां से राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं और देश को संबोधित करते हैं। लाल किले का दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, रंगमहल, और मोती मस्जिद मुगल काल की शान को दर्शाते हैं। यह किला इसलिए भी खास है क्योंकि 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में यह विद्रोहियों का केंद्र था।
प्रवेश शुल्क: भारतीयों के लिए ₹35, विदेशियों के लिए ₹500।
टिप्स
- लाल किले को घूमने के लिए सुबह का समय चुनें।
- पास के चांदनी चौक में पराठे, जलेबी, और कबाब का स्वाद लें।
- सूर्यास्त के समय फोटोग्राफी के लिए शानदार नज़ारे मिलते हैं।
- लाइट एंड साउंड शो देखने का मौका न चूकें।
सेल्युलर जेल, पोर्ट ब्लेयर: बलिदान का प्रतीक

सेल्युलर जेल, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पोर्ट ब्लेयर में स्थित एक राष्ट्रीय स्मारक है। इसे 'कालापानी' के नाम से भी जाना जाता है। 1906 में ब्रिटिश शासन द्वारा बनाई गई इस जेल में स्वतंत्रता सेनानियों को कठोर यातनाएं दी जाती थीं। वीर सावरकर, बटुकेश्वर दत्त और योगेंद्र शुक्ल जैसे सेनानियों को यहां कैद रखा गया था। आज यह एक संग्रहालय और स्मारक के रूप में है। यह जेल बहुत खास है क्योंकि यह स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान और संघर्ष को दर्शाती है।
प्रवेश शुल्क: ₹30 (लाइट एंड साउंड शो के लिए अलग शुल्क)।
टिप्स
- सेल्युलर जेल को देखने के लिए 2-3 घंटे का समय रखें।
- शाम का लाइट एंड साउंड शो जरूर देखें।
- पोर्ट ब्लेयर में समुद्री भोजन और स्थानीय व्यंजनों का स्वाद लें।
- गर्म और उमस भरे मौसम के लिए हल्के कपड़े और पानी की बोतल साथ रखें।
अगस्त क्रांति मैदान, मुंबई: भारत छोड़ो आंदोलन का केंद्र

अगस्त क्रांति मैदान, मुंबई में गौलिया टैंक के नाम से भी जाना जाता है। यह वही जगह है जहां 8 अगस्त, 1942 को महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की थी। उनके ऐतिहासिक भाषण “करो या मरो” ने स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी। आज यह मैदान एक स्मारक के रूप में स्वतंत्रता के संघर्ष को याद दिलाता है। यहां का स्मारक और पार्क शांति और प्रेरणा का प्रतीक है।
प्रवेश: निःशुल्क।
टिप्स
- अगस्त क्रांति मैदान की सैर के लिए 1 घंटा पर्याप्त है।
- पास के मरीन ड्राइव पर सैर करें और समुद्र तट का मज़ा लें।
- मुंबई के वड़ा पाव, पाव भाजी, और फालूदा का स्वाद जरूर लें।
- सुबह या शाम का समय सबसे अच्छा है।
साबरमती आश्रम, अहमदाबाद: गांधी की कर्मभूमि

साबरमती आश्रम, अहमदाबाद, गुजरात में साबरमती नदी के किनारे स्थित है। इसे 1917 में महात्मा गांधी ने स्थापित किया था। यह आश्रम स्वतंत्रता संग्राम का एक प्रमुख केंद्र था, जहां से 1930 में दांडी नमक सत्याग्रह की शुरुआत हुई। आज यह एक संग्रहालय है, जहां गांधीजी के जीवन, उनके पत्र और चरखे जैसे प्रतीकों को देखा जा सकता है। उस यह अहिंसा और सत्याग्रह का केंद्र था।
प्रवेश: निःशुल्क।
टिप्स
- साबरमती आश्रम को देखने के लिए 2 घंटे का समय रखें।
- शांत वातावरण में ध्यान और चिंतन के लिए यह आदर्श है।
- पास के साबरमती रिवरफ्रंट पर सैर करें।
- अहमदाबाद में गुजराती थाली, ढोकला, और खमण का स्वाद लें।
- गर्मियों में हल्के कपड़े और टोपी साथ रखें।
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